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याकूब कᳱ पी चलच, अययन मागदᳶशगका एवं कई अय संसाधन के चलये , हमारी वेबसाइट म जाय - थग चमलेचनयम चमचनरी ऐट थग चमलेचनयम अयाय एक याकू ब कᳱ पी का पᳯरचय

याकूब की पत्री - Third Mill...स मग र र .व .र , }प ई, इ रन , उपग रह द व र ल चवज न प रस रण, र चर

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याकूब की पत्री

चलचचत्र, अध्ययन मार्गदर्शगका एवं कई अन्य संसाधनों के चलये, हमारी वेबसाइट में जायें - थर्ग चमलेचनयम चमचनस्ट्रीज़ ऐट थर्ग चमलेचनयम

अध्याय

एक याकूब की पत्री का पररचय

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ii.

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© थर्ग चमलेचनयम चमचनस्ट्रीज़ 2015 के द्वारा

सवागचधकार सुरचित। इस प्रकाशन का कोई भी चहस्ट्सा प्रकाशक, थर्ग चमलेचनयम चमचनस्ट्रीज़, इन्टरनेशनल., 316 लाईव ओक

रोड़., कैसलबरी, फ्लोररर्ा 32707 से चलचित अनुमचत के चबना समीिा, रटप्पणी, या छात्रवृचि के प्रयोजनों के चलए संचिप्त

रटप्पचणयों को छोड़कर ककसी भी रूप में या लाभ प्राचप्त के चलए ककसी भी तरह से पुन:उत्पाकदत नहीं ककया जा सकता है।

यकद कहीं और नहीं बताया र्या तो पचवत्रशास्त्र की सभी रटप्पचणयााँ चहन्दी की पचवत्र बाइचबल से ली र्ई हैं। 1973, 1978,

1984, 2011 अंतरराष्ट्रीय बाइचबल सोसायटी © सवागचधकार सुरचित। जानर्रवॉन बाइचबल प्रकाशक की अनुमचत के द्वारा

प्रयुक्त ककए र्ये हैं।

थर्ग चमलेचनयम की मसीही सेवा के चवषय में

1997 में स्ट्थाचपत, थर्ग चमलेचनयम मसीही सेवकाई एक लाभचनरपेि मसीही संस्ट्था है जो कक मुफ्त में, परूी दचुनया

के चलये, बाइबल पर आधाररत चशिा मुहैया करान ेके चलय ेसमर्पगत है। उचचत, बाइबल पर आधाररत, मसीही अरु्वों के

प्रचशिण हेत ुदचुनया भर में बढ़ती मांर् के जवाब में, हम सेमीनरी पाठ्यक्रम को चवकचसत करत ेहैं एवं बााँटते हैं, यह

मुख्यतः उन मसीही अरु्वों के चलये होती है चजनके पास प्रचशिण साधनों तक पहाँच नहीं होती है। दान देन ेवालों के

आधार पर, प्रयोर् करने में आसानी, मल्टीमीचर्या सेमीनरी पाठ्यक्रम का 5 भाषाओं (अंगे्रजी, स्ट्पैचनश, रूसी, मनर्ाररन

चीनी और अरबी) में चवकास कर, थर्ग चमलेचनयम ने कम िचग पर दचुनया भर में मसीही पासबानों एवं अरु्वों को प्रचशिण

देन ेका तरीका चवकचसत ककया है। सभी अध्याय हमारे द्वारा ही चलचित, रुप-रेिांककत एवं तैयार ककये र्ये हैं, और शैली

एवं रु्णविा में द चहस्ट्री चैनल © के समान हैं। सजीवता के प्रयोर् एवं चशिा के िेत्र में चवचशष्ट चलचचत्र उत्पादन के चलये

थर्ग चमलेचनयम 2 टैली पुरस्ट्कार जीत चुका है, और हमारा पाठ्यक्रम 192 भी ज्यादा देशों में प्रयोर् हो रहा है। हमारी

सामग्री र्ी.वी.र्ी, छपाई, इंटरनेट, उपग्रह द्वारा टेलीचवज़न प्रसारण, रेचर्यो, और टेलीचवज़न प्रसार का रूप लेते हैं।

हमारी सेवकाइग के बारे में अचधक जानकारी के चलए और यह जानने के चलए कक आप ककस प्रकार से उसमें शाचमल हो

सकत ेहैं, कृपया हमारी वैबसाइट http://thirdmill.org. पर जाएाँ।

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चवषय-वस्ट्त ुसचूी

I. पररचय ............................................................................................... 1

II. पषृ्ठभूचम............................................................................................... 1

क. लेिक 1

1. पारम्पररक दचृष्टकोण 2

2. व्यचक्तर्त् इचतहास 4

ि. मूल पाठक 5

र्. अवसर 6

1. स्ट्थान 6

2. चतचथ 6

3. उदे्दश्य 8

III. सरंचना एवम् चवषयवस्ट्तु सचूी .................................................................. 9

क. अचभवादन 12

ि. ज्ञान और आनन्द 12

र्. ज्ञान और आज्ञाकाररता 14

1. कमग 14

2. पिपात 15

3. चवश्वास 16

घ. ज्ञान और शाचन्त 17

1. जीभ 17

2. दो प्रकार का ज्ञान 18

3. आन्तररक संघषग 19

ङ. ज्ञान और भचवष्य 19

1. योजनाओं को चनर्मगत करना 19

2. धन का अपसंचय 20

3. धैयग सचहत प्रतीिा करना 20

च. ज्ञान और प्राथगना 21

छ. अचन्तम उपदशे 21

IV. साराशं ............................................................................................... 22

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याकूब की पत्री

अध्याय एक

याकूब की पत्री का पररचय

-1-

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पररचय एक िण के चलए, आप अपने चनकट सम्बन्धी या चमत्र के साथ पल बढ़ कर बड़े होन ेके चवषय की

कल्पना करें। आप इकटे्ठ िलेते, इक्ट्टे्ठ सीिते और अपने वयस्ट्क होन ेतक इक्ट्टे्ठ पहाँच ेहैं। आपके जीवन केे

अचधकांश चहस्ट्से में, यह व्यचक्त आपके जैसा ही रहा है और तब एक कदन आपका यह सम्बन्धी या चमत्र

परमेश्वर का "चुना हआ" होन ेका दावा करता है। ठीक है, यीशु के भाई, याकूब के चलए, यह दशृ्य एक

काल्पचनक दशृ्य नहीं था। अपनी छोटी आयु के वषों में, उसन ेसन्देह ककया था यीश ुही उद्धारकताग था।

परन्तु उसके जीवन के उिरोिर काल में, वह न केवल यीशु का अनुयायी बन र्या; अचपतु यरूशलेम की

कलीचसया का अरु्वा बन र्या और नए चनयम की एक पुस्ट्तक चलिी जो उसके नाम पर है।

यह याकूब की पत्री के ऊपर हमारी श्रृेंिला का पहला अध्याय है चजसका शीषगक हमन े"याकूब

की पत्री का पररचय" के नाम से कदया है। इस अध्याय में, हम कुछ ऐसे पररचयात्मक चवषयों को स्ट्पशग

करेंरे् जो हमें नए चनयम के इस भार् की व्याख्या को चवश्वासयोग्यता के साथ आरे् बढ़ान ेमें सिम करेंरे्।

हम "याकूब की पत्री के पररचय" के प्रचत हमारे दचृष्टकोण को दो तरीकों से लेेरें्। प्रथम, हम इस

पुस्ट्तक की पृष्ठभूचम का पता लर्ाएाँरे्। और दसूरा, हम इसकी सरंचना और चवषयवस्ट्तु सूची की जााँच

करेंरे्। आइए याकूब की पत्री की पुस्ट्तक की पृष्ठभूचम से आरम्भ करें।

पृष्ठभचूम बाइबल आधाररत ककसी भी पुस्ट्तक के साथ, यह महत्वपूणग है कक चजतना अचधक संभव हो इसके

लेिनकाल के चारों तरफ के सदंभग को समझ चलया जाए। बाइबल की चवचभन्न पुस्ट्तकें लोर्ों के द्वारा

चवशेष उदे्दश्यों और सरोकारों को लेकर वास्ट्तचवक ऐचतहाचसक पृष्ठभूचम में चलिी र्ई थी।

पररणामस्ट्वरूप, इस तरह की पृष्ठभूचमयों का अध्ययन करना स्ट्वयं पुस्ट्तकों को समझन ेमें हमारी

सहेायता कर सकता है। जब हम याकूब की पत्री की पुस्ट्तक के साथ सम्बद्ध उदे्दश्यों और पृष्ठभूचमयों के

ऊपर ध्यान लर्ाते हैं, तो हम यह समझन ेके चलए अचधक उिम तरीके से सुसचित हो जाएाँरे् कक इस पत्री

का क्ट्या अथग है जब इसे पहली बार चलिा र्या था। और हम याकूब के शब्दों को हमारे आज के जीवनों में

अचधक प्रभावशाली तरीके से लारू् कर सकत ेहैं।

याकूब की पत्री की पृष्ठभूचम के समझने के चलए, हम सवगप्रथम पुस्ट्तक के लेिक के ऊपर ध्यान

देंरे्। इसके पश्चात इसके मूल पाठकों को देिेंरे्। और अन्त में, हम उस अवसर की जााँच करेंरे् चजसमें याकूब

की पत्री चलिी र्ई थी। आइए याकूब की पत्री के लेिक से आरम्भ करें ।

लेिक

यद्यचप हम जानते हैं कक पचवत्र आत्मा ने पचवत्रशास्त्र, बाइबल की बहत सी पुस्ट्तकों, जैसे याकूब

को प्रेररत ककया, साथ ही इनके मानवीय लेिकों को पररचचत कराता है। और चजतना अचधक हम बाइबल

की पुस्ट्तकों के लेिकों के बारे में जानते हैं, उतना अचधक उिम रीचत से हम समझने के चलए और जो कुछ

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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उन्होंने चलिा उसकी व्याख्या करन ेके चलए तैयार हो जात ेहैं। इसचलए, इसी कारण से, हमें उन सब बातों

को सीिना चाचहए कक ककसन ेयाकूब की पत्री को चलिा था।

याकूब की पत्री के लेिक की जााँच करने के चलए, हम दो चवषयों के ऊपर ध्यान देंरे्। सवगप्रथम,

हम याकूब की पत्री के पारम्पररक दचृष्टकोण का पता लर्ाएाँर्ें, जो कक यीशु केा छोटा भाई था, चजसन े

इस पत्री को चलिा था। दसूरा, हम लेिक के व्यचक्तर्त् इचतहास के बारे में िोज करेंरे्। आइए इन चवषयों

के पारम्पररक दचृष्टकोण को देिते हए आरम्भ करें।

पारम्पररक दचृष्टकोण

याकूब 1:1 में, पत्री, चनम्न साधारण से कथन के साथ िुलती है:

परमशे्वर के और प्रभ ुयीश ुमसीह के दास याकूब की ओर स ेउन बारहों र्ोत्रों को जो चततर-चबतर

होकर रहत ेहैं नमस्ट्कार पहंच े(याकूब 1:1)।

जैसा कक हम यहााँ देिते हैं, यह पत्र स्ट्पष्ट रूप से "याकूब" नाम के एक व्यचक्त को अपना लेिक

होने से पररचचत कराता है। परन्तु यह अचभवादन ठीक रीचत से यह सुचनचश्चत नहीं कर देतेा है कक यह

व्यचक्त कौन था। नए चनयम में इस नाम से पााँच चभन्न पुरूष पाए जात ेहैं, चजसमें यीशु के दो चशष्य भी

सचम्मचलत हैं, चजनका नाम याकूब था। परन्तु इन पााँच पुरूषों में से केवल दो के पास ही आरम्भ की

कलीचसया को इस तरह का पत्र चलिने का अचधकार प्राप्त था।

इन दो में से पहला, जबदी का पुत्र और यूहन्ना का भाई याकूब था। परन्तु प्रेररतों के काम 12:2 के

अनुसार, यह याकूब हेरोदेस अचग्रप्पा - I के अधीन लर्भर् 44 ईस्ट्वी सन ्में शहीद हो र्या था। जैसा कक

हम बाद में देिेंरे्, याकूब की पत्री का हेरोदेस की मृत्यु उपरान्त चलि ेजान ेकी मान्यता में कई अच्छे

कारण पाए जाते हैं। इसचलए, यह संभावना अचधक है कक, जबदी का पुत्र, याकूब इस पत्र का लेिक था।

दसूरे याकूब का यीशु के छोटा भाई होन ेकी संभावना पाई जाती है। वह साथ ही यरूशलेम की आरचम्भक

कलीचसया का अरु्वा भी था। अभी तक, यह याकूब इन दोनों में से ज्यादा प्रमुि था और वही था चजसके

चलए अचधकांश धमगवैज्ञाचनकों ने सकदयों से इस पत्री को इसके नाम पर नाचमत ककया है।

यीशु के भाई याकूब ने इस पत्री को चलिा, को लेकर पारम्पररक दचृष्टकोण के समथगन में बहत

अचधक प्राप्त है। परन्तु इसी के साथ कुछ आपचियााँ भी पाई जाती हैं। आइए इस दचृष्टकोण के समथगन के

साथ आरम्भ करें।

समथगन – पहले स्ट्थान पर, 1:1 में, लेिक ने इतना कहने कक "परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास"

से ज्यादा कुछ अचधक दस्ट्तावेज को प्रस्ट्तुत नहीं ककया है। उसने सामान्य रूप से यह मान चलया है कक

केवल उसके नाम से ही उसे पहचान चलया जाएर्ा और यही केवल पयागप्त अचधकार को अपने में रिता

है। और इस अचधकार के ऊपर आधाररत हो, उसका पत्र एक के बाद दसूरे आदेश को अपने में रिे हए

है। यह आरचम्भक अचभवादन, तब, यीशु के भाई याकूब के होने के बारे में बड़ी शचक्त से स्ट्वयं को,

यरूशलेेम की आरचम्भक कलीचसया में अपने पद के कारण प्रस्ट्तुत करता है।

ठीक है, प्रेररतों की कलीचसया के कदनों में, अचधकार का पूरा प्रश्न ही अत्यन्त महत्वपणूग था।

यीश ुमसीह के अनयुाचययों के इस नए समाज की अर्ुवाई करने और चशिा देन ेका अचधकार

ककसके पास थाॽ वहााँ उस समय कई तरह के लिे प्रचलन में थ ेजो कक अचधकार के प्रचत

चवचभन्न के दावों को प्रस्ट्ततु कर रहे थ,े और उनमें से एक शतग जो उभर कर सामन ेआई वह

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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बहत ही महत्वपणूग थी कक एक व्यचक्त के द्वारा यीश ुकी सवेकाई का प्रत्यि र्वाह होना था,

चजसन ेस्ट्वय ंप्रभ ुके साथ अपन ेसमय को व्यतीत ककया हो को न्यायसरं्त दावा होन ेके रूप में

माना जाता था कक उसे आरचम्भक कलीचसया में चशिा देन ेका अचधकार प्राप्त था। अब,

याकूब,यीश ुका भाई, इसमें कोई सन्देह नहीं है, कक अपने परेू जीवन में वास्ट्तचवक प्रत्यि दशी

था, और इसन ेउस बात की महत्वपणूगता में चवशषे भचूमका अदा की और इस बात की

महत्वपणूगता में कक याकूब की पत्री आरचम्भक कलीचसया में उसी के द्वारा दी र्ई थी। - रेव्ह.

र्ॉ. माईकल वॉलकर दसूरे स्ट्थान पर, आरचम्भक कलीचसया की र्वाही इस पुस्ट्तक के लेिक के दचृष्टकोण के होने की

पुचष्ट करती है। क्ट्लेमेंट की प्रथम पत्री, लर्भर् 96 ईस्ट्वी सन् में चलिी र्ई थी, और हेमास के चरवाहे,

लर्भर् 140 ईस्ट्वी सन् में आसपास चलिा र्या था, दोनो या तो याकूब की पत्री को उदधृत करता हैं

या कफर इसकी ओर संकेत देते हैं। और औरर्न, जो 254 ईस्ट्वी सन् में मरा, ने याकूब की पत्री की

पुस्ट्तक को कई बार रोचमयों के पत्री के ऊपर अपनी टीका में उपयोर् ककया है। औरर्न का याकूब के

उपयोर् करना चवशेष रूप से महत्वपूणग था क्ट्योंकक पुस्ट्तक 4 के, अध्याय 8 में, औरर्न याकूब के लेिक

को "प्रभु का भाई" होने से पररचचत करता है। हम यह भी जानते हैं कक पूवग की कलीचसया में, और

कालान्तर में पचश्चमी की कलीचसया में, इस पत्र को यीशु के भाई के द्वारा ही चलिे जाने के रूप में

स्ट्वीकार ककया र्या है। अब, पारम्पररक दचृष्टकोण के चलए इतना अचधक समथगन होने के पश्चात् कक यीशु का भाई

याकूब ही इसका लेिक था, कुछ आपचियााँ भी दी र्ई हैं।

आपचियााँ – आलोचनात्मक व्याख्याकारों ने कम से कम दो चवकल्पों का सुझाव कदया है। कुछ

व्याख्याकारों ने आरचम्भक कलीचसया में एक अज्ञात् याकूब की ओर देिा है। उन्होंने देिा कक चजस

व्यचक्त ने यह पत्री चलिी है वह सचमुच में याकूब ही था, परन्तु वह यीशु का भाई या जबदी का पुत्र

नहीं था। वह अज्ञात् बना रहता है क्ट्योंकक इसका उल्लेि चशशुकालीन कलीचसया के ककसी भी अन्य

लेि में नहीं चमलता है। परन्तु कफर भी, इस चवचार की संभावना नहीं है। जैसा कक हमने पहले से ही

ध्यान कदया है, कक लेिक की पहचान पत्री के आरम्भ में ही सादर्ी भरे तरीके से होती है कक वह बहत

अच्छी तरह से जाना पहचाना चेहरा था। यह अत्यन्त सन्देहजनक है कक उसके बारे में कहीं कुछ भी न

चलिा र्या हो। दसूरा चवचार आलोचनात्मक व्याख्याकारों के द्वारा कदया र्या है कक नकली लेिकों के चवषय

मे है। नकली लेिक उस अभ्यास की ओर संकेत करता है चजसमें चलिा हआ लेिनकायग वास्ट्तचवक

लेिक को छोड़कर ककसी भी अन्य लेिक के नाम पर कर कदया जाता था। यह अभ्यास कई चवचभन्न

कारणों से पहली सदी के यहूदकदयों के मध्य में प्रचचलत हो र्या था। नकली लेिक के होने का एक

मुख्य कारण चलिी हई एक पुस्ट्तक या पत्री में अचधकार लाना या उसे महत्वपूणग बनाने से था। याकूब

की पत्री की घटना में, आलोचनात्मक व्याख्याकारों ने यह तकग कदया है कक याकूब को छोड़कर ककसी ने

कलीचसया में अपने पचत्रयों को व्यापक स्ट्वीकृचत चमलने के चलए उसके नाम का उपयोर् ककया है। अब,

जैसे कक 2 चथस्ट्सलुनीककयों 2:2 जैसे संदभों के अनुसार, इस अभ्यास को पहली सदी में एक धोिे के

रूप में अपमाचनत ककया र्या है। परन्तु आलोचनात्मक चवद्वान अब भी इस आपचि के चलए कम से कम

तीन तकों को प्रस्ट्तुत करते हैं।

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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सबसे पहले, वे कहते हैं, यीशु के साथ लेिक के ककसी भी सम्बन्ध का उल्लेि नहीं ककया र्या

है। वे कहते हैं कक यह सोचना अलकल्पनीय है कक यीशु का भाई कलीचसयाओं को एक पत्री चलिे और

अपने पाररवाररक सम्बन्ध को प्रर्ट न करे जब वह अपनी स्ट्वयं की पहचान करा रहा हो। परन्तु यहूदा,

जो कक यहूदा की पत्री का लेिक है, भी यीशु का भाई था। और वह अपने पत्र में यीशु के साथ उसके

लहू के ररश्ते का उल्लेि नहीं करता है। इस कारण, नकली लेिक होने केा यह तकग अपने आप में ही

बड़े अच्छे तरीके से कमजोर है।

दसूरा, कुछ आलोचनात्मक चवद्वान नकली लेिक के होने की धारणेा को इसचलए मानते हैं

क्ट्योंकक पुस्ट्तक ऐसे प्रमाण देती है कक लेिक यूनानी चवचारधारा – या यूनानी– संस्ट्कृचत से अवर्त था,

और याकूब, पलश्तीन का रहने वाला एक यहूदी था। यह सत्य है कक याकूब की पत्री के लेिक को

यूनानी संस्ट्कृचत के प्रचत कुछ जार्रूकता थी। उदाहरण के चलए, याकूब 3:6 में, उसने "एक व्यचक्त की

जीवन-र्चत" जैसे वाक्ट्य का उपयोर् ककया है। यह वाक्ट्य सामान्य रूप से यूनानी दशगनशास्त्र और धमग में

उपयोर् होता था। परन्तु याकूब की पत्री के चलिे जाने के समय पर, पलश्तीन के बहत से अच्छी तरह

से चशचित यहूकदयों के पास यूनानी दशगनशास्त्र और धमग के नाम मात्र के ज्ञान से अचधक ज्ञान था। इसके अचतररक्त, जबकक नए चनयम के अन्य भार्ों में पाई जाने वाली यूनानी की अपेिा याकूब

की पत्री की यूनानी भाषा अचधक जरटल है। सच्चाई तो यह है, कक इस पत्री की लेिनशैली उस समय की

अन्य पुस्ट्तकों जैसे बारह कुलपचतयों के चनयम और अन्य यूनानी चवचारधारा प्रेररत यहूदी लेिनकायों

के जैसा ही है। नकली लेिक के होने की तीसरा तकग प्रेररतों के काम और र्लाचतयों की तुलना में याकूब की

पत्री में चमलने वाली धमगवैज्ञाचनक चचत्रण की चवसंर्चतयों की ओर संकेत है। यह दचृष्टकोण सुझाव देता

है कक याकूब की पत्री में व्यक्त ककए र्ए कुछ चवचार नए चनयम की अन्य पुस्ट्तकों में याकूब की पत्री को

संकेचतक ककए हए कुछ धमगवैज्ञाचनक दचृष्टकोणों के साथ नहीं चमलते हैं। उदाहरण के चलए,

आलोचनात्मक व्याख्याकार प्रेररतों का काम 21:17-25 और र्लाचतयों 2:12 जैसे संदभों की ओर

संकेत देते हैं। वे तकग देते हैं, कक इन वचनों में, याकूब व्यवस्ट्था के ऊपर रूकढ़वादी यहूदी-मसीही

चवश्वासी दचृष्टकोण के चलए एक प्रवक्ता प्रर्ट होता हआ कदिाई देता है। परन्तु याकूब 1:25 और याकूब

2:12 व्यवस्ट्था के प्रचत कुछ सीमा तक उदार दचृष्टकोण को प्रर्ट करते हए, इसे ऐसी "स्ट्वतंत्रता देने

वाली व्यवस्ट्था" कह कर पुकारते हैं। परन्तु ये चभन्नताएाँ साधारण रूप से इतना ज्यादा बड़ी नहीं हैं जैसा कक आलोचनात्मक चवद्वान

इन्हें बना देते हैं। चनकट समीिा करने पर, प्रेररतों का काम और र्लाचतयों में उदधृत ककए र्ए वचन

एक चरम यहूदी-मसीही चवश्वासी दचृष्टकोण को प्रस्ट्तुत नहीं करते हैं। और याकूब की प्रेररतों के काम

और र्लाचतयों में दी हई व्यवस्ट्था के प्रचत दचृष्टकोण, वास्ट्तव में, याकूब की पत्री में कदए हए धमगचवज्ञान

के साथ सुसरं्ता में है। जैसा कक हम देिते हैं, याकूब, यीशु के भाई के चवरोध में दी हई तकग , इस पुस्ट्तक का लेिक है,

अपने सवोिम रूप में कमजोर है। याकूब के लेिक होने के प्रचत कदया हआ तकग ज्यादा चनरूिर करने

वाला है। और इसी कारण से, अचधकांश इवैन्जेचलकल अथागत् सुसमाचारवादी चवद्वान सही पुचष्ट करते

हैं, कक याकूब, यीशु का भाई, इस पत्री का लेिक है चजसमें उसका नाम चलिा हआ है।

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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चलचचत्र, अध्ययन मार्गदर्शगका एवं कई अन्य संसाधनों के चलये, हमारी वेबसाइट में जायें - थर्ग चमलेचनयम चमचनस्ट्रीज़ ऐट थर्ग चमलेचनयम

हमने याकूब की पत्री के लेिक होने के ऊपर इसे पारम्पररक दचृष्टकोण को देिते हए ध्यान

कदया है। अब, आइए याकूब के व्यचक्तर्त् इचतहास को और भी अचधक चनकटता से देिें।

व्यचक्तर्त् इचतहास

मिी 13:55 याकूब को मररयम के कई पुत्रों में और यीशु के सौतेले-भाई के रूप में पररचचत

कराता है। यह पाररवाररक ररश्ता याकूब की पत्री और यीशु की सुसमाचारों में चववरण की र्ई चशिाओं

के साथ कई स्ट्थानों पर समानता को कदिात ेहो। परन्तु पचवत्रशास्त्र यह स्ट्पष्ट कर देता है कक जब याकूब

और इसके अन्य भाई का पालन पोषण हो रहा था, तो उन्होंने यह पहचान नहीं की कक वास्ट्तव में उनका

कौन सा भाई सबसे बड़ा था। जैसा कक यूहन्ना 7:5 हमें बताता है:

क्ट्योंकक उसके [यीशु] भाई भी उसके ऊपर चवश्वास नहीं करत ेथ े(यहून्ना 7:5)।

परन्तु अपने जीवन की ककसी अवस्ट्था में, याकूब ने यीशु को प्रभु मानते हए उसमें उद्धार पान े

वाले चवश्वास को पाया होर्ा। सच्चाई तो यह है, कक याकूब आरचम्भक कलीचसया में ऐसे मुख्य स्ट्थान तक

ऊपर उठ र्या कक पौलुस ने उसे र्लाचतयों 2:9 में कलीचसया के चलए "िम्भों" में से एक कह कर पुकारा

है। इसके अचतररक्त, हम यह जानते हैं, कक 1 कुररचन्थयों 15:7 के अनुसार, यीशु याकूब के सामने जी उठन े

के पश्चात ्प्रर्ट हआ था।

नए चनयम में याकूब के अचधकार का पद अच्छी तरह से दस्ट्तावेज ककया र्या है।

उदाहरण के चलए, वह प्रेररतों के काम में यरूशलेम की कलीचसया में एक अरु्वे के रूप में कम से कम तीन

बार प्रर्ट होता है। और प्रेेररतों के काम 15 में, हम उसे प्रेररतों की महासभा के प्रवक्ता के रूप में देिते

हैं। यहााँ तक कक रै्र-मसीचहयों ने भी याकूब की महत्वपूणगता को कलीचसया में स्ट्वीकार ककया था। याकूब

की 62 ईस्ट्वी सन् में हई हहंसक मृत्यु के बारे में एक बहत ही अचधक जाना पहचाना लेिककायग यहूदी

इचतहासकार जोसीफुस की ओर से चलिा हआ चमलता है। उसकी पुस्ट्तक ऐन्टीक्वटीस अथागत् 'इचतहास की

घटनाओं', की 20वीं पुस्ट्तक, के 9वें अध्याय, के भार् 1, को सुचनए जो 93 ईस्ट्वी सन ्में चलिा र्या था,

जहााँ पर जोसीफुस ने याकूब की मृत्यु के आसपास की पररचस्ट्थचतयों के बारे में चववरण कदया है:

[हन्ना] न ेन्याचययों का बलुा कर यहूदी महासभा का आयोजन ककया, और उनके सामन ेयीश,ु

चजस ेमसीह कह कर पकुारा जाता था, के भाई, चजसका नाम याकूब था, और कुछ अन्य चनचश्चत

लोर्ों को ल ेआया, और उन पर व्यवस्ट्था की अवहेलना ककए जान ेका आरोप लर्ा कर उन्हें

पत्थरवाह करन ेके चलए दे कदया।

जब वह बड़ा हो रहा था, तो याकूब यह नहीं समझ पाया होर्ा कक उसका वास्ट्तव में सबस ेबड़ा

भाई कौन सा था। परन्तु, हम जोसीफुस के लेिनकायग, और पचवत्रशास्त्र और अन्य ऐचतहाचसक दस्ट्तावेजों

से देि सकत ेहैं, बाद में अपने प्रौढ़ जीवन में, याकूब के पास यीशु के प्रचत उसके मसीह मानते हए उसमें

अटल समपगण था। जैसा की ईशुचबयुस ने अपने ईक्कलेचसयचसटीकल चहस्ट्टरी अथागत् 'सभोपदेशानात्मक

इचतहास,' कक पुस्ट्तक 2 के अध्याय 23 में, आरचम्भक मसीही इचतहासकार चहरे्सीचपप्युस को उदधृत

ककया है:

[याकूब] याकूब, यहूदी और यनूानी दोनों के चलए एक सच्चा र्वाह बन र्या, कक यीश ुही मसीह

है।

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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अब क्ट्योकक हमन ेयाकूब की पत्री की पृष्ठभूचम को इसके लेिक से सम्बचन्धत कुछ चवषयों को

देिने के द्वारा ध्यान दे कदया है, आइए हम इस पत्री के मूल पाठकों की िोज करते हैं।

मूल पाठक

धमगवैज्ञाचनक अक्ट्सर ककसी भी बाइबल की एक पुस्ट्तक के लेिक के बारे में बड़ी मात्रा में अपने

समय और उजाग को ित्म करत ेहए चजतना ज्यादा अचधक संभव हो सीिने की कोचशश करत ेहैं। परन्तु

मूल पाठकों की पहचान की िोज करना भी उतना ही अचधक महत्वपूणग है। यकद हम उचचत रीचत से

व्याख्या करना चाहते हैं कक बाइबल की एक पुस्ट्तक का लेिक क्ट्या कहना चाहता था, तो यह जानना

हमारे चलए सहायता प्रदान करता है कक लेिक के मूल पाठक कौन थे और वे उस समय के इचतहास के

चवशेष समय में ककन पररचस्ट्थचतयों का सामना कर रहे थे। जैसा कक हमन ेपहले से ही देि चलया है, कक

याकूब 1:1 में, याकूब उसके पाठकों की पहचान ऐसे कराता है:

उन बारहों र्ोत्रों को जो चततर चबतर होकर रहत ेहैं (याकूब 1:1)।

ऐसा प्रतीत होता है कक यह संकेत उन यहूकदयों के चलए कदया र्या है जो कक इस्राएल से बाहर

रहते थे। और 2:1 में, याकूब अपने पाठकों को ऐसे सम्बोचधत करता है:

हे मेरे भाइयों, हमारे मचहमायकु्त प्रभ ुयीश ुमसीह का चवश्वास तुम में पिपात के साथ न हो

(याकूब 2:1)।

इन दोनों को इकट्ठा चलया जाए, तो ये वचन यह संकेत देत ेहैं कक याकूब के मूल पाठक प्राथचमक

रूप से, यहूदी मसीचहयों से चमल कर बन ेथ ेजो कक पलश्तीन से बाहर रहत ेथे।

इस पुस्ट्तक में बहत से स्ट्थानों पर, याकूब उसके पाठकों को प्यार से "हे भाईयों" कह कर

सम्बोचधत करता है। परन्तु कैसे याकूब, यरूशलेम में रहत ेहए, उसके पाठकों को इतनी अच्छी तरह से

जानता है कक वह उन्हें इस तरीके से बोलता हैॽ ठीक है, प्रेररतों के काम 8:1-4 में, हम सीिते हैं, कक

सताव की लहर के समय जो कक चस्ट्तफनुस की शहादत के पश्चात् आया, यरूशलेम की कलीचसया के सदस्ट्य

सम्पूणग यहूकदया और सामररया में चततर चबतर हो र्ए थे। यह संभव है कक तब याकूब, यरूशलेम की

कलीचसया का अरु्वा होन ेके नाते, इन्हीं चततर चबतर हए सदस्ट्यों को "बारह र्ोत्रों" के नाम से चलि रहा

हो। परन्तु भले ही पत्री इन चवश्वाचसयों को चवशेष रूप से ही क्ट्यों न सम्बोचधत हई हो, ऐसा प्रतीत होता

है कक याकूब के पाठक उन ही जैसी पररचस्ट्थचतयों में यहूदी मसीचहयों से चमलकर बन ेथे।

चजस शब्दावली का यहााँ उपयोर् हआ है वह इस चवचार का समथगन करती है कक उसके मूल

पाठक यीश ुके यहूदी अनुयायी थे। उदाहरण के चलए, 2:2 में, याकूब शब्द सूनार्ोर्ी (συναγωγη) या

"चसनार्ोर्" का उपयोर् उसके पाठकों की सभाओं का चववरण देन ेके चलए करता है। यह यहूकदयों के एकत्र

होने को इंचर्त करने के चलए चवशेष तरीका था। और 5:4 में याकूब वाक्ट्य सेनाओं के प्रभु या "प्रभ ु

सवगशचक्तमान," या कुररयोस साबोथ (Κυρίου Σαβαὼθ) का उपयोर् करता है। यह वाक्ट्य पुरान ेचनयम

में से इस्राएल केे परमेश्वर के चलए उपयोर् ककए जान ेवाले सामान्य नाम से आता है, अथागत् यावेह

साबाओत ( ְיהָו֛ה ְצָב֖אֹות )। इस तरह की भाषा बहत अचधक भावों को उत्पन्न करती है यकद पत्री को प्राप्त

करने वाले पाठकों के यहूदी आधार मजबूत थे।

याकूब के पाठकों की पषृ्ठभचूम जानना बहत ही अचधक महत्वपणूग है क्ट्योंकक यह हमारी सहायता

हमें प्रिपेण पथ को चनर्मगत करन ेमें करता है कक कैस ेउस सन्देश को समझा जाए चजस ेवह अपन े

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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पाठकों को देन ेकी कोचशश कर रहा है...याकूब के पाठक, यहूदी समदुाय के होन ेके कारण, मसूा

की तोराह, भचवष्यद्वक्ताओं के सन्देश और लिेों के सन्देश की एक लम्बी पराम्परा को प्राप्त करन े

वाल ेलोर् थ.े..याकूब इस समदृ्ध परेाम्परा के ऊपर चनर्मगत करता है जब वह उसन ेचवश्वास के

जीवन, बुचद्धमानी के जीवन के बारे में बात करता है। और उन्हें समझन ेकी आवश्यकता है कक

कैस ेउन्हें इन्हें अपन ेजीवनों में यीश ुमसीह के जी उठन ेके आलोक में लार् ूकरना है। - र्ॉ स्ट्कॉट

रीर्

अब, जब हम यह कहते हैं कक याकूब यहूदी मसीचहयों को चलि रहा था, तो हमारे कहने का यह

अथग नहीं है कक वहााँ पर उन कलीचसयाओं चजन्हें याकूब ने सम्बोचधत ककया है, में रै्र मसीही चवश्वासी

नहीें थे। प्रेररतों के काम अध्याय 8 में से बहत पहले ही हम एक कूश देश के अचधकार को पररवर्तगत होन े

के बारे में जान जाते हैं। और, जैसा कक हम प्रेररतों का काम अध्याय 10 में सीिते हैं, कक वहााँ पर बहत से

रै्र मसीही चवश्वासी, परमेश्वर से र्रन ेवाले लोर् यहूदीवाद में से चनकल कर आए थे जो कक चसनार्ोर् की

आराधना में भार् चलया करत ेथे। इसचलए, इस बात का जानना हमें अचचम्भत करन ेवाला नहीं होना

चाचहए कक कम से कम कुछ रै्र मसीही चवश्वाचसयों को हम इन कलीचसयाओं में भी पात ेहैं। परन्तु कफर

भी, रोचमयों 9:8 के अनुसार, रै्र मसीही चवश्वाचसयों को "अब्राहम के वंश" के रूप में माना र्या है। और,

आदशग के रूप में, उन्हें ठीक उसी तरह से उतना ही भार् इस्राएल के बारह र्ोत्रों में माना र्या चजतना

यूहदी अपने लहू के सम्बन्ध के कारण थे।

अब क्ट्योंकक हमन ेयाकूब की पृष्ठभूचम को उसकी पत्री के लेिक और इसके मूल पाठकों के ऊपर

ध्यान देत ेहए देि चलया है। अब, हम इसकी लेिनकाल के अवसर की जााँच करन ेके चलए तैयार हैं।

अवसर

हम याकूब की पत्री के लेिनकाल के अवसर की तीन चरणों में िोज करेंरे्। सवगप्रथम, हम लेिक

और पाठकों अथागत् दोनों के स्ट्थान को स्ट्पशग करेंरे्। दसूरा, हम इसकी रचना की चतचथ के ऊपर चवचार

करेंरे्। तीसरा, हम याकूब की पत्री के चलिने के उदे्दश्य के बारे में सोचेंरे्। आइए इस पत्र के पाठकों और

लेिक अथागत् दोनों के स्ट्थान की ओर देिते हए आरम्भ करें।

स्ट्थान

लेिक के स्ट्थान को समझना ज्यादा करठन नहीं है। दोनों अथागत् नया चनयम और आरचम्भक

कलीचसयाई धमागध्यिों ने यह सुझाव कदया है कक याकूब ने अपनी सेवकाई के जीवन को यरूशलेम में

व्यतीत ककया। और तब तक यरूशलेम में नहीं रहा जब तक 62 ईस्ट्वी सन ्में उसन ेशहादत प्राप्त नहीं कर

ली। इस कारण, ऐसा सोचन ेके चलए कोई भी कारण नहीं है कक उसन ेअपने पत्र को ककसी अन्य स्ट्थान से

चलिा।

मूल पाठकों के स्ट्थान भी कुछ सीमा तक स्ट्पष्ट कदिाई देता है। जैसा कक उल्लेि ककया र्या है, कक

पत्री को प्राप्त करने वालों की संभावना यहूदी चवश्वाचसयों से रही है जो कक सम्पणूग यहूकदया और

सामाररया में चस्ट्तफनुस की हत्या के कारण चततर-चबतर हए पड़ ेथे। प्रेररतों का काम 11:9 हमें बताता है

कक ये चवस्ट्थाचपत चवश्वासी कफरते कफरते फीनीके, अन्ताककया और साइप्रस में जीवन यापन के चलए

सुरचित स्ट्थान के कारण पहाँच र्ए। हम सकारात्मक नहीं हो सकत ेहैं कक याकूब ने इन चवशेष स्ट्थानों में

रहने वाले चवश्वाचसयों के चलए इस पत्र को चलिा। परन्तु कफर भी, याकूब के आरचम्भक अचभवादन "बारह

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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र्ोत्रों को जो जाचतयों में चततर-चबतर होकर रहते हैं," में इन स्ट्थानों में याकूब के मूल पाठकों के होन ेकी

दढृ़ता से संभावना है।

हमें वास्ट्तव में यह लर्ता है कक यह सच में चबिरे ेहए र्ोत्र थ।े अथागत,् यरूशलमे की कलीचसया

के सदस्ट्य जो फीचनके और साइप्रस और अन्ताककया में चस्ट्तफनसु की शहादत के पश्चात ्आए हए

सताव के कारण चबिर र्ए, यह कक इसकी सभंावना अचधक है, सच्चाई तो यह है कक मैं सोचता हूाँ

कक ऐसा होना अचधक सभंव है, कक याकूब इन लोर्ों को अपनी कलीचसया के सदस्ट्य मानत ेहए

चलि रहा था। और मरेे चलए ऐसा सोचन ेका कारण, यह है कक वह, अचंभ ेकी बात है, कक वह

ककसी तरह का कोई धमगचवज्ञान नहीं देता या वस्ट्ततु: कुछ भी िलुकर नहीं कहता; वह

ससुमाचार की सरंचना के सदंभग में कुछ भी बात नहीं करता है। ऐसी बहत सी बातें हैं चजनका वह

चबल्कुल भी उल्लिे नहीं करता है, और एक पास्ट्टर होन ेके नात,े मैं सोच रहा हूाँ, कक ठीक है, हो

सकता है कक उसन ेइन बातों को पहल ेही अपनी सवेकाई में परूा कर चलया होर्ा, और अब वह

अपन ेअच्छी तरह स ेजानकार पाठकों स ेइस तरीके स ेबात कर रहा है चजस तरीके स ेएक पास्ट्टर

को करना चाचहए...और इसचलए, याकूब के प्रचत हमारे भाव के ऊपर इसके बहत र्हरे प्रभाव हैं,

कक हम उसके पाठकों को चबिरा हआ पात ेहैं, य ेपाठक पहल ेस ेउसकी सवेकाई के अधीन थ,े और

हम उस ेइस तरीके स ेउनका चनमागण करत ेहए देित ेहैं। - र्ॉ. माईकल केनीसन

याकूब की पत्री के अवसर के इस पहले पहल ूको अपने ध्यान में रिते हए – अथागत ्लेिक और

पाठकों के स्ट्थान को – अब, आइए हम पत्र के चलिने की चतचथ के ऊपर ध्यान दें।

चतचथ

इस पत्री की सबसे पहले और संभाचवत नवीनिम चतचथ को स्ट्थाचपत करना बहत ही आसान है।

सवगप्रथम, पत्र की रचना की सबसे पहले संभाचवत चतचथ 44 ईस्ट्वी सन ्हो सकती है। हम जानते हैं कक

याकूब ने इस पत्री को तब चलिा जब वह यरूशलेम में आरचम्भक कलीचसया का एक अरु्वा था। प्रेररतों

का काम 12:17 इंचर्त करता है कक याकूब यरूशलेम की कलीचसया में एक महत्वपूणग अरु्वा उस समय

बन र्या जब पतरस की ररहाई बन्दीरृ्ह से हई थी। प्रेररतों का काम 12:19-23 के अनुसार, पतरस उस

समय बन्दीरृ्ह से ररहा हआ था चजस वषग हेरोदेस अचग्रप्पा- I की मृत्यु 44 ईस्ट्वी सन ्में हई थी। यह इस

संभावना को अचधक बढ़ा देता है कक पत्री इस चतचथ से बहत पहले नहीे ंचलिी र्ई थी।

दसूरा, इस पत्री की रचना की सबस ेनवीिम चतचथ की संभावना 62 ईस्ट्वी सन ्रही होर्ी, वह

वषग चजसमें याकूब शहीद हआ था। जैसा कक हमने पहल ेदेिा है, जोसीफुस के अनुसार, याकूब याजक हन्ना

के हाथों इसेी समय के आसपास मरा था। यह इस पत्री की रचना के चलए संचिप्त झलक को प्रदान करता

है।

पत्री स्ट्वयं एचतहाचसक घटनाओं के चवशेष संदभों को सचम्मचलत नहीं करती है जो कक इसी चतचथ

को अचधक चनचश्चत कर देते। परन्तु इसकी रचना के बहत बाद की अपेिा पहले होन ेके चलए कम से कम दो

कारण को सोचने पर मजबूर कर देत ेहैं।

पहला कारण, जैसा कक पहले उल्लेि ककया र्या है, 2:2 में, याकूब ने सुनार्ोर् (συναγωγη)

या "चसनार्ोर्" शब्द का उपयोर् उसके पाठकों के चमलने के सभाओं के चववरण के चलए ककया है।

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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शब्द "चसनार्ोर्" का उपयोर् मसीही अन्दोलन की आरचम्भक अवस्ट्था के चवकास को कदिाई देता

हआ प्रतीत होता है। याकूब ने मसीचहयों को चसनार्ोर् में से चनकाल बाहर करने से पहले चलिा होर्ा। या,

इसकी संभावना बहत कम है, कक उसन ेइसे उस समय चलिा जब मसीही चवश्वासी अभी भी अपने इक्ट्टे्ठ

होने को एक "चसनार्ोर्" के रूप में पुकारत ेथे।

इसके अचतररक्त, याकूब की पत्री में यहूदी-रै्र मसीचहयों के मध्य ककसी तरह के कोई चववाद का

उल्लेि नहीं चमलता है चजसन ेपतरस और पौलुस के लेिों में बहत अचधक ध्यान को प्राप्त ककया हो।

आरचम्भक कलीचसया में, जब रै्र – मसीही मसीह के ऊपर एक बड़ी साँख्या में चवश्वास को ले

आए, तो इस बात को लेकर संघषग उठ िड़ा हआ कक नए चवश्वाचसयों को यहूदी रीचत ररवाजों को पालन

करने की आवश्यकता है या नहीं। कदाचचत् याकूब ने हो सकता है कक इन चववादों का चनपटारा करना न

चुना हो। परन्तु यह संभावना अचधक है कक वे अभी उन जवान कलीचसयाओं के जीवन के मुख्य कारण के

रूप में नहीं बन ेहैं चजन्हें याकूब ने सम्बोचधत ककया है।

इस पत्री के अवसर को दोनों अथागत् इसके स्ट्थान और इसकी चतचथ में देि लेन ेके पश्चात्, आइए

हम इस पत्री को चलिने के पीछे याकूब के उदे्दश्य की जााँच करें।

उद्देश्य

याकूब की पत्री के व्यापक उदे्दश्य को सारांचशत करन ेके चलए सबस ेमहत्वपूणग तरीकों में से एक

याकूब 1:2-4 को देिना है। पत्री के आरचम्भक शब्दों में, याकूब अपने पाठकों को कहता है कक:

हे मेरे भाइयों, जब तमु नाना प्रकार की परीिाओं में पड़ो, तो इस ेपरेू आनन्द की बात समझो,

यह जानकर कक तमु्हारे चवश्वास के परि ेजान ेस ेधीरज उत्पन्न होता है। पर धीरज को अपना परूा

काम करन ेदो, कक तमु परेू और चसद्ध हो जाओ, और तमु में ककसी बात की घटी न रहे (याकूब

1:2-4)।

जैसा कक यह संदभग इंचर्त करता है, याकूब के पाठक कई तरह की परीिाओं को सामना कह रहे

थे। परन्तु याकूब उन्हें बुलाहट देता है कक इन परीिाओं में से परेू आनन्द को प्राप्त करें। परि ेजान ेके चलए,

वह चववरण देता है कक यह धीरज को उत्पन्न करता है। और वे चजनके पास धीरज है वह "पररपक्व और

चसद्ध चबना ककसी घटी के" बन जाएाँरे्। परन्त ुयाकूब के सन्देश की वास्ट्तचवक कुाँ जी इसके ठीक अर्ले वचन

में आती है। वचन 5 में, याकूब ने अपने चवचार को इन शब्दों के साथ पूरा ककया है:

पर यकद तमु में स ेककसी को बचुद्ध की घटी हो, तो परमशे्वर स ेमारं्े, जो चबना उलाहना कदए सब

को उदारता स ेदेता है, और उस को दी जाएर्ी (याकूब 1:5)।

हम इन वचनों को इस अध्याय में बाद में और अचधक व्याख्या के साथ चवचार चवमशग करेंरे्।

परन्तु अभी के चलए, यह संदभग हमें इस पूरे पत्र के केन्र की एक झलक देता है। परीिाओं के मध्य पूरे

आनन्द का अनुभव लेन ेके चलए परमेश्वर से "बुचद्ध की मााँर्" करें, और "यह तुम्हें दे दी जाएर्ी।" इस बात

को ध्यान में रिते हए, हम याकूब के पत्र के मुख्य उदे्दश्य को इस तरह से सारांचशत कर सकत ेहैं:

याकूब न ेउसके पाठकों को परमशे्वर की ओर स ेप्राप्त ज्ञान का अनसुरण करन ेके चलए बलुाहट दी

ताकक उन्हें उनकी परीिाओं में आनन्द प्राप्त हो।

इस सन्देश को सुनना याकूब के पाठकों के चलए महत्वपूणग था। जैसा कक हमन ेपहले ही कह कदया

है, कक याकूब के पाठक पलश्तीन में नहीं रह रहे थे। वे "जाचतयों में चततर-चबतर" हो कर अपने घरों से दरू

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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रहे थे। इसमें कोई सन्देह नहीं है, कक उन्हें उनकी परीिाओं में आनन्द को प्राप्त करना इतना आसान नहीं

था। ऐसा प्रतीत होता है कक इसके कारण उनमें से कुछ ने मसीह के प्रचत अपनी चवश्वासयोग्यता को त्यार्

कदया था। इसकी अपेिा, वे उस बात का अनुसरण कर रहे थे चजसे याकूब "संसार के साथ चमत्रता" कह कर

पुकारता है। याकूब 4:4 को सुचनए जहााँ पर याकूब ने इन शचक्तशाली शब्दों को उपयोर् ककया है:

हे व्यचभचाररचणयों, क्ट्या तमु नहीं जानतीं, कक ससंार स ेचमत्रता करनी परमशे्वर स ेबरै करना है?

अत: जो कोई ससंार का चमत्र होना चाहता है, वह अपन ेआप को परमशे्वर का बरैी बनाता है

(याकूब 4:4)।

स्ट्पष्ट है कक, याकूब के पाठकों में से कुछ ऐसे थे जो चवश्वास से बहत दरू थे। और याकूब उन्हें

चेतावनी देता है कक संसार के साथ चमत्रता करना "परमेश्वर के साथ बैर" करना था।

इसमें कोई आश्चयग नहीं है कक याकूब ने अपने अचधकार को कलीचसया के ऊपर एक अरु्वा होन ेके

नाते उपयोर् ककया। याकूब ने उसके पाठकों को ऐसा जीवन यापन करन ेके चलए आदेश कदया जो कक

रं्भीरता भरे चवश्वास के अंर्ीकार के सुंसर्त तरीके में हो। उसने 50 से ज्यादा आदेशात्मक वचनों, या

अपने 108 वचनों में प्रत्यि आदेशों को उपयोर् ककया है। और उसन ेअन्य व्याकरणीय रूपों का उपयोर्

ककया है जो कक अपने संदभग में आदेशात्मक वचनों के रूप में कायग करत ेहैं।

परन्तु याकूब के द्वारा उसके पाठकों के चलए सामना की जान ेवाली समस्ट्याओं के चलए मुख्य

समाधान इस या उस आदेश में ही मात्र नहीं कदया र्या है। क्ट्योंकक उसके चलए, मुदे्द का मुख्य केन्र यह था

कक उन्हें परमेश्वर की ओर से प्राप्त ज्ञान को अनुसरण करन ेकी आवश्यकता थी। परमेश्वर की ओर से आन े

वाला ज्ञान आनन्द को प्राप्त करन ेकी कुाँ जी थी जब वे चवचभन्न तरह की अपनी कई परीिाओं में जीवन

यापन करत ेथे। 4:8-10 के जाने-पहचान ेशब्दों को सुचनए जहााँ पर याकूब ने उसके पाठकों को कहा है:

परमशे्वर के चनकट आओ तो वह भी तमु्हारे चनकट आएर्ा... प्रभ ुके सामन ेसामन ेदीन बनो तो

वह तमु्हें चशरोमचण बनाएर्ा (याकूब 4:8-10)।

याकूब ने चवश्वाचसयों को चनदेश कदया कक वे [अपने आप को] परमेश्वर के सामन ेदीन करें ताकक

परमेश्वर [उन्हें] ऊपर उठा दे। उसने सीिाया कक परमेश्वर के सामने नम्रता ज्ञान प्राचप्त के चलए एक मार्ग

है। और जब मसीह के चवश्वासी परमेश्वर के सामने नम्रता के साथ अधीन होते हए आत ेहैं, तो प्राप्त ककए

जाना वाला ज्ञान आनन्द को लेकर आता है, यहााँ तक कक जब वे धीरज के साथ परीिाओं को सामना करत े

हैं।

अभी तक हमन ेयाकूब की पत्री के पररचय में, हमन ेयाकूब की पत्री की पृष्ठभूचम की ओर देिा है।

अब हम इस पत्री की सरंचना और चवषय-वस्ट्तु सूची की जााँच करन ेके चलए तैयार हैं।

सरंचना एवम ्चवषयवस्ट्त ुसचूी जैसा कक हमन ेअभी अभी यह सुझाव कदया है कक याकूब की पत्री अपने बहत बड़े भार् को ज्ञान के

ऊपर अपने ध्यानेाकर्षगत करत ेहए इसका चनपटारा करती है कक जो परीिा के समय में आनन्द प्राप्त

करने का एक मार्ग है। परन्तु ज्ञान के ऊपर यह ध्यानाकषगण इस पुस्ट्तक के उदे्दश्य से और भी बहत कुछ

ज्यादा बातों को समझन ेमें हमारी सहायता करता है। बहत से व्याख्याकारों ने याकूब की पत्री की पुस्ट्तक

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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के बारे में बोला है कक यह नए चनयम की ज्ञान की पुस्ट्तक है। और यह दचृष्टकोण हमारी भी सहायता करता

है कक हम इस पत्री की असामान्य सरंचना और चवषयवस्ट्तु को आत्मसात करें।

चजस समय याकूब ने इस पत्र को चलिा, पुरान ेचनयम से आरम्भ होकर बुचद्ध या प्रज्ञा साचहत्य का

एक लम्बा इचतहास रहा है। पुराने चनयम की पुस्ट्तकों के लेिों में अय्यूब और सभोपदेशक, साथ ही

नीचतवचन के लेि सचम्मचलत हैं और साथ ही कहे जान-ेवाले तथाकचथत बुचद्ध के भजन और

भचवष्यद्वक्ताओं की बुचद्ध की लकोचक्तयााँ सचम्मचलत रही हैं। याकूब कई तरीके से पुरान ेचनयम के इस बुचद्ध

साचहत्य के चलए ऋणी रहा है। उदाहरण के चलए, 5:11 में, याकूब ने अय्यूब के उदाहरण को उपयोर्

ककया है, जो कक अय्यूब की पुस्ट्तक का मुख्य चररत्र है, कक धीरज को बढ़ावा दे। इससे आरे्, याकूब ने ऐसे

चवषयों को स्ट्पशग ककया है जैसे भाषणों, चवधवाओं और अनाथों से साथ व्यवहार, र्रीबी और पिपात

आकद। य ेचवषय नीचतवचन की पुस्ट्तक की चवषय वस्ट्त ुके साथ कई समानान्तरों को प्रदर्शगत करत ेहैं।

जब हम याकूब की पत्री को परूी तरह स ेपढ़त ेहैं, तो एक बात चजस ेहमें एक सामान्य धार् ेके रूप

में देित ेहैं वह शब्द "ज्ञान" या बचुद्ध है। वह स्ट्पष्ट रूप स ेज्ञान को ज्यादा मलू्य देता है – ऊपर स े

आन ेवाला ज्ञान नीच ेके ज्ञान के चवरोध में है। और ज्ञान के ऊपर कदए हए ज्यादा मलू्य और पत्री

की सरंचना हमें सोचन ेपर मजबरू करती है कक उसके जीवन के ऊपर बुचद्ध या प्रज्ञा साचहत्य का

बहत अचधक प्रभाव रहा है जो कक उसके सामन ेआया था। अब, मैं सोचता हूाँ कक हम उसके

उद्धरण में इस ेऔर नीचतवचन की पसु्ट्तक के उपयोर् को बहत ही अचधक स्ट्पष्टता स ेदेित ेहैं, और

उस तरीके को भी चजसमें वह हमारे प्रभु, यीश ुके शब्दों को स्ट्मरण करता है, चजसन ेअक्ट्सर बचुद्ध

के सदंभग में बात की...इसी के साथ, बचुद्ध के चवचारों और बचुद्ध के लिेनकायग में चवकास था, बचुद्ध

का लिेनकायग, दोनों चनयमों के मध्य के समय में एक वास्ट्तचवक सेाहत्यचेक शलैी थी। और मैं

सोचता हूाँ कक हम कुछ ऐस ेही चवषयों को याकूब के बचुद्ध साचहत्य में देित ेहैं। कभी कभी हम

उसी जसैी सरंचना को देित ेहैं। परन्त ुमैं सोचता हूाँ कक बहत स ेचवषय वास्ट्तव में नीचतवचन की

पसु्ट्तक और यीश ुके साथ भी आरम्भ होत ेहैं और इसचलए मैं सोचता हूाँ कक याकूब के ऊपर इसका

बहत बड़ा प्रभाव कदाचचत ्यीश ुऔर नीचतवचन स ेचनकल कर आता है। परन्त ुवह शलैी और

नीचतवचन आधाररत बचुद्ध साचहत्य की महत्वपणूगता सम्पणूग रूप स ेयहूदीवाद के अचद्वतीय

मचन्दर, यीश ुस ेसमय के लर्भर्, याकूब के चलए भी बहत अचधक महत्वपणूग है।

- र्ॉ र्ेचवर् र्ब्लयू चॉपमनै

याकूब की पत्री साथ ही पचवत्रशास्त्र से बाहर की प्रभावशाली पुस्ट्तकें जैसे सीराि का बुचद्ध

साचहत्य, चजस ेसाधारण रूप से सीराि के नाम से भी जाना जाता है, और सुलेमान का बुचद्ध साचहत्य की

पुस्ट्तकों की चवषयवस्ट्तु के प्रभाव को भी प्रदर्शगत करती है। ये पसु्ट्तकें याकूब के कदनों में बहत अचधक

प्रचचलत थी, और उनकी इस पत्र के साथ बहत ही महत्वपूणग समानताएाँ हैं। एक उदाहरण के चलए, 1:26

में सीराि से हम ऐसा पढ़त ेहैं कक:

यकद त ूबचुद्ध की प्राचप्त चाहता है, तो आज्ञाओं को मान और प्रभ ुतझु ेयह दे देर्ा।

और याकूब 1:5 हमें बताया र्या है कक:

पर यकद तमु में स ेककसी को बचुद्ध की घटी हो, तो परमशे्वर स ेमााँर्े, जो चबना उलाहना कदए सब

को उदारता स ेदेता है, और उस को दी जाएर्ी (याकूब 1:5)।

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इस तरह के बुचद्ध साचहत्य के अचतररक्त, यीशु के सुसमाचारों में चलिे हए बहत से चनदेशों के रु्ण

इस्राएल में बुचद्ध साचहत्य की चशिाओं में पाये जात ेथे। और व्याख्याकारों ने याकूब के लेिों और यीशु के

चनदेशों में बहत से सामान्यताओं के ऊपर ध्यान कदया है। उदाहरण के चलए, ध्यान दें, मिी 5:10 के ऊपर,

जहााँ पर यीशु ने कहा कक:

धन्य हैं व,े जो धार्मगकता के कारण सताए जात ेहैं, क्ट्योंकक स्ट्वर्ग का राज्य उन्हीं का है (मिी

5:10)।

इस वचन की तुलना याकूब 1:12 के साथ करें, जहााँ पर याकूब ने चलिा कक:

धन्य है वह मनषु्य जो परीिा में चस्ट्थर रहता है, क्ट्योंकक वह िरा चनकलकर जीवन का वह मकुुट

पाएर्ा चजस की प्रचतज्ञा प्रभ ुन ेअपन ेप्रमे करनेवालों स ेकी है (याकूब 1:12)।

पहली सदी में और इसस ेथोड़ा पहल ेयहूदी धमग के बचुद्ध साचहत्य का याकूब के ऊपर बहत अचधक

प्रभाव पड़ा, चवशषे रूप स ेसासं्ट्कृचतक और साहचत्यक वातावरण के सदंभग में चजसमें वह कायगरत ्

था। सच्चाई तो यह है, कक याकूब और अन्य साचहत्य में दोनों अथागत ्परुान ेचनयम और यहूकदयों के

साचहत्य दोनों में बहत स ेसकेंत और समानताएाँ हैं। आप जानत ेहैं कक याकूब नीचतवचन स ेदो

बार उद्धरण देता है, कम स ेकम एक बार और कदाचचत ्दो बार, और उसन ेबहत स ेसकेंत यीश ु

बेन सीराि स ेचवशषे रूप स ेचलए हैं, एक ऐसा लिेनकायग जो कक नए चनयम के समय में, एक

सदी पहल ेचलिा र्या था...परन्त ुयहााँ पर एक बात याकूब के बारे में है जो कक बचुद्ध के सदंभग में

याकूब के चलए बहत ही चवशषे है, और यह वह है कक, वह अपन ेज्ञान को घचनष्ठता स ेयीश ुकी

चशिाओं के साथ सम्बचन्धत करता है...यीश ुकदाचचत ्नए चनयम में एक सबस ेज्यादा रंर्ीन

उदाहरणों में स ेएक है जो कक ऐस ेजहाजों के साथ चचचत्रत ककया र्या है जो छोटे पतवारों और

ककसानों और यात्रा करत ेहए व्यापाररयों के द्वारा चलाया जा रहा है जो उसकी प्रतीिा धयैग के

साथ कर रहे हैं। यहााँ पर बहत स,े बहत स ेउदाहरण कदए र्ए हैं। यही कुछ बचुद्ध साचहत्य का

प्रभाव है। परन्त ुयाकूब की चवषयवस्ट्त ुसचूी वास्ट्तव में आर् ेकी ओर इस तरह स ेबढ़ रही है

चजसमें यीश ुएक राज्य को और उस तरीके को प्रस्ट्ततु करता है चजसमें राज्य की उपचस्ट्थचत आपके

जीवन को पररवर्तगत कर देती है। - र्ॉ. र्ॉन मकै्काटगन े

क्ट्योंकक याकूब का सम्बन्ध घचनष्ठता के साथ बुचद्ध साचहत्य के साथ है, इसचलए इस पत्री की

सरंचना जैसा क हम अपेिा करत ेहैं उसकी तुलना में बहत अचधक चभन्न है। यहााँ तक कक एक संचिप्त

दचृष्टकोण इस पत्र के ऊपर हमें बताता है कक इसका संर्ठन अत्यन्त साधारण है। सच्चाई तो यह है कक,

हमारे आधचुनक दचृष्टकोण से, यह असंर्रठत प्रतीत कदिाई दे सकता है। बहत कुछ नीचतवचन की पुस्ट्तक

की तरह, याकूब बहत से महत्वपूणग चवषयों को चनपटारा करता है। और अक्ट्सर ककसी दसूरे चवषय की ओर

जाने से पहले कुछ ही वचन इनके चलए देता है। कभी कभी, वह एक या अचधक चवषयों की ओर पत्र के

अन्त में मुड़ता है, परन्तु चबना ककसी सुसंर्त तरीके से। कुछ व्याख्याकारों ने यह सारांश चनकाला है कक

याकूब के पत्र की कोई सरंचना है ही नहीं। उन्होंने सुझाव कदया है कक यह केवल बुचद्ध की बातों का संकलन

मात्र चबना ककसी क्रम और चवचार के बहाव के है।

परन्तु हमें यहााँ पर सावधान रहन ेकी आवश्यकता है। यह पत्र चबना ककसी आदेश के असम्बचन्धत

वचनों को इकट्ठा करके अव्यवचस्ट्थत र्ड़बड़ मात्र नहीं है। यद्यचप याकूब की पत्री की पुस्ट्तक दोनों अथागत्

अपनी सरंचना और चवषयवस्ट्तु सूची में बुचद्ध साचहत्य के साथ समनाताओं में है, पर साथ ही इसमें

चभन्नता कई तरीकों से इसकी साहचत्यक शैली में है। अन्य बुचद्ध साचहत्य के चवपरीत, याकूब की पत्री एक

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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ऐसा पत्र है जो चवशेष कलीचसयाओं को चलिा र्या है। और इसी कारण से, यह नए चनयम की कई अन्य

पचत्रयों के कुछ संर्ठनात्मक रु्णों को प्रचतचबचम्बत करता है।

याकूब की पत्री की संर्ठन या सरंचना के चवषय के ऊपर कुछ ही व्याख्याकारों मेें थोड़ी सी

सहमचत है। परन्तु इस अध्याय के उदे्दश्यों की प्राचप्त के चलए, हमन ेइस पुस्ट्तक को सात िण्र्ों में चवभाचजत

कर कदया है।

∙ याकूब की पत्री का आरम्भ याकूब 1:1 में याकूब के अचभवादन से होता है।

∙ पहला मुख्य चवभाजन इस पुस्ट्तक के मुख्य चवषयों के पररचय के साथ होता है चजस ेहम याकूब की

पत्री 1:2-18 में ज्ञान या बुचद्ध कह कर पुकार सकत ेहैं।

∙ दसूरा मुख्य चवभाजन याकूब 1:19-2:26 में ज्ञान और आज्ञाकाररता के चलए याकूब के सरोकार को

व्यक्त करता है।

∙ तीसरा मुख्य चवभाजन याकूब 3:1-4:12 में मसीही समाज में ज्ञान और शाचन्त का चनष्पादन करता

है।

∙ चौथा मुख्य चवभाजन याकूब 4:13-5:12 में ज्ञान और भचवष्य के ऊपर ध्यानकेचन्रत करता है।

∙ चौथा और पााँचवाेाँ मुख्य चवभाजन इस बात के चलए समर्पगत है चजस ेहम याकूब 5:13-18 में ज्ञान

और प्राथगना कह कर चववरण दे सकत ेहैं।

∙ इन पााँच मुख्य चवभाजनों के पश्चात ्5:19 और 20 में चनष्कषग के रूप में उत्साह कदए जाने वाले

उपदेश हैं।

आइए इनमें से प्रत्येक चवभाजन, को याकूब 1:1 में कदए हए अचभवादन के साथ आरम्भ करत ेहए

चनकटता के साथ देिें।

अचभवादन (1:1)

एक बार कफर से याकूब 1:1 के छोटे नमस्ट्कार को सुने:

परमशे्वर के और प्रभ ुयीश ुमसीह के दास याकूब की ओर स ेउन बारहों र्ोत्रों को जो चततर-चबतर

होकर रहत ेहैं: नमस्ट्कार पहंच े(याकूब 1:1)।

हमें इस बात को िो नहीं देना चाचहए कक कैसे याकूब स्ट्वंय का चववरण यहााँ देता है। वह स्ट्वयं को

"परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास" के रूप में बुलाता है। याकूब स्ट्वयं को कलीचसया के अरु्वे, या

यहााँ तक की यीशु के भाई के रूप में पररचचत कर सकता था। इसकी अपेिा, उसने यहााँ इस बात को कहना

चाहा वह परमेश्वर और मसीह का दास था। यह दोहरा संदभग हो सकता है कक याकूब की नम्रता के चलए

व्यचक्तर्त् कथन हो, जो कक एक ऐसा चवषय है चजस ेउसन ेबाद में अपनी पुस्ट्तक में स्ट्पशग ककया है। यहााँ वह

नम्रता का उदाहरण यह स्ट्पष्ट करत ेहए देता है कक अपने भाई, यीशु का दास था।

इस अचभवादन के पश्चात्, पहला मुख्य चवभाजन का ध्यानाकषगण उसके ऊपर है चजसे हम ज्ञान

और आनन्द कह कर पुकारत ेहैं।

ज्ञान और आनन्द (1:2-18)

याकूब ने अपनी इस पत्री को उन मसीचहयों को चलिा जो कक यरूशलेम से िदेड़ कदए र्ए थ ेऔर

सम्पूणग भूमध्यसार्रीय संसार में चबिरे हए थे। वे चवचभन्न तरह की परीिाओं को सामना कर रहे थे

चजसके चलए कोई सन्देह नहीं है कक वे हतोत्साचहत हो र्ए थे। और इसी कारण से, याकूब के ज्ञान की

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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महत्वपूणगता के चलए प्रथम शब्द आनन्द की बुलाहट के साथ आरम्भ होत ेहैं। सुचनए याकूब 1:2 को जहााँ

पर याकूब अपने पाठकों को ऐसे कहता है:

हे मेरे भाइयों, जब तमु नाना प्रकार की परीिाओं में पड़ो, तो इस ेपरेू आनन्द की बात समझो

(याकूब 1:2)।

यह प्रसंर् हमें अनोिा सा लर् सकता है, चवशेषकर इसचलए क्ट्योंकक यह ऐस ेलोर्ों को सम्बोचधत

ककया र्या है जो कक "नाना प्रकार की परीिाओं" का सामना कर रहे थे। परन्तु याकूब उन्हें आग्रह करता है

कक वे इन परीिाओं को "पूरे आनन्द" की बात समझे यह वैसा असामान्य नहीं है जैसा कक हम सोचत ेहैं।

वाक्ट्य "पूरा आनन्द" यूनानी भावाथग पासान चारन (πᾶσαν χαρὰν) से आता है, चजसका

अनुवाद "पूरे, असीचमत आनन्द" के रूप में ककया जा सकता है। इस तरह का उत्साह याकूब के कदनों में

पाए जान ेवाले अन्य बुचद्ध साचहत्य के साथ सही समानता में आता है। कई बार, बुचद्ध साचहत्य ने उन

लोर्ों को उत्साचहत ककया जो दिु उठान ेके द्वारा स्ट्वयं को आशीचषत समझते थे। उदाहरण के चलए, यीशु

ने मिी 5:12 में धन्य वचनों के अन्त में सताव का सामना करत ेहए इसमें "आनचन्दत और मर्न" होन ेकी

बात की है।

जैसा कक पहले कहा र्या है, कक 1:3-4 में, याकूब ने चशिा दी है कक परीिाओं के द्वारा धीरज

चवश्वाचसयों को "पररपक्व और पूरा" बनाता है। दसूरे शब्दों में, जब परमेश्वर के चलए करठनाईयों का

सामना करत ेहैं, तो वे अपने पूरे र्ील र्ौल में बढ़ते हैं चजसकी चाहत परमेश्वर ने उनके चलए की है। परन्तु

वास्ट्तचवकता यह है, कक यह अकसर बहत ही करठन है यहााँ तक कक सबस ेरं्भीर चवश्वासी के चलए भी यह

देिना करठन बात है कक कैसे दिु में होकर जाना सत्य बात है। इस चलए ही, चबल्कुल ठीक अर्ले वचन में,

याकूब उसके पाठकों को परमेश्वर से आन ेवाली बुचद्ध का अनुसरण करन ेके चलए कहता है। आपको स्ट्मरण

होर्ा कक याकूब 1:5 ऐसे कहता है कक:

पर यकद तमु में स ेककसी को बचुद्ध की घटी हो, तो परमशे्वर स ेमारं्े, जो चबना उलाहना कदए सब

को उदारता स ेदेता है; और उस को दी जाएर्ी (याकूब 1:5)।

वे जो पूरे आनन्द को पाना चाहता है जब वे परीिाओं का सामना कर रहे होत ेहैं तो उन्हें

परमेश्वर से अन्तदृगचष्ट की मांर् करनी चाचहए। उन्हें उस बुचद्ध की आवश्यकता है जो उन्हें यह समझ दे कक वे

कैसे ये परीिाएाँ उनका मार्गदशगन तरक्की के कर रही हैं। और यकद हम इस तरह के ज्ञान को परमेश्वर से

मांरे्, तो वह हमें इसे दे देर्ा। जैसा कक याकूब 1:17 में कहता हआ चला जाता है, कक परमेश्वर उसके

लोर्ों को भले और अच्छे वरदान देता है। याकूब इस िण्र् का अन्त 1:18 में इस पुन: आश्वासान के साथ

करता है:

उस न े[परमशे्वर] अपनी ही इच्छा स ेहमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न ककया, ताकक हम उस की

सचृष्ट की हई वस्ट्तओुं में स ेएक प्रकार के प्रथम फल हों (याकूब 1:18)।

जब हम इस ज्ञान को प्राप्त करत ेहैं जो हमें यह समझ देता है कक कैसे परमेश्वर परीिाओं के द्वारा

कायग करता है, तो हमें आनन्द से भर जाना चाचहए। बुचद्ध हमारे उस भरोसे को सामर्थयग देती है चजस े

परमेश्वर ने हमारे चलए अनन्तकाल के उद्धार की आशीष के चलए चनयुक्त ककया है।

ज्ञान और आनन्द के ऊपर अपने चवचार चवमशग के पश्चात, याकूब ज्ञान और आज्ञाकाररता के मध्य

के सम्बन्ध की ओर बढ़ता है।

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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ज्ञान और आज्ञाकाररता (1:19-2:26)

इस िण्र् में, याकूब ज्ञान और आज्ञाकाररता के ऊपर तीन चरणों में चवचार चवमशग करता है।

1:19-27 में वह सुनते या बात करत ेरहन ेकी अपेिा कमग करन ेकी महत्वपूणगता को पररचचत करत ेहए

आरम्भ करता है।

कमग (1:19-27)

1:22 में हम इस ेपढ़ते हैं:

परन्त ुवचन पर चलनवेाल ेबनो, और केवल सनुनवेाल ेही नहीं जो अपन ेआप को धोिा देत ेहैं

(याकूब 1:22)।

वचन को सुनना ही केवल मात्र अच्छा नहीं है। परमेश्वर की ओर से ज्ञान के वचन चवश्वासयोग्य

आज्ञाकाररता की ओर मार्गदशगन देते हैं। अन्यथा, हम स्ट्वयं को धोिा दे रहे हैं।

जब आप याकूब की पत्री को पढ़त ेहैं तो आप समझ जाते हैं कक वह वास्ट्तव में इन बातों को

व्यवहार के अभ्यास में लाने की आवश्यकता के ऊपर जोर दे रहा है चजन्हें हम कहत ेहैं कक हम चवश्वास

करते हैं। यह पूरी पत्री में एक बहत ही मुख्य चवषय रहा है। हमें एक प्रश्न पूछन ेकी आवश्यकता है, क्ट्यों

याकूब इसके ऊपर जोर दे रहा हैॽ और ऐसा प्रतीत होता है कक पहला उिर यह हो सकता है, कक याकूब

एक वास्ट्तचवक संसार में जीवन यापन कर रहा है, वह वास्ट्तचवक लोर्ों की सेवा कर रहा है, और चजस

संसार में हम जीवन यापन कर रहे हैं जहााँ पर बातचीत बहत हल्की हो सकती है, जहााँ पर यह कहना

बहत आसान है कक हम परमेश्वर में चवश्वास करते हैं और जो उन मान्यताओं के ऊपर चलना अत्यन्त

करठन हो जब उन्हें व्यवहार में लाया जाए। ऐसा प्रतीत होता है कक यह एक चुनौती के समान था न केवल

याकूब के चलए अचपतु यीशु के चलए भी...बात करना वैसा ही नहीं होता जैसा कमग करना होता है। यीशु

इसे जानता था। याकूब उसे जानता था। वे वास्ट्तचवक संसार में वास्ट्तचवक समस्ट्या के साथ वास्ट्तचवक

लोर्ों तक पहाँचने की कोचशश कर रहे थे। - र्ॉ चजम्मी अर्ॉन

याकूब अपने पाठकों से अपेिा करता है कक वे परमेश्वर का वचन सुनने की अपेिा कुछ ज्यादा

करें। वह उनस ेअपेिा करता है कक वे अपने चवश्वास को कायग व्यवहार में लाए। यह चवषय याकूब के चलए

इतना अचधक महत्वपूणग था कक, यद्यचप उसन ेइसे अध्याय 1 और दो में चवचार चवमशग ककया है, वह इसके

ऊपर चनरन्तर अपनी सम्पूणग पत्री में मुड़ता रहता है। उदाहरण के चलए, 3:13 में, एक बार कफर से याकूब

का मूल दचृष्टकोण ज्ञान और आज्ञाकाररता के मध्य के सम्बन्ध की ओर प्रर्ट होता है। याकूब चलिता है:

तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है? जो ऐसा हो वह अपन ेकामों को अच्छे चाल-चलन स े

उस नम्रता सचहत प्रर्ट करे जो ज्ञान स ेउत्पन्न होती है (याकूब 3:13)।

जैसा कक यह वचन इंचर्त करता है, ज्ञान और परमेश्वर की समझ परीिाओं और दिुों में काम

आती है जो कक केवल बौचद्धक चवषय से बढ़कर नहीं है। वे चजनके पास यह होती है वे इन्हें अपने अच्छे

जीवन के द्वारा, अच्छे कायों को...नम्रता में करते हए कदिात ेहैं जो उस ज्ञान से आता है चजसे परमेश्वर

देता है।

इस तरह से, याकूब इस िण्र् का अन्त शुद्ध, या चनमगल भचक्त में कायग व्यवहार में लाने की

आवश्यकता के ऊपर चनष्कषग चनकालते हए करता है:

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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हमारे परमशे्वर और चपता के चनकट शदु्ध और चनमगल भचक्त यह है कक अनाथों और चवधवाओं के

क्ट्लशे में उन की सचुध लें, और अपन ेआप को ससंार स ेचनष्कलकं रिें (याकूब 1:27)।

यीश ुन ेभचक्त के चवषय में िलु्मिुल्ला बोला – चजस ेवह "शदु्ध और चनष्कलकं" कह कर पकुारता

है – ऐसा होन ेके कारण: "अनाथों ओर चवधवाओं के क्ट्लशे में उन की सचुध लें, और अपन ेआप को

ससंार स ेचनष्कलकं रिें।" और हमारी इस ससं्ट्कृचत में, जो कक बहत ज्यादा कई तरीकों स े

भौचतकवादी है, य ेदोनों एक ही चसके्क के दो पहल ूहैं, यह कक एक तरीका चजसमें हम हमारे चारों

के र्रीबों की देिभाल न करन ेके कारण प्रदचूषत हो सकत ेहैं, या उनकी र्रीबी को ककसी अन्य

बात के साथ चमला सकत ेहैं और इनके चवचधवत ्तरीके स ेचनकलन ेवाल ेपररणामों को न देित े

हए, या स्ट्वय ंके ऊपर देित ेहए, चजनके पास साधन हैं, ऐसा अथग चनकालत ेहए, कक इसका अथग

यह है कक हम ककसी तरह स ेसवोिम हैं, या हमारे पास परमशे्वर की आशीषें हैं और र्रीब लोर्ों

के पास नहीं हैं, जबकक वास्ट्तचवकता यह है कक अकसर कई बार जो कुछ आप पात ेहैं वह यह कक

एक र्रीब व्यचक्त का चवश्वास ऐस ेलोर्ों स ेज्यादा शचक्तशाली और ज्यादा प्रमाचणक होता है

चजन्होंन ेउसी ही बात को जो उनके पास थी, स ेदिु नहीं उठाया है। - रेव्ह. र्ॉ. चथरूमान

चवलचेयम्स

कमग की इस पररचयात्मक बुलाहट का अनुसरण करत ेहए, याकूब ने ज्ञान और आज्ञाकाररता के

मध्य के सम्बन्ध के ऊपर 2:1-13 में दी हए पिपात की समस्ट्या के ऊपर ध्यान केचन्रत करत ेहए चवस्ट्तृत

व्याख्या दी है।

पिपात (2:1-13)

याकूब के पाठकों में कुछ लोर् ऐसा प्रतीत होता है कक धनवानों को प्राथचमकता और र्रीबों को

अन्देिा कर रहे थे। और इस िण्र् में, याकूब इस समस्ट्या का समाधान उन्हें उस बात की ओर उचचत ध्यान

देने की बुलाहट देकर कहता है चजसे वह "राजकीय व्यवस्ट्था" कह कर पुकारता है।

2:8 में याकूब कहता है कक:

तौभी यकद तमु पचवत्र शास्त्र के इस वचन के अनसुार कक, "त ूअपन ेपड़ोसी स ेअपन ेसमान प्रमे

रि," सचमचु उस राज व्यवस्ट्था को परूी करत ेहो, तो अच्छा करत ेहो (याकूब 2:8)।

आवश्यक रूप से, धनवानों के पि में र्रीबों को अन्देिा करना "अपने पड़ोसी को प्रेम करने" में

असफलता थी। और याकूब कहता है कक उन्हें पिपात के पाप से राजकीय वे्यवस्ट्था को पूरा करत ेहए

बचना चाचहए।

हम याकूब की धनवान और र्रीब के साथ उनके सम्बन्ध के ऊपर दी र्ई चशिा में, लकूा 16 में

उद्धारकताग की चशिा के वास्ट्तचवक प्रचतचबम्ब को देित ेहैं। याकूब के अध्याय 2 में, वह यह बात

करता है कक कैस,े तमु नहीं जानत ेकक परमशे्वर न ेर्रीब को चनुा है, व ेजो उसको प्रमे करत ेहैं, कक

व ेउसके राज्य के उिराचधकारी हों...धनवान जब मसीही सभाओं में आत ेहैं तो उनके साथ

पिपात कदिाया जाता था। उनके साथ अन्तर कदिाया जाता था - "तमु कुसी ल ेसकत ेहो;

मण्र्ली की सभा में तमु्हारे चलए सबस ेउिम कुसी रिी र्ई है।" और याकूब उन लोर्ों को

चतेावनी देता है जो इस तरीके स ेव्यवहार कर रहे थ,े को स्ट्मरण रिना चाचहए कक र्रीब का

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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परमशे्वर के राज्य में परूा उिराचधकार होर्ा, पूरा अचधकार होर्ा, और इसचलए उन्हें पणूग र्ररमा

और सम्मान और परमशे्वर के लोर्ों के मध्य में पणूग सदस्ट्यता दी जानी चाचहए। -र्ॉ. ग्रेर् परैी

जैसा कक हमन ेदेिा है, कक याकूब की पुस्ट्तक में परमेश्वर की व्यवस्ट्था को लेकर बहत ही

सकेारात्मक ध्यानाकषगण है। याकूब के दचृष्टकोण में, व्यवस्ट्था हमें चसिाती है कक हम एक दसूरे की

देिभाल करें, र्रीब के चलए तरस हो, पिपात से बचें, और इसी तरह की अन्य बातें। परन्तु इस

सकारात्मक दचृष्टकोण को र्लत उपयोर् भी ककया जा सकता है यकद हम सावधान नहीं हैं। आधुचनक

मसीही चवश्वासी अकसर इस बात की ओर संकेत देत ेहैं कक कैस ेपरमेश्वर की व्यवस्ट्था का उपयोर्

परमेश्वर के सामने स्ट्वयं के धार्मगक कामों के द्वारा स्ट्वयं को धमी ठहरान ेऔर कोचशश करन ेके तरीके के

चलए व्यथग ककया र्या है। और हमारे पास परमेश्वर की व्यवस्ट्था के इस दरुूपयोर् को अस्ट्वीकार करन ेका

अचधकार है। परन्तु, इसके चवपरीत, याकूब की पुस्ट्तक व्यवस्ट्था के एक चभन्न पहल ूके ऊपर जोर देती है।

याकूब ने चशिा दी है कक यद्यचप कोई भी व्यवस्ट्था के द्वारा धमी नहीं ठहराया जा सकता है, परमेश्वर की

व्यवस्ट्था हमारे चलए ज्ञान का स्रोत है। और हमें इसकी आज्ञाकाररता में रहना चाचहए। इसमें कोई सन्देह

नहीं है, कक हम व्यवस्ट्था की आज्ञापालन नहीं करते हैं मानो कक हम अभी भी पुरान ेचनयम में समय

व्यतीत कर रहे होें; परन्तु कफर भी हमें परमेश्वर की व्यवस्ट्था को मसीह और नए चनयम की चशिाओं के

प्रकाश में लारू् करना चाचहए। परन्तु वे चजन्होंने मसीह पर उद्धार के चलए भरोसा ककया है व्यवस्ट्था को

परमेश्वर के प्रचत कृतज्ञता कदिाने के चलए पालन करन ेहैं, क्ट्योंकक यह परमेश्वर के ज्ञान का प्रकाशन है। इस

अथग में, याकूब भजन संचहता 19:7-8 की प्रचतध्वचनत करता है जहााँ हम इस तरह से पढ़ते हैं कक:

यहोवा की व्यवस्ट्था िरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के चनयम चवश्वासयोग्य हैं,

साधारण लोर्ों को बचुद्धमान बना देत ेहैं (भजन सचंहता 19;7-8)।

ज्ञान के वचन और पिपात का चवरोध के प्रचत कमग की महत्वपूणगता को परमेश्वर की राजकीय

व्यवस्ट्था का पालन करन ेके द्वारा पररचचत कराने के पश्चात्, याकूब 2:14-26 में चवश्वास और

आज्ञाकाररता के मध्य के सम्बन्ध को सम्बोचधत करता है।

चवश्वास (2:14-26)

2:14 में, याकूब इस प्रश्न को उठाता है:

हे मेरे भाइयों, यकद कोई कहे कक मझु ेचवश्वास है पर वह कमग न करता हो, तो उस स ेक्ट्या लाभ?

क्ट्या ऐसा चवश्वास कभी उसका उद्धार कर सकता है (2:14)।

याकूब इसका उिर रू्ाँजती हई आवाज "नहीं" के रूप में देता है। वह ऐसा कई तरीकों से करता है।

सवगप्रथम, वह यह इंचर्त करता है कक शैतान भी परमेश्वर के बारे में सच्ची बातों पर चवश्वास करता है,

परन्तु इससे उसका कुछ भी लाभ नहीं होता। कफर यह ध्यान देता है कक कैसे अब्राहम के चवश्वास ने उसका

मार्गदशगन आज्ञाकाररता के चलए ककया। और वह यह चववरण देता है कक राहाब ने अपने चवश्वास को भले

कमों के द्वारा प्रदर्शगत ककया। इसचलए, 2:26 में, याकूब इस जाने-पहचान ेचनष्कषग को चनकालता है:

अत:, जसै ेदेह आत्मा चबना मरी हई है वसैा ही चवश्वास भी कमग चबना मरा हआ है (याकूब

2:26)।

याकूब के अनुसार, सही मान्यताओं का होना ही पयागप्त नहीं है। एक चवश्वास जो स्ट्वयं में

आज्ञाकाररता को प्रर्ट नहीं करता है वह मरा हआ है। यह एक बचान ेवाला सच्चा चवश्वास नहीं है।

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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अपने पाठकों को आज्ञाकाररता के जीवन को यापन करन ेके चलए उत्साह भरे उपदेश देन ेके

पश्चात्, याकूब अपने ध्यान को मसीह के अनुयाचययों के मध्य ज्ञान और शाचन्त के मध्य के सम्बन्ध के ऊपर

केचन्रत करता है।

ज्ञान और शाचन्त (3:1-4:12)

4:1 में याकूब के प्रश्न को सुचनए:

तुम में लड़ाइयााँ और झर्ड़े कहााँ स ेआ र्ए? क्ट्या उन सिु- चवलासों स ेनहीं जो तमु्हारे अरं्ों में

लड़त-े चभड़त ेहैं (याकूब 4:1)।

यद्यचप यह वचन इस िण्र् के मध्य में आती है, परन्तु कई तरीकों से सम्पूणग िण्र् इसी ही प्रश्न का

चनपटारा करता है।

इस िण्र् में, याकूब चवश्वाचसयों के मध्य ज्ञान और शाचन्त से सबंद्ध तीन मुख्य चवषयों के ऊपर

ध्यान केचन्रत करता है। सवगप्रथम 3:1-12 में, याकूब अपने ध्यान को जीभ, या शब्दों के हमारे उपयोर् के

ऊपर केचन्रत करता है।

जीभ (3:1-12)

3:4 और 5 में, याकूब जीभ की तुलना जहाज के पतवार के साथ करता है। वह इस ेइस तरीके से

व्याख्या करता है:

[जहाज] यद्यचप ऐस ेबड़े होत ेहैं, और प्रचण्र् वाय ुस ेचलाए जात ेहैं, [तौभी] एक छोटी सी

पतवार के द्वारा माझंी की इच्छा के अनसुार घमुाए जात ेहैं... वसै ेही जीभ भी एक छोटा सा अंर्

है और बड़ी-बड़ी र्ींर् ेमारती है (याकूब 3:4-5)।

तब वचन 6 में, वह आरे् बढ़ता हआ, अपने पाठकों को कहता है कक:

जीभ... [है] भी हमारे अरं्ों में अधमग का एक लोक है। और सारी देह पर कलकं लर्ाती है, और

जीवन-र्चत में आर् लर्ा देती है, और नरक कुण्र् की आर् स ेजलती रहती है (याकूब 3:6)।

याकूब की जीभ की बुराई करन ेकी िमता के चवरोध में दी र्ई चेतावनी बहत कुछ इसी समान है

चजसे हमें नीचतवचन की पुस्ट्तक में पात ेहैं। नीचतवचन जीभ, या भाषण के साथ सम्बचन्धत ितरों के बारे

में भी बहत बार चनपटारा करता है। हम इसके चवषय में नीचतवचन 10:31; 11:12; 15:4; जैसे स्ट्थानों

और अन्य वचनों में पात ेहैं। दोनों याकूब और नीचतवचन यह संकेत देत ेहैं कक शब्द परमेश्वर के लोर्ों के

मध्य में कई तरह की परेशाचनयों की ओर ल ेजा सकत ेहैं। सघंषग से बचन ेऔर शाचन्त में जीवन व्यतीत

करने के चलए, हमें अपने जीभों के ऊपर चनयंत्रण करना चाचहए।

जब हम याकूब की पसु्ट्तक के पास आत ेहैं और हम उसस ेहमारी बोलचाल के बारे में बोलत ेहए

सनुत ेहैं, तो हमें कदाचचत ्यीश ुके शब्दों स्ट्मरण हो आत ेहैं, जब वह यह कहता है कक "जो कुछ

मन में होता है वह मुाँह स ेबाहर चनकल आता है।" और जब याकूब यीशे ुके इन शब्दों के ऊपर

चचन्तन करता है और कलीचसया को चनदेश प्रदान करता है – कक कैस ेहमें मसीह के आर्मन के

प्रकाश में जीवन व्यतीत करना चाचहए और उसके भचवष्य के आर्मन की प्रतीिा करनी चाचहए

– तो याकूब हमारे मनों को नापन ेके चलए एक तरीका हमारे शब्दों के ऊपर ध्यान देन ेके ऊपर

देकर करता है। दसूरे शब्दों में, याकूब एक व्यचक्त के शब्दों को, जीभ को, जो कक शब्दों के चलए

आशचुलचप है, मानो कक एक व्यचक्त के सम्पणूग नचैतक प्राणी के चलए पमैाना है। यह एक तापमान

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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को देती है – दसूरी तरह स ेकहना – यह एक व्यचक्त के मन का तापमान देती है। और इसचलए,

ठीक जसै ेयीश ुकहता है, "जो कुछ मन में होता है वह मुाँह स ेबाहर चनकल आता है," जब याकूब

कहता है कक एक व्यचक्त को अपनी जीभ के ऊपल लर्ाम लर्ानी चाचहए और ऐसा नहीं होना

चाचहए कक एक ही मुाँह स ेआशीष ओर श्राप दोनों चनकल कर आए, तो वह हमें कह रहा है कक

हमारे मन को परमशे्वर के प्रचत परूी तरह स ेसमर्पगत होना चाचहए। हमें दचुचि ेव्यचक्त नहीं होना

चाचहए, अचपत ुहमें, चवश्वास में, मसीह की चशिा को थाम ेरिना चाचहए, और जब हम ऐसा

करत ेहैं, तो हमारे शब्द हमारे भाईयों और बचहनों को श्राचपत करन ेकी अपिेा आशीचषत करना

चाचहए। - र्ॉ. ब्रॉर्मनै र्ी. क्रौवी

ज्ञान और शाचन्त के साथ दसूरा बाँधा हआ चवषय, दो प्रकार के ज्ञान के साथ सचम्मचलत है। हम

3:13-18 में पाते हैं।

दो प्रकार की ज्ञान (3:13-18)

याकूब 3:14-17 में हम चनम्न शब्दों को पढ़त ेहैं:

पर यकद तमु अपन ेअपन ेमन में कड़वी र्ाह और चवरोध रित ेहो... तो यह ज्ञान वह नहीं, जो

ऊपर स ेउतरता है, वरन ्सासंाररक, और शारीररक, और शतैानी है.... पर जो ज्ञान ऊपर स े

आता है वह पचहल ेतो पचवत्र होता है; कफर चमलनसार, कोमल और मदृभुाव और दया और अच्छे

फलों स ेलदा हआ और पिपात और कपट रचहत होता है (याकूब 3:14-17)।

जैसा कक हम यहााँ पर देिते हैं, कक ज्ञान और शाचन्त में सम्बन्ध की व्याख्या करन ेके चलए, याकूब

स्ट्वर्ग से उतरन ेवाले ज्ञान और सांसाररक, और शारीररक, और शैतानी के मध्य में चभन्नता करता है।

सांसाररक ज्ञान कड़वी र्ाह, स्ट्वाथग महत्वकांिा की ओर मार्गदशगन करता है। परन्तु परमेश्वर की ओर से

आने वाला ज्ञान मसीह समाज के चलए शाचन्त लेकर आता है।

याकूब अपने पाठकों को अपनी लड़ाई और झर्ड़े के एक तरफ कर देने के चलए बुलाहट देता है।

वह व्याख्या करता है कक जब हम स्ट्वाथी इच्छाओं के साथ चचपक जात ेहैं तो हमारे मध्य में ककसी भी तरह

की शाचन्त नहीं हो सकती है। सांसाररक ज्ञान, वह चशिा देता है कक "बिेड़ ेऔर हर तरह के दषु्कमग" की

ओर ले चलता है। इस तरह से, याकूब अपने पाठकों को चनदेश देता है कक वे परमेश्वर की ओर से आन ेवाले

ज्ञान के ऊपर चनभगर रहें। जब हम ऐसा करत ेहैं, तो हम शाचन्त को पात ेहैं। जैसा याकूब 3:18 में चलिता

है:

चमलाप करान ेवाल ेधार्मगकता का फल मले- चमलाप के साथ बोत ेहैं (याकूब 3:18)।

4:1-12 में, इस िण्र् में तीसरा चवषय, ज्ञान और शाचन्त में सम्बन्ध के ऊपर आन्तररक संघषग की

ओर देिता है चजसे मसीह के अनुयायी अनुभव करत ेहैं।

आन्तररक संघषग (4:1-12)

याकूब चवश्वाचसयों के मध्य में स्ट्वाथी झर्ड़ों, र्लत उदे्दश्यों और असंतोष के कारण झर्ड़ों का

पता लर्ाता है। याकूब के दचृष्टकोण से, उसके पाठकों में बुरी इच्छाओं ने मसीही समाज को बहत ज्यादा

िचत पहाँचाई थी। वे अपने चाहतों के अधीन थे। और इस कारण से, वे लड़ रहे थे, और लालच कर रहे थ े

और यहााँ तक वे एक दसूरे को नुकसान पहाँचा रहे थे। इसचलए याकूब बड़ी कठोरता के साथ उनसे कहता है

कक उन्हें शाचन्त लाने के चलए क्ट्या करना चाचहए। 4:7-10 में, याकूब कहता है कक:

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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इसचलय ेपरमशे्वर के आधीन हो जाओ... परमशे्वर के चनकट आओ... प्रभ ुके साम्हन ेदीन बनो, तो

वह तमु्हें चशरोमचण बनाएर्ा (4:7-10)।

परमेश्वर के सामन ेकेवल नम्रता से अधीन होना ही उनके झर्ड़ों को समाप्त कर सकता था और

उन्हें एक दसूरे के साथ शाचन्त दे सकता था।

अब, आइए ज्ञान और भचवष्य के मध्य में सम्बन्ध के ऊपर ध्यान दीचजए।

ज्ञान और भचवष्य (4:13-5:12)

ज्ञान और भचवष्य के ऊपर याकूब के चवचार चवमशग को तीन चहस्ट्सों में चवभाचजत ककया जा सकता

है। पहला चहस्ट्सा 4:13-17 में पाया जाता है और उन लोर्ों के साथ चनष्पादन करता है जो कक भचवष्य के

चलए योजनाओं को चनर्मगत कर रहे हैं मानो परमेश्वर के चनयंत्रण में कुछ नहीं है।

योजनाओं को चनर्मगत करना (4:13-17)

ये वचन संकेत देत ेहैं कक याकूब के पाठकों में से बहत से अपने स्ट्वयं के भचवष्य को चनधागररत करन े

के प्रयास में लरे् हए थे। उन्होंने अपने ध्यान को धन इकट्ठा करने के ऊपर केचन्रत कर कदया था, और वे

र्ींर् मारत ेथे कक वे क्ट्या करेंरे् और वे कहााँ जाएाँरे्। इसके प्रचत प्रचतकक्रया स्ट्वरूप, याकूब ने उन्हें स्ट्मरण

कदलाया कक उनके जीवन िणभुंर्र थे। वे संभवत: नहीं जानते थे कक उनके भचवष्य में क्ट्या कुछ है। सुचनए

4:15 और 16 को जहााँ याकूब ने उन्हें ऐसे कहाॽ:

इस के चवपरीत तमु्हें यह कहना चाचहए, "यकद प्रभ ुचाहे तो हम जीचवत रहेंर्े, और यह या वह

काम भी करेंर्।े" पर अब तमु अपनी र्ींर् पर घमण्र् करत ेहो; ऐसा सब घमण्र् बरुा होता है

(याकूब 4:15-16)।

भचवष्य केवल परमेश्वर के चनयंत्रण में है और वे जो बुचद्धमान हैं इसे स्ट्वीकार करत ेहैं।

इस भार् के दसूरे चहस्ट्से में, याकूब ने ज्ञान और भचवष्य के ऊपर अपने ध्यान को थोड़ा से चभन्न

तरीके से केचन्रत ककया है। 5:1-6 में, वह भचवष्य के न्याय के कदन के कारण धन के अपसंचय के चवषय में

उन्हें चेतावनी देता है।

धन का अपसंचय (5:1-6)

याकूब ने बहत बड़ी मात्रा में कई स्ट्थानों पर र्रीबों से व्यवहार करन ेके चवषय में चलिा है। और

उसने लर्ातार उन लोर्ों के धन की चनन्दा की है जो कम भाग्यशाली लोर्ों से लाभ उठाते हैं। इन वचनों

में, याकूब कठोरता से धनवानों को चेतावनी देता है कक चजन्होंने र्रीबों के दम पर धन को इकट्ठा ककया

था। और उन्हें सूचचत करता है कक वे शीघ्र ही दिु का सामना करेंरे्। जैसा वह 5:3 में चलिता है:

तमु्हारे सोन-े चााँदी में काई लर् र्ई है; और वह काई तमु पर र्वाही देर्ी, और आर् के समान

तमु्हारा मासं िा जाएर्ी। तमु न ेअचन्तम यरु् में धन बटोरा है (याकूब 5:3)।

जैसा कक यह प्रसंर् संकेत देता है, कक दसूरे के दम पर धन को एकत्र करना रं्भीर न्याय को लेकर

आएर्ा।

मलू रूप स ेजो कुछ याकूब कह रहा है वह कुछ इस तरह स ेहै जो बहत स ेयहूकदयों चजन्होंन ेउस े

सनुा होर्ा उनके कदमार्-को-चहला देन ेवाला रहा होर्ा। वह मलू रूप स ेउस समझ को उलट देता

है कक इस्राएल में बहत स ेधनी और र्रीबों में सम्बन्ध था, और वह वास्ट्तव में र्रीबों को आशीष

देन ेके चलए बलुाहट देता है और उनके बारे में बोलता है... वह वास्ट्तव में धनी को पश्चाताप और

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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न्याय की अपिेा करन ेके चलए तयैार रहन ेके चलए कहता है...उस न्याय का आधार य ेलोर् होंर् े

जो धन का अपसचंय कर रहे हैं, जो कक मलू रूप स,े यकद आप धन स ेआशीचषत हए हैं, तो

परमशे्वर की इच्छा यह है कक आप इस ेअपन ेपड़ोसी के साथ सांझा करें, परन्त ुव ेइसका

अपसंचय स्ट्वय ंके चलए कर रहे थ।े व ेअपन ेकायगकतागओं को उचचत मजदरूी न देकर उन्हें धोिा दे

रहे थ.े..धन परमशे्वर का उपहार है इसचलए तब इस ेजसैा परमशे्वर चाहता है वसै ेही उपयोर्

ककया जाना चाचहए, न कक स्ट्वय ंके चलए, अचपत ुअन्त में अपन ेपड़ोसी के चलए। दसूरे शब्दों में,

प्रत्यके व्यापार "अपन ेपड़ोसी को अपन ेसमान प्रमे रि," के चसद्धान्त के अनसुार चलता है। -रेव्ह.

र्ेचवर् आई. ऐम. लईुस

ज्ञान और भचवष्य के ऊपर याकूब के चवचार चवमशग का तीसरा चहस्ट्सा, 5:7-12 में पाया जाता है,

जो कक परमेश्वर की भचवष्य की योजना को िोलने के चलए धैयगपूणग प्रतीिा करन ेकी ओर मोड़ देती है।

धैयग सचहत प्रतीिा करना (5:7-12)

याकूब उन लोर्ों की आलोचना करता है चजन्होंन ेअपने चलए योजनाएाँ परमेश्वर के ज्ञान के ऊपर

चनभगर न रहत ेहए बनाई थी। और उसन ेउन्हें चेतावनी दी थी कक वे जो परमेश्वर के ज्ञान को धन का

अपसंचय और र्रीबों का दरुेूपयोर् करत ेहए अन्देिा करेंरे् वे परमेश्वर के न्याय को देिेंरे्। परन्तु इसके

पश्चात्, याकूब उन लोर्ों को उत्साचहत करता है जो धैयग के साथ इचतहास की समाचप्त के चलए परमेश्वर की

प्रतीिा करत ेहैं। सुचनए 5:7 और 8 को जहााँ याकूब इस रूपक का उपयोर् करता है:

इसचलए हे भाइयों, प्रभ ुके आर्मन तक धीरज धरो। देिो, ककसान परृ्थवी की बहमलू्य फसल की

आशा रिता हआ प्रथम और अचन्तम वषाग होन ेतक धीरज धरता है। तमु भी धीरज धरो; और

अपन ेहृदय को दढृ़ करो, क्ट्योंकक प्रभ ुका आर्मन चनकट है (याकूब 5:7-8)।

जैसा कक हमन ेअभी अभी संकेत कदया, इस चहस्ट्स ेमें याकूब के शब्द धन को चेतावनी देन ेसे बहत

ज्यादा प्रभाव र्ालते हैं। वे साथ ही र्रीब और सताए हओं को उत्साचहत करते हैं। याकूब का उसके पाठकों

के चलए कठोरता से भरा हआ स्ट्मरण कदलाता है कक न्याय का कदन आन ेवाला है। और उस समय, वे जो

चवश्वासयोग्यता के साथ परमेश्वर के ऊपर चनभगर रहे हैं, उन्हें पुरस्ट्कार कदया जाएर्ा। इस तरह से, वह

चवश्वासयोग्य चवश्वाचसयों को परमेश्वर के ज्ञान के मार्ग पर चलने के चलए, अपने चवश्वास के अंर्ीकार में,

भचवष्य के चलए परमेश्वर की अचन्तम भव्य योजना के आलोक में जीवन यापन करन ेके चलए उत्साचहत

करता है।

अपने पाठकों को यह व्याख्या कर लेने के पश्चात ्कक कैस ेज्ञान आनन्द के साथ, आज्ञाकाररता के

साथ, और भचवष्य के साथ सम्बचन्धत है, याकूब की पुस्ट्तक का समापन ज्ञान और प्राथगना के एक संचिप्त

व्यवहाररक उपयोर् के साथ होता है।

ज्ञान और प्राथगना (5:13-18)

याकूब के पाठक कई तरह के चवषयों का चनष्पादन कर रहे थे। वे अपने घरों से चबिरे हए थे। धनी

र्रीबों का दमन कर रहे थे। वे एक दसूरे के साथ बहस कर रहे और ठेस पहाँचा रहे थ।े ऐसा प्रतीत होता है,

कक उनमें से कई अपनी स्ट्वाथी इच्छाओं के अधीन थे। और जीवन यापन करन ेके ऐसे तरीकों को प्राप्त

करने में करठनाई का सामना कर रहे थे जो उनके चवश्वास के अंर्ीकार के साथ चमलता हो। इसचलए, इस

अचन्तम भार् में, याकूब ने उन्हें सीिाया कक मसीहेी समाज में क्ट्या ककया जाना चाचहए जब वे इन

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याकूब की पत्री अध्याय एक: याकूब की पत्री का पररचय

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चलचचत्र, अध्ययन मार्गदर्शगका एवं कई अन्य संसाधनों के चलये, हमारी वेबसाइट में जायें - थर्ग चमलेचनयम चमचनस्ट्रीज़ ऐट थर्ग चमलेचनयम

संघषों का सामना करत ेहैं। अपनी पत्री के आरम्भ में जैसे उनसे चशिा दी है उसी के समान, यहााँ याकूब

उन्हें चनदेश देता है कक वे स्ट्वयं को प्राथगना करने में समर्पगत करें। परेशानी या आनन्द के समय में, जब वे

बेीमारी से संघषगरत् हों, यहााँ तक कक बेीमारी ककसी एक व्यचक्तर्त ्पाप के कारण आई होें, तो वे

चजनके पास ज्ञान हो प्राथगना करें। सुचनए 5:13 और 14 को जहााँ पर याकूब उसके पाठकों को ऐसे कहता

है:

यकद तमु में कोई द:ुिी है, तो वह प्राथगना करे। यकद आनचन्दत है, तो वह स्ट्तचुत के भजन र्ाए।

यकद तमु में कोई रोर्ी है, तो कलीचसया के प्राचीनों को बलुाए, और व ेप्रभ ुके नाम स ेउसके चलय े

प्राथगना करें (याकूब 5:13-14)।

स्ट्पष्ट है कक, याकूब अपने पाठकों से अपेिा करता है कक वे प्रत्येक पररचस्ट्थचत में परमेश्वर के चनकट

ज्ञान को पान ेके चलए आ जाए। इसका कारण पयागप्त रूप से वचन 16 में स्ट्पष्ट है चहााँ पर याकूब ने ऐसे

कहा:

धमी जन की प्राथगना के प्रभाव स ेबहत कुछ हो सकता है (याकूब 5:16)।

धैयग और परीिाओं में बुलाहट देन ेके साथ अपनी पत्री के मुख्य चहस्ट्से को समाप्त कर लेन ेके

पश्चात्, याकूब अपने पत्र को उत्साह के उपदेश के साथ समाप्त करता है।

अचन्तम उपदशे (5:19-20)

5:19 और 20 में, याकूब अपने पाठकों से आग्रह करता है कक एक दसूरे की देिभाल ककया करो

और उन्हें वापस चवश्वास में ले आए जो सत्य से भटक र्ए हैं। वह उन्हें स्ट्मरण कदलाता है, कक चवश्वास के

समाज में भाई और बचहन होन ेके नाते, यह उनका दाचयत्व और सौभाग्य है कक लोर्ों को चवश्वास में पुन:

लौटा ले आन ेके चलए मार्गदशगन कदया जाए ताकक वे सच में बचा चलए जाएेाँ।

साराशं याकूब की पत्री के पररचय में, हमन ेइस पुस्ट्तक की पृष्ठभूचम को देिा और लेिक, पाठक और

चलिने के अवसर के ऊपर ध्यान कदया। हमन ेइस पत्री की सरंचना और चवषयवस्ट्तु का पता लर्ाया और

यह देिा कक कैसे यह पुस्ट्तक नए चनयम में परीिा के द्वारा हताशा का सामना करत ेहए चवश्वाचसयों के

चलए आनन्द, आज्ञाकाररता, शाचन्त और भचवष्य और प्राथगना के चलए बुचद्ध साचहत्य की एक पुस्ट्तक के

रूप में कायग करती है।

याकूब की पत्री की पुस्ट्तक ने पहली सदी के चवश्वाचसयों को परमेश्वर के ज्ञान को पाने के चलए

चुनौती दी ताकक जब वे परीिाओं को सहन करते हैं तो उन्हें आनन्द प्राप्त हो सके। इसमें कोई सन्देह नहीं

है, कक आप और मैं याकूब के मूल पाठकों से चभन्न पररचस्ट्थचतयों में जीवन यापन करत ेहैं। परन्तु हम भी

परीिाओं का सामना करत ेहैं, हमें भी परमेश्वर की ओर से ज्ञान की आवश्यकता है चजसस ेहम इन

परीिाओं को चनष्पादन कर सकें । याकूब के पहले पाठकों की तरह ही, हमें पूरे आनन्द की आवश्यकता है

चजसे परमेश्वर का ज्ञान लेकर आता है। यद्यचप, इस अध्याय में, हमन ेकेवल उन बातों को स्ट्पशग ककया है

चजनका प्रस्ट्ताव यह पुस्ट्तक देती है, एक बात स्ट्पष्ट हो जानी चाचहए: याकूब की पत्री प्रत्येक युर् के चलए

एक बुचद्धमानी से भरे हए जीवन को यापन करने के चलए मार्ग को प्रशस्ट्त करती है। और चजतना अचधक

हम इस पुस्ट्तक को हमारे जीवनों में लारू् करते हैं, उतना अचधक हम पूरे आनन्द की आशीषों को प्राप्त

करते हैं चजस ेपरमेश्वर उसके लोर्ों को देन ेका प्रस्ट्ताव देता है, चाहे ककसी भी तरह की परीिा या

परेशानी को हम क्ट्यों न सामना करें।