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॥ ी गणेशाय नमः ॥ जपिका HINDI DEMO 29/4/2004 1:59 PM Kolkata, West Bengal, India

॥ शर्ी गणेशाय नमःक त R त ल 17:28:04 श कर स व त र ह 3 लग न स ह 20:38:56 स यर प व र फ ल ग न श कर

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  • ॥ शर्ी गणेशाय नमः ॥

    जन्मपितर्काHINDI DEMO29/4/2004 1:59 PMKolkata, West Bengal, India

  • सामान्य िववरण

    जन्म िदनांक 29/4/2004

    जन्म समय 13:59

    जन्म स्थान Kolkata, West Bengal, India

    अक्षांश 22 N 34

    देशांतर 88 E 21

    समय क्षेतर् 5.5

    अयनांश 23:55:02

    सूयोर्दय 05:05:28

    सूयार्स्त 18:02:34

    घात चकर्

    महीना ज्येष्ठा

    ितिथ 3,8,13

    िदन शिनवार

    नक्षतर् मूल

    योग धृित

    करण बव

    पर्हर 1

    चंदर् 10

    पंचा ंग िववरण

    ितिथ शुक्ल -दशमी

    योग वृिद्ध

    नक्षतर् मघा

    करण तैितल

    ज्योितषीय िववरण

    वणर् क्षितर्य

    वश्य वनचर

    योिन मूशक

    गण राक्षस

    नाड़ी अंत

    जन्म रािश िसंह

    रािश स्वामी सूयर्

    नक्षतर् मघा

    नक्षतर् स्वामी केतु

    चरण 2

    युञ्जा मध्य

    तत्त्व अिग्न

    नामाक्षर मी

    पाया चांदी

    लग्न िसंह

    लग्न स्वामी सूयर्

    सामान्य िववरण

    2

  • गर्ह वकर्ी जन्म रािश अंश रािश स्वामी नक्षतर् नक्षतर् स्वामी भाव

    सूयर् मेष 15:26:49 मंगल भरणी शुकर् 9

    चन्दर् िसंह 04:12:18 सूयर् मघा केतु 1

    मंगल िमथुन 01:00:02 बुध मृगिशरा मंगल 11

    बुध R मीन 27:15:35 गुरु रेवती बुध 8

    गुरु R िसंह 15:03:06 सूयर् पूवार् फाल्गुनी शुकर् 1

    शुकर् वृष 26:22:38 शुकर् मृगिशरा मंगल 10

    शिन िमथुन 14:47:49 बुध आदर्ार् राहु 11

    राहु R मेष 17:28:04 मंगल भरणी शुकर् 9

    केतु R तुला 17:28:04 शुकर् स्वाित राहु 3

    लग्न िसंह 20:38:56 सूयर् पूवार् फाल्गुनी शुकर् 1

    लाभपर्द

    हािनपर्द

    हािनपर्द

    सूयर्मेषभरणी

    बुधमीनरेवती

    शिनिमथुनआदर्ार्

    सम

    सम

    --

    चन्दर्िसंहमघा

    गुरुिसंहपूवार् फाल्गुनी

    राहुमेषभरणी

    योगकारक

    हािनपर्द

    --

    मंगलिमथुनमृगिशरा

    शुकर्वृषमृगिशरा

    केतुतुलास्वाित

    गर्हिस्तिथ

    3

  • लग्न कुंडली

    5

    67

    8

    910

    11

    121

    2

    34

    चं गु

    शु

    बु

    के

    मं

    सू

    रा

    व्यिक्त के जन्म के समय आकाश में पूवीर् िक्षितज जो रािश उिदत होती

    है, उसे ही उसके लग्न की संज्ञा दी जाती है। जन्म कुण्डली में 12 भाव

    होते है। इन 12 भावों में से पर्थम भाव को लग्न कहा जाता है।

    कुण्डली में अन्य सभी भावों की तुलना में लग्न को सबसे अिधक

    महत्व पूणर् माना जाता है। लग्न भाव बालक के स्वभाव, रुिच,

    िवशेषताओ और चिरतर् के गुणों को पर्कट करता है।

    5

    67

    8

    910

    11

    121

    2

    34

    चं गु

    शु

    बु

    के

    मं

    सू

    रा

    चंदर् कुंडली

    7

    89

    10

    1112

    1

    23

    4

    56

    मं

    रा

    बु के चं

    सू

    गु

    शु

    नवमांश कुंडली

    लग्न कुंडली के बाद िजस रािश में चंदर्मा होता है उसे लग्न मानकर एक और कुंडली का

    िनमार्ण होता है जो चन्दर् कुंडली कहलाती है। चंदर् कुंडली का भी फिलत ज्योितष में

    लग्न कुंडली िजतना ही महत्त्व है। लग्न शरीर, तो चंदर् मन का कारक है और वे एक दूसरे

    के पूरक हैं।

    नवांश कुण्डली को नौ भागों में बांटा जाता है, िजसके आधार पर जन्म कुण्डली का

    िववेचन होता है। नवांश कुण्डली में यिद गर्ह अच्छी िस्थित या उच्च के हों तो वगोर्त्तम

    की िस्थत उत्पन्न होती है और व्यिक्त शारीिरक व आित्मक रुप से स्वस्थ हो शुभ दायक

    िस्थित को पाता है।

    जन्म कुंडली

    4

  • सूयर् कुंडली

    1

    23

    4

    56

    7

    89

    10

    1112

    सू रा

    के

    शु बुमं

    चं

    गु

    शरीर, स्वास्थ्य, रचना

    होरा कुंडली

    ASCCancer

    सू गु

    रा

    के

    Leo

    चं

    मं

    बु

    शुश

    िवत्त , धन -सम्पदा, समृिद्ध

    देर्ष्काण कुंडली

    1

    23

    4

    56

    7

    89

    10

    1112

    शु

    बु

    मं

    सू

    चं

    रा

    के

    गु

    भाई बहन

    चतुथार्ंश कुंडली

    11

    121

    2

    34

    5

    67

    8

    910

    गु शु

    चं

    के

    मं

    बु

    सू

    रा

    भाग्य

    पंचमांश कुंडली

    12

    12

    3

    45

    6

    78

    9

    1011

    बु

    चं केसू रा

    श मं गु

    शु

    आध्याित्मकता

    सप्तमांश कुंडली

    9

    1011

    12

    12

    3

    45

    6

    78

    मं

    बु

    गु

    शु सू

    के

    चं

    रा

    सन्तान

    अष्टमांश कुंडली

    9

    1011

    12

    12

    3

    45

    6

    78

    चं गुशु

    सू

    रा

    के

    मं

    बु

    आयु

    दशमांश कुंडली

    11

    121

    2

    34

    5

    67

    8

    910

    बु

    के गु

    सू चंशुरा

    मं श

    व्यवसाय, जीवनयापन

    द्वादशांश कुंडली

    1

    23

    4

    56

    7

    89

    10

    1112

    के

    बु

    सू रा

    शु

    चं श

    मं गु

    माता-िपता, पैतृक सुख

    वगर् कुंडली

    5

  • लग्न - 20:38:56 दशम भाव मध्य - 20:38:45

    भाव जन्म रािश भाव मध्य जन्म रािश भाव संिध

    1 िसंह 20:38:56 कन्या 05:38:54

    2 कन्या 20:38:52 तुला 05:38:50

    3 तुला 20:38:49 वृिश्चक 05:38:47

    4 वृिश्चक 20:38:45 धनु 05:38:47

    5 धनु 20:38:49 मकर 05:38:50

    6 मकर 20:38:52 कुम्भ 05:38:54

    7 कुम्भ 20:38:56 मीन 05:38:54

    8 मीन 20:38:52 मेष 05:38:50

    9 मेष 20:38:49 वृष 05:38:47

    10 वृष 20:38:45 िमथुन 05:38:47

    11 िमथुन 20:38:49 ककर् 05:38:50

    12 ककर् 20:38:52 िसंह 05:38:54

    चिलत कुंडली

    5

    67

    8

    910

    11

    121

    2

    34

    गु

    मं शु

    चं

    बु

    के श

    सू

    रा

    लग्न कुंडली का शोधन चिलत कुंडली है, अंतर िसफर् इतना है िक लग्न

    कुंडली यह दशार्ती है िक जन्म के समय क्या लग्न है और सभी गर्ह

    िकस रािश में िवचरण कर रहे हैं और चिलत से यह स्पष्ट होता है िक

    जन्म समय िकस भाव में कौन सी रािश का पर्भाव है और िकस भाव

    पर कौन सा गर्ह पर्भाव डाल रहा है।

    भाव सिन्ध

    6

  • केतु

    13-2-2002 5:3912-2-2009 23:39

    केतु 12-7-2002 9:6

    शुकर् 11-9-2003 12:6

    सूयर् 17-1-2004 8:12

    चन्दर् 17-8-2004 9:42

    मंगल 13-1-2005 13:9

    राहु 1-2-2006 1:27

    गुरु 7-1-2007 23:3

    शिन 16-2-2008 18:42

    बुध 12-2-2009 23:39

    शुकर्

    12-2-2009 23:3912-2-2029 23:39

    शुकर् 14-6-2012 11:39

    सूयर् 14-6-2013 17:39

    चन्दर् 13-2-2015 11:39

    मंगल 14-4-2016 14:39

    राहु 15-4-2019 8:39

    गुरु 14-12-2021 8:39

    शिन 12-2-2025 23:39

    बुध 14-12-2027 20:39

    केतु 12-2-2029 23:39

    सूयर्

    12-2-2029 23:3913-2-2035 11:39

    सूयर् 2-6-2029 13:27

    चन्दर् 2-12-2029 4:27

    मंगल 9-4-2030 0:33

    राहु 3-3-2031 17:57

    गुरु 20-12-2031 22:45

    शिन 1-12-2032 22:27

    बुध 8-10-2033 9:33

    केतु 13-2-2034 5:39

    शुकर् 13-2-2035 11:39

    चन्दर्

    13-2-2035 11:3912-2-2045 23:39

    चन्दर् 14-12-2035 20:39

    मंगल 14-7-2036 22:9

    राहु 13-1-2038 19:9

    गुरु 15-5-2039 19:9

    शिन 14-12-2040 2:39

    बुध 15-5-2042 13:9

    केतु 14-12-2042 14:39

    शुकर् 14-8-2044 8:39

    सूयर् 12-2-2045 23:39

    मंगल

    12-2-2045 23:3913-2-2052 17:39

    मंगल 12-7-2045 3:6

    राहु 30-7-2046 15:24

    गुरु 6-7-2047 13:0

    शिन 14-8-2048 8:39

    बुध 11-8-2049 13:36

    केतु 7-1-2050 17:3

    शुकर् 9-3-2051 20:3

    सूयर् 15-7-2051 16:9

    चन्दर् 13-2-2052 17:39

    राहु

    13-2-2052 17:3913-2-2070 5:39

    राहु 26-10-2054 21:51

    गुरु 21-3-2057 12:15

    शिन 26-1-2060 11:21

    बुध 14-8-2062 20:39

    केतु 2-9-2063 8:57

    शुकर् 2-9-2066 2:57

    सूयर् 27-7-2067 20:21

    चन्दर् 25-1-2069 17:21

    मंगल 13-2-2070 5:39

    िवम्शोत्तरी दशा - I

    7

  • गुरु

    13-2-2070 5:3913-2-2086 5:39

    गुरु 2-4-2072 10:27

    शिन 14-10-2074 17:39

    बुध 19-1-2077 15:15

    केतु 26-12-2077 12:51

    शुकर् 26-8-2080 12:51

    सूयर् 14-6-2081 17:39

    चन्दर् 14-10-2082 17:39

    मंगल 20-9-2083 15:15

    राहु 13-2-2086 5:39

    शिन

    13-2-2086 5:3913-2-2105 23:39

    शिन 16-2-2089 0:42

    बुध 27-10-2091 3:51

    केतु 4-12-2092 23:30

    शुकर् 4-2-2096 14:30

    सूयर् 16-1-2097 14:12

    चन्दर् 17-8-2098 21:42

    मंगल 26-9-2099 17:21

    राहु 3-8-2102 16:27

    गुरु 13-2-2105 23:39

    बुध

    13-2-2105 23:3914-2-2122 5:39

    बुध 13-7-2107 15:6

    केतु 9-7-2108 20:3

    शुकर् 10-5-2111 17:3

    सूयर् 16-3-2112 4:9

    चन्दर् 15-8-2113 14:39

    मंगल 12-8-2114 19:36

    राहु 1-3-2117 4:54

    गुरु 7-6-2119 2:30

    शिन 14-2-2122 5:39

    वत्तर्मान दशा

    दशा नाम गर्ह आरम्भ ितिथ सम्पित ितिथ

    महादशा शुकर् 12-2-2009 23:39 12-2-2029 23:39

    अंतदर्शा राहु 14-4-2016 14:39 15-4-2019 8:39

    पर्त्यंतर दशा शिन 19-2-2017 1:45 11-8-2017 13:36

    सूक्ष्म दशा शुकर् 22-4-2017 5:48 21-5-2017 3:46

    * ध्यान दें - सभी िदनांक दशा समािप्त को दशार्ते हैं।

    िवम्शोत्तरी दशा - II

    8

  • भिदर्का (5 वषर्)

    1-10-2002 0:541-10-2007 0:54

    भिदर्का 11-6-2003 16:24

    उल्का 11-4-2004 1:24

    िसिद्ध 1-4-2005 3:54

    संकटा 11-5-2006 23:54

    मंगला 1-7-2006 17:24

    िपंगला 11-10-2006 4:24

    धान्या 12-3-2007 8:54

    भर्ामरी 1-10-2007 0:54

    उल्का (6 वषर्)

    1-10-2007 0:541-10-2013 0:54

    उल्का 30-9-2008 6:54

    िसिद्ध 30-11-2009 9:54

    संकटा 1-4-2011 9:54

    मंगला 1-6-2011 6:54

    िपंगला 1-10-2011 0:54

    धान्या 31-3-2012 15:54

    भर्ामरी 30-11-2012 3:54

    भिदर्का 1-10-2013 0:54

    िसिद्ध (7 वषर्)

    1-10-2013 0:541-10-2020 0:54

    िसिद्ध 10-2-2015 4:24

    संकटा 31-8-2016 8:24

    मंगला 10-11-2016 8:54

    िपंगला 1-4-2017 9:54

    धान्या 31-10-2017 11:24

    भर्ामरी 11-8-2018 13:24

    भिदर्का 1-8-2019 15:54

    उल्का 1-10-2020 0:54

    संकटा (8 वषर्)

    1-10-2020 0:541-10-2028 0:54

    संकटा 12-7-2022 8:54

    मंगला 1-10-2022 12:54

    िपंगला 12-3-2023 20:54

    धान्या 11-11-2023 8:54

    भर्ामरी 1-10-2024 0:54

    भिदर्का 10-11-2025 20:54

    उल्का 12-3-2027 20:54

    िसिद्ध 1-10-2028 0:54

    मंगला (1 वषर्)

    1-10-2028 0:541-10-2029 0:54

    मंगला 11-10-2028 4:24

    िपंगला 31-10-2028 11:24

    धान्या 30-11-2028 21:54

    भर्ामरी 10-1-2029 11:54

    भिदर्का 2-3-2029 5:24

    उल्का 2-5-2029 2:24

    िसिद्ध 12-7-2029 2:54

    संकटा 1-10-2029 0:54

    िपंगला (2 वषर्)

    1-10-2029 0:541-10-2031 0:54

    िपंगला 10-11-2029 14:54

    धान्या 10-1-2030 11:54

    भर्ामरी 1-4-2030 15:54

    भिदर्का 12-7-2030 2:54

    उल्का 10-11-2030 20:54

    िसिद्ध 1-4-2031 21:54

    संकटा 11-9-2031 5:54

    मंगला 1-10-2031 0:54

    योिगनी दशा - I

    9

  • धान्या (3 वषर्)

    1-10-2031 0:541-10-2034 0:54

    धान्या 31-12-2031 8:24

    भर्ामरी 1-5-2032 2:24

    भिदर्का 30-9-2032 6:54

    उल्का 31-3-2033 21:54

    िसिद्ध 30-10-2033 23:24

    संकटा 1-7-2034 11:24

    मंगला 31-7-2034 21:54

    िपंगला 1-10-2034 0:54

    भर्ामरी (4 वषर्)

    1-10-2034 0:541-10-2038 0:54

    भर्ामरी 12-3-2035 8:54

    भिदर्का 1-10-2035 6:54

    उल्का 31-5-2036 18:54

    िसिद्ध 11-3-2037 20:54

    संकटा 30-1-2038 12:54

    मंगला 12-3-2038 2:54

    िपंगला 1-6-2038 6:54

    धान्या 1-10-2038 0:54

    भिदर्का (5 वषर्)

    1-10-2038 0:541-10-2043 0:54

    भिदर्का 11-6-2039 16:24

    उल्का 11-4-2040 1:24

    िसिद्ध 1-4-2041 3:54

    संकटा 11-5-2042 23:54

    मंगला 1-7-2042 17:24

    िपंगला 11-10-2042 4:24

    धान्या 12-3-2043 8:54

    भर्ामरी 1-10-2043 0:54

    उल्का (6 वषर्)

    1-10-2043 0:541-10-2049 0:54

    उल्का 30-9-2044 6:54

    िसिद्ध 30-11-2045 9:54

    संकटा 1-4-2047 9:54

    मंगला 1-6-2047 6:54

    िपंगला 1-10-2047 0:54

    धान्या 31-3-2048 15:54

    भर्ामरी 30-11-2048 3:54

    भिदर्का 1-10-2049 0:54

    िसिद्ध (7 वषर्)

    1-10-2049 0:541-10-2056 0:54

    िसिद्ध 10-2-2051 4:24

    संकटा 31-8-2052 8:24

    मंगला 10-11-2052 8:54

    िपंगला 1-4-2053 9:54

    धान्या 31-10-2053 11:24

    भर्ामरी 11-8-2054 13:24

    भिदर्का 1-8-2055 15:54

    उल्का 1-10-2056 0:54

    संकटा (8 वषर्)

    1-10-2056 0:541-10-2064 0:54

    संकटा 12-7-2058 8:54

    मंगला 1-10-2058 12:54

    िपंगला 12-3-2059 20:54

    धान्या 11-11-2059 8:54

    भर्ामरी 1-10-2060 0:54

    भिदर्का 10-11-2061 20:54

    उल्का 12-3-2063 20:54

    िसिद्ध 1-10-2064 0:54

    योिगनी दशा - II

    10

  • मंगला (1 वषर्)

    1-10-2064 0:541-10-2065 0:54

    मंगला 11-10-2064 4:24

    िपंगला 31-10-2064 11:24

    धान्या 30-11-2064 21:54

    भर्ामरी 10-1-2065 11:54

    भिदर्का 2-3-2065 5:24

    उल्का 2-5-2065 2:24

    िसिद्ध 12-7-2065 2:54

    संकटा 1-10-2065 0:54

    िपंगला (2 वषर्)

    1-10-2065 0:541-10-2067 0:54

    िपंगला 10-11-2065 14:54

    धान्या 10-1-2066 11:54

    भर्ामरी 1-4-2066 15:54

    भिदर्का 12-7-2066 2:54

    उल्का 10-11-2066 20:54

    िसिद्ध 1-4-2067 21:54

    संकटा 11-9-2067 5:54

    मंगला 1-10-2067 0:54

    धान्या (3 वषर्)

    1-10-2067 0:541-10-2070 0:54

    धान्या 31-12-2067 8:24

    भर्ामरी 1-5-2068 2:24

    भिदर्का 30-9-2068 6:54

    उल्का 31-3-2069 21:54

    िसिद्ध 30-10-2069 23:24

    संकटा 1-7-2070 11:24

    मंगला 31-7-2070 21:54

    िपंगला 1-10-2070 0:54

    भर्ामरी (4 वषर्)

    1-10-2070 0:541-10-2074 0:54

    भर्ामरी 12-3-2071 8:54

    भिदर्का 1-10-2071 6:54

    उल्का 31-5-2072 18:54

    िसिद्ध 11-3-2073 20:54

    संकटा 30-1-2074 12:54

    मंगला 12-3-2074 2:54

    िपंगला 1-6-2074 6:54

    धान्या 1-10-2074 0:54

    * ध्यान दें - सभी िदनांक दशासमािप्त को दशार्ते हैं।

    योिगनी दशा - III

    11

  • 3भाग्यांक

    2मूलांक

    9नामांक

    आपका नाम Hindi Demo

    जन्म िदनांक 29-4-2004

    मूलांक 2

    मूलांक स्वामी चंदर्मा

    िमतर् अंक 8,7,9

    सम अंक 1,3,4,6

    शतर्ु अंक 5

    शुभ िदन रिववार, सोमवार, शुकर्वार

    शुभ रत्न मोती

    शुभ उपरत्न चन्दर् मिण

    शुभ देवता िशव

    शुभ धातु चांदी

    शुभ रंग सफेद

    शुभ मंतर् || ओम सोम सोमाय नमः ||

    शुभाशुभ अंक

    12

  • 2आपके बारे में

    आपका मूलांक दो है। मूलांक दो का स्वामी चन्दर् गर्ह को माना गया है। िजसके

    पर्भाववश आप एक कल्पनाशील, कलािपर्य एवं स्नेहशील स्वभाव के व्यिक्त रहेंगे।

    आपकी कल्पनाशिक्त उच्च कोिट की रहेगी, लेिकन शारीिरक शिक्त आपकी बहुत

    अच्छी नहीं रहेगी। आपका बुिद्ध चातुयर् काफी अच्छा होगा एवं बुिद्ध िववेक के कायोर्ं

    में आप दूसरों से बाजी मार ले जायेंगे। िजस पर्कार से आपके मूलांक स्वामी चन्दर्मा

    का रूप एकसा नहीं रहता समयानुसार घटता - बढ़ता रहता है, उसी तरह आप भी

    अपने जीवन में एक िवचार या योजना पर ढृढ़ नहीं रहेंगे।

    आपकी योजनाओं में बदलाव होता रहेगा एवं एक योजना को छोड़कर दूसरी को

    पर्ारंभ करने की पर्वृित्त आपके अंदर पाई जायेगी। धीरज एवं अध्यवसाय की आप में

    कमी रहेगी। इससे आपके कई कायर् समय पर पूणर् नहीं होंगे। आत्म िवश्वास की

    मातर्ा आप के अंदर कम रहेगी एवं स्वयं अपने ऊपर पूणर् भरोसा नहीं रख पाएंगे,

    िजससे कभी - कभी आपको िनराशा का सामना करना पडे़गा।

    आपकी सामािजक िस्थित उत्तम दजेर् की रहेगी एवं मानिसक रूप से िजसे आप

    अपना लेंगे वैसे ही लाभ आपको पर्ाप्त होंगे। जनता के मध्य आप एक लोकिपर्य

    व्यिक्त रहेंगे, तथा स्वयं की मेहनत से अपनी सामािजक िस्तिथ िनिमर्त करेंगे।

    आपको अवस्थानुसार नेतर्, उदर एवं मूतर् संबंधी रोगों का सामना करना पडे़गा,

    मानिसक तनाव तथा शीतरोग भी परेशान करेंगे। जल से उत्पन्न रोग कफ, सदीर् -

    जुकाम, िसरददर् की िशकायतें भी यदाकदा होंगी।

    आपके के िलए शुभ समय

    सूयर् 16 जुलाई से 16 अगस्त तक ककर् रािश में रहता है । ककर् रािश

    चंदर्मा की स्वयं की रािश है ।

    13 मई से 14 जून तक सूयर् वृष रािश में होता है, जो िक चंदर्मा की उच्च

    रािश है। अत: यह समय मूलांक दो के िलए कोई भी नया कायर् या

    महत्वपूणर् कायर् करने के िलए अिधक उपयुक्त रहता है।

    शुभ गायतर्ी मंतर्

    आपको चंदर् के शुभ पर्भावों की वृिद्ध हेतु चंदर् के गायतर्ी मंतर् का पर्ात:

    स्नान के बाद ग्यारह, इक्कीस या एक सौ आठ बार जप करना लाभपर्द

    रहेगा।

    चंदर् गायतर्ी मंतर् :

    || अमृतांगाय िवद्महे कलारूपाय धीमिह तन्नः सोम: पर्चोदयात् ||

    अंक ज्योितषीय फल

    13

  • जब िकसी व्यिक्त की कुंडली में राहु और केतू गर्हों के बीच अन्य सभी गर्ह आ जाते हैं तो

    कालसपर् दोष का िनमार्ण होता है। क्योिक कुंडली के एक भाव में राहु और दूसरे भाव में केतु के

    बैठे होने से अन्य सभी गर्हों से आ रहे फल रूक जाते हैं। इन दोनों गर्हों के बीच में सभी गर्ह फँस

    जाते हैं और यह जातक के िलए एक समस्या बन जाती है। इस दोष के कारण िफर काम में

    बाधा, नौकरी में रूकावट, शादी में देरी और धन संबंिधत परेशािनयाँ, उत्पन्न होने लगती हैं।

    कालसपर् योग वाले सभी जातकों पर इस योग का समान पर्भाव नहीं पड़ता। िकस भाव में कौन

    सी रािश अविस्थत है और उसमें कौन-कौन गर्ह कहां बैठे हैं और उनका बलाबल िकतना है - इन

    सब बातों का भी संबंिधत जातक पर भरपूर असर पड़ता है। इसिलए मातर् कालसपर् योग सुनकर भयभीत हो जाने की जरूरत नहीं बिल्क उसका

    ज्योितषीय िवश्लेषण करवाकर उसके पर्भावों की िवस्तृत जानकारी हािसल कर लेना ही बुिद्धमत्ता कही जायेगी। कालसपर् दोष कुंडली में ख़राब अवश्य

    माना जाता है िकन्तु िविधवत तरह से यिद इसका उपाय िकया जाए तो यही कालसपर् दोष िसद्ध योग भी बन सकता है।

    अनन्त कुिलक वासुकी शंखपाल

    पद्म महापद्म तक्षक ककोर्टक

    शंखचूड़ घातक िवषधर शेषनाग

    आपके जन्मपितर्का में कालसपर्दोष

    कालसपर् की उपिस्थित

    आपकी जन्मपितर्का में अनुिदत रूप में कालसपर् दोष िवद्यमान है।

    आपको कुंडली में कालसपर् दोष आंिशक रूप से िवद्यमान है।

    कालसपर् नाम

    शंखचूड़

    िदशा

    आंिशक अनुिदत

    कालसपर् दोष

    14

  • कालसपर् दोष फलआपकी जन्मपितर्का में शंखचूड़ नामक कालसपर् योग बन रहा है।केतु तीसरे स्थान में व राहु नवम स्थान में शंखचूड़ नामक कालसपर् योग बनता है। इस योग से पीिड़त जातकों का भाग्योदय होने में अनेक पर्कार कीअड़चने आती रहती हैं। व्यावसाियक पर्गित, नौकरी में पर्ोन्नित तथा पढ़ाई-िलखाई में वांिछत सफलता िमलने में जातकों को कई पर्कार के िवघ्नों कासामना करना पड़ता है। इसके पीछे कारण वह स्वयं होता है क्योंिक वह अपनो का भी िहस्सा िछनना चाहता है। अपने जीवन में धमर् से िखलवाड़ करताहै। इसके साथ ही उसका अपना अत्यािधक आत्मिवश्वास के कारण यह सारी समस्या उसे झेलनी पड़ती है। अिधक सोच के कारण शारीिरक व्यािधयांभी उसका पीछा नहीं छोड़ती। इन सब कारणों के कारण सरकारी महकमों व मुकदमेंबाजी में भी उसका धन खचर् होता रहता है। उसे िपता का सुख तोबहुत कम िमलता ही है, वह निनहाल व बहनोइयों से भी छला जाता है। उसके िमतर् भी धोखाबाजी करने से बाज नहीं आते। उसका वैवािहक जीवनआपसी वैमनस्यता की भेंट चढ़ जाता है। उसे हर बात के िलए किठन संघषर् करना पड़ता है। उसे समाज में यथेष्ट मान-सम्मान भी नहीं िमलता।

    कालसपर् दोष के उपाय

    - रुदर्ािभषेक - भगवान िशव का रुदर्ािभषेक अथवा पंचोपचार पूजन उज्जैन के महाकालेश्वर मंिदर में करें।

    - हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें।

    - शुभ मुहूतर् में बहते पानी में कोयला तीन बार पर्वािहत करें।

    - िवद्याथीर्जन सरस्वती जी के बीज मंतर्ों का एक वषर् तक जाप करें और िविधवत उपासना करें।

    - महामृत्युंजय मंतर्ों का जाप पर्ितिदन 11 माला रोज करें, जब तक राहु केतु की दशा-अंतर्दशा रहे और हर शिनवार को शर्ी शिनदेव का

    तैलािभषेक करें और मंगलवार को हनुमान जी को चौला चढ़ायें।

    - शर्ावणमास में 30 िदनों तक महादेव का अिभषेक करें।

    - एक वषर् तक गणपित अथवर्शीषर् का िनत्य पाठ करें।

    - शर्ावण के महीने में पर्ितिदन स्नानोपरांत 11 माला 'नम: िशवाय' मंतर्ा का जप करने के उपरांत िशवजी को बेलपतर्ा व गाय का दूध तथा

    गंगाजल चढ़ाएं तथा सोमवार का वर्त करें।

    - कालसपर् दोष िनवारण यन्तर् घर में स्थािपत करके, इसका िनयिमत पूजन करें।

    कालसपर् दोष का पर्भाव

    15

  • मांगिलक दोष क्या होता हैिजस जातक की जन्म कुंडली, लग्न/चंदर् कुंडली आिद में मंगल गर्ह, लग्न से पर्थम, चतुथर्, सप्तम,

    अष्टम तथा द्वादश भावों में से कहीं भी िस्थत हो, तो उसे मांगिलक कहते हैं।

    कुण्डली में जब लग्न भाव, चतुथर् भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव और द्वादश भाव में मंगल िस्थत

    होता है तब कुण्डली में मंगल दोष माना जाता है। सप्तम भाव से हम दाम्पत्य जीवन का िवचार

    करते हैं। अष्टम भाव से दाम्पत्य जीवन के मांगलीक सुख को देखा जाता है। मंगल लग्न में िस्थत

    होने से सप्तम भाव और अष्टम भाव दोनों भावों को दृिष्ट देता है। चतुथर् भाव में मंगल के िस्थत

    होने से सप्तम भाव पर मंगल की चतुथर् पूणर् दृिष्ट पड़ती है। द्वादश भाव में यिद मंगल िस्थत है तब अष्टम दृिष्ट से सप्तम भाव को देखता है।

    मूल रूप से मंगल की पर्कृित के अनुसार ऐसा गर्ह योग हािनकारक पर्भाव िदखाता है, लेिकन वैिदक पूजा-पर्िकर्या के द्वारा इसकी भीषणता को िनयंितर्त

    कर सकते है। मंगल गर्ह की पूजा के द्वारा मंगल देव को पर्सन्न िकया जाता है, तथा मंगल द्वारा जिनत िवनाशकारी पर्भावों, सवार्िरष्ट को शांत व िनयंितर्त

    कर सकारात्मक पर्भावों में वृिद्ध की जा सकती है।

    लग्ने व्यये सुखे वािप सप्तमे वा अष्टमे कुजे |शुभ दृग् योग हीने च पितं हिन्त न संशयम् ||

    मांगिलक िवश्लेषण

    मांगिलक फलकुंडली में मांगिलक दोष है परन्तु मांगिलक दोष का पर्भाव बहुत कम होने से िकसी हािन की अपेक्षा नहीं है । कुछ साधारण उपायो की मदद से इसे

    और कम िकया जा सकता है।

    कुल मांगिलक पर्ितशत 21%

    मांगिलक िवश्लेषण - I

    16

  • भाव के आधार पर

    No manglik dosha based on house.

    दृिष्ट के आधार पर

    सप्तम भाव केतु से दृष्ट है।

    शिन , आपके कुंडली के अष्टम भाव को देख रहा है।

    आपकी कुंडली में लग्न भाव को शिन देख रहा है।

    आपकी कुंडली में लग्न भाव को राहु देख रहा है।

    मंगल की दृिष्ट आपके कुडंली के िद्वतीय भाव पर पड़ रही है।

    मांगिलक दोष के उपाय

    - अगर कन्या मांगिलक हो तो िबबाह के पुबर् िशविलंग अथबा शािलगर्ाम िशला के साथ िबबाह देना आवश्यक है , और अगर वर मांगिलक हो

    तो वर के िबबाह के पुबर् केले के पेड़ के साथ िबबाह देना आवश्यक है |

    - आजीवन लालमुंगा धारण करना अित आवश्यक है |

    - िबबाह देने से पुबर् जोटोक िबचार करके िबबाह देना अित आवश्यक है | जोटोक िबचार करके-जोटोक िबचार मे देखना चािहए मांगिलक दोष

    कट रहा है की नहीं एबं गुण िमलन ठीक है की नहीं , अगर जोटोक िबचार यिद शुभ हो तो उपर िलिखत पर्ितकार करने से िबबाह देने मे कही

    कोई बाधा नहीं है िबबाह शुभ होगा |

    - मंगल चिन्दर्का स्तोतर् का पाठ करना भी लाभ देता है |

    - माँ मंगला गौरी की आराधना से भी मंगल दोष दूर होता है |

    - काितर् केय जी की पूजा से भी मंगल दोष के दुशपर्भाव में लाभ िमलता है |

    - मंगलवार को बताशे व गुड की रेविड़याँ बहते जल में पर्वािहत करें |

    - मंगली कन्यायें गौरी पूजन तथा शर्ीमद्भागवत के 18 वें अध्याय के नवें श्लोक का जप अवश्य करें |

    मांगिलक िवश्लेषण - II

    17

  • साढ़ेसाती क्या होता हैज्योितषशास्तर् के अनुसार साढ़े साती तब बनती है जब शिन गोचर में जन्म चन्दर् से पर्थम, िद्वतीय

    और द्वादश भाव से गुजरता है। शिन एक रािश से गुजरने में ढ़ाई वषर् का समय लेता है इस तरह

    तीन रािशयों से गुजरते हुए यह साढ़े सात वषर् का समय लेता है जो साढ़े साती कही जाती है।

    सामान्य अथर् में साढ़े साती का अथर् हुआ सात वषर् छ: मास।

    साढ़े साती के समय व्यिक्त को किठनाईयों एवं परेशािनयों का सामना करना होता है परंतु इसमें

    घबराने वाली बात नहीं हैं। इसमे किठनाई और मुिश्कल हालत जरूर आते हैं परंतु इस दौरान

    व्यिक्त को कामयाबी भी िमलती है। बहुत से व्यिक्त साढ़े साती के पर्भाव से सफलता की

    उंचाईयों पर पहुंच जाते हैं। साढ़े साती व्यिक्त को कमर्शील बनाता है और उसे कमर् की ओर ले

    जाता है। हठी, अिभमानी और कठोर व्यिक्तयों से यह काफी मेहनत करवाता है।

    क्या आप साढ़ेसाती में है

    नहीं, आप पर इस समय साढ़ेसाती का पर्भाव नहीं है।

    िवचार करने का िदनाकं 30-4-2017

    शिन रािश धनु

    चंदर् रािश िसंह

    वकर्ी शिन ? हाँ

    साढ़ेसाती िवश्लेषण

    18

  • वैिदक ज्योितष के अनुसार गर्हों से सूक्ष्म ऊजार्ओं का उत्सजर्न होता है, िजनका हमारी जन्म कुंडली में गर्हों की िस्तिथ

    के अनुसार, हमारे जीवन पर पर्ितवतीर् िहतकारी अथवा अिनष्टकारी पर्भाव पड़ते हैं । पर्त्येक गर्ह का अपना एक अनूठा

    तत्सम्बिन्धत ज्योितषीय रत्न होता है जो उसी गर्ह के अनुरूप बर्ह्मांडीय वणर्-ऊजार् का पर्सार करता है । रत्न सकारात्मक

    िकरणों के पर्ितिबंब या नकारात्मक िकरणों के अवशोषण द्वारा अपना कायर् करते हैं । ये रत्न केवल सकारात्मक स्पंदनों

    को ही शरीर में पर्वेश करने देते हैं; इस कारण उपयुक्त रत्न पहनाने से उसके धारण कतार् पर सम्बंिधत गर्ह के लाभदायक

    पर्भाव को बढ़ाया जा सकता है ।

    लग्न, शरीर और शरीर से संबंिधत सभी

    बातों का - जैसे स्वास्थ्य, दीघार्यु, नाम,

    पर्ितष्ठा, जीवन-उदे्दश्य आिद का पर्तीक

    होता है। संक्षेप में, इस में पूरे जीवन का

    सार समाया है । इसिलए लग्न के स्वामी

    अथार्त लग्नेश से संबंिधत रत्न को जीवन

    रत्न कहा जाता है । इस रत्न के गुणों तथा

    शिक्तयों का पूरा लाभ उठाने के िलए इसे

    आजीवन पहना जा सकता है और पहनना

    भी चािहए ।

    जीवन रत्न

    मािणक्य

    जन्म कुंडली का पंचम भाव भी एक शुभ

    भाव है। पांचवा भाव बुिद्ध, उच्च िशक्षा,

    संतान, अपर्त्यािशत धन-पर्ािप्त आिद का

    द्योतक है। इस भाव को ‘पूवर् पुण्य कमोर्ं’

    का अथार्त िपछले जन्मों के अचे्छ कमोर्ं का

    स्थान भी माना जाता है । इसी कारण इसे

    शुभ भाव कहते हैं । पंचम भाव के स्वामी

    से सम्बंिधत रत्न को कारक रत्न कहा जाता

    है।

    कारक रत्न

    पुखराज

    जन्म-कुंडली के नवम भाव को भाग्य या

    पर्ारब्ध का स्थान कहा जाता है । यह भाव

    भाग्य, सफलता, ज्ञान, गुणदोष और

    उपलिब्धयों आिद का द्योतक है । यह भाव

    व्यिक्त द्वारा िपछले जन्मों में िकए गए

    अचे्छ कमोर्ं के कारण पर्ाप्त होने वाले फल

    स्वरूप आनंद की ओर संकेत करता है ।

    नवम भाव के स्वामी से सम्बंिधत रत्न को

    भाग्य रत्न कहते हैं । इस रत्न को धारण

    करने से भाग्य में वृिद्ध होती है ।

    भाग्य रत्न

    मूंगा

    रत्न उपाय िवचार

    19

  • जीवन रत्न - मािणक्य िवकल्प लाल गानेर्ट

    उंगली अनािमका

    भार 3 - 4.25 कैरेट

    िदन रिववार

    अिधदेवता सूयर्

    धातु स्वणर्

    िववरणमािणक रत्न का स्वामी गर्ह सूयर् है । शुद्ध मािणक दोषरिहत

    , चमकदार, दीिप्तमान, स्पशर् करने में िचकना और उत्तम वणर्

    का होता हैं । मािणक धारण करने से उत्तम धन और संपित्त

    की पर्ािप्त होती है । इससे इच्छा शिक्त और आत्मा को

    पर्बलता िमलती है । मािणक धारण करने वाला व्यिक्त

    भाग्यशाली होता है और समाज में उच्च तथा पर्ितिष्ठत पद

    पर िवराजमान होता है।

    भार व धातुवजन में कम से कम २ -१/२ कैरेट का दोषरिहत मािणक

    पहना जाना चािहए । सोने और तांबे के िमशर्ण से बनी

    अंगूठी में रत्न को जड़ा जाना चािहए । अंगूठी की बनावट

    इस पर्कार की हो िक रत्न त्वचा को छू सके ।

    पहनने का समयमािणक रत्न को चंदर्मास के शुक्ल पक्ष के िकसी भी

    रिववार को सूयोर्दय के बाद धारण िकया जा सकता

    है ।

    मंतर्पर्ाण पर्ितष्ठा के पश्चात इस रत्न की फूलों और धूप-

    बत्ती के साथ पूजा करें । मािणक धारण करने के

    िलए िनम्निलिखत मंतर् का १०८ बार जाप करें

    ◌ॐ सूयार्य नमः

    पर्ाण पर्ितष्ठाअंगूठी पहनने से पहले, इसे कच्चे दूध या गंगा जल

    में कुछ समय के िलए डुबो कर रखें ।

    उंगलीमंतर् जाप के बाद, मािणक को अनािमका (िरंग िफंगर) में

    धारण िकया जा सकता है ।

    िवकल्पमािणक के स्थान पर लाल िस्पनेल, स्टार रूबी, पाइरप

    गानेर्ट(तामड़ा), लाल िज़कर् न या लाल तूरमली जैसे िविभन्न

    िवकल्प रत्न भी उपयोग में लाये जा सकते हैं ।

    सावधानीध्यान रहें िक मािणक को हीरा, नीलम, गोमेद, लहसुिनया

    और उनके िवकल्प रत्नों के साथ नहीं पहना जाना चािहए।

    जीवन रत्न

    20

  • कारक रत्न - पुखराज िवकल्प टोपाज

    उंगली तजर्नी

    भार 4 - 5.25 कैरेट

    िदन गुरुवार

    अिधदेवता गुरु

    धातु स्वणर्

    िववरणपुखराज रत्न का स्वामी गर्ह बृहस्पित (गुरु) है । शुद्ध

    पुखराज दोषरिहत , चमकदार, दीिप्तमान, स्पशर् करने में

    िचकना और उत्तम वणर् का होता हैं । पुखराज धारण करने

    से अचे्छ स्वास्थ्य, ज्ञान, संपित्त, दीघार्यु, नाम, सम्मान और

    यश की पर्ािप्त होती है । यह बुरी आत्माओं के कुपर्भाव से

    भी रक्षा करता है ।

    भार व धातुपुखराज का वजन ३ कैरेट से अिधक होना चािहए; परंतु ६,

    ११ अथवा १५ कैरेट का न हो इस बात का ध्यान रखें । इसे

    सोने की अंगूठी में जड़ा जाना चािहए । अंगूठी की बनावट

    इस पर्कार की हो िक रत्न त्वचा को छू सके ।

    पहनने का समयपुखराज रत्न को चंदर्मास के शुक्ल पक्ष के िकसी भी

    गुरुवार की सुबह धारण िकया जा सकता है ।

    मंतर्पर्ाण पर्ितष्ठा के पश्चात इस रत्न की फूलों और धूप-

    बत्ती के साथ पूजा करें । पुखराज धारण करने के

    िलए िनम्निलिखत मंतर् का १०८ बार जाप करें

    ◌ॐ गर्ां गर्ीं गर्ौं सः गुरवे नमः

    पर्ाण पर्ितष्ठापुखराज की अंगूठी पहनने से पहले, इसे कच्चे दूध

    या गंगा जल में कुछ समय के िलए डुबो कर रखें ।

    उंगलीमंतर् जाप के बाद, पुखराज को दािहने हाथ की अनािमका

    (िरंग िफंगर) में धारण करें ।

    िवकल्पपुखराज के स्थान पर पीला मोती, पीला िजकर्ोन, पीली

    तूरमली, टोपाज़ और िसटर्ीन (क्वाट्जर् टोपाज़) जैसे िविभन्न

    िवकल्प रत्न भी उपयोग में लाये जा सकते हैं ।

    सावधानीध्यान रहें िक पुखराज को हीरे, नीलम, गोमेद और

    लहसुिनया के साथ नहीं पहना जाना चािहए।

    कारक रत्न

    21

  • भाग्य रत्न - मू ंगा िवकल्प लाल सुलेमानी

    उंगली तजर्नी

    भार 6 - 10.25 कैरेट

    िदन मंगलवार

    अिधदेवता मंगल

    धातु

    िववरणलाल मूंगा का स्वामी गर्ह मंगल है । लाल मूंगा व्यिक्त को

    साहसी बनाता है और उसकी अपने दुश्मनों को पछाड़ने में

    सहायता करता है । लाल मूंगा दुष्ट आत्माओं, जादू-टोना

    और बुरे स्वप्नों से बचाता है ।

    भार व धातुलाल मूंगा का वजन ६ कैरेट से अिधक होना चािहए । इसे

    सोने और तांबे के िमशर्ण से बनी अंगूठी में जड़ा जाना

    चािहए । अंगूठी की बनावट इस पर्कार की हो िक रत्न त्वचा

    को छू सके ।

    पहनने का समयलाल मूंगा रत्न चंदर्मास के शुक्ल पक्ष के िकसी भी

    मंगलवार को सूयोर्दय के एक घंटे बाद धारण िकया

    जा सकता है ।

    मंतर्पर्ाण पर्ितष्ठा के पश्चात इस रत्न की फूलों और धूप-

    बत्ती के साथ पूजा करें । लाल मूंगा धारण करने के

    िलए िनम्निलिखत मंतर् का १०८ बार जाप करें

    ◌ॐ कर्ां कर्ीं कर्ौं सः भौमाय नमः

    पर्ाण पर्ितष्ठालाल मूंगा की अंगूठी पहनने से पहले, इसे कच्चे दूध

    या गंगा जल में कुछ समय के िलए डुबो कर रखें ।

    उंगलीमंतर् जाप के बाद, लाल मूंगे की अंगूठी को दािहने हाथ की

    अनािमका (िरंग िफंगर) में धारण करें ।

    िवकल्पलाल मूंगा के स्थान पर संग मुंगी (संग-िसतारा), कानेर्िलयन

    और रेड जास्पर (सूयर्कांत मिण) जैसे िविभन्न िवकल्प रत्न

    भी उपयोग में लाये जा सकते हैं ।

    सावधानीध्यान रहें िक लाल मूंगे को पन्ना, हीरा, नीलम, गोमेद,

    लहसुिनया और उनके िवकल्प रत्नों के साथ नहीं पहना

    जाना चािहए।

    भाग्य रत्न

    22

  • लग्न फल - िसंह

    स्वामी सूयर्

    पर्तीक िसंह

    िवशेषताएँ अिग्न तत्त्व, िस्थर, पूवर्

    भाग्यशाली रत्न मािणक्य

    वर्त का िदन सोमवार

    देहं रूपं च ज्ञानं च वणर्ं चैव बलाबलम् |सुखं दुःखं स्वभावञ्च लग्नभावािन्नरीक्षयेत ||

    िसंह रािश के व्यिक्त, उदार अिभमानी, भावुक, रोमांिटक, बिहमुर्खी, िनष्पर्भावी , घमंडी, साहसी, संवेदनशील , आत्म-िवश्वासी

    और आडम्बरी होते हैं और वे जहाँ भी जाते हैं और जो भी करते हैं उस में सफल होना चाहते हैं, सबसे आगे िनकलना चाहते हैं

    िसंह रािश के व्यिक्त “शासन” करना पसंद करते हैं और अपने “राजसी व्यिक्तत्व” के कारण सदा सम्मान पर्ाप्त करते हैं । आप

    जोिखम लेना पसंद करते हैं और कभी कभी दुसाह्सी हो सकते है, लेिकन आप को िनिश्चत रूप से जीवन िनवार्ह में िदलचस्पी

    है।

    आप पर्ेम के मामलों में अपनी भावनाएं खुलेआम पर्दिशर्त करते है और आपको ऐसे एक साथी की जरूरत है िजस पर आप

    गवर् कर सकें –और यह भी चाहते हैं िक आपका साथी भी आप पर गवर् करे ।

    आप िजन व्यिक्तओं से पर्ेम करते हैं उनके पर्ित वफादार और उन के रक्षक रहते हैं। आप तुनकिमजाज हो सकते हैं , लेिकन

    आप अिधक देर तक िकसी से नाराज़ नहीं रह सकते । जीवन एक रंगमंच की तरह है और इसमे आप महान भूिमका िनभाना

    पसंद करते हैं और आसपास होने वाली घटनाओं को अनुभव करते हैं ।

    कोंई आपके गौरव को चोट पहुंचाए या आप के पर्ित कृतघ्नता पर्दिशर्त करेये आपके िलए अत्यंत दुःख की बात हो सकती है।

    आप एक अस्वाभािवक अिभनेता हैं । आप को लोगों के आकषर्ण का कें दर् बनना पसंद है और केवल ध्यान आकिषर्त ही ऐसी

    लग्न फल

    23

  • पिरिस्थितयां बनाते हैं । आप एक हंसमुख पर्कार के िजद्दी इंसान हैं ।

    आपकी आवाज़ में जो दम है वह दूसरों द्वारा िकए गए हमले से भी ज़्यादा ज़ोरदार है। यिद आपके गौरव को ठेस पहुँचती है या

    कोंई आपकी गिरमा को रौंद डालता है, तो सतकर् रहें,क्योंिक आप माफ तो कर सकते हैं, लेिकन भूल नहीं सकते । आप खेलों

    और बाहर होने वाली गितिविधयों का आनंद लेते हैं ।

    िनराशा की मनःिस्थित में आप अपनी जीने की इच्छा खो देते हैं। सूयर् िसंह रािश का स्वामी है इसिलए सूयर् आपकी कुंडली में

    महत्वपूणर् होगा ।

    आपके भीतर अदम्य जीवन शिक्त और उत्साह है परन्तु यिद प्यार मेंआपका िदल टूट जाता है, तो आप भी टूट सकते हैं। प्यार और स्नेह आपके िलए आपके जीवन में बहुत ज़रूरी हैं और आप आभार व्यक्त करनाआवश्यक समझते हैं ।

    सीखने के िलए आध्याित्मक सबक

    िवनमर्ता

    सकारात्मक लक्षण

    िकर्याशील स्वतंतर् िवचारक सिकर्य साहसी

    नकारात्मक लक्षण

    अहंकारी असिहष्णु िजद्दी अिभमानी

    24

  • Ratnajyoti

    Bahula (Near Netaji Statue) Post:-Bahula Dist:-Burdwan , City:- Durgapur P.S:-

    Andal State :- West Bengal,INDIA,Pin Code:713322

    Website : https://www.ratnajyoti.com/

    Email : [email protected]

    Mobile : +91-9732150484

    Ladline : 0341 2668022

    ॥ श्री गणेशाय नमः ॥जन्मपत्रिकाHindi Demo29/4/2004    1:59 PMKolkata, West Bengal, India

    सामान्य विवरणसामान्य विवरणघात चक्रपंचांग विवरणज्योतिषीय विवरण

    ग्रहस्तिथिसूर्य

    लाभप्रदबुध

    हानिप्रदशनि

    हानिप्रदचन्द्र

    समगुरु

    समराहु

    --मंगल

    योगकारकशुक्र

    हानिप्रदकेतु

    --जन्म कुंडलीलग्न कुंडलीचंद्र कुंडलीनवमांश कुंडली

    वर्ग कुंडलीसूर्य कुंडलीहोरा कुंडलीद्रेष्काण कुंडलीचतुर्थांश कुंडलीपंचमांश कुंडलीसप्तमांश कुंडलीअष्टमांश कुंडलीदशमांश कुंडलीद्वादशांश कुंडली

    भाव सन्धिलग्न - 20:38:56     दशम भाव मध्य - 20:38:45चलित कुंडली

    विम्शोत्तरी दशा - Iकेतुशुक्रसूर्यचन्द्रमंगलराहु

    विम्शोत्तरी दशा - IIगुरुशनिबुध

    वर्त्तमान दशा* ध्यान दें - सभी दिनांक दशा समाप्ति को दर्शाते हैं।

    योगिनी दशा - Iभद्रिका (5 वर्ष)उल्का (6 वर्ष)सिद्धि (7 वर्ष)संकटा (8 वर्ष)मंगला (1 वर्ष)पिंगला (2 वर्ष)

    योगिनी दशा - IIधान्या (3 वर्ष)भ्रामरी (4 वर्ष)भद्रिका (5 वर्ष)उल्का (6 वर्ष)सिद्धि (7 वर्ष)संकटा (8 वर्ष)

    योगिनी दशा - IIIमंगला (1 वर्ष)पिंगला (2 वर्ष)धान्या (3 वर्ष)भ्रामरी (4 वर्ष)* ध्यान दें - सभी दिनांक दशा समाप्ति को दर्शाते हैं।

    शुभाशुभ अंकभाग्यांकमूलांकनामांक

    अंक ज्योतिषीय फलआपके बारे मेंआपके के लिए शुभ समयशुभ गायत्री मंत्र

    कालसर्प दोषआपके जन्मपत्रिका में कालसर्पदोषकालसर्प की उपस्थितिकालसर्प नामदिशा

    कालसर्प दोष का प्रभावकालसर्प दोष फलकालसर्प दोष के उपायमांगलिक विश्लेषण - Iमांगलिक दोष क्या होता हैलग्ने व्यये सुखे वापि सप्तमे वा अष्टमे कुजे | शुभ दृग् योग हीने च पतिं हन्ति न संशयम् ||मांगलिक विश्लेषणकुल मांगलिक प्रतिशत21%

    मांगलिक फलमांगलिक विश्लेषण - IIभाव के आधार परदृष्टि के आधार परमांगलिक दोष के उपायसाढ़ेसाती विश्लेषणसाढ़ेसाती क्या होता हैक्या आप साढ़ेसाती में है

    रत्न उपाय विचारजीवन रत्नकारक रत्नभाग्य रत्न

    जीवन रत्नजीवन रत्न - माणिक्यविवरणभार व धातुपहनने का समयमंत्रॐ सूर्याय नमः

    प्राण प्रतिष्ठाउंगलीविकल्पसावधानी

    कारक रत्नकारक रत्न - पुखराजविवरणभार व धातुपहनने का समयमंत्रॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः

    प्राण प्रतिष्ठाउंगलीविकल्पसावधानी

    भाग्य रत्नभाग्य रत्न - मूंगाविवरणभार व धातुपहनने का समयमंत्रॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः

    प्राण प्रतिष्ठाउंगलीविकल्पसावधानी

    लग्न फललग्न फल - सिंह

    देहं रूपं च ज्ञानं च वर्णं चैव बलाबलम् | सुखं दुःखं स्वभावञ्च लग्नभावान्निरीक्षयेत ||सीखने के लिए आध्यात्मिक सबकसकारात्मक लक्षणनकारात्मक लक्षण

    Ratnajyoti