13
CCL Class Chapter Lesson Class 8th to 12th CBSE, HBSE and Other State Boards Where NCERT Book is Followed NCERT All Book Chapters Solution NCERT Question Answer NCERT Important Questions for Exam Subscribe Our Youtube Channel for All Updates Related to Your Subject Download More PDF's

Class 8th to 12th - CCL Chapter...CCL Class Chapter Lesson Class 8th to 12th CBSE, HBSE and Other State Boards Where NCERT Book is Followed NCERT All Book Chapters Solution NCERT Question

  • Upload
    others

  • View
    423

  • Download
    2

Embed Size (px)

Citation preview

  • CCL Class Chapter Lesson

    Class 8th to 12th CBSE, HBSE and Other State Boards Where NCERT Book is Followed

    NCERT All Book Chapters Solution

    NCERT Question Answer

    NCERT Important Questions for Exam

    Subscribe Our Youtube Channel for AllUpdates

    Related

    to

    Your

    Subject

    Download More PDF's

    https://www.youtube.com/channel/UCv-dFQaGBCzLgQbNC809HPwhttps://www.youtube.com/channel/UCv-dFQaGBCzLgQbNC809HPwhttps://naukrisignal.com

  • CCL CLass

    क�ा 12वी िहदंी अ�भ�यि� और मा�ममह�वपूणर् प्र� उ�र

    प्र� 1 रे�डयो और टेली�वजन समाचार क� भाषा और शैली के �लए अ�नवायर् �वशेषताएं �ल�खए।

    उ�र- रे�डयो और टेली�वजन समाचार क� भाषा और शैली के �लए अनेक �वशेषताएं अ�नवायर् होनी चािहए जो इस प्रकार ह�—• भाषा अ�यंत सरल और सहज होनी चािहए।• भाषा म� प्रवाहमयता होनी चािहए।• अ�� और भ्रामक श�दो ंका उपयोग नही ंकरना चािहए।• प्रच�लत और सहज श�दो ंका ही प्रयोग करना चािहए एवं िकंतु , परंतु ,

    अथवा आ�द श�दो ंके प्रयोग क� अपे�ा और , या , आ�द श�दो ंका प्रयोग करना चािहए।

    • वा� सहज , �� , छोटे और सीधे होने चािहए।• एक वा� म� एक ही बात �� करनी चािहए।• वा�ो ंम� कुछ टूटता या छूटता �आ प्रभाव नही ंहोना चािहए।• महुावरो ंका अ�धक प्रयोग नही ंकरना चािहए।

    प्र� 2 �व�भ�न जनसंचार मा�मो ंम� इंटरनेट क� �ा भ�ूमका है�

    उ�र— इंटरनेट जनसंचार का मह�वपूणर् मा�म है। �व�भ�न जनसंचार मा�मो ंम� इंटरनेट क� मह�वपूणर् भ�ूमका है जो इस प्रकार ह�—

    • इंटरनेट 24 घंटे सूचनाएं प्रदान करता है।• यह सूचना के साथ-साथ हमारा मनोरंजन भी करता है।• यह �ान भी प्रदान करता है।• इंटरनेट पर एक ही �ण म� एक साथ अनेक खबर� पढ़ी जा सकती ह�।

  • CCL CLass

    • इसके द्वारा कुछ ही �णो ंम� घर बैठे – बैठे संपूणर् संसार क� जानकारी लीजा सकती ह�।

    • इसके द्वारा खबरो ंका स�यापन , पुि�करण कथा संकलन भी होता है।• इसके द्वारा एक सेकंड म� 56 िकलोबाइट अथार्त लगभग 70000 श�द

    एक जगह से दूसरी जगह भेजे जा सकते ह�।• इसके द्वारा एक खबर को एक �ान से दूसरे �ान पर ईमेल क� सहायता

    से भेजा जा सकता है।

    प्र� 3 �प्रटं मा�म म� �ा-�ा खा�मया ंहोती ह��

    उ�र— �प्रटं मा�म एक अ�ा मा�म है लेिकन इसम� ब�त सारी खा�मया ंभी ह� जो इस प्रकार ह�–

    • केवल पढ़े �लखे लोगो ंके ही काम आता है।• लेखन कायर् करने वालो ंका शै��णक �ान आव�क है।• तुरंत घ�टत घटनाएं प्र�तु नही ंक� जा सकती।• �ेस का �ान रखना पड़ता है।• गल�तया ंसुधारनी पड़ती है।

    प्र� 4 छः ककार से �ा ता�यर् है� �� क��जए।

    उ�र— समाचार लेखन म� कब, कहा ं, कैसे , �ा , कौन , �ो ंइ�ही ंछः प्र�ो ंको छः ककार कहते ह�। इ�ही ंककारो ंके आधार पर िकसी घटना , सम�ा तथा �वचार आ�द से संबं�धत खबर �लखी जाती ह�। यह ककार ही समाचार लेखन का मलू आधार होते ह�। इसी�लए समाचार लेखन म� इनका ब�त मह�व है।

    छः ककारो को हम इस प्रकार �� कर सकते ह�—

  • CCL CLass

    कब— यह समाचार लेखन का आधार होता है। इस ककार के मा�म से िकसी घटना तथा सम�ा के समय का बोध होता है। जैसे–बस दघुर्टना कब �ई�

    कहा—ं इस प्रकार को आधार बनाकर समाचार �लखा जाता है। इसके मा�म से िकसी घटना और सम�ा के �ान का �चत्रण िकया जाता है। जैसे–बस दघुर्टना कहा ं�ई�

    कैसे– इस प्रकार के द्वारा समाचार का �व�ेषण , �वतरण तथा �या�या क� जाती है।

    �ा– यह ककार भी समाचार लेखन का आधार माना जाता है। इसके द्वारा समाचार क� �परेखा तैयार क� जाती है।

    �ो–ं इस ककार के द्वारा समाचार के �ववरणा�क, �या�या�क तथा �व�ेषणा�क पहलुओ ंपर प्रकाश डाला जाता है।

    कौन– इस प्रकार को आधार बनाकर समाचार �लखा जाता है।

    प्र� 5 �वशेष लेखन िकसे कहते ह��समाचार पत्रो ंम� �वशेष लेखन क� भ�ूमका �� क��जए।

    उ�र— िकसी सामा�य �वषय से हटकर �वशेष �वषय पर �लखे गए लेखो ंको �वशेष लेखन कहते ह�। कृ�ष �यापार �श�ा , �ा� , खेल , मनोरंजन , प्रौद्यो�गक� , काननू आ�द �वशेष लेखन के अतंगर्त माने जाते ह�। समाचार पत्रो ंऔर प�त्रकाओ म� इन �वषयो ंपर �वशेष लेखन �लखे जाते ह�। समाचार पत्रो ंम� �वशेष लेखन के �लए एक अलग �ान अथवा बॉ� �नि�त होता है। �वशेष लेखन �वषय से संबं�धत �वशेष�ो ंद्वारा �लखे जाते ह�।

  • CCL CLass

    प्र� 6 क�वता के मह�वपूणर् घटक कौन-कौन से ह��

    उ�र— क�वता क� कुछ मह�वपूणर् घटक होते ह� �जनके �बना क�वता संभव नही ंहोती। यह घटक �न��ल�खत है:–

    • भाषा— भाषा क�वता का मह�वपूणर् घटक है �ोिंक भाषा के मा�म सेही क�व अपनी संवेदना और भावनाओ ंको अ�भ�यि� प्रदान करता है।

    • शैली— शैली भी क�वता का प्रमखु घटक है। इसके द्वारा क�व अपनीसंवेदना को क�वता के �प म� अ�भ�य� करता है।

    • �बबं— �बबं का शाि�दक अथर् है– श�द�चत्र। इन श�द �चत्रो ंके मा�म सेही क�व अपनी क�ना को साकार �प प्रदान करता है। �बबं के �बनाक�वता क� क�ना भी नही ंक� जा सकती। यह क�वता का मूल आधार है।

    • छंद— यह क�वता का अ�यंत मह�वपूणर् घटक है �ोिंक छंद ही क�वताको क�वता का �प प्रदान करते ह�। इसके द्वारा ही क�वता पद्य क� शे्रणी म�आते ह�।

    • अलंकार— अलंकार भी क�वता के प्रमखु घटक ह�। यह क�वता को सौदंयर्प्रदान करते ह�। इनके द्वारा ही क�व अपनी क�वता को सजाता है।

    प्र� 7 नाटक म� �ीकार एवं अ�ीकार क� अवधारणा से �ा ता�यर् है�

    उ�र— नाटक म� �ीकार के �ान पर अ�ीकार का अ�धक मह�व होता है। नाटक म� �ीकार त�वो ंके आ जाने से नाटक सश� हो जाता है। कोई भी दो च�रत्र जब आपस म� �मलते ह� तो �वचारो ंके आदान-प्रदान म� टकराहट पैदा होना �ाभा�वक है। रंगमंच म� कभी भी यथाि��त को �ीकार नही ंिकया जाता। वतर्मान ि��त के प्र�त असंतुि� , छटपटाहट , प्र�तरोध और अ�ीकार जैसे नकारा�क त�वो ंके समावेश से ही नाटक सश� बनता है। यही कारण है िक हमारे नाटककारो ंको राम के अपे�ा रावण और प्रह्लाद के अपे�ा िहर�क�प का च�रत्र अ�धक आक�षत करता है।

  • CCL CLass

    इसके �वपरीत जब जब िकसी �वचार , �यव�ा या त�का�लक सम�ा को िकसी नाटक म� सहज �ीकार िकया जाता है , वह नाटक अ�धक सश� और लोगो ंकेआकषर्ण का क� द्र नही ंबन पाया है।

    प्र� 8 ड�ाई एंकर �ा है�

    उ�र— ड�ाई एंकर वह होता है जो समाचार के �� नजर नही ंआने तक दशर्को ंको �रपोटर्र से �मली जानकारी के आधार पर समाचार से संबं�धत सूचनाएं देता है।

    प्र� 9 उ�ा �परा�मड शैली �ा है�

    उ�र— इसम� सबसे पहले मह�वपूणर् त� तथा जानका�रया ंदी जाती ह� तथा बाद म� कम मह�वपूणर् बात� देकर समा�त कर �दया जाता है। इसक� सूत उ�ा �परा�मड जैसी होने के कारण इसे उ�ा �परा�मड शैली कहते ह�।

    प्र� 10 बीट �रपो�टग �ा होती है�

    उ�र— जो संवादाता केवल अपने �ेत्र �वशेष से संबं�धत �रपोट� को भेजता है , वह बीट �रपो�टग कहलाती ह�।

    प्र� 11 नाट्य �पातंरण म� िकस प्रकार क� म�ुय सम�ा का सामना करना पड़ता है�

    उ�र— नाट्य �पातंरण करते इसम� अनेक सम�ाओ ंका सामना करना पड़ता है जो इस प्रकार है_

    • पात्रो ंके बंधओु ंको अ�भनय के अन�ुप बनाने म� सम�ा आती है।

  • CCL CLass

    • सबसे प्रमखु सम�ा कहानी के पात्रो ंके मनोभावो ंको कहानीकार द्वारा प्र�तु प्रसंगो अथवा मान�सक दं्वद्व के नाटक�य प्र��ुत म� आती ह�।

    • सामानो ंको नाटक�य �प प्रदान करने म� सम�ा आती है।• संगीत ��न और प्रकाश �यव�ा करने म� सम�ा आती है।• कथानक को अ�भनय के अन�ुप बनाने म� सम�ा होती है।

    प्र� 12 कहानी और नाटक म� �ा अतंर होता है। �� क��जए।

    उ�र— कहानी और नाटक दोनो ंगद्य �वधाएं ह�। इनम� जहा ंकुछ समानताएं ह� वहा ंकुछ असमानताएं या अतंर भी ह� जो इस प्रकार ह�–

    कहानी—• कहा�नया ंऐसी गद्य �वधा है �जसम� जीवन के िकसी अकं �वशेष का

    मनोरंजन पूणर् �चत्रण िकया जाता है।• कहानी का संबंध लेखक और पाठको ंसे होता है।• कहानी कही ंअथवा पढ़ी जाती है।• कहानी को आरंभ , म� और अतं के आधार पर बाटंा जाता है।• कहानी म� मंच स�ा , संगीत तथा प्रकाश का मह�व नही ंहै।

    नाटक–

    • नाटक एक ऐसी गद्य �वधा है �जसका मंच पर अ�भनय िकया जाता है।• नाटक का संबंध लेखक, �नद�शक, दशर्क तथा श्रोताओ ंसे है।• नाटक का मंच पर अ�भनय िकया जाता है।• नाटक को ��ो ंम� �वभा�जत िकया जाता है।• नाटक म� मंच स�ा , संगीत और प्रकाश �यव�ा का �वशेष मह�व

    होता है।

  • CCL CLass

    प्र� 13 रे�डयो नाटक क� कहानी म� िकन – िकन बातो ंका �ान रखना आव�क है�

    उ�र— रे�डयो नाटक म� कहानी संवादो तथा ��न प्रभावो ंपर ही आधा�रत होती है। इसम� कहानी का चयन करते समय अनेक बातो ंका �ान रखना आव�क है जो इस प्रकार ह�–

    1. कहानी एक घटना प्रधान न हो—रे�डयो नाटक क� कहानी केवल एक ही घटना पर आधा�रत नही ंहोनी चािहए �ोिंक ऐसी कहानी श्रोताओ ंको थोड़ी देर म� ही उबाऊ बना देती है �जसे कुछ देर प�ात सुनना पसंद नही ंकरते इसी�लए रे�डयो नाटक क� कहानी म� अनेक घटनाएं होनी चािहए।

    2. समय सीमा–सामा�य �प से रे�डयो नाटक क� अव�ध 15 से 30 �मनट तक हो सकती ह�। रे�डयो नाटक क� अव�ध इससे अ�धक नही ंहोनी चािहए �ोिंक रे�डयो नाटक को सुनने के �लए मन�ु क� एकाग्रता क� अव�ध 15 से 30 �मनट तक क� होती है , इससे �ादा नही।ं रे�डयोधम� एक ऐसा मा�म है �जसे मन�ु अपने घर म� अपनी इ�ा अनसुार सुनता है। इसी�लए रे�डयो नाटक क� अव�ध क� समय सीमा होनी चािहए।

    3. पात्रो ंक� सी�मत सं�या—रे�डयो नाटक म� पात्रो ंक� सं�या सी�मत होनी चािहए। इसम� पात्रो ंक� सं�या 5 या 6 से अ�धक नही ंहोनी चािहए �ोिंक इसम� श्रोता केवल ��न के सहारे ही पत्रो ंको याद रख पाता है। य�द रे�डयो नाटक म� अ�धक पात्र होगें तो श्रोता उ�ह� याद नही ंरख सक� गे। इसी�लए रे�डयो नाटक म� पात्रो ंक� सं�या सी�मत होनी चािहए।

  • CCL CLass

    प्र� 14 रे�डयो नाटक क� �वशेषताओ ंको �� क��जए।

    उ�र— रे�डयो नाटक म� ��न प्रभाव और संवादो ंका �वशेष मह�व है जो इस प्रकार है–• रे�डयो नाटक म� पात्रो ंसे संबं�धत सभी जानका�रया ंसंवादो ंके मा�म

    से �मलती है।• पात्रो ंक� चा�र�त्रक �वशेषताएं संवादो ंके द्वारा ही उजागर होती है।• नाटक का पूरा कथानक संवादो ंपर ही आधा�रत होता है।• इसम� ��न प्रभावो ंऔर संवादो ंके मा�म से ही कथा को श्रोताओ ंतक

    प�ंचाया जाता है।• संवादो ंके मा�म से ही रे�डयो नाटक का उदे्द� �� होता है।• संवादो ंके द्वारा ही श्रोताओ ंको संदेश �दया जाता है।

    प्र� 15 �� श्र�य मा�मो ंक� तुलना म� श्र�य मा�म क� �ा सीमाएं ह�� इन सीमाओ ंको िकस तरह पूरा िकया जा सकता है�

    उ�र— �� श्र�य मा�मो ंक� तुलना म� श्र�य मा�म क� अनेक सीमाएं ह� जो इस प्रकार है–• �� श्र�य मा�म म� हम नाटक को अपनी आखंो ंसे देख भी सकते ह�

    और पात्रो ंके संवादो ंको सुन भी सकते ह� िकंतु श्र�य मा�म म� हम केवल सुन सकते ह� उसे देख नही ंसकते।

    • �� श्र�य मा�मो ंम� हम पत्रो ंके हाव भाव देखकर उनक� दशा का अनमुान लगा सकते ह� िकंतु श्र�य मा�म म� हम ऐसा कुछ भी नही ंकर सकते।

  • CCL CLass

    �� श्र�य मा�मो ंम� िकसी भी �� तथा वातावरण को देखकर उसका आनंद उठा सकते ह� िकंतु श्र�य मा�म म� प्र�येक क� ि��त को केवल ��नयो ंके मा�म से ही समझ सकते ह�।�� श्र�य मा�म क� तुलना म� श्र�य मा�म म� वातावरण क� सृि� पत्रो ंके संवादो ंसे क� जाती है। समय क� सूचना तथा पात्रो ंके च�रत्र का उद्घाटन भी संवादो ंके मा�म से ही होता है।श्र�य मा�म क� सीमाओ ंको ��न मा�म से ही पूरा िकया जा सकता है।

    प्र� 16 नए अथवा अप्र�या�शत �वषयो ंपर लेखन म� कौन-कौन सी बातो ंका �ान रखना चािहए।

    उ�र– नए अथवा अप्र�या�शत �वषयो ंपर लेखन म� �न��ल�खत बातो ंका �ान रखना चािहए–

    �जस �वषय पर �लखना है लेखक को उसक� संपूणर् जानकारी होनी चािहए।�वषय पर �लखने से पहले लेखक को अपने मि�� म� उसक� एक उ�चत �परेखा बना लेनी चािहए।�वषय से जड़ेु त�ो ंसे उ�चत तालमेल होना चािहए।�वचार �वषय म� सुस�द्ध तथा संगत होने चािहए।अप्र�या�शत �वषयो ंके लेखन म� � म� �शैली का प्रयोग करना चािहए।अप्र�या�शत �वषयो ंपर �लखते समय लेख को �वषय से हटकर अपनी �वद्व�ा को प्रकट नही ंकरना चािहए।

    प्र� 17 फ�चर �ा है� यह कैसे �लखा जाता है। �व�ार से समझाइए।

  • CCL CLass

    उ�र- एक ऐसा सु�यवि�त, सृजना�क तथा आ��न� लेखन िकसके मा�म से सूचनाओ ंके साथ-साथ मनोरंजन पर भी �ान �दया जाता है उसे फ�चर कहते ह�।फ�चर कथा�क शैली म� �लखा जाता है। इसक� भाषा सरल, आकषर्क, �पा�क तथा मनमोहक होती है। इसम� लेखक अपने �वचार, भावना तथा �ि�कोण को �य� कर सकता है।फ�चर म� समाचारो ंक� अपे�ा कम श�दो ंका प्रयोग िकया जाता है। फ�चर हम� कभी भी ता�का�लक घटनाओ ंसे प�र�चत नही ंकरवाता। फ�चर का म�ुय ल� पाठको ंको सूचना देना, �श��त करना तथा उनका मनोरंजन करना होता है।

    One Marks Important Questionsप्र� 1 समाचार मा�मो ंम� सबसे पुराना मा�म कौन सा है�

    उ�र- �प्रटं मा�म

    प्र� 2 आमतौर पर रे�डयो नाटक क� अव�ध िकतनी होती है�

    उ�र- 15 से 30 �मनट

    प्र� 3 रंगमंच िकस सािह�य �वधा म� आव�क है�

    उ�र- नाटक मे

    प्र� 4 टेली�वजन म� लाइव का �ा अथर् है�ं

  • CCL CLass

    उ�र- िकसी समाचार का टेली�वजन पर घटना�ल से सीधा प्रसारण ही लाइव है।

    प्र� 5 समाचार लेखन क� सबसे लोक�प्रय और उपयोगी शैली का नाम बताइए।

    उ�र- उ�ा �परा�मड शैली

    प्र� 6 भारत म� इंटरनेट का आरंभ कब �आ था�

    उ�र— भारत म� इंटरनेट का आरंभ सन 1993 म� �आ था और सन 2003 म� इसका दूसरा दौर श�ु �आ था अभी �फलहाल भारत म� इसका चौथा दौर चल रहा है।

    प्र� 7 भारत म� पहला छापाखाना कहा ंऔर कब खलुा था�

    उ�र— भारत म� पहला छापाखाना गोवा म� 1556 ई० म� खलुा था।

    प्र� 8 ऑल इं�डया रे�डयो क� �ापना कब �ई�

    उ�र- सन 1936 ई० को

    प्र� 9 कहानी का क� द्र �बदं ु�ा है�

    उ�र- कहानी का क� द्र �बदं ुकथानक होता है।

  • CCL CLass

    Share Pdf With Your Friends and

    Help Them Better Marks in Exams