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Sample Copy. Not For Distribution.

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  • i

    प्माय का जन्भ

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  • ii

    Publishing-in-support-of,

    EDUCREATION PUBLISHING

    RZ 94, Sector - 6, Dwarka, New Delhi - 110075 Shubham Vihar, Mangla, Bilaspur, Chhattisgarh - 495001

    Website: www.educreation.in __________________________________________________

    © Copyright, Author

    All rights reserved. No part of this book may be reproduced, stored in a retrieval system, or transmitted, in any form by any means, electronic, mechanical, magnetic, optical, chemical, manual, photocopying, recording or otherwise, without the prior written consent of its writer.

    ISBN: 978-1-61813-723-4

    Price: ` 215.00

    The opinions/ contents expressed in this book are solely of the author and do not represent the opinions/ standings/ thoughts of Educreation.

    Printed in India

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  • iii

    आककर अह

    EDUCREATION PUBLISHING (Since 2011)

    www.educreation.in

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  • v

    भेये भाता पऩता औय बाई को सभपऩित

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    लेखक के बारे में

    W अह 06/09/1999 ह | ह औ ह ह |

    10 ह औ अ (ओ ) 12 ह ह अ (ओ ) ह ह औ ओ ह ह |

    ह | 17 अ ह ‘ ’ औ अ ह MBBS अ ह ह |

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  • vii

    [email protected] ह www.twetter.com/@AakilAhmedsaifi tweet ह ह www.facebook.com/AakilAhmed.saifi www.facebook.com/As Aakil follow ह |

    ‘ ’ (new Edition) blog ह ह ह www.A6newedition.blogspot.com and AakilAhmedsaifi.blogspot.com

    p

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  • viii

    आभार

    W इस ककताफ के लरखने के लरए भैं सफसे ऩहरे ईश्वय से बी ऩहरे अऩने भाता-पऩता का शुकिमा अदा कयना चाह ॊगा क्मोंकक भेये भाता-पऩता ही भेये बगवान हैं भेये भाता-पऩता ने हभेशा भेया हौंसरा फढामा है औय भुझे ऩढा-लरखा कय इस क़ाबफर फनामा |

    इसके फाद भैं अऩने फड ेबाई ‘एसफी’ खान का शुकिमा अदा कयना चाह ॉगा | भेये फडे बाई के बफना भैं मे ककताफ ‘प्माय का जन्भ’ कबी नहीॊ लरख सकता था उन्होंने ही भुझे प्रोत्साहहत ककमा कक कोई बी इॊसान अऩनी ककताफ लरख सकता है चाहे वो स्क र भें हो 10वीॊ, 12वीॊ कऺा भें ऩढ यहे हों मा कॉरेज भें मा कपय चाहे नौकयी कयता हो उन्होंने ही भुझे उऩन्मास लरखने को कहा भैं ऩहरे ककसी औय पवषम ऩय लरख यहा था भैंने उस ककताफ का एक ततहाई बाग लरख बी हदमा था रेककन जफ भेये फड े

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    बाई ने भुझे उऩन्मास लरखने को कहा तो भैंने उसके फाद ही इस पवषम भें अऩनी ऩहरी यचना ‘प्माय का जन्भ’ लरखा |

    इस ककताफ को चुनने के लरए भैं ऩाठकों का बी शुकिमा अदा कयना चाह ॊगा जजन्होंने अबी तक भेयी ककताफ ऩढी है मा ऩढ यहे हैं मा कपय आगे बपवष्म भें ऩढेंगे |

    भुझे आशा है कक आऩ सबी को मे ऩसॊद आएगी | ऩाठकों के पवचाय सादय आभॊबित होंगे| धन्मवाद |

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    पुस्तक के बारे में

    W मे भेयी ऩहरी ककताफ है सच्चे पे्रभ औय बावनाओॊ से सुसजजजत मह ऩुस्तक ऩाठकों के फीते हुए सभम औय वतिभान सभम की मादों को ताज़ा कयने के लरए एक फहुत ही ख फस यत नग्भा है |

    ‘प्माय का जन्भ’ एक फडी ही पवचचि औय नाजुक ऩरयजस्थतत भें तघयी एक किजश्चमन रडकी भरयमभ औय एक भुसरभान रडके येहान की पे्रभ कहानी है येहान एक सुॊदय रडका है जो भरयमभ कक जज़न्दगी से स्क र के वक्त भें छोड कय चरा गमा था औय कपय येहान के चरे जान ेके फाद कैसे भरयमभ की जज़न्दगी भें सफ कुछ धीये-धीये ख़त्भ हो गमा औय जफ भरयमभ द सये देश गई तो भरयमभ को वहाॊ उसका ऩहरा औय आखखयी सच्चे प्माय येहान से भुराकात हुई मे ज़रूयी नहीॊ कक हय पे्रभ कहानी ऩ यी हो कुछ पे्रभ कहानी अध यी बी यह जाती हैं |

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    भैंने भरयमभ की जज़न्दगी के हय ऩर को उसकी तकरीप को ददि को औय बावनाओॊ को भहस स ककमा है औय भरयमभ के दखु ददि औय बावनाओॊ को अऩनी जज़न्दगी भें उताय कय उस के ददि को अऩना फनाकय उसकी जज़न्दगी को अऩना फनाकय भैंने इस कहानी को कागज़ के ऩन्नों ऩय उताया है | मे एक कल्ऩना है भेयी कल्ऩना एक सच्ची कल्ऩना राखों रोगों की जज़न्दगी की एक सच्ची कहानी, रेककन एक कल्ऩना होन े के फावज द सच से बी ज़्मादा सच्ची पे्रभ कहानी |

    इस ऩुस्तक भें रव डोज़ बी है भस्ती औय गॉलसऩ बी है साथ ही जीवन भें काभ आने वारी सीख बी है, भाता-पऩता से बफछडने का ग़भ बी है | स्क र राइप की भस्ती बी औय इसभें है जज़न्दगी भें आगे फढने का परसपा | भुझे पवश्वास है कक मे ऩुस्तक राखों रोगों के हदरों को छ रेगी औय उनके हदरों भें जगह फनाएगी औय उनकी जज़न्दगी भें दखुों को द य कयके खुलशमाॊ बय देगी | भेयी इस ककताफ को आऩको एक फाय ज़रूय ऩढना चाहहए क्मोंकक इस

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    ककताफ को एक फाय शुरू कयके आऩ सभाप्त ककमे बफना नहीॊ यह ऩाएॉगे........|

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    प्रस्तावना

    W भैं वहाॊ फैठकय अऩनी फ्राइट का इॊतज़ाय कय यही थी भुझे कापी वक़्त हो गमा था अफ तक भैंने कुछ ऩबिकाएॉ बी ऩढ डारी थीॊ |

    भैं वहाॊ फैठे इॊतज़ाय कय यही थी कक ककसी ने भेये ऩीछे से भेये कॊ धे ऩय हाथ यखा, भैंने डयते हुए ऩीछे भुडकय देखा,

    तुभ हो येहान भुझे बफना फतामे चरी आमीॊ तुभ सो यहे थे भैंने तुम्हे उठाने की फहुत

    कोलशश की रेककन तुभ जागे ही नहीॊ औय भैं तुम्हाये लरए........|

    भैंने अऩनी फात ऩ यी बी नहीॊ की थी कक उसने भुझे अऩनी फाॉहों भें......

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  • आककर अह

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    1 W

    06, 1999 , भैं ह ह , 2:25 ह | ह | अ — भाहौर ह , ह ह ह ह ह | औ भैं ह ह | , ह |

    कारा धुॉआ नीरे फादरों भें छामा हुआ था, जो नीरे फादरों के यॊग को बफगाड यहा था | ध ध दौड ह , ददि से चीख यहे , , | कुछ रोगों का चेहया फुयी तयह बफगड चुका था, उनकी ऩहचान कय ऩाना फहुत ही भुजश्कर था | ह , ह — ऩाॉव ह गए , ज़ख़्भी ह | अ ह |

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  • प्माय का जन्भ

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    ह , ह थका हुआ भहस स कय यही थी, औ ह ह ह | भौत के फ़रयश्ते भुझे रेने आते ही होंगे मही डय सता यहा था |

    जज़न्दगी भें अबी कुछ देखा बी नहीॊ था कक भौत का पयभान आ गमा था | म ॉ ह कक ह — ह लरए दतुनमा अ कहने का वक़्त आ गमा था | ज़ख्भी ह यहे , उनकी आवाज़ सुनने वारा वहाॊ कोई ना था | ओय घना जॊगर औय ऩेडो की छाॉव का घना अॉधेया छामा था | कहीॊ द य से ऩानी के ऩठायों की आवाज़ आ यही थी...

    ऩानी के ऩत्थयों से टकयान े की आवाज़.........|

    शामद कुछ द यी ऩय होगा | ह अ ह | ह ह दतुनमा ह | औ ह , ह — 79 की भौत ह चुकी थी | औ 59 ह

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  • आककर अह

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    ज़ख़्भी ह | कुछ रोग अफ बी राऩता थे जजनका कोई अता-ऩता ना था | ह कुछ ह जज़न्दा , औ - नसीफों भैं , भरयमभ |

    06, 1970 , (भयीनो) ह | छोटे से क़स्फे भें, सा क़स्फा फहुत कभ रोग जानते थे | क़स्फे ह ह ह | ! ह ह , , फैंक औ था, ह ह फन ेथे |

    औ ह अ औ स्क र , फहुत छोटा स्क र | ह | से ह ह ध ध , अगय ह तो गाॉव ऩाॊच

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    ह जाना | ! फडे फाज़ाय बी ह ह उऩरब्ध थे |

    किजस्चमन ह | औ आभतौय फाहय ह ह | क्म ॊकक खेतों ह ! औ ह | ना औ ना ह ह , अ अ , अ ...........!'''

    ह ह ह ! ह ह ह ह भेयी ह अनऩढ यह जाए द सयों से भदद की गुहाय रगाए, ह | ह ह ह ह ऩढ-लरख कय एक काभमाफ इॊसान फने, लसय उठा कय जजमे औय शान से जजमे, जहाॊ बी यहे खुश यहे !”

    भैं जल्दी ह सीख | | गाॉव के स्क र भें जल्दी ह दाखखरा | औ भैं

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    पवधारम , बफना योमे, भाॉ-पऩता जी को ऩयेशान ककमे फगैय | जैसा ओय छोटे फच्चे कयते हैं | दाखखरा गाॉव | जहाॉ भैं —अ ऩढने | क्म ॊकक भाॉ कहती थी इॊसान को जमादा से ज़्मादा ऩढना चाहहए, औय बाषाओँ भें क्मा यखा है | धभि बगवान की नहीॊ इॊसान की देन है | ह भैं स्क र औ | भैं एक ककि जस्चमन रडकी होन े के फावज द बी उद ि सीख यही थी |

    ह ह , भैं ह ह ह ह | जमादा से जमादा रोग जानते हों | रोग भेयी शामयी को गुनगुनाएॊ, फडी तादाद भें चाहने वारे हों, औय चायों ओय भेया ही फोर-फारा हो |

    कुछ ऐसी ऩहचान...............| भुझे नई-नई जगहों ऩय घ भना फेहद ऩसॊद

    था औय हभेशा से ही कुछ अरग, कुछ नमा कयने का जुन न सवाय था | शामद इसलरए कुछ

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    नमा कयने के चक्कय भें कबी-कबी कुछ काभ बफगाड बी देती, उसके लरए भाॉ से डाॊट बी ऩडती | जीवन भें नई उभॊगो के साथ ऩ ये पवश्व का चक्कय रगाना चाहती थी, दतुनमा को कयीफ से जानना चाहती थी | अऩनी जीत का ऩयचभ रहयाना चाहती थी, रेककन वक़्त के हाथों अबी भजफ य थी |

    भैं फहुत छोटी थी शामद इसीलरए वोह सफ कयने भें असपर थी जो भैं कयना चाहती थी |

    छोटी सी उम्र से ही भैंने डामयी लरखना शुरू कय हदमा था | औय उसी ऩयॊऩया को भैं आज तक तनयॊतय तनबाती चरी आ यही थी | भैं अ ह ह ह ॉ ह थे.|

    ह अ , ह ह ओय ह ह भैं उस ह फहती ओ उस ह स्क र औ यास्ते भैं स्क र यास्ते गेह ॊ ह ह अ

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    ह गेह ॊ खेतों ह कपजामें ह ह ......|

    भैं स्क र ह अ औ ह ह ह | हभेशा अऩनी ही दतुनमा भें खोमी यहती |

    स्क र ऩीरयमड ह ध ह भैं ह औ अऩने दतुनमा छाॉव फादरों ह , कबी दौडता हुआ घोडा, कबी हाथी तो कबी चचड़डमा औ ....|

    भैं ह ह , क्मोंकक सभम ऩहरे एक घोषणा हुई थी भैं ना ह , जल्दी ह ह औ , | स्वमॊ को रोगों के साभने प्रस्तुत कयने का भौका

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    जल्दी ह स्क र कामििभ का आमोजन होन े वारा था | जजसभें — , नाचना गाना, कपवता, शेय-ओ-शामयी जैसे कामििभों को शालभर ककमा गमा था | शेय-ओ-शामयी औय कपवता के लरए भुझे चुना गमा था|

    , स्वमॊ को सफके साभने प्रस्तुत कयने का हदन | ह वषों इॊतज़ाय | कुछ ककताफों अऩने ऩसॊदीदा | ह भैं | भैं तैमाय ह इॊतज़ाय ह , ह रोगों भैं | अ ह क्मा होगा,

    रोग क्मा कहेंगे.......| ह ह भैं

    ककसी ह थी | मही डय भुझे फाय-फाय सता यहा था, अऩने आऩको भॊच ऩय ऩेश कयने की ख़ुशी बी थी द सयी ओय एक डय बी था | ह भैं

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    अ ह ........कैसे सुनाउॊगी भैं रोगों को अऩनी शामयी |

    जफ भैं फैठी गहयी सोच भें ड फी कुछ पवचाय कय यही थी, अ आवाज़ ,

    भरयमभ,....भरयमभ ऑ | भैं अ ह ह

    ध | भरयमभ... भरयमभ....... अ ख़मारों दतुनमा

    फाहय आवाज़ , भैं अचानक हडफडाई अ ह ह |

    भैंने डयते हुए, थोडा घफयाते हुए भॊच की ओय चरना शुरू ककमा | जैसे ही भैंने भॊच ऩय ऩहरा कदभ यखा, भेयी धडकने तेज़ हो गई साॊसें भानो थभ सी गई |

    भैं ह जुफाॊ ह ह ह ह तारा रगा हदमा हो |

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    ह ह , थीॊ, भाहौर थभ सा गमा था सबी रोग भेयी ओय फडे गौय से देख यहे थे |

    ह ह अ ह | ह ह ह ह ?

    भैं ह ह ह ह |

    कुछ बफल्कुर अरग, जजसकी भुझे उम्भीद बी ना थी..... - अ आॉखें कयके ह ह .............!"

    टुकडे - टुकडे हदन फीता, धजजी - धजजी यात लभरी......||' जजसका जजतना आॊचर था, उतनी ही सौगात लभरी.............||" रयभखझभ - रयभखझभ फारयश भें, ज़हय बी है औय अभतृ बी........||"' आखें हॊस दी हदर योमा, मह अच्छी फयसात लभरी..........||"" जफ चाहा हदर को सभझे,

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