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http://www.mpboardonline.com MP BOARD CLASS 10 SOCIAL SCIENCE MODEL PAPER 1 WITH ANSWER :: खड-:: वत नठ - 1. रयत थान की ऩ नति कीजजए : (1) ............... के नेत व भ बायत की रयमासत का वरीनीकयण का कामि सऩन ह आ। (2) बायत की वाधीनता के सभम ........ बायत के वाइसयाम थे। (3) सवोच मामारम ................ मामारम बी है। (4) सॊववधान भ बायत को ............... कहा गमा है। (5) शिा एवॊ वाम .............. अधोसॊयचना के अॊग है। 2. सही ववकऩ च नकय शरखखए : () झडा समाह का ायब भमदेि के कस िहय से ह आ था - (i) इदौय (ii) जफरऩ (iii) सागय (iv) बोऩार () कभिवीय' नाभक सभाचाय ऩ कहाॉ से काशित होता था ? (i) हयदा, (ii) इदौय (iii) खडवा (iv) बोऩार () सॊववधान भ भौशरक अधकाय की सॊमा है - (i) 4 (ii) 5 (iii) 6 (iv) 9 () वव तय ऩय ऩहरा ब -शिखय सभेरन आमोजजत ह आ था - (i) जाऩान (माकोहाभा) ( ii) बायत (फगर ) (iii) ाजीर (रयमोडडजेननयो) (iv) .एस.. (माकि ) () 1857 के सॊाभ को 'सैननक ववोह' की सॊऻा द- (i) टिि इनतहासकाय ने (ii) दाभोदय सावयकय ने (iii) डरहौजी ने (iv) फहाद य िाह ने 3. सम/असम फताइए () चयण ऩाद का गोरीकाॊड को भमदेि का जशरमाॉवारा फाग के नाभ से बी जाना जाता है। http://www.mpboardonline.com () उऩादक काम भ ऩ जी रगाने को ववननमोग कहा जाता है। () वकशसत देि भ अधधकाॊि जनसॊमा ाथशभक े से ज डी यहती है। () शिक, डॉिय, वकीर की सेवाएॉ उऩादन भ म ऱऩ से मोगदान देती ह। () बायत भ येरवे णारी का ायब 1837 भ ह आ। 4. सही जोडी फनाइमे ।

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MP BOARD CLASS 10 SOCIAL SCIENCE MODEL PAPER 1 WITH ANSWER

:: खण्ड-अ ::

वस्तुननष्ठ प्रश्न - प्रश्न 1. रयक्त स्थानों की ऩूनत ि कीजजए : (1) ............... के नेततृ्व भें बायत की रयमासतों का ववरीनीकयण का कामि सम्ऩन्न हुआ।

(2) बायत की स्वाधीनता के सभम ........ बायत के वाइसयाम थे।

(3) सवोच्च न्मामारम ................ न्मामारम बी है।

(4) सॊववधान भें बायत को ............... कहा गमा है।

(5) शिऺा एवॊ स्वास््म .............. अधोसॊयचना के अॊग है।

प्रश्न 2. सही ववकल्ऩ चुनकय शरखखए :

(अ) झण्डा सत्माग्रह का प्रायम्ब भध्मप्रदेि के ककस िहय से हुआ था - (i) इन्दौय (ii) जफरऩुय (iii) सागय (iv) बोऩार

(फ) कभिवीय' नाभक सभाचाय ऩत्र कहाॉ से प्रकाशित होता था?

(i) हयदा, (ii) इन्दौय (iii) खण्डवा (iv) बोऩार

(स) सॊववधान भें भौशरक अधधकायों की सॊख्मा है-

(i) 4 (ii) 5 (iii) 6 (iv) 9

(द) ववश्व स्तय ऩय ऩहरा बू-शिखय सम्भेरन आमोजजत हुआ था- (i) जाऩान (माकोहाभा) (ii) बायत (फैंगरुरु) (iii) ब्राजीर (रयमोडडजेननयो) (iv) मू.एस.ए. (न्मूमाकि )

(इ) 1857 के सॊग्राभ को 'सैननक ववद्रोह' की सॊऻा दी- (i) ब्रब्रटिि इनतहासकायों ने (ii) दाभोदय सावयकय ने (iii) डरहौजी ने (iv) फहादयु िाह ने प्रश्न 3. सत्म/असत्म फताइए्

(अ) चयण ऩादकुा गोरीकाॊड को भध्मप्रदेि का जशरमाॉवारा फाग के नाभ से बी जाना जाता है। http://www.mpboardonline.com

(फ) उत्ऩादक कामों भें ऩूॉजी रगाने को ववननमोग कहा जाता है।

(स) ववकशसत देिों भें अधधकाॊि जनसॊख्मा प्राथशभक ऺेत्र से जुडी यहती है।

(द) शिऺक, डॉक्िय, वकीर की सेवाएॉ उत्ऩादन भें प्रत्मऺ रूऩ से मोगदान देती हैं।

(इ) बायत भें येरवे प्रणारी का प्रायम्ब 1837 भें हुआ।

प्रश्न 4. सही जोडी फनाइमे ।

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(अ) कोणाकि (1) भारदीव

(फ) ऩेरयमाय (2) फाॊग्रादेि

(स) डडजजिर चार्टिस (3) छत्तीसगढ़

(द) भुजक्त वाटहनी सेना (4) केयर

(इ) शबराई इस्ऩात कायखाना (5) सूमि भजन्दय प्रश्न 5. प्रत्मेक का एक वाक्म/िब्द भें उत्तय दीजजए: (अ) अचानक उत्ऩन्न होने वारी प्राकृनतक आऩदाएॉ कौनकौनसी हैं ? कोई दो शरखखए।

(फ) बायत भें भौशरक अधधकायों का सॊयऺक कौन है?

(स) नगयऩाशरका औय नगय ननगभ के ववशबन्न ऺेत्रों के ननवािधचत प्रनतननधध को क्मा कहते हैं?

(द) भानव ववकास सूचकाॊक की गणना ककसके आधाय ऩय की जाती है? कोई एक शरखखए।

(इ) याष्रीम उऩबोक्ता टदवस कफ भनामा जाता है?

खण्ड (फ) प्रश्न 6. बायत भें ऩाई जाने वारी शभर्टटिमों के नाभ शरखखए।

अथवा बौभ-जर क्मा है? प्रश्न 7. सहामक सॊधध क्मा थी? इसे ककसने रागू ककमा था?

अथवा फटहष्काय का अथि स्ऩष्ि कीजजए। प्रश्न 8. वस्तु ववननभम की प्रणारी की भुख्म सभस्मा क्मा थी?

अथवा धचि-पण्ड ऩय सॊक्षऺप्त टिप्ऩणी शरखखए। प्रश्न 9. सेवा-ऺेत्र क्मा है?

अथवा ऻान आधारयत सभाज ककसे कहते हैं? प्रश्न 10. उऩबोक्ता िोषण से क्मा आिम है?

अथवा काराफाजायी ककसे कहते हैं? प्रश्न 11. जरोढ़ शभर्टिी की वविेषताएॉ शरखखए।

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अथवा कारी शभर्टिी की कोई दो वविेषताएॉ शरखखए। प्रश्न 12. खयीप व यफी की पसरों भें अन्तय शरखखए।

अथवा श्वेत क्राजन्त व ऩीत क्राजन्त भें अन्तय स्ऩष्ि कीजजए। प्रश्न 13. सन ्1857 की क्राजन्त के याजनीनतक कायण फताइए।

अथवा बायत भें फसने वारे मूयोवऩमों ने इल्फिि ब्रफ ॊर का ववयोध क्मों ककमा? प्रश्न 14. बायत भें याष्रीम जागनृत के कायणों का उल्रेख कीजजए।

अथवा "चन्द्रिेखय आजाद एक वीय स्वतॊत्रता सेनानी थे। '' ववस्ताय से सभझाइए। प्रश्न 15. स्वाशभत्व के आधाय ऩय उद्मोगों के ककतने प्रकाय हैं?

अथवा औद्मोधगक प्रदषूण अथवा प्रदषूण के प्रकायों ऩय प्रकाि डाशरए। प्रश्न 16. अन्तयािष्रीम व्माऩाय को प्रबाववत कयने वारे चाय कायकों को सभझाइमे।

अथवा बायत भें ननमाित सॊवद्िधन के शरए ककए गए प्रमासों का वणिन कीजजए। (कोई 4) प्रश्न 17. फाढ़ आऩदा के शरए उत्तयदामी कायणों का वणिन कयते हुए उसके ननमन्त्रण के उऩाम फताइए।

अथवा बायत भें बूकम्ऩ प्रबाववत ऺेत्रों का वणिन कीजजए। प्रश्न 18. बायतीम स्वतन्त्रता अधधननमभ 1947 के प्रभुख प्रावधानों का वणिन कीजजए।

अथवा बायत छोडो आन्दोरन की असपरता के क्मा कायण थे? (कोई 4) प्रश्न 19. तािकन्द सभझौता क्मा है? इसकी िते शरखखए?

अथवा आऩातकार ककतने प्रकाय के होते हैं? उनका वणिन कीजजए। प्रश्न 20. बायत भें नागरयकों के भौशरक अधधकायों का वणिन कीजजए। (कोई 4)

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अथवा बायत भें नागरयकों के भूर कतिव्मों को शरखखए। (कोई 8) प्रश्न 21. वैश्वीकयण की प्रकक्रमा को प्रोत्साटहत कयने वारे चाय कायकों की वववेचना कीजजए। 4

अथवा शभधित अथिव्मवस्था के ककन्हीॊ चाय दोषों की वववेचना कीजजए। प्रश्न 22. बायत के सीभाकाय भानधचत्र भें ननम्न को दिािइए-

(1) बाखडा-नॊगर फाॉध, (2) कच्छ का यन, (3) ककि येखा, (4) हजीया-जगदीिऩुय गैस ऩाइऩराइन, (5) आनन्द- अहभदाफाद दगु्ध ऩाइऩराइन।

अथवा ननम्नशरखखत भौसभ सम्फन्धी सॊकेतों को अऩनी उत्तय ऩुजस्तका भें दिािइए- (1) िान्त (2) रशरत वामु (3) धीय सभीय (4) अल्ऩफर सभीय ( 5 ) सफर सभीय। प्रश्न 23. झण्डा सत्माग्रह ककस प्रकाय हुआ? वणिन कीजजए।

अथवा भध्मप्रदेि का याष्रीम आन्दोरन भें क्मा मोगदान यहा है? वणिन कीजजए। प्रश्न 24. सन ्1965 के बायत-ऩाककस्तान मुद्ध के ऩरयणाभ शरखखए।

अथवा बायत भें ऩयभाणु नीनत के शसद्धान्तों को सभझाइए। प्रश्न 25. सवोच्च न्मामारम की िजक्तमों का वणिन कीजजए।

अथवा भॊत्री ऩरयषद के कामों का वणिन कीजजए। प्रश्न 26. बायत भें फेयोजगायी दयू कयने के उऩामों का वणिन कीजजए।

अथवा भादक ऩदाथों का ियीय ऩय क्मा प्रबाव होता है? शरखखए।

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ANSWER

:: खण्ड (अ) :: उत्तय-1. 1. सयदाय वल्रब बाई, 2. रॉडि भाउण्िफेिन,

3. अशबरेख, 4. याज्मों का सॊघ, 5. साभाजजक। उत्तय-2. (अ)-(ii), (फ)-(iii), (स)-(iii), (द)-(iii), (इ)-(i)। उत्तय-3. (अ) सत्म, (फ) सत्म, (स) असत्म, (द) सत्म, (इ) असत्म। उत्तय-4. (अ) 5, (फ) 4, (स) 1, (द) 2, (इ) 3 उत्तय-5. (अ) बूकम्ऩ, ज्वाराभुखी, (फ) उच्चतभ न्मामारम (सुप्रीभ कोिि), (स) ऩाषिद, (द) आधथिक ववकास के आधाय ऩय, (इ) 24 टदसम्फय को।

:: खण्ड (फ) :: प्रश्न 6. बायत भें ऩाई जाने वारी शभर्टटिमों के नाभ शरखखए। उत्तय- बायत भें ऩाई जाने वारी शभर्टटिमाॉ हैं- जरोढ़ शभर्टिी , कारी शभर्टिी , रैिेयाइि शभर्टिी ,

भरुस्थरीम शभर्टिी एवॊ ऩवितीम शभर्टिी।

अथवा बौभ-जर क्मा है? उत्तय- वषाि जर का कुछ बाग बूशभ द्वाया सोख शरमा जाता है। सोखा हुआ कुछ जर धयातर के नीचे अबेद्म चर्टिानों तक ऩहुॉचकय एकत्र हो जाता है। इसे बौभ जर कहते हैं। इसे कुओॊ औय र्टमूफवेरों के द्वाया धयातर ऩय रामा जाता है , जजसका उऩमोग ऩीने , शसॊचाई,

उद्मोग, धन्धे आटद के शरए ककमा जाता है। http://www.mpboardonline.com प्रश्न 7. सहामक सॊधध क्मा थी? इसे ककॊ सने रागू ककमा था? उत्तय- सहामक सॊधध ब्रब्रटिि साम्राज्म के ववस्ताय का अप्रत्मऺ तयीका था। मह व्मवस्था रॉडि वेरेजरी ने रागू की थी।

अथवा फटहष्काय का अथि स्ऩष्ि कीजजए। उत्तय- फटहष्काय का अथि ववदेिी वस्तुओॊ के फटहष्काय के साथ-साथ सयकायी सेवाओॊ , प्रनतष्ठानों तथा उऩाधधमों का फटहष्काय कयना था। प्रश्न 8. वस्तु ववननभम की प्रणारी की भुख्म सभस्मा क्मा थी? उत्तय- वस्तु ववननभम की प्रणारी की भुख्म सभस्मा थी कक कोई ऐसा व्मजक्त शभरे , जो एक व्मजक्त द्वाया उत्ऩाटदत वस्तु को स्वीकाय कये एवॊ फदरे भें उसकी आवश्मकता की वस्तु को उऩरब्ध कयाए।

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अथवा धचि-पण्ड ऩय सॊक्षऺप्त टिप्ऩणी शरखखए। इस ऩय 30 िब्द शरखखए। उत्तय- धचि-पण्ड- धचि-पण्ड मोजनाओॊ का दक्षऺण बायत के याज्मों भें रम्फा इनतहास यहा है। दक्षऺण बायत के गाॉवों भें मह फहुत रोकवप्रम है। महाॉ मह सॊगटठत औय असॊगटठत दोनों रूऩों भें सॊचाशरत है। धचि-पॊ ड बायत भें ऩामी जाने वारी एक प्रकाय की फचत मोजना है। इसभें ननधािरयत सॊख्मा भें सदस्म फनामे जाते हैं। मे सदस्म ऩूवि ननधािरयत सभम अन्तयार के फाद एक ननजश्चत स्थान ऩय एकब्रत्रत होकय , तमिुदा धनयाशि एक स्थान ऩय एकब्रत्रत कयते हैं। कपय इस एकब्रत्रत धनयाशि की सदस्मों के फीच नीराभी की जाती। इस नीराभी भें जो सदस्म सफसे ऊॉ ची फोरी रगाता है , उसे एकब्रत्रत धनयाशि सौंऩ दी जाती है। इस प्रकाय की धचि-पण्ड मोजनाएॉ। ककसी ऩॊजीकृत ववत्तीम सॊस्था मा कुछ शभत्र मो रयश्तेदाय आऩस भें शभरकय बी चराते हैं। उद्देश्म भें शबन्नता के साथ अरग-अरग तयह की अनेक धचि-पॊ ड मोजनाएॉ देि भें चर यही हैं। प्रश्न 9. सेवा-ऺेत्र क्मा है? उत्तय- ततृीमक ऺेत्र की गनतववधधमों से वस्तुओॊ के स्थान ऩय सेवाओॊ का सजृन होता है , अत् इसे “सेवा-ऺेत्र' कहा जाता है।

अथवा ऻान आधारयत सभाज ककसे कहते हैं? उत्तय- ऻान आधारयत सभाज- वह सभाज जजसभें सबी कक्रमाएॉ उऩरब्ध ऻान के आधाय ऩय सॊचाशरत होती हैं। दयूसॊचाय तकनीक के ववस्ताय से ऻान आधारयत सभाज की। धायणा का ववकास हुआ है। प्रश्न 10. उऩबोक्ता िोषण से क्मा आिम है? उत्तय- उऩबोक्ता िोषण से अशबप्राम कभ वज़न तौरना , अधधक कीभत वसूरना , शभराविी एवॊ दोषऩूणि वस्तुएॉ फेचना, भ्रशभत ववऻाऩन देकय उऩबोक्ता को गुभयाह कयना आटद है।

अथवा काराफाजायी ककसे कहते हैं? उत्तय- काराफाजायी- जफ उत्ऩादक एवॊ व्माऩायी आवश्मक वस्तुओॊ की जभाखोयी कय रेते हैं तो इन वस्तुओॊ का भूल्म फाजाय भें फढ़ जाता है। मटद सयकाय इन वस्तुओॊ की यािननॊग कय देती हैं तो मही वस्तुएॉ कारे फाजाय भें ब्रफकने के शरए आ जाती हैं , इसे ही काराफाजायी कहते हैं।

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प्रश्न 11. जरोढ़ शभर्टिी की वविेषताएॉ शरखखए। उत्तय- जरोढ़ शभर्टिी- इसे कॉऩ , दोभि, कछायी मा चीका शभर्टिी बी कहा जाता है। इसका ननभािण नटदमों द्वाया ऩवितों से फहाकय राए गए अवसादों के ननऺेऩण से हुआ है। इसभें नाइरोजन, पॉस्पोयस औय वनस्ऩनत अॊिों की कभी है। ककन्तु ऩोिाि औय चूना ऩमािप्त भात्रा भें ऩामा जाता है। मह शभर्टिी दो प्रकाय की होती है- फाॊगय औय खादय। बायत भें जरोढ़ भदृा 40 प्रनतित ब-ूबाग ऩय ऩाई जाती है। इसका ववस्ताय सम्ऩूणि उत्तयी-बायत के भैदान , डले्िाई बाग तथा तिीम बागों भें ऩामा जाता है। उत्तय-बायत का भैदान जरोढ़ भदृा का भैदान कहराता है। मह फहुत उऩजाऊ भदृा है।

अथवा कारी शभर्टिी की कोई दो वविेषताएॉ शरखखए। उत्तय- (1) कारी शभर्टिी का ननभािण रावा के प्रवाह से हुआ है। अत् इसभें भैग्भा के अॊि रोहा व एल्मूभीननमभ की प्रधानता ऩामी जाती है।

(2) इसभें अधधक सभम तक नभी धायण कयनी की ऺभता होती है। प्रश्न 12. खयीप व यफी की पसरों भें अन्तय शरखखए। उत्तय- खयीप व यफी की पसर भें अन्तय ननम्न हैं- खयीप पसर यफी पसर

1. मह. वषाि ऋतु भें फोई जाती है। 1. मह ियद ऋतु भें फोई जाती है।

2. मे पसरें ियद ऋतु भें काि री जाती हैं। 2. मे पसरें फसॊत ऋतु भें काि री जाती हैं।

3. मे पसरें वषाि ऩय ननबिय होती हैं। 3. मे पसरें शसॊचाई ऩय ननबिय होती हैं।

4. इन पसरों का प्रनत हेक्िेमय उत्ऩादन कभ होता है।

4. इन पसरों का प्रनत हेक्िेमय उत्ऩादन अधधक होता है।

अथवा श्वेत क्राजन्त व ऩीत क्राजन्त भें अन्तय स्ऩष्ि कीजजए। उत्तय- श्वेत क्राजन्त व ऩीत क्राजन्त भें अन्तय - http://www.mpboardonline.com

श्वेत क्राजन्त ऩीत क्राजन्त

1. श्वेत क्राजन्त का ऩि-ु ऩारन से ननकि का सम्फन्ध है।

1. ऩीत क्राजन्त का सम्फन्ध खाद्म तेरों औय नतरहन पसरों से है।

2. इसे ऑऩयेिन फ्रड के नाभ से जाना जाता है। 2. इसे ऩीरी क्राजन्त के नाभ से जाना जाता है।

3. श्वेत क्राजन्त का अथि है डमेयी ववकास कामिक्रभों के द्वाया दधू उत्ऩादन भें वदृ्धध।

3. खाद्म तेरों औय नतरहन पसरों के उत्ऩादन के ऺेत्र भें अनुसन्धान औय ववकास कयने की यणनीनत को ऩीत क्राजन्त कहते हैं।

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प्रश्न 13. सन ्1857 की क्राजन्त के याजनीनतक कायण फताइए। उत्तय- याजनीनतक कायण- रॉडि डरहौजी की नीनतमों के ऩरयणाभस्वरूऩ अॊगे्रजों का याजनैनतक प्रनतयोध प्रायम्ब हुआ। उसकी साम्राज्मवादी नीनत तथा हडऩनीनत ने बायतीम याजाओॊ औय देिी याज्मों की प्रजा को ब्रब्रटिि ववयोधी फना टदमा था।

अथवा बायत भें फसने वारे मूयोवऩमों ने इल्फिि ब्रफर का ववयोध क्मों ककमा? उत्तय- रॉडि रयऩन ने जातीम बेदबाव दयू कयने के शरए एक कानून फनाने का प्रमास ककमा। इसे इल्फिि नाभक सदस्म ने तैमाय ककमा था , अत् इसे इल्फिि ब्रफर कहा जाता है। इसके द्वाया भजजस्रेि औय सेिन जज को पौजदायी भुकदभों भें मूयोऩीम रोगों की सुनवाई का अधधकाय टदमा जाना था। इल्फिि ब्रफर प्रजातीम बेदबाव की नीनत को उजागय कयता था। बायतीम न्मामाधीिों को मूयोऩीम अऩयाधधमों का भुकदभा सुनने का अधधकाय नहीॊ था। इस बेदबाव को दयू कयने के शरए इल्फिि ब्रफर का सॊगटठत होकय ववयोध ककमा। इसे कारा कानून भाना, अत् इल्फिि ब्रफर वाऩस रेना ऩडा। प्रश्न 14. बायत भें याष्रीम जागनृत के कायणों का उल्रेख कीजजए। उत्तय- बायत भें याष्रीम जागनृत भें ननम्नशरखखत कायणों का भहत्त्वऩूणि मोगदान था 1.

याजनीनतक कायण- अॊगे्रजी सयकाय ने साम्राज्म की एकता औय सुयऺा को भजफूत फनाने के शरए सम्ऩूणि देि भें एक जैसा प्रिासन स्थावऩत ककमा। अॊगे्रजों द्वाया आयम्ब ककए। गए एकीकृत िासन से बायतवासी एक सूत्र भें फॊधे तथा उनभें जागरूकताॊ आमी। 2. धाशभिक एवॊ साभाजजक ऩुनजािगयण- उन्नीसवीॊ िताब्दी के आन्दोरन भूर रूऩ भें साभाजजक औय धाशभिक थे, ऩयन्तु उनभें याष्रीमता की बावनाओॊ का सभावेि था। 3. ऩाश्चात्म शिऺा , सॊस्कृनत औय ववचायकों का प्रबाव- अॊगे्रजी शिऺा ने बायतीमों को ववदेिी फन्धन से भुक्त होने की पे्रयणा दी। ऩाश्चात्म शिऺा ने बायतीमों को याष्रीमता , स्वतन्त्रता, सभानता औय रोकतॊत्र जैसे आधुननक ववचायों से अवगत कयामा।

अथवा "चन्द्रिेखय आजाद एक वीय स्वतॊत्रता सेनानी थे। ववस्ताय से सभझाइए। उत्तय- चन्द्रिेखय आजाद 14 वषि की अल्ऩ आमु भें असहमोग आन्दोरन से जुड।े धगयफ्ताय होने ऩय अदारत भें उन्होंने अऩना नाभ आजाद , वऩता का नाभ स्वतॊत्रता औय घय का ऩता जेरखाना फतामा। तबी से चन्द्रिेखय के नाभ के साथ आजाद जुड गमा। क्राजन्तकायी ववचायधाया के कायण वे रम्फे सभम तक गाॊधीजी के भागि ऩय नहीॊ चर सके , वे क्राजन्तकायी िीगुप्त के सम्ऩकि भें आए औय फाद भें ऩॊ. याभप्रसाद ब्रफजस्भर के नेततृ्व भें उन्होंने मुग की भहान क्राजन्तकायी घिना “काकोयी काण्ड ' भें टहस्सा शरमा। जफ ऩुशरस ने आजाद का ऩीछा ककमा तो वे फचकय ननकर गए।

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उत्तय बायत की ऩुशरस आजाद के ऩीछे ऩडी थी। दर के साथी ववश्वासघात कय चुके थे ,

जजससे वे धचजन्तत औय ऺुब्ध थे। इधय ब्रब्रटिि सयकाय की दभनकायी नीनत के कायण औय अनेक क्राजन्तकायी नेताओॊ की भतृ्मु से क्राजन्तकायी आन्दोरन को फहुत ऺनत हुई। उत्तय बायत भें क्राजन्त की फागडोय चन्द्रिेखय आजाद , मिऩार औय बगवती चयण के हाथों भें आ गई। क्राजन्तकारयमों ने अॊगे्रजी हुकूभत से फदरा रेने के शरए वामसयाम रॉडि डयववन की रेन को उडाने की मोजना फनाई। फभ का ववस्पोि हुआ ककन्तु वामसयाम फच गमा। चन्द्रिेखय आजाद ने इराहाफाद के अल्रेड ऩाकि भें क्राजन्त की मोजना फनाने के शरए 27 पयवयी 1931 भें क्राजन्तकारयमों की एक फैठक फुराई ककन्तु दबुािग्म से अॊगे्रजी ऩुशरस ने उन्हें घेय शरमा। आजाद ने अजन्तभ ऺण तक अॊगे्रजी शसऩाटहमों से रोहा शरमा , ककन्तु उन्हें जफ रगा कक वे फच नहीॊ ऩामेंगे तो उन्होंने स्वमॊ को गोरी भाय री औय अॊतत् वे वीय गनत को प्राप्त हुए। प्रश्न 15. स्वाशभत्व के आधाय ऩय उद्मोगों के ककतने प्रकाय हैं? उत्तय- स्वाशभत्व के आधाय ऩय उद्मोग ननम्नशरखखत चाय प्रकाय के होते हैं - (i) ननजी उद्मोग- जो व्मजक्तगत स्वाशभत्व के होते हैं।

(ii) सयकायी उद्मोग- जो सयकाय के स्वाशभत्व के होते (iii) सहकायी उद्मोग- जो सहकायी स्वाशभत्व के होते (iv) शभधित उद्मोग- जो उऩमुिक्त भें से ककन्हीॊ दो मा अधधक के स्वाशभत्व होते हैं।

अथवा औद्मोधगक प्रदषूण अथवा प्रदषूण के प्रकायों ऩय प्रकाि डाशरए। उत्तय- वामु, जर औय बूशभ भें ककसी बौनतक , यासामननक अथवा जैववक अनचाहे ऩरयवतिन से ,

जजससे प्राणी भात्र का स्वास््म, सुयऺा औय कल्माण को प्रबावी तौय से हानन ऩहुॉचती हो , तो उसे प्रदषूण कहते हैं। भनुष्म ने अऩनी भौशरक आवश्मकताओॊ की ऩूनत ि के शरए औद्मोधगक कायखानों की स्थाऩना की। औद्मोधगक प्रगनत ने अथिव्मवस्था को ववकशसत व उन्नत फनाने भें जहाॉ अऩना भहत्वऩूणि सहमोग टदमा , वहीॊ दसूयी ओय ऩमािवयण सॊफॊधी ऐसी कटठनाइमों को जन्भ टदमा, जो आज ववकयार रूऩ से हभाये सभऺ खडी है।

औद्मोगीकयण से होने वारे प्रभुख प्रदषूण ननम्नशरखखत

(i) वामु प्रदषूण- कायखानों से ननकरने वारी हाननकायक गैसें व धुआॉ वामु प्रदषूण का प्रभुख कायण हैं। ववशबन्न उद्मोगों से होने वारे प्रदषूण की भात्रा एवॊ प्रकृनत , उद्मोग के प्रकाय ,

प्रमुक्त होने वारे कच्चे भार एवॊ ननभािण आटद ऩय ननबिय कयती है। इस दृजष्ि से कऩडा उद्मोग, यासामननक उद्मोग , धातु उद्मोग , तेर िोधक एवॊ चीनी उद्मोग अन्म उद्मोगों की अऩेऺा अधधक प्रदषूण पैराते हैं। इन उद्मोगों से वामुभण्डर भें , काफिन डाइ ऑक्साइड , काफिन

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भोनोऑक्साइड, सल्पय डाई ऑक्साइड , धूर आटद हाननकायक व ववषैरे तत्व शभर जाते हैं , जो वामु को प्रदवूषत कयते हैं।

(ii) जर प्रदषूण- जरे जीवन का आधाय है। जर भें अवाॊनछत तत्वों का शभिण जर को प्रदवूषत कय देता है। औद्मोधगक उत्ऩादन हेतु कायखानों भें जर का उऩमोग ककमा जाता है। औद्मोधगक प्रकक्रमा के दौयान जर भें अनेक हाननकायक ऩदाथि , रवण, अम्र, यसामन तथा गैसें घुरशभर जाती हैं। उद्मोगों से ननकरा हुआ मह जर जरािमों अथवा नटदमों भें जाकय शभरता है। इस जर का उऩमोग , सम्ऩकि प्राखणमों औय वनस्ऩनतमों के शरए घातक होता है। औद्मोधगक अऩशिष्िों के सागयों व भहासागयों भें डारने से सभुद्री जर बी प्रदवूषत हो जाता है।

(iii) बूशभ प्रदषूण- बूशभ एक सीशभत सॊसाधन है। इसके दरुुऩमोग के ऩरयणाभ बमॊकय हो सकते हैं। औद्मोधगक अऩशिष्ि का बूतर ऩय पैराव बूशभ प्रदषूण का कायण फनता है। इस प्रकाय के अऩशिष्ि भें अनेक ऐसे ऩदाथि होते हैं , जो प्राकृनतक रूऩ भें घटित नहीॊ होते तथा इनका प्रकृनत भें ऩुन् चक्रीकयण नहीॊ होता , जजससे बूशभ की गुणवत्ता भें कभी आती है , इसे बूशभ प्रदषूण कहते हैं। औद्मोधगक कचये भें यासामननक दगुिन्धमुक्त , ज्वरनिीर ववषैरे ऩदाथि ऩमािवयण को ऺनत ऩहुॉचाते हैं। बूशभ प्रदषूण को ‘भदृा प्रदषूण’ बी कहते हैं।

(iv) ध्वनन प्रदषूण- वातावयण भें ऐसी कोई बी ध्वनन , जो कानों को वप्रम न रगे , भानशसक कक्रमाओॊ भें फाधा डारे अथाित ् ‘िोय' ही ध्वनन प्रदषूण का भुख्म रूऩ है। उद्मोगों भें अनेक प्रकाय की भिीनें प्रमोग की जाती हैं , जजनसे ननयन्तय िोय होता यहता है। इसके अनतरयक्त कायखानों भें जनयेिय बी चराए जाते हैं , इन सबी से ननयन्तय औय अधधक िोय होता है। इससे इनभें कामि कयने वारे िशभक अनेक भानशसक योगों तथा फहयेऩन के शिकाय हो जाते हैं। प्रश्न 16. अन्तयािष्रीम व्माऩाय को प्रबाववत कयने वारे चाय कायकों को सभझाइमे। उत्तय- अन्तयािष्रीम व्माऩाय को प्रबाववत कयने वारे कायक-

(i) जस्थनत- जो देि सॊसाय के व्माऩारयक भागों ऩय जस्थत होते हैं , उनकी व्माऩारयक उन्ननत िीघ्र होती है।

(ii) किा-पिा सभुद्र ति- जजन देिों का सभुद्र ति फहुत किा-पिा होता है , वहाॉ उन्नत फॊदयगाह ववकशसत होते हैं, रोग साहसी औय अच्छे नाववक होते हैं।

(iii) प्राकृनतक साधन- ककसी देि का व्माऩाय वहाॉ के प्राकृनतक साधनों की शबन्नता से प्रबाववत होता है। प्राकृनतक साधनों भें देि की जरवामु , वन, कृवष मोग्म बूशभ , कृवष उऩजें , खननज आटद सजम्भशरत ककमे जाते हैं। इन्हीॊ साधनों ऩय उत्ऩादन ननबिय कयता है।

(iv) आधथिक ववकास- सबी देिों के आधथिक ववकास की जस्थनत एक सभान नहीॊ होती। जो देि आधथिक प्रगनत भें आगे है, उनका व्माऩाय अधधक उन्नत होता है।

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अथवा बायत भें ननमाित सॊवद्िधन के शरए ककए गए प्रमासों का वणिन कीजजए। (कोई 4 ) उत्तय- बायत भें ननमाित सॊवद्िधन के शरए ककए गए प्रमास ननम्नशरखखत हैं - (i) ववशबन्न सॊगठनों की स्थाऩना- बायत सयकाय ने ननमाित के शरए फाजाय खोजने , घयेरू भार का ववदेिों भें प्रचाय कयने तथा ननमाितकों को सुववधा देने के शरए ववदेिी व्माऩाय सॊस्थान ,

आमात-ननमाित सराहकाय ऩरयषद् , याजकीम व्माऩाय ननगभ , ननमाित सॊवद्िधन ऩरयषद , सूती वस्त्र ननगभ, जूि ननगभ, ननमाित-आमात फैंक की स्थाऩना की है।

(ii) व्माऩाय ववकास सॊस्था- ननमाित सॊवद्िधन के ऺेत्र भें कामियत ववशबन्न सॊस्थाओॊ भें सभन्वम स्थावऩत कय आवश्मक सेवाएॉ उऩरब्ध कयने हेतु व्माऩाय ववकास सॊस्था को स्थावऩत ककमा गमा।

(iii) याजकीम व्माऩाय ननगभ की स्थाऩना- ननमाित के ववववधीकयण , ववद्मभान फाजाय को ववस्ताय देने एवॊ ननमाित कय आवश्मक सेवाएॉ उऩरब्ध कयने हेतु व्माऩाय ववकास सॊस्था को स्थावऩत ककमा गमा।

(iv) ननमाितगहृों की स्थाऩना- भान्मता प्राप्त सॊस्थाओॊ को ननमाित सॊवद्िधन के शरए ववऩणन ववकास ननधध से आधथिक सहामता प्रदान कयाने हेतु इसकी स्थाऩना की गई। बायत भें सात ननमाित सॊसाधन ऺेत्र हैं- काॊडरा (गुजयात), साॊताकू्रज (भहायाष्र), कोजच्च (केयर), चैन्नई (तशभरनाडु), नोएडा (उत्तयप्रदेि) , पाल्िा (ऩजश्चभी फॊगार) , वविाखाऩर्टिनभ ्(आन्रप्रदेि)। महाॉ कस्िभ जक्रमयेंस की सुववधाएॉ हैं। प्रश्न 17. फाढ़ आऩदा के शरए उत्तयदामी कायणों का वणिन कयते हुए उसके ननमन्त्रण के उऩाम फताइए। उत्तय- फाढ़ आऩदा के शरए उत्तयदामी कायक हैं-

(i) तिफॊध िूिने , फाॉध िूिने औय फयाज से अधधक ऩानी छोड ेजाने के कायण फाढ़ आती है। अवववेकऩूणि तयीके से तिफॊधों का ननभािण होने , ऩुयाने व जीणि हो यहे फाॉधों के कायण फाढ़ आने का खतया फढ़ जाता है।

(ii) टहभारम ऺेत्र भें फहने वारी नटदमों से शभर्टिी औय गाद ऩानी के साथ घुरकय एवॊ फहकय भैदानों एवॊ सभुद्र तिीम ऺेत्रों भें जभा हो जाती है , जजससे नटदमों का तर उठ जाता है औय उनकी जर धाया ही फाढ़ का रूऩ धायण कय रेती है।

(iii) ऩवितीम ऺेत्रों भें सडकों के ननभािण , वन किाई , अननमजन्त्रत खनन से ऩहाडों की बूशभ अजस्थय हो गई है, जजससे फाढ़ आने की सॊबावना फढ़ जाती है।

(iv) ऩवितीम ऺेत्रों भें बूस्खरन द्वाया नदी का भागि अवरूद्ध होने से जरािम फन जाते हैं औय कपय उनके अचानक िूिने से प्ररमॊकायी फाढे़ आती हैं।

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अथवा बायत भें बूकम्ऩ प्रबाववत ऺेत्रों का वणिन कीजजए। उत्तय-बायत भें बूकम्ऩ प्रबावी ऺेत्र- बूकम्ऩ के ववतयण एवॊ प्रबाव के आधाय ऩय बायत को ऩाॉच ऺेत्रों भें फाॉिा जाता है-

1. अत्मधधक प्रबाववत ऺेत्र

2. अधधक खतया प्रबाववत ऺेत्र

3. भध्मभ प्रबाववत ऺेत्र

4. ननम्न खतया प्रबाववत ऺेत्र

5. साभान्म ऺेत्र।

देि भें सफसे खतया प्रबाववत ऺेत्र हैं- टहभारम , जजसके अॊतगित टहभाचर प्रदेि , उत्तयाखॊड, उत्तय ब्रफहाय तथा ऩूवोत्तय बायत िाशभर है। इसके अनतरयक्त कच्छ एवॊ कोकण ति बी अधधक खतया प्रबाववत ऺेत्र हैं। भध्मबायत , याजस्थान, भहायाष्र, कनाििक, उडीसा, तशभरनाडु, आॊरप्रदेि,

झायखॊड तथा छत्तीसगढ़ बूकम्ऩ से कभ प्रबाववत ऺेत्र हैं। देि के अन्म बाग भध्मभ खतयनाक ऺेत्र के अॊतगित हैं। प्रश्न 18. बायतीम स्वतन्त्रता अधधननमभ 1947 के प्रभुख प्रावधानों का वणिन कीजजए। उत्तय- बायतीम स्वतन्त्रता अधधननमभ भें कुर 20 धायाएॉ तथा दो ऩरयशिष्ि थे। इसके प्रभुख प्रावधान ननम्नशरखखत-

1. बायत के दो अधधयाज्मों- बायत औय ऩाककस्तान भें फाॉिना था , गवनिय जनयर ने 15 अगस्त 1947 को बायत का दानमत्व बायतीम नेताओॊ को सौंऩा जाना तम ककमा।

2. अधधननमभ के अनुसाय प्रत्मेक अधधयाज्म भें एक गवनिय जनयर होगा , जजसकी ननमुजक्त ब्रब्रटिि सम्राि कयेंगे। http://www.mpboardonline.com

3. दोनों अधधयाज्मों की सीभाएॉ ननधािरयत की गमीॊ। इसके अनतरयक्त जनभत सॊग्रह के आधाय ऩय फॊगार , ऩॊजाफ तथा असभ के ववबाजन तथा उनकी सीभाओॊ के ननधाियण के सम्फन्ध भें फातें तम की गमीॊ।

4. दोनों अधधयाज्मों की सॊववधान सबाओॊ को अऩना सॊववधान फनाने का अधधकाय होगा। जफ तक दोनों याज्म नमा सॊववधान नहीॊ फना रेते हैं , तफ तक 1935 के बायत िासन अधधननमभ के द्वाया ही िासन होना था।

5. बायत सधचव का ऩद सभाप्त कयके उसके स्थान ऩय याष्रभण्डर सधचव की ननमुजक्त का प्रावधान यखा गमा।

अथवा

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बायत छोडो आन्दोरन की असपरता के क्मा कायण| (कोई 4) उत्तय- आन्दोरन की असपरता के कायण-

(1) सॊगठन तथा ननजश्चत मोजना का अबावबायत छोडो आन्दोरन आयम्ब कयने से ऩूवि भहात्भा गाॉधी ने इसकी कोई स्ऩष्ि मोजना नहीॊ फनामी थी कक इसे ककस प्रकाय सॊचाशरत ककमा जामेगा।

(2) ब्रब्रटिि िासन का िजक्तिारी होना- एक कायण ब्रब्रटिि िासन को आन्दोरनकारयमों की अऩेऺा अत्मधधक िजक्तिारी होना था। आन्दोरनकारयमों के ऩास धन तथा अस्त्र-िस्त्रों का अबाव था, अत् उन्हें ब्रफना अस्त्र, िस्त्र के ऩुशरस तथा सेना का साभना कयना ऩडता था।

(3) याष्रीम नेताओॊ को फन्दी फनामा जाना- ब्रब्रटिि सयकाय ने प्रभुख याष्रीम नेताओॊ को अचानक धगयफ्ताय कय शरमा था , जजससे जनता सभुधचत भागिदििन प्राप्त नहीॊ कय सकी तथा आन्दोरन को गहया आघात रगा।

(4) भुजस्रभ रीग की याजनीनत- भुजस्रभ रीग ने भुसरभानों को आन्दोरन से ऩथृक यहने का ऩयाभिि टदमा , जजससे भुसरभानों ने आन्दोरन भें बाग नहीॊ शरमा। इससे बी आन्दोरन ऩय गहया आघात रगा। प्रश्न 19. तािकन्द सभझौता क्मा है? इसकी िते शरखखए? उत्तय- बायत-ऩाक मुद्ध ववयाभ के फावजूद मुद्ध ऺेत्रों भें झडऩें फॊद नहीॊ हुई थीॊ। इस जस्थनत को सभाप्त कयने के शरए सोववमत सॊघ ने वविेष रुधच री। सोववमत सॊघ ने दोनों ऩऺों को वाताि के शरए तािकन्द आभॊब्रत्रत ककमा। 4 जनवयी 1966 को ऩाककस्तान के याष्रऩनत अमूफ खाॉ तथा बायत के प्रधानभॊत्री रारफहादयु िास्त्री के भध्म तािकन्द भें वाताि आयॊब हुई। अॊतत् 19 जनवयी 1966 को ऐनतहाशसक तािकन्द सभझौते ऩय दोनों ऩऺों ने हस्ताऺय ककए जजसे तािकन्द सभझौते के नाभ से जाना जाता है।

तािकन्द सभझौते की िते ननम्नशरखखत हैं- 1. दोनों ऩऺों ने अच्छे ऩडोशसमों जैसे सॊफॊध ननभािण कयने ऩय सहभनत व्मक्त की।

2. दोनों ऩऺों ने मह सहभनत व्मक्त की कक वे 5 अगस्त 1965 के ऩूवि जजस जस्थनत भें थे वहाॉ अऩनी सेनाओॊ को वाऩस फुरा रेंगे। दोनों ऩऺ मुद्ध ववयाभ येखा ऩय मुद्ध ववयाभ की ितों का ऩारन कयेंगे।

3. दोनों ऩऺों ने एक-दसूये के आॊतरयक भाभरों भें हस्तऺेऩ न कयने , एक-दसूये के ववरुद्ध प्रचाय को ननरुत्साटहत कयने तथा ऩुन् याजननमक सॊफॊधों की स्थाऩना कयने का ननणिम शरमा। इसके अनतरयक्त आधथिक , व्माऩारयक, साॊस्कृनतक सॊफॊधों को भधुय फनाने ऩय बी सहभनत व्मक्त की गमी।

अथवा

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आऩातकार ककतने प्रकाय के होते हैं? उनका वणिन कीजजए। उत्तय-आऩातकार तीन प्रकाय के होते हैं- (अ) याष्रीम आऩातकार- बायत के याष्रऩनत मटद सॊतुष्ि हो जामे कक जस्थनत फहुत ववकि हैं तथा बायत अथवा उसके ककसी बाग की सुयऺा खतये भें है। मुद्ध अथवा फाहयी आक्रभण मा ऺेत्र के अॊतगित सिस्त्र ववद्रोह के कायण सभस्मा ववकि हो सकती है। तफ याष्रऩनत ऐसी जस्थनत उत्ऩन्न होने से ऩहरे बी आऩातकार की घोषणा कय सकता है। वतिभान भें याष्रऩनत ऐसी सॊकिकारीन घोषणा केवर भॊत्रीभण्डर की शरखखत अनुिॊसा ऩय ही कय सकता है।

(फ) याज्म भें सॊवैधाननक तॊत्र की ववपरता से उत्ऩन्न आऩातकार-याष्रऩनत ककसी याज्म के याज्मऩार की रयऩोिि ऩय मा ककसी अन्म प्रकाय से सॊतुष्ि हो जामे कक वहाॉ याज्म का िासन ववधधऩूविक चरामा नहीॊ जा सकता है। ऐसी जस्थनत भें याष्रऩनत आऩातकार की घोषणा कय सॊवैधाननक तॊत्र की ववपरता को योकने का प्रमास कयता है।

(स) ववत्तीम सॊकि-मटद याष्रऩनत सॊतुष्ि हो जाए कक बायत अथवा इसके ककसी बाग की ववत्तीम जस्थनत मा साख को खतया है तो वह ववत्तीम सॊकि की घोषणा कय सकता है। प्रश्न 20. बायत भें नागरयकों के भौशरक अधधकायों का वणिन कीजजए। (कोई 4) उत्तय- नागरयकों के सवाांगीण ववकास हेतु भौशरक अधधकाय आवश्मक हैं , इसीशरए बायतीम सॊववधान भें नागरयकों के भौशरक अधधकायों का प्रावधान है। इनका हनन होने ऩय नागरयक उच्च अथवा सवोच्च न्मामारम की ियण रे सकता है , ककन्तु इन अधधकायों को सॊकिकार भें प्रनतफजन्धत ककमा जा सकता है। सन ्1976 भें सॊववधान के 42वें सॊिोधन भें 10 भूर कतिव्मों को जोडा गमा है।

नागरयकों के भौशरक अधधकाय ननम्नशरखखत हैं - बायतीम सॊववधान द्वाया नागरयकों को एक स्वतन्त्र तथा ववकासिीर जीवन प्रदान कयने के शरए भौशरक अधधकाय प्रदान ककए गए हैं। सॊववधान द्वाया नागरयक को छ् भौशरक अधधकाय प्रदान ककए गए हैं , जो ननम्न हैं- 1. सभानता का अधधकाय- बायतीम सॊववधान भें कानून के साभने सबी नागरयक सभान हैं। धभि, जानत, शरॊग, बाषा, जन्भ आटद की दृजष्ि से ककसी बी तयह की असभानता को नहीॊ भाना गमा है।

2. स्वतन्त्रता का अधधकाय- बायतीम नागरयकों को बाषण देने , िाजन्तऩूणि सम्भेरन कयने ,

इच्छानुसाय व्माऩायव्मवसाम कयने, ककसी बी धभि का ऩारन कयने आटद की स्वतन्त्रता है।

3. िोषण के ववरुद्ध अधधकाय- अगय ककसी बी व्मजक्त का िायीरयक , बावनात्भक, भानशसक,

आधथिक मा ककसी बी तयह का िोषण ककमा जाता है , तो उसके ववरुद्ध मह व्मजक्त कानून की सहामता रेकय िोषण से भुक्त हो जाता है।

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4. धाशभिक स्वतन्त्रता का अधधकाय- व्मजक्त अऩनी इच्छानुसाय ककसी बी धभि को अऩना सकता है, उसका ऩारन कय सकता है।

अथवा बायत भें नागरयकों के भूर कतिव्मों को शरखखए। (कोई 8) उत्तय- नागरयकों के भूर कत्तिव्म ननम्नशरखखत हैं- 1. सॊववधान का वह ऩारन कयें औय उसके आदिों , सॊस्थानों, याष्रध्वज औय याष्रगान का आदय कयें।

2. स्वतन्त्रता के शरए हभाये याष्रीम आन्दोरन को पे्ररयत कयने वारे उच्च आदिों को रृदम भें सॊजोए यख उनका ऩारन कयें।

3. बायत की सम्प्रबुता, एकता औय अखण्डता, की यऺा कयें एवॊ उसे अऺुण्ण यखें।

4. देि की यऺा कयें औय आव्हान ककए जाने ऩय उसकी सेवा कयें।

5. बायत के सबी रोगों भें सभयसता औय सभान भ्राततृ्व की बावना का ननभािण कयें जो धभि , बाषा औय प्रदेि मा वगि ऩय आधारयत सबी बेदबाव से ऩये हो। ऐसी प्रथाओॊ का त्माग कयें ,

जो जस्त्रमों के सम्भान के ववरुद्ध हो।

6. हभायी साभाजजक सॊस्कृनत की गौयविारी ऩयम्ऩया का भहत्त्व सभझे औय ऩयीऺण कयें।

7. प्राकृनतक ऩमािवयण की , जजसके अन्तगित वन , झीर, नदी औय वन्म जीव हैं , उनकी यऺा कयें तथा उनका सॊवद्िधन कय प्राणीभात्र के प्रनत दमा यखें।

8. वैऻाननक दृजष्िकोण, भानववाद, ऻानाजिन औय सुधाय की बावना का ववकास कयें। प्रश्न 21. वैश्वीकयण की प्रकक्रमा को प्रोत्साटहत कयने वारे चाय कायकों की वववेचना कीजजए। उत्तय- वैश्वीकयण एक ऐसी प्रकक्रमा है , जजसके अॊतगित सबी व्माऩारयक कक्रमाओॊ का अॊतयािष्रीमकयण हो जाता है। औय वे एक इकाई के रूऩ भें कामि कयने रगती हैं। वैश्वीकयण को प्रोत्साटहत कयने वारे तत्व ननम्नशरखखत हैं- (1) तकनीकी ऻान का ववस्ताय- वऩछरे 50 वषों भें तकनीकी ऻान का तेजी से ववकास हुआ है। ऩरयवहन प्रौद्मोधगकी ने अफ रम्फी दयूी तक वस्तुओॊ को कभ रागत ऩय बेजना सॊबव फनामा है। दयूसॊचाय सुववधाओॊ , जैसे- इॊियनेि , भोफाइर पोन , पैक्स आटद ने ववश्वबय भें एक-दसूये से सम्ऩकि कयने के कामि को सयर फना टदमा है। सॊचाय उऩग्रहों ने इस सुववधाओॊ का ववस्ताय कय क्राॊनतकायी ऩरयवतिन कय टदमा है। परत् वैश्वीकयण का तेजी से ववस्ताय हुआ है।

(2) उदायीकयण की प्रकक्रमा - फीसवीॊ िताब्दी के भध्म तक उत्ऩादन भुख्मत् देिों की सीभाओॊ के अन्दय ही सीशभत था। अनेक देिों ने अऩने द्वाया उत्ऩाटदत वस्तुओॊ को ववदेिी प्रनतमोधगता से फचाने के शरमे अनेक प्रकाय के कठोय प्रनतफन्ध रगा टदमे थे। बायत ने बी

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1950 एवॊ 1960 के दिकों भें केवर अननवामि वस्तुओॊ जैसे भिीनयी , उवियक औय ऩेरोशरमभ के आमात की ही अनुभनत दी थी। इस नीनत से देि भें अनेक उद्मोगों का ववकास हुआ औय बायत अनेक ऺेत्रों भें आत्भननबिय फन गमा। ककन्तु 1970 एवॊ 1990 के दिकों भें अनेक ऐसे ऩरयवतिन हुए , जजनसे ववदेिी व्माऩाय को उदाय फनाने की प्रकक्रमा प्रायॊब हुई। सन ् 1995 भें ववश्व व्माऩाय सॊगठन की स्थाऩना के फाद प्राम् ववश्व के सबी देिों ने अऩने आमात कयों भें कभी की है औय अऩने देि के फाजाय को अन्म देिों के शरमे खोर टदमा है।

(3) प्रनतमोधगता एवॊ फाजाय का ववस्ताय – ऩूॊजीवादी आधथिक प्रणारी भें प्रनतमोधगता का वविेष भहत्व है। इस प्रणारी भें ववशबन्न उत्ऩादक कम्ऩननमाॉ फाजायों ऩय कब्जा कयने के उद्देश्म से प्रनतमोधगता का सहाया रेती हैं। इसके शरमे मे कम्ऩननमाॉ कीभत कभ कयने के साथ-साथ ववऻाऩनों एवॊ प्रचाय-प्रसाय के ववशबन्न भाध्मभों का उऩमोग कयती हैं।

(4) फहुयाष्रीम कम्ऩननमों का ववस्ताय- दयूस्थ देिों को आऩस भें जोडने भें फहुयाष्रीम कम्ऩननमों का वविेष भहत्व है। मे कम्ऩननमाॉ उन देिों भें उत्ऩादन के शरए कायखाने स्थावऩत कयती हैं, जहाॉ उन्हें सस्ता िभ एवॊ अन्म साधन शभरते हैं। इससे उत्ऩादन रागत भें कभी आती है। तथा कम्ऩननमों की प्रनतमोधगता कयने की ऺभता फढ़ जाती है।

फहुयाष्रीम कम्ऩननमाॉ केवर वैजश्वक स्तय ऩय ही अऩने उत्ऩादन नहीॊ फेचतीॊ , वयन ्अधधक भहत्वऩूणि मह है कक वे वस्तुओॊ औय सेवाओॊ का उत्ऩादन ववश्व स्तय ऩय कयती हैं।

अथवा शभधित अथिव्मवस्था के ककन्हीॊ चाय दोषों की वववेचना कीजजए। उत्तय- शभधित अथिव्मवस्था के दोष- शभधित अथिव्मवस्था भें ऩामे जाने वारे प्रभुख दोष ननम्नशरखखत हैं- 1. दफुिर एवॊ अकुिर प्रणारी-शभधित अथिव्मवस्था भें ऩामे जाने वारे साविजननक ऺेत्र एवॊ ननजी ऺेत्र ऩूणित् ववऩयीत ऩद्धनत से कामि कयने वारे ऺेत्र हैं , जजसके कायण इनभें उधचत साभॊजस्म स्थावऩत नहीॊ हो ऩाता। ऩरयणाभस्वरूऩ अथिव्मवस्था का कुिर सॊचारन नहीॊ हो ऩाता औय दोनों ऺेत्र ऩयस्ऩय ऩूयक न फनकय प्रनतस्ऩधाि फन जाते हैं। अत् इसे एक दफुिर औय अकुिर प्रणारी भाना जाता है। http://www.mpboardonline.com

2. याष्रीमकयण का बम-शभधित प्रणारी भें ननजी ऺेत्र को सदैव याष्रीमकयण का बम फना यहता है। इस बम के कायण उद्मशभमों भें ववननमोग के प्रनत वविेष रुधच एवॊ पे्रयणा उत्ऩन्न नहीॊ हो ऩाती। याष्रीमकयण के बम के कायण ववदेिी उद्मभी बी इन देिों भें अऩनी ऩूॉजी का ननवेि नहीॊ कयते।

3. अकुिरता-शभधित अथिव्मवस्था भें ऩूॉजीवादी एवॊ सभाजवाद दोनों के दोष ववद्मभान यहते हैं। इस प्रणारी भें न तो ननमोजन तॊत्र ठीक ढॊग से कामि कय ऩाता है औय न ही फाजाय मॊत्र कक्रमािीर हो ऩाता है।

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4. ननजी ऺेत्र को प्रोत्साहन नहीॊ-इस प्रणारी भें सयकाय साविजननक ऺेत्र को अधधक भहत्व देती है। परत् ननजी ऺेत्र की उऩेऺा होती है। सयकायी नीनतमाॉ एवॊ कामािरम बी ननजी ऺेत्र के टहत भें नहीॊ होते। प्रश्न 22. बायत के सीभाकाय भानधचत्र भें ननम्न को दिािइए-

(1) बाखडा-नॊगर फाॉध, (2) कच्छ का यन, ( 3 ) ककि येखा, (4) हजीया-जगदीिऩुय गैस ऩाइऩराइन, ( 5 ) आनन्द-अहभदाफाद दगु्ध ऩाइऩराइन। उत्तय-

अथवा ननम्नशरखखत भौसभ सम्फन्धी सॊकेतों को अऩनी उत्तय ऩुजस्तका भें दिािइए-

(1) िान्त, (2) रशरत वामु, (3) धीय सभीय,(4) अल्ऩफर सभीय, (5) सफर सभीय।

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उत्तय-

व्मुपोिि सॊख्मा वामु का नाभ सॊकेत

0. 91177 (Clam)

1. रशरत वाम

2. भन्द सभीय

3. धीय सभीय

4. अल्ऩफर सभीय

5. सफर सभीय

प्रश्न 23. झण्डा सत्माग्रह ककस प्रकाय हुआ? वणिन कीजजए। उत्तय- बायतीम स्वतॊत्रता सॊग्राभ के टदनों भें चयखा मुक्त नतयॊगे झॊड ेकी आन-फान-िान को रेकय एक ऐसी घिना घिी जजसभें न केवर याष्रीम ध्वज के प्रनत सम्ऩूणि याष्रीम की िद्धा औय ननष्ठा की भुखय अशबव्मजक्त हुई , फजल्क अॊगे्रजी हुकूभत तक को उसे भान्म कयने ऩय वववि होना ऩडा। इनतहास के इस स्वखणिभ अध्माम को ‘झण्डा सत्माग्रह के नाभ से जाना जाता है। असहमोग आॊदोरन की भानशसक तैमायी की ऩडतार के शरए गटठत काॊगे्रस की सशभनत जफरऩुय आई , हकीभ अजभर खाॉ उसके नेता थे। जफरऩुय काॊगे्रस कभेिी ने तम ककमा कक खाॉ साहेफ को अशबनन्दन ऩत्र बेंि ककमा जाएगा औय जफरऩुय नगयऩाशरका बवन ऩय याष्रीम नतयॊगा ध्वज पहयामा जामेगा। मह सम्भान गोये डडप्िी कशभश्नय को ब्रब्रटिि हुकूभत का अऩभान औय चुनौती देता हुआ प्रतीत हुआ औय वह बडक उठा। उसने ऩुशरस को हुक्भ टदमा कक नतयॊगे झण्ड ेको न केवर उताय टदमा जामे फजल्क ऩैयों से कुचरा जामे , जजसके ऩरयणाभ स्वाबाववक रूऩ से तीव्र जनाक्रोि के रूऩ भें पूिा औय आॊदोरन हो गमा , जजसके कुछ ही भहीनों भें इसने अखखर बायतीम स्वरूऩ ग्रहण कय शरमा , अॊगे्रज हुकुभत की अऩभानजनक कामिवाही के ववयोध भें ऩॊ. सुन्दयरार , सुबद्रा कुभायी चौहान , नाथूयाभ भोदी ,

नयशसॊह दास अग्रवार , रक्ष्भणशसॊह चौहान तथा कुछ अन्म स्वमॊसेवकों भें झण्ड ेके साथ जुरूस ननकारा। ऩुशरस ने जूरुस को आगे फढ़ने से योक टदमा औय सबी नेताओॊ को धगयफ्ताय कय शरमा। http://www.mpboardonline.com

अथवा भध्मप्रदेि का याष्रीम आन्दोरन भें क्मा मोगदान यहा है? वणिन कीजजए। उत्तय- भध्म प्रदेि भें याष्रीम आन्दोरन की सबी धायाएॉ सॊघषििीर यहीॊ। महाॉ के वनवाशसमों ने आजादी के भहामऻ भें अऩनी आहुनत दी , महाॉ की रयमासतों की जनता ने औय कई खुद्दाय याजऩरयवायों ने ऩयाधीनता की फेडडमों को कािने के शरए सविस्व दाॉव ऩय रगामा। महाॉ के

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यजवाडों की प्रजा को दोहयी गुराभी को उताय पें कने के शरए जूझना ऩडा , महाॉ के ककसानों ने रडाई रडी , असहमोग आन्दोरन , सववनम अवऻा आन्दोरन , नभक सत्माग्रह , जॊगर सत्माग्रह औय सन ्1942 की जनक्राॊनत भें भध्मप्रदेि की सकक्रम बागीदायी यही। चन्द्रिेखय आजाद की क्राॊनतकायी गनतववधधमों का केन्द्र अगय ओयछा था तो भॊगर रार फागडी की टहन्दसु्तानी ,

रार सेना ने इसी धयती ऩय सिस्त्र सॊग्राभ छेडा था।

रोकभान्म नतरक , याष्रवऩता भहात्भा गाॉधी , नेताजी सुबाषचन्द्र फोस , याष्रनामक जवाहय रार नेहरू, सयदाय ऩिेर, देियत्न डॉ. याजेन्द्र प्रसाद , डॉ. अॊसायी , भौराना आजाद आटद भहाऩुरुषों ने भध्मप्रदेि के स्वातॊत्र्म सभय को पे्ररयत ककमा। ऩॊ. यवविॊकय िुक्र , ऩॊ. सुन्दयरार िभाि ,

द्वारयका शभि , ठाकुय ननयॊजन शसॊह , सेठ गोववन्द दास , हरयववष्णु काभथ , ठाकुय प्मायेरार , ऩॊ. रक्ष्भीनायामण दास , सुबद्रा कुभायी चौहान , वाभनयाव राखे , िॊकय रार दफेु , कृष्णकाॊत व्मास ,

दगुाििॊकय भेहता औय अन्म अनेक अग्रणी स्वतॊत्रता सॊग्राभ सेनाननमों ने भध्म प्रदेि भें मत्र-तत्र सवित्र आजादी की अरख जगाई, आन्दोरन का सॊचारन औय नेततृ्व ककमा।

प्रश्न 24. सन ्1965 के बायत-ऩाककस्तान मुद्ध के ऩरयणाभ शरखखए। उत्तय-1965 के बायत-ऩाककस्तान मुद्ध के ननम्नशरखखत ऩरयणाभ हुए-

(अ) ऩाककस्तान कश्भीय सभस्मा का सभाधान िस्त्र द्वाया कयना चाहता था। उसने मुद्ध का भागि अऩनामा : ऩयन्तु उसकी इच्छा ऩूयी नहीॊ हुई।

(फ) ऩाककस्तान का ववश्वास था कक कश्भीय की भुजस्रभ जनता उसका साथ देगी ऩयन्तु ऐसा नहीॊ हुआ। बायत ने मह शसद्ध ककमा कक बायतीम धभिननयऩेऺता का आधाय अत्मन्त ठोस है। (स) मुद्ध के दौयान बायतीम नागरयकों तथा सैननकों का भनोफर ऊॉ चा यहा। बायतीम सेना के अधधकाॊि हधथमाय स्वदेिी थे।

(द) ऩाककस्तान को ववश्वास था कक सॊकि के अवसय ऩय चीन उसका साथ देगा ऩयन्तु उसका मह भ्रभ िूि गमा। http://www.mpboardonline.com

(ङ) बायत-ऩाककस्तान के मुद्ध भें सॊमुक्त याष्र सॊघ की बूशभका भहत्वऩूणि थी। सॊमुक्त याष्र सॊघ को सपरता इसशरए शभरी क्मोंकक सोववमत सॊघ औय सॊमुक्त याज्म अभेरयका ने अऩूवि सहमोग टदमा था।

(ई) ऩाककस्तान के शरए मह मुद्ध घातक शसद्ध हुआ। मुद्ध भें ऩयाजम ने उसकी सैननक तानािाही के खोखरेऩन को शसद्ध कय टदमा।

अथवा बायत भें ऩयभाणु नीनत के शसद्धान्तों को सभझाइए। उत्तय- बायत का आजण्वक िजक्त के रूऩ भें उदम होना- ऩयभाणु ऊजाि येडडमोधभी तत्त्वों के ववखण्डन से प्राप्त की जाती है। इस ऊजाि से ववद्मुत तैमाय की जाती है। मूयेननमभ , थोरयमभ,

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प्रूिोननमभ आटद प्रभुख येडडमोधभी तत्त्व हैं , इन तत्त्वों भें बायी भात्रा भें ऊजाि नछऩी है। एक अनुभान के अनुसाय एक ककरो मूयेननमभ से जजतनी ऊजाि प्राप्त होती है , उतनी 27,000 िन कोमरे से प्राप्त की जाती है। मूयेननमभ अत्मन्त भूल्मवान तत्त्व है। ऩयभाणु ऊजाि का उऩमोग जहाॉ िाजन्तऩूणि औय ववकास कामों के शरए ककमा जाता है , इसका उऩमोग ववध्वॊिक िस्त्रों के ननभािण भें बी ककमा जाता है। बायत के ऩयभाणु ऊजाि एवॊ आन्तरयक िोध कामिक्रभों का कुिर ननदेिन डॉ. होभी बाबा , डॉ. ववक्रभ सायाबाई औय याजा याभन्ना जैसे वैऻाननकों द्वाया ककमा गमा है। बायत की ऩयभाणु नीनत ऩय उसके साभाजजक औय आधथिक आधायों का प्रबाव ऩडा है। स्वतॊत्रता प्राजप्त के ऩश्चात ्से। ही बायत ऩयभाणु ऊजाि के िाजन्तऩूणि उऩमोग की टदिा भें प्रमासयत यहा है। ऩयभाणु ऊजाि अधधननमभ 1948 एवॊ ऩयभाणु ऊजाि आमोग की स्थाऩना इस टदिा भें प्रायजम्बक कदभ यहे। प्रश्न 25. सवोच्च न्मामारम की िजक्तमों का वणिन कीजजए। उत्तय- सवोच्च न्मामारम की िजक्तमाॉ ननम्नानुसाय हैं 1. प्रायजम्बक ऺेत्राधधकाय- ऐसे वववाद जो देि के अन्म न्मामारमों भें नहीॊ जाते केवर सवोच्च न्मामारम भें ही प्रस्तुत होते हैं।

(क) याज्मों के भध्म वववाद-

(i) सॊघीम सयकाय एवॊ एक मा एक से अधधक याज्मों के फीच वववाद।

(ii) ऐसा वववाद जजसभें एक ओय सॊघीम िासन व एक मा अधधक याज्म हों तथा दसूयी ओय एक मा अधधक याज्म हो।

(iii) दो मा दो से अधधक याज्मों के फीच वववाद

(ख) भौशरक अधधकायों से सॊफॊधधत वववाद- नागरयकों के भौशरक अधधकायों की यऺा के शरए सवोच्च न्मामारम को सभुधचत कामिवाही कयने की िजक्त प्राप्त है।

2. अऩीरीम ऺेत्राधधकाय- सवोच्च न्मामारम देि का सफसे फडा अॊनतभ अऩीरीम न्मामारम है। उस ऺेत्राधधकाय के तहत ्सवोच्च न्मामारम को ननम्न अऩीर सुनने का अधधकाय है।

(क) सॊवैधाननक अऩीरें (ख) दीवानी अऩीरें (ग) पौजदायी अऩीरें (घ) वविेष अऩीरें ।

3. ऩयाभििदात्री ऺेत्राधधकाय- सॊववधान की धाया 143 के अनुसाय मटद याष्रऩनत ककसी सॊवैधाननक मा कानूनी प्रश्न ऩय सवोच्च न्मामारम से ऩयाभिि रेना चाहे तो याष्रऩनत को ऩयाभिि दे सकता है। http://www.mpboardonline.com

4. न्मानमक ऩुनयावरोकन सम्फन्धी ऺेत्राधधकायसवोच्च न्मामारमों को सॊसद एवॊ ववधानसबाओॊ द्वाया ननशभित ववधधमों एवॊ प्रिासकीम ननदेिों की वैधता को जाॊचने का अधधकाय है। इस अधधकाय के द्वाया सवोच्च न्मामारम ववधधमों मा ननमभों की वैधता की जाॊच कयता है। कक मे ननमभ मा ववधधमाॉ सॊववधान के अनुसाय है मा नहीॊ। अऩनी इस िजक्त के द्वाया सवोच्च न्मामारम ववधान की यऺा कयता है।

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5. अशबरेख न्मामारम- सवोच्च न्मामारम अशबरेख न्मामारम बी है। अथाित ्उसके सभस्त ननणिम एवॊ अशबरेख शरखखत यहते हैं तथा प्रकाशित ककए जाते हैं तथा इन्हें अशबरेख के रूऩ भें यखा जाता है। अधीनस्थ न्मामारमों के सम्भुख इन ननणिमों को नजीय (उदाहयण) के रूऩ भें प्रस्तुत ककमा जाता है तथा अधीनस्थ न्मामारम इन नजीयों को भानते हैं।

6. अन्म कामि- सवोच्च न्मामारम उऩयोक्त अधधकायों के अरावा ननम्न कामि बी कयता है -

(अ) अऩने अधीनस्थ न्मामारमों का ननयीऺण एवॊ जाॊच।

(फ) अऩने तथा अऩने अधीनस्थ कभिचारयमों व अधधकारयमों की सेवा ितों का ननधाियण उन्हें ऩदोन्ननत तथा ऩदच्मुत कयना।

(स) न्मामारम की अवभानना कयने वारे ककसी बी व्मजक्त को दजण्डत कयने की िजक्त।

अथवा भॊत्री ऩरयषद् के कामों का वणिन कीजजए। उत्तय- भॊत्री ऩरयषद के कामि ननम्नशरखखत हैं –

(i) नीनत ननधािरयत कयना- देि की आधथिक , साभाजजक, याजनीनतक, वैदेशिक आटद सभस्माओॊ को हर कयने के शरए भॊब्रत्रऩरयषद् सभस्त ऩहरुओॊ ऩय ववचाय कयके नीनत ननधािरयत कयता है।

(ii) ननमुजक्त सम्फन्धी कामि- देि के बीतय एवॊ फाह्म भहत्वऩूणि ऩदों ऩय की जाने वारी भहत्वऩूणि ननमुजक्तमाॉ जैसे याजदतू , याज्मऩार ववशबन्न आमोगों के सदस्म एवॊ अध्मऺ ,

भहान्मामवादी आटद की ननमुजक्त भॊब्रत्रभण्डर द्वाया की जाती है।

(iii) ववत्त सम्फन्धी कामि- देि के आम-व्मम ऩय भॊब्रत्रभण्डर का ननमॊत्रण यहता है। ववत्तभॊत्री फजि तैमाय कयता है , भॊब्रत्रभण्डर भें प्रस्तुत कयता है। भॊब्रत्रभण्डर की स्वीकृनत के फाद उसे सदन भें प्रस्तुत कयता है। मटद फजि को रोकसबा स्वीकृनत नहीॊ देती तो सम्ऩूणि भॊब्रत्रभण्डर को त्मागऩत्र देना होता है।

(iv) याष्रऩनत को ऩयाभिि- भॊब्रत्रऩरयषद् सभम-सभम ऩय याष्रऩनत को ऩयाभिि देता है। याष्रऩनत भॊब्रत्रभण्डर की सराह को भानने के शरए फाध्म है। प्रश्न 26. बायत भें फेयोजगायी दयू कयने के उऩामों का वणिन कीजजए। उत्तय- बायत भें फेयोजगायी दयू कयने के उऩाम ननम्नशरखखत-

(1) जनसॊख्मा वदृ्धध ऩय ननमॊत्रण- जनसॊख्मा वदृ्धध ऩय ननमॊत्रण कयना चाटहमे। इससे िशभकों की ऩूनत ि दय भें कभी आएगी। योजगाय के अवसय फढ़ाने के साथ मह बी अनत आवश्मक है। (2) रघु औय कुिीय उद्मोगों का ववकास- मे उद्मोग ग्राभीण औय िहयी ऺेत्रों भें स्थावऩत हैं तथा अॊिकारीन योजगाय प्रदान कयते हैं। इसभें ऩूॊजी कभ रगती है औय मे ऩरयवाय के सदस्मों द्वाया ही सॊचाशरत होते हैं। इसके द्वाया फेकाय फैठे ककसान औय उनके घय के सदस्म अऩनी ऺभता , िभ, करा-कौिर औय छोिी-छोिी जभा याशि का उऩमोग कय अधधक

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आम औय योजगाय प्राप्त कय सकते हैं। अत् सयकाय को इनके ववकास के शरमे ऩूॊजी उऩरब्ध कयानी चाटहए।

(3) व्मावसानमक शिऺा- देि की शिऺा ऩद्धनत भें ऩरयवतिन की आवश्मकता है। हभें शिऺा को योजगायोन्भुख फनाना है। हाईस्कूर ऩास कयने के फाद छात्रों की रुधच के अनुसाय व्मावसानमक शिऺा चुनने के शरए जोय देना चाटहए। इससे शिऺा प्राप्त कयने के फाद के व्मवसाम से जुड सकें गे औय देि भें फेयोजगायी की सभस्मा हर हो सकेगी।

(4) ववननमोग भें वदृ्धध- साविजननक ऺेत्रों भें फड ेऩैभाने ऩय ऩूॊजी का ववननमोग कय फेयोजगायी दयू की जा सकती है। ननजी ऺेत्र भें फड ेउद्मोगों को प्रोत्साहन देना चाटहए , जो कक िभ प्रधान हों। इससे रोगों को योजगाय शभरेगा। फडे-फड ेउद्मोगों भें ऩूॊजी गहन तकनीक ऩय ननमॊत्रण यखना चाटहमे , क्मोंकक इनभें फडी-फडी भिीनों का उऩमोग ककमा जाता है औय भानव िभ कभ रगता है। इससे फेयोजगायी फढ़ती है।

(5) सहामक उद्मोगों का ववकास- ग्राभीण ऺेत्रों भें कृवष के सहामक उद्मोग जैसे-दगु्ध व्मवसाम, भछरी ऩारन, भुगीऩारन, फागवानी, पूरों की खेती आटद का ववकास कयना चाटहमे।

अथवा भादक ऩदाथों का ियीय ऩय क्मा प्रबाव होता है? शरखखए। उत्तय- भादक ऩदाथों का ियीय ऩय ननम्नशरखखत प्रबाव होता (i) िायीरयक कभजोयी- भादक ऩदाथों के सेवन से ियीय भें कभजोयी उत्ऩन्न होने रगती है तथा व्मजक्त की िायीरयक ऺभता घिती जाती है।

(ii) भानशसक कभजोयी- भादक ऩदाथों के सेवन से भानशसक कभजोयी होने रगती है , जो भनुष्म की सोचने- सभझने की िजक्त को ऺीण कय देती है।

(iii) योगों भें वदृ्धध- भादक ऩदाथों का सेवन कयने वारे व्मजक्त को ववशबन्न योग हो जाते हैं ,

क्मोंकक उसकी िायीरयक ऺभता घि जाती है।

(iv) फच्चों के ववकास ऩय प्रबाव- भादक ऩदाथों का सेवन कयने वारे व्मजक्त के ऩरयवाय भें ऩारयवारयक करह फढ़ जाती है , जजससे फच्चे के भानशसक व िायीरयक ववकास ऩय प्रनतकूर प्रबाव ऩडता है।