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VIRTUAL LIBRARY ON MAHATMA GANDHI(RAIPUR REGION) LIBRARIAN R.K.KATAKWAR
KENDRIYA VIDYALAYA DONGARGARH
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महात्मा गांधी का प्रिय भजनवैष्णव जन तो तनेे कहये, जे पीर पराई जाणे रे ।।
पर दःुखे उपकार करे तोये, मन अभमान न आणे रे ।।सकल लोक माँ सहुने वन्दे, नन्दा न करे केनी रे ।।वाच काछ मन नश्चल राखे, धन-धन जननी तरेी रे ।।
वैष्णव जन तो तनेे कहये, जे पीर पराई जाणे रे ।।
समदृिष्ट ने तषृ्णा त्यागी, पर स्त्री जेने मात रे ।।िजहृवा थकी असत्य न बोले, पर धन नव झाले हाथ रे ।।मोह माया व्यापे नह जेने, दृढ वैराग्य जेना तन मा रे ।।राम नामशुं ताली लागी, सकल तीरथ तनेा तन मा रे ।।वण लोभी ने कपट रहत छे, काम क्रोध नवायार्या रे ।।भणे नर सैयों तनेु दरसन करता, कुळ एको तरे तायार्या रे ।।
(गुजरात के संत कव नरसी मेहता की यह रचना, महात्मा गांधी को अतप्रिय थी)
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