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    SSC CGL 2017 GENERAL AWARENESS

    CAPSULE {Science|Polity|History|Economics|Geography}

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    SCIENCE CAPSULE-2017

    भौततक तिज्ञान

    गततकी

    गततकी

    गततकी याांतिकी की िह शाखा ह ैजो िस्तुओं की गतत के कारण पर ध्यान न

    दतेे हुए, उनकी गतत के अध्ययन के साथ व्यिहार करती ह।ै

    तिराम और गतत

    एक िस्तु को तिराम तब कहा जाता ह ैजब िह समय के साथ अपने पररिेश के

    क्रम में अपना स्थान नहीं बदलती है एिां इसे गतत में तब कहा जाता है जब से

    समय के साथ अपने पररिेश के क्रम में अपना स्थान बदल लेते हैं।

    सरल रेखीय गतत क्षैततज सड़क पर चलती कार, गुरुत्िाकर्षण के अांतषगत

    गतत आदद।

    कोणीय गतत जैसे दक एक िृत्त पर गततमान एक कण, प्रक्षेप्य गतत, मशीन

    शाफ़्ट का घूणषन आदद।

    घुणाषत्मक गतत जैसे दक पांखे की गतत।

    यदद कोई िस्तु समय के बराबर अांतराल में बराबर दरूी की यािा करती

    ह ैतो इसे एकसमान गतत कहते हैं।

    यदद कोई िस्तु समय के बराबर अांतराल में असमान दरूी की यािा करती

    ह ैतो इसे असमान गतत कहते हैं।

    चाल

    एक इकाई समय अांतराल में एक गततमान पपड द्वारा तय की दरूी को

    इसकी चाल कहते हैं।

    चाल = तय की दरूी

    तलया गया समय

    जब एक पपड और चाल से समान दरूी तय करता ह,ै तो औसत

    चाल को दोनों चालों का हरात्मक माध्य कहते हैं। .

    जब एक पपड और चाल के साथ समान समय के तलए यािा करती

    ह ैतो इसे अांकगतणतीय माध्य कहते हैं।

    िगे

    एक पपड के तिस्थापन के पररितषन की समय दर इसका िेग कहलाती ह।ै

    िेग तिस्थापन

    समय

    एक िस्तु को तब एकसमान िगे में गततमान कहा जाता ह ैजब यह समय

    के बारबर अांतराल में बराबर तिस्थापन से गुजरती ह।ै

    एक िस्तु को असमान िगे या पररितषनशील िगे में गततमान कहा जाता

    ह ैजब यह समय के बराबर अांतराल में यह असमान तिस्थापन से गुजरता

    ह।ै

    औसत िेग = तिस्थापन समय

    कुल तलया गया समय

    त्िरण

    एक पपड के िेग के पररितषन की समय दर इसका त्िरण कहलाती ह।ै

    त्िरण = िेग में पररितषन

    तलया गया समय

    यह एक सददश रातश ह ैऔर इसकी मानक इकाई ह।ै

    समय के एक तनतित पबद ुपर होने िाला त्िरण को तात्क्षतणक त्िरण

    कहते हैं।

    जब एक पपड का िेग समय के साथ बढ़ता ह,ै तो इसका त्िरण धनात्मक

    होता ह ैऔर यदद िेग समय के साथ घटता ह ैतो इसका त्िरण ऋणात्मक

    हो जाता ह।ै यह मांदन कहलाता ह।ै

    यदद त्िरण समय के साथ नहीं पररिर्ततत होता तो इसे तस्थर त्िरण कहते

    हैं।

    समरूपी त्िरणशील गतत का समीकरण (सरल रेखा के साथ)

    यदद एक पपड अपनी गतत आरतभभक िेग u के साथ आरभभ करता है और t

    अांतराल में अांततम िेग v तक पहुुँच जाता ह,ै तो गतत में अनुमातनत समान

    त्िरण a होता ह ैऔर तय की गई दरूी s होती है, तो गतत का समीकरण है:

    यदद कोई पपड गुरुत्िाकर्षण के अांतगषत मुक्त रूप से तगरता है, तो उपयुषक्त

    समीकरण में a को g से प्रततस्थातपत दकया जाता है।

    यदद एक िस्तु को ऊध्िाषधर रूप ऊपर की ओर फें की जाती ह ैतो गतत के

    उपयुषक्त समीकरण में a, को (–g) से प्रततस्थातपत दकया जाता है।

    एक पपड के तलए शून्य त्िरण या तस्थर चाल में, िेग और समय के मध्य

    का ग्राफ समय अक्ष के समरेखीय होगा।

    त्िरणशील या मांदन पपड के तलए ग्राफ सरलरेखीय समय अक्ष और िेग

    अक्ष पर झुका होता ह।ै

    एक त्िरणशील या मांदक पपड के तलए (दरूी)-समय के मध्य ग्राफ सदैि

    परिलय होता ह।ै

    समान त्िरणशील पपड के तलए त्िरण-समय ग्राफ समय- अक्षों के अक्ष के

    समरेखीय होता ह।ै

    समान त्िरण के सभबन्ध में, स्थान और िेग के मध्य का ग्राफ सदिै

    परिलय होता ह।ै

    समरूपी त्िरणशील गतत के सभबन्ध में िेग और समय के मध्य का ग्राफ

    सदिै सरलरेखीय होता ह।ै

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    तिस्थापन की ढाल समय ग्राफ िेग प्रदान करता ह ैऔर िेग की ढाल –

    समय ग्राफ त्िरण प्रदान करता है।

    प्रक्षपे्य गतत

    जब एक पपड को क्षैततज रूप से एक कोण तनर्तमत करने के तलए फैं का

    जाता ह ैकेिल 90° को छोड़कर, तो इसकी गुरुत्िाकर्षण के अांतषगत इसकी

    गतत िक्र परिलय पथीय होती ह,ै जो प्रक्षेप पथ कहलाती ह ैऔर इसकी

    गतत प्रक्षेप्य गतत कहलाती ह।ै

    बांदकू से बुलेट शॉट की गतत

    जलने के बाद राकेट की गतत

    तिमान इत्यादद से तगराए गए बम की गतत

    प्रक्षपे्य गतत के गणु

    यदद हम ऊां चाई से एक गेंद फें कते हैं और इसी समय एक दसूरी गेंद को क्षैततज

    ददशा में फें का जाता ह,ै तो दोनों गेंदें धरती पर तभन्न-तभन्न स्थानों पर एक

    साथ तगरेंगी।

    ितृ्तीय गतत

    िृत्तीय पथ के साथ-साथ एक िस्तु की गतत, िृत्तीय गतत कहलाती ह।ै

    तस्थर चाल के साथ िृत्तीय गतत एकसमान िृत्तीय गतत कहलाती ह।ै

    िृत्तीय गतत में दकसी पबद ुपर गतत की ददशा उस पबद ुपर िृत्त से स्पशष

    रेखा द्वारा दी जाती ह।ै

    एकसमान िृत्तीय गतत में, िेग और त्िरण दोनों पररिर्ततत होते हैं।

    असमान िृत्तीय गतत के सभबन्ध में चाल िृत्तीय पथ पर पबद ु दर पबद ु

    पररिर्ततत होती ह।ै

    अतभिेंफद्र त्िरण

    िृत्तीय गतत के दौरान एक त्िरण पपड पर कें द्र की ओर दक्रयात्मक होता ह,ै तो

    यह अतभिेंफद्र त्िरण कहलाता ह।ै

    अतभिेंफद्र त्िरण की ददशा सदिै केन्द्रीय पथ के कें द्र की ओर होती ह।ै

    बल

    यह एक बाह्य दाब या पखचाि ह ैजो तिराम की अिस्था या समान गतत को

    पररिर्ततत या पररिर्ततत करने का प्रयास कर सकता ह।ै मानक इकाई न्यूटन

    (N) और सीजीएस इकाई डाइन ह।ै 1 N = डाइन।

    यदद एक पपड पर दक्रयात्मक सभी बलों का योग शून्य हो तो पपड को

    साभयािस्था में कहा जाता ह।ै

    अतभकें द्री बल

    िृत्तीय गतत के दौरान बल पपड पर सदिै िृत्तीय पथ कें द्र की ओर दक्रयात्मक

    होता ह,ै यह अतभकें द्री बल कहलाता ह।ै

    अपकें द्री बल

    िृत्तीय गतत में हम अनुभि करते हैं दक बल अतभिेंफद्र बल के तिपरीत ददशा में

    कायष करता ह ैतो इसे अपकें द्री बल कहते हैं। यह एक आभासी बल या कतपपत

    बल होता ह,ै इसे छद्म बल भी कहते हैं।

    अतभकें द्री बल और अपकें द्री बल के अनपु्रयोग

    साइदकल चालक आिश्यक अतभकें द्री बल प्राप्त करने के तलए स्ियां के

    तलए ऊध्िाषधर रूप से झुकता ह।ै सािधानी पूिषक मुड़ने के तलए साइदकल

    चालक अपनी चाल धीमी कर लेता ह ैऔर बड़ी तिज्या िाले पथ पर गतत

    करता ह।ै

    सड़के मोड़ों पर खाली होती हैं तादक मुड़ने के तलए आिश्यक अतभकें द्री

    बल प्राप्त दकया जा सके।

    एक िक्र सड़क पर मुड़ने के तलए, िाहन के टायरों के मध्य घर्षण बल

    कायष करता ह ै और सड़क अतभिेंफद्र बल के रूप में कायष कराती है

    यदद एक बापटी तजसमें पानी भरा ह ैएक ऊध्िाषधर समतल पर तेजी से

    ितलत होती ह,ै तो पानी सांभित: नहीं तगरता ह ै बतपक जब बापटी

    तबपकुल उलटी हो जाती ह ैतब भी नहीं क्योंदक अपकें द्री बल पानी को

    बापटी के तल की ओर धकेलने िाले पानी के भार से अतधक या बराबर

    होता है।

    नातभक के चारों ओर इलेक्रान की कक्षीय गतत के तलए आकर्षण का

    स्थैततक िैद्युत बल इलेक्रान और नातभक के मध्य अतभिेंफद्र बल के रूप

    में कायष करता ह।ै

    मलाई को दधू से पृथक दकया जाता ह ै, जब यह एक बतषन में समान अक्ष

    पर घूणषन करता ह।ै घूणषन के दौरान मलाई के हपके कण, दधू के भारी

    कणों की अपेक्षा कम बल महसूस करते हैं।

    सूयष के चारों ओर पृथ्िी के घूणषन के तलए, पृथ्िी और सूयष के मध्य

    आकर्षण का गुरुत्िाकर्षण बल अतभिेंफद्र बल के रूप में कायष करता ह।ै

    न्यटून का तनयम

    न्यटून का पहला तनयम

    एक पपड एक सरल रेखा में तिराम की अिस्था में या एकसमान गतत में बना

    रहता ह ैजबतक दक कोई बाह्य बल इस पर प्रभािी नहीं होता। यह जड़त्ि के

    तनयम पर आधाररत ह।ै

    जड़त्ि पपड का एक गुण है तजसके द्वारा सरल रेखा में तिराम की तस्थतत या

    एकसमान गतत में यह दकसी पररितषन का तिरोध करता ह।ै

    तिराम का जड़त्ि

    तिराम के जड़त्ि के कारण जब एक बस या रेन तिराम से अचानक से

    चलने के तलए आरभभ होती ह,ै तो इसमें बैठे यातियों को पीछे की ओर

    झटका लगता ह।ै तजसका कारण तिराम का जड़त्ि है।

    तिराम के जड़त्ि के कारण जब एक कालीन पर डांडे से मारा जाता ह ैतो

    इसमें से धूल-कण बाहर आते हैं।

    तिराम के जड़त्ि के कारण तेजी से चलने िाली बस या रेन से कूदने िाले

    यािी को सलाह दी जाती ह ै दक िह आगे की ददशा में कूद ेया कुछ दरू

    तक दौड़े।

    गतत का जड़त्ि

    जब एक चलती हुई बस या रेन अचानक से रुकती ह,ै इसमें बैठे यातियों को

    गतत के जड़त्ि के कारण आगे की ओर झटका लगता ह।ै

    सांिगे

    एक गततशील पपड का सांिेग इसके द्रव्यमान और िेग के गुणनफल के बराबर

    होता है।

    रैतखक सांिगे का सांरक्षण

    कणों के तांि का रैतखक सांिेग सांरतक्षत रहता ह ैयदद तन्ि पर प्रभािी बाह्य बल

    शून्य हो तो।

    जेट तिमान का रॉकेट नोदन और इांजन रैतखक सांिेग के सांरक्षण के

    तसद्ाांत पर कायष करता ह।ै रॉकेट में तनष्कातसत गैस एक अग्रतनत बल

    का तनष्पादन करती ह ै जो रॉकेट को ऊपर की ओर त्िरण करने में

    सहायता करते हैं।

    न्यटून का दसूरा तनयम

    एक पपड के सांिेग के पररितषन की दर इस पर आरोतपत बल के समानुपाती

    होती ह ैऔर सांिेग में पररितषन आरोतपत बल की ददशा में पररितषन का कारण

    होता है।

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    न्यटून का तीसरा तनयम

    प्रत्येक दक्रया के तलए, एक बराबर या तिपरीत प्रततदक्रया होती ह ैऔर दोनों

    तभन्न िस्तुओं पर दक्रयात्मक होती ह।ै

    रॉकेट न्यूटन के गतत के तीसरे तनयम के द्वारा नोदन होता ह।ै

    आिगे

    एक तिशाल बल जो पपड पर समय के लघु अांतराल के तलए प्रभािी

    होता ह ै और इसके सांिेग में बड़ा पररितषन करता ह,ै आिेगी बल

    कहलाता ह।ै

    इसकी इकाई न्यूटन इकाई-सेकेण्ड ह।ै

    एक दफपडर दक्रकेट गेंद को पकड़ते समय अपने हाथ नीचे करता ह,ै

    क्योंदक अपने हाथ नीचे करके गेंद रोककर िह सांपकष समय में िृतद् करता

    ह ैऔर इसतरह दफपडर को गेंद रोकने के तलए कम बल का प्रयोग करना

    होता ह।ै गेंद भी दफपडर के हाथों में कम बल तनष्कातसत करती है तजससे

    दफपडर को चोट नहीं लगाती है।

    एक रेन के िैगन में बफर ददए जाते हैं जो झटकों के दौरान प्रभाि के

    समय में िृतद् करता ह ै तजससे क्षतत में कमी होती ह।ै स्कूटर,कार,बस,

    रक आदद जैसे िाहनों में शॉकर ददए जाते हैं।

    घर्षण

    घर्षण एक बल ह ैजो दो पपडों की सापेतक्षक गतत के तिपरीत होता ह ैजब एक

    पपड दसूरे पपड की सतह पर िास्ति में गतत करता ह ैया गतत करने का प्रयास

    करता ह।ै

    घर्षण का कारण िास्ततिक सांपकष पबद ुमें दो िस्तुओं की सतह पर आकर्षण के

    प्रबल परमातण्िक या आतण्िक बल का दक्रयात्मक होना ह।ै

    घर्षण के अनपु्रयोग

    एक गेंद तबयररग लोटतनक तत्ि का प्रकार ह ैजो तबयररग रेसेस के मध्य

    पृथकीकरण को तनयतमत रखने के तलए गेंद का प्रयोग करता ह।ै गेंद

    तबयररग का उद्देश्य लोटतनक घर्षण को कम करना और लोड(भार) को

    समथषन देना ह।ै

    घर्षण चलने के तलए, िाहनों में ब्रेक लगाने के तलए, और दकसी मशीन में

    नट और बोपटों पकड़ बनाए रखने के तलए आिश्यक ह।ै

    घर्षण को से्नहक या बॉल तबयररग के प्रयोग द्वारा सतह को पॉतलश करके

    कम दकया जा सकता है।

    टायर पसथेरटक रबड़ से तनर्तमत होता ह ै क्योंदक सड़क के साथ इसका

    गुणाांक या घर्षण अतधक होता ह ैऔर इसतलए, इस पर घर्षण का अतधक

    बल प्रभािी होता ह ै, जो मोड़ों पर दफसलन को कम करता ह।ै

    टायर सूतित होते हैं जो टायर और सड़क के मध्य घर्षण को भी बढाते हैं।

    जब एक साइदकल पर पैडल मारा जाता ह,ै घर्षण बल तपछले पतहए पर

    आगे की ददशा में होता ह ैऔर आगे के पतहए पर तपछली ददशा में होता

    ह।ै

    उत्तोलक

    यह एक सरल यांि ह ैतजसमने एक सीधी या झुकी हो रॉड एक पबद ुपर मुक्त

    रूप से या स्ितांि रूप मुड़ने या घूणषन करने के तलए बनाया जाता है। उत्तोलक

    से सबांतधत तीन पबद ुहैं तजनका नाम भार, शक्तत और आलभब

    भार: उत्तोलक द्वारा िहन दकया जाने िाला िजन भार कहलाता है।

    शक्तत: उत्तोलक के सांचालन के तलए, बाह्य रूप से आरोतपत होने िाले

    बल को शक्तत कहते हैं।

    आलभब: एक तनतित पबद ुतजसके समीप उत्तोलक की रॉड स्ितांि रूप से

    घुमती ह,ै आलभब कहलाती है।

    दोलन और तरांगें

    आिती गतत

    एक गतत जो समय के एक तनतित अांतराल के बाद स्ियां को समान रूप

    से दोहराती ह,ै आिती गतत कहलाती ह।ै

    उदाहरण के तलए

    - घड़ी की सुइयों की गतत, सूयष के चारों ओर पृथ्िी का घूणषन, साधारण

    लोलक की गतत आदद।

    दोलन गतत

    एक आिती गतत एक तनतित पबद ु के आगे-पीछे और ऊपर नीचे गतत

    करती ह ैतो यह दोलन गतत कहलाती ह।ै

    उदाहरण के तलए

    - साधारण लोलक की गतत

    - दबाियुक्त पस्प्रग की गतत इत्यादद।

    यदद एक कण सपनी सहजआिृतत्त में तबना दकसी बाह्य आिती बल की

    सहायता के दोलन करता ह,ै तो दोलन को अिमांददत दोलन कहा जाता

    ह।ै

    जब एक पपड दकसी बाह्य आिती बल की सहायता से अपनी

    सहजआिृतत्त से तभन्न आिृतत्त के साथ दोलन करता ह ैतो इसे प्रणोददत

    दोलन कहते हैं।

    सरल आितष गतत (SHM)

    प्रत्यानयन बल के अांतगषत तस्थर आयाम और एकल आिृतत्त गतत की

    दोलन गतत तजसका पररमाण तिस्थापन के समानुपाती होता ह ै और

    सदिै मध्य स्थान की ओर दक्रयात्मक होता ह,ै सरल आितष गतत कहलाती

    ह।ै

    सरल आितष गतत की तिशरे्ताएां

    जब एसएचएम स ेतनष्पाददत कण मध्य स्थान स ेगुजरता है:

    1. कण पर कोई बल प्रभािी नहीं होता ह।ै

    2. कणों का त्िरण शून्य होता ह।ै

    3. िेग अतधकतम होता ह।ै

    4. गततज ऊजाष अतधकतम होती ह।ै

    5. तस्थततज ऊजाष शून्य होती है।

    जब के एसएचएम स ेतनष्पाददत अांततम तसरे पर होता ह,ै तो :

    1. कणों का त्िरण अतधकतम होता ह।ै

    2. कणों पर प्रभािी प्रत्यानयन बल अतधकतम होता है।

    3. कणों का िेग शून्य होता ह।ै

    4. कणों की गततज ऊजाष शून्य होती ह।ै

    5. तस्थततज ऊजाष अतधकतम होती है।

    सरल लोलक

    यदद एक भारहीन ि लांबाई में न बढ़नेिाली डोली के तनकले तसर से

    पदाथष के दकसी गोल परतु भारी कण को लटकाकर डोरी को दकसी दढ़ृ

    आधार से लटका दें तो इस समायोजन को 'सरल लोलक' कहते हैं।

    सरल लोलक की समयाितध को √

    के रूप में दशाषया जाता ह।ै

    अपररतमत लभबाई िाले सरल लोलक की समयाितध 84.6 तमनट होती

    ह।ै सेकेण्ड लोलक की समयाितध 2 से. होती ह।ै पृथ्िी पर इसकी लभबाई

    लगभग 100 सेमी होती ह।ै

    गुरुत्िाकर्षण के कारण त्िरण ऊां चाई के साथ घटता ह ै और इसतलए

    लोलक घड़ी की समयाितध बढ़ जाएगी और घड़ी धीमी हो जाएगी।

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    यदद एक सरक लोलक का गोलक धातत्िक तार से तनकलता ह,ै तो लोलक

    की लभबाई तापमान बढ़ने के साथ बढ़ जाती ह ै और इसतलए इसकी

    समयाितध भी बढ़ जाती ह।ै

    एक लड़की झूले पर झूल रही ह।ै यदद िह झूले पर खड़ी हो जाती ह,ै तो

    झूले की प्रभािी लभबाई घट जाती ह ै और पररणामस्िरूप दोलन का

    समय घट जाता ह।ै

    लोलक घड़ी अांतररक्ष यान में प्रयुक्त नहीं हो सकती ह।ै

    अिमांददत सरल आितष गतत

    जब घर्षण या अन्य कोई बल दोलन तन्ि में प्रभािी होता ह,ै तो इस

    अिमांददत गतत के तलए दोलन का आयाम समय के साथ घटता ह।ै यह

    अिमांददत आितष गतत कहलाती है।

    अनुनाद दोलन

    जब एक पपड अपनी सहज आिृतत्त (V0) से बाह्य आिती बल के सहयोग

    द्वारा दोलन करती ह ैतो इसे प्रणोददत आितष गतत भी कहते हैं। और यदद

    दकसी बाह्य एजेंट द्वारा प्रदत्त आिृतत्त (v) पपड की सहज आिृतत्त के

    बराबर ह,ै तो पपड के दोलन को अनुनाद दोलन कहते हैं।

    तरांग

    तरांग ऊजाष या तिक्षोभों के सांचरण की िह तितध ह ै तजसमें माध्यम के कण

    अपन ेस्थान पर ही कभपन करते हैं तथा ऊजाष एक स्थान से दसूरे स्थान तक

    आगे जाती ह।ै

    तरांग मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं:

    1. याांतिक तरांग

    2. अयाांतिक तरांग

    याांतिक तरांग: िे तरांगे तजनमें ऊजाष के प्रसार के तलए सामग्री माध्यम (ठोस,

    द्रव्य या गैस) की आिश्यकता होती ह ैउसे याांतिक तरांग या प्रत्यास तरांग कहते

    हैं। याांतिक तरांगे दो प्रकार की होती ह।ै

    1. अनदुधै्यष तरांग: यदद माध्यम के कण तरांग की गतत की ददशा के ददशा में ही

    दोलन करते हैं तो उसे अनुदधै्यष तरांग कहते हैं।

    2. अनपु्रस्थ तरांग:े यदद माध्यम के कण तरांग की गतत की ददशा के लांबित ्

    दोलन करते हैं तो ऐसी तरांग को हम उसे अनुप्रस्थ तरांग कहते हैं।

    तनाि के अांतगषत पस्रग पर तरांग, पानी की सतह पर तरांग अनुप्रस्थ तरांगों के

    उदाहरण हैं।

    अयातन्िक तरांगे या तिद्यतु-्चुभबकीय तरांग:े िे तरांगे तजसमें प्रसार के तलए

    माध्यम की आिश्यकता नहीं होती अथाषत जो तनिाषत से भी प्रसाररत हो

    सकती हैं उसे अयातन्िक तरांगें कहते हैं।

    प्रकाश, ताप अयाांतिक तरांगों के उदाहरण ह।ै िास्ति में सभी तिद्युत्-चुभबकीय

    तरांगे अयाांतिक तरांगे होती हैं।

    सभी तिद्युत्-चुभबकीय तरांगों में फोटोन होते हैं।

    तिद्युत् चुभबकीय तरांगों की तरांगदधै्यष मी से मी होती ह।ै

    तिद्युत् चुभबकीय तरांगों के गुण

    1. ये उदासीन (अपररितषनशील) होते हैं।

    2. ये अनुप्रस्थ तरांगों के रूप में प्रसाररत होती ह।ै

    3. िे प्रकाश के िेग के साथ प्रसाररत होते हैं।

    4. इनमें ऊजाष और सांिेग होता ह।ै

    5. इसकी अिधारणा मैक्सिेल द्वारा प्रस्तातित की गई।

    तनम्नतलतखत तरांगे तिद्युत-चुभबकीय नहीं हैं

    1. कैथोड दकरण

    2. कैनल दकरणें

    3. α दकरणें

    4. β दकरणें

    5. ध्ितन तरांग

    6. अपरासोतनक तरांग

    कुछ महत्िपूणष तिद्युत-चुभबकीय तरांगें

    तिद्युत-चुभबकीय तरांगों के अतिष्कारक

    γ-दकरणें हनेरी बेके्रयल

    X-दकरणें डब्लपयू. रेंटजेन

    परा-बैंगनी दकरणें ररटर

    तितजबल रेतडएशन न्यूटन

    इन्रा-रेड दकरणें हसेल

    लघु रेतडयो तरांग या हर्तजजयन तरांगे हनेररक हजजष

    दीघष रेतडयो तरांगे माकोनी

    नोट: मी से मी की तरांगदधै्यष की तिद्युत-चुभबकीय तरांगें सूक्ष्म

    तरांगें कहलाती हैं।

    कभपन की अिस्थाएां: दकसी पबद ुपर एक कतभपत कण के कभपन की अिस्थाएां

    भौततक रातश ह ैजो उस पबद ुपर स्थान साथ ही साथ कणों की गतत की ददशा

    को साभयिस्था के क्रम में व्यक्त करती ह।ै

    आयाम: आयाम को साभयािस्था के दोनों ओर कतभपत कणों के अतधकतम

    तिस्थापन के रूप में पररभातर्त दकया जाता ह।ै

    तरांगदधै्यष: दकसी माध्यम के दकसी कण के एक पूरा कभपन दकये जाने पर तरांग

    तजतनी दरूी तय करती ह ैउसे तरांग दधै्यष कहते हैं। तरांग दधै्यष को λ (लेभड़ा) से

    प्रदर्तशत करते हैं।

    अनुप्रस्थ तरांग में दो क्रमागत शृांगों या गतों के मध्य दरूी और अनुदधै्यष तरांग में

    दो क्रमागत सांपीडन या तिरलनों के मध्य की दरूी तरांगदधै्यष के बराबर होती हैं।

    तरांग का िेग = आिृतत्त × तरांगदधै्यष

    ध्ितन

    ध्ितन तरांगें याांतिक अनुदधै्यष तरांगें होती हैं और इनके प्रसार के तलए माध्यम

    की आिश्यकता होती है। यह तनिाषत के माध्यम से प्रसाररत नहीं हो सकती हैं।

    जब प्रसार चाल और तरांगदधै्यष पररिर्ततत होती हैं लेदकन आिृतत्त तस्थर रहती

    ह।ै यह तीन प्रकार के होते हैं:

    अश्रव्य तरांगे – (0 से 20,000 Hz)

    श्रव्य तरांगे – (20 से 20,000 Hz)

    पराश्रव्य तरांगे – (>20,000 Hz)

    ध्ितन तरांगों की तिशरे्ताएां

    पराितषन

    ध्ितन जब एक कठोर सतह से टकराकर िापस आती ह ैतो यह ध्ितन का

    पराितषन कहलाता ह।ै

    ध्ितन के पराितषन के दौरान प्रकाश के पराितषन के तनयम का भी पालन

    होता है।

    मेगाफोन, साउांड बोडष और इयर रभपेट ध्ितन के पराितषन के तसद्ाांत पर

    आधाररत है।

    ध्ितन तरांगों के कारण ध्ितन की पुनरािृतत्त इको कहलाती ह।ै

    मानि के कान में श्रव्य सातत्य ध्ितन का 1/10 होता ह।ै

    एक इको सुनने के तलए ध्ितन पराितषन से न्यूनतम दरूी लगभग 17 मी

    होती है।

    ध्ितन रोधी कमरे दीिार की दो परतों से बनी होती ह ै तजनके मध्य

    तनिाषत होता है।

    ध्ितनयों के बहु पराितषन से अनुरणन होता ह।ै

    एक ऑतडटोररयम के तनमाषण के समय, ध्ितन के अिशोर्ण और पराितषन

    का पूरा ध्यान रखना चातहए।

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    अनुरणन ध्ितन द्वारा इसकी तीव्रता को 106 के गुणज में घटाने के तलए

    तलया गया समय अनुरणन काल कहलाता ह।ै

    अपितषन

    जब एक ध्ितन तरांग एक याांतिक माध्यम से दसूरे याांतिक माध्यम में

    गमन करता ह,ै यह आपततत तरांग ले मूल पथ से तिचलन दशाषता ह।ै इस

    घटना को अपितषन कहते हैं। यह माध््म में ध्ितन की चाल में तभन्नता के

    कारण होता ह।ै

    तिितषन

    जब ध्ितन तरांगे कभपन स्रोतों से तनसृत होती हैं, तो िे माध्यम में फ़ैल

    जाती हैं और यदद माध्यम समाांगी हो तो यह दकनारों के आस-पास ध्ितन

    तरांगों के मुड़ने का कारण बनता है। तजसे तिितषन के नाम से जाना जाता

    ह।ै

    ध्िनी तरांगे व्यापक रूप से तििर्ततत होती हैं और कोई व्यतक्त दसूरे व्यतक्त

    की आिाज आसानी से सुन सकता है।

    भयतूजकल स्केल

    सांगीत के तसद्ाांत में, भयूतजकल स्केल सांगीत के सुरों का समूह होता ह ै

    तजसकी आिृतत्तयाुँ एक-दसूरे से सरल अनुपातों में होती हैं। सा, रे, ग, म,

    प, ध, तन एक ऐसा स्केल ह ैतजसे डायाटोतनक स्केल कहते हैं। इन

    स्िरों की आिृतत्त है स (256), रे (288), ग (320), म (341.3), प

    (384), ध (426.7) और तन (480)। सा द्वारा अांदकत अगला स्िर की

    आिृतत्त

    512 ह,ै पहले िाले स का दो गुना ह।ै स- स के अन्तराल को अष्टक (8)

    कहते हैं।

    ररकॉर्डडग मीतडया में रि-न्यूनन

    ररकॉर्डडग मीतडया में पाांच प्रकार के रि-न्यूनन तांि होते हैं जो इस प्रकार

    हैं:

    - डॉपबी A रि- न्यूनन तांि, प्रोफेशनल ररकॉर्डडग स्टूतडयो में प्रयुक्त होता

    ह।ै यह ब्रॉडबैंड रि-न्यूनन का लगभग 10 dB प्रदान करता ह।ै

    - डॉपबी B को मुख्य रूप से कास्सेट के तलए 9 dB रि-न्यूनन प्राप्त करने

    के तलए बनाया गया ह।ै यह डॉपबी A से अतधक सरल ह ैऔर इसतलए

    उपभोक्ता प्रयोग के तलए कम लागत िाला ह।ै

    - डॉपबी C लगभग 15 dB राि-न्यूनन प्रदान करता ह।ै

    - डॉपबी SR (स्पेक्रल ररकॉर्डडग) तांि में, डॉपबी A की तुलना में अतधक

    उत्तेतजत रि-न्यूनन पहुुँच होती है। डॉपबी SR, डॉपबी B या C से अतधक

    कीमती होती ह,ै लेदकन यह25 dB रि-न्यूनन उच्च-आिृतत्त सीमा में

    प्रदान करती ह।ै

    - डॉपबी S कुछ हाई-फाई और सेमी प्रोफेशनल ररकॉर्डडग उपकरणों में

    पाया जाता ह।ै यह तनम्न आिृतत्त पर 10 dB रि-न्यूनन और उच्चज-

    आिृतत्त में 24 dB प्रदान करने में सक्षम होता है।

    डॉप्लर का प्रभाि

    सापेतक्षक गतत के कारण श्रोत और तनरीक्षक के मध्य आिृतत्त में प्रत्यक्ष

    पररितषन डॉप्लर का प्रभाि कहलाता ह।ै

    डॉप्लर के प्रभाि का अनपु्रयोग

    डॉप्लर तशफ्ट का माप(डॉप्लर के प्रभाि पर आधाररत) का प्रयोग दकया

    जाता ह:ै

    पुतलस द्वारा िाहनों की अतधक चाल की जाुँच के तलए ।

    हिाईअड्ड ेपर एयरक्राफ्ट के तनदेशन के।

    शरीर के तभन्न तहस्सों में ृददय और रक्त के सांचार के अध्ययन के

    तलए।

    खगोलतिदों दिारा ग्रहों और तारों के िेग के माप के तलए।

    सोनार (SONAR)

    SONAR का अथष ह ैसाउांड नेतिगेशन एांड रेंपजग। इसका प्रयोग समुद्र की

    गहराई, पनडुतब्लबयों और जहाज़ों में छुपे शिुओं का पता लगाने के तलए

    दकया जाता है।

    सोनार का राांसमीटर लगभग 55555 हजजष आिृतत्त की अपरासोतनक

    ध्ितन तरांगों के स्पन्दन का उत्पादन करता है। परािर्ततत ध्ितन तरांगे

    प्रापक द्वारा प्राप्त की जाती हैं।

    मनषु्य के कान

    हम अपने शरीर के अन्यन्त सांिेदनशील अांग से सुनने में सक्षम होते हैं,

    तजसे कान कहते हैं। मानि के काम के तीन भाग हैं:

    - बाह्य कान को कणषपाली कहते हैं। यह आस-पास के पररिेश से ध्ितन

    एकतित करता ह।ै कान का मध्य भाग ध्ितन तरांगों से प्राप्त तितभन्न

    प्रिर्तधत दबािों को अांत: कान तक पहुांचाता ह।ै

    अांत:कान में, दबाि की तभन्नताएुँ तिद्युत तसग्नलों में कॉतक्लया द्वारा

    मुड़ती हैं। ये तिद्युत तसग्नल श्रिण तांतिका द्वारा मतस्तष्क में भेजे जाते हैं

    और मतस्तष्क इन्हें ध्ितन के रूप में पररिर्ततत करता ह।ै

    ऊष्मा

    ऊष्मा

    • ऊष्मा ऊजाष का रूप ह ैजो गमी की उत्तेजना उत्पन्न करती है। इसकी मानक

    इकाई जूल ह ैऔर अन्य इकाई कैलोरी ह ै (1 cal = 4.2 जूल) ।

    • ऊष्मा का स्थानान्तरण सदिै गमष से ठांडे पपड की ओर होता ह।ै

    तापमान

    • तापमान शरीर की गमाषहट या शीतलता का माप ह।ै

    • एक पपड से दसूरे तक ताप का प्रिाह पपड के अलग-अलग तापमान के कारण

    होता है।

    तापमान का पमैाना

    • एक पपड के तापमान को मापने के तलए तनम्नतलतखत तापमान पैमाने का

    प्रयोग दकया जाता ह।ै

    — तापमान के तहमाांक पबद ु का सेतपसयस स्केल 0°C ह ै जल का क्वथनाांक

    पबद ु = 100°C ह।ै

    — तापमान के तहमाांक पबद ुका फ़ारेनहाइट स्केल = 32° F,

    जल का क्वथनाांक पबद ु = 212° F होता ह।ै

    — तापमान के तहमाांक पबद ुका केतपिन या तनरपके्ष स्केल = 273° K

    जल का क्वथनाांक पबद ु = 373° K होता ह ै

    — तापमान के तहमाांक पबद ुका ररऑमर स्केल 0° R,

    जल का क्वथनाांक पबद ु = 80°R होता ह।ै

    — तापमान के तहमाांक पबद ुका रैंदकन स्केल

    = 491.67°R , जल का क्वथनाांक पबद ु

    = 671.641° R होता ह।ै

    तापमान के तभन्न पमैानों के मध्य सभबन्ध

    तापमान के तभन्न पैमाने तनम्नतलतखत रूप से सभबतन्धत होते हैं:

    K =273+ °C

    •– 40°C तापमान पर = – 40°F

    • िह तापमान तजस पर पानी की तीनों अिस्थाएां सांतुतलत रहती हैं उसे जल

    का साभयािस्था पबद ुकहते (273.16 K) हैं ।

    थमाषमीटर

    • शरीर के तापमान को मापने िाले उपकरण जो थमाषमीटर कहते हैं।

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    थमाषमीटर तनम्नतलतखत तीन प्रकार के होते हैं:

    1. तक्लतनकल थमाषमीटर: यह मानि शरीर के तापमान को मापने के तलए

    प्रयुक्त दकया जाता ह ैऔर इसकी सीमा 96° F से 110°F या 35°C से 43°C

    होता है।

    2. इलेक्रॉतनक थमाषमीटर: एक इलेक्रॉतनक थमाषमीटर का मुख्य घटक

    थर्तमस्टसष या थमोसाइस्टसष होता ह।ै इलेक्रॉतनक थमाषमीटर की सीमा –40°

    से 450°F होती ह।ै

    3. अन्य थमाषमीटर: इनेमां तस्थर आयतन िाले गैस थमाषमीटर, प्लैरटनम

    रेतजस्टेंस थमाषमीटर शातमल होते हैं

    तक्लतनकल थमाषमीटर तापमान तडग्री फ़ारेनहाइट (°F) में मापता ह।ै

    थमाषमीटर में सामान्यत: –30°C से 300°C की व्यापक सीमा तक पारे

    का प्रयोग दकया जाता ह।ै

    थमाषमीटर की खोज गैतलतलयो द्वारा की गई थी तजसने खोज की थी दक

    तातपत होने पर गैस का प्रसार होता ह।ै

    तापीय प्रसार

    ऊष्मा के कारण एक पपड का प्रसार तापीय प्रसार कहलाता ह।ै

    ठोस का तापीय प्रसार

    ठोस का तापीय प्रसार तीन प्रकार का होता ह ै

    1. तापन के कारण लभबाई का तिस्तार, रेतखक प्रसार कहलाता ह ै । एक

    पदाथष की इकाई लभबाई िाली रॉड की लभबाई में इसके तापमान में 1°C

    िृतद् होने से िृतद् होना गुणाांक या रेतखक प्रसार कहलाता है। इसे α द्वारा

    दशाषया जाता ह।ै

    लभबाई में िृतद्

    आरतभभक लभबाई तापमान में िृतद्

    — इसकी इकाई °C–1 ह।ै

    2. तापन के कारण क्षेिफल का प्रसार, सतही प्रसार कहलाता ह।ै सतही प्रसार

    के गुणाांक को तनम्न रूप से दशाषया जाता ह:ै

    क्षेिफल में िृतद्

    आरतभभक क्षेिफल तापमान में िृतद्

    — इसकी इकाई °C–1 ह।ै

    3. तापन के कारण आयतन में िृतद्, आयतन प्रसार या घनीय प्रसार कहलाता

    ह।ै

    आयतन प्रसार या घनीय प्रसार का गुणाांक तनम्न रूप से दशाषया जाता है

    आयतन में िृतद्

    आरतभभक आयतन तापमान में िृतद्

    — इसकी इकाई °C-1 ह।ै

    प्रसार के गणुाांकों के मध्य सांबांध

    • तापीय प्रसार के गुणाांक तनम्न रूप से सांबांतधत हैं:

    β = 2α और γ = 3α

    और α : β : γ = 1 : 2 : 3

    • एक रेलिे की पटरी तबछाते समय दो लोह े की रेल की पटररयों के मध्य

    थोड़ा सा अांतराल छोड़ा जाता ह ै अन्यथा रेल की पटररयाां गमी के दौरान

    तापन के कारण िदक्रत हो जाएांगी।

    • टेलीफोन की तार खभबे से कसे नहीं जाते क्योंदक सर्ददयों में तारे सांकुतचत हो

    जाती हैं और टूट सकती हैं।

    द्रव्यों का तापीय प्रसार

    • द्रव्य में, आयतन में िृतद् केिल तापन के कारण होती ह।ै

    द्रव्यों का प्रसार दो प्रकार का होता है:

    • जब कां टेनर, कां टेनर के द्रव्य में तापन में िृतद् के कारण होने िाला प्रसार

    ध्यान दनेे योग्य नहीं होता तो तनरीक्षक इसे द्रव्य का आभासी प्रसार कहते हैं।

    • जब कां टेनर, कां टेनर के द्रव्य में तापन में िृतद् के कारण होने िाला प्रसार

    ध्यान दनेे योग्य होता ह ैतो तनरीक्षक इसे द्रव्य का िास्ततिक प्रसार कहते हैं।

    जहाुँ, और , द्रव्य के िास्ततिक और आभासी प्रसार का गुणाांक ह ैऔर

    = कां टेनर के घनीय प्रसार का गुणाांक ह।ै

    जल का असांगत प्रसार

    जब जल का तापमान 0°C से बढ़ जाता ह,ै तो इसका आयतन 4°C तक घट

    जाता है, न्यूनतम 4° C हो जाता ह ैऔर दफर बढ़ता ह।ै 4°C के लगभग जल के

    प्रसार का यह व्यिहार, जल का असांगत प्रसार कहलाता ह।ै

    गसैों का तापीय प्रसार

    गैसों में प्रसार के गुणाांक के दो प्रकार हैं:

    — तस्थर दबाि पर, आयतन में प्रतत इकाई आयतन प्रतत इकाई सेतपसयस

    पररितषन आयतन गणुाांक ( )कहलाता ह।ै

    — तस्थर आयतन पर, दबाि में ,प्रतत इकाई दबाि, प्रतत तडग्री दबाि पररितषन

    दबाि गणुाांक ( ) कहलाता ह।ै

    ऊष्मातमतत

    • जल के 1 ग्रा. तापमान को बढ़ाने के तलए आिश्यक ऊष्मा की मािा 1

    कैलोरी कहलाता ह।ै

    • ऊष्मातमतत कहती ह ैदक गमष पपड द्वारा लुप्त ताप, ठांडे पपड द्वारा अर्तजत

    ताप के बराबर होता है।

    तितशष्ट ताप

    • एक पदाथष के इकाई द्रव्यमान (m) को 1°C के माध्यम से बढाने के तलए

    आिश्यक ताप की मािा को तितशष्ट ताप (s) कहते हैं।

    • इसे s द्वारा दशाषया जाता है और इसकी इकाई ‘cal/g°C या जूल /g°/C

    • जल का तितशष्ट ताप 4200 J/kg1/°C या 1000 cal/ g1/° C– ह ैजो

    अतधकाांशत: अन्य पदाथों की तुलना में उच्च होता ह।ै इसतलए, इसतलए,

    िाहन में रेतडएटर में शीतलक के रूप में जल का उपयोग दकया जाता ह ै

    और गमष जल का उपयोग दकण्िन के तलए दकया जाता ह।ै

    • पपड के तापमान में पररितषन के तलए ददये या तलये जाने िाले ताप को

    तनम्न रूप से दशाषते हैं: Q = ms∆θ

    जहाुँ , m = शरीर का तापमान

    और ∆θ = तापमान में पररितषन

    • एक गैस के 1 मोल के तापमान में 1°C िृतद् करने के तलए आिश्यक ताप

    की मािा को मोलीय तितशष्ट ऊष्मा कहते हैं।

    गपु्त ऊष्मा

    • अिस्था में पररितषन के लुए तस्थर तापमान पर प्रतत इकाई अिशोतर्त

    या तनसृत तापीय ऊजाष को गुप्त ऊष्मा कहते हैं।

    • इसे L द्वारा दशाषया जाता ह ै और इसकी मानक इकाई cal/g या

    kcal/kg ह।ै

    • अिस्था में पररितषन के दौरान अिशोतर्त या तनसृत तापीय ऊजाष तनम्न

    रूप से दशाषयी जाती ह:ै Q = mL

    यहाुँ , m = पदाथष का द्रव्यमान ह।ै

    • तहम सांलयन की गुप्त ऊष्मा 80 cal/g ह।ै

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    • भाप के िाष्पीकरण की लुप्त ऊजाष 536 cal/g ह।ै

    • ऊष्मप्रितैगकी

    भौततकी की िह शाखा जो ऊष्मीय ऊजाष के ऊजाष के तभन्न रूपों के साथ सांबांध

    का अध्ययन करती ह,ै उसे ऊष्मप्रिैतगकी कहते हैं।

    ज़रोथ का तनयम

    • ऊष्मप्रिैतगकी का ज़रोथ तनयम तापीय सांतुलन के तिर्य में बताता ह।ै

    पहला तनयम

    • ऊजाष के पहले तनयम के अनुसार, पदाथष को दी जाने िाली ऊष्मा

    आांतररक ऊजाष और दकये गए कायष के योग के बराबर होती ह।ै

    दसूरा तनयम

    • दसूरे तनयम में काम को ताप और ऊष्मा में तिपरीत क्रम में रूपाांतररत हो

    सकती ह ैलेदकन रूपाांतरण 100% क्षमता के साथ नहीं सांभि ह।ै

    • यह एक चक्रीय प्रदक्रया में मशीन सांचालन के तलए ऊष्मा को पूणषत:

    रूपाांतररत करने में असांभि ह,ै यह केतपिन का कथन है।

    • ऊष्मा स्ित: एक ठांडे पपड से एक गमष पपड में नहीं जा सकती ह।ै यह

    सेतपसयस का कथन ह।ै रेरीजरेटर इसी कथन पर आधाररत ह।ै

    • ऊष्मा इांजन एक उपकरण ह ैजो ऊष्मा को याांतिक कायष में रूपाांतररत

    करता ह।ै अांत: दहन और बाह्य दहन इांजन, ऊष्मीय इांजन के दो प्रकार हैं।

    • कार इांजन में शीतलक सांक्षारण या जांग इत्यादद के हातनकारक प्रभाि को

    कम करने के तलए जल युक्त शीतलक का प्रयोग दकया जाता ह।ै

    • कानेट का प्रमेय ऊष्मीय इांजन की अतधकतम क्षमता के बारे में बताता ह।ै

    यह कानेट चक्र से सांबांतधत ह।ै

    • एांरोपी एक प्रणाली के आणतिक अव्यिस्थता को मापता ह ैऔर यह एक

    थमाषइडैनातमक फ़ां क्शन ह ैजो तांि के तापमान पर तनभषर करता ह।ै

    • िाष्पीकरण एक प्रदक्रया ह ैतजसमें अणु एक तरल की सतह से धीरे-धीरे

    दरू होता जाता है।

    • ददए गए तरल के तलए िाष्पीकरण की दर तापमान और िाष्पीकरण

    सतह के क्षेि पर तनभषर करती ह।ै

    रेदरजरेटर एक उपकरण ह ैतजसका उपयोग ताांबे के तार के अांदर िाष्पीकरण

    और अतस्थर तरल के सांपीड़न से पदाथों को ठांडा करने के तलए दकया जाता ह।ै

    आद्रषता

    • िातािरण में नमी की उपतस्थतत को आद्रषता कहा जाता ह।ै

    • िायुमांडल की इकाई मािा में मौजूद िाष्प की मािा को तनरपेक्ष आद्रषता कहा

    जाता ह।ै

    • दकसी ददए गए तापमान पर हिा की सापेक्ष आद्रषता िायु के एक तनतित

    मािा की उपतस्थतत का जल की िाष्प से अनुपात ह ैजो उसी तापमान पर हिा

    के समान मािा को 100 गुना सांतृप्त करने के तलए आिश्यक है।

    • सापेक्ष आद्रषता को आद्रषतामीटर द्वारा मापा जाता ह।ै

    • लगभग 50% की सापेक्ष आद्रषता 22 ° - 25 तडग्री सेतपसयस तापमान

    तकसहज मानी जाती ह।ै

    • यदद सापेक्ष आद्रषता हिा में बहुत कम है तो होठ शुष्क हो जाते हैं और उन

    पर दरारें ददखाई दतेी हैं।

    • अगर सापेतक्षक आद्रषता हिा में बहुत अतधक ह ै तो हमारे शरीर से स्िेद

    सरलता से िातष्पत नहीं होता ह ैऔर इसतलए हमें असहज महसूस होता ह।ै

    • एयर कां डीशपनग तापमान और आद्रषता को तितनयतमत करके सुतिधाजनक

    तस्थतत प्रदान करता है।

    ऊष्मा का प्रसारण

    • सांचरण की प्रदक्रया से ऊष्मा को एक स्थान से दसूरे स्थान तक स्थानाांतररत

    दकया जा सकता है।

    • ऊष्मा केप्रसारण की तीन तितधयाां हैं

    सांचरण

    • कणों के िास्ततिक गतततितध के तबना उच्च तापमान भाग से कम तापमान

    भाग में ऊष्मा के प्रसार की तितध को प्रिाहकत्त्ि कहा जाता है।

    • ठोस पदाथों में ऊष्मा का प्रसार मुख्य रूप से प्रिाहकत्त्ि के माध्यम से होता

    ह।ै

    • धातु ऊष्मा के सुचालक हैं

    • लकड़ी, कपास, ऊन, ग्लास ऊष्मा के कुचालक हैं, शुष्क हिा भी ऊष्मा का

    कुचालक ह।ै

    • ऊनी कपड़े हमारे शरीर की ऊष्मा को तनकलने नहीं दतेे हैं और इसतलए हम

    गमष महसूस करते हैं।

    • एक ठांडी रात पर दो पतले कां बल एक मोटे कां बल की तुलना में अतधक गमी

    दतेे हैं क्योंदक दो कां बल के बीच हिा की परत बेहतर अिरोधक के रूप में काम

    करते हैं।

    • रेदरजरेटर और बफष के बक्से में उन दोनों के बीच थमोकल िाली दोहरी

    दीिारें होती हैं जो प्रिाहकत्त्ि से प्राप्त ऊष्मा के लाभ को कम करते हैं।

    सांिहन

    • कणों की िास्ततिक गतत के कारण तरल पदाथष (तरल पदाथष और गैस) में

    ऊष्मा के प्रसार का तरीका सांिहन कहलाता ह।ै

    • तरल पदाथष और गैसों में, ऊष्मा सांिहन से प्रेतर्त होती है।

    • जब एक बतषन में एक तरल तल पर गमष हो जाता है, तो नीचे तरल ऊष्मीय

    हो जाता ह ैऔर प्रसाररत होता ह।ै

    • इसके तनचले घनत्ि के कारण, गमष तरल ऊपर उठता ह ैऔर इसका स्थान

    ऊपर से ठांडे तरल पदाथष द्वारा ले तलया जाता ह।ै सांिहन धाराएां तरल में

    स्थातपत की जाती हैं जब तक दक पूरे तरल का तापमान एक न हो जाए।

    • रेदरजरेटर में शीतलन इकाई शीर्ष के तनकट दफट होती ह ैक्योंदक ठांडी हिा

    नीचे की ओर जाती ह ैऔर पूरे इांटीररयर को ठांडा करती ह।ै

    न्यटून का शीतलक का तनयम

    एक पपड से लुप्त ऊजाष की दर पपड और इसके पररिेश के तापमान में तभन्नता

    के समानुपाती होता ह।ै

    • यदद हम गमष पानी और ताजा पानी लेते हैं और इसे रेदरजरेटर में डालते हैं,

    तो गमष पानी ठांडा करने की दर ताजे पानी से तेज हो जाएगी।

    • समुद्री हिाएां ददन के दौरान, समुद्र का दकनारा समुद्र के पानी की तुलना में

    ज्यादा तेजी से गमष हो जाता है। समुांदर के दकनारे पर गमष हिा और समुद्र के

    पानी से ठांडी हिा समुद्र के दकनारा की ओर जाती है जो पररणामस्िरूप समुद्री

    हिाएां बनती ह।ै

    • भूतमगत हिाएां: राति में, जमीन समुद्र के पानी की तुलना में तेजी से ठांडी

    जाती ह।ै अब समुद्र के पानी पर गमष हिा और ठांडी हिा समुद्र की तरफ बढाती

    ह ैऔर तजसके पररणामस्िरूप भूतमगत हिाएां बनती हैं।

    • बदली िाली राति, साफ़ राति की तुलना में गमष होती है क्योंदक बादल राति

    में पृथ्िी द्वारा उत्सर्तजत तिदकरण दशाषते हैं और इसे गमष रखते हैं।

    तिदकरण

    • तिद्युत चुभबकीय तरांगों के रूप में ऊष्मा के सांचरण की प्रदक्रया को तिदकरण

    कहा जाता है

    • तिदकरण के प्रसार के तलए दकसी भी माध्यम की आिश्यकता नहीं होती है

    और यह मध्यिती माध्यम को गमष दकए तबना प्रसाररत करता है।

    कृतष्णका

    • • एक पपड जो उस पर सभी तिदकरण घटना को अिशोतर्त करता ह ै

    उसे पूणषत: कृतष्णका कहा जाता ह।ै

    • • पपड के तलए कुल घटना तिदकरण में ऊष्मा अिशोतर्त (तिदकरण) का

    अनुपात पपड की अिशोर्ण शतक्त (a) कहलाता ह ै इसकी कोई इकाई

    नहीं ह।ै

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    • • दकसी ददए गए तापमान पर सतह के प्रतत यूतनट क्षेिफल में ऊष्मा

    तिदकरण की मािा को पृष्ठ के तापोत्सजी शतक्त कहा जाता ह।ै

    • • इसकी इकाई जे / एम 2 - एस है

    • • एक शरीर की उत्सजषन शतक्त और अिशोर्ण शतक्त का अनुपात सदिै

    एक ही होता ह।ै यह एक कृतष्णका की तापोत्सजी शतक्त के बराबर होता

    ह।ै इसे दकरचॉफ के तनयम के रूप में जाना जाता ह।ै

    दकरचॉफ का तनयम

    • सफेद रांग एक खराब अिशोर्क ह ै और ऊष्मा के तिदकरणों का सु-

    पराितषक हैं जबदक काला रांग अच्छा अिशोर्क ह ै और गमी का कु-

    पराितषक ह।ै इसतलए, हपके रांग के कपड़े गर्तमयों में बेहतर महसूस कराते

    हैं और काले रांग के कपड़े सर्ददयों में बेहतर महसूस कराते हैं।

    स्टीफन का तनयम

    इसमें कहा गया ह ैदक "पूणषत: कृतष्ण पपड के इकाई क्षेिफल द्वारा प्रतत सेकां ड

    तिदकररत ऊष्मीय ऊजाष (E) की मािा पपड के तनरपेक्ष तापमान (T) के

    चौथेघात समानुपाततक होता ह।ै" E ∝ T4

    अच्छा अिशोर्क अच्छा उत्सजषक और खराब अिशोर्क खराब उत्सजषक

    होता ह।ै

    पदाथष के गुण

    पदाथष

    पदाथष को दकसी भी चीज के रूप में माना जाता ह ैतजसका भार हो और जो

    स्थान लेता हो।

    यह तीन अिस्थाओं में मौजूद होता ह:ै ठोस, तरल और गैस।

    ठोस में, अणु तनतित तस्थतत में कां पन करते हैं।

    तरल में, अणु भी कां पन करते हैं, लेदकन साथ ही िे मुक्त रूप से सामग्री में

    स्थानाांतररत होते हैं। गैस में, अणु ठोस पदाथों और तरल पदाथों की तुलना में

    बहुत दरू होते हैं और उच्च िेग पर चलते हैं।

    अांत:आतण्िक बल

    दो या दो से अतधक परमाणुओं के बीच परस्पर दक्रया करने िाले

    इलेक्रोस्टैरटक बल को अांत:आतण्िक बल कहा जाता ह।ै

    अांत:आतण्िक बल की श्रेणी परमाणु आकार के क्रम के बराबर होती है, अथाषत्

    m।

    एक बल जो एक पपड के तिन्यास को बदलता है, उसे एक तिरूपक बल कहा

    जाता ह।ै

    ठोस

    यह पदाथष की िह अिस्था ह ै तजसका तनतित आकार और तनतित आयतन

    होता है। इस अिस्था मे अणु बहुत तनकट एकतित होते हैं।

    ठोस के गणु

    लोच

    तिरूपण की शतक्त को हटाने के बाद एक पपड का िह गुण तजसके कारण इसके

    मूल तिन्यास को प्राप्त करता है, उसे लोच कहा जाता है।

    क्वाजजष और फॉस्फोर काांस्य लगभग पूणषत: लोचदार तनकाय हैं।

    नमनीयता

    एक पपड का िह गुण तजसके आधार पर यह तिरूपण को हटाने के बाद इसके

    मूल तिन्यास को प्राप्त नहीं करता है, उसे नमनीयता कहा जाता ह।ै

    तिकृतत

    तिन्यास अथाषत् लांबाई, मािा और आकार में पररितषन करने िाला भाग

    तिकृतत कहलाता ह।ै तिकृतत की कोई इकाई नहीं ह।ै

    तिन्यास में पररितषन के आधार पर, तिकृतत तीन प्रकार की हैं

    - अनुदधै्यष तिकृतत =

    - आयतन तिकृतत =

    - अपरूपण तिकृतत = θ

    प्रततबल

    एक तिरूतपत पपड के पार-अनुभाग के प्रतत इकाई क्षेिफल पर प्रभािी अांत:

    प्रत्यानयन बल, प्रततबल कहलाता है।

    प्रततबल दो प्रकार के होते हैं

    - सामान्य प्रततबल

    -स्पशषरेखीय प्रततबल

    अतधकतम तिरूतपत बल तजस पर एक पपड अपने लोच के गुण को बनाए

    रखता ह ैउसे धातत्िक पपड के लोच की सीमा कहते हैं।

    एक तार को तोड़ने के तलए आिश्यक न्यूनतम प्रततबल को तिभांजन प्रततबल

    कहते हैं।

    एक खोखले बेलन में ददए गए तजिस्ट को बनाने के तलए आिश्यक टाकष इसी

    तजिस्ट को एक ठोस बेलन में एक बनाने के तलए आिश्यक टाकष स ेअतधक

    होता है। इसतलए, खोखला शाफ्ट एक ठोस शाफ्ट से मजबूत होता ह।ै

    पस्प्रग स्टील से बने होते हैं, न दक ताांबे से क्योंदक स्टील के लोच के नि-अणु,

    ताांबे से अतधक होते हैं।

    लोच सीमा

    यह प्रततबल और तिकृतत की िह सीमा ह ैतजस पर तार की लोच बनी रहती

    ह।ै

    प्लातस्टक व्यिहार

    यदद तार लोचदार सीमा से बाहर फैल जाता है, तो तिकृतत अतधक तेजी से

    बढ़ती ह।ै यदद तनन बल हटा ददया जाता है, तो तार पुन: अपनी प्राकृततक

    लांबाई तक नहीं आती ह।ै

    तिभांग पबद ु

    यदद तिरूपण प्लातस्टक के व्यिहार में और बढ़ जाता है, तो तार एक पबद ुपर

    टूट जाता ह ैतजसे तिभांग पबद ुकहा जाता ह।ै

    तन्य और भांगरु सामग्री

    यदद लोचदार सीमा और तिभांग पबद ु के बीच बड़ा तिरूपण होता है, तो

    सामग्री को नमनीय कहा जाता है।

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