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िढबरी चैनल

Vyang book dhibri channel part 1

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टेलीिवजन चैनलो की सचाइयो से रबर

कराती कहािनयां एवं वंगय रचनाये

- िवनोद िवपलव

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पसतावनामीिडया सामािजक िवकास का अतयंत सशक माधयम ह।ै जब टेलीिवजन चैनल और इंटरनेट नही होते थे, बिलक अखबार होते थे, तब अकबर ईलाहाबाद ने िलखा था :-

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खैचो ना कमान को, न तलवार िनकालो,

जब तोप मुकािबल हो तो अखबार िनकालो।यह पहले भी सच था और आज भी सच है, बिलक पहले से जयादा सच ह।ै लेिकन एक सच यह भी है िक जयादातर अखबार और चैनल आमदनी,

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पसार संखया और टीआरपी बढाने की अंधी दौड मे शािमल होकर अपनी भूिमका से भटक गये है और िढबरी चैनल मे शािमल रचनाये उसी भटकाव को उजागर करती ह।ै िढबरी चैनल िलखने की मंशा चैनलो मे शीषर पदो

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पर लोगो की आलोचना करने की नही है बिलक,

कोिशश यह है िक िविभन कारणो से टेलीिवजन चैनलो और काफी हद तक अखबारो मे िसथितयां बन गयी है या बना दी गयी है और आज के दौर मे अखबार और खास तौर पर

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टेलीिवजन चैनल जो भूिमका िनभा रहे है उसे लेकर समाज मे िचतन हो और मौजूदा सूरते हाल मे बदलाव हो। हालांिक कई चैनल अपनी भूिमका बखूबी िनभा रहे है लेिकन अनेक टेलीिवजन चैनल, जो दशे और समाज के िवकास एवं लोगो के

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जीवन सतर मे बदलाव लाने का अतयंत कारगर माधयम हो सकते थ,े उनहे काफी हद तक समाज के पतन का माधयम बना िदया गया ह।ै -िवनोद िवपलव

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अनुकम

1- िढबरी चैनल का घोषणापत2- िढबरी चैनल मे भती अिभयान3- िढबरी चैनल पमुख के िलये अजी

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िढबरी चैनल का घोषणा पत

(नोट - यह वंगय रचना महान वंगकार एवं गुरवर हिरशकंर परसाई की एक पिसद वंगय रचना से पभािवत है और

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मुझे लगता है िक अगर परसाई जी आज जीिवत तो इस िवषय पर जरर कलम चलाते।)

(वैसे िढबरी चैनल के बारे मे िवजापन तो अखबारो मे छप चुका था, लेिकन िढबरी नयूज के ‘‘एमस एंड आबजेिकटवस् तथा उसके गठन के मेमोरेडम'''

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बही खातो के बीच दबे रह गये थे। यह लेखक जब िकसी काम से चैनल के मुखयालय मे गया तो सेठजी के आसान के पास की एक पुरानी बही मे यह नतथी िकया हआ िमला िजसे हम यहां घोषणापत के नाम से पसतुत कर रहे ह।ै - लखेक)

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।। शी लकमीजी सदा सहाय।।हम बतीलाल िढबरीलाल एंड सनस के वतरमान मािलक अपनी पिसद दकुान की नयी शाखा खोल रहे ह।ैइस शाखा का नाम होगा िढबरी नयूज चैनल।

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जैसा िक िवश िविदत है, िढबरीलाल हमारे पुजयिपता जी थ े जो इस नशर संसार मे अब नही है और इस कारण इस संसार मे हमारे फमर के अलावा सब कुछ िनससार ह।ै हमारे पिरवार मे ववसाय को हमारे दादा

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बतीलाल ने शुर िकया था लेिकन इस ववासाय को हमारे परमपूजय िपताजी ने एक उंचाई दी और इस ववसाय को दिुनया भर मे फैलाया इसिलये हमने अपने िपताजी के नाम को अमर करने के िलये अपनी दकुान की नयी शाखा के

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रप मे टेलीिवजन चैनल शुर करने का फैसला िकया। हमारी तरह हमारे िपताजी ने भी अपने िपताजी अथारत मेरे दादाजी का नाम अमर करने के िलये बी एल (बतीलाल) मेिडकल कालेज खोला था और

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लाख-लाख रपये डोनेशन लेकर हजारो लंफगो और जािहलो को डाकटर बना कर दशे की आबादी को िनयंितत करने मे महतवपूणर भिूमका िनभायी थी। ऐसे मे हम भी अपने पिरवार की परमपरा को आगे बढाने के िलये अपने

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पुजयिपताजी के नाम पर टेलीिवजन चैनल खोल रहे है तािक दशे मे बुिदजीिवयो एवं िववेकवािदयो की आबादी पर अकुंश लगाया जा सके और दशे मे अजानता, अिववेक,

अंधिवशास और अशीलता जैसी लोकतंत

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िहतैषी पवृितयो को बढावा िदया जा सके तािक दगंाइयो, भष अिधकािरयो एवं मंितयो,

एवं पूंजीपितयो को िनभरय और िनडर होकर काम करने का सौहादरपूणर माहौल िमल सके। उममीद है िक मेरे सुपुत भी पिरवार की इसी

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पिवत परमपरा को आगे बढाते हये मेरे नाम पर कोई पाइवेट िवशिवदालय खोलगेे, जैसा िक आजकल ‘‘िलख लोढा पढ पतथर’’वाले लोग कर रहे है और िशका की नाकारी संसथाओ को िवशुद मुनाफा कमाने वाले

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दकुानो मे बदल कर सरकार की नीितयो को साकार करते हये भावी पीढी के भिवषय को गतर मे िगराने के महान कायर को अंजाम दे रहे ह।ै आप पूछ सकते है िक आज इतने तरह के धंधे तरह के धंधे है िजनमे पैसे ही पैसे है तो िफर

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टेलीिवजन चैनल कयो। इस बारे मे मेरा कहना यह है िक हालांिक कमाई के तो कई रासते है, लेिकन बाकी धंधो मे वह मजा नही है जो टेलीिवजन चैनलो मे ह।ै यह धंधा ‘‘हीग लगे न िफटकरी और रंग चोखा, केवल जनता को दतेे रहो धोखा

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ही धोखा’’- की तरह ह।ै सबसे बडी बात है िक इस धंधे को शुर करने मे हालांिक पैसे तो थोडे खचर करने पडते है लेिकन िदमाग िबलकुल नही लगाने पडते ह।ै (असल मे िदमाग तो दशरको को यह सोचने मे लगाने पडते है िक वे चैनल को दखे ही

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कयो रहे है)। चैनल चलाने के िलये िदमाग नही लगाने का फायदा यह है िक आप इस बात पर िदमाग खचर कर सकते है िक कमाये गये भारी काले धन को कैसे सफेद बनाया जाये। सबसे बडी बात िक इसमे इतने तरह के माल (सजीव और िनजीव दोनो

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तरह के) िमलते है िक चाहे इनहे िजतना खाओ और िखलाओ कभी कम नही पडता। दरअसल टेलीिवजन चैनल दोनो तरह के मालो का ऐसा बहता दिरया है िक जब इचछा हयी तन-मन की पयास बुझा ली। खुद भी पयास बुझाओ और अपने

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यार दोसतो की पयास को भी बुझाओ। हां। तो बात हो रही थी टेलीिवजन चैनल शुर करने के कारणो के बारे मे। असल मे आज के समय मे सकूल-कालेज,

समाज सेवा, अखबार और सतसंग-पवचन जैसे माल कमाने के जो नय े केत

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उभरे है उनमे टेलीिवजन चैनल सबसे चोखा धंधा ह।ै आप पूछ सकते है िक आप और आपके बाप दादा जीवन भर अनाज,

दधू, तेल, घी आिद मे िमलावट करके ितजोिरयां भरते रहे तो अब िफर टेलीिवजन चैनल खोलने की कया

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सूझी। आपका सवाल बहत अचछा और िवषयानुकुल ह।ै आपके सवाल के जवाब मे मै कहगंा िक दरअसल टेलीिवजन चैनल का यह धंधा हमारे पुशतैनी धंधे का ही आधुिनक एवं िवकिसत रप ह।ै पहले हम अनाज मे कंकड

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िमलाते थ े और दधू मे यूिरया िमलाते थे और लोगो का सवासथय खराब करते थ।े अब िमलावट के काम को आगे बढाते हये हम संसकृित मे अशीलता,

िवशास मे अंधिवशास और धमर मे अधमर िमलाकर लोगो के िदमाग को खराब करेगे। काम तो

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वही िमलावट का ही हआ न। चूंिक फमर एक है, इसिलये हमारा काम भी एक ह।ै िमलावट का हमारा जो खानदानी अनुभव है वह सही अथो मे अब काम आयेगा। वैसे भी इस तरह के िमलावट मे खतरे कम है कयोिक अनाज, दधू और तेल मे

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िमलावट को तो सरकार और जनता पकड भी लेती है और कभी-कभी छापे मारे जाने का भी डर भी रहता है, लेिकन टेलीिवजन चैनलो के जिरये संसकृित मे कुसंसकृित ओर लोगो के िववेक मे अजानता एवं अंधिवशास की िमलावट

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को जनता िबलकुल पकड नही पाती और जहां तक सरकार की बात है वह तो इसे बढावा ही दतेी ह।ै ऐसे मे न तो छापे का डर है न जनता के गसुसे का। उलटे इस तरह की िमलावट करने पर पदमशी और भारत रत िमलने की भी पबल

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संभावना रहती ह।ै अतीत मे कई िमलाविटयो को सरकार ऐसे पद सममानो से नवाज भी चुकी ह।ै जैसा िक पहले बताया जा चुका है, टेलीिवजन चैनल खोलने के पीछे हमारा मुखय इरादा तो अपने पूजय िपता जी को अमर

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बनाना ही था, लेिकन साथ ही साथ अगर आम के आम, गठली के दाम की तरह अगर इससे मोटी आमदनी कमाने तथा और तर माल खाने को िमले तो बुराई ही कया ह।ै दरअसल हमारे िपताजी को और िपताजी की तरह मेरे दादाजी को अमर

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बनने की बहत लालसा थी। मेरे िपताजी ने दादाजी को अमर बनाने के िलये मेिडकल कालेज खोलकर अपने समय के िहसाब से सबसे उिचत एवं कारगर काम िकया था। आज भले ही समय बदल गया है और पांच साल तक झखमार कर

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पढाई करने वाले डाकटरो की कोई पूछ नही रह गयी है और जो लोग डाकटर बने है वे अब अब अपनी िकसमत को रो रहे ह।ै आज भले ही कोई डाकटर या इंजीिनयर नही बनना चाहता लेिकन िजस समय हमारे िपताजी ने मेरे दादाजी के

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नाम पर मेिडकल कालेज खोला था उस समय समाज मे डाकटर-

इंजीिनयरो का बडा सममान था। िजस लडके का इंजीिनयिरग या मेिडकल कालेज मे पवेश िमल जाता था, शहर भर की लडिकयां उसे बडी हसरत भरी नजर से

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दखेती थी और उन लडिकयो के मां-बाप उसे अपना दामाद बनाने के सपने पालते थ,े भले ही उसने डोनेशन या िरशत दकेर कालेज मे पवेश िलया हो। लिेकन अब तो कोई मेिडकल या इंजीिनयिरग मे जाना ही नही चाहता है तो

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डोनेशन कया खाक दगेा। जािहर है समय बदलते ही मेिडकल कालेज का हमारा धंधा और इसिलये दादाजी का नाम भी नही चल पाया। आज लोगो ने और यहां तक िक दादाजी के नाम पर बने मेिडकल कालेज के से पढाई करके

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िनकलने वाले लडको ने भी दादा जी के नाम को भुला िदया या मरीजो एवं उनके िरशतेदारो ने उनकी समय-समय पर डाकटर बनने वाले उन लडको की इतनी िपटाई की वे दादाजी के कालेज का नाम लनेे से तो कया अपने को डाकटर कहने से

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डरने लग।े दरअसल पुराने समय मे िजन लडको ने डोनेशन दकेर दादीजी के नाम वाले कालेज मे पवेशष िलया था, उनमे से जयादातर दरूदशी िकसम के लडको का उदेशय मेिडकल कालेज मे पवेश लकेर लडकीवालो को फांस कर

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उनसे दहजे की भारी रकम वसूलना होता था और जब वे अपने उदेशय मे सफल हो जाते तो मेिडकल की पढाई छोडकर दहजे मे िमली रकम से या तो रेलवे बोडर या िबहार कमरचारी चयन आयोग मे कोई अचछी खासी नौकरी

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खरीद लतेे या िफर पंसारी की दकुान खोल लेते कयोिक उनहे पता था िक जब वे पांच साल के बाद मेिडकल की पढाई करके िनकलेगे तो डाकटरी के धंधे से िकलिनक का िकराया भी नही िनकाल पायेगा। इस तरह से ऐसे लडको ने तो

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कुछ महीनो मे ही अपने कालेज का नाम भुला िदया। मूखर िकसम के जो लडक डाकटरी की पढाई पूरी करके डाकटर बन गये उनहे मरीजो के िरशतेदारो ने मार-मार कर डाकटरी के धंधे से हमेशा के िलये छोड दनेे के िलये मजबूर कर

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िदया। इस तरह वे भी शीघ कालेज का और दादाजी का नाम भूल गये। ऐसे मे आज दादाजी का नाम लनेे वाला कोई िबरला ही बचा होगा। ऐसे मे हमने अपने अनुभवो से सीख लतेे हये अपने िपताजी के नाम को अमर करने के िलये कोई

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मेिडकल या इंजीिनयिरग कालेज खोलने के बजाय टेलीिवजन चैनल खोलने का फैसला िकया। इसमे एक फायदा यह हआ िक जहां कालेज खोलने के िलये कुछ पैसो की जररत पडती है, वही टेलीिवजन चैनल खोलने के िलये हमे अपने पास से

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एक धेला भी लगाने की जररत नही पडी। ऐसा कैसे हआ, बाद मे बताउंगा। टेलीिवजन चैनल खोलने का एक और कारण था। दरअसल पंसारी की दकुान संभालने वाला हमारा एक लडका एक पतकार की बुरी सोहबत

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मे फंस गया था। उस पतकार के जिरये वह और भी पतकारो की संगत मे आ गया और वह भी उन पतकारो के साथ दार-जूए के िकसी अडे पर, िजसका नाम वह पेस कलब बताया करता था,

बारह-बारह बजे रात तक दार पीता था और नश ेमे

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लोगो को गािलयां बकता हआ, सडक पर लोटता-

पोटता और िगरता-पडता घर पहचंता था। वह पढा-

िलखा तो जयादा था,

लेिकन उसकी िजद कर ली िक वह भी पतकार बनेगा। मैने यह सोचकर उसकी सातवे तक की पढाई करायी थी िक उसे

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जब दकुान पर ही बैठना है तो उसके िलये यही बहत होगा िक जोड-

घटाव जान ले। लेिकन उसने जब बताया िक पतकार बनने मे िकतना फायदा है तो मैने सोचा िक उसे पतकार ही बना िदया जाये और जब पतकार बनना है तो कयो

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नही उसे टेलीिवजन चैनल का मािलक बना िदया जाये। मेरे उसी लडके ने अपने कुछ दारबाज एवं लफंगे पतकार दोसतो को हमसे िमलवाया और सबने िमलकर टेलीिवजन चैनल खोलने के जो लाभ बताये उसे सुनकर मेरा

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िदल बाग-बाग हो गया। उसी िदन मैने सोच िलया िक िपताजी के नाम को अमर करने और तर माल खाने के िलये इससे अचछा साधन दिुनया मे कुछ और नही ह।ै अपने फमर की इस दधुार शाखा को शुर करने के िलये, सच कहा जाये तो,

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हमारी अंठी से एक धेला भी नही लगा। हालांिक दिुनयावालो को पता है िक हमने इसके िलये करोडो रपये फंूक डाले। इस झठू के फैलने से इससे हमारी इजत भी बढ गयी और हमे अपने काले धन को सफेद करने मे भी मदद िमल गयी।

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दरअसल िजस तरह से हाथी के दांत के दो तरह के दांत होते है - खाने के और िदखाने के और, ठीक उसी तरह हमारे और हमारे धंधे के दो चेहरे होते है - एक दिुनयावालो के िलये और एक अपने और अपने जैसे धंधेबाजो के िलये। इसी परमपरा

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का पालन करते हये हमने इस धंधे की नयी शाखा के िलये दो घोषणापत बनावाये थे। एक घोषणापत तो वह था िजसे हमने अखबारो मे छपावाये थ े तािक चैनल मे पैसे लगाने वालो को फंसाया जा सके जबिक असली घोषणापत को

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हमने तैयार करके बही खाता के बीच सुरिकत रखकर गदी के नीचे दबाकर रख िदया तािक जररत के समय इसतेमाल मे लाया जा सके। सबसे पहले हम अखबारो मे छप चुके नकली घोषणापत और लभुावने

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पसताव को लेकर पोपटी डीलर से िबलडर बने अपने एक पुराने कािरदे के पास गय।े जब हमने कई साल पहले पोपटी डीलरी का एक नया धंधा शुर िकया था तब उसे हमने दकुान की साफ-

सफाई और दखेरेख तथा वहां आने वाले गाहको

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को पानी िपलाने के िलये रखा था। बाद मे वह गाहको को पानी िपलाने मे मािहर हो गया। धीरे-

धीरे उसने गाहको को फंसा कर हमारे पास लाना शुर िकया और हम उतसाह बढाने के िलये उसे कुछ पैसे भी दनेे लगे। कुछ समय मे ही वह इस

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काम मे इतना होिशयार हो गया िक उसने बाद मे खुद ही पोपटी कारोबार का काम षुर कर िदया। बाद मे वह िबलडर बन गया और आज उसकी िगनती दशे के पमुख िबलडरो मे होने लगी ह।ै उसने जब िपताजी के नाम पर टेलीिवजन

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चैनल शुर करने के पसताव को पढा तो वह खुशी से उछल पडा। वह इस पसताव से इतना पभािवत हआ िक वह उसने खुशी—खुशी सौ करोड रपये टेलीिवजन चैनल मे िनवेश करने को तैयार हो गया। उसकी केवल एक शतर थी िक

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लडिकयो के चकर मे िपछले पांच साल से बारहवी की परीका मे फेल हो रहे अपने एकलौते बेटे को चैनल मे कोई महतवपूणर पद पर नौकरी दी जाये, िजसे हमने सहषर सवीकार कर िलया। बाद मे हमने उसके लफंगे बेटे को

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इनपुट हडे का पद िदया। पैसे की उसे कोई जररत थी नही, इसिलये हमने उसके िलये कोई सैलरी तय नही की। इसके बाद हम इस पसताव को लेकर अपने एक लंगोिटया यार के पास गये जो इस समय लाटरी और िचटफंड

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िबजनेस का टायकून माना जाता था। वह जुएबाजी मे मािहर था और उसने जुए से पैसे जमा करके ‘‘वाह-वाह लाॅॅटरी’’ नाम से एक कंपनी शुर की। उसका यह धंधा चल िनकला और उसके पास पैसे छपपड फाडू तरीके से इस

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कदर बरस रहे है िक उसके यहां नगिदयो के बंडलो की औकात रदी के बंडलो से जयादा नही रही ह।ै वहां अगर िकसी उपरी रैक से कोई कागज या कोई सामान िनकालना होता है तो नगिदयो के बंडलो का इसतेमाल सीढी या मेज के

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तौर पर िकया जाता ह।ै नगिदयो के बंडलो को िगनते समय या बंडल खोलते समय जो नोट खराब िनकलते है या फट जाते है उनहे कूडे की टोकिरयो मे डाल िदया जाता है और िदन भर मे ऐसी कई टोकिरयां भर जाती ह।ै बाद मे फटे

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नोटो को कूडे के ढेर मे िमला कर जला िदया जाता ह।ै वह मेरे िपताजी का मुरीद था और उनका बहत सममान करता था,

कयोिक उनहोने ही उसे लाॅॅटरी का धंधा शुर करने के िलये पेिरत िकया था। जब उसने सुना िक हम िपताजी के नाम को

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अमर करने के िलये टेलीिवजन चैनल शुर कर रहे है तो उसने उसी समय नगदी नोटो के बंडलो से भरा एक टक हमारे गोदाम मे िभजवा िदया। जब हमने कहा िक अभी इनकी कया जररत है तो उसने कहा िक ‘यह तो उसकी तरफ से

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िपताजी की महान समृित को िवनम भेट ह।ै आगे जब भी पैसे की जररत हो केवल फोन कर दनेे की जररत भर ह।ै वैसे भी उसके िलये उसके खुद के गोदामो मे नगदी के बंडलो को असुरिकत है, कयोिक कभी भी सीबीआई वालो का छापा

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पड सकता है जबिक टेलीिवजन चैनल के दफतर मे नगदी के बंडलो को रखने मे इस तरह का कोई खतरा नही ह।ै वह चाहता है िक उसके यहां के गोदाम मे जो नोटो के बंडल भरे पडे है, उनहे टको मे भर कर िढबरी नयूज चैनल के आिफस मे

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िभजवा दगेा तािक उनहे वहां चैनल के दफतरो के दो-चार कमरो मे इन नोटो को रखकर बंद कर िदया जाये।’ हमने अपने दोसत की यह इचछा मान ली। उस दोसत की एक और इचछा थी और उसे भी हमने उसके अहसानो को

70 िढबरी चैनल

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दखेते हये िसरोधायर कर िलया। असल मे उसकी पती को पूजा-पाठ एवं धमर-कमर मे खूब आसथा थी। वह िदन भर बैठ कर धािमक चैनलो पर बाबाॅाओ के पवचन सुनती रहती थी। पवचन सुनते-सुनते उनहे भी आतमा, परमातमा, परलोक,

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माया-मोह, भतू-पेत,

पुनजरनम आिद के बारे मे काफी जान हो गया था वह मेरे दोसत चाहता था िक उसकी पती को िढबरी चैनल पर सुबह और शाम एक-एक घंटे का कोई िवशेष कायरकम पेश करने को िदया जाये अथवा उनहे िकसी िवषय

72 िढबरी चैनल

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पर पवचन दनेे का िवशेष कायरकम िदया जाये। इससे पती खुश भी रहगेी और जब अपने मनचले पित पर हमेशा नजर रखने वाली पती का धयान कुछ समय के िलये पित और उसके रंगारंग कायरकमो से हट जायेगा तािक उसके पित को

73 िढबरी चैनल

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अपनी शाम को रंगीन करने के सुअवसर िमल सके। हमने िमलावटी दार, दधू,

दवाइयो आिद के कारोबारो मे लगे अनय ववसािययो से भी संपकर िकया और इन सभी ने हमे िदल खोल कर पैसे िदये। िदलली, मुबंई और

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बेगलूर जैसे कई शहरो मे कालगलर सपलाई करने का कारोबार करने वाले एक अरबपित कारोबारी ने चैनल के िलये एक सौ बीस करोड रपये का दान िकया। इसके अलावा उसने हर माह चैनल चलाने के खचर के तौर पर पांच करोड रपये दनेे का

75 िढबरी चैनल

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वायदा िकया। उसने अपनी तरफ से एक छोटी इचछा यह जतायी िक उसे हर िदन चैनल मे एंकिरग करने वाली लडिकयो मे से एक लडकी को हर रात उसके यहां भजेा जाये। हमने उसे एक नही पांच लडिकयो को भेजने का

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वायदा िकया तािक वह अपने उन अरब पित गाहको की इचछाओ का भी सममान कर सके जो मीिडया मे काम करने वाली संुदर बालाओ के साथ रात गुजारने की हसरत रखते ह।ै इस तरह हमारे पास जब एक हजार करोड से

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अिधक रपये जमा हो गये तब हम चैनल के इस पसताव को लेकर िशका मंती के पास गये, िजनके पास सूचना और पसारण मंतालय का भी अितिरक कायरभार था। िशका मंती के िपता हमारे िपताजी की दार की गुमटी पर दार बेचने का काम करते

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थे। िपछले चुनाव मे भी हमने अपने जाित के सारे वोट उनहे िदलाये थ।े इसिलये िशका मंती को हमसे खास लगाव था। उनहोने चैनल खोलने का हमारा पसताव दखेा तो हमसे िलपट कर हमारे िपताजी की याद मे रोने लग।े वह कहने लगे, ‘‘मै तो

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आपके िपताजी के एहसानो तले इस कदर दबा हं िक उनकी याद मै खुद पहल करके सरकार की तरफ से उनके नाम पर एक िवशिवदालय खोलने वाला था। अब अगर आप टेलीिवजन चैनल खोल रहे है तो मै आपसे कहगंा िक आप

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टेलीिवजन चैनल के साथ-

साथ एक मीिडया एक कालेज भी खोल ले िजसका नाम ‘‘राषीय िढबरी मीिडया इंसटीचयूट एंड िरसचर सेटर’’ रखा जा सकता ह।ै बाद मे मै इस कालेज को अंतरारषीय िवशिवदालय का दजार िदला दूगंा। इससे

81 िढबरी चैनल

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िपताजी का नाम न केवल भारत मे बिलक दिुनया भर मे रौशन हो जायेगा। इस कालेज के िलये मै सरकार की तरफ से 100

एकड की जमीन एक रपये पित वगर मीटर के िहसाब से िदलवा दूगंा। साथ ही कालेज के भवन के िनमारण पर आने वाले

82 िढबरी चैनल

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खचर का 50 पितशत सरकार की तरफ से िदलवा दूगंा। आप इसी कालेज से अपना चैनल भी चलाइय।े आपको करना केवल यह होगा िक इस कालेज मे गरीब और एस टी-एस सी के 25

पितशत बचो को िनःशुलक पिशकण दनेे के

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नाम पर हमारे जैसे मंितयो, अिधकािरयो एवं नेताओ और उनके िरशतेदारो के बचे-बिचयो का दािखला कर िलिजये जबिक बाकी के बचो से फीस के तौर पर ढाई-तीन लाख रपये सालाना वसुिलये। ’’

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िशका मंती ने जो गुर बताये उसे सुनकर मेरी इचछा हयी िक मै उनके पैर पर िगर पडू, हालांिक मुझसे वे उम मे छोटे है, लेिकन उनहोने कया बुिद पायी ह।ै वैसे ही वह इतनी कम उम मे िशका मंती जैसे महतवपूणर पद पर आसीन नही हो गय।े

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िकतने तेज िदमाग के ह।ै अब उनकी सफलता का राज समझ आया। आज पता चला िक ऐसे ही मंितयो की तीकण बुिद की बदौलत ही हमारे दशे ने इतनी अिधक पगित की ह।ै िशका मंती जो मंत िसखाया उसके आधार पर मैने िहसाब

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लगाकर दखेा िक आज िजस तरह से चैनलो मे काम करने के िलये लडके-

लडिकयां उतावले हो रहे है, उसे दखेते हये िपताजी के नाम पर बनने वाले कालेज मे पवेश लेने वालो की लाइन लग जायेगी, कयोिक इतने हमारे कालेज और चैनल

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के साथ एक से एक बडे नाम जुडे होगे। सभी बचो को सबजबाग िदखाया जायेगा िक कोसर पूरा होते ही उनहे एंकर अथवा िरपोटरर बना िदया जायेगा। अगर हर बचे से तीन-तीन लाख रपये िलये जाये और पांच सौ बचो बचो को पवेश िदया

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जाये तो हर साल 15 करोड रपये तो इसी तरह जमा हो जायेग।े इस तरह एक मीिडया कालेज से ही कुछ सालो मे अरबो की कमाई हो जायेगी। साथ ही साथ कैमरे आिद ढोने,

सदी-गरमी मे दौड-धूप करने, कुसी-मेज और गािडॅ़यो की साफ-सफाई

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करने जैसे कामो के िलये मुफत मे ढेर सारे लडकेॅे तथा चैनलो मे पैसे लगाने वाले तथा अलग-अलग तरीके से मदद करने वालो की मचलती हयी तबीयत को शांत करने के िलये मुफत मे कमसीन लडिकयां िमल जायेगी। कालेज मे दािखला लेने

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वालो मे से िकसी को नौकरी तो दनेी नही है, केवल पलोभन ही दनेे है, कयोिक जब पतकािरता सकूल-कालेज चलाने वाले अनय चैनलो और अखबारो के मािलक जब उनके कालेजो मे पढने वाले लडके-लडिकयो को कोसर खतम होते ही लात

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मार कर िनकाल दनेे की पावन परमपरा की सथापना की है तो हम कयो इस परमपरा का उललंघन करने का पाप ले। िशका मंती के सदवचनो एवं सुझावो के बाद हम उतसाह से भर गये और हमे िढबरी चैनल

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पिरयोजना का भिवषय अतयंत उजवल नजर आने लगा। इस भिवषय को और अिधक चमकदार बनाने के िलये हम दशे की एक पमुख पीआर कंपनी की मालिकन के पास गये। दखेने मे वह इतनी संुदर थी िक उस पर िकसी का भी िदल आ

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सकता था - चाहे वह िकतना ही संत हो। उसकी राजनीितक गिलयारे से लकेर अरबपित उदोगपितयो के बेडरम तक पहचं थी। राजनीित, उदोगजगत और मीिडया पर उसका इतना पभाव था िक वह िजस पतकार से बात कर

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लेती वह अपने को धनय समझता। एक समय था जब वह मुझपर भी मेहरबान थी, लेिकन आज तो उसकी हिैसयत इतनी उंची हो गयी िक वह मुझसे काफी दरू हो गयी। आज वह मंती और सरकार बनाने-िबगाडने का खेल करती थी। उससे

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िमलने का समय िमलना,

िकसी दवेी से िमलने से भी अिधक कीमती था। महीनो तक सैकडो बार फोन करने के बाद जब उसने मुलाकात का समय दे िदया तब मैने समझ िलया िक हमारी दकुान का चलना तय ह।ै असल मे जब उसने िवदशे मे

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अपने पित को छोडकर भारत आकर ववसािययो, पूंजीपितयो,

उदोगपितयो, मंितयो और पतकारो से संपकर बनाने का अपना पी आर का नया ववसाय शुर िकया था तब मैने ही उसे पहला काम िदया था। धीरे-धीरे उसने अपनी

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मंितयो एवं बडी-बडी कंपिनयो के मािलको से संपकर बढाना शुर िकया और आिखरकार उसने दशे के सबसे बडे उदोगपित से काम पाने मे सफलता हािसल कर ली। जब मै उससे िमलने पहचंा तब उसकी भवता

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को दखेकर दगं रह गया िक एक समय दो कौडी की मिहला आज दशे की िसरमौर बन गयी। आलीशान बंगला, िवदशेी कारो का कािफला, दजरनो नौकर, हर कदम पर सुरका गाडर - ऐसा लगा िक मै अमरीका के राषपित से िमलने जा

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रहा ह।ं उसकी हिैसयत से तुलना करने पर मै िबलकुल िडपेशन मे चला गया, एक सेकेड के िलये तो आंखो के सामने अंधेरा छा गया। मुझे लगा िक टेलीिवजन चैनल खोलने के बजाय पी आर कंपनी ही खोलना जयादा अचछा रहता।

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जब मै उसके समक पहचंा तो वह साकात दवेी लग रही थी। मैने सोचा िक अगर उसका आशीवाद िमल जाये तो मेरा भी जीवन सफल हो जाये, इसिलये मै उसके चरण छूने के िलये झकुा लेिकन उसने मुझे गले से लगा कर मुझे धनय कर

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िदया। मैने िढबरी चैनल खोलने की अपनी योजना बतायी और उससे यथासंभव मदद करने का आगह िकया। मेरी योजना सुनते ही उसके चेहरे पर खुशी की लहर दौड गयी। उसने कहा, ‘‘मै तो पहले से ही कोई चैनल शुर करने का

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मन बना रही थी और अगर आप चैनल शुर कर ही रहे है तो वह इसी चैनल मे पाटरनर बनने को तैयार ह।ै असल मे हमारा पी आर का काम और चैनल का काम एक ही तरह का होता ह।ै पी आर के काम मे जो मािहर हो गया उसे अचछा संपादक

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बनने से कोई नही रोक सकता। उसकी बाते सुनकर मै उसकी कािबिलयत पर मकबूल िफदा हसैन हो गया था और अगर मै िफलम बनाने के धधे मे होता तो उसपर जरर एक िफलम बना डालता और अगर पेटर होता तो उसकी

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दजरनो पेिटग बना कर उनकी दिुनया भर मे पदशरनी करता। उसका आइिडया सुनकर मुझे चैनल खोलने का अपना फैसला िबलकुल सही लगने लगा। उसने काफी दरे तक मुझे गुर मंत िदया और उसने यह भी कहा िक अगर मै

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उसे चैनल मे िफफटी-

िफफटी का पाटरनर बना दूं तो वह मेरे िपताजी के नाम को अमर करने के िलये एक भव मंिदर बनायेगी। मुझे इसमे कोई िदकत नजर नही आयी इसिलये मैने ततकाल हामी भर दी। उससे िमलकर लौटते समय

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रासते भर मुझे आंखो के सामने सवगर के नजारे िदखते रह।े मुझे अफसोस हो रहा था िक चैनल शुर करने का िवचार पहले कयो नही आया। अगर ऐसा हो गया होता तो इस समय मै सवगर का सुख भोग रहा होता - खैर दरे आये, दरुसत आय।े

107 िढबरी चैनल

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जैसा िक पहले बताया गया है िक हमने अपने पुजयिपता जी िढबरी लाल के नाम को रौशन करने के िलये िढबरी चैनल खोलने की योजना बनायी ह।ै इस चैनल को शुर करने के िलये हमने अपनी अटंी एक ढेला लगाये बगैर ही करोडो

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रपयो का इंतजाम कर िलया। जब यह तय हो गया िक िढबरी चैनल शुर करने और चलाने मे पैसे की कोई नही आयेगी,

बिलक छपपर फाड कर पैसो की बरसात होगी,

तब हमने चैनल चलाने के संबंध मे कुछ िनयम बनाये तािक भिवषय मे

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इसमे काम करने वाले लोगो को िदशा िनदषे िमलता रह।े ये िनयम बहत काम है और चैनल चला रहे अथवा चैनल शुर करने के बारे मे सोच रहे लोगो के िलये अतयंत उपयोगी ह।ै अगर वे चाहे तो इन िनयमो को अपने

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यहां लागू कर सकते ह।ै ये िनयम इस पकार है -

1. िढबरी चैनल की इमारत बनाने का ठेेेका मेरे ताउजी के लडके को ही िदया जायेगा, अगर ऐसा नही िकया गया तो िपताजी की आतमा को कष होगा। अगर सूचना और पसारण मंती इस

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बात पर अड गये िक इमारत बनाने का ठेका उनके साले को िदया जाये तब भी िसमेट, सिरया और टाइलस जैसी भवन िनमारण की सारी सामिगयां मेरे ताउजी के बेटे की दकुान से ही मंगानी होगी।

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2. अगर हमारे पिरवार मे कोई शादी-िववाह अथवा अथवा अनय पािरवािरक आयोजन हो तो चैनल के िविभन िवभागो के इचाजर एवं िरपोटरो को िनमंतण काडर बांटने होगे। अगर कोई भी काडर बंटने से रह जाने या िकसी के काडर को िकसी

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और के यहां पहचं जाने जैसी गलितयो को माफ नही िकया जायेगा और दोशी की सैलरी काट ली जायेगी या उसे नौकरी से िनकाल िदया जायेगा। 3. चैनल मे काम करने वाली मिहला पतकारो को बारी-बारी से हमारी दकुानो और शो रम मे

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काम करना होगा। अगर जररत पडे तो हमारी कंपनी की ओर से बनाये जाने वाले सामान को बेचने के िलये माकेिटग भी करनी होगी।4. िढबरी चैनल मे योगयता एवं कािबिलयत से वेतन तय होगा। इसका फामूलार यहां िदया जा रहा है

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तािक िकसी तरह के िववाद की गुंजाइश नही रहेे े। अगर कोई विक हमारे चैनल मे मुफत मे काम करने वाले 100 लडके-

लडिकयो का जुगाड कर लेता है तब उसके मािसक वेतन-भते पांच लाख रपये होग।े अगर कोई विक दो-दो हजार रपये

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के मािसक मेहनताने पर 100 लडके-लडिकयो को लाता है तब उसका वेतन पहले वाले से आधा हो जायेगा। अगर िकसी विक के लाये हये कुछ लडके-लडकी कही और चले जाते है तो इसकी पितपूित पांच िदन के भीतर हो जानी चािहये

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अनयथा वेतन काट िलया जायेगा।5. सभी पतकारो एवं पोडूशरो को अपने के वेतन के िहसाब से िवजापन लाना होगा। िजसका िजतना वेतन होगा उससे कम से कम पांच गुना िवजापन हर माह लाना होगा। अगर

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कोई िकसी महीने कम िवजापन लाता है तो दसूरे महीने अिधक िवजापन लाने होगे अनयथा कंपनी को होने वाले नुकसान का पांच गुना पैसा उसके वेतन मे काट िलया जायेगा। 6. हमे चुगलीखोर लोग िवशेष तौर पर पसंद ह।ै

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सभी पोडूशरो, िरपोटररो एवं एंकरो को चुगलीखोरी मे मािहर होना होगा और मेरे पास आकर दफतर मे काम करने वाले लोगो की चुगली करनी होगी। खबर या दफतर के काम के बारे मे िवचार करने के िलये अगर कोई मेरे पास

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नही आये तब मुझे कोई आपित नही होगी, लेिकन अगर कोई चुगलीखोरी एवं जी हजूरी के िलये अगर हमारे पास नही आया तो उसे कमा नही िकया जायेगा। जो िजतनी अचछी चुगली एवं जी हजुरी करेगा उसे उतनी जलदी सैलरी

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हाइक होगी और उसके चैनल पमुख बनने की संभावना उतनी ही अिधक होगी। चुगली सुनने के िलये हम रात एक बजे भी उपलबध होगे। 7. चैनल मे काम करने वाले िकसी को भी और कभी भी हमारे घर पर

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काम करने के िलये बुलाया जा सकता ह।ै घर मे काम करने के िलये आते समय जो पतकार अपने पैसे से फल-सबजी,

िमठाइयां और दाल-

चावल लेते आयेगे उनहे पदोनित दनेे के मामले मे वरीयता दी जायेगी।

123 िढबरी चैनल

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8 जैसा िक पहले बताया गया है हम अपने िपता िढबरी लाल का नाम अमर करने के िलये िढबरी चैनल नामक फमर शुर कर रहे है, इस िलये हमारे परम लकय को साकार करने की कोिशश चैनल मे काम करने वाले

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हर विक को करनी होगी। 9. हम चाहते है िक आने वाली पीढी हमारे िपताजी का नाम इजत से ल।े चूंिक हमारे िपताजी की कोई इजत रही नही, ऐसे मे हम अपने चैनल के जिरये हर इजतदार और ईमानदार

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विक की इजत उतारने का काम करेगे तािक कोई अनय अपने पास इजत और ईमान होने का दावा नही कर सके। ऐसे मे लोगो को मजबूरी मे हमारे िपताजी को सबसे जयादा इजतदार एवं ईमानदार मानना होगा। इसके िलये जररत पडे

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तो िसटग आपरेशन, फजी सीडी, एमएमएस जैसे उपायो का सहारा िलया जा सकता ह।ै िमसाल के तौर पर जैसे ही कोई ईमानदार बनने की कोिशश करे उसकी ततकाल फजी सीडी बनाकर माकेट मे उतार िदया जाये और सीडी को

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िदन रात िढबरी चैनल पर िदखाया जाये। 10. हालांिक हमारा चैनल खबिरया चैनल है, लेिकन हमारे चैनल पर खबरे नही होगी। खबरो का इसतेमाल िफलर के तौर पर होगा। अंधिवशास और जादू-टोने, नाग-

नािगन, भूतहा हवेिलयो,

128 िढबरी चैनल

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पुनजरनम, योिगयो-भोिगयो-

बाबाओ आिद पर िवशेष लाइव कायरकमो को पसािरत करने के बाद अगर कुछेक िमनट का समय बच जाये तो एकाध खबरे दी जा सकती है तािक हमे नयूज चैनल के नाम पर सरकार से िमलने वाली सुिवधाये,

129 िढबरी चैनल

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िरयायते और बेल आउट पैकेज आिद जारी रह।े 11. अगर दशे या िवदशे मे िकसी मंती, उे़दोगपित,

करोडपित, िककेट िखलाडी या िफलम सटार आिद के पिरवार मे शादी-

िववाह या तलाक आिद के आयोजन होते है तब उसका िढबरी चैनल पर

130 िढबरी चैनल

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नाेॅन सटाप िदन रात पसारण होगा। जो िरपोटरर शादी के बाद होने वाले दलुहा-दलुहन के बेड रम कायरकमो का सीधा पसारण करने का इंतजाम कर लगेा उसे उसी समय चैनल पमुख बना िदया जायेगा और उसकी सैलरी दोगुनी कर

131 िढबरी चैनल

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दी जायेगी। अगर िकसी बडे आदमी या िकसी सेिलिबटी के यहां शादी या तलाक के आयोजन नही हो रहे है तो उनय लोगो के यहां होने वाले पितयो के हाथो पितयो की िपटाई, िकसी विक की बीबी और मासुका के बीच होने वाले िसर

132 िढबरी चैनल

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फुटौववल, िकसी घर की लडकी के एमएमएस,

नौकरानी के साथ छेडखानी आिद का पसारण िकया जा सकता ह।ै

133 िढबरी चैनल

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िढबरी चैनल मे भती अिभयान

िढबरी चैनल मुतयु लोक,

पताल लोक एवं आकाश लोक की अफवाहो और बेिसर-पैर वाली खबरो को पचािरत-पसािरत करने वाला एकमात पमािणक चैनल है िजसका धयेय वाकय

134 िढबरी चैनल

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है-‘‘आपको रखे सबसे पीछे’’। िढबरी नयूज को अपने िवसतार के दसूरे चरण मे उटपटांग घटनाओ, भतू-पेत से संबिधत बकवासो,

अंधिवशास को बढावा दनेे वाली बेतुकी बातो और पेम लीलाएं करने वालो की मूखरतापूणर

135 िढबरी चैनल

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हरकतो के संगह के िलये भारी संखया मे िरपोटररो की जररत ह।ै कुछ राजनीितक दलो, भष ववसािययो, दगंाइयो,

पाखंिडयो और धमर के नाम पर दकुाने चलाने वालो के काले धन से चलाये जा रहे इस चैनल का लकय कम से कम

136 िढबरी चैनल

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समय मे भारत की समपूणर आबादी को अंधिवशासी,

िववेकहीन, मूखर और अजानी बना दनेा है तािक हमे धन उपलबध कराने वालो को अपने गोरखधंधे करने मे आसानी हो। अगर आप िबना सोचे-समझे लगातार घंटो

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बेमलब के चीख-िचलला सकते है, टी आर पी बढाने के िलये नदी-तालाब,

अखाडे और आग मे कूद सकते है, पित-पितयो के बीच झगडे करा सकते है और झगडे को सीधा पसािरत कर सकते है, िसटग करके िकसी इजतदार की इजत-

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आबर सरेआम उतार सकते है, आये िदन धरती के िवनाश की घोषणाये करके लोगो मे खौफ पैदा कर सकते है, कही भी,

कभी भी और िकसी के भी हाथो जलील हो सकते है, उफ िकये बगैर घंटो तक लात-धूसे खा सकते है, सूडान मे बैठकर

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इराक यदु की िरपोिटग कर सकते है, सटूिडयो मे बंदर की तरह दौड-दौड कर खबरे पढ सकते है, अचछी खासी हवेिलयो को भतुहा बना कर िदखा सकते है और बाइट दनेे वालो से ऐसे सवाल पूछ सकते है िजनहे सुन कर दशरक अपने िसर के बाल

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नोच ल े तथा बाइट दनेे वाला बाद मे अपना िसर फोड ल ेतो एक शानदार कैिरयर आपका इंतजार कर रहा ह।ैशैकिणक योगयताएं:1. सातक। अगर आपने जुगाड करके, चोरी करके अथवा घूस दकेर फजी िडिगयां हािसल की है तो

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आपको चयन मे वरीयता दी जायेगी।2. पढने-िलखने से सखत नफरत हो। पढने-िलखने की आदतो के िशकार लोग कृपया आवेदन नही करे।3. सामानय जान मे िसफर।

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4. चापलूसी और मकखनबाजी मे िवशेषजता।5. सटूिडयो मे बुलाये गये िवषेशजो को बोलने दनेे के बजाय खुद ही चीखने-

िचललाने की काबिलयतशारीिरक कमताएं: 1. जैक आफ आल िटकस।

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1. बंदर की तरह उछल-कूद करने की कमता।3. रोजना कम से कम दस जूते, दस तमाचे और दस घूसे खाने के कमता।5. दगंा, िहसा और अफवाहे फैलाने मे मािहर। ऐसी गितिविधयो मे शािमल रह चुके उममीदवारो को वरीयता दी जायेगी।

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6. चीखने-िचललाने की कमता समानय मनुषय की तुलना मे कम से कम दस गुनी हो। तासदपूणर घटनाओ की खबरे उछल-

कूद कर तथा चीख-

िचलला कर सुनाने वालो को शीघ पदोनित। दरअसल हमारा लकय अपने दशरको को छह

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महीने के भीतर बहरा बना दनेे का है और इस लकय को पूरा करने मे सवारिधक योगदान दनेे वालो को पदमशी सममान के िलये सरकार के पास िसफािरश भजेी जायेगी। मानिसक कमताएं:

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1. िदल मे पतथर और िदमाग मे भूसा भरा हो। िदल और िदमाग रखने वाले िकसी उममीदवार की अगर भूलवश िनयुिक जाये तो उनहे नौकरी पर आने से पहले ये दोनो वथर पदाथर घर पर ही छोडने होगे।

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3. िकसी के मरने जीने से कोई मतलब नही रखना,

केवल टी आर पी पर िनगाह रखना।4. िदल इतना कठोर हो िक कोई अगर आग लगाकर खुदकुशी कर रहा हो तो उसे बचाने के बजाये उसपर पेटोल डालकर उसे शीघ जलने मे मदद

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करे और छटपटाते हये आदमी की शॉट लेते रह।े 5. हर समय मां-बहन की गािलयां खुशी-खुशी बदारशत करने तथा दसूरो को भी ऐसी गािलयां सुनाने की कािबिलयत।पदोनित की शते:

िढबरी नयूज मे िरपोटरर पद पर बहाली के बाद

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आपको विरष िरपोटरर के रप मे पदोनित दी जायेगी। पदोनित के िलये कायर पदशरन आंकने का आधार आपकी खबरे होगी। अगर आप अपनी खबरो से आग लगा सकते है, दगंे भडका सकते, िसर फुटौववल करवा सकते है, हतयाये एवं आतमहतयाये

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करवा सकते है और लोगो को अंधिवशासी बना सकते है तो आपको ततकाल पदोनित दी जायेगी। िजस िदन आपकी िकसी खबर से दगंे फैल जायेगे या गुमराह होकर कुछ लोग खुदकुशी कर लगेे या कुछ लोग इतने अंधिवशासी

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बन जायेगे िक वे बचो की बिल लेने लगे तो आपकी सैलरी दोगुनी कर दी जायेगी। आपको िढबरी नयूज की ओर से िनःशुलक दस िढबिरयां, मािचस और हर महीने दस लीटर िमटी तेल मुहयैा कराये जायेगे िजनका इसतेमाल आप तब कर सकते है जब

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आपकी खबर से कही आग नही लगे लिेकन टी आर पी बढाने अथवा आपकी पदोनित के िलये ऐसा करना जररी हो जाये।

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िढबरी चैनल पमुख के िलये अजी

माननीय महोदय। मुझे जात हआ है िक अंधिवशास, िववेकहीनता,

सामािजक पागलपन,

अशीलता, अनैितकता एवं संसकारहीनता के पचार-

पसार के सवोच उदेशय को लेकर चलाये जा रहे

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अतयंत लोकिपय, हर िदल अजीत एवं टीआरपी बटोर चैनल ‘‘िढबरी नयूज’’ मे चैनल पमुख का पद कोई सुयोगय उममीदवार नही िमल पाने के कारण काफी समय से िरक ह।ै मै इस पद के िलये अपने को एक उममीदवार के रप मे पेश

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करते हये पूणर िवशास के साथ दावा करता हं िक इस पद के िलये मुझ जैसा कािबल, सकम एवं सुयोगय उममीदवार आपको िढबरी लेकर ढंूढने से भी नही िमलगेा। महोदय, अगर आपको अपने चैनल की टीआरपी आसमान से भी आगे ले

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जानी है तो आप मेरी सशतर सेवा ले सकते ह।ै इससे पहले मैने बचे से लेकर िबलली और बंदरो के गडढे मे िगरने की घटनाओ को पेश करने करने मे सबसे आगे रहने वाले गडा सटार चैनल,

हवेिलयो को भतूहा और भयावह बनाकर कर

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िदखाने वाले चैनल सुनसान नयूज 24, राखी सावंत जैसी चवनी छाप अिभनेितयो के बल पर भारी टीआरपी बटोरने वाले चैनल सवांग इमेिजन, जूली-बटूकनाथ के साथ-साथ सुिखयो मे आये चैनल - झाडू तक और हलकी बािरश को

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महापलय तथा मामूली आगजनी को महािवनाश सािबत करने मे मािहर चैनल - बबारद इंिडया टीवी जैसे अनेकानेक चैनलो मे मािलक को लडिकयां सपलाई करने वाले दलाल और िवजापन एजेट से लेकर इनपुट हडे और चैनल

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पमुख के रप मे काम कर चुका ह।ं इस समय मै पाताल 7 चैनल मे काम कर रहा हं िजसने धरती के नीचे िकये जाने वाले वैजािनको के पयोग से धरती के नष होने की घोषणा करके काफी नाम कमाया था और यह महतवपूणर बेिकग नयूज

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मेरे ही उवरर िदमाग की उपज थी। आदणीय महोदय, मैने पैसे लेकर फजी िडिगयां दनेे वाले दशे के एक नामी िवशिवदालय से पैसे िदये बगैर सातकोतर की िडगी हािसल की है जो मेरी कािबिलयत का जीता-जागता पमाण ह।ै

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मैने न केवल अपने िलये बिलक अपने अनेक लंगोिटया दोसतो को भी िडिगयां िदलायी ह।ै मैने सैकडो लडके - लडिकयो को बोडर परीकाओ मे पिचयां पहचंाकर अचछे नमबरो से उतीणर करवा कर दशे के साकारता पितशत मे बढोतरी करने

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मे महतवपूणर योगदान िदया ह।ै मै दीवार फांदने और पाइपो के जिरये पलक झपटते छतो पर पहचंने मे मािहर रहा ह।ं मेरी इस योगयता के कारण मुझे परीकाओ मे चोिरयां कराने के िलये दरू-दरू के परीका केनदो मे अिभभावको दारा

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आमंितत िकया जाता रहा ह।ै मैने कई लडिकयो को पिचयो के नाम पर पेम पत पहचंा कर अनेक टूटे हये िदलो एवं िरशतो को जोड कर दशे मे पेम एवं भाइचारे को बढावा िदया ह।ै मेरे बदौलत परीकाये पास करके अचछी-अचछी िडिगयां

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पाने वाले मेरे य े सभी मेधावी दोसत इलेकटािनक मीिडया के िवकास के मुखय पणेता बने हये ह।ै मै और मेरे दोसत अपने-अपने चैनलो की टीआरपी को जमीन से उठा कर आसमान पर और दशे की जनता के िववेका को रसातल मे

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पहचंा कर दशे मे लोकतंत के िवकास मे महतवपूणर भूिमका िनभा रहे ह।ै परम् पूजयनीय मानयवर,

मेरा पका िवशास है िक मेरे जैसे मीिडयाकिमयो की बदौलत टेलीिवजन चैनलो ने दशे मे लोकतंत के िवसतार मे िजतना

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योगदान िदया है उतना िकसी और ने नही िदया ह।ै इन चैनलो ने यह सािबत कर िदया है िक दिुनया मे अगर कही सचा लोकतंत है तो भारत मे है जहां कोई कुछ भी करता रहे, कुछ भी िदखता रहे, कोई कुछ भी िचललाता रहे न तो

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सरकार के और न ही जनता के कानो मे जू रेगता ह।ै यहां जनता मूखर बनकर, लूटकर और इजत खोकर खुश होती है - यह यही लोकतंत की असली पहचान ह।ै इसिलये हमने िजन चैनलो मे काम िकया उनका सदपुयोग

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हमने लोकतंत को बढाने मे िकया। महोदय मैने चापलूसी,

दलाली, चोरी-चमारी,

दगंेबाजी, रंडीबाजी,

इशकबाजी और रंगदारी जैसे हर केतो मे िवशेष अनुभव बटोरे ह।ै मै इस पत के जिरये मै न केवल अपनी मानिसक एवं

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शैकिणक योगयता का बिलक शारीिरक योगयता एवं कमता का बयौरा आपके सामने पेश करना चाहता हं कयोिक चैनलो मे काम करने के िलये मानिसक योगयता से कही अिधक पैर, धुटने और गले जैसे शरीर के िविभन

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अंगो की कमता जयादा महतवपूणर ह।ै जहां तक गले की कमता का सवाल है मै आपको बताना चाहता हं िक मैने अनेक परीका केनदो के बाहर खडे होकर जब मैने बेरोजगारी के िदनो मे तक फेरी लगाकर मोहललो की औरतो को

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सािड़़यां एवं बलाउज बेचने का भी काम कर चुका ह।ं गला फाडकर िचललाने की मेरी कमता के कारण कई मोहलले के लोगो ने कई बार मेरी िपटाई कर दी िजसके कारण मैने सबजी बेचने का धंधा छोडकर अपने शहर के एक मशहर कोठे

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पर चैकीदार की नौकरी करने लगा। कोठे पर चैकीदारी तथा सािड़़यां-बलाउज बेचने के दौरान मेरी कई औरतो से गहरी दोसती हो गयी जो बाद मे चैनलो़े की नौकरी के दौरान बहत काम आयी। इस मामले मे मेरे संपकर का दायरा

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बहत वापक है और ये संपकर चैनलो की आमदनी बढाने तथा कई अटके कामो मे अतयंत उपयोगी सािबत हये ह।ै गला-फाडकर िचललाने का मुझे काफी अभयास रहा ह।ै इस संबंध मे मै आपको बताना चाहता हं िक हमारे यहां िक बोडर

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की परीकाओ के दौरान परीका केनदो पर लाडडसपीकर लगाकर परीकािथयो को पशो के जबाव बताये जाते थ।े वैसे जेनरेटर आिद की भी ववसथा होती थी तािक िबजली जाने पर भी कोई िदकत नही हो, लिेकन कई बार जेनेरेटर का इंतजाम

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नही होने या कोई तकनीकी खराबी आ जाने पर मै लाउडसपीकर की मदद िलये बगैर िचलला-

िचललाकर ही परीकािथयो को पशो के उतर िलखवाता था। िचललाने की मेरी कमता ऐसी थी िक हर परीकाथी िबना कोई

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गलती िकये सभी पशो के सही उतर िलखते थ।े कई बार तो पास के परीका केनदो के परीकाथी भी मेरी आवाज सुनकर उतर िलख लेते थे। आप समझ सकते है िक दशे मे िशका के पचार-पसार मे मेरा िकतना योगदान रहा ह।ै

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जहां तक मेरे पैर एवं घुटने की कमता का सवाल है मै आपको बताना चाहता हं िक चैनलो मे आने के पहले मै कई महीनो तक एक बहत बडे कारोबारी के बंगले पर सुरका गाडर के रप मे नौकरी कर चुका हं जहां मेरा काम गेट पर

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लगातार खडा रहने का होता था। मेरी यह कमता चैनलो मे िरपोिटग के दौरान काफी काम आयी। मेरी अनय शारीिरक एवं मानिसक योगयताये िनम िलिखत है -

1. मै उफ िकये एवं चेहरे पर िशकन लाये बगैर

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लगातार सौ जूते एवं चपपले खा सकता ह।ं 2. खडे-खडे पचास लात-धूसे खाने की कमता। लात-

धूसे खाने से शरीर मे चुसती-सफूती बनी रहती है और नीद भी अचछी आती ह।ै3. मै मािलको की गािलयो को अपने िलये अमृत

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समान मानता ह।ं िजस िदन मै मािलक के मुंह से एक दजरन गािलयां हजम नही कर लू ं उस िदन खाना हजम नही होता। 4. अगर आपका िदल मुझे नौकरी से िनकालने का हो तो पीठ पर पांच लात मारकर िनकाल सकते ह।ै

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मुझे कोई फकर नही पडेगा। 5. अपने अधीन काम करने वाले कमरचािरयो को गदहा-घोडा समझते हये उनहे भी लात-धूस और जूते-चपपल बरसाने की कािबिलयत रखता ह।ं 6. चापलुसी और दलाली मे महारत। अपना काम

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िनकालने के िलये थकू और जूते चाटने को पिवत काम मानना। 7. मुझे पढने-िलखने से सखत नफरत ह।ै मैने परीकाओ मे नकल करके कािपयो पर िलखने के अितिरक अपने जीवन मे कुछ भी नही िलखा है और न ही नकल करने के

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िलये बनायी गयी पिचयो एवं कािपयो के अलावा कुछ पढा ह।ै महोदय मैने जो योगयताये िगनायी है आज के समय मे बहत कम लोगो के पास ऐसी योगयताये है और मै ऐसे कई लोगो को जानता हं जो मुझसे कम योगयताये

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होने के वाबजूद बडे-बडे चैनलो के पमख बनकर दस-दस लाख रपये की सैलरी ले रहे ह।ै ऐसे मे मै अपनी कािबिलयत को धयान मे रखते हये मै 15

लाख रपये की मािसक सैलरी पाने की उममीद रखता हं और वायदा करता हं िक मै एक साल

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के भीतर आपके चैनल को दशे का नमबर वन चैनल बना दूगंा और अगर मै ऐसा करने मे िवफल रहं तो आप मुझे सौ जूते मारकर ततकाल नौकरी से िनकालने के िलये सवतंत ह।ै मुझे पका िवशास है़ ै िक आप मेरे आवदने एवं मेरी

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योगयता पर िवचार करते हये अपने चैनल मे काम करने और अपनी योगयता को सािबत करने का एक मौका अवशय दगे।े आपका भावी सेवक 000000000000000000000

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