Ǒहंदȣ मात ृ भाषा (कोड 002) क¢ा 9वीं –10वीं (2021-22) माÚयमक èतर तक आते-आते वɮयाथȸ कशोर हो चुका होता है और उसमɅ सुनने, बोलने, पढ़ने, लखने के साथ-साथ आलोचना×मक Ǻिçट वकसत होने लगती है। भाषा के सɋदया[×मक प¢, कथा×मकता/गीता×मकता, अखबारȣ समझ, शÞद शिÈतयɉ कȧसमझ, राजनैǓतक एवं सामािजक चेतना का वकास, èवयं कȧ अिèमता का संदभ[ और आवæयकता के अनुसार उपयुÈत भाषा- Ĥयोग, शÞदɉ का सुचंǓतत Ĥयोग, भाषा कȧ Ǔनयमबɮध Ĥक ृ Ǔत आǑद से वɮयाथȸ पǐरचत हो जाता है। इतना हȣ नहȣं वह ववध वधाओं और अभåयिÈत कȧ अनेक शैलयɉ से भी पǐरचत हो चुका होता है। अब वɮयाथȸ कȧ Ǻिçट आस-पड़ोस, राÏय-देश कȧ सीमा को लांघते ह ु ए वैिæवक ¢Ǔतज तक फै ल जाती है। इन बÍचɉ कȧ दुǓनया मɅ समाचार, खेल, फãम तथा अÛय कलाओं के साथ-साथ पğ-पǒğकाएँ और अलग-अलग तरह कȧ कताबɅ भी Ĥवेश पा चुकȧ होती हɇ। इस èतर पर मात ृ भाषा Ǒहंदȣ का अÚययन साǑहि×यक, सांèक ृ Ǔतक और åयावहाǐरक भाषा के Ǿप मɅ क ु छ इस तरह से हो क उÍचतर माÚयमक èतर पर पह ु ँ चते-पह ु ँ चते यह वɮयाथ[यɉ कȧ पहचान, आ×मवæवास और वमश[ कȧ भाषा बन सके । Ĥयास यह भी होगा क वɮयाथȸ भाषा के लखत Ĥयोग के साथ-साथ सहज और èवाभावक मौखक अभåयिÈत मɅ भी स¢म हो सके । इस पाɫयĐम के अÚययन से - (क) वɮयाथȸ अगले èतरɉ पर अपनी Ǿच और आवæयकता के अनुǾप Ǒहंदȣ कȧ पढ़ाई कर सकɅ गे तथा ǑहंदȣमɅ बोलने और लखने मɅ स¢म हो सकɅ गे। (ख) अपनी भाषा द¢ता के चलते उÍचतर माÚयमक èतर पर व£ान, समाज व£ान और अÛय पाɫयĐमɉ के साथ सहज संबɮधता (अंतसɍबंध) èथापत कर सकɅ गे। (ग) दैǓनक जीवन åयवहार के ववध ¢ेğɉ मɅ ǑहÛदȣ के औपचाǐरक/अनौपचाǐरक उपयोग कȧ द¢ता हासल कर सकɅ गे। (घ) भाषा Ĥयोग के परंपरागत तौर-तरȣकɉ एवं वधाओं कȧ जानकारȣ एवं उनके समसामǓयक संदभɟ कȧ समझ वकसत कर सकɅ गे। (ड.) Ǒहंदȣ भाषा मɅ द¢ता का इèतेमाल वे अÛय भाषा-संरचनाओं कȧ समझ वकसत करने के लए करसकɅगे। क¢ा 9वीं व 10वीं मɅ मात ृ भाषा के Ǿप मɅ Ǒहंदȣ-श¢ण के उɮदेæय : ● क¢ा आठवीं तक अिज[त भाषक कौशलɉ (सुनना, बोलना, पढ़ना और लखना) का उƣरोƣर वकास। ● स ृ जना×मक साǑह×य के आलोचना×मक आèवाद कȧ ¢मता का वकास। ● èवतंğ और मौखक Ǿप से अपने वचारɉ कȧ अभåयिÈत का वकास।