2
y अपने े/राज की मुख सल, कृषि के कार तथा कृषि पषत का वरन करते ह। y षवव के मानषि पर जनस खा के असमान षवतरर के कार की वाखा करते ह। y वन की आग (दावानल), भूसखलन, औषगक आपदाओ के कारर और उनके जषखम क कम करने के उपा का वरन करते ह। y महतवपूर खषनज, जैसे – कला तथा खषनज तेल के षवतरर क षवव के मानषि पर अ षकत करते ह। y पृथव पर ाकृषतक तथा मानव षनषमत स साधन के असमान षवतरका षवलेिर करते ह। y सभ े म षवकास क बनाए रखने के षलए ाकृषतक स साधन, जैसे – जल, मृदा, वन इताषद के षववेकपूर उपग के स ध क तक पूर ढ ग से सतुत करते ह। y ऐसे कारक का षवलेिर करते ह षजनके कारर कुछ देश मुख सल, जैसे – गेहूँ, िावल, कपास, जूट इताषद का उतपादन करते ह। बचिे इन देश क षवव के मानषि पर अ षकत करते ह। y षवव के षवषभनन े म कृषि के कार तथा षवकास म स सथाषपत करते ह। y षवषभनन देश/भारत/राज की जनस खा क द ड आरेख (बार डााम) ारा दषशत करते ह। y त के इसतेमाल, भारत उपमहाप के षवषभनन े के षलए ुत नामावल और वापक बदलाव के आधार पर ‘आधुषनक काल’ का ‘मधकाल’ और ‘ािनकाल’ से अ तर करते ह। y गषलश ईसट इ षडा क पन कैसे सबसे भावशाल शषत बन गई बताते ह। y देश के षवषभनन े म औपषनवेषशक कृषि नषत के भाव म तर बताते ह, जैसे – ‘नल षवह’। y 19व शताबद म षवषभनन आषदवास समाज के प और पावरके साथ उनके स ध का वरन करते ह। y आषदवास समुदा के षत औपषनवेषशक शासन की नषत की वाखा करते ह। y 1857 के षवह की शुआत, कृषत और फैलाव और इससे षमले सबक का वरन करते ह। y औपषनवेषशक काल के दौरान पहले से मौजूद शहर क और हसतषशलप उग के पतन और नए शहर क और उग के षवकास का षवलेिर करते ह। y भारत म नई षशा राल के स सथानकरर के बारे म बताते ह। y जाषत, मषहला, षवधवा पुनषववाह, बाल षववाह, सामाषजक सुधार से जुड़े मु और इन मु पर औपषनवेषशक शासन के कानून और नषत का षवलेिर करते ह। y कला के े म आधुषनक काल के दौरान हुई मुख घटनाओ की परेखा तैार करते ह। y 1870 के दशक से लेकर आजाद तक भारत रा आ दलन की परेखा तैार करते ह। y रा-षनमा र की षा म महतवपूर बदलाव का षवलेिर करते ह। y भारत के स षवधान के स दभ म अपने े म सामाषजक और राजनषतक मु का षवलेिर करते ह। y मौषलक अषधकार और मौषलक कतव क समुषित उदाहरर से सपट करते ह। y मौषलक अषधकार की अपन समझ से षकस द गई षसथषत, जैसे – बाल अषधकार के उघन, स र और तसाहन की षसथषत क समझते ह। y राज सरकार और क सरकार के बि अ तर करते ह। y लकसभा के िुनाव की षा का वरन करते ह। y राज/ स घ शाषसत देश के स सद षनवािन े के मानषि पर अपना षनवािन े पहिान सकते ह और सथान सा सद का नाम जानते ह। y कानून बनाने की षा का वरन करते ह (उदाहरराथ, घरेलू षह सा से षस का बिाव अषधषनम, सूिना का अषधकार अषधषनम, षशा का अषधकार अषधषनम)। y भारत म नाषक राल की काषवषध का कुछ मुख मामल का उदाहरर देकर वरन करते ह। y एक थम सूिना ररपट (ए.आई.आर.) दज करने की षा क दषशत करते ह। y अपने े के सुषवधा व षित वग की उपेा के कारर और पराम का षवलेिर करते ह। y पान, साई, सड़क, षबजल, आषद जन-सुषवधाएँ उपलबध कराने म सरकार की भूषमका की पहिान करते ह। y आषथक गषतषवषध के षनमन म सरकार की भूषमका का वरन करते ह। ENGLISH The learner– responds to instructions and announcements in school and public places viz. railway station, market, airport, cinema hall, and act accordingly. introduces guests in English, interviews people by asking questions based on the work they do. engages in conversations in English with people from different professions such as bank staff, railway staff, etc., using appropriate vocabulary. uses formulaic/polite expressions to communicate such as ‘May I borrow your book?’, ‘I would like to differ’, etc. speaks short prepared speech in morning assembly. speaks about objects/events in the class/school environment and outside surroundings. participates in grammar games and kinaesthetic activities for language learning. reads excerpts, dialogues, poems, commentaries of sports and games speeches, news, debates on TV, Radio and expresses opinions about them. asks questions in different contexts and situations (e.g., based on the text/beyond the text/out of curiosity/while engaging in conversation using appropriate vocabulary and accurate sentences). participates in different events such as role play, poetry recitation, skit, drama, debate, speech, elocution, declamation, quiz, etc., organised by school and other such organisations. सीखने के तिफल क 8 narrates stories (real or imaginary) and real life experiences in English. interprets quotations, sayings and proverbs. reads textual/non-textual materials in English/Braille with comprehension. identifies details, characters, main idea and sequence of ideas and events while reading. reads, compares, contrasts, thinks critically and relates ideas to life. infers the meaning of unfamiliar words by reading them in context. reads a variety of texts for pleasure, e.g., adventure stories and science fiction, fairy tales, also non-fiction articles, narratives, travelogues, biographies, etc. (extensive reading). refers dictionary, thesaurus and encyclopedia as reference books for meaning and spelling while reading and writing. prepares a write-up after seeking information in print / online, notice board, newspaper, etc. communicates accurately using appropriate grammatical forms (e.g., clauses, comparison of adjectives, time and tense, active passive voice, reported speech, etc.) writes a coherent and meaningful paragraph through the process of drafting, revising, editing and finalising. writes short paragraphs coherently in English/Braille with a proper beginning, middle and end with appropriate punctuation marks. writes answers to textual / non-textual questions after comprehension / inference; draws character sketch, attempts extrapolative writing. writes email, messages, notice, formal letters, descriptions / narratives, personal diary, report, short personal / biographical experiences, etc. develops a skit (dialogues from a story) and story from dialogues. visits a language laboratory. writes a Book Review. अतिक जनकरी के तलए स पक कर राज परजना षनदेशाल सव षशा अषभान एव रा माधषमक षशा अषभान ड.प.ई.प. भवन, लालपान (षशमला), षहमािल देश- 171001 रभाि: 0177-2658668, फैस: 0177-2808624 ई-मेल: [email protected], वेबसाईट: edumis.hp.gov.in राज परजना षनदेशाल, सव षशा अषभान, षहमािल देश

English The learner– sequence of ideas and events …edumis.hp.gov.in/Application/uploadDocuments/content/...y 1857 क षवद य ह क श र आत, प रक षत और

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  • y अपने क्ेत्र/राज्य की प्रमखु फ़सलों, कृषि के प्रकारों तथा कृषि पद्धषत्यों का वर्णन करते हैं।

    y षवश्व के मानषित्र पर जनसंख्या के असमान षवतरर के काररों की व्याख्या करते हैं।

    y वनों की आग (दावानल), भसूखलन, औद्योषगक आपदाओ ं के काररों और उनके जयोषखम कयो कम करने के उपा्यों का वर्णन करते हैं।

    y महतवपरू्ण खषनजों, जैसे – कयो्यला तथा खषनज तेल के षवतरर कयो षवश्व के मानषित्र पर अषंकत करते हैं।

    y पथृववी पर प्राकृषतक तथा मानव षनषम्णत संसाधनों के असमान षवतरर का षवश्लेिर करते हैं।

    y सभवी क्ेत्रों में षवकास कयो बनाए रखने के षलए प्राकृषतक संसाधनों, जैसे – जल, मदृा, वन इत्याषद के षववेकपरू्ण उप्ययोग के संबंध कयो तक्ण परू्ण ढंग से प्रसततु करते हैं।

    y ऐसे कारकों का षवश्लेिर करते हैं षजनके कारर कुछ दशे प्रमखु फ़सलों, जैसे – गेहू,ँ िावल, कपास, जटू इत्याषद का उतपादन करते हैं। बचि ेइन दशेों कयो षवश्व के मानषित्र पर अषंकत करते हैं।

    y षवश्व के षवषभनन क्ेत्रों में कृषि के प्रकारों तथा षवकास में संबंध सथाषपत करते हैं।

    y षवषभनन दशेों/भारत/राज्यों की जनसंख्या कयो दडं आरेख (बार डा्यग्ाम) द्ारा प्रदषश्णत करते हैं।

    y स्योतों के इसतेमाल, भारतवी्य उपमहाद्वीप के षवषभनन क्ेत्रों के षलए प्र्यकु्त नामावलवी और व्यापक बदलावों के आधार पर ‘आधषुनक काल’ का ‘मध्यकाल’ और ‘प्रािवीनकाल’ से अतंर करते हैं।

    y इगंषलश ईसट इषंड्या कंपनवी कैसे सबसे प्रभावशालवी शषक्त बन गई बताते हैं।

    y दशे के षवषभनन क्ेत्रों में औपषनवेषशक कृषि नवीषत्यों के प्रभाव में अतंर बताते हैं, जैसे – ‘नवील षवद्योह’।

    y 19वीं शताबदवी में षवषभनन आषदवासवी समाज के रूपों और प्या्णवरर के साथ उनके संबंधों का वर्णन करते हैं।

    y आषदवासवी समदुा्यों के प्रषत औपषनवेषशक प्रशासन की नवीषत्यों की व्याख्या करते हैं।

    y 1857 के षवद्योह की शरुुआत, प्रकृषत और फैलाव और इससे षमले सबक का वर्णन करते हैं।

    y औपषनवेषशक काल के दौरान पहले से मौजदू शहरवी कें द्ों और हसतषशलप उद्योगों के पतन और नए शहरवी कें द्ों और उद्योगों के षवकास का षवश्लेिर करते हैं।

    y भारत में नई षशक्ा प्ररालवी के संसथानवीकरर के बारे में बताते हैं। y जाषत, मषहला, षवधवा पनुषव्णवाह, बाल षववाह, सामाषजक सधुार से

    जड़ेु मदु्ों और इन मदु्ों पर औपषनवेषशक प्रशासन के काननूों और नवीषत्यों का षवश्लेिर करते हैं।

    y कला के क्ेत्र में आधषुनक काल के दौरान हुई प्रमखु घटनाओ ंकी रूपरेखा तै्यार करते हैं।

    y 1870 के दशक से लेकर आजादवी तक भारतवी्य राष्ट्वी्य आदंयोलन की रूपरेखा तै्यार करते हैं।

    y राष्ट्-षनमा्णर की प्रषरि्या में महतवपरू्ण बदलावों का षवश्लेिर करते हैं। y भारत के संषवधान के संदभ्ण में अपने क्ेत्र में सामाषजक और

    राजनवीषतक मदु्ों का षवश्लेिर करते हैं। y मौषलक अषधकार और मौषलक कत्णव्यों कयो समषुित उदाहररों से

    सपष्ट करते हैं। y मौषलक अषधकारों की अपनवी समझ से षकसवी दवी गई षसथषत, जैसे –

    बाल अषधकार के उललंघन, संरक्र और प्रयोतसाहन की षसथषत कयो समझते हैं।

    y राज्य सरकार और कें द् सरकार के बवीि अतंर करते हैं। y लयोकसभा के िनुाव की प्रषरि्या का वर्णन करते हैं। y राज्य/ संघ शाषसत प्रदशे के संसदवी्य षनवा्णिन क्ेत्र के मानषित्र पर

    अपना षनवा्णिन क्ेत्र पहिान सकते हैं और सथानवी्य सांसद का नाम जानते हैं।

    y काननू बनाने की प्रषरि्या का वर्णन करते हैं (उदाहरराथ्ण, घरेल ूषहसंा से षसत्र्यों का बिाव अषधषन्यम, सिूना का अषधकार अषधषन्यम, षशक्ा का अषधकार अषधषन्यम)।

    y भारत में न्याष्यक प्ररालवी की का्य्णषवषध का कुछ प्रमखु मामलों का उदाहरर दकेर वर्णन करते हैं।

    y एक प्रथम सिूना ररपयोट्ण (एफ़.आई.आर.) दज्ण करने की प्रषरि्या कयो प्रदषश्णत करते हैं।

    y अपने क्ेत्र के स ुषवधा वंषित वगगों की उपेक्ा के काररों और परररामों का षवश्लेिर करते हैं।

    y पानवी, सफ़ाई, सड़क, षबजलवी, आषद जन-सषुवधाए ँउपलबध कराने में सरकार की भषूमका की पहिान करते हैं।

    y आषथ्णक गषतषवषध्यों के षन्यमन में सरकार की भषूमका का वर्णन करते हैं।

    EnglishThe learner–• responds to instructions and

    announcements in school and public places viz. railway station, market, airport, cinema hall, and act accordingly.

    • introduces guests in English, interviews people by asking questions based on the work they do.

    • engages in conversations in English with people from different professions such as bank staff, railway staff, etc., using appropriate vocabulary.

    • uses formulaic/polite expressions to communicate such as ‘May I borrow your book?’, ‘I would like to differ’, etc.

    • speaks short prepared speech in morning assembly.

    • speaks about objects/events in the class/school environment and outside surroundings.

    • participates in grammar games and kinaesthetic activities for language learning.

    • reads excerpts, dialogues, poems, commentaries of sports and games speeches, news, debates on TV, Radio and expresses opinions about them.

    • asks questions in different contexts and situations (e.g., based on the text/beyond the text/out of curiosity/while engaging in conversation using appropriate vocabulary and accurate sentences).

    • participates in different events such as role play, poetry recitation, skit, drama, debate, speech, elocution, declamation, quiz, etc., organised by school and other such organisations.

    सीखने के प्रतिफलकक्षा 8

    • narrates stories (real or imaginary) and real life experiences in English.

    • interprets quotations, sayings and proverbs.• reads textual/non-textual materials in

    English/Braille with comprehension.• identifies details, characters, main idea and

    sequence of ideas and events while reading.• reads, compares, contrasts, thinks critically

    and relates ideas to life.• infers the meaning of unfamiliar words by

    reading them in context.• reads a variety of texts for pleasure, e.g.,

    adventure stories and science fiction, fairy tales, also non-fiction articles, narratives, travelogues, biographies, etc. (extensive reading).

    • refers dictionary, thesaurus and encyclopedia as reference books for meaning and spelling while reading and writing.

    • prepares a write-up after seeking information in print / online, notice board, newspaper, etc.

    • communicates accurately using appropriate grammatical forms (e.g., clauses, comparison of adjectives, time and tense, active passive voice, reported speech, etc.)

    • writes a coherent and meaningful paragraph through the process of drafting, revising, editing and finalising.

    • writes short paragraphs coherently in English/Braille with a proper beginning, middle and end with appropriate punctuation marks.

    • writes answers to textual / non-textual questions after comprehension / inference; draws character sketch, attempts extrapolative writing.

    • writes email, messages, notice, formal letters, descriptions / narratives, personal diary, report, short personal / biographical experiences, etc.

    • develops a skit (dialogues from a story) and story from dialogues.

    • visits a language laboratory.• writes a Book Review.

    अतिक जषानकषारी के तलए सपंक्क करेंराज्य परर्ययोजना षनदशेाल्य

    सव्ण षशक्ा अषभ्यान एवं राष्ट्वी्य माध्यषमक षशक्ा अषभ्यान डवी.पवी.ई.पवी. भवन, लालपानवी (षशमला), षहमािल प्रदशे- 171001

    दरूभाि: 0177-2658668, फैक्स: 0177-2808624ई-मले: [email protected], वेबसाईट: edumis.hp.gov.in राज्य परर्ययोजना षनदशेाल्य, सव्ण षशक्ा अषभ्यान, षहमािल प्रदशे

  • तिंदी बच्े–

    y षवषभनन षवि्यों पर आधाररत षवषवध प्रकार की रिनाओ ंकयो पढ़कर ििा्ण करते हैं, जसेै– पाठ््यपसुतक में षकसवी पक्वी के बारे में पढ़कर पषक््यों पर षलखवी गई साषलम अलवी की षकताब पढ़कर ििा्ण करते हैं।

    y षहदंवी भािा में षवषभनन प्रकार की सामग्वी (समािार, पत्र-पषत्रका,

    कहानवी, जानकारवीपरक सामग्वी, इटंरनेट, बललॉग पर छपने वालवी

    सामग्वी आषद) कयो समझकर पढ़ते हैं और उसमें अपनवी पसंद-

    नापसंद, षटपपरवी, रा्य, षनष्कि्ण आषद कयो मौषखक/सांकेषतक भािा

    में अषभव्यक्त करते हैं। y पढ़वी गई सामग्वी पर षितंन करते हुए समझ के षलए प्रश्न पछूते हैं।

    y अपने पररवेश में मौजदू लयोककथाओ ं और लयोकगवीतों के बारे में

    बताते/सनुाते हैं।

    y पढ़कर अपररषित पररषसथषत्यों और घटनाओ ंकी कलपना करते हैं

    और उन पर अपने मन में बनने वालवी छषव्यों और षविारों के बारे में

    मौषखक /सांकेषतक भािा में बताते हैं।

    y षवषभनन संवेदनशवील मदु्ों/षवि्यों, जैसे– जाषत, धम्ण, रंग, जेंडर,

    रवीषत-ररवाजों के बारे में अपने षमत्रों, अध्यापकों ्या पररवार से प्रश्न

    करते हैं, जैसे–अपने मयोहलले के लयोगों से त्ययोहार मनाने के तरवीके पर

    बातिवीत करना।

    y षकसवी रिना कयो पढ़कर उसके सामाषजक मलू्यों पर ििा्ण करते हैं।

    उसके कारर जानने की कयोषशश करते हैं, जैसे– अपने आस-पास

    रहने वाले पररवारों और उनके रहन-सहन पर सयोिते हुए प्रश्न करते

    हैं– राम ूकाका की बेटवी सकूल क््यों नहीं जातवी?

    y षवषभनन प्रकार की सामग्वी, जैसे कहानवी, कषवता, लेख, ररपयोता्णज,

    संसमरर, षनबंध, व्ंयग्य आषद कयो पढ़ते हुए अथवा पाठ््यवसत ुकी

    बारवीकी से जाँि करते हुए उसका अनमुान लगाते हैं, षवश्लेिर करते

    हैं, षवशेि षबंद ुकयो खयोजते हैं।

    y पढ़वी गई सामग्वी पर षितंन करते हुए बेहतर समझ के षलए प्रश्न पछूते हैं।

    y षवषभनन पठन सामषग््यों में प्र्यकु्त शबदों, महुावरों, लयोकयोषक्त्यों कयोे

    समझते हुए उनकी सराहना करते हैं।

    y कहानवी, कषवता आषद पढ़कर लेखन के षवषवध तरवीकों और शषैल्यों

    कयो पहिानते हैं, जैसे – वर्णनातमक, षववररातमक, भावातमक, प्रकृषत षित्रर आषद।

    y षवषभनन पठन सामषग््यों कयो पढ़ते हुए उनके षशलप की सराहना करते हैं और अपने सतरानकूुल मौषखक, षलषखत, ब्ले/सांकेषतक रूप में उसके बारे में अपने षविार व्यक्त करते हैं।

    y षकसवी पाठ््यवसत ुकयो पढ़ने के दौरान समझने के षलए जरूरत पड़ने पर अपने षकसवी सहपाठवी ्या षशक्क की मदद लेकर उप्यकु्त संदभ्ण सामग्वी, जैसे– शबदकयोश, षवश्वकयोश, मानषित्र, इटंरनेट ्या अन्य पसुतकों की मदद लेते हैं।

    y अपने पाठक और षलखने के उद्शे््य कयो ध्यान में रखते हुए अपनवी बात कयो प्रभाववी तरवीके से षलखते हैं।

    y पढ़कर अपररषित पररषसथषत्यों और घटनाओ ंकी कलपना करते हैं और उन पर अपने मन में बनने वालवी छषव्यों और षविारों के बारे में षलषखत ्या ब्ले भािा में अषभव्यषक्त करते हैं।

    y भािा की बारवीषक्यों/व्यवसथा का षलषखत प्र्ययोग करते हैं, जैसे–कषवता के शबदों कयो बदलकर अथ्ण और ल्य कयो समझना।

    y षवषभनन अवसरों/संदभगों में कहवी जा रहवी दसूरों की बातों कयो अपने ढंग से षलखते हैं, जैसे– सकूल के षकसवी का्य्णरिम की ररपयोट्ण बनाना ्या ष फ़र अपने गाँव के मलेे के दकुानदारों से बातिवीत।

    y अपने अनभुवों कयो अपनवी भािा शलैवी में षलखते हैं। लेखन के षवषवध तरवीकों और शषैल्यों का प्र्ययोग करते हैं, जैसे–षवषभनन तरवीकों से (कहानवी, कषवता, षनबंध आषद) कयोई अनभुव षलखना।

    y दषैनक जवीवन से अलग षकसवी घटना/षसथषत पर षवषभनन तरवीके से सजृनातमक ढंग से षलखते हैं, जैसे–सयोशल मवीषड्या पर, नयोटबकु पर ्या संपादक के नाम पत्र आषद।

    y षवषवध कलाओ,ं जैसे– हसतकला, वासतकुला, खतेवी-बाड़वी, नतृ्यकला और इनमें प्र्ययोग हयोने वालवी भािा (रषजसटर) का सजृनातमक प्र्ययोग करते हैं, जैसे– कला के बवीज बयोना, मनमयोहक मदु्ाए,ँ रस की अनभुषूत।

    y अपने पाठक और षलखने के उद्शे््य कयो ध्यान में रखते हुए अपनवी बात कयो प्रभाववी तरवीके से षलखते हैं।

    y अषभव्यषक्त की षवषवध शषैल्यों/रूपों कयो पहिानते हैं, सव्ंय षलखते हैं, जैसे– कषवता, कहानवी, षनबंध आषद।

    गतििबच्े —

    y पररम्ेय संख्याओ ंमें ्ययोग, अतंर, गरुन, तथा भाग के गरुों का एक पैटन्ण द्ारा सामान्यवीकरर करते हैं।

    y दयो पररम्ेय संख्याओ ंके बवीि अनेक पररम्ेय संख्याए ँज्ात करते हैं। y 2, 3, 4, 5, 6, 9 तथा 11 से षवभाजन के षन्यम कयो षसद्ध

    करते हैं। y संख्याओ ंका वग्ण, वग्णमलू, घन, तथा घनमूलू षवषभनन तरवीकों से

    ज्ात करते हैं। y परूाांक घातों वालवी समस्याए ँहल करते हैं। y िरों का प्र्ययोग कर दैषनक जवीवन की समस्याएँ तथा पहलेवी हल

    करते हैं। y बवीजवी्य व्ंयजकों कयो गरुा करते हैं, जैसे (2x–5 ) (3x2+7) का

    षवसतार करते हैं। y षवषभनन सव्णसषमकाओ ंका उप्ययोग दषैनक जवीवन की समस्याओ ंकयो

    हल करने के षलए करते हैं। y प्रषतशत की अवधाररा का प्र्ययोग लाभ तथा हाषन की षसथषत्यों में

    छूट की गरना, जवी.एस.टवी. (GST), िरिवषृद्ध ब्याज की गरना के षलए करते हैं, जैसे – अषंकत मलू्य तथा वासतषवक छूट दवी गई हयो तयो छूट प्रषतशत ज्ात करते हैं अथवा रि्य मलू्य तथा लाभ की राषश दवी हयो तयो लाभ प्रषतशत ज्ात करते हैं।

    y समानपुात तथा व्यतुरिमानपुात (direct and inverse proportion) पर आधाररत प्रश्न हल करते हैं।

    y कयोरों के ्ययोग के गरुधम्ण का प्र्ययोग कर ितभुु्णज के कयोरों से संबंषधत समस्याए ँहल करते हैं।

    y समांतर ितभुु्णज के गरुधमगों का सत्यापन करते हैं तथा उनके बवीि तक्ण द्ारा संबंध सथाषपत करते हैं।

    y 3D आकृषत्ययोें कयो समतल, जैसे – कागज के पनने, श््यामपट आषद पर प्रदषश्णत करते हैं।

    y पैटन्ण के माध्यम से ्यलूर (Euler's) संबंध का सत्यापन करते हैं। y पैमाना (सकेल) तथा परकार के प्र्ययोग से षवषभनन ितभुु्णज की रिना

    करते हैं। y समलंब ितभुु्णज तथा अन्य बहुभजु के क्ेत्रफल का अनमुाषनत मान

    इकाई वग्ण षग्ड/ग्ाफ़ पेपर के माध्यम से करते हैं तथा सतू्र द्ारा उसका सत्यापन करते हैं।

    y बहुभजु का क्ेत्रफल ज्ात करते हैं। y घनाभाकार तथा बेलनाकार वसतओु ं का पषृ्ठवी्य क्ेत्रफल तथा

    आ्यतन ज्ात करते हैं। y दडं आलेख तथा पाई आलेख बनाकर उनकी व्याख्या करते हैं। y षकसवी घटना के पवू्ण में घषटत हयोने ्या पासे ्या षसक्कों की उछाल के

    आकँड़ों के आधार पर भषवष््य में हयोने वालवी ऐसवी घटनाओ ंके घषटत हयोने के षलए अनमुान (Hypothesize) लगाते हैं।

    तिज्षानबच्े–

    y पदाथगों और जवीवों में गरुों, संरिना एवं का्यगों के आधार पर भदे करते हैं, जैसे – प्राकृषतक एवं मानव षनषम्णत रेशों, संपक्ण और असंपक्ण बलयोें, षवद्तु िालक और षवद्तु रयोधक के रूप में द्व पदाथगों, पौधों और जंतओु ंकी कयोषशकाओ,ं षपंडज और अडंज जंतओु ंमें आषद।

    y पदाथगों, जवीवों और प्रषरि्याओ ंकयो अवलयोकन ्ययोग्य गरुों के आधार पर वगगीकृत करते हैं, जैसे – धातओु ंऔर अधातओु,ं खरवीफ़ और रबवी फ़सलों, उप्ययोगवी और हाषनकारक सकू्मजवीवों, लैंषगक और अलैंषगक प्रजनन, खगयोलवी्य षपंडों, समापत हयोने वाले एवं अक््य प्राकृषतक संसाधन आषद।

    y प्रश्नों के उत्तर ज्ात करने के षल्ेय सरल छानबवीन करते हैं, जैसे – दहन के षलए आवश््यक शततें क््या हैं? हम अिार और मरुबबों में नमक और िवीनवी क््यों षमलाते हैं? क््या द्व समान गहराई पर समान दाब डालते हैं?

    y प्रषरि्याओ ंऔर पररघटनाओ ंकयो काररों से संबंष धत करते हैं, जैसे – हवा में प्रदिूकों की उपषसथषत के कारर धमू-कयोहरे का बनना; अमल विा्ण के कारर समारकों का क्रर आषद।

    y प्रषरि्याओ ंऔर पररघटनाओ ंकी व्याख्या करते ह,ै जसेै – मनषु््य और जतंओु ंमें प्रजनन; धवषन का उतपनन हयोना तथा सिंरर; षवद्तु धारा

    के रासा्यषनक प्रभाव; बहुप्रषतषबंबों का बनना, जवाला की सरंिना आषद।

    y रासा्यषनक अषभषरि्याओ,ं जैसे – धातओु ंऔर अधातओु ंकी वा्य,ु जल तथा अमलों के साथ अषभषरि्याओ ंके षलए शबद-समवीकरर षलखते हैं।

    y आपतन और परावत्णन कयोरों आषद का मापन करते हैं। y सकू्मजवीवों, प्याज की षझललवी, मानव गाल की कयोषशकाओ ंआषद

    के सलाइड तै्यार करते हैं और उनसे संबंषधत सकू्म लक्रों का वर्णन करते हैं।

    y नामांषकत षित्र/फलयो िाट्ण बनाते हैं, जैसे – कयोषशका की संरिना, आखँ, मानव जनन, अगंों एवं प्र्ययोग संबंधवी व्यवसथाओ ंआषद।

    y अपने पररवेश की सामषग््यों का उप्ययोग कर मलॉडलों का षनमा्णर करते हैं और उनकी का्य्णषवषध की व्याख्या करते हैं, जैसे – इकतारा, इलेक्ट्योसकयोप, अषगन शामक ्ंयत्र आषद।

    y वैज्ाषनक अवधारराओ ंकयो समझकर दषैनक जवीवन में प्र्ययोग करते हैं, जैसे – अमलवी्यता से षनपटना, षमट्वी की जाँि एवं उसका उपिार, संक्ारर कयो रयोकने के षवषभनन उपा्य, काष्यक प्रवध्णन के द्ारा कृषि, दयो अथवा दयो से अषधक षवद्तु सेलों का षवषभनन षवद्तु उपकररों में सं्ययोजन, षवषभनन आपदाओ ंके दौरान व उनके बाद उनसे षनपटना, प्रदषूित पानवी के पनुःउप्ययोग हते ुउपिाररत करने की षवषध्याँ सझुाना आषद।

    y वैज्ाषनक अनवेिरों की कहाषन्यों पर पररििा्ण करते हैं और उनका मह�व समझते हैं।

    y प्या्णवरर की सरुक्ा हते ु प्र्यास करते हैं, जैसे – संसाधनों का षववेकपरू्ण उप्ययोग करके; उव्णरकों और कीटनाशकों का षन्ंयषत्रत उप्ययोग करके; प्या्णवररवी्य खतरों से षनपटने के सझुाव दकेर आषद।

    y षडजाइन बनाने, ्ययोजना बनाने एवं उपलबध संसाधनों का उप्ययोग करने में रिनातमकता का प्रदश्णन करते हैं।

    y ईमानदारवी, वसतषुनष्ठता, सह्ययोग, भ्य एवं पवूा्णग्हों से मषुक्त जैसे मलू्यों कयो प्रदषश्णत करते हैं।

    सषामषातजक तिज्षानबच्े–

    y कचि ेमाल, आकार तथा सवाषमतव के आधार पर षवषभनन प्रकार के उद्योगों कयो वगगीकृत करते हैं।