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Complete Works of Sri Sankaracharya in ... - Internet Archive

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नानाज-मस सचितन तपसा पतन चिततापमना

मनरण परतिबाधितन कतकातसवौ कती शाकरी ।

| सस परथम जगदररपद भकसया मयादयापिता सवीकतयोपहति करात गरराङ‌ ध-य तथम जनम‌ ॥

भीमचछकरदरिकनदररचितानसवानपरवनधा सदा

तसपरीय परिचचाधय पसतकचय समनय साक बध ।

तचछातरपरवराछिमधयचिरसचछीदरिकनदरष ता

"क पवादयोपहति सभकतिबिनय नन कतारथो ऽसमयहम‌ ॥

सौमयाबदसाधाजनपकषराजतसयाङकतिथयाशरितसोम वार । शराहयकरायपरतिमापरतिषठाका मयषोपहति यधायि ॥

शरीशकरकतिमाका गरवरतषठय सखमपिता मादात‌ ।

बालादिमपदभाजा सबरहमणयन भकतिनपनण ॥ ४ ॥

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विषणसतोतराणि १ सकीरणसतोतराणि ७०

छङिताजिशतीसतोतरभाषयम‌ १६१

(न

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५० तार 8

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॥ शरी ॥

॥ षिषयायकमणिका ॥ --*--<*ॐ-(4&>*--

दयमतपचचरलम‌

शरीरामभजगपरयातसतोचरम‌ लकषमीनरतिहपजचचरनम‌

ठकषमीचसिहकरणारससतोघरम‌ शरीविषणमजगपरयातसतोतरम‌ विषणपादादिकशानतसतोतरम‌ पाणडरङकाषटकम‌ अचयताषटकम‌ कषणाषटकम‌ हरिसतति गोविनदाषटकम‌ भगवनमानसपजा मोहमदरर कनकधारासतोतरम‌ अननपणोषटकम‌

88110

पषठम‌

११ १६ १८ २२ ३९ ३९ ४ ४५ ५६ ५९

६२९

७५

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मीनाकषीपचचरननम‌ मीनाकषीसतोतरम‌ दकषिणामरिसतोतरम‌ कारमरवाषटकम‌ नमदाषटकम‌ यमनाषटकम‌ यमनाषटकम‌ गङगाषटकम‌ मणिकरणिकाषटकम‌ निशौणमानसपजा परात समरणसतोतरम‌ जगननाथाषटकम‌ षदपदीसतोतरम‌ भरमरामबटकम‌ रिवपशचाकषरनकषतरमाङासतोतरम‌ दरावसरिङगसतोतरम‌ अधनारीशरसतोतरम‌ हारदाथजगरयाताषटकम‌ गवषटकम‌ काकषीपचचकम‌

1

७९

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१३०

१३४

१३७

१४०

१४३

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॥ शरीमहाविषण, ॥

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॥ शरी ॥

॥ हनमतपञचरलम‌ । क.

वीताखिरबिषयषछ

जताननदाशचपरखकमलचछम‌ ।

सीतापतिदताय

वातापमजमदय भावय हयम‌ ॥ १ ॥

तरणरणञखकमङ

करणारसपरपरितापाङगम‌ ।

सजीवनमाशचास

मजरमदिमानम अनाभागयम‌ ॥ २

शमबरवरिशरातिग- ममबजदङविपररोचनोव‌ारम‌ ।

कमबगरमनिछविष

भिसबञवलितोशठमकमवखसब ।। ३ ॥ ५१९ 7 1

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हयमपपशचरलम‌ ।

दरीकतसीताति

परकटीकतरामनभवसपति । दारितदशषमखकीति

परतो मम भाव हयमतो मति ॥ $ ॥

नानरनिकराधयकष

दानवञखछमदरविकरसदकषम‌ ।

दीनजनावनदीकष

पवनतप पाकपखलमदराकषम‌ ॥ ५ ॥

एततपवनसतसय

सतोतर य पठति पथचरननाखयम‌ |

जिरभिह निखिखानमोगा

नभङकतवा शरीरामभकतिभागभवति ॥ ६ ॥

इति भीमपपरमहसपरिवराजकाचारयसय भीगोवि दभगवपपजयपादकषिषयसय

शीमचछकरमरावत कतौ

हलमतशचरतन सपणम‌ ॥

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॥ शरी ॥

॥ शरीरामहलपएट यातसतोलप‌ ॥

विदयद पर सशविवाननदशप

गणाधारमाधारहीन वरणयम‌ ।

महानत विभानत गहानत गणानत

सखानत सवय धाम राम परपश ॥ १॥

शिव निलयमक विभ तारकाखय सखाकारमाकारशचलय समानयम‌ ।

४.५ ध

महश कलशच सरश परश नरश निरीक मदीकच परपदय ॥ २ ॥

यद‌ावणयतकणमलऽनतकाङ शिवो राम रामति रामति कायाम‌ ।

तदक पर तारकबरहमरप

भजऽह भजऽद भजऽदह भजऽहम‌ ॥ ३ ॥

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रामभजङगपयातसतोलम‌ ।

महारतनपीठ छयभ कलपमढ

सखासीनमादिदयकोटिभरकाशम‌ ।

सद‌ा जानकीरषषमणोपतमक

सदा रामचनदर भज ऽह भजऽहम‌ ॥ £ ॥

कणदरननम-लीरपादारविनद‌

छसनमखङाचारपीताभबराढयम‌ ।

मदागनरारोलससकौसतभाङग । नदकचशचवरीम-लरीलोकमालम‌ ॥ ५ ॥

कसशवनदरिकासमरदोणाधराभ

सगधसपतङगनदकोरिभरकाशचम‌ ।

नमदरहमरदरादिकोटीररतन

सफरतकानतिनीराजनाराधिताङचरिम‌ ॥ £ ॥

पर पराखलीनाखनधादि भकता

नसलचिनमदरया मदरया बोधयनतम‌ ।

मजऽह भजऽह सदा रानचनदर

तवदनय न मनथ न मनय न मनय \॥ ७॥

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शरीरामञजङजभयानसतोतरम‌ ।

यदा मतसमीप कतानत समल

परचणडवरकोपमदभीषयनमाम‌ ।

तदाविषकरोषि तवदीय सवरप

सदापसणाहय सकोदणडबाणम‌ ॥ ८ ॥

निजञ मानस मनदिर सनिधषि

परसीद परसीद परभो रामवनदर‌ ।

ससौमितरिणा ककयीननदनन

सवशकलयान भकतया च ससवयमान ॥ ९ ॥

सवभकतारगणय कपीदौमही- रनीकरनकशच राम परसीद ।

नमसत नमोऽसपवीश राम परसीद‌

परशषाधि परशाधि परकाशय परभो माम‌ ॥ १०॥

सवमवासि दव पर म यदक

सचतनयमतततवदनय न मनय । यतोऽभदमय वियदवायतजो

जलोवयौदिकाय चर सवाचर च ।॥ ११॥

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शरीराभसजङगपरयातसतोलम‌ ।

नम सिदाननदरपाय तसम नमो दवदवाय रामाय तभयम‌ ।

नमो जानकीजीवितशाय तभय नम पणडरीकायताकषाय तभयम‌ ॥ १२॥

नमो भकतिगकतानरकताय तभय

नम पणयपरकरभयाय तभयम‌ । नमो वदवदयाय चादयाय पस

नम सनदरायनदिरावहवभाय ॥ १३ ॥

नमो विशवकरतर नमो विगर

नमो विशवभोकग नमो विशवमातर । क, अ

नमो विशवनतर नमो विशवजतर

नमो विशवपितर नमो विशवमानन ॥ १४ ॥

नमसत नमसत समसतपरपञच

मरमागरयोगपरमाणपरवीण ।

मदीय मनसतवतपद‌दनदरसवा

विधात परवतत सचतनयसिदधय ॥ १५ ॥

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शरीरामभजङगभयाततोतरम‌ ।

शिरापि तवदङबनिकषमासङगिरण परसादादधि चतनयमाधतत राम ।

नरसतवतपवदरनदरसवाविधाना-

ससचतनयमतीति कि चिवमबर ॥ १६॥

पवितर चरितर विचितर तवदीय

नरा य समरनयनवह रामचनदर ।

भवनत भवानत भरनत भजनतो

छभनत कतानत न पशयनयतोऽनत ॥ १७ ॥

सर पणय स गणय शरणयो ममाय

नरो वद‌ यो दवचडामणि तवाम‌ । खदाकारमक चिदाननदरप

मनोवागगमय पर धाम राम ।॥ १८॥

परचणडभरतापपरमावाभिभत

भरभतारिवीर परभो रामचनदर । बर त कथ वरणयतऽतीव बालय

यतोऽखणडि चणडीरकोवणडदणडम‌ ॥ १९ ॥

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शरीराभभजङगपरयातसतोतम‌ ।

दशषदरीवसगर सपतर समितर

खरिहगमभयसथरकषोगणशषम‌ । भवनत विना राम वीरो नरोवा

सरो वामरो वा जयतकलषिरोकयाम‌ ॥ २० ॥

सदा राम रामति रामामत त सदाराममाननद निषयनदकनदम‌ |

पिबनत नमनत सदनत हसनत हनमनतमनतमज त नितानतम‌ ॥ २१॥

सदा राम रामति राभापरतत

सदाराममाननदनिषयनदकनदम‌ |

पिबनननवह ननव नव मलयो विममि परसादादसादाततवव ॥ २२ ॥

असीतासमतरकोवणडभष रसौमितरिवनधरचणडपरताप ।

अरदकशकाररसपीवमितर- ररामाभिथवरल दवतन ॥ २३ ॥

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शरीरामभजङगपयातसतोतम‌ ।

अवीरासनसथरचिनमदरिकाचय रभकताखनयादितनतवभरकाश ।

अमनदारमङरमनदारमाछ । ररामाभिधयरर दवतन ॥ २४ ॥

असिनधपरकोपरवनयपरताप

रबनधभयानरमनदसमितादय । अदणडपरवासरखणडभरोय

ररामाभिषचरल दवतन ॥ ०५ ॥

हर राम सीतापत रावणार

खरार सरारऽसरार परति ।

ङपनत नयनत सदाकालमव

समालोकयारोकयाशषबनधो । २६ ॥

नमसत सभितरासपनराभिवनदय

नमसत सदा ककयीननदनडय ।

नमसत सदा वानराधीदावनय

नमसत नमसत सदा रामचनदर ।॥ २७॥

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१० ओरामसजङपयातसतोतनम‌ ।

परसीद‌ परसीद परचणडपरताप

परसीद परसीद भरचणडारिकाड ।

परसीद परसीद‌ परपननानकभपिन‌

परसीद परसीद परभो रामचनदर ॥ २८ ॥

भरजङगपरयात पर वदसार

मदा रामचनदरसय भकतया च नितयम‌ ।

पठनसनतत चिनतयनसवानतरङग

स एव सवय रामचनदर स धनय ॥२९॥

इति शरीमपपरमहटसपरिवाजकाचायसय शरीगोनि दभगवतपजयपादाशिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

शरीरामयजङगपरयातसतोतरम‌ सपणम‌ ॥

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॥ शरी ॥

॥ लषषमीनरसिहपनचरलम‌ ॥

तवतमभजीवभरियमिचछसि चननरहरिपजा कर सतत

परतिबिमबारकतिषतिङकशखो बिमबालकतिमातनत ।

चतोभङग भरमसि बरथा भवमरभमौ विरसाया

भज भज रकषमीनरसिहानघपदसरसिजमकरनदम‌ ॥

सकतौ रजतपरतिभा जाता कटकादचथसमथी च

इ खमयी त सदधतिरषा निहतिदान निपणा सयात‌ ।

चतो शङग मसि बथा भवमरभमौ विरसाया

भज भज छकमीनरसिहानघपदसरसिजमकरनदम‌ ॥

आकतिसामयाचछासमलिङकसम सथकनछिनतवभरममकरो

गनधरसाविह किम भिदयत विफड भासयसि शशनिरसऽसमिन‌।

चतोभङग भरमसि वथा भवमरभमौ बिरसाया अज भज खकषमीनरसिहानवपवसरसिजमकरनदम‌ ॥ ३ ॥

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१२ लकषमीनरसिहपशचरलम‌ ।

सकचनदनवनितादीनविषयानसखद‌नमपवा ततर विहरस

गनधफडीसदशषा नन तऽमी भोगाननतरद खकत सय ।

चतोभरङग भरमसि बरथा भवमरभमौ विरसाया

भज भज कषमगनरसिदनघपदसरसिजमकरनदम ॥४॥

तव हितमक बचन वय शण सखकामो यदि सतत

सवपन दषट सकर हि मषा जागरति च समर तदवदिति ।

चतोभङग भरमसि बथा भवमरभमौ विरसाया भज भज लकमीनरसिहानधपदसरखिजमकरनदम‌ ।॥५॥

इति शरीमतपरमहसपरितराजकाचायसय

शरीगोबि दभगवपपजयपादिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

रशमी सिहपशचरलन सपणम‌ ॥

1

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॥ शरी ॥

॥ लषमीदरसिहकरणारससतोतरम‌ ॥

रीमसपयो निधिनिकतनचकरपाण

भोगीनदरमोगमणिराजितपणयमरत । योगीश शाशवत। शरणय भवानधिपोत

छकमीचसि मम दहि करावलमबम‌ ॥ १ ॥

बरहनदररदरमरदककिरीटकोटि

सघदटिताङधिकमलामलकानतिकानत । छकमीरसयछचसरोरहराजहस

छकषमीरसिह मम दहि ऊरावरमबम‌ ।॥ २ ॥

खसारदावदटनाकरभीकरोर-

जवालावलीभिरतिदरधतनरहसय ।

ववतपादपनछसरसीरहमागतसय

छकषमीनसिट मम दहि करावरमबम‌ ।॥ ३ ॥

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श रकषमीनतनिहकरणारससतोतरम‌ ।

सस।रजारपतितसय जगननिवास

, सरवनदरियाथवडिकागरहमभोपमसय ।

भरोतकमपितपरचरतालकमसतकसय

लकषमीनरसिह मम दहि करावलमबम‌ ॥ ४ ॥

ससारकपमतिधोरमागधमल सभरापय द खकशतसरषसमाकलसय ।

दीनसय दव कपया पदमागतसय

कषमीचसिह मम दहि करावलमबम‌ ॥ ५ ॥

ससारभीकरकरीनदरकराभिघात

निषपीडयमानवपष सकलारतिनाकच ।

पराणतरयाणमवभीतिसमाकखसम

लकषमीनरसिह मम दहि करावलमबम‌ ॥ ६ ॥

सखारसरपविषदिगधमहोभरतीतर

दापरकोदिपरिवटविनषमरत । नागारिवाहन सधानधिनिवास कषौर

रकषमीयरसिह मम दहि करावरमबम‌ ॥ ७ ॥।

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ककषमीसिहकरणारससतोतरम‌ । १५

ससारगकषमघबीजमननतकम-

हाखायतत करणपतरमनङगपषपम‌ । क

आरदय द खफङत चकित दयारो

ककषमीनािह मम दहि करावलमबम‌ ॥ ८ ॥

ससरारसागरविशचारकराङकाल

नकरमरहभसितनिगरह विगरहसय ।

वयभरसय रागनिचयोभिनिपीडितसय

कषमीचरसिह‌ मम दहि करावलमबम‌ ॥ ९ ॥

ससरारसागरनिमजननसदयमान

दीन बिरोकय विभो करणानिध माम‌ ।

परहवादखदपरिषरपरावतार

रकषमीनसिह मम दहि करावलमबम‌ । १० ॥

ससतारधोरगहन चरतो भरार

मारोगरभीकरमगभचचरादितसय । भातसय मतसरनिदाघसद खितसय

छकषमीकधिह मम दहि करावमबम‌ ॥ ११॥

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६६ रकषमीनसिहकशणारससतोशनम‌ ।

बदर गङ यमभटा बह तजजयनत

करषनति यतन भवपाशषतयत माम‌ । एकाकिन परषशच चकित दयाको

छषमीनरसिह‌ भम दहि करावमबम‌ ॥ १२ ॥

लकषमीपत कमकमाभ सरश विषणो

यजञश यजञ मधसदन विशवरप ।

जकमणय कशव जनादन बासदव

ठणषमीचसिह मम ददि करावलमबम‌ ॥ १३ ॥

एकन चकरमपरण करण शादध-

मनयन सिनधतनयामवछमबय तिषठन‌ ।

वामतरण वरदामयपदमचिन

ठषषमीनसिह मम दहि करावरमबम‌ ॥ १४ ॥

अनधसय म हतविवकमहाधनसय

चरमहावङभिरिनदरियनामधय ।

मोहानधकारङर तिनिपातितसय

रकषमीचचिह मम दहि करावङमनम‌ ॥ १५ ॥

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लकषमीनसिहकरणारससतोतरम‌ । १७

परहादनारदपराशरपणडरीक-

उयासादिमागवतपगबहननिवाम ।

भकतानशकतपरिपाङनपारिजात

ककषमीचसिह सम दहि करबदमनम‌ ॥ १६ ॥

ककमीलरसहचरणानजमधवरतन

सतोतर छत शभकर भवि शकरण । य ततपठनति मनजा हरिभकतियकता

सत यानति ततपदसरोजमखणडरपमर । १५७ ॥

इति शरीमतपरमहसपरिताजकाचायसय

शरीगोवि-दमगवतपजयपादरिषयसय

भरीमचछकरमगवत कतौ

रकषमीयिहकरणारससतोतर सपणम‌ ॥

र 4 88 धर 4

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॥ शरीः ॥

॥ शरीविषणञजगपरयातसतोचम‌ ॥

चिदश विभ निमर निधिकसप

निरीह निराकारमोकारगमयम ।

गणातीततमनयकतमक तरीय

पर बरहम य वद तसम नमसत ॥ १ ॥

विदध शिव शानतमादयनतदयनय

जगसजीवन वयोतिराननदरपम‌ ।

अदिगदहाकारनयवचछदनीय

तरयी षकति य वद तसम नमसत ॥ २ ॥

महायागपीठ परिराजमान

धरणयादितततवातमक राकतियकत । गणाहसकर बहिनिमबाधमभय

ससासीनमोकणिकऽषटाकषरानज ॥ ३ ॥

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भरीविषणञचजगभरयातसतोतम‌ 1 १९

समानोदितानकसरयनदकोटि-

परभपरवलयदयति दनिरीकषम‌ ।

न छीत न चाधण सवणौवदात-

परसनन सदाननद सवितखरपम‌ ॥ ४ ॥

सनासरापट सनदर भरा

किरीटोचिताकञवितसिरधककम ।

सफरतपणडरीकाभिरामायताकष ससतफषठरननपरसनावतसम‌ ॥ ~ ॥

कसतकणडलासषटगणडसथलछानत

जपारागचोराधर चारशहासम‌ ।

अङिवयङकरामोदिमनदारमाढ

मदयोरसफरतकौसतभोदारहारम‌ ॥ ६ ॥

सरनाङगदरनवित बाडदणड- शवभिशचङतकडणाठकवर ।

उदारोदराङकत पीतव

पददनदरनितपनचाभिखमम‌ ॥ ७ ध

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२० शरीविषणभजगरयातसतोननम‌ ।

सवभकतष सदशिताकारमन

खदा भावयनसनिरदधनदरियाशच । दराप नरो याति ससारपार

परसम परभयोऽपि तसम नमसत ॥ ८ ॥

शरिया शातङकममदयतिलनिगधकानया

धरणया च दवौदङदइयामखाङगया । कलठतरहयनामना तोषिताय

िखोकीगरहसथाय विषणो नमसत ॥ ९ ॥

शरीर कटठतर सत बनधवरी वयसय धन सदय शर सब च |

समसत परियजय हा कषटमको

(गमिषपरामि द खन दर किङाहम‌ ॥ १० ॥

जरय पिशचाचीव हा जीवतो म

वसरामनतति रकत च मास बल च|

अहो दव सीदामि दीनाकमपि

नकिमदयापि इनत तवयोदासितनयम‌ ॥ ११॥

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ओीषिषणभजगपरयातसतोलनम‌ । २९१

कफठयाहतोषणोलबणशवासवग

वयथाविषफरतसवममसथिवनधाम‌ । विचिनतयाहमनयामसखयासवसथा

बिभमि परभो कि करोमि परसीद ॥ १२॥

रपननचयताननत गोविनद‌ विषणो

मरार हर नाथ नारायणति ।

यथाससमरिषयामि भकलया भवनत

तथा म दयाकञीर दव परसीद ॥ १३ ॥

भजगभरयात पठसत भकलया

समाधाय चितत भवनत मरर ।

स मोह विहायाञच यषमसमसादा

तसमाशरिल योग बरजलयचयत तवाम‌ ॥ १४॥

इति शरीमतपरमहसपरिराजकाचायसय शरीगोवि दभग

वतपजयपादशिषयसय भरीमचछकरभगवत कतौ

शरीबिषणभजगपरयातसतोतर सपणम‌ ॥

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॥ शरी ॥

॥ विषणपादादिकशानतसतोतरमर‌ ॥ ~~~ तर -------

कषमीमवयजामर कतवसति सित यसय रप विशया

नीढादरसतङख शङगसथितभिव रजनीनाथविमब विभाति ।

पायानन पाजचजनय स दितिञतकखननासन परयनस मिधवाननीरदौवधवनिपरिमवदरमबर कमबराज ॥ १ ॥

आहयसय सवरप कषणमखमसखिढ सरय कारमत धवानतसयकानतमनत यदपि च परम सवधानना च धाम ।

चकर तशचकतपाणरदितिजतयगखदरकतधाराकतधार

शशधननो विशवनशच वितरत विपर शम चमीशचशोभम‌ ॥

अवयानिघौतघोरो हरिभजपवनामदनाधमातमरत

रसमानविरनतरननिवशनतिवच साधकर सतार । खरव सहतभिषछोररिङकखमवन सफारविषफारनाद‌

सरयतकसपानतसिनधौ शरसरङलघटावाञच काञयकसय ॥

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विषणपादादिकशानतसतोभरम‌ । २३

जीमतयामभासा सहरपि भगवदराहना मोहयनती यदधषदय माना जञटिति तटिदिवाखकषयत यसय भति ।

सोऽखिखरासाङराकषतनिदशशरिपवप शोणितासवादतपनो

नितयाननदाय भयानमघमथनमनोननदनो ननदको न ॥

कमराकारा मरार करकमठतङनातखगहधीता

समयगवतता सथितापर सपदि न सहत दकलन या परषाम‌ ।

राजनती दयजीबासवमदमदिता लोदधिताङपनादरी

काम दीपराञचकानता परदिशत दयितवासय कौमोदकी न ॥

यो विशवपराणमतसतनरपि च हरयौनकवसवरपो य सचिनटव सय सवयञरगबधबगगभौ पतनति ।

चशवचणडोरतणडनरटितफणिवसारकतपङकाङकितासय

वनद छनवोमय त खगपतिममरसवणवरणी सषणम‌ ॥ ६॥

विषणोरविशयशवरसय परवरशयनछतसरोककधता

सोऽननत सरवभत परविमलयशा सववदशच वय । पाता विशवसय शतसकरयररिपधवसन पापहनता

सवकष सवसाकषी सकठविषभयातपात भगीशवरो न ॥

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२४ विषणषादादिकशचानतसतोतनम‌ ।

वागभगौयोदिमदरविदरिह सनयो या यदीयशच पसा कारयार कटादधौ सचछदपि पतित सपद‌ सय समगरा ।

कनदनदसवचछमनदसमितमथरसखामभोरहा सनदराङगी

बनद बनदयामरोषरपि यरभिदरोमनदिरामिनविरा ताम‌ ॥

या सत सततवजाख सकरमपि सदा सरनिधानन पसो धतत य। ततवयोगाशचरमचरमिद भतय भतजातम‌ ।

धातरी सथातरी जनितरी परकतिमचिकरति विशवशकति विधातरी

निषणोधिशवासमनसता बिपलगणमरयी पराणनाथा परणौमि ॥

यभयोऽसय दविर सपदि पदयर तजयत दयरवग- यभयो धर च मधो सपरहयति सतत सरवगीरवाणवग ।

नितय निरभरययनिचिततरममी भकतिनिघनापमना न पदमाकषसयादङधिपदयदवयतङनिखया पास पापपङकम‌ ॥

रखा ठखादिवनदाशचरणतरगताशवकरमरसयादिरपा

सनिगधा सषषमा सजाता मदरङिततरकषौमसबरायमाणा ।

दयरनो मङगलानि धरमरभरलषा कोमङनाभधिजाया

कमरणामरडयमाना किसखयसरदना पाणिना चकपाण ॥

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विषणपादादिकशानतसतोतम‌ । २५

यसमादाकरामतो था गरडमणिशशिकाकतदणडायमाना

दाशचयोतनती बभास सरसरिदमला वजयनतीव कानता ।

भमिषठो यसतथानयो सबनगहबहससतमभरोभा दधौ न पातामतौ पयोजोदररडिततलौ पङकजाकषसय पादौ ॥

आकरामदधथा तरिरोकीमसरसरपती तसकषणादव नीतौ याभय वरोचनीनदरौ यगपदपि विपतसपदोरकधाम ।

ताभया ताननोदराभया सहरहमजितसयाचिताभयाञभाभया पराञयशवयपरदाभया परणतिमपगत पादपङकरदा भयाम‌ ॥

यभयो बरणशवतथशचरमत उदभदादिसग परजाना खासी चापि ससया परकटमभिदहिता सरववदष यषाम‌ ।

परापता विशवभरा यरततिवितततनोधिशवमरतरविराजो विषणोसतभयो महन सततमपि नमोऽसतवहधिपदधरहभय ॥

विषणो पाददधयाम विमङनखमणिाजिता रजत या

राजीषसयव रमया हिमजरकणिकाङकतामरा दखाङी ।

असमाक विसमयाहीणयखिखजनमन परारथनीया हि सय

ददयादादयानवशा ततिरतिरचिरा मङगलानयङकरीनाम‌ ॥

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२६ विषणपादादिकशानतसतोम‌ ।

यसया दषटामलाया परतिरकतिममरा समबनतयानमनत

सनदरा सानदरीकतषयासतवपरसरङलाशङकयातङकवनत ।

सा सदय सातिरका सकटसलकरी सपद साधयनन

अचचचारवहचकरा चरणनङिनयोशकरपणभखाङी ॥

पादासभोजनमसवासमवनतसरवराततमासवककिरीट-

रसयपोशचावचादमपरवरकरगणशचितरित यदविभाति । नमनागाना हरनो हरिदपरमहाकमसौनदयहरि-

चछाय शरय परदायि परपदयगमिषद‌ पराप पसापमनतम‌ ॥

शरीमलयौ चासवतत करपरिमरनाननदहषट रमाथा (| ४] दयन [कन {~ १९ १५ सौनदयौदयनदरनीखोषलरचितमदादणडयो कानतिबोर ।

मरीनदर सतथमान सरछखयखद सदितारातिसथ जङघ नारायणीय जहरमि जयततामसमदहो हरनयौ ॥

खमयकसाशय विधात समभमिव सततत जङघयो खिननयोरय

भारीभतोरदणडदवयमरणकतोततसभभाव भजत । चिततावी निधाल महितमिव सता त ससदरायमान

वतताकार विधतता हदि मदमजितखयानिश जावकी न ॥

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विषणपादादिकशा-तसतोतरम‌ । २५

दवो भीति विधात सपदि विदधतो कटभादय मध चा पयारोपयारढगवौवधिजकधि ययोरादिदलौ जघान ।

वततावनयोनयतलयौ चतरमपचय लजिभतावशननीरा

वर चार हरसतौ सदमतिशयिनी मानस नो विधनताम‌॥

पीतन योतत यचचतरपरिषितनामबरणापयदार

जातारकारयोग जरमिव जटठधबौडबाभिपरभाभि ।

एतपपतिलयदाननो जघनमतिघनादनसो माननीय

सातयनव चतोविषयमवतरतपात पीतामबरसय ॥ २१ ॥

यसया दामना तरिधाशनो जघनकषङितया भाजतऽङग यथानय-

मधयसथो मनदरादविभजगपतिमहाभागसनदधमभय । काशी सा काचचनाभा मणिवरकरिरणरहसदधि परदीपरा

कलया कसयाणदाननी मम मतिमनिक कभररपा करोत ॥

उननसन कमरमजरपवचितमषमशतर पतरधिचित परव गीबणपरय कमलजमधपसयासपद तपपयोजम‌ ।

यसमिननीरखादमनीङसतरकरचिजछ परित कखिबदधथा नारीकाकषसय नामीसररसि वसत नशचिनतसशचिराय ॥

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२८ विषणपादादिकशचा तसतोतरम‌ ।

पाता यसय नार वयमपि दिशचा पतरपङकीनगनदरा-

नविदरास कसराीरविदरिद विपका करणिका सवरणरलम‌ ।

भयादरायसखयभमशकरभवन भमय कामद‌ नो नारीक नाभिपशयाकरमवमर तननागशशययसय कषौर ॥

आदौ कलपसय यसमासमभवति वितत विशवमतदधिकलप कटपानत यसय चानत परविशयति सकल सथावर जङगम च |

अलयनताचिनतयमरतशचिरतरमजिततसया-तरिशचखरप तसमिननसमाकमनत करणमतिमदा कऋीडतातकरोडभग ॥

कानतयमभ परपरण खसदसितवलीभग मासवततरङग गमभीराकारना भीचतरतरमहावतनोभिनयदार ।

कीडतवान दरदमोदरनहनमह।बाडवाशनिपरभावय

काम दामोदरीयोदरसछिलनिधो चिततमससयधिर न ॥

नाभीनारीकमरावधिकपरिमरोनमोहितानामटीना माढा नीदव यानती सफरति ₹चि मती वकतरपशयोनमखी या ।

रमया सा रोमराजिमहितरचिकरी मधयभागसय बिषणो-

शचिततसथा मा विरसीशविरतरमचिता साधयनती शरीय न ॥

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विषणपादादिकशचा सतोतरम‌ । २९

सतीरण कौसतभादपरसरकरिसलयरधमकताफलाढय

शरीवससोषठासि फहपरतिनववनमाखराङकि राजङजानतम‌ ।

वकष शरीवकषकानत मघकरनिकरदयामछ शचाङगपाण

ससाराधवशरमारतरपवनमिव यतसवित तसमपथ ॥ २८ ॥

कानत वकषो नितानत विदधदिव गर काङिमा कालतनो

रिनदोधिमब यथाङको मधप इव तरोभशलरी राजत य । शरीमाशनिय विधयादविररमिङित कोसतभशनीपरतान

शरीवतस शरीपत स शरिय इव दयितो वतस उचच भिय न ॥

सभयामभोधिमधयातछपदि महजया य शरिया सनिघतत

नीर नारायणोर सथरगगनतल हारतारोपसवय ।

सादया सवौ परकाञञा विदधदपिदधशचापमभासानयतजा

सयाशवयसयाकरो नो धमणिरिव मणि कौसतभ सोऽसत भतय ॥

या वायावानकसयातसरति मणिरचा भासमाना समाना

साक खाकसपमस बसति विदधती वासभदर सभदरम‌ ।

खार सरारङगसभखरितङसमा मचकानता च कानता माढा माढाङितासमानन विरमत ससरयोजयनती जयनती ॥

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३० विषणपादादिकशानतसतोतरम‌ ।

हारसयोरभरभामि परतिनववनमारादयभि परषरप भीभिगधापयङगदाना कनङितरवि यजिषकमासिशच भाति ।

बाहसयनव बदधाखिपटमजितसयाभियाचामह त

दवनधाति बाधता नो बहविहतिकरी बनधर बाहमलम‌ ॥

विशवतराणकदीकषासतदनगणगणकषतरनिमौणदकषा

कारो दनिरपसटगणयकषसा कमणामदभतानाम‌ । शाङग भाण कपाण फङकमरिगद पशशङखौ सटसर

बिभराणा शरकलजार मम दध हरबोौहवो मोहहानिम‌ ॥

कणठाकलप दरतयकनकमयरसपछणडलोतयरदारी

दयोत कौसतभसयपयरमिरपवचितथितरवणो विभाति । कणठानहष रमाया करवखयपदशदरित भदररप

वकणटीयऽन कणठ वसत मम मति कणडभाव विषाय ॥

पचयाननदपरदाता परिरखदरणकरीपरीतापरभाग

काछ कार च कसबपरवरकशधरापरण य परवीण 1 बकराकादानतरसथाकतिरयति नितस दनततारौवकषोभा

शरीभददनतवासोदयमणिरधतमोनाशनायासतवसौ न ॥

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विषणपादादिकशचा तसतोतरम‌ । ३१

नितय समहातिरकाननिजकमितरख विपरयोगाकषमा या

वचनरनदोरनतराङ कतवसतिरिवाभाति नकषतरसजि ।

रकषमीकानतसय कानताङतिरतिविरसनपरगधसकताचलिभी-

दनतादधी सतत सा नतिनतिनिरतानकषतानरकषतानन ॥

जदमननहयणयजिदया मततिमपि करष दव सभावय तवा

शषभो शकर तरिलोकीमवसि किममरनौरदाथा सख व । इतथ सवावनर सरञनिनिकर वीकषय विषणो परसनन

सथासयनदोराखरवनती बरवचनधाहादयनमानस न ॥

करणसथखणकमरनोञजवकमकरमहाङकणडरभरोतदीपय

नमाणिकयशरीपरतान परिभिछितमलिदयामर कोमल यत‌ ।

पोदयतसयीराजनमरकतमङकराकारबोर मरार गौदढामागाभिनी न शमयत विपद‌ गणडयोमणडल तत‌ ॥

वकलञामभोज कसनत सहरधरमणि पकबिमबाभिराम

षठा दषक ञकसब सफटमवतरतसतणडवणडायत य ।

घोण कोणीकतातमा शरवणयगरसककणडलोखधरार पराणारपसयानिरसय परसरणसरणि भाणदाजाय न सयात‌ ॥

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३२ विषणपादादिकदानतसतोतरम‌ ।

दिककालौ बदभरनतौ जगति शहरिमौ मचरनतौ रवीनद रोकयारोकदीपावभिदधति ययोरव रप मनीनदरा ।

असमानबजपरम त परचरतरछपानिभर परकषमाण पातामातामरदयङासितरचिरचिर पशयनतरसय नतर ॥४०॥

पातातपाताकपातापपतगपततिगतशनयग अपमधय यनषशचाङितन सवपदानियमिता साञयरा दबसथा ।

यलयकञाराटरनग रजनिकरतनारथखणडावदात

कारवयालदवय वा विरमति समया वालिकामातर न ॥

छकषमाकाराखकारिसफरदककिशशङकासदशमीर- ननतरामभोजपरबोधोपसकनिशरतततराङीनभङगचछटाभ ।

सषमीनाथसय रषषयीकतविबधगणापाजङगबाणासना- चछाय नो भरिभतिपरमवङकशङत भरत पाखयताम‌

रकषसमारचापलयतशरनिकरकषीणलकषमीकटाकष-

परोसफकठतपदयमाछाबिरितमदितसफाटिकशषानिङगम ।

भयादभयो विभय मम सवनपतभररतादनदमधया

दसथ तलणडमव जनि मरणतम खणडन मणडन ष ॥

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विषणपादादिकशानतसतोतनम‌ । ३३

पीठीभतारकानत कतमकटमहादवलिङगपरतिषठ

ङाराद नावयरङग विकटतरतट कटभरशचिराय । रोदधासयवातमतनदरीपरकटपटङदी परसफरनती सफराङग

पटरीय भावनारया चडकमतिनटी नाटिका नाटयनन ॥

माटाटीवाषिधानन कवखयकङिता शरीपत इनतरारी

काडिनदारहय मभो गरति हरशिर सवधनीसपधया ज । राहा याति वकतर सकलशशिकलङाशरानतिखोकानतरातमा

रोकराखोकषयत या परदिशत मतत साखिर मङगङ न ॥

सपराकारा भरसप भगवति विबधरपयदषटसवरपा वयापरवयोमानतरालासतरङमणिरचा रशजिता सपषटभासर ।

दहचछायोदमामा रिपवपरगरदोषरोषामिधमया

कशा कशिदधिषो नो विदधत विपलषकषपाशपरणाशचम‌ ॥

यतर परसयपररननपरवरपरिरसदभरिरोविषपरतान-

सफतयी मिशरारषरौ मणिकषतचितवयोमवहनिरीकया । वतपारपयोधि जवखदङकशशिखाभासवदौवौभमिशङका

शधनन शम विशयातकङिकटयषतम पाटन तरिकरीटम‌ ॥ 8 & 1

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३४ विषणपादादिकशानतसतोतरम‌ ।

भानसवा भरानतवा यदनतसिभवनगररयबदकोटीरनका गनत नानत समरथो भरमर इव पननौभिनाङीकनाङत‌ ।

उनमजञनरजितशरीसिधवनमपर निमम ततसदशष

दहाममोधि स दयाननिरवधिरभत दतयविदधिषिणो न ॥

मससय करमो वराहो नरहरिणपतिवामनो जामदगनय

कराङकतसथ कसघाती मनसिजविजयी यशच करतकिमविषयन‌।

विषणोरजञावतारा भतनहितकरा धमससथापनाथा

पायासमौ च एत गरतरकरणामारखिननाञचया य ॥४९॥

यसमादवाचो निवतता सममपि मनसा छकषणामौकषमाणा

सवाथीङाभाखसरारथवयपगमकथनगाधिनो बववादा ।

नितयाननद ससतिननिरबधिविमरसवानतसकरानतनिमब

ककरायापतयापि नितय सखयति यमिनो यततदवयानमहो न ॥

आपादादा च शीषादपरिदमनघ वषणव य सवचितत धतत निलय निरसताखिखकषिकलष सततानत परमोदम‌ ।

जहलिहाकशानौ हरिचरितहनि सतोतरमननानप मततपादासभोरहाभया सततमपि नमसछमह निभङाभयाम‌ ॥

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विषणपादादिकशचा तसतोतरम‌ । ३५

मोदातपादादिकशसततिमितिरचिता कीतथितवा तरिधानन

पादानजदरनरसवासमयनतमतिमसतकनानमय ।

चनमचयवातमननोनिचयकवचक‌ पशचतामय मानौ- विमबानतरगोचर स परविशचति परमाननदमापमकवरपम‌ ॥

इति शरीमतपरमहसपरितराजकाचारयसय

भीगोवि दभगवमपजयपाद शिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

विषणपादादिकशानतसतोतर

सपणम‌ ॥

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॥ शरी ॥

॥ पाणडरङगाषटकम‌ ॥ महायोगपीठ तट भीमरथया

वर पणडरीकाय दात सनीनदर । समागलय तिषठनतमाननदकनद

परनरहमलिङग भज पाणडरङगम‌ ॥ १ ॥

तटिदधासस नीरमघावभस

रमामनदिर सनदर चितपरकाशम‌ ।

वर तिवषटकाया समनयसतपाद‌

परनरहमलिङग भज पाणडरङगम‌ ॥ २ ॥

भरमाण भवानधरिद मामकाना

नितमब कराभया धतो यन तसमात‌ ।

विधातवसतय धतो नाभिकोश परनरहमलिङग भज पाणडरङगम‌ ॥ ३ ॥

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पाणडरङगाषटकम‌ ।

सफरपकोसतभालकत कणठदश भरिया जषटकयरक शरीनिवासम‌ ।

किव शनतमीडय वर छोकपार परनबरहमखिग मज पाणडरङगम‌ ॥ ४ ॥

ररबनदरनिमबानन चारहास

रतकणडलकरानतगणडसथलानतम‌ ।

जपारागविमबाधर कलनतर

परनरहमलिङग मज पाणडरङगम‌ ॥ ५ ॥

किरीरोञञवरतसवदिकशरानतभाग

सररचित दिनयरतररनरध । तरिभङगारति बहमासयावतस

परनरहमरिङग भज पाणडरङगम‌ ॥ ६ ॥

विभ वणनाद‌ चरनत दरनत सवय रीखया गोपवष दधानम‌ ।

गवा बनदकाननदद चारहास परबरहमिङग भज पाणडरङगम‌ ॥ ७ ॥

३७

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३८ पाणडरङगषटकम‌ ।

अज रकरिमिणीपराणसजीवन त

पर धाम कवलयमक तरीयम‌ । परसनन परपननारतिह दवदव

परबरहमलिङग भज पाणडरङगम‌ ॥ ८ ॥

सतव पाणडरङगसय व पणयद‌ य पठनतयकचिततन भकतया च नियम‌ ।

भवाभभोनिधि त वितीतानतकाल

हरराखय शाशवत परापवनति ॥ ९ ॥

इति शरीमतपरमहसपरिवराजकाचारयसय

शरीगोवि दभगवपपजयपाददिषयसय

शरामचछकरभगवत कतौ

पाणडरङगाषटक सपणम‌ ॥

लड

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॥ शरी ॥

॥ अचयताषटकम‌ ॥

अनयत कशव रामनारायण

कषणदामोदर वासद हरिम‌ ।

शरीधर माधव गोपिकावहकभ

जानकीनायक रामचनदर भज । १ ॥

भवयत करा सलयमामाधब माधव शरीधर राधिकाराधितम‌ ।

इनदरामनदिरि चतसा सनदर

दवकीननदन ननदज सदध ॥ २ ॥

विषणव जिषणव शधिन चकरिण

सकमणीरागिण जानकीजानय ।

वहवीवहनभायाचितायातमन

कसविधवसिन विन त नम ॥३॥

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अचयताषटकम‌ ।

कषण गोविनद‌ ह राम नारायण

शरीपत वासदवाजित शवीनिध । अनयतानमत ह माधवाधोकषज

दवारकानायक दरौपदीरकषक ।॥ ॥

राकषसकषोभित सीतया सोभितो

दणडकारणयभपणयताकारणम‌ ।

लकषमणनानवितो वानर सवितो ऽगसयसपजितो राघव पात माम‌ ॥ ५ ॥

यसकारिषटदहानिषटकहषिणा

कशिहा कसह दरकषिकावादक ।

पतनाकापक सरजाखछनो

बारगोपालठक पात मा सवदा ॥ ६ ॥

विदयदधयोतवससफरदयसरस पराबरडमभोदवतमओोषसदिभरहम‌ ।

बनयथा माखया शोभितोर सथल

ोदितादिटरय बारिजाकच भज ॥ ७ ॥

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अचयताषटकम‌ ।

कषवित कनतङराजमानानन

रननमौरि रसतछणडक गणडयो । हारकयरक कङकणभोञञवल

किकिणीमञञर दयामर त भज ।॥ ८ ॥

अचयतसयाषटक य पठदिषटद

परमत परयह‌ परष ससपहम‌ ।

बततत सनदर वदयबिशवभर तसय वकषयो हरिजौयत सतवरम‌ ॥ ९ ॥

इति शरीमतपरमहसपरितरजकाचायसय

शरीगोवि दभगवतपजयपादशिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

अचयताषटक सपणम‌ ॥

-&

2,

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॥ शरी ॥

॥ कषणाषटकम‌ ॥ भरियाशषटो विषण सथिरचरगसरवदविषयो

धिया साकषी शयदधो हरिरसरहनतानजनयन ।

गदी शधी चकरी बिमङवनमारी सथिररचि

हारणयो रोकशो मम मनत कषणोऽकषिविषय ॥१॥

यत सरव जात वियदनिखखय जगदिद

सथितौ नि शष योऽवति निजसखाकषन मधषा । खय सरव सवसमिनहरति कखया यसत स विभ

शरणयो रोकशषो मम भचत कषणोऽकषिविषय ॥२॥

असनायमयादौ यमनियमञरय सकरण सिरदधथद चितत हदि विखयमानीय सकलम‌ ।

यभीडय पचयनति परवरमतयो मायिनमसौ शरणयो छोकशचो मम भवत कषणोऽकषिविषय ॥

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कषणाषटकम‌ ४३

परथिवया तिषठनयो यमयति मही वद न धरा

यभिवयादौ वदो वदति जगतामीकषममरम‌ । नियनतार धयय सनिसरखरणा मोकषदमसौ

; शरणयो रोकशचो मम भवत ऊषणोऽषठिविषय ॥

महनदरादिरदवो जयति दितिलानयसय बरतो

न कसय खवातनतय कवचिदपि कतौ यलतिसत ।

बलारातभव परिहरति योऽसौ विजयिन

शरणयो रोकशो मम भवत ङषणोऽकषिविषय ॥

बिना यसय धयान वरजति पञयता सकरसखा

चिना यख जञान जनिगरतिभय याति जनता ।

विना यदय समलया कमिशतजनि याति स विभ

शरणयो छोकशो मम भवत कषणोऽकषिविषय ॥६॥

नरातदकोषङक शरणशरणो भानतिहरणो घनशयामो वामो बरजशिशचवयसयोऽदजनखख ।

सवयभभताना जनक उचितावारदखद‌ शरणयो खोकशो मम मवत कषणोऽकषिविषय ॥७॥

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४४ कषणाषटकम‌ ।

यदा धरमगानिभवति जगता कषोभकरणी

तदा छोकसवामी परकटितवप सतधदज । सता घाता सवनछो निगमगणगीतो वरजपति

शरणयो रोकशो मम भवत कषणोऽकषिविषय ॥८॥

इति शरीमपपरमहसपरितराजका चायसय

शभरीगोवि द भगवपपजयकादशिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

कषणाषटक सपणम‌ ॥

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॥ आओ ॥

॥ हरिसततिः ॥ -----®

सतोषय भकला बविषणमनादि जगदादि

यसमिननततससघतिचकर रमतीसथम‌ ।

यसमिनदषट नशयति ततससतिषवकर

त ससारधवानतविनमाशच हरिमीड ॥ १ ॥

यसथकाशादितथमरष जगदत-

सरादभत यन पिनदध पनरितथम‌ ।

यन वयापत यन बिबदध सखद ख सत ससारधवानतविनाश हरिमीड ॥ २ ॥

सवजञो यो यशच हि सव सकरो यो

यशचाननदोऽननतशणो यो गणधामा ।

यशचावयकतो वयसतसमसत सदसदय

सत ससारधवानतविनाशच हरिमीड ॥ ३ ॥

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४६ हरिसवति ।

यसमादनयननाससयपि नव परमारथ

हदयादनयो निरविषयजञानमयतवात‌ ।

जञातजञानकञयविहीनाऽपि सदा जञ

सत ससारधवा-तविनाश हरिमीड ॥ ४ ॥

आचारयभयो छनधससषषमानयततततवा

बरागयणाभयासबकाननव दरहधिसना । भकयकामययानपरा य विदरशच

त समारधवानतविनाश हरिमीड ॥ ५ ॥

वक + +॥

पराणानायमयोभिति चितत हदि रधवा

नानयससमरतवा तपपनरतरव विङापय ।

कषीण चितत भारशिरसमीति विदर

त ससारधवानतविनाकच हरिमीड ॥ ६॥

य बरहमाखय दवमननय परिपण ६ स हतसथ भकतठभयमज सषममतकषयम‌ ।

धयातातमसथ बरहमविदो य विदरीक

त ससारधवानतविनाकष हरिमीड ॥ ७ ॥

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हरिसवति । ७

मालातीत सवातमविकासातमविबोध

जञयातीत जञानमय हधयपरभय ।

भावपराहयाननवमननय च विदरय

त ससारभवाननयिनाशच हरिमीड ॥ ८ ॥

यदयदय बसतखतनतव विषयाखय

तततदरहयवति विदितवा तदह च ।

भयायनलव य सनकादया मनयोऽज

त ससारणषवानतबिनाशच हरिमीड ॥ ९ ॥

यदयदय तनतदह नति विहाय

सवापमजयोतिजञानमयाननद‌ मवापय ।

तसमिननसमीयातमविदो य बिदरीकष त ससारधवानतविनाशच हरिमीड ॥ १० ॥

हितवाहितवा द शयमकषष सविकरप

मतवा शिषट भारशचिमानर गगनाभम‌ ।

खकसवा दह य परविशनयचयतभकता-

सत ससारधवानततिनाशच हरिमीड ॥ ११ ॥

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८ हरिसतति ।

सरवतरासत सवरीरी न च सव

सरव वततयवह न थ वतति च सव ।

सरवतरानतयौमितयतथ यमयनय~

सत ससारधवानतविनाश हरिमीड ॥ १२ ॥

सरव कवा सवापमनि यकला जगदत-

षटासमान चवमज सवजनष । खवौपमकोऽसमीति विदरय जनहतसय

त ससारधवानतविनाशच हरिमीड ॥ १३ ॥

सवतरक पशयति जिघरलयय सङख सरषटा शरोता बधयति चयाहरिम यम ।

साकषी चासत कटष परशयननिति चानय त ससारधवानतचिनाहा हरिमीड ॥ १४ ॥

परयञशरणवननलञ विजाननरसयनस

जिधदविभदहभिम जीवतयतथम‌ ।

इतयातमान य विदरीदच विषयजञ

त ससारभवानतविनाकच हरिमीड ॥ १५ ॥

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हरिसवति ।

जामरघवा सथरपदाथौनथ माया दषटा खभरऽथापि सधरो सखनिदराम ।

इतयापमान वीकषय अद‌।सत च तरीय

त ममरधवाननविनाश हरिमीड ॥ १६ ॥

पशयजजयदधोऽपयकनर एका गणभदा

ननानाकारानसफारिकवदधाति विचितर |

भिननरिछननशचायमज करभफठरय सत ससारधवानतविना हरिमीड ।॥ १४७ ॥

बरहमा विषण सदरहताशौ रविचनदर चिनदरो बायथजञ इतीतथ परिकलपय ।

एक मनत य बहघाहमतिभदा

तत समारधवानतविनाकशच हरिमीड ॥ १८ ॥

सदय जञान शयदधमननत वयतिरिणत

शानत गह निषकङमाननदमननयम‌ ।

इवयाहादौ य वरणोऽसौ शरगवऽज

त मसरारभवानतविनाश हरिमीड ॥ १९ ॥

५५ [{ 4

४९

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हरिसतति ।

कोशानतानपशच रसादीनतिषहाय

बरहमासमीति खातमनि निशचिलय रकिमथम ।

पितरा शिषटो बद शग यजजरनत त ममारभवानतविनाशच हरिमीड ॥ २० ॥

यनाविषटो यसय च शकलया यदधीन

षतरजञोऽय कारयिता जनतष कत ।

कतौ भोकतातमानन हि यनछकयधिरढ

मत मसारधवानतविनाशच हरिमीड ॥ २१॥

खषा सरव सवातमततयवतथमतरकय

जयापयाथानत कतसमिद सषटमकषषम ।

मथ तयशचाभरपरमापमा स य एक

सत ससमारभवानतचिनाश हरिमीड ॥ २२ ॥

वदानतशवाधयासमिकशासखश पराण शालशवानय साततवततनतरच यभीशचम ।

दषवाथानततचतसि यदधा विविषयय त असारधवानतविनाशच हरिमीड ॥ २३ ॥

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हरिसवति । ५१

अदधाभकितिधयानशमायरयतमाच-

जञीत शकयो दव दहवाशच य हशच ।

दधिञयो जनमङतशवापि विना त- सत मसारभवानतविनाश हरिमीड ॥ २४ ॥

यमयातय शवातमविभत परमारथ सरव खसविखतर निरकत शरतिविदधि ।

ततनातितवादचधिततरङकाभमभिनन

त मसारधवानतविनाश हरिमीड ॥ २५ ॥

दषठ गीतासवकषरतसव विधिनाज

भकतया गजयौ कभय हदिसथ हशिमातरम‌ ।

धयातवा तसमिननसनयहभिवय विदरय

त मसारधवानतविनाशच हरिमीड ॥ २६ ॥

चतरजञतव परापय विभ पथचमखयो सदधऽजसन मोगयपदाथोनधरकतिसथ ।

कषतर भतरऽपसविनदबदको बहधासत

त खसारधवानतविनाश हरिमीड ॥ २७ ॥

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४: हरिसतति ।

यकयालोङय वयासकचासयत हि भय

कनतनकना वजञानतरावदधि परषारथ ।

याऽह माऽमौ साऽसमयहमवात विद

त ममारभवाननविनाशन हरमिीड ॥ २८ ॥

णकाकरतयानकञशरगरमथामम जञ

य विजञायव म णयाय भवनति|

यभमिरहहीना नह पनजनम रमनत

त ममारधवानतावनच हरिमीड॥ २९॥

दरनदरकसव यशच मधवराहमणवाकय फरसवा शकापामनमासाय बिभलया ।

थ भ ,१६। ८५ ¢

योऽमौ सोऽह माऽममयहमवति पिदथ

त मसारभवानततिनाशच हरिमीड ।॥ १० ॥

याऽय दह चषटयितानत करणमथ ४.१ विप ष मरय चासौ तापायता सोऽसमयहमव ।

इयामकयापामनया च विदरीशच त समारधवानतावनाशच हरिभीड ॥ ४१ ॥

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हरिसतति ।

विजञानाशो यसय सत दाकलयधिरढा

बदधिवभयययतन बाहरयोधयपदाथौन |

जवानत सथ बधयति य बरोधयितार त समारधवानतविनाह हरिमीड ॥ ३२ ॥

कोऽय दह दव इतातथ सचिचाय

जञाता शराता मनवथिता चष दहि दव ।

इतयालोचय जञाश इहासमीति विदरय

त मसारधवानतविनानञ हरिमीड ॥ ३३ ॥

का हयवानयादापमनि न मयादयमष

दयवाननद‌ पराणिति चाषानिति चति ।

दय सतिपव वकसयपपनतया शरतिरषा त ममारधवानतविनाश हरिमीड ॥ ३४ ॥

पराणो वाह वाकछबणादीनि मना वा बदधिवौह वयसत उताहोऽपि समसत ।

इतयाखोचय जपतिरिहासमीति बिदय त ससारधवानतविनाक हरिमीड ॥ ३५ ॥

५६४

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५५४ हरिसतति ।

नाह शराणो चव शषरीर म मनोऽह

नाह बदधिनाहमहकारधियौ च ।

योऽतर जञा मोऽसमयहमवति विद त मसारषवानतविनाश हरिमीड ॥ ३६ ॥

सततामातर कवङतिजञानमज म-

तसषम निसय तततवम सीतयापमसताय ।

साननामनत पराह पिता य चिभमाद त सखसमारधवानतविनानन हरिमीड 1 ३४ ॥

मतीमरत परवमपाहयाथ समाधौ हय सरव नति च नतीति विहाय ।

चतनया सवातमनि सनत च विदरय

त समारधवानततिनाकच हरिमीड ॥ ३८ ॥

आत परोतत यतन च मरव गगमानत

योऽसथलानणवादिष सिदधोऽकषरसकष ।

जञातातोऽनयो नतयपङभयो न च वद सत सरसारधवानतविनाशच हरिमीड ॥ ३९ ॥

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हरिभति ।

तावतसरव सलयमिवाभाति यदत-

दचाबतसोऽसमीयातमनि यो जञोन दहि रट । दषट यसमिनसवमसरलय भवतीद‌

त सखारधवानतविनाच हरिमीड ॥ ४० ॥

रागाकत रोयत हम यथाननौ योगाषटाङगरऽभवङितजञानमयामनौ ।

दगधवातमान जञ परिशिषट च विदरय

त ससारधवानतविनाश हरिमीड ॥ ४१ ॥

य विजञानजयोतिषमाद सविभानत

हथरकनदरगनयोकसमीडय तटिदाभम‌ ।

भकतयाराशयहव विकचनतयातमनि सनत

त ससारधवानतविनाश हरिमीड ॥ ४२ ॥

पायादधकत सवातमनि सनत परष या

भकतया सतौतीपयाङकिरम चिषणरिम माम‌ ।

इतयातमान सवातमनि महतय सदक

सत खसारधवानतविनाशच हरिमीड ॥ ४३ ॥

इति शरीसतपरमहसपरिवराजकाचायसय शरीगोवि-दभग- वतपजयपादशिषयसय शरीमचछकरमगवत कतौ

हरिसतति सपण ॥

५५

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॥ शरी ॥

॥ गोविनदाषटकम‌ ॥

सलय जञानमननत निलयमनाकाशच परमाकाश

गोषठपराङगणसिदणराङमनायाम परमायामम ।

मायाकरपितननाकारमनाकार भवनाकार

कमामानाथमनाथ परणमतत गोविनन परमाननदम‌ ॥ १॥

सतकलामनसीहात यजोदाताडनशकषवमतरास

वयादितवकरालाकितलाकाराकचतदशषरोकालिम‌ ।

रोकतरयपरमखसतमभ लटोकाराकमनालोक तोकशच परम परणमत गोविनद परमाननलम ॥ २॥

तविषटपरि पवीरघर षितिभारनन भवरागध कवलय तवनीताहारमनाहार भवनाहारम‌ ।

वमसयसपटचतोगततिनिशषाभासमनाभास

शरव कवठशषानत परणमत गोविनद परमाननदम‌ ॥ ३ ॥

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गाविनदाषटकम‌ । ५७

गोषार परयङीखाविभरहगोषार करगोपाल र ५ १ [4 ग + + र गोपीखखनगोव धनधतिखीरालाङितगोपालम ।

गोभिरसिगदितगोविनदसफटनामान बहनामान

गोधीगोचरदर परणमत गोविनल परमाननदम‌ ॥ ४ ॥

गोपीमणडरगोषठीमद‌ भदावखममदाम

शशवदोसरनिधतो दतधरीधसरसौ भागयम‌ । शरदधाभकतिगहीताननदमचिनय चिनतितसदधाव

चिनतामणिमदिमान परणमत गोविनद परमाननदम‌ ॥

शनानवयाङकखयोषिदहसनयपादायागमपारढ

सयादितसनतीरथ दिगबखा दातसपाकषनत ता ।

निधचदरयशचोकविमोह बदध बदधरनत सथ सततामावरशशरीर परणमत गोविनद‌ परमाननदम‌ ॥ ६ ॥

कानत कारणकारणमादिमनादि कालघनाभास

काछिनदीगतकाशियशिरसि सचलयनत सहरयनतम ।

कार कारकलातीत कङिताशष कलिदोषनन

काठनरयगसिहत परणमत गोविनद परमाननदम‌ ॥ ४ ॥

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५८ गोविनदाषटकम‌ ।

बनदावनभवि बरनदारकगणननदाराधितवनधाया

कनदाभामरमनदसमरसधननद‌ समहाननदम ।

वनाशषमहायनिमानसबनदराननदपददवनदर

ननथाशषगणारिषि परणमन गोविनद‌ परमाननदम‌ ॥८॥

गोविनदाटकमतदधीत गोविनदापितचता या

गोविनदाचयत माधव तिषणा गोककरनायक कषणति ।

गोविनदाहिसरोजधयानसधाजलधौतसमसताघा गोविनद‌ परमाननदामतमनतमथ स तमभयति ॥ ९ ॥

इति शरीमतपरमहसपरितराजका चारयसय

शरीगोवि दभगवसपजयपाददिषयसय

शीमचछकरमगवत कतौ

गाविनदाषटक सपणम ॥

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॥ शरीः ॥

॥ भगवनमानसपजा ॥ भः

हदमभोज कषण सजलजखद‌शयामलतन

सरोजाशच सरगवी मङटकरटकाशचामरणवान‌ ।

छर दराकानाथगपरतिमवदन शरीमरहिका

बहनधययो गोपीगणपरिवत कङकमचित ।॥ ९ ॥

पयोमभोधदवीपानमम हदयमायाहि गव

समणितरातशराजतकनकवरपीठ भज हर ।

सचिदहरौ त पादौ यदञककज ननञिमि सजङ गहाणद‌ दरबाफरजलवदर मररिपो ॥ २ ॥

तवमाचामोपनदर तरिदशसरिदसमोऽतिकशिशिर

भजसवम पञचामतफररसादरावमघहन ।

शनया कालिनदया अपि कनकङमभादचतभिद‌

जक तन सान कर छर करषवाचमनकम ॥ ३ ॥

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६० भगर मानषपजा ।

तदिदधरण वल भज विजयकानताधहरण परलमबारिभरातमदखमपवीत ऊर गर ।

छलाट पाटीर मगमनयन धारय हर

गहाणद मासय भतदलतरसयादिरचितम ॥ ४ ॥

दशाङग धप सदवरद‌ चरणागरऽपितामद‌

मख दीपननदपरभविगजस लव कय ।

इमौ पाणी वाणीपतिनत मकपररजमा विकषोधयाभर नतत सङिरमिदमाचाम चहर ॥ ५॥

खदा तपरानन षटसवदखिरवयखनयत सवणौमतर गोधतचषकयकत सथतमिदम‌ ।

यशादासना ततपगमहययाशचान सखिभि

भरमाद‌ वारछदध मष तदन नार परव विभा) ६ ॥

मचणी तामबर सखशयचिकग भकषय हर फट सवाद भरीवया पारमलवद‌सवादय चरम‌ ।

सपरयापयोौय कनकमणिजात सथितमिद‌ परवीपरारारति जकधितनयाशछिषट गय ॥ ७ ॥

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भगवनमनकषपजा । ६१

[4 विजातीय पषयरतिसरभिभिलवतसी

यतशचम पषपा खालमजित त मधनि निरध ।

तब परादकषिणयकरमणमघविधवमि रचित

चतवौर विषणा जनिपथगतशनानतविदषा । ८ ॥

नमनकारोऽङग सकलदरतषवसनपदट

कत नतय गीत सतनरपि रमाकानत त इयम ।

तव परीतय भयादहमपि च लामसतव विभा कत छिदर पण छर कर नममतऽसत भगवन‌ ॥ ९ ॥

सद‌ा सवय कषण सजरघननील करत

दधाना दधयनन तदन नवनीत मरलिकाम‌ ।

कदाचितकानताना कचकरघपताछिरचना

समासकत मनिगध सह शिदयविहार विरचयन‌ ॥१०।।

इात शरीमतपरमहसपारतराजका चारयसय

शरीगोविदमगवतपजयपाददिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

भगवनमानसपजा सपणौ ॥

~ -- #

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॥ शरी ॥

॥ मोहयदररः ॥

मज गाविनद भज गोविनद‌

भज गोविनद मढमत ।

सखपरापति सनिदहित काट नहिन हि रकषति इकटकरण। १॥

मढ जषीहि धनागमतषणा

कर सददधि मनि विकषणाम ।

यकठभस निजकरमोपितत

विनत तन विनोषय चिततम‌ ॥ २ ॥

नारीसतनभरनाभीदकष

दषा मा गा माहावकषम‌ |

एततनभासवसादिधिकार

मनसि विचिनतय वार वारम‌ ॥ ३ ॥

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मोहसदरर ।

नङिनीदरगतजकमतितरङ

तदवसजीवितमतिशचयचपलम‌ ।

विदधि वयाधयभिमानगरस

काक कशोकहत च समसतम‌ ॥ ४ ॥

यावदधिततोपाजनसकत सतावभनिजपरिवारो रकत ।

पशचाञजीवति जजरदह

वानतौ कोऽपि न परचछति गह ॥ ५॥

यावतपवनो निवसति दह

तावतपरचछति कशर गह ।

गतवति वायौ दापय

आया बिभयति तसमिनकाय ॥ ६ ॥

बाङसतावतकीडासनत

सतरणसतावततरणीसकत ।

शदधसतावशिनतासकत

पर बरहमाणि कोऽपि न सकत ॥ ७॥

६३

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६४ माहमदरर ।

कात कानता कसत पतर

मसारोऽयमतीव च।चतर )

कसय तव क कत आयात

सतततव चिनतय यतिद‌ नत ॥ ८ ॥

मनसङघषव नि मजजतव

नि सङगतव निरमोहतवम‌ ।

निरमोहिपव निशचछितपव

निशच छितत जीप मकति ॥ ९॥

वयसि गत क कामातरकार

दयषक नीर क कासार ।

कषीण वितत क परिवारो

जञात तनत क समार ॥ १०॥

मा छर धनजनयौवनगरव

हरति निमषावकाङ सरवम । मायामयमिदमसखिर हिपवा

जदयपद तव परविश विदितवा ।॥ ११॥

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मोहसदरर ।

दिनयामिनयौ साय परात शिरिरवसनतौ पनरायात ।

कार करीडति गनछतयाय

सतदपि न सजतयाशावाय ॥ १२॥

का त कानताधनगतचिनता

वातर कफ तव नासति नियनता ।

तरिजगति सजनसगतिरका

भवति भवाणवतरण नौका ॥ १३ ॥

जटिषटी सणडी छचवितकशच

काषायामबरबहकतबष ।

पशयननपि च न परयति मढो

यव रनिमितत बहकतवष ॥ १४ ॥

अङग गङित पङित यणड

दशनविषहीन जात तणडम‌ ।

बदधो याति गहीतवा दणड

तदपि न मशवतयाशपिणडम‌ ॥ १५ ॥

88 ए 5

६५

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६ मोहसदभर

भगर वहवि पषठ भान

रातरौ चञकसमषितजान । करतठभिकषसतरतखवास

सतदपि न मषवलयाशचापाश ॥ १६॥

करत गङगासागरगमन

वरतपरिपाखनमथवा दानम‌ ।

जञानविहीन सवमतन

मकति न भजति जनमशतन ॥ १५ ॥

सरमनविरितरमलनिवास

शयया भतलमजिन वास ।

सवपरिगरहभोगतयाग

कसय सख म करोति तिराग ॥ १८॥

योगरतो घा भोगरतो वा

खगरतो वा सगविषटीन ।

यसय बरहमणि रमत चितत

ननदति ननदति ननदलयव ॥ १९ ॥

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मोहसदरर ।

भगवदरीता किचिदधीता

गङगाजङलवकणिका पीवा ।

सदपि यन अरारिखमवचो

करियत तसय यमन न चच ॥ २० ॥

शरनरपि जनन पनरपि भरण

पनरपि जननीजठर शयनम‌ ।

इह ससरार बहदसतार

कपयापार पाहि यरर ॥ २१॥

रथयाकपटविरचितकनथ

पणयापणयाविवरजितपनथ ।

योगी योगनियोजितचिततो

रमत बालोनमततवदव ॥ २२ ॥

कतव कोऽह कत आयात

काम जननीकोम तात

इति परिभावय खवमखार

विनध तयकतवा सवपरविचारम‌ ॥ २६३॥

|

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६८ मोहमदभर ।

वथि मयि चानयतरको विषण

वय कपयसि मनगयसदहिषण । सरवसमिननपि परयातमान

सवननोपसज भदाजञानम‌ ॥ २४ ॥

शतरौ मितर पतर बनधो मा कर यनन विगरहसनधौ ।

भव समचितत सवनतर तव

वानछसयचिराशचदि विषणतवम‌ ॥ २५ ॥}

काम करोकन शोभ मोह

लयकतवातमान भावय कारम‌ ।

आतमजञानविहीना मढा

सत पचयनत नरकनिगढा ॥ २६ ॥

गय गीतानामखदसल

धयय शरीपतिरपमजसम‌ ।

नय पञमनसङग चितत

दय दीनजनाय च विततम‌ ।॥ २७ ॥

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मोहशदधर ।

सखत करियत रामाभोग

पशचादधनत कषरीर रोग । यदयपि छोक मरण शरण

तदपि न जवति पापाचरणम‌ ॥ २८ ॥

भथमनरथ भावय नितय

नासवि तत सखलश सलयम‌ ।

पतरादपि धनभाजा भीति

सवतरषा विदिता रीति ॥ २९ ॥

पराणायाम परयाहयर

निलयानियतिवकविषवारम‌ ।

जापयसरमतसमाधिविधान

कववधान महदवधानम‌ ॥ ३० ॥

शरचरणामबजानिभर मकत

ससारादचिरादभव सयकत ।

खनदरियमानसनियमदव

दरकषयचि निजहदयसथ दवम‌ ॥ ३१ ॥

इति मोहयदरर खपण ॥

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॥ शरी ॥

॥ कनकधारासतीतप‌ ॥ [४ --धः ध =

भङग हर पखकभषणमाशरयनती भङगाङगनव सङकहाभरण तमालम‌ ।

अङकीकताखिङनिमतिरपाङगरीतछा

माङगलयदासत मम मङगखदवतताया ।॥ १॥

यगधा अहविदधती वदन मरार

परमनरपापरणिहितानि गतागतानि ।

माङाटशचोमधकरीव महोतल या साम शरिय दिशत सागरसभवाया ॥ २॥

विनशधामरनदरपदविभरमदनदकन

माननदहतरधिक भरविदधिषोऽपि ।

हषलनिषीदत मयि करणमीकषणादध

भिनदीवरोदरसहादरमिनदिराया ॥ ३ ॥

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कनकषारासतोतरम‌ । ७१

भआमीलिताकषमधिगसय सदा सङकनद

माननदकनदमनिमषमनङगतनतरम‌ ।

आककरसथितकनीनिकपकषमनतर

भयय भवनमम यजगशचयाङगनाया ॥ श ॥

बाहनतर मधजित भितकौसतभया हारावदटीव हरिनीखमयी विभाति ।

कामपरदा भगवतोऽपि कटाकषमाडा

कलयाणमावहत म कमलालयाया ॥ ५ ॥

काठामबद‌ाङिकङितारसि कटभार- धौराधर सफरति यशतदिदङगनव ।

मात समसतजगता महनीयमति

भदराणि म दिशत भागवन दनाया ॥ ६॥

परापन पद‌ परथमत खल यसरभावा-

नमाङगसयभाजि मधमाथिनि मनमथन ।

मययापतततदिह मनथरमीकषणारध

मनदास च मकररालयकनयकाया ॥ ७ ॥

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॥ 1 कनकधारासतोतरम‌ ।

दशाईयानपवनो दरविणामबधारा

मसमिनन किचन विहगशिशशौ विषणण । दषकमघममपनीय चिराय दर

नारायणपरणयिनीनयनामबवाह ॥ ८ ॥

दषटाविशिषटमतयोऽपि यया दयादर-

दषटया तरिविषटपपद‌ सरभ रभनत । दषटि परहषटकमलोदरदीतिरिषटा

पषटि कषीषट मम पषकरविषटराया ॥ ९॥

गीरदवतति गरडधवजसनद‌ रीति

शषाकभरीति शशिशखरवषठभति । सषटिखितिभलयकलिष सयिताय

तसय नमसिशवनकगरोसतरणय ।॥ १० ॥

शत नमोऽसत शचमकमफलभसलय रतय नमोऽसत रमणीयगणाणवाय ।

शकपय नमोऽसत शतपतरनिकतनाय पषटय नमोऽसत परषोततमवलभाय ॥ ११ ॥

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कनकधारासतोशरम‌ । ५७६

नमोऽसत नाङीकनिभाननाय नमोऽसत दगधोदधिजनमभमय ।

नमोऽसत सोमागतसोदराय 8५१ नमोऽसत नारायणवहभाय ॥ १२॥

खपतकराणि सकटनदरियननदनानि

साशनाजयदानविभवानि सरोराकचि ।

खदवनदनानि दरिताटरणोधतानि

मामव मातरनिश कलयनत मानय ॥ १३ ॥

यककटाकषसखसपासनाविधि

सवकसय सकलाथसपद‌ । सतनोति वचनाङगमानस

सतवा मरारिषदयशधरी भज ॥ १४ ॥

सरसिजनिलय सरोजषसत

धवरतमाहयकगनधमासयशोभ ।

भगवति हरिवधम मनोजञ

तरिभवनभतिकरि परसीद मम‌ ॥ १५ ॥

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॥ , 1 कनकषारासोतरम‌ ।

दिषवसतिभि कनककमभयखावसष

सववौहिनीविमरचारजलताङगीम‌ ।

परतनमामि जगता जननीमकष

छोकाधथिनाथगहिणीममतानधिपतरीम‌ ॥ १६ ॥

कमर कमरकषवङखभ तव

करणापरतरङगितरपाङग । अवलोकय मासरकिचनाना

परथम पाचरमकतरिम दयाया ॥ १५ |

सतबनति य सततिभिरमीभिरनवह

तरयीमयी तरिनयवनमातर रमाम ।

गणाधिका गरतरमभागयभाजिनो

भवनति त भचि बधभाविताशया ॥ १८ ॥

इति शरीमधपरमहसपरिताजकाचायसय शरीगोषि दभग-

वतपलयपादशिषयसय शरीमचछकरभगवत कतौ

कनकधारासतोतन सपणम‌ ॥

----¶ -

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॥ शरी ॥

॥ अननपणाषटकम‌ ॥ +

निलयाननदकरी वराभयकरी सौनदरनाकरी

निधताखिरदोषपावनकरी परयकच माहशवरी । पराखयाचलवशचपावनकरी कीपराघीशवरी

भिकषा दहि कपवङसबनकरी माताननपरणशवरी ॥ १ ॥

नानारनरविचितरभषणकरी हमामबराडमबरी

मकता रविडमबमानविलम दरकषो जङमभानतरी ।

काशमीरागङवासिताङगरचिर काशीपराधीशवरी

भिकषा दाह कपावकमबनकरी माताशनपरणशवरी ॥ २ ॥

योगाननदकरी रिपकषयकरी धरमकनिषठाकरी

चनदराकौनरमासमानलकरी तरटोकयरकषाकरी । सरवशयकरी तप फलकरी कशीपराधीशवरी

भिकषा दहि कपावकमबनकरी माताशचपरणचरी ॥ ३ ॥

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७६ अशनपणोषटकम‌ ।

कखासाचलकनदराखयकरी गौरी हयमाकषाकरी कौमारी निगमाथगोचरकरी शोकारबीजाकषरी ।

मोकषदवारकवाटपाटतकरी काशीपराघीशचरी

भिकषा दहि कपावरसबनकरी माताननपरणशवरी ॥ ४ ॥

ददयादशयविभतिवाहनकरी बरकषाणडमाणडोदरी

टीलानाटकसशरलखनकरी विजञानदीपाङकरी ।

शरीविशयकचमन परसादनकरी काशीपराधीशवरी

भिकषा दषि कपाचरमबनकरी माताशनपरणशवरी ॥ ५ ॥

आदिशचानतसमसतवणनकरी कषयपरिया शाकरी

कादमीरनरिपरररी तरिनयनी विशवशवरी रावरो । सवगदवारकवारपारनकरी काशषीपराधीशवरी

भिकषा दहि छइपावदमबनकरी माताननपरणशवरी ॥ ६ ॥

रवीसरवजनशवरी जयकरी माता कपासागरी ।

नारीनीरसमानङघनतङधरी नितयाननदानिशवरी

खाकषानमोकषकरी खदा भकरी काशीपराधीशवरी

भिकषा दहि कपावरमबनकरी माताननपरणशवरी ॥ ५ ॥

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अनपणाटकम‌ । ७७

दवी सवविचिधररननरचिता दाकषायणी सनदरी

वामा खादपयाधरा परियकरी सौ मागयमदिशवरी । अकताभीषटकरी सदा घयभकरी काशीपराधीशवरी

भिकषा दहि कपावरमबनकरी माताननपरणशरी । ८ ॥

चनदराकोनरकोटिकोटिसदशी चनदरायबिमबाधरी

चनदराकोभरिसखमानङकणडढधरी चनदराकवरणशवरी ।

माङापसतकपाशसाङकशधरी काकषीपराधीशवरी

भिकषा दहि कपावरमबनकरी माताभपरणचरी ॥ ९ ॥

भशचतराणकरी महाभयहरी मातता कपाखागरी

सरवाननदकरी सदा शिवकरी विशवशरी शरीधरी ।

दशचकरनवकरी निरामयकरी काशीपराधीशवरी

भिकषा दहि कपावरमबनकरी माताननपरणशवरी ॥ १० ४

भशपरण सदपपरण

छकरपराणवहम ।

जञानवरागयसिदयथ भिकषा दहि च पावति ॥ ११॥

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७८ अभपणीषटकम‌ ।

माता च पावतीदवी

मिता दवा महशवर ।

बानधना शिवभकताशच

सतदशषो भवनतरयम‌ ॥ १२॥

इति शरीमपरमहसपरिराजका चायसय

शरीगोवि-दभगवपपजयपादसिषयसय

शरीमचछकरभगबत कतो

अननपणीषटक सपणम‌ ॥

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॥ शरीः ॥

॥ मीनाकषीपञचरलम‌ ॥ त (1 ~~~

उथदभालसदसरकोटिसदशषा कयरहारोजजवला बिमबोषठी सिमितदनतपदकधिरचिरा पीतामबराखङताम‌ ।

विषणबरहमसरनदरसवितपदा तततवसवरपा शिवा

मीनाकषी परणतोऽसमि खततमह कारणयवारानिधिम‌ ॥

यकताकषररखतकिशीटसचिरा पणनदवकरभरमा शि लकपरकिकिणीमणिधरा पदमपरभामासराम‌ ।

खवौभीषटफरपरदा गिरिसता वाणीरमासविता

मीनाकषी परणतोऽसमि सतततमह कारणयवारानिधिम‌ ॥

शरीविदया शिववामभागनिखया ही कारमनतरोजञवला भीचकरङकितवबिनदमभयवसति शरीमतसभानायकीम‌ ।

शरीमपषणमखविघरराजजननी शरीमजगनमोहिनी

मीनाकषी भरणतोऽसमि सततमह कारणयवारानिषिम‌ ॥

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८० मीनाकषीपशचरलम‌ ।

शरीमससनदरनायकरी भयहर जञानरदा निमका

इयासाभा कमरासनाचितपद‌ा नारायणसयाजजाम‌ ।

वीणवमदङगवाथरसिका नानाविधाडमबिका मीनाकषी परणतोऽसमि सततमह‌ काडणयवारानिधिम‌ ॥

मानायोभिञनीनदरहननिवसती नानाथसिदधिमदा सानापषपविराजिताङकियगटा नारायभनाचिताम‌ ।

नादननहममयी परातपरतरा नानाथतनततवासिका मीनाकषी परणतोऽसमि सततमह कारणयवारानिधिम‌ ॥

इति भीमतयरमदसपरिवाजकाचायसय

भीगोविदभगवपयपाद दिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

मीनाकषीपशचरत सपरणम‌ ॥

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॥ भरी ॥

॥ मीनाशषीसतोतरम‌ ॥ कः

शरीविदय शिववामभागनिय शरीराजराजाधित

शरीनाथादिगरसखरपविभव चिनतामणीपीरिक ।

शरीवाणीगिरिजानताङधिकमल शरीकषाभवि भरीहिव

मधयाहि मलयधवजाधिषसत मा पाहि मीनामबिक ॥ १॥

चकरसय ऽचपल चराचरजगशनाथ जगपपजित आतीलीवरद नतामयकर वकषोजभारानवित ।

विदय वदकलापमौषिविदित विधयहताविपरह मात पणसघारसादरहदय मा पादि मीनामबिक ॥ २ ॥

कोदीराजगदरलङकणडठधर कादणडवाणाित

कोकाकारछचदय। परिरसपपराङमबकाराजित ।

शिशपरपादसारसमणीभीपादकाङङत महारिशचञजगगासडखग मा पाष मीनामबिक ॥ ३ ॥

88 7 6

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८२ मीनाकषीसतातरम‌ ।

नहयशानयतगीयमानचरित परतासनानतसथित

पाशोदङकशचापवाणकरित बाङनदचडाजित । बार बाकरजञ रालनयन बालाककाटगञञवख

[३ [~ मदराराधितदवत सनिसत मा पाहि मीनामबिक ४ ॥

गनधवामरयकषपननगनत गङगाधरालिदधित

गायननीगरडासन कमलज सदयामल समथित ।

खातीत खरदारपावकरशिख खधयाततकोटचञजवल मनतराराधितदवत मनिसत मा पाहि मीनासविक ॥ ५॥

नाद नरदवमबराचयविनत नादानतनादातमिक

निसय नीलकतासमिक निरपम नीवारञयकतोपम ।

कानत कामक कदमबनिखय क।मशरराङकसथित

मदधिदय मदभीषटकसपलततिक मा पाहि मीनामबिक ॥६॥

वीणानदनिमीकिताधनयन विससतचलीभर

तामबहारणपदवाधरयत ताटङकहारानवित । इयाम चनदरकरावतसककित कसतरिक।फाटिक

परण पणकङाभिरामवद‌न मा पाहि मीनाभबिक ॥ ७ ॥

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मीनाकषीसतोतनम‌ । ८३

शबदबरहममयी चराचरमयी जयोततिमयी वादय

निलयाननदमयी निर खञनमयी तसबमयी चिनमयी ।

तततवातीतमयी परातपरमयी मायामयी शरीमयी

सवशचयमयी सदाशिवमयी मा पाहि मीनाभबिक ॥८॥

इति शरीमतपरमहसपरिाजकाचायसय भीगोवबि-दमग

वतपजयपाददिषयसय शरीमचछकरभगवत कतौ

मीनाकषीसतोतन सपणम‌ ॥

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॥ शरी ॥

॥ दकचिणामरतिसलोतम‌ ॥ (> ४ -----

चपासकाना यदपासनीय

सपाततवाख बरटकषालिमठ । तदधाम दाकषिणयजजषा सवमतयौ

+> र १५

जागत चितत मम बोधरपम‌ ॥ १ ॥

अदराकषमकषीणदयानिधान-

माचायमाशच बटमरभाग । मौनन मनददमितभषितन

मकाषलोकसय तमो नदनतम‌ ॥ २॥

चिदराविताशषषतमोगणन

सदराविशषण सहमनीनाम । निरसय माया दयया विधतत

दवो महासतसवमसीति बोधम‌ ॥ ३ ॥

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दकषिणामतिसतोजम‌ ।

अपारकारणयञधातरङग

रपाङगपातरवलोकयनतम‌ ।

कटोरससारनिदाघतपरा

नयनीनक नौमि गर गरणाम‌ ॥ ४ ॥

ममायदवो बटमरवासी कपाविशोषाततसनिधान ।

ओकारसपायपदिशय विशा

माविदयकभवानतमपाकरोत ॥ ५ ॥

कराभिरिनदोरिव कलपिताङग

सकताकरापिरिव बदधमरषिम‌ । भरोकय दणिकमभरमय

मनाधतियातिमिरपरभातम ॥ ६ ॥

सवदकषजानसथितवामपाद

पादोदराङङतयोगवटम‌ ।

अपसमतरादितपादमङग

परणौमि दव परणिधानवनतम‌ ॥ ५ ॥

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८४ दकषिणामतिसतोघरम‌ ।

तशवाथमनतवसतासषीणा

यवापि य सननपदषटमीष । परणौमि त पराकतनपणयजाङ

राचारयमाशचरयगणाधिवासम‌ ॥ ८ ॥

एकन मदरा परजय करण

करण चानयन मग दधान ।

सवजानविनयसतकर परसता

दाथायनचडामणिराविरसत । ९ ॥

आङपवनत मदनाङगभतया

शादलञतया परिधानवनतम‌ ।

भाटटोकय कवचन दरिकनदर

मनञानवाराकरवाडवाभनिम‌ ॥ १० ॥

वारसित सोमकटावतस

वीणाधर उयकषतजटाकलापम‌ ।

उपासत कचन योगिनसतव

मषाततनादानभवपरमोदम ॥ १९ ॥

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दकषिणामतिसतोललम‌ । ८७

उपासत य मनय डकाया

निराभिषो निममताधिवासा ।

त दकषिणामरतितन महश मपासमह‌ मोदमहातिशानतय ॥ १२ ॥

कानया निनदितङखनदकदलवपनयभरो धमड वस नकारणयामतवारिभिमनिजन सभावयनवीशषित ।

मोहधवानतविभदन विरचयनवोधन तततादशषा

दवसतनतवमसीति बोधयत मा सदरावता पाणिना ॥१३॥

अगौरनतररललाटनतर रशानतवषरथजगभष ।

भवोधमदररनपासतनिदर

रपरकानरमररल न ।॥ १४ ।

दवतानि कति सनति चावनौ चव तानि मनसो मतानिम।

दीकषित जडधियामनगर

दकषिणाभिञखमव दवतम‌ ॥ १५ ॥

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८८ दकषिणामरतिसतोतम‌ ।

मदिताय सगधशकिनावतसिन

भसितावलपरमणीयमतय । जगदिनदरजाङरचनापटीयस

महस नमोऽसत बटमलवासिन ॥ १६ ॥

वयारभविनीभि परितो जटाभि

करावकषषण कराधरण ।

पशयन यखनदना च

परकाशषस चतसि निमखानाम‌ ॥ १७ ॥

खपासकाना तवमासहाय

पणदभाव परकटीकरोषि । यदश त दशनमातता म

दरवो मानसचनदरकानत ॥ १८ ॥

यसत परसननामनसदधानो

रवि सदा सगधशषशाङकमौर ।

पयमायरमत च विया

मनत च वदानतमहारषसयम‌ ॥ १९ ॥

इति दकषिणामतिसतोलञ सपणम‌ ॥

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॥ शरी ॥

॥ कालभरवाषटकम‌ ॥

दवराजसवयमानपावना ङधिपङकज

वयारयजञसतरबिनदशखर कपाकरम‌ ।

नारदादियोगिबनदवनदिति दिगमबर

काशिकापराधिनाथकाङमरव भज ॥ १ ॥

मालकोटिभाखर भवानधितारक पर

नीखकणठमीपसितताथदायक चरिलोचनम‌ ।

कारकारममबजाकषमकषदयलमकषर

काशिकापराधिनाथकारमरब भज ॥ २ ॥

शरटङकपाशदणडपाणिमादिकारण

इयामकायमादिदवमकषर निरामयम‌ ।

भीमविकरम भरम विचितरताणडवपरिय

काशिक।पराधिनाथकाकमरव भज ॥ ३ ॥

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९.9 काठमरवाषटकम‌ ।

भकतियकतिदायक परनसतचारविगरह

भकतवतखल सथिर समसतराकाविगरहम ।

निकणनमनोकगहमकिङकिणीरसतकरि

कारिकापराथिनाथकारमरव भज ॥ ४ ॥

धमसतपारक पवधममागन।शषक

कमपाकञमोचक सशमदायक विभम‌ ।

सवणवणककषपाशशोभिताङगनिमल

काशिकापराथिनाथकाङरभरव भज ॥ ५ ॥

रननपादकापरभामिरामपादयगमक

निलयमदवितीयमिषटदवत निरछनप । खतयदपनाशन करारदषटभषण

कारिकापराधिनाथकारमरव मज ॥ ६ ॥

अदटासभिननपशमजाणडकाशषसतति

दषटिपातनषटपापजाङमगरकषासनम‌ ।

अषटचिदधिदायक कपारमालकाधर

काशिकापराधिनाथकाठभरव भज ॥ ५ ॥

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काकमरवाषटकम‌ । ९१

मतसङखनायकत विशालकीरतिदायक

काशिवासिरोकपणयपापशोधक विभम‌ ।

नीतिमागमको विद परातन जगतयति

काशषिकापराधिनाथकारमरव भज ॥ ८ ॥

काठभरवाषटक पठनति य मनोर जञानमकतिसाधक विचिननपणयवधनम‌ |

शोकमोहलोभदनयकपतापनाशचन

त परयानति काङमरवाषिखनिधि भवम‌ ॥ ९ ॥

इति भीमतपरमहसपरिाजकाचारयसय

शरीगोबि दभगवतपजयपादशिषयसय

शरीमचछकरभगबत तौ

कारमरवाषटक सपणम‌ ॥

><

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॥ शरी ॥

॥ नमदाषटकम‌ ॥ = -#------

सबिनदसिनधससखरतरङगभङगरखित

दिषतस पापजाततजातकादिवारिसयतम‌ ।

कतानतदतकालभतभीचिदारिवमद तवदीयपादपदज नमामि दवि नमद ॥ १॥

तवदमबलीनदीनमीनदिनयस परदायक

कटौ मरोघभारहारिमवतीथनायकम‌ ।

समणचछकचछनकरचकरवाकचकरशमद

तवदीयपादपशज नमामि दवि नमद ॥ २॥

महागभीरनीरपरपापधत भतल धवनतसरमसतपातकारिदारितापद‌ाचरम‌ ।

जगषठय महाभय मकणडस‌ नदमयद तवदीय पादपङकज नमामि दवि नमद‌ ॥ ३ ॥

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नमदाषटकम‌ ।

गस तदव म भय तवदब बीशचित यदा

मकणडसनकलौनकासरारिसवित सदा । पनभवागधिजनमज भवाञधिद खवमद

तवदीयपादपङकज नमामि दवि नरमद ॥ ४ ॥

अङकयलकषकिञनरामरासरादिपजित

सखकषनीर तीर घीरपशषिलकषकजितम‌ ।

वसिषठशिषटपिपपङादिकदमादिदमद‌

पबदीयपादपदकज नमामि दवि नमद ॥ ५॥

सनतछमारनाचिकतकदयपातरिषदटपद धत सवकीयमानसष नारदादिषदपद ।

रवीनदरनतिदवदवराजकमकशषमद [9 &

ववदीयपादपङकज नमामि दवि नमद‌ ॥ ६ ॥

अढकषङकषलकषपापरकषसारसायध

ततसत जीवजनततनतभकतिसकतिदायकम‌ ।

विरिचथिविषणशकरसवकीयधामवमद

तवदीयपादपडकज नमामि दवि नमद ॥ ७ ॥

९३

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कध नमदाटकम‌ ।

थ च (५

भो धत सखन शरत महरिकशजातट

किरातसतवाडबष पणडित शठ नट ।

दरनतपापतापहारि सवजनतशमव

पवदीयपादपङकज नमामि दति नमद‌ ॥ ८ ॥

इद त नमदाठक तरिकालमव य सका

पठनति त निरनतर न यनति दगरति कदा ।

सकभयदषदलम महशधामगौरव पनमवा नरा न व विदछोकयनति रौरबम ॥ ९ ॥

इति भीमपपरमहसपरिनाजकाचाथसय

शरीगोवि-दभगवसपजयपादाकषिषयसय

भीमचछकरभगवत कतौ

नभदाषटक सपणम‌ ॥

ग च

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॥ शरी ॥

॥ यदयनाषटकपम‌ ॥ ----र४ीः ०

सरारिकायकालिमारलामनारिधारिणी

तणीङतननिविषटपा तरिरोककाकहारिणी ।

मनोवरकलङ लप खधतदमदा

धनोत नो मनाम कङिनदननविनी सदा ॥ १ ॥

मरापह!रिवारिपरिभरिमणडितामता शरक परवातकपरपशचनातिपणडितानिकषा |

सननदननदिनाङगसजजरागरशिता हिता

धनात ना मनोमर कटिनवनषदिनी सदा ॥ २ ॥

कसततरजगसङगधतभतजातपातका

नवीनमाधरीध रीणमकषितजातचातका ।

तटानतवासदासहससबताषिकामदा

धनोव नो मनोम कङिनदननदिनी सदा ।॥ ३ ॥

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९६ यमनाषटकम‌ ।

विहाररासखदभदधीरतीरमरता

गता गिरामगोचर यदीयनीरचारता । भरचाहसाहचयपतमदिनीनवीनद‌ा

धनोत नो मनोमर कलिनदननदिनी सदा ॥ ४ ॥

तरङघसङगसकलानतरातित सदासिता

ररननिगाकराशचमजञम री सभाजिता । मवाचनाभरचारणामबनाधना विशचारदा

धनात नो मनोमर कलिनदननदिनी सदा ॥ ५ ॥

जकानतकलिकारिचाररधिकाङगरागिणी

सख भतरनयदरभाङगताङगताल भागिनी

सखदनतसपरसपरसिनधभदिनातकोविव‌ा

धनोत नो मनोमर करिनदननदिनी सदा ।॥ ६ ॥

जरचयताचयताङगरागङसपटालिकषालिनी

विलोखराधिकाकनचानतचमपकाहछिमाङिनी |

सदावगाहनावतीणभकभलयनारदा

धनोत नो मनोम कलिनदननदिनी खदा ॥ ७ ॥

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यमनाषटकम‌ । ५७

सदव ननविनिनदकठिकालिकिखम जा

तटोपथपमलिकाकदमबरणसजञवला । जलावगाहिना चणा भवानधििनधपारदा

धनोत नो मनोम कडिनदननदिनी सदा ॥ ८ ॥

इति शरीमतपरमहसपरिाजकाचारयसय

शरीगोषि दभगवतपञयपादशिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

यमनाषटक सपणम‌ ॥

५8 77

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॥ शरी ॥

॥ यसनाषटकम‌ ॥ -----&---

कपापारावार तपनतलया तापकषमना

सरारिपरयसया भवमयदता मकतिवरदाम‌ ।

वियञञवालोनयता शरियमपि सखापत परिदिन

सदा धीरो नन भजति यममना नियफरदाम‌ ॥ १ ॥

मघबनचारिणि भासफरवाहिनि जाहविसङगिनि सिनधसत

मधरिपभषणि माधवतोषिणि गोककरभीतिविनाकषकरत । [^

जगदघमोनिनि मानसदायिनि कशचवकञिनिदानगत [ १५। +.

जय यमन जय भीतिनिवारिणि सकटनाशकचिनि पावय माम‌ ॥

अथि मधर मधमदविलासिनि शलतिद।रिणि वगपर परिजनपाडिनि दषटनिषदिनि बाडिकतकामविरासरधर । वरजपरबासिजसाजजिततपातकषारिणि विशवजनोदधरिक

जय यसन जय भीतिनिबारिणि सकटनाशिनि पावय माम‌ ॥

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यमनाषटकम‌ । ९९

अतिविपदामबधिमभरजन भवतापशचताङककमानसक

गतिमतिदहीनमशषभयाङकखमागतपदखररोजयगम‌ ।

चणभयभीतिमनिषकतिपाततककोटिदरातायतप तर + 9 +

जय यमन जय भीतिनिबारिगि सकटनाशिनि पावय माम‌ ॥

नवजखददयतिको टिरसततनमभयाभररखितक

तडिदबदङिपदाशचलचचचलदोभितपीतसचखधर ।

मणिमयभषणचितरपटासनरशितगशजितभालकर जय यमन जय भीौतिनिवारिणि सकटनाशिनि पावय माम‌ ॥

छयभपकिनि मधमततयददधवराखमहोऽसवककिभर

दछखचखराजितमौ कतिकारमयाभररोदरसिक ।

नवमणिकोटिकमासकरकचचकिशोभिततारकदारयत जय यमन जय भीतिनिवारिणि सकटनाशिनि पावय माम‌ ॥

करिवरमौकतिकनासिकमभषणवातचमसकतच चचरक सखकमरामरसौरभचशचचरमततमधतरतरोच निक । मणिगणङकणडरलोकपरिसफरदाङकखगणडयगामरक

जय यञघन जय भीतिनिवारिणि सकटनशिनि पावय माम‌॥

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१०० यञयनाषटकम‌ ।

कटरवन परहममयाचितपादखरोरहसारणिक

धिभिधिभमिधिभिधिभितालविनोदितमानसम जखपादगत |

तव पदपदकजमाशरिततमानवविततसदाखिरतापषर

जय यञरन जय भीतिनिवारिणि सकटनाशकचिनि पावय माम‌ ॥

भवोततापामभोधौ निपतितजनो दगतियता यदि सतौति भरात परतिदिनमननयाशरयतया ।

हयदविव काम करछसमप रविसता सदा भोकता भोगानमरणसमय याति हरिताम‌ ॥ ९॥

इति शीमतपरमहसपरिाजकाचायसय

शरागोवि-दमगवसपजयपादशिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

यञनाषटक सपणम‌ ॥

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॥ शरी ॥

॥ गङगाषटकम‌ ॥ -‰---

भगवति भवीखामौलिमार तवामम

कणमणपरिमाण पराणिनो य सपकचनति |

अमरनगरनारीचवामरपराहिणीना

विगतकलिकलङकातङकमङक खठनति ।॥ १ ॥

बरहमाणड खणडयनती हरशिरसि जटाबदधिमदयासयनती

सरणोकादापतनती कनकगिरिगहागणडदौछापसललनती । षोणीपषट छटनती दरितचयचमनिभर भससयनती

पाथोधि परयनती सरनगरसरितपावनी न पनात ॥२॥

मजननमातङगङकमभयतमदमदिरामादमतताङिजार

सनन सिदधाङगनाना इचयगविगलसङकमासङगपिजनम‌ ।

खाय परातञचनीना कगङखसमचयरिदछननतीरसथनीर

पायानन गाजगममभ करिकरमकराकरानतरहसतरङगम‌ ॥

{ पाम दइणस म ईट 4

; मरनथणय,क उ ति शि शरथाय

सारनाथ, नाराशखी कि १००१००५ ७०५०६११३

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१०२ गङगाषटकम‌ ।

भादावादि पितामहसय नियमवयापारपातन जक

पशचानन गशायिनो भगवत पादोदक पाचनम‌ । भय शभजटाविभषणमणिजहोमहरषरिय

कनया करमषनाशिनी भगवती भागीरथी पात माम ॥

दौलनदरादवतारिणी निजजर मलजनततारिणी पारावारविहरिणी भवमयशरणीसमतसारिणी ।

शाषङगिरमकारिणौ हरशचिरोवहीदरखाकारिणी काशचीपरानतविहारिणी विजयत गङगा मनोहारिणी ॥५॥

छरत वीची वीचिसतव यदि गता लोचनपथ

पवमापीता पीतामबरपरनिवास वितरसि ।

सवदतसङग गङध पतति यदि कायसतनशचता

तदा मात शषानतकरतवपदाभाऽषयतिखधघ ॥ ६ ॥

भगवति तव तीर नीरमातराकषनोऽह

विरगतविषयतषण छषणमाराधयामि ।

सकटकटटषभङग सवगसोपानसङख

तरतरतरङग दवि गङग परसीद ॥ ७ ॥

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गङगाषटकम‌ । १०६३

मातजाहवि शभखङगभिडत मौलौ निधाया-लङि तवततीर वपषोऽवमानसमय नारायणादधदवयम‌ ।

साननद‌ समरतो भविषयति मम पराणपरयाणोतखव

भयादधकतिरविचयतता हरिहरादतासमिका शाशवती ॥ < ॥

गङगाषटकमिद‌ पणय

य पटलमयतो नर ।

सवपापविनियकतो

विषणरोक स गनछति ॥ ९ ॥

इति भीमतपरमहसपरिराजकानचारयसय

भीगोवि-दभगवमपजयपादकषिषयसय

भामचछकरभगवत कतौ

गङगाषटक सखपणम‌ ॥

०.५ <)

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॥ शरी ॥

॥ मणिकरणिकाषटकम‌ ॥ नभस

तवततीर मणिकरणिक हरिहरौ साथजयसकतिपरदौ वादनतौ छरत परसपरमभौ जनतो परयाणोससव ।

मदरपो मनजोऽयमसत हरिणा परोकत शिवसतपषणा

चनमभयादभरङाजछनो गरडग पीतामबरो निगत ॥

इनदरादयाखिदसा पतनति नियत भोगकषय य पन

जौयनत मनजासततोपि पशचव कीटा पतङगाय ।

य मातमगिकणिक तव जल मसननति निषकरमषा

सायजयऽपि किरीटकनौसतभधरा नारायणा सयनरा ॥

काशी धनयतमा बिञकतनगरी साङछरता गजञया

ततरय मणिकणिका सखकरी यकत तरिकिकरी ।

सवछोकसमखिति सहव विबध काशया सम बरहमणा

कशी कषोणितर सिता गरतरा सवगो छघसत गत ॥

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मणिकणिकाषटकम‌ 1 १०५

गङकातीरमनततम हि खक ततरापि कादरयततमा

तसया सा मणिकणिकोततमतमा यतरशवरो शककिद‌ ।

दवानामपि दरम खरमिद पापौषनाशकचम पवोपिजितपणयपखगमक पणयजन परापयत ॥ ४ ॥

द खाममोधिगतो हि जनतनिवहसतषा कथ निषछति

जञातवा तदधि विरिशजिना विरचता वाराणसी शम ।

छोक। सगसखासततोऽपि रघवो भोगानतपातपरदा

काशी मकतिपरी सदा शिवकरी घरमाथमोकषपरदा ॥ ५॥'

एको वणधर धराधरधर शरीवतसभषाधर योऽयक किर शकरो विषधरो गङगाधरो माधव ।

य मातरमणिकणिक तव जर मजनति त मानवा

ङदरा वा हरयो भवनति बहवसतषा बहतव कथम‌ ॥ ६ ॥

चवततीर मरण त मङगककर दवरपि शछाधयत शाकरसत मनज सदसरनयनदरषट खदा ततपर ।

आयानत सविता सहसलकिरण परयदरतोऽभतसदा पणयोऽसौ बषगोऽथवा गरडग कि सदिर यासयति ॥

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१०६ मणिकरणिकाषटकस‌ ।

मधयाह मणिकणिकासनपनज पणय न वकत कषम

सवीयरगधकतशचतयखधरो वदाथदीकषागर‌ । योगाभयासबलन चनदरशिखरसततपणयपारगत

सपवनतीर परकराति सपरपरष नारायण वा शिवम‌ ॥ ८॥

कचछ कोटिशत सवपापनिधन यकचाशवमव फल

ततसरव मणिकणिकासञपनज पणय परविषट भवत‌ ।

सनातवा सतोतरमिद नर पठति चतससारपाथोनिरथि

तीतवा परबरबसमयाति सदन तजोमय बरहमण ॥ ९ ॥

इति शरीमपपरमहसपरिबराजकाचायसय

शरीगोवि दभगवपपजयपादरिषयसय

शरीमचछकरभमगवत कतौ

मणिकणिकाषटक सपणम‌ ॥

गद

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॥ भरी ॥

॥ निशणमानसपजा ॥ (- नः

शिषय ठनाच~--

अखणड सखिदाननद निनिकलयकरपिणि ।

सथितऽदधितीय भावऽपि कथ पजा विधीयत ॥ १ ॥

पणसयावाहन छतर सवौधारसय चासनम‌ ।

खचछसय पाशचमरघय च जदधसयाचमन छत ॥ २ ॥

निमरसय कत सनान वासो विशवोदरसय च ।

अगोतरसय सववणसय कतसतसयोपवीतकम‌ ॥ ३ ॥

निरडपसय कता गनध पषप निवासनसय च ।

निरविशषसय का भषा कोऽलकारो निराकत ॥ ४ ॥

निरनसय कि धरदविवो सरवसाकषिण निजाननदकवपतसय नवदय कि भवदिह ॥ ५ ॥

विशवाननदयितसतसय कि तामबङ शरकलपत । सवयभरकाशविदरपा योऽखावकोदिभाखक ॥ ६ ॥

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१०८ निशणमानसपजा ।

गीयत शरतिभिसतसय नीराजनविधि कत । भरदकषिणमननतसय परमाणोऽदवयवसतन ॥ ७ ॥

वदवाचामवशसय कि वा सतोतर विधीयत ।

अनतजहि ससथितसयोदधासनविधि इत ॥ ८ ॥

शरीगररवाच --

आराधयामि मणिसनिभमातमखिङक

मायापरीहटदयपङकजसनिविषम‌ ।

शरदधानदीविमरचिततजलाभिषक

निलय समाभिङकसमरपनभवाय ॥ ९ ॥

अयमकोऽवशिषटोऽसमीपयवमावाहयचछिवम‌ ।

आसन कतपयपपशचारखपरतिषठापमचिनतनम‌ ॥ १० ॥

पणयपापरज सङगो मम नासतीति वदनम ।

पादय समपयिदधानषवकरमषनाशनम‌ ।॥ ११ ॥

अनादिकसपविधतमकाजञानजर लकम‌ ।

विसजदातमशिगसय तदवाघयसमपणम‌ ।॥ १२ ॥

बरहमाननदागधिकललोखकणकोसयशङशकम‌ ।

पिबनतीनदरादय इति धयानमाचमन मतम‌ ॥ १३ ॥

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निशणमानपतपजा । १०९

८ । क श [>

जहयाननदजनव कोका सव परिता ।

अचछदयो ऽयभिति धयानमभिषचनमातमन ॥ १४॥

निराबरणचतनय परकाशाऽसमीति चिनतनम‌ । आरमलिङगसय सदहखरमिलव चिनतयनमनि ॥ १५ ॥

चिशणातमाकषषलोकमालिकासतरमसमयहम‌ ।

इति निशवयमवातन दयपनीत पर मतम‌ ॥ १६ ॥

मनकवासनाभिशरपरपशचोऽय धतो मया ।

नानयनयनसधानमापमनशचनदन मवत‌ ॥ १७ ॥

रज खतसतमोबरततिलयागसरपसिङाकषत ।

आतमिङग यजननितय जीवनयकतिभसिदधय ॥ १८ ॥

हवरो शररापमति मदरयविवरजित । बिसबपनरदधितीयरापमलिनन यजचछिनम‌ ॥ १९ ॥

समसतवाखनावयाग धप तसय विचिनतयत‌ ।

उयोतिरभयातमविजञान दीप सदशयदरध ॥ ०० ॥

सवयमातमरिङगसय बरहमाणडारय महोदनम‌ ।

पिवाननदरसर सवाद मरतयरसयापसचनम‌ ॥ २१॥

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११० निगणमानसपजा ।

अजञानोचछिषटकरसय पषाङन जञानबारिणा ।

विषयदधसयातमलिङगसय हसतपरशवाटन समरत ॥ २२ ॥

रागादिगणशचलयसय निवसय परमातमन । सरागनिषयाभयासलयागसतामबढचवणम‌ ॥ २३ ॥

अजञानधवानतविधवसपरचणडमतिभासकरम‌ ।

आतमनो बरहमताजञान नीराजनमिहापमन ॥ २९ ॥

विबिधबहमसटषटिमा छिकाभिरखकतम । पणौननदासमताटषट पषपालाङमदसमरत‌ ॥ २५ ॥

परिधरमनति बरहमाणडसदसलाणि मयीचर ।

कटसथाचलरपोऽहमिति धयान परदकषिणम‌ ॥ २६ ॥

विनशववनधोऽहमवासमि नासति बनधो मदनयत |

इतयारोचनमवानर खवातमलिङगसय वनदनम‌ ॥ २७ ॥

आतमन सकरिया परोकता कतवयामावभावना ।

नामरपवयतीतापमचिनतन नामकीरनम‌ ॥ २८ ॥

शरबरण तसय दवसय भोतनयाभावविनतनम‌ ।

अनन तवासमलिङगसय मनतनयामावविनवनम‌ ॥ २९॥

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निगणमानसपजा । ११९

धयातवयाभावबिजञान निदिधयासनमापमन

समसतशरानतिविकषषराहियनापमनिषठता ॥ ३० ॥

समाधिरातमनो नाम नानयचविततसय विभरम ।

तननव बरहमणि सदा विनतविशरानतिरिषयत ॥ ३१ ॥

एव वदानतकलपोकतलातमलिङगपरपजनम‌ ।

करवा मरण वापि कषण वा ससमाहित ॥ ३२॥

सवदबासनाजार पदषायभिब दयत‌ । बिधयाकषानद खौ मोकषाननद खमदरतत ॥ ३३ ॥

इति शरीमपपरमहसपरिनाजकाचायसय

शरीगोषि-दमगवतपजयपादरिषयसय

भरीमचकरकरभगवत कतौ

निरणमानसपजा सपणो ॥

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॥ शरी ॥

॥ परातःसमरणसतोतम ॥ ग

भरात समरामि हदि ससफरदातमततत

सचचितसख परमहखगति तरीयम‌ ।

यसत परजागरसषपतमवति निय तदभकच निषकरमद न च भतसहन ॥ १ ॥

शराततभजामि मनसा चसामगमय

वाचो विभानति निखिला यदनगरहण ।

यशनति नति वचनरभिगसा अवोच

सत दवदवमजमचयतमाहरगयम‌ ॥ २ ॥

आतनमामि तमस परमरकवरण परण सनातनपद‌ परषोनतमारयम‌ ।

यसमिभिद जगदशषमशषमरतौ ररणवा भजगम इव परतिभातित व ॥ ३ ॥

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पात सरणसतोतरम‌ । ११६१

शोकतरयमिव‌ पणय रोकननयविभषणम‌ ।

भरात काठ पठयसत

सर गनछतपरम पदम‌ । ४॥

इति भरीमतपरमहसपरिताजकाचारयसय

शरीगोवि-दभगवतपजयपादशिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

भरात सरणसतो सपणम‌ ॥

9४ 7 £

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॥ ओः ॥

॥ जगननाथाषटकम‌ ॥ =~~---ॐ-----~

कदाचितकाङिनदीतटविपिनसगीतकवसो

मदा गापीनारीवद‌नकमटासवादमधप ।

रमाजञभतरहमामरपतिगणशाचितपदो

जगननाथ सवामी नयनपथगामा भबतम॥ १॥

भज सनय बण शिरसि शिखिपिञछ कटितट

दर नतरानत सहचरकटाकच विदधत‌ । सद‌ शीमदनदाननवसरतिरीकापरिचयो

जगननाथ सवामी नयनपथगामी मवतम ॥२॥

महासमोपसतीर कनकरचिर नीखकषिखर वसनपरासादानत सहजबरभदरण अकिना ।

सभदरामधयसथ खकसरसवावसरदो

जगननाथ सवामी नयनपथगामी मवत म॥ ३॥

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जगननाथाषटकम‌ । ११५

कपापारावार सजढजङदशरणिरचिरो

रमावाणीसोमसपरदमरपदचोदधवसख । सरनदरराराभय शरतिगणकचिखागीतचरितो

जगननाथ सवामी नयनपथगामी भवतम॥ ४॥

रथारढो गचछनपथि मिङितभदवपटङ सततिभरादभौव परतिपदसपाकणय सदय ।

दयासिनधबनध सकछजगता चिनधसवया जगननाथ सवामी नयनपथगामी भवतम॥५॥

परबरहमापीड कवलयदरोपपलनयनो

निवासी नीखादरौ निहितचरणोऽननतशिरसि ।

रसाननदो राधासरसवपरालिङगनसखो

जगननाथ सवामी नयनपथगामी भवतम॥ £ ॥

नर परारथय राञय न च कनकता भोगविभव

न याचऽह‌ रभया निखिलजनकामया वरवधम‌ । खदा काट काठ परमथपतिना गीतचरितो

जगननाथ सवामी नयनपथगामी भवत म ॥ ७ ॥

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११६ जगननाथाषटकम‌ ।

हर तव ससार दततरमसार सरपत हर तव पापाना विततिमपरा यादवपत ।

अहो दीनानाथ निदहितमनचलक पातमनिशच

जगननाथ सवामी नयनपथगामी मवतम॥ ८ ॥

इति शरीमतपरमहसपरिाजकाचारयसय

भीगोवि दभगवतपञयपाद किषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

जगननाथाषटक सपणम‌ ॥

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॥ शरी ॥

॥ षटपदीसतोतरम‌ ॥ ~

अविनयमपनय विषणो

दमय मन‌ शमय विषयमगदषणाम‌ ।

भतदया विसतारय

तारय ससरारसरागरत ।॥ १॥

दिवयधनीमकरनद

परिमरपरिभोगसशिदाननद‌ ।

शरीपततिपद‌ारविनद भवभयखदचछिद वनद ॥ २ ॥

सलयपि भदापगम

नाथ तवा न मामकीनसतवम‌ ।

सदर दि तरङग कषवन समदरो न तारङग ॥२॥

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११८ षटपदीसतोतरम‌ ।

उदभतनग नगभिदनज

दनजकलामितर मिधरशशिषषट । दषट भवति परमवति

न भवति कि भवतिरसकार ॥ ४ ॥

मलखयादिभिरवतरि-

रवतारवतावता सदा वसधाम‌ । परमशवर परिपासयो

भवता भवतापभीतोऽहम‌ ॥ ५ ॥

दामोदर गणमनदिर

सनदरवदनारविनद गोविनद‌ |

भवजङधिमथनमनदर

परम दरमपनय तवम ॥ ६ ॥

नारायण करणामय

शरण करवाणि तावकौ चरणौ । इति षटपदी मदीय

वदनसरोज सदा वसत ॥ ७ ॥

इति षदपदीसतोतर सपणम‌ ॥

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॥ शरी ॥

॥ भरमरामबाषटकम‌ ॥ .

चाचचलयारणलोचनाचवितङकपाचनदराकनचडामरणि वचारसमरयखा चराचरजगतरकषणी ततपदम‌ ।

'चचवचचमपकनासिकाभरविलसनमकतामणीरशजितता

शरीदखसधलवािनी भगवती शरीमातर भावय ॥ १ ॥

कसतरीतिरङकाशचितनदविटसरपमरोदवासिफारखथटी कररदरवभिशरचणखदिरामोदोहसदवीटिकाम‌ ।

रोडापाङगतरङगितरधिकपाखारमताननदिनी

भरीशरसथकवासिनी भगवती शरीमातर भावय ॥ २॥

राजनमततमराकमनदगमना राजीवपनरकषणा

राजीवपरमवादिदवमङख राजतपदामभोरदाम‌ ।

राजीवायतमनदमणडितङकचा राजाधिरजशवरी

शरीशरसथरवासिनी भगवती शरीमातर भावय ॥ ३ ॥

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१२० भरभरामबाषटकम‌ ।

षदतारा गणदीपिका किवसती षदरिवगपदहा षदचकरानतरससथिता बरसधा षडयोगिनीवषटिताम‌ ।

षट‌चकराचितपादकाशितपदा षडभावगा षोडशी शरीरौरसथलनासिनी भगवती शरीमावर भावय ॥ ४ ॥

शरीनाथाहतपाङिततरिवना शरीचकरसरचारिणी

जञानासकतमनोजयौवनलसदरनधकनयाहताम‌ ।

दीनानामतिवङमागयजननी दिवयामबरारककरता

शीरकसथङवासिनी भगवती शरीमातर भावय ॥ ५ ॥

रावणयाधिकभषिताङगरतिका ङकषाङसदरागिणी

सवायातसरमसतदववनिता सीमनतमषानविताम‌ । भबोहासवशशीकतपरियतमा भणडार चछदिनी

शरीररसथङवासिनी भगवती शरीमातर भावय ॥ ६ ॥

धनया सरोमतिभावनीयचरिता धाराधरशयामला

मनयाराघनमधिनौ समबता सकतिमदाननरताम‌ ।

कनयापजनसपरसननषटदया काशचीरसनमधयमा

शरीशरसथरवासिनी भगवती शरीमातर भावय ॥ ७ ॥

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अभरामबाषटकम‌ । १२४

कपरागरङङकमाङकितङचा कपरवणसथिता

कषटोछषटषटकमदषटना कामशवरी कामिनीम‌ ।

कामाकषी करणारसारहदया कलपानतरसथायिनी

शरीशरसथखवासिनी भगवती शरीमातर भावय ॥ ८ ॥

गायतरी गरडधवजा गगनगा गानधरवगानपरिया

गसभीरा गजगामिनी गिरिसता गनधाकषतालकताम‌ ।

शङगागौतमगगखनतपदा गा गौतमी गोमती शरीरौरसथटवासिनी भगवती शरीमातर भावय ॥ ९ ॥

इति भीमपपरमहसपरितराजकाचायसय

भागोवि दभगवतपजयपादशिषयसय

शरीमञछकरभगवत कतौ

शरमरामबाषटक सपरणम‌ ॥

==

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॥ शरी ॥

॥ शिवपशचाषरनकचतरमालासतोरम‌ ॥

शरीमदातमन गशकसिनधव नम रिवाय

धामङशषधतकोकबनधव नम शिवाय । नामशषितानमदधवानधव नम शकषिवाय

पामरतरभरधानचनधव नम कषिवाय ॥ १॥

काङभीतविपरवाङपाङ त नम शिवाय

शखभिननदषटदकषफाङ त नम शिवाय । महकारणाय काङकाङ त नम कषिवाय

पाढयाधरना दयाङवार त नम शिवाय ॥ २ ॥

इषटवबसतखयद नहतव नम शिवाय

दटदयवशषधमकतव नम शिवाय । दषटिरकषणाय धमसतव नम शिवाय

अषटमतय इषनदरकतव नम शिवाय ॥ ३ ॥

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शिवपनचाकषरनकषतरमाासोतरम‌ । १२१४

आपददविमदटङकहसत त नम शिवाय

पापहारिदिवगयचिनधमसत त नम शिवाय ।

पापदारिण छसशनमसतत नम दहिवाय

शचापदोषखणडनपरशसत त नम शकलिवाय ॥ ४ ॥

वयोमकश दिवयभवयरप त नम शिवाय

हममदिनीधरनदरचाप त नम शिवाय ।

नाममातरदगधसरवपाप त नम शिवाय

कामनकतानहहराप त नम शिवाय ॥ ५ ॥

बरहममसतकावीनिबदध त नम शिवाय

जिहयगनदरकणडखपरसिदध त नम शिवाय ।

जहमण परणीतवदपदधत नम रिवाय

जिहकारदददनतपदधत नम शिवाय ॥ & ॥

कामनादचनाय ञदधकमण नम शिवाय सामगानजायमानरामण नम शिवाय ।

हमकानतिचाकचकयवरमण नम शिवाय

सामजाघराजगरगधचरमण नम शिवाय ॥ ७ ॥

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१२४ शिवयशचकषरनकषतरमारासतोतरम‌ 1

जनमभपयघोरद खहारिण नम शिवाय

चिनमयकरपदहधारिण नम शिवाय । मनमनोरथावपरतिकारिण नम शिवाय

सनमनोगताय कामधरिण नम शिवाय ॥ ८ ॥

यकचराजबनधव दयाखव नम शकिवाय

दकषपाणिशोभिकाचचनाखव नम शिवाय ।

पकषिराजबादटचछयारत नम रिवाय

अकषिफार ववपतताखव नम शिवाय ॥ ९ ॥

वकषहसतनिषठजातवदस नम शषिबाय

अकषरातमन नमदविडोजस नम शिवाय । दीकषितपरकाशषितापमतजसर नम रिवाय

कषराजवाह त सता गत नम शिवाय ॥ १०॥

राजताचडनदरसाञयवासिन नम लजिवाय

राजमाननिलयमनदहासिन नम शिवाय ।

राजकोरकावतसभासिन नम शिवाय

राजराजमितताधरकाशिन नम शिवाय ॥ ११॥

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शिवपशचाकषरनकषतमालासतोतरम‌ । १२५

दीनमनबाकिकामधनव नम शिवाय

सनबाणदाहकरछशचानव नम शिवाय ।

सवालरागभकतरलनसानव नम दिवाय

दानवानधकरारवणडभानव नम शिवाय ॥ १२॥

सवमङगटाङचापरशञायिन नम शिवाय

सवदवतागणातिशायिन नम रिबवाय

भदवनाशखविधायिन नम शिवाय समनमनोजभङख दाथिन नम रिवाय ॥ १३॥

सतोकभकतितोऽपि भकतपोषिण नम रिवाय

माकरनदसारवरषिभाषिण नम शिवाय ।

एकबिसवदानतोऽपि तोषिण नम शिवाय

नकजनमपापजाङशषोषिण नम सिवाय ॥ १४ ॥

सरबजीवरकषणकशीखिन नम शिवाय पावतीतरियाय भकतपालिन नम शिवाय ।

दधिदगधदयसनयदारिण नम दकिवाय शवरीशधारिण कपालिन नम शिवाय ॥ १५ ॥

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१२६ शिवपशवाकषरनकषतरमाङसतोतरम‌ ।

पाहि माममामनोजञदह त नम शिवाय

दहि म वर सितादविगष त नम कषिवाय।

मोहितषिकाभिनीसमह त नम दिवाय

सवहितपरसनन कामदोह त नम शिवाय ॥ १६॥

मङगठपरदाय गोतरग त नम शिवाय

गङगया तरङगितोततमाङग त नम शिवाय ।

सङगररबतवरिभङग त नम शिवाय अङगजारय करछरङग त नम शिवाय | १७ ॥

ईहितकषणपरदालहतव नम शिवाय

आहिताचचिपारकोकचकतय नम रिबाय ।

दटकानतिधतरौपयधातव नम शिवाय गहद खपलधमकतव नम शिवाय ॥ १८ ॥

चयकष दीनसतछपाकटाकष त नम शिवाय

दकषसपततनतनाशचदकच त नम कषिवाय ।

ऋकषराजमानपावकाकच त नम रिनाय

रकष मा परपननमाननरकष त नम शिवाय ॥ १९॥

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शिवपशचकषरनकषवमालासोतरम‌ । १२७

नयङकपाणय शिवकराय त नम दिवाय सकटाञधितीणकिकराय त नम शिवाय ।

पदकभीषिताभयकराय त लम शिवाय

पङकजाननाय शकराय त नम शिवाय ॥ २० ॥

कमपाशनाशच नीखकणठ त नम शिवाय

शमदाय नथभसमकणठ त नम शिवाय ।

निममरषिसषितोपकणठ त नम शिवाय

कमह नतीनमदिङकणठ त नम शिवाय ॥ २१॥

विषटपाधिपाय नशनविषणव नम शिवाय

शिषटमिगरदहया चरिषणव नम शिवाय । इषटवसतभियतषटाजिषणन नम शिवाय

कषटनाञनाय छोकजिषणव नम हिवाय ॥ २२ ॥

अभरमयदिवयसपरभाव त नम शिवाय

सलरपननरकषणखभाव त नम शिवाय ।

सवपरकाश निसतलानमाव त नम शिवाय

विभरडिमभदरितादरभाव त नम शिवाय ॥ २३॥

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१२८ शिवपशचाकषरनकषतरमाल सतोतरम‌ ।

सवकाय म मड परसीद त नम शिवाय

भावरभय तावकपरसाद‌ त नम शिवाय ।

पावकाकष दवपञयपाद‌ त नम शिवाय तावकादधिभकतदनतसोद‌ त नम दिवाय॥ २४॥

भकतिमकतिदिवयभोगदाथिन नम शिवाय शकतिकरिपतपरपशचभागिन नम शिवाय ।

मकतसकटापहारयोगिम नम शिवाय

यकतसनमन सरोजयोगिन नम शबाय ॥ २५ ॥

अनतकानतकाय पापषारिण नम किवाय

शानतमायदनतिचरभधारिण नम शिवाय ।

सतताभितवयथाविदारिण नम शिवाय

जनतजातनियसौखयकारिण नम शिवाय ॥ २६ ॥

शकति नमो नम कपानि नम शिवाय

पाङिनि विरिशवितणडमाकिन नम शिवाय ।

छिन विरोषरणडमाकिन लम कशिवाय

शीरिन नम परपणयशालिन नम शिवाय ॥ २७॥

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शिवपशचाकषरनकषतरमारासतोतनम‌ ।

कषिवपचवाकचरसदरा

चतषपदोलासपदयमणिषटिवाम‌ । नकचतरमाङिकामिह

दधदपकणड नरो भवपखोम ॥ २८ ॥

इति शरीमतपरमहसपरिवराजकाचायसय

शरीगोवि दमगवतपजयपादशिषयसय

भरीमचछकरभगवत कतो

शिवपनवाकषरनकषतरमाङासतोत सपणम‌ ॥

+ 8 7 9

१२९

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॥ शरी ॥

॥ दादशलिङगसतोतरम‌ ॥ -*<*& ®< -

सौरादक वधावकाश

जयोतिमय चनदरकङावतसम‌ ।

भकतिपरदानाय कतवतार

त सोमनाथ शरण परपय ॥ १ ॥

शरीतचरगरङग विविषपरसङख शोषादरिशङगऽपि सदा वसरनतम‌ ।

तमञन मशिकपरमन नमामि ससारसमदरसतम‌ ॥ २ ॥

अवनतिकाया विहितावतार

मकतिपरदानाय च सजनानाम‌ । अकाङमयो परिरणारथ

बनद महाकारमह सरशम‌ ॥ ३ ॥

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दादशचरिङगसोशर‌ ।

कावरिकानरमदयो पवितर

खमागम खजनतारणाय ।

सदव मानधातपर वसत

मोकारमीशच शिवमकमीड ॥ ४ ॥

परवोततर पारखिकाभिधान सवशव त गिरिजासमतम‌'[

सरासराराधिततपादपशयः

शरीवयनाथ सततत नमाभि ॥ ५॥.

आमदसजञ नगर च रसथः

विभषिताञजग विविषशच ओग । खदकतिसकतिभवमीरामक

,शरीनागनाथ शरण भरषदय ॥ ६ ॥

साननदमाननदवम बकषनत

माननदकनद‌ हतपापञनदम‌ ।

बाराणसीनाथमनाथनाथ

शरीविशवनाथ शसण परय ७ गा

६६१

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१३२ दवादशशिङगलोतरम‌ ।

यो डाकफिनीशषाकिनिकासमाज

निषवयमाण पिशिताशनशच । सदव भीमादिपदपरसिदध

त शकर भकतदित नमामि ॥ ८॥

शरीताननपरणीजङसशियोग

निबदधय सत निशि बिलवपतर । शरीरामचनदरण समधित त

रामशवराखय सतत नमामि ॥ ९॥

सिहादविपारऽपि तट रमनत

गोदावरीतीरपविचरदशष ।

यदशनारपातकजातनाशष

परजायत अयमबकमीशमीड ॥ ९१० ॥

हिमादविपारऽपि तट रमनत

खपजयमान सतत सननद । सरासरथकषमददोरगाय

कदारखनन िजमीशषमीड ॥ ११ ॥

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दादशचलिङगसोतरम‌ । १३३

पएठापरीरमयशिवारयऽसमि

नखमसनत तरिजगदरणयम‌ ।

बनद महोदारतरसवभाव

खददिव त पिषणशवराखयम‌ ॥ १२ ॥

एतानि लिङगानि सदव मरतय

भरात पठनतोऽमलरमानसाशच ।

त पतरपौतरशच धनरवरि सतकीरसिमाज सखिनो भवनति ॥ १३ ॥

इति शरीमतपरमहसपरितराजकाचारयसय

भीगोवि दभगवधपजयपादशिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

दादशषिङगसतोनर सपणम‌ ।

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॥ शर ॥

॥ अधनारीशवरसतोतम‌ ॥ --<*89@<$>+-

चमपयगौरारधशचरीरकायि

कपरगौराधशरीरकाय । धममिहकाय च जटाधराय

नम" शिवाय च नम शिवाय ॥ १॥

कसतरिकाङङकमचविताय चितारज पशचिधिताय ।

कतसमराय विदतसमराय

नम शिवाय च नम शिवाय ॥ २॥

दमणतकणतकङकणन‌ पराय

पादाञजराजतफणिन‌ पराय ।

हमाङगदाय भजगाङगदाय

नम किवाय च नम शिवाय ॥ ३॥

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अरधनारीशवरसतोतरम‌ ।

विशयाङनीरोतपरलोचनाय

चिकासिपङकरदरोचनाय) ।

समकषणाय विषमकषणाय

नम शिवि च नम शिवाय ॥ ४ ॥

मनवारमाराकडिताङकाय

कपारमाङादधितकनधराय ।

दिवयामबराय च दिगमबराय

नम कशिवय च नम शिवाय ॥ ५१

अमभोधरकयामलङखनतरय

तटिपमभाताञनजटाधराय ।

निरीशवराय निखिरशचराय

नम शिवाय च नम शिवाय ॥ £ ॥

पपशवदषचनयखरासयकाय समसतसहारकपराणडवाय ।

जगञजननथ जगदकपितर

नम शिवाय च नम शिवाय ।॥ ७ ॥

१३५

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१३६ अधनारीशवरसोतरम‌ ।

परवीपतरनोञजवरकणडलाय

सफरनमहापञनगभषणाय ।

शिवानविताय च शिवानविताय

नम हिवाय च नम शिवाय ।॥ ८॥

एततपठदषटकमिषटद या

भकसया स मानयो यवि कौीघजीवी ।

परापरोति सौभागयमननतकाङ

मयातछदा तसय समसतसिदधि ॥ ९ ॥

इति भीमतपरमदहतसपरिवराजकाचारयसय

शरीगोविनदभगवतपञयपादरिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

अनारीशवरसतोलम‌ सपणम‌ ॥

<<

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॥ शरी ॥

॥ शारदायजगपरयावाषटकम‌ ५ -*--<>89>$“**--

सवशचोजङकमभा सधापणङकमभा भसनादावलमबा परपणयावरमबाम‌ ।

खदासयनदविमबा सदानोषठबिमबा

भज शारदामबामजसर मदमबाम‌ ॥ १॥

कटाकष दयादरी कर जञानमदरा कलाभिरविनिदरा कलाय सभदराम‌ ।

परी विनिदरा परसतङगभदरा

भज हारद‌ामबामजसर मदमबाम‌ ॥ २॥

छरामाङकफखा छसदरानरोरा

सवभकतकपाा यशच शरीकपोलाम‌ ।

कर तवकचमाला कनसमनररोला

भज शारदामबामजसल मदमबाम‌ ॥ ३ ॥

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१३८ शारदाभजगपरयाताषटकम‌ ।

ससीमनतवरणी दशा निरजितणी रमतकीरवाणी नमदधजपाणीम‌ ।

सधामनथरासया यदा चिनयवरणी

भज शारदामबामजसञ मदमबाम‌ ॥ ४।॥

सशचानता सदषटा हगनत कचानता

रसपसहताङगीमननतामचिनयाम‌ ।

समरतापस सङगपवसथिता ता भज शषारदामबामजसर मदमबाम‌ ॥ ५ ॥

रङग तरग मगनदर खगनदर

मराल मदम महोकषऽधिरढाम‌ ।

महया नवमया सदा सामरपा

भज शारदामधामजसत मदमबाम‌ ॥ ६ ॥

सवरतकानतिवदहि जगनमोहनाङगी

भज मानसानभोजसघानतशङगीम‌ ।

निजसतोननरसतगीतनयभरभाङगी

मज शारदाममामजसत मदमबाम‌ ॥ ७ ॥

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शारदाञजगपरयाताषटकम‌ । १३९

मवासमोजनशराजसपञयमाना

खखनमनदषटासपरभावकतरचिषाम‌ ।

नवरशशभवकाचारताटकङकणौ

भज शारदामबामजसत मदमबाम‌ ॥ ८ ॥

इति शरीमतपरमहसपरिवराजकाचारयसय

शरीगोषि दभगवतपजयपादरिषयसय

शरीमचछकरमगवत कतौ

शारदराजगपरयाताषटक सपणम‌ ॥

४ 4

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॥ भरी ॥

॥ गरवषटकम‌ ॥ ---#+---

शारीर सरप तथा वा कनन

यशशचार‌ चितर धन मरतलयम‌ |

मनशचन रपर गरोरङचिपदयम

ततत कि तत कि तत कि तत किम‌ ॥१॥

कडतर धन पतरपौतरादि सरव

गह बानधवा सरवमतदधि जातम‌ ।

मनशचनन मन गरोरदघनिपद ततत कि तत तत कितत किम‌ ॥२॥

षडङगादिवदो मख शाललविधया

कवितवादि गशच सपदय करोति ।

मनशचनन खमम शरोरकधिपशम

तत कि तत कि ततत कतत किप‌ ॥३॥

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गषटकम‌ । १४१

विदशष मानय सवदशष धनय सदाचारवततष मनतो न चानय ।

मननन छमन गरोरङनिषशच तत कि तत #ितत कितत किम‌ ॥४॥

कषमामणडल भपमपालबनद खदा सवित यसय पादारविनदम‌ ।

मनशचनन ठनन गरोरङतरिपदम तत ि तत #ितत कि तत कम‌ ॥५॥

यकषो म गत दिशच दानपरतापा

जगटसत सरव कर यजसरादात‌ ।

मनशचनन रपर गरोरङचिपदय तत कितत कितत कितत किम‌ ॥६॥

न भोग न योगन वा वाजिराजौ न कानताञख नव विततष चिततम‌ ।

मनशचशन छनन रोरकधिपदय तत कितत कितत फितत किम‌ ॥७॥

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१४२ गवशटकम‌ ।

भरणय न वा सवसय गह न करय

न दह मनो वरतत म तवनरघय ।

मनशचनन छमर गरोरङधिपदो तत कि तत कि तत कि तत किम‌ ॥ ८॥

गरोरषटक य पठरपणयद यतिभपतिनकषचारी च गही ।

कमभदाञछितारथ पद‌ बरहमसजञ गरोरकतवाकय मनो यसय ठमरम‌ ॥ ९ ॥

इति शरीमपपरमहसपरिराजकाचारयसय

शरीगोषि-दभगवतपजयपादरिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

गवषठक सपणम‌ ॥

४1

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॥ शरी ॥

॥ काशचीपञचकम‌ ॥ -*<>888ऽ&<>*-

मनो निवतति परमोपकानति

सा तीथवयौ मणिकरणिका च ।

जञानपरवाहा विमटादिगङगा

सा काशिका निजबोधरपा ॥ १ ॥

यसयाभिद‌ कटिपतमिनदरजार

चराचर भावि मनोविराघम‌ ।

सचितपखका परमा<मरपा सरा काशिका निजबोधरपा ॥ २ ॥

कोशष पथचसवधिराजमाना

बदिमवानी परतिदहगहम‌ । साकषी किव सरवगतोऽनतरातमा

घा काञलिकाह निजवोधरपा ॥ ३ ॥॥

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१४४ काशीपशचकम‌ 1

कादया हि कात काकषी

काकली सरवपरकाशिका।

सा काकषी षिदिता यन

तन परापना हि काशिका ॥ ४॥

कारी शरीर तरिभवनजननी वयापिनी जञानगङगा

भकति शरदधा गयय निजगरचरणधयानयोग परयाग ।

विशवशोऽय तरीय सकङजनमन साभि भतोऽनतरातमा दह सरव मदीय यदि वसति पनसतीरथमनयरकिमसति ॥

इति शरीमपपरमहसपरितराजकाचारयसय

शरागोवि-दभगवपपजयपादशिषयसय

शरीमचछकरभगवत कतौ

काशषीपशवक सपरणम‌ ॥

1

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& ५ 11 10

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अखणड सचिदान द

अगौरतर अगर वहि

अङख गलित

अङख हर परक अचयत कशव राम

अचयत कशव सतय

अचयतसयाषटक य

अज रकमिणीपराण

अनञानधवानत

अजञानोचछिषटकरसय

अदहासभिनन

अततिधिपदामबधि

अदराकषमकचीण

॥ शरीः ॥

॥ शछोकावकरमणिका ॥ ----4---

धरम‌

१०७

८७

५६

६५

9०

३९

३९

४१

३८

११

११०

९०

९९

८४

अनादिकसप

अनकवासनामिशन

अतकातकाय

अ धसय म हतनिवक

अननपरण सदापण अपारकारणय

अपरमयदि य

अमभोधरशयामल

अयमकोऽवशिषटो

अयि मर

अरणय न वा सवसय

अमम

अङशचलकष

अरकषयलकष

अवनतिकाया

एठम‌

१०८

१०५९

१२८

9

७७

८५

१२७

१३५

१०८

९८

१४२

६९

९३

४६

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१४८

अविनयमपनय

अवीरासनसथ ° अवयानिात

असि-धपरकपि° असीतासमत °

असनायमयादौ अदो धत खन

आकतिसामयाचछासम०

आकरामदधघा तरिलोकी

आवचरयमयो कनध

आतमन सककिया

आदावादिपितामहसय

आदिकषानत

आदौ कसपसय आपददिभद

आपादादा च शीरषात‌ आमदस आमीषिताकष°

आराधयामि

आलपगरनब

कोकानकरमणिका ।

पषटम‌

११७

२२

४२

१1

११

२५

४६

११०५

१०ब‌

७६

२५८

१२६३

[21

१३१

७१

१०८

८६

आहयसय सवरप

द‌

इद त नमदाटक

इदरायालनिदशचा

इषटवसतमसय

इषटाविरिषटमतयो°

ईशवरो गररातमति

ईहितकषणपरदान

उदधतनग

उगयदधानसषटसत

उननमर कमरच० उपासकाना पव०

उपासकाना थर

उपासत य

उरवीसरवजनशवरी

एकीडलयनिक

एकन चकरमपरण

एकन मदरा

२२९

९४

१०

१२२

७२

१०९

१२६

११८

७९

२७

८८

41

८७

७६

५२

१६

८६

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एको वणषरो एतलटदटकमिषटदर

पपतपपवनसतसय

एतानि लिङगानि

एलयपरीरमय

एव वदानत

ओ ओत परोत

क कटाकष दयादरौ

कणठाकलपोदरतरय कदाचितकालि-दी

कफरयाहतोषण

कमल कमलाकष

कमराकार

करिवरभोौकतिक

कणसथसवणकमनो ८ करपरागसकडकमा०

करमपाशनाश

कलतर घन

कलरवन पर

छोकानकरमणिका 1

धषटम‌

१०६

१२३६

१३३

१३६३

१११

१३७

११४

२१

७४

२३

९९

२१

१२१

१२७५

१४०

१००

कलाभिरिदो

कसतरिककङकम कसतरीतिलका०

कसतव कोऽह कात कनता कण

कात काताघ०

कात कारणकारण

कात वकषो नितानत

कनतयमम परपरण कानतया निदित

काम कोष

कमनाशनाय

कालभीतविपर

कालभरवाषटक

कालामबदालिरलछितो °

कविरिकानरमदयो

काीकषतर शरीर

कारी धनयतमा

कादया हि कारत

किरीटोजजवलतसव

कञित ऊनतङ

१४९

णम‌ ८५

१३४

११९

४६४

६५.

८५७

२९

८७

६८

१२६३

१२६

९१

७१

१२१

१४६

१०४

१.४४

३७

४१

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१५०

कतो वीची

कर ठरो करत गजञा

इनदर कोटिशत कपापारावार

कपापारावार

कषण गोवि दह

ककासाचख

कोटीराङगदरत

कोडय दह दव

कोशानता पञच

कोष पञचसवधि०

को हयवा-यादातमनि

कणदरलमजञीर

कषतरराणकरी

कषमामणडल

कतररतव पापय

ग गङगातीरमनततम

मङगाषटकमिद पणय

गतत तदव

शोकानकरमणिका ।

षषठम‌

१०२

१३८

६६

१०६

११५

९८

४५

७६

८१

७७

१४१

५१

१०५

१०३

९३

म-धवामर

गायतरी गरदधवजा

गायत शरतिभि गीरदवतति

गखचरणामबज

गरोरषटक य

गय गीतानाम

गोपाल परयखारा

गोपीमणडलगोषठी

गोवि दाषटकमतत‌

चकरसथऽचपल

च दरारकानल

चाञचलयारण

चामपयगोरारथ चारखित सोम

चिदशच चिभर

जटिली शणडी

जनमसरसयषोर जरय पिशाचीव

¶टम‌

८२

१२११

१०८

७२

६९

१४२

६८

५७

५.७

५८

८१

७७

११९

१३४

८६

१८

६५

१२४

२९

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जलचथताचयता °

जलानतकखि

जागरा सथर

जीमतरयामभासा

उवलतकानतिवहहि

दम

कणपकरणतकङकण

तरिदरण बल

तरिदधासस नील

ततवारथम तवस ०

तरजञसङग

तरणारणमखकमल

तव हितमक वचन

तावससव सतय

लिगणापमाशष

तरविषटपरिपबीरवन नयकष दीनसचकपा०

तवचीर मणिकरणिक

तवीर मरण

सवसपरभजीवपरिय°

छोकामकरमणिका ।

पषठम‌

९६ ९६ ४९

२३ १३८

१३४

३६

८६

९६

१२

५५

१०९

५६

१२६

१०४

१०५

११

पवदमबलीन

तवमाचमोप दर

सवमवासि दव पर पवयि मयि चाण

ददयादयानपवनो

दशगरीवसगर

दसाङग धप

दशचदसतनिषठ

दामोदर गणमादर

दिककालो वदय तौ दिषधसतिमि

दिनयामियौ

दि यधनीमकरद

दीनमानबालि०

द खामभोधिगतो

दरीकतसीतारति दरयाहशय०

दषया गीतासवकषरतसव

दवराजस यमान

दवी सरवविचितर

१५१

धषठम‌

९२

५९

६८

\७२

१२४

११८

७४

६५

११७

१२५

१०५

७६

५१

८९

७७

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१५

परटम‌

दवो भीति विधात २७

दवतानि कति ८७

छदकतव यचच ५२ ध

घनया सोमविभावरनीय १२०

घरमसतपालक ९०

नकारिषटदा° ४०

धयात-याभाव १११

न भोगन योग १४१

नम सचिदाननद

नमसकारोऽशङग ६१

नमसत नमसत ६

नमसत सभितरासपतरार ९

नमो भकतियकताचरकताय ६

नमो विशवकतर ६

नमोऽसत नालीक ७२३

नरतङखोषङध ४३

नछिनीदलगत ६३

नवजलददयति ९९

नव पराथय ११५

छोकानकरमणिका ।

नाद नारद*

ननायोगिमनी र

नानारललविचितर

नाभीनाटीकमलात‌

नारायण कशणामय

नारीसनभर

नाह पराणो नव

निज मानस मदिर

निषय सनहातिरकात‌

नितयान दकरी

निरञजनसय कि

निराबरणचत य निरमरसय कत

निरपसय कतो नवम।मलिङगसय नयङकपाणय

पदमान-दपरदाता

पयोमभोधदरौपात‌

परबरहमापीड

परिभरमनति बहमा°

णठम‌

८२

५७५

२८

११८

६२

५४

२३१

७५५९

१०५७

१५९

१०७३.

१०७

१०९

१२७

५९

११५

११०

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पवितर चरितर

पदयञछदधोऽपयकषर

पदयसशरणवननतन

पातातपातारपातात‌

पावार यसय नाल

पादामभोजमसषा

पायादधकत सवातमनि

पाहि मायमामनोकञ

पीटीभतालकानत

पीतन दयोतत

पणयपापरज सङगो

पनरपि जनन

पर पराञजटीनाजञनया°

परणसयावाइन परवोततर पारकिका० परथिया तिषठयो

परचणडपरतापपरभावा०

परदीपषरतोजजवक

परपञचसषशनमख

परमाण भवागध०

परसीद परसीद परचणड

हछोकानकरमणिका ।

णठम‌

४९

४८

३२

२८

२६

५५

१२६

३३

२७

१०८

६५४

1

१०७

१३१

४३

१३६

१३५

३६

११०

परहादनारदपराशषर

पराणानायमयोमिति

पराणायाम

पराणो वाह वाक‌

परात समरामि

परातरनमामि

परातरभजामि

परापत पद परथमत

बदधा गल यमभटा बालसतावत‌

बाह -तर मधजित

बर दाबनसवि

बरहषनरहमणयाजिनञा

बहममसतकावली

बरहमाणड खणडयनती

बरहमान -दजलनव

बरहमान दानवि

बरहमा विषण सदर

बरहचनदरणरमरदक

बरहमशाचयत

१५४

एठम‌ १७

४६

६९

५३

११२

११२

११२

७१

१६

६३

७१

५८

३१

१२१

१५१

१०९

१०८

४६

१२

८२

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१५४

मगवति तव

भगवति भवलीला

भगवदवाता

भज गोवि द

भवामभोजनतरा°

मवोततापामभोधौ

मानकोरिभासवर

यकतिमकतिदायक

मकतिमकतिदिय

सजगपरयात पठ °

भजगपरयात पर

सजसयबण

मतसदघनायक

भवा भवा यदनत°

मङगलपरदाय

मजञनमातजग

मतसय कमौ वराहो

मससयादिभिरवतर मधवनचारिणि

कछोकानकरमणिका ।

णठम‌

१०२

१०१

६७

६२

१३९

१००

९०

१२९८

२१

१०

११

९१

२३४

५२९

१०५१

३४

११८

९.८

मधयहधि मणि°

मनोनिचतति

म-दारमाला

ममायदवो

मलापषहारि

महागभीर

महामभोधसतीर

महायोगपीठ तट

महायोगपीठ परिण

महारलपीठ

मह दरादिरदवो

मा कर धनजन

मातरजाहनवि

माता च पारवती

मातरातीत सवापमण०

मालालीवाछिधामन

मकताहारलसतकि =

मगधा सहविदधती

मदिताय मगध०

मरारिकाय कालिमा

मटढ' जहादि

१०६

१.४३

१३५

८५

९५

९२९

११४

२६

१८

४३

६४

१०३

७८

४७५

३३

७९

८८

९९५

६२९

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सरतामत परव ०

पलामतसीहति मोदातपादादिकश

य बरहमारय

य चिजञानञयोतिष

यकषराजब धव

यत सरव जात

यतकटाकषसमपासना ०

यतर परतयतरत

यदा घमगलानि

अदा मपसमीप

यदावणयसकणमक

यदयदय तततदह

यदयदय वसत

यकषोम गत

यसत परसनना ०

यसमाद यननासतयपि

यसमादाकरामतो दया

यसमादराचो निषतता

यसया दषटामलया

गहोकालकरमणिका |

पषठम‌

५४ यसयातकय सवातम °

५६ यसयादाशना

३५ यसयामिद कसपित °

यसथकाशचादिपथ ०

४६ यावतपवनो

५५ यावदिततोपारजन° १२४ या वायावानकलयात‌

४२ या सत सतवजाल

७३ यकतयारोजय वयास

३३ यनाविषटा यसय ४४ यभयो वरणशवतथ

५ यभयोऽसयदधिरष

३ योगरतो बा

४७ योगान दकरी

४७ यो डाकिनीशाकिनि°

१४१ योऽय दह चषटयिता०

८८ यो विशचपराणभत°

४६ ब‌

२५ रज सशवतमो°

३४ रलपादकापरमा०

२६ रथारढो

१५५

धषटम‌

५१

२७

१४५६

४५

६१३

६१३

२९

२४

५२

५५०५

२५

२४

६६

७५

१३२

५२

२३

१०९

९9

११५.

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१५६

रथयाकरपट

रागादिगणशचलयसय

रागायकत

राजताचल दर

राजनमततमराछ

राकषसकषोमित

रकषसमरकषचाप

रखा कखादिव-ा

[1

लकषमाकारालकाठि०

लकषमीदरसिहचरणानन छकषमीपत कमलनाथ

ककषमीभरवजमरि कपननचयताननत

खसचरदरिकासमर

खसककणडलामषट

लसततरनग

कखामाङकफाला

लावणयाधिक

वकरामभोज रस त

गलोकानकरमणिका ।

३२

१७

१६

२९२

२१

१९

९५

)३७

१२०

वयसि गत

वागभगौयादिभद वानरनिकरधयकष

विजातीय पषय बिजञानादयो यसय

विदशष मानय विदयदबरोतवसप °

विदराविताशष

विना यसय धयान

विभ वणनाद

विविधनरहम

विशालनीलोपपल

विदयदध पर सचिदा*

विदयदध शिव

विशवतराणिकदीकषा० विशववनदयोऽह०

विशवाननदयित

विशवामरदर

विषणव जिषणव

विषणो पाददधयाम

विषणोरविशचशवरसय

षम‌

६४

२४

६१

५२३

१४१

॥ 9)

८४

४२

३७

११५

१३५

१८

३०

११०

१८७

७०

३९

२५

२९३

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विषठपाधिषाय

विहाररासखद

वीणानादनिमीकता०

वीताखिरविषयचछ

बदवाचामवदयसय

वदा^तशचाधयातमिक

गयाङभबिनीभि

वयोमकशा दिनय

दव

सजौ मिनन शबदतरहममयी

शमबरवरिशयातिग ° डशारशच दरविमबानन

शरीर कलतर

शरीर सरप

शिलापि सवदङधिकषमा

शिव नितयमक

कषिवपञचाशचरमदरा

शकतौ रजतगरतिमा शभपलनि सखटङकपाश

गहोकानकरमणिका ।

पषटम‌

१२७

८२

१२६३

६८

८३

३७

२०५

१४०

१२९

११

९९

८९

शलिन नमो नम

हठ दरादवतारिणी भदधाभकतिधयान

शरवण तसय दवसय

भरिया शातकमभदयति भियाशिषटो विषण

भीतापरपरणी

शरीनाथादत

शरीमतययोनिधिनिकतन

शरीमसयौ चाखतत शरीमससदरनायरकी

भीमदातमन

भीविदया शिववाम०

ओरविदय शिववाम०

शरीरौल शक शरतय नमोऽसत शटोकनरयमिद

षरदतारा गणदीपिका षडङगादिवदो

१५७

१२८

१०२

५१

११०

२१५

४२

१३२

१२५

२६ ८०

१२२

७९

८१

१३०

११द‌

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१५८

सपपकराणि सकल

समयामभोधिमधयात‌

ससारकपमतिधोर

ससारधोरगन

ससारजालपतितसय

ससरारदावदहना०

ससारभाकरकरी दर

ससारबरकषमखबीज

ससारसपविषदिगध

ससारसागरननिमञजन

ससारसागरविशाछ

ससतीरण कौसतरभाञच सनचण तामबल

सततामातर कवर

सतय जञान शदध

सतय जञानमन त

सतयपि भदापगम सतसङगतव

धदा तपता

सददा राम

सदा राम

पिबत

पिबनन°

णठम‌

७३

१४

१५

१.४

१३

१४

१५

१४

१५ १८५

२९

७४

४९

५६

११७

&४

६9

ऋोकानकरमाणिका ।

सदासय कषण

सदव ननदिनि द० सनतकमार

स पणय स गणय

सविदसि-ध

समसतवासनातयाग

समाधिरातमनो

समानोदितानक

समयकताषय

सरसिजनिखय

सव इषटवा खापमनि

सरमजीवरशचणक सवकञो यो यशच

सवशरासत सरवशषरीरी

सरवतरक पशयति सरवदवौसमाजाक

सरवमङगलाकचा ० सान दमान दवन

सिहादरिपशऽपि

सखत करियत

शनासापट खदर०

पठम‌

६१

९७

९२

१०९.

१११

१९

२६

७३

४८

१२५. |) 1, ष

४८

४८

१११

१२५

१३१

१२३२

६९

१९

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छोकानकरमणिका । १५९

षषठम‌ धरम‌

सपताकारा परस ३३ सनानवयाङकलयोषित‌ ५७ सरलाङगदरवत १९ सफरपकसतभालकत ३७ सरमदिरतर‌ ६६ सकच दनबनितादीन‌ १२

सवकषोजकमभा १३७ सवदकषजान° ८५

सशषाता सदहा १३८ सवभकतारगणय ७

ससीम तवणी १३८ सवभकतष सदशिताकार २

सषा सव सवातम ५ ह

सवकायम १२८ हर तव ससार ११६

सोराषटदश १३० हर राम सीतापत ९ सतव पाणडरङगसय ३८ हारसयोखपरभामि ३०

सववि य ७४ दहितवा हितवा ४७

सतोकभकतितोऽपि १२० हिमादविपराशऽपि १३२

सतोषय भकतया ४५ इहदमभोज कषण ५९

ऋ +

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॥ शरी ॥

॥रखिताचिराती भाषयम‌॥ अ दको

वनद विधशवर दव सवसिदधिपरदायिनम‌ ।

बामाङकारढवामाकषीकरपहयवपजितम‌ ॥ ५ ॥

पाशचाङकनशचसमराजिततपजशषाखा

पारसयकञाङिसषमाशचितगालवषछीम‌ ।

पराचीनवकसततपद‌ा परदवता तवा

पञचायधवाचितपदा भरणमामि दवीम‌ ॥ २ ॥

रोपासदरापरति नतवा हयदमीवमपीशवरम‌ ।

भीविदयाराजससिदधिकारिपकजनीशचषणम‌ ॥ ३ ॥

विसतारिता बहविधा बहभि ता च टीका विलोकयितमकचमता जनानाम‌ ।

तकषलयसवपदयोगविवकभान

पषय करामि छङितापदभकतियोगात‌ ॥ ४ ॥

५ ए भवा 11

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१६२ ललितातरिशतीभाषयम‌ ।

अगसतय उवाच-

हयगरीव दयासिनधो भगवन‌ हाषयवतसल ।

तवनत, शरतमशोषण ओततवय यषयदसति तत‌ ॥

रहसयनामसाटसरमपि तवतत' शरत मया ।

इत, पर म नासतयव ओओतवयाभिति निखय' ॥

तथापि मम चिततसय पयौसिव जायत । कातसनयीथ परापय इवयव शोच यिषयामयह पमो ॥

किमिद‌ कारण बरहि जञातवयाोऽसति वा पन ।

असति चनमम तदरि बरहीतयकतवा परणमय तम‌ ॥

सत उवाच-

समाललमब ततपादयगर कलशशोदधव' । हयाननो भीतमीत किमिद किभिद तविति ॥

स सति त चोकतवा चिनताकरानतो बभव सः।

चिर विचाय निथिनवनवकतवय न मयलयसौ ॥

तषणी सथित समरननाजञा रखितामबाकता परा ।

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लकङितातरिकयतीभाषयम‌ । १६३

परणसय विपर स सनिसततपादावलयजससथित ॥ ७॥

वषशनयावधि तथा गरशिषयौ तथा सथितौ । तचछरणवनतशच पदयनत सव लोकासखविसमिताः॥

तत, शरीरखरितादवी कामशवरसमनवितता ।

परादभरव हयगरीव रहसयवमचोदयत‌ ॥ ९ ॥ धदवयवाच-

अशवाननावयोः परीति चाखनविभवासिनि तवयि।

राजय दय हिरो दथ न दया षोडशाकषरी ॥१०॥

सवमातजारवदगोपया विथचतयागभा जगः ।

ततोऽतिगोपनीया म सवपरतिकरी सतति ॥

मया कामशवरणापि कता सगोपिता शराम‌ ।

मदाजञया वचो दवयशचकनोमसहसखरकम‌ ॥ १२॥

आवाभया कथिता सखया सवपतिकरी सततिः। सयकरियाणा वकलयपलिथललपतो भवत‌ ॥ १६॥

सवपतिकर तसमादिद‌ नाम कत मया ।

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१६४ रङितातरिशतीभाषयम‌ ।

तदहि तवमगसतयाय पातरमव न सहाय ॥ १४॥

पलनयसय लोपासदराखया माखपासतऽतिमककित, ।

अथ च नितरा भकतसतसमादखय वदसव तत‌ ॥

अधशचमानसतवतपादौ बषननयमसौ खित । एतजजञातमतो भकतया हीदभव निददोनम‌ ॥

चिनतपयीिरतसय नानयथा सभविषयति । सरबपररतिकर तसमादनजञातो मया वद‌ ॥ १७ ॥

सत उबाच--

इतयकतवारनरधादमबा कामशवरसमनविला । अथोतथापय हयगरीव पाणिभया कममसमवम‌॥

सखसथापय निकट बाचसबाच शहाविसित । हयगरीव उवाच--

कतारथोऽसि करतारथोऽसि कतारथोऽसि घरोदधव ॥

तवतसमो लकलितामकत नासति नासति जगचचय।

यनागसलय सवय दवी तव वकतवयमनवदात‌ ॥

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लकङितातरचतीभाषयम‌ । १६५

सचकिषयण तवथा चाह दरषटबानसमि ता शिवाम‌

यतनत दनहतीनाथौय बरहमविषणवीङापवका" ॥

अत परत वकषयामि सवपरतिकर सतवम‌ ।

यसय समरणमाचरण पयौिसत भवदधदि ॥ २२॥

रहसथनामसाहलादपि गदयतम सन ।

आवदयक ननोऽपयतहयलिला सञचपासितम‌ ॥

तदह सपरबशषयामि ललितामबानकासनात‌ ।

शरीमतपशचदाकषथी कादिवणोनकरमानसन ॥

पथगविातिनामानि कथितानि चरोदधब।

आहतय नानना चिकी सवसपरतिकारिणी ॥

रहसथातिरहसथषा गोपनीया परयतनत ।

ता शणषव महाभाग सावधानन चतसा ॥

कवल नामवदधिसत न काय तष कममज ।

मनचातमकसवमतषा नानञा नामाससतापि च ॥

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१६४ कङितातरिशचतीभाषयम‌ ।

तसमादकागरमनसा शरोतवय च तवया सदा । सत उवाच-

इतयकतवा त हयगरीव परोच नापरातचरयम‌ ॥

बहका सभकतिमदहिनना गरपादामबजमबङममय सथिताय

कमभयोनिमनय शिवदपतिकतनामशतननयोकया पररितो हय

परीत उवाव-

ककारषपा कलयाणी कसयाणगणदचालिनी ।

कलयाणदौलनिखया कमनीया कलावती ॥

ककाररपति । ककार कवरण रप जञापकविकषण

यसया सा, कादिविदयाविगरहयथ । अथवा ककार रप

वाचक यषा त कक।ररपा हिरणयगभ उदकम‌ उततमाङग

सखादयशच । हिरणयगभनिषठजगदधारकजगतकरपवाविगण

बनतव ककार वय-जनादिमवणपवन वतत इति तदवाचय तथा तथा । उदकनिषठाननादिदारा जगतसजीवनहतपनमपि

ककारसय विदयाभिमवणतयामतीति तदरपा वा । सरवषा

पराणिना शिरसयसरतमसतीतति योगमारगण कणडलिनीगमन

ततरलतसपरवाहाषतयो गिनामीशवरसामय जायत इति योगशा

खष परसिदधम‌ । तदत‌ कण मनतरादरिमभागसथ तयय-

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रङितातरिचतीभाषयम‌ । १६५

रचयोपरायणाना शिवभावमव यचछतीति वा वदरपयथ , क नहय ख रहमा! इति शरत । वराकाशसय सखसवरप सवन परमगरमासपदतया अभिङाषविषयसववत‌ ककारोऽपय

तिपरीतिविषयमरमनादिमाकषरतया अभयहिततवादवा तदरप

सथ ॥ ॐ ककाररपाय नम ॥ कसयाणी । कलयाणानि सखानि । यवसावभौमाननदा-

दारभय बरहमाननदपयनत तततिरीयकादौ परतिपादितानि ।

तततदपाधिभदषववचछिननसरपतया तानि कलयाणकावववा चयानि, ‹ एतसयनाननदसय अनयानि भतानि माननाषजी

बनति ! इति शरत । समषटिगयषटिवनतवमपदहितसवरपण सभ

वतीति मतपलमामोपपतति । तथा च राहो शिर इतिवत‌

समासानतगतषषठथयथमदसयाविवषिततया आननदकविगरटव

तीतयथ › ‹ विजञानमाननद बरहम ' इति शरसयकतनहमसवरपङ कषणवतीतयथ ।॥ ॐ फसयाणय नम ॥

कलयाणगणशालिनी । कलयाणा सखकतीर य गणा

सलयकामसलयसकसपसरवाधिपयसरवशचानपववामनीतवसयदवाम-

तवादय , त असया शारयनत इति, तथा एना शोभयनती

तिवा, त कषालयत इति वा कलयाणगणशालिनी । तथा च कलयाणाशच त गणाशच कसयाणरणा शाङयनयनाभिति

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१६८ कङिताचिशततीमाषयस‌ ।

कलयाणगणशालिनी , असमिन समास दवताया पराधीन

शणवनव सवत शदधचतनयतव च सफरितम । कलसयाणगण शालयत इइलयतर गणवनतवमाचर दवताया शोवयत । तखचोपा

धिकतव वदकमपि सततौ तदभरकटन न दोषाय । यदि शणानामारोपितसवन ततसकीतनसय मदनदधिसमय ततछपा

पराचिहतषवनावशयकतवम‌ , तथापि तदपवादपर सर शदध

चतनयामदधयानरपसखयभजन सखयमवति सपादयित सव-

गरपदिषटमारगण सकरमवति नातिविसतायत ।॥ ॐ कलया

णगणकषाङिनय नम ॥

कसयाणदौलनिरया । शिाना विकार शचक शिलाधन इतयथ , कलयाण सखमव शक घनीभत इतयथ , तसमिन‌ कलयाणनर सवसवरप आननदघन निखयति तिषठतीति

कलयाणकशलनिखया, ‹स भगव कसमिन परतिषटित इति सव

महिशनीति होवाच इति शरत , दवदतत सवसमिननव सवय

वतत इति छौकिकपरयागाच, दवताया सवसवरप सवावसथान यजयत इति । कलयाणमव शरवत‌ बनीभत कलयाणरठ आननदमयकोकञ कलयाणरौलो निय यसथा सा इति बह

नरीहिसमास न विरदध , ‹ बरहम पचछ परतिषठा" इति उकत

रतिभरामाणयात । अथवा कसयाणशर महामर निरय गह

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कशिततनिकशतीमाभयम‌ । १६९

यसया सा तथा, समरमधयशचङगसथतयथ ॥ ॐ फलया

णरौलनिलयय नम ॥

कमनीया । परमानगदसवरपतवन परमपरमासपदा, (को

हयवानयातक पराणयात‌ । यदष आकाशच आननदो न सयात‌ ' इति

शरत । सखसय मनोहरपवन सरवपसाविषयपववत‌ मायावता-

ना सखपरापकसवन खसवषटदवताञ परीयतिकषयन तवपजादौ

परतता ततफरदानन मनोहरतवादा कमनीया । जञानिनामा

ननदघनी भावापमकसनदरमतिमततया वा कमनीया ॥ ॐ

फमनीयाय नम ॥

कलावती । कटा शिर पाणयादयवयवा › चत षाषटकला

विदयारपा वा, चनदरका वा, अकतधयानाय असया सनती- ति कलावती ॥ ॐ कलछावलय नम ॥

कमलाकषी कलमषनरी करणामरसागरा ।

कदसबकाननवामा कदमबकसमपिया ॥

कमलाभरी । कमर इव अकषिणी यसया सा तथा।

कमलाया लकषया अशकषिशबदन तकिमिनतक जञान लकयत

विषयतासब घन तदरतीति वा । कमलाया रहिकायषमि

कशचिय हतभत अभिणी यसया सा- इति सवकीयकषणमा

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१७० कलितातरिशतीमापयम‌ ।

तण महदयपरापिकति भाव ॥ ॐ कमङाकय नम ॥

करटमधनघनी । कलमषाणि पापानि हनति नाशयतीति क~

ठमषघनी, ‹ अह तवा सवपापभयो मोकषयिषयामि ` इति भग

बदरबनात‌ । अथवा वदानतमहावाकयजनयसाकषातकाररप-

बरहमविदया ! जञानापनि सवकरमाणि भसमसापछरत तथा ` इति

समत , ‹न स पाप कोक. शरणोति' इति शरतशच ॥

ॐ करमषधनय नम, ॥

करणासतसागरा । करणया कपया जात यदमत मोकषरष

तसय सागर इव सागरा । यथा असतसमदर सवयममतसवरप

सन‌ अनयानपि रोकान‌ अभतपायिभचादविभकतामतन सजी-

वयति, तथा ‹ जहय वद‌ बरहौव भवति ' ‹ बरहमविदापनोति परम‌ ' इलयादिशरया सवयममतसवरपा सती । ' छभत च तत

कामानमयव विहितानहितान‌ ` इति भगवदरचनन तनतदाधि

कारिछतकरमोपासनादिफङसय दवतापरापणीयसय सपरापनौ त-

तदधिकारिणा ततततफर सथितमिति स भावयत इति सागरो

पमा । असरतवतसवमजीवनी करणागतसय अभिननाशरयतवात‌

सागरा; करणा च भकतविषयकपरिपासयताबदधि । यदवा,

करणया कपया अमता शाशचतकीतिमनवन बरकमादिरोक

गता सरागरा सगरराजवकशया यसया सा तथा, यदरा,

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लकितातरिशतीभाषयम‌ । १७१

करणया दयया हतना अशरताय परापत सागर सञदरो यया

खा भागीरथी, करणामतसागरा ॥ ॐ करणागरतसाग- राय नम ॥

कदमबकाननावासा । कदसवनामककसयघकषयकत यतका-

नन बन ततरावासो गह यसया सा तथा ॥ ॐ कदमबकान- नावासाय नम. ॥

कदमबङकसमभरिया । कदमबाना छमानि कदमबङकलमानि

तष परिया परीतिमतीति यावत‌ । यदयपि परियशचबद भरीतिवि-

षयवाचक , तथापि कघमजनयभरीतरमावन तदधिषयताया

वकतमशचकयतवात‌ तथोकतम ॥ ॐ कदमबङसमपरियाय नम ॥

कदपविदया कदषजनकापाइवीकषणा । कपरवीटीसौरभयकषोखितकङतटा ॥ ३ ॥

कदपविदया । कदरषसय विदया तननिठपरयगनहोकयकञान-

भियथ । अथवा विधापरापकसवाततदषटमकमनतरवणमसलयो विययपयचयत वदवाकयष उपनिषतपदवत‌ । तदवानयाथतवात

तथा दवी सनयत ॥ ॐ कदपविशचाय नम ॥

कद‌पजनकापाङगवीकषणा । अपाहगाभया वीकषणमपाजजवी

कषणम‌ , ईषदशनभिति यावत‌ । कदसय जनक अपाङग

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१७२ कलितातिशतीमाषयम‌ ।

वीकषण यसया सा। भनन नानना यषा जडानामपि कर-

पिणा जनाना उपरि सकदीषदरीकषणमभिजायत, त कदष-

बदरपयोवनसामनयलकषमीभाजो भवनतीति धवनितम‌ । यदरा

कदसय जनक शरीनारायण स यमया अपाङगवीकषण

हषदभवकिचखन वतत, यसया आजञामातरवरयतया महा

विषण जगदरकषादिकारय करोतीति सा तथा इति | अथवा,

कद‌पजनका माछकषमी यसा अपाङगवीकषण परयतया व

तत सा तथा । कदपसय मनमथसय जनका उतपादका

सक‌चनदनादिभोगयविषया त यसया अपाङगवीकषणात‌ भ- वनति मा तथा । अथवा, चनदरसय वामनतरतया अपाङग

वीकषण चनिदरिकोनयत । कदपजनक अपाङगवीकषण यसया

सा तथा । कदपजनकाशाबदन छकषमीनिवासकमर ल

कषयत, तदत‌ अपाङग कमराकषीलयथ तननिरपितवीकषण

लोकसजीवन यमया सा तथा ॥ ॐ कदपजनकापाङग

वीकषणाय नम ॥

कपरवीदीसौरभयकञोलितकञपटा । कपरयकताशच ता वीटयशच तामबकबखानि तासा सौरभय सौगनधय त कलोडितानि असछतपरिमषितानि कङकभा दिकषा तटानि

परदा यसवा सा । यखवासितपरिमठन जगनमातर सर-

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रकितानिकचतीभाषयम‌ । १७६३

भीकतमिति सखरपातिदयोकति असमिननाननि वयजयत , महा

राजभोगवतीलयथ । ॐ कपरवीदीसोरभयकटटोितकङप

टाय नम ॥

कलिदोषहरा कजटोचना कञचविगरहा ।

करमादिसाकचिणी कारयिनरी कमफलपरदा ॥ ४॥

कङिदोषहरा । कट निनथा जायमानाना परषाणा

जनममाननण य दोषा पापानि आरया, तान दषटा शरता

कीततिता ससतता पजिता धयाता खती हरतीति तथा । कठ

अनयोनयवादिना कलहाततततनमतामिनिवशवशचाललायमाना य

दोषा परनरहमविषय असतिपवनासतिपवदषादिवयतिरिकतसवमि

जरतवाभिननसवगणितवादिसाधकयकलयाभासतदनगणसमलयाभा

सशरतितापपयविषटनानयथाकरणदराभरहजनयकामकोधपरष

परवशकरिथमाणनिनदासखदनादिरपा बहविधा दोषा , तान-

दतभकषजञानसाधनमकतिरपण हरतीति कलिदोषहरा ॥ ॐ

ककिदोषहराय नम ॥

कजलाचना । कभय जायनत इति कजानि, कजशचषद

न अरबिनदनीरोतपरानि छकलयनत तदरञाचन यसया सरा तथा।

अथवा कज अदयाणडम‌ | ‹ अय पलमप सदवा तास बीम

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१७४ रङितातरिशचसीमाषयप ।

पासजत‌ तदणडमभवदधमम‌ ' इति वचनात‌ कजानि अनक

कोरटिनरहमाणडानि लोचनयो छोचनकतवीकषणात‌ यसया

सा तथा, ‹ सय दवतकषत ' इति भरत ॥ ॐ कजलोच नाय नम ॥

कशनविगरहा । कमर अतिमनोजञ , गामभीयधयमाधयादि-

बहगणोदिततवात‌ ; विगरह मरति यसया मातथा, (आ

ननदरपमसत यदविभाति ' इति शरत । भननदसवरपतवादवा

कमनविगरहा , छङितारपपयथ ॥ ॐ कञनविगरहाय नम ॥

कमादिसताकषिणी । कम आदिरयषा तानि कमीदीनि

उवासनायोगशरवणममननिदिधयासनानि । तषा साकषिणी अ-

सबनधी दरषटः ‹ साकषी चता" इति शरत । अथवा कम

दय साकषिभता जीवनिषठा तदनाशनयतया आतमदशचन साधनानि सखजयमानजगदपादानभतानि यसया सा तथा ॥

ॐ कमीदिसाकषिणय नमः ॥

कारयितरी कारयिततव नाम करविलयाजञापयितपव जाय

मानकायगोचरङतयतपनतिहतकरमोदरोधकसवरपङिङरोद‌तजय परययाना धम विधिनिषठभावनतयचयत । तषा शाबदा पमकतया जडाना तथातवासभवाततदधिषठानचतनयरपतया

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ककितातरिशचतीभाषयम‌ । १७५

‹ सरव वदा यतरक भवनति ' इति शरतया वदसयासमाभदन सख

परकाशकतया अथपरकाशनदवारा परामाणयविधीनामपि वदक

दशतया पररणरपतवात‌ तदधिषठानचतनयातमनाकारयतीति तथा, ' एष हयव साध कम कारयति ` इति शरत ॥ ॐ

कारयितय नम ॥

कमफखपरदा । कताना करमणा काठानतरभाविफङपर-

दन अदषट कारणमिलयनीशवरमी मासकादिमतम , तनन ।

जडाना सकषमाणामदषटाना चततनधरमकमफलपरदानसामथयौ

योगात‌ कताना कमणा फलावहयभाव ' कमौधयकष › इति

शरत , ‹ मयव विदितानहितान‌ ' इति समतशच, “फङमत उप

पतत › इति नयायाचच परदवता करमफलपदा ॥ ॐ कम

फलपरदाय नम ॥

एकाररपा चकाकषरथकानकाकचराककतिः ।

एतततदितयनिरदहया चकाननदचिद‌ाकरनि'।

एकाररपा । एकार रप मनतरहवितीयावयवसनञापक

यसया सा तथा ॥ ॐ एकाररपाय नम ॥

एकाकषरी । एक सखयम‌ इशवरोपाधितवन । न चरति

आतमजञानन विनाञकत न नशयतीति अकषर कटसथशबदवाचय

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१७६ कङितािशचतीभाषयम‌ ।

माया । तसमरतिभिमबनिषएठसबजञतवादयाधायकविशषणसवन अ

सथा भसतीति एकाकषरी । एकम‌ अकषर सवपरकतिपवापपरा-

परबरहमपरतीकतया तदपासनया तदमयगरापनिसाधनतनन शबद‌

बरहमरपरकषितरकषकशचबद‌ परणव असया असतीति बा।

एक अखणडकशचत-यरप अकषर अनशवर अबिनाशची परमशवर अधशारीरतवन असयामसतीति वा । एकानयकष

राणि मायाबीजादीनि तदपासनापरतीकतवन असया सनती

तिवा। "अथ परा यया तदकषरमधिगमयत इति शत

अखणडाकारटततिपरतिफङनयोगयचतनयरपतया तदरततिनयामि

मातरण अशषरपदलकषय चतनय विषयता सबनधन असया असतीति

एकाकषरी । चकार निगणनरकषणोऽपि सगणतरहमविशषणसदधा

बससशचयपर सवललापि दरषटवय । ' सचचिनमय शिव सा

कषाततसयाननदमयी शिवा ' इति वचनन, ‹ सीरपा चिनत

यदवी परपामथवशवरी । अथवा निषक धयायतसचिदान

नदविगरहाम‌ ` इति समया चः पव खजी सव पमान‌ इति शचताशचतरोपनिषदि उपाधिङतनानारपसभवोकतशच । अत

एव ‹ सय दवतकषत ' इतयादौ ' तसतय स आतमा ? इतयनत च शतौ सीरिङगानतदवतादिपदाना तससपयभिति नपसका- नतसय स आतमति पहिङगसमशचबदसय एकारथषवम‌ भविवशषि

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किताचरकचतीमाषयम‌ । १७७

तापाधिमततया तसवपदरकषयाथसयकपवात‌ । तसमान‌ ततव

पदलकषयारथ सरवऽपि गणा बणिद सभवनतीति इय

गरीवण असया तरिसतया बहव चकारा उपातता । तन

वय सरवषा सवनन न पारथकयन परयोजनानतर पशयाम ॥

ॐ एकाकषय नम, ॥

एकानकाकषराकति । एकम‌ ईनधरभतिबिमबोपाधितया छ

दइसनवपरधानम‌ अकषरमजञानम‌ । भनकानि मङिनिसतवपरधान

तया जीवोपाधिभतानयकषराणि अशञानानि, (माया चाविधा च सवयमव भवति इति शरत । एक चानकानि च एकानकानि

तानि च अकषराणि च तानि तथा माया त परछतिम‌ ` इति

शरत । तषवाछतय परतिनिमबानयवनछिननानि वा चतनयानि घटसथोदकावनिछिननपरतिनिमबिताकाकषवदयसया सा तथा |

अथवा एकानि च परणवादयानि अनकानि च अकारादि

कषकारानतानि अकषराणि बणौ आकति सवरप यसया

सा, मावकासवहपपवन वा। ' अकारादिकषकारानता मा

तकलयभिधीयत ` इति वचनात‌ ' अथवा एच कशच एकार-

ककारौ तौ चतराणयनकाकषराणि च सरव भितवा पशथचद‌

शबणौतमिका मरतरिधा आछति सवरप यसया सा । साधि

तया एकीभता अनकाकषरष अनकाशनष आछति सवरप

8 ए + 12

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१७८ किताचरिशचतीमाषयम‌ ।

शोधिततततवपदाथसामरसयातमक यमया सा तथा ॥ ॐ

एकानकाकषराङकतय नम ॥

एतततदितयनिरदशया । एतत‌ एततकाङऽपि हयततापरिचछ-

दवसत तत‌ परोकषमनिशचितसवरपम‌ । एतशच तशच एतततत‌ ।

इतिकरार इतथभववतीयारथ । तथा च एतसवतचवाभयामि

तयथ । एतनतदितयनन निरदट निवकह योगया निरदकया सान भवतीति अनिरदशया । रोक सविशषो हि पवाय

परोकषसापरोशचसवादिधमनिषषण तदरतन निवकत शकय । कबदभदततिनिमिततलातिशणकरियाषषठयथीना यनन सबनधो नासति, ` अशचबदमसपकमरपमनययम‌ ', ‹ निशण निषक

छम‌ ' इतयादिशरतया, तादगबसत कन करणन कन वा वचनन

निरदषट शकयम‌ । ‹ यदधाचानभयदितम‌ ' इति शयत । अत

एतततदितयनिरदशया वाखमनसातीततयथ । अथवा, एतत‌ परसयकषादिपरमाणससिदध कारय पशचादभावि । तत‌ परोकषतवादि-

विशिषट परवकारसभनधि वयवहित कारणमचयत । इति- छबद उभयतर सबनधनीय । कायमिति कारणमितयपि

छदधगतनयरपा अनिरदशया, कायतवकारणसवषटकोपाधिवि- रहिततवन कायकारणभावाभाव तदवाचकरानदविषयीकरमशष- कतवात‌ । अथवा, एतत‌ अपरोकषतया अहमिति परती

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रङितातिशचतीभाषयम‌ । १७९

यमान जीवशतनय पवपदवाचयाथ । तत‌ परोकषतया परती

यमानमीशवरवतनय ततपदवाचयाथ । इति शबद एष काराथ । तथा च वादिभिदसिदधानत अनदित । सा खयमत परकतिजगतकररी, जीवो नानाचतन भोकता इतयत

दवर एव नासतीतयजखीशतम‌ । भागवतमत त ‹ गणी

खववित‌* इति शरत निपयगणविशिषटातत‌ परमशवरादधिषणो

जीवानाभतपततिषिनाशषवनतवन अनितयतवात‌ स एव भगवान‌

पारमारथिक एक इयजगीङतम‌ । तदभयवादिसिदधानत

सय ओपनिषदमत निरसततवात‌ तदभयविधया अनिद धया । परमाथसचिदाननदशपतया छानद‌ागयगतदवता

शबदाथसय परतिपादनादिति भाव । अथवा, तटसथ रवादिकाणादादिसिदधानतवत‌ वयवसितभदवसनीवशवरङ

पतया अनिरदकया । मदवयवसथाया एव साधितमश- कयपवादिति एतततदिपयनिरदशया ॥ ॐ पतततदितयनिद-

शयाय नम ॥

एकाननदचिदाछति । एका मखया मोभनरपतवन परापि

ससिता । आननद सखम‌ । चिन‌ चतनय परकादाजञानम ।

आननदशचासौ चिशच आननदचित‌ एका चासावाननदचिशच

एकाननदचित‌ आति सवरप यसया सा ¦ सदाननद

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१८० कषितावरिशचतीभाषयम‌ ।

बरहमरपरकषणवतीपयथ । ‹ विजञानमाननद बरहम ' ‹ आननदो

जशचति वयजानात ' इति शरत ‹ आननदादय परधानसय ' इति

नयायाचच दीपरिसवरपपरकाशातमकपर माननदसवरपसय जीव

नयकसयवसथाया परमापमजञानवन‌ परषानभवरपपरतयकचपरमा

णगोचरपवमसया इति वा तथा । अथवा, एकषा आनभा

विकाना योगिनामाननदसाकषातकाररपा आचरति निरावर

णपरकाशचरपा यसया सा तथा । अथवा, आननद शिवा,

चित‌ परमशवर , एक मतिभदरषित आननदचितौ आङकति

यसया सरा तथ। ॥ ॐ एकाननदविद‌ाछतय नम, ॥

एवमिदयागमाबोभ*या चक मकतिमदरजचिता ।

एकागरचिनतनिधयाता चषणारहिताडता ॥

एवभितयागमाबोधया । नन आननदकषबदसय छकषणया

आननदमयो वानय । 'य एफ जाटवानीशचत इशनीभि "

इति शरपयकतकपवमपि जीव सिधयति । तथा च एकशचासा वाननदशच तसय चिन‌ अधिषठानभकाशकनचतनयमाङति यमया सति विगरह सभवति । ' बरहम पनछ परतिषठा” इति तसरका शकचतनयसय पनछशबदन परामकशौत‌ । एव च सति परका शकनितयतवसय भरकाइयनितयसवापकषतवात‌ । ‹ सतय जञानम-

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कलितातिशचतीभाषयम‌ । १८१

ननत बरहम " इतयादिनरहमसरपरकषणवाकयषच वाचयाथपराधा

नयन विधिमखनव बरहमपरतिपादन अतगयाततिरपनिषधम

खन ककषणाथपराघानयन बरहमखरपरकषणमरतिपादनायोगन

तसतवमसिवाकय वशिषटय वाकयारथ सभवतीति चतत‌ , नतया-

ह--एवमितयागमावोधयति । एवविशिषटतया-~ इति परपयकष

सिदधतवन आगमरवद जञापनीया न भवति । अननद

बदसयाननदमानरवाचकसय तसपरचर समावितषह ख जीव

छकषणाया तरयो दोषा । पारमाथिकभिननसतताकवसतव

नतगाभावन ततवपदवाचयारथनिषठविहोषणदधयसय अनयोनय

निरोधवततया तम परकादावदशिषटयायोग अखणडारथो वा कयाथ सपशत । तथा च खरपलकषणवाकयष वाचयाथसय

‹ अतोऽनयदातम‌ ' इति शरया मिशयातवभरतिपादनात‌ निषध

मखनव अतदयावततिसवरपभरति पादनन छकषणवाकयानि सम

लसानि भव तीति माच ॥ ॐ एवमितयागमाबोधयाय

नम ॥

एकभकतिमदचिता । एकसमिननमद जीवनरहमणो भकति

भजनीयतवनदधि तपपरिजिजञासा यषा सनति, तरचिता

पजिता इतयतदपलकषण सतता भयाता नमनकतपयवमादी

नाम‌ , ' यनमनसा धयायति तदधाचा बदति ततकमणा कराति '

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१८२ रङितातरिशचतीमाषयम‌ ।

इति भत मानसिकवयापारपवकानि दहि इतरनदरिय

करमाणि भवनतीपयभिपराय । अथवा, असमिन‌ सकषारमणडर

तससवरपपरिशचातार य कचन, तषा भजनीयसवाभयवसायो

भकति तदकभवणता सशणनरकमविषया अषटविधा, तरकभ किमदभिरचिता अनतयौगवहियौगमदायागभरकार पजिता

ईइपयथ ।॥ ॐ एकमकतिमदविताय नप ॥

एकागरचिततनिधयौता । एकम‌ कयहपम‌ अगरम‌ आ कमबन विषय विजातीयभरतय यततिरसकारपरवकसजातीयतति

कामि निरनतरवयापरिविषयीकतचतनय यसय तततादश चि

तमनत करण यषा त । यमनियमासनपराणायामरसयाहा

रधारणाधयानसमाधीना परिपाकातिकषयन पशचातसपदयमाना समरजञातसमाध तरिविधा भमिका-- ऋतभरा, परजञालोका, शषानतवाता चति । उत यथाभत सिदाननदलकषण नकष भरति वततितयापतया विषयीकरोतीति परथमा तथा, “ आतमनयव बश नयत‌ ' इति भगवहचनात‌ । परजञालोकः । अनञाया अखणडाकारदततौ नितयनिरनतराभयासन परिपाक नीताया बरहमविषयिणया आवरणाभिभव करबनसया सतयाम‌ , “रजञा परतिषठाः इतयादिरत , परजञाया बरहमसरपाया आरोक अभिगयकति साकषातकार यसथा सपदयत सा का

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ककिततरिशचतीभाषयम‌ । १८३

रणविकञानम‌ । यसमिनविजञात सवमिव‌ विजञात भवतीवयक

विजञानन सरवविजञानरपम‌ । परारमधवकषाततदा चितत तदधय स सवजगदरषटमिचछति यदि, तदानी चत"यपरकाशनव परकाशित जगतखापरपदाथवदशष भासत । इद च भरदवाजा

दीनामसतीति पराणादिपरमाणवयमसमाकम‌ । तथा च तसया

भमिकाया निरदधसामभय सदनत करण साकारसवरप नि वासन यदा नदयति, तदा पररानतबाषिता भवति | बह

परवाह सततघरतति धारा असय असतीति बाहयी, वादिनो

भाव वाहिता परशानता च सरा वाहिता च मकषानतवाहिता।

अथना, परानत बाह असय असतीति परदानतवाही।

परशानतवाहिनो भाव परशानतवाहिता, ' मनसो बततिशलयमय

बरहमाकारतया सथिति । असपरजञालनामति समाधिरथोगिना

परिय ` इति वचनात‌, ' परशचानतमनसर कचनम ` इति भगव

दरचनात‌, " परभवयपरजाऽनिरख समतथित पशचतमक याग

गण परवतत । न तसय रागो न जरा न मतय परापरसय

योगाभिमय शञरीरम‌ ' इति शरलया उकतलभरणसाधन परिपाकव

शादभवति । तरमिभयौता, धयानसय निगततवात‌ । भदासपतौ

धयानविषयो न भवति धयात सवरपमव परकाशत, । बरहम

वद बरहव भवति ' इति शरत । निभयाता इति पाठ नितरा

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१८४ रशितातरिशचतीभाषयम‌ ।

शरवणमनननिदिधयासनन साकषातकता इतयथ ॥ ॐ एका

गरचिततनिधयीताय नम ॥

एषणारहितादता । एषणा इचछा । मा तरिविधा । एत

छलोकजयाय पतरषणा । पिवरोकजयसाधनकमखपादनाय

विततषणा । उपासनादिना जयसाधन दवलोक , तसमिनन

षणा लोकषणा । आभि रहित अनाषषटचितत, पत ह

सम पतरषणायाशच विततषणायाशच ोकषणायाशच वयतथायाथ भिकषाचरय चरनति ' इति शरत । एषणारदिता य परमहस

परितराजका सनयासिन त आदरण अतिकषयपरमणा सवसव

रपण आदता अङगीकता निरनतरधयानन माकषाछता सती

मोकषरपतया परापतय ॥ ॐ एषणारहिताहताय नम ॥

एलासगनधिचिकरा चन कटविनािनी । एकयोगा चकरसा चकभवभपरदायिनी ॥ ७॥

एला यगनधिचिकरा । एखावदिति दषटा"तपरदकषन सौग

नधयमातरसदभावमरदशननाकलपितदिवयपरिमलसदवाव दहत ,

न त पराछरतसवद‌ जनपरम‌ , बरहमण सवाधीनमायतवात‌ । वदर

सयगनध शति साजायमालन वयञयत, गणमातरादानन

सवतर पदाथनगरसय हषटानतीकरणात‌ । सगनधा यषा

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ऊरितातरिशचतीमाषयम‌ । १८५

सनतीति सगनधिन तादशा विङकरा कनता यसया सा तथा । सवभावसिदधदिवयपरिमरशाङिसवोङगसौरभय वती, विकररपदसय उपलङकषणतवादिति भाव ॥ ॐ षा

सगनधिचिङकराय नम ॥

एन कटविनाशिनी । एनसा पापना कट समदाय ।

आगाभिसचितपरारबधमदन समषिरपण ढतर तनततवजञा

नन विना अनयसय भोगमातरसय तदधिनाकषकतवावगमात‌

तषा च कसपकोटिकाङ करमिकभोगपरदान विनोपायानत

रण कषयपसनामापमनरहमामदजञानविषयतया चतनय नाङय तीति तथा । एवविदि पाप कम न करिषयत, " अकषरीर वाव सनत परियापरिय न सपशत ' इतयाविशचत ;, “अह तवा सवपापभयो मोकषयिषयामि ` इति समतशच । अथवा

णनासि च ततकारणीभत कट कपटवचनाभिधन च त

तकारण माया च नाशचयतीति तथा ॥ ॐ एन कटविना

शिनय नम ॥

णकभोगा । एकन कामशवरण साक मोग भकति । भोग सखसखरपाननदानभव यमया सा तथा | अथवा, एकसय अ-

जञानततकायसय कायकारणरपण अभिननसय तदधिषठानतया

सवसतताधायकमवन भोग परिपालन यमया सा। परपचचो

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१८६ रकितातरिञचतीभाषयम‌ ।

तपतनिसथितिनाकचहतमायोपाथिकचतनयमिलथ । ‹ एकाकी न रमत वत पदिशच पननीशाभवताम‌! इति परषविधनराकयणवच

नात‌ , दपतयोरचछिकभदकतवावगमन परमाथत एततसवरप

सथकचतनयरपतावगमात‌ , तदभयभोगसयापि एकभोगतवात‌

तदवतीति वा ॥ ॐ एकभोगाय नम ॥

एकरसा । एक अभिनन रस सामरसय यसया सा,

* रस दवाय छरधवाननदी मवति ' इति शरत । एक नव रसघर अरय शङगाररस यसया सा तथा । अथवा, एकन परमशवरण असया करियमाण परीयतिहायशरप रस एतद

सयक यदया सा। अथवा णकसमिकनव सवभरतरि रम

निरतिशयभरीति अलरागमजञा यसया सा । अथवा, षडसष

सखय मधरररस परियतवन यसया सा, सततवगणपरधान

मायापाधिकचतनयखरपतवात । \ रसया सिगधा सथिरा हदया आहारा साहतविकशरिया इति भगवदवचनात‌ ॥ ॐॐ

एकरसाय नमः ॥

एकशचरयपरदायिनी । इषट परयति अनतयौमितवन सवा णीति हर । "य सरवष भत तिषठनय सरवाणि भता नयनतरो यमयति" इति शरत । तसमयमाणाना जीवाना

भतकषचदवाचयाना अजञानततकारयानत करणोपदहितपरतिबिमब

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कङितातरिकषतीभाषयम‌ । १८५७

चतनयरपाणा जादायवसथाभिमानिना अखणडनहयसाशचा तकारबखायाम‌ अभदान भवात‌ , ‹ तततवमसि › इति शचतशच ‹ ए

कमवादवितीयम‌ ' इति विशषिततवाचच, एकशचासावीशवरच ए कशवर तसय भाव तदकय तन‌ परददातीति तथा। बहष वि याधनवलस तषवको विदयाधनवानिपयकत तननयजननिषटविदा भव तदतिशयपरतीतिवन‌ एक च निरतिशयमणिमादिकमश

यनिमरयस परददातीति वा। यदवा एक मानष सरवोतकषट

सावभौमतवादिङशचणमभयदयसामानयनरय परददातीति वा

तथा ॥ ॐ एशवयपरदायिनय नम ॥

एकानपवसाभराजयपरदा चकाननपजिना ।

एधमानपरमा चजदनकजगदीभवरी ॥ ८ ॥

एकातपनरसासराजयपरद‌ । आतपात आ समनतान‌ अधया

समाधिदवताधिभतानि आ शबदारथ । तमया जाता तापा

आतपा । तपनति शाषयनतीति तपा, आतपभय तरायति

रकषतीति आतपतर सवससारद खोपशचमारमकमातमजञानम‌ । ‹ यजजञातवा न पनरमोहिमव यसमि इति भगवदरवनान‌ ।

अखिलद खनिदानाजञाननिवतक एकर लकषणया अभिनननरहम

विषयकमिलयथ । एक च तत‌ आतपतर च अखणडाकार

जञानम‌ , तन जायमान यतसानराजय समराजो भाव सरवोततम

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१८८ कङितननिशतीभाषयम‌ ।

तव तसददातीति । अथवा, एकातपननसासनाजय चकरवतितव

तसपरददातीनि वा ॥ ॐ एकातपतरसाञनाजयपदाय नम ॥

एकानतपजिता । एकसय अदवितीयसय शोधिततवपदाथ- सय अनत उपाधौ हदि परिचछदकतवात‌ पजिता अहमितय

परोकषीकता, ‹ यतसाशचावपरोकषादभहय ` इति शरत । एकसय

बरहमण अनत उप पजिता षद‌ गलयवसानाथयोरिति धातपा- ठात‌ उपनिषदभयमाचरतया पयवसयतीतयथ । एकानतपजि तति नाशनोपनिषदियथ । अथवा, एकानत ‹ गहानिवाता शरयण परयोजयत‌ ' इति शरत एकानतसथख धयानादिना योगिभिविषयीकततयथ । अथवा, कामशवरण एकानत खी किङग पजिता । सपरदायभवततयथमादौ ईशवरण बहियारार मण आदिमसाधनन सगोकाठ पजादिना सतोषिततवात‌

भतारथनयपदश । एकानत सवपरविापनसमय पजिता धयानादिना मपादिता साकनककतयथ । ¦ कथिदधीर भलय- गापमानमकनदावततचकषरमततवभिचछन‌ ' इति शरतरिति वा ॥

ॐ एकानतपणिताय मम. ॥ एधमानपरभा । एधमाना विवधमाना सवतिकषायिनी परभा

कानतियभया सा, ! तमव भानतमनभाति सरव तसय भासा £ ५ # सवभिद‌ निभानि › इति शरत । ॐ एधमानपरभाय नमः॥

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लितािशचतीभाषयम‌ । १८९

एजदनकजगदीशचरी । एजनति कमपमानानि वचषटमाना

नि पराणवनति जीवनति अनकानि नानोपाधिकानि जगनति

जङगमानि विचरसराणिन इलयथ । ईषट पररयतीति दशवरी ।

सथावराभा सखद खपरापनिपरिहारोपायानभिकषतवऽपि सवजी

वनहतमतोदकपानादिपरवततिददोनाचषटावतव ततरापयसतीति जगचछबदो नििशषपरपजचमातरपरो वकतवय , अनयथा (सरव

भतष ' इति शरतौ चरपराणिसानरपरपव सको चपतत । अस ति विराध सामानयवाचकसय शबदसय विरोषरकचणाजगीका

रसय नयागयतवात‌ । अनयथा बरहमण परपशचमातरोरपनयादिह

तसन सङकचित भवत‌ । अत एव आकर एजतपद डपाततम‌ ।

यथाकथित करियाशरयतवन पराणवनतवमातरसय समषटिहिर णयग मशरयमन सरवषा परियतव सभवतीति भाव ॥ ॐ एज

दनकजगदीशवय नम, ॥

णकवीरादिससवया चकपराभवशालिनी ।

ककाररपा चरिचरी चपसिताथपदायिनी ॥ ९॥

एकवीरादिससवया । एक अनितरसराधारण बीर

परचयौदिना कतमनतरदवतासाकषातकारङनध परषाथ पमान‌

विजयपरापराभयदयशषारी । राजराजनिषठवयगामभीयोदिथण

वतवन तनतदवतोपासका परषा वीरा इतयचयनत । यासा

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१९० करङितातरिशतीमाषयम‌ ।

दाकतीनामादयो यषा पराणिकोटीना ता एकवीरादय तसा

कदभब सरसजया ससवित योगया । यदा इरी मकतान-

बगरहधाति सशणविगरहवती सयात‌ तदा अनकपरिवारदवताप

रिसविता मनतदवतावनोपासनीययथ । अथवा, एकवीरा

रणका, तददय शकतय शइयामररखा › ताभिसततकाठ-

परपचच सवसवपीठ सथिता सल उपासकानामभीषटटवरपरदा-

यो शयनत । ता असया परिसवकपवन सवयमभीषटवर

कामा इतयसया शरताया महिमातिशचयोकति ॥ ॐ एक-

वीरादिससवयाय नभः ॥

एकपराभवकषाकिनी । परभोभोव परामव रकषकतव एक- मनितरसाधारण च ततमाभव च तचछारक इति तथा ]

अथवा, भरामवसय सापकषकधमतवादकपदसय चाननयगामितवा

थसय सामानाधिकरणयन सवारसयन पयालोनयमनन भय

मरथ सनयत । परामव च नियसयरोकोदधव विना अलपपदय

मान तदनततततकायमथौपनतया सिधयति । तथा च वटबीजव

सतवनतमतपशचादभाविकायवकटसथचतनयमिति माव । अथवा,

पराभव नामशवरतव वदाकदपतनियमयजगशचोपडङकषणविधया य

सयकसयाखणडचतनयसय तवकपरामवम‌ । ‹ पादोऽख सवो भ तानि” ‹ एकान सथितो जगत‌ ' इति शरतिसमतिभय भतपव

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कशितातरिशतीभषयम‌ । १९१

गलया पराभवोपलकषितमक सशचिचतनयरप शाकत आविषकरो

ति तथा । अथवा एक च तत‌ पराभव च एकपराभव यखय

सावभौमतवमिति यावत‌ । परभपवपरपराया सविकषाया क मचिन‌ पयवसानावहयभाव ‹ एष सरवशचर एष भताधिप- तिरष भतपार ` इति शरया अनतयौभितया साकषात पयरपादकतवयकया च इतरवागादयवयवपररणातिङयाना प

यौपिरववसतीलयमिधराय । तथा च निरङकशसववनरज गतकारणतवरपतरसथलकषणङकषि तवदानतसमनवयविषयीभता

अखणडसधिदाननदसवरपा परदवता अवदय सवसवरपभव

भयातनयति निषछषटाथ ॥ ॐ एकमामवशारिनय नम, ॥

षकाररपा । इकार रप ततीयावयव यदवाचकमनतरसय

यसथा सा तथा ॥ ॐ ईफाररपाय नम. ॥

दशितरी । इचछति इठ इति इशितरी सवपररिका इयय ॥

ॐ हकगिषय नमः ॥

ईपसिताथपरदायिनी । अधयनत पराधयनत इलयथौ अभय ५ गन विषयी दयनि शरयसरपा , आपर गनत शा

१ १

ईपसिता , त च त अथौशचति कमघारय , ईपसिताथौन‌

भरददावीति तथा । कवखकभणामदषटदवारा काछानतरभावि

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१९२ करितातिशचतीमाभयम‌ ।

फलदावतवमचतनघवाननापपदयत । तादशाना कसमननपयरय

खामरथयादशचनात‌ । चतनाधिषठिताना त कमणा शरयक तपराकरमादिवषटराजवततदाराधितपरमशवर करमाधयकष , इति

या सरजसय तततदधिकारिकतपणयापणयारपतया फल

परदान समरथसय सनतवकरपन तदनयसय चतनसय जीवादसततर

सामथयविरहात‌ स एव तततदनगणविषयचछोतपादनन

ततसाधनानषठापयिता सन‌ ततफङकामना परयतीयनीख

रमीमासकमतनिरासो दरषटवय । अथवा, इदपसिता जिजञा

सिता, तथा च सवसवरपमरतिपादकवदानतशरवणमनननिदि

भयासचनविषयीदता सती अरथभाथवमान सवौभयरदितमो षरप परषारथ परददातीति तथा ॥ ॐ इईपसिताथषदा

यिनय नम ॥

इह गिलयविनिरददया चशवरतवविधायिनी । इशानादिबरहममयी चदितवादयषटसिदधिदा ॥

ईटगिलविनिरदशया । इहक‌ एतदककषणङशचित एतादश परिमाण एवसवरप एतादशचधरमवानिति परयकषसिदधारथो विनिरदष शकयत । ‹ यशचचषा न पशयति ' इयादिशरया सरवनदरियगोचरतवनिराकरणात‌ विनिरदशया न भवति । ओौ

पनिषदाना मत त इपनिषदा बदकदशषपवन इतरपरमाणा

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ररलितनतरिशतीमाषयम‌ । १९३

नपशचतया अजञाताथजञापकतवन परामाणयसररीछतम‌ । इद

मष एतादगबति भरयकषसिदधाथकञापन तासामयवादकपवन कि क, क ॥

सापकषतवरपमपरामाणय परसजयतलयभिपराय । ॐ ईटि

लयषिनिरदयाय नम ॥

हशवरपवविधायिनी । ईशवरसय भाव तशयकय विदधाति, भावरणविकषपञकतिमदजञाननिवततकाखणडाकारचतनयसवरपा

खती भदबदधिमातरसपादितशवरयकयायोगशचम निवयती यथ , ‹ सवन रपणाभिनिषपदयत ' इति शरत । अथवा, हशवरटय नाम नानादशविदयाधनोतकषीदिमनतव तनतसराणिनि कायपणयभरारधानसारण करमफ परयचछतीति वा । ॐ

हवरतवविधायिनय नमः ॥ दशाना दिनरहममयी । ईशानतःपपरषाघोरवामदवसदयोजाता-

खयानि पशच बरहमाणि, तानि मय सवरपमसया असतीति सा

तया । अथवा, ईञचान आदिरयषा त तथा अधिकारिपरपा

विषणतरहयनदरादय , तषामपि तततननामरपविशिषटानाम‌ अब

दविमताम‌ अनतरयामिखरपण बदधिपररकसशिदाननदसवरप- परनरहमाननदभरकाशातमना सफरतीति तथा । ॐ ईशानादि

बरहममय नमः ॥ दशितवाथषटलिदधिदा । दशितवमादिरयोखा तासतथा । (अ

8 छ शपा 15

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१९४ कङितातरिशचतीभाषयम‌ ।

णिमा महिमा रषवी गरिमा भरापरिरीशिता । पराकासय च

वरितव च यतर कामा परागता ` इति वचनात‌ । ता

सिदधीरषटौ ददातीति तथा । अणिमा कषणमातरण असिस

कमभाव । महिमा महतो भाव । ठषवी छाघव । गरिमा

शरोभौव , जडतरपवतादिवत‌ भारवकषनाभरकमपितवभिलय

थ | कषणमातरण विराडाङतिमनव परापि । हसतन चनदर

मणडङादिसपश शशिता, इनदरादीनामपि पररकता । परा-

कामय अपरतिहतकामनावनतवम‌ , वाङनछिताथफलपरापरिरिलथ ।

वशितव सथलोकवकषीकरणमामरथयम । यतर कामा परा-

गता , कामयनत इति कामा तिषया यतर यसमिन‌ रएशवय

सति परागता बहिभता भवनति, विषयाणामनभवाभाव

ऽपि तललनयसखवततत आपतकामतवमिलयथ । एता अषट

सिदधय । ॐ हरितवाचषटसिदधिढाय नम ॥

हकिनरीकषणखटाणडकोटिरीभवरवलहभा । * इाडिता चभवराधोडशारीरशचाधिदवता ॥

ईषिघरी । उदासीनदरषरी साकषिणी असगोदासीनजञानसव-

रपयथ › ‹ साकषी चता” इति शरत, ८ आति सनिदहित गहायाम‌ ' इति शरत । ॐ शकषिशय नम ॥

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छकिततरिशचतीभाषयम‌ | १९५

ईशचणखषटाणडकोटदि । अणडाना बरहमाणडाना कोटय

असखयाता , भतमा निकारमदन बहवचन कोरिशषबदसयः अनादितवात‌ ससारमणडढसय, ईकषणन भाविकायौलोचनन

खषटा अणडकोटयो यया सातथा, (तदकषत वहसयामर जाययति ' ‹ स दकषाचकरः ' आतमा बा इदमकममर आ

सीत‌ नानयरकिचन मिषत‌ स इकषत रोकाञर खजा इति स

इमीकानदजत ' इलयादिशत , बाहयकारणमनपकषय उण

नाभयादिदषटानतपरदशनन चतनसयाभिनननिभिततोपादानभर-

दनयकत, " भरङतिशच परसिजञादषटानतानपरोधात‌ ' इतयद-

शति भाव । ॐ इकषणखषटाणडकोटय नम ॥

शधरवहलभा । ईशवर कामशवर बहणभम पति यसया

सा तथा | दशवराणा बरहमविषणरदरादीना तनतशरिषठमहिमो

तकभरपण परीलयतिायविषयतमन अभयरहितिदयरथो वा । ॐ

ईरवदधभाय नमः ॥ ईडिता । इड सतताविति धातपाठातत‌ सततिभि बिषयी

कता, वदानतरिति शष › ‹ एष नितयो महिमा बराकषणसय '

इतयादिशत । ॐ हडिताय नम ॥ दरारधाङगकशचरीरा । ईनधरसय सशिद‌ाननद‌ासकसय शिव

सय अरघ च तत‌ अङग च अधोौजगम‌ । आननदसवरपता शरीरः

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१९६ कङिताविकषतीमाषयम‌ ।

शरीरवससवरपलकषण यदया सा तथा । ‹ सञिनमय शिव

साकषाततसयान-दमयी शिवा ' इति समत । अथवा, ङशवर-

सयाधोजग वामभाग शारीर मरतियसया सा । अथवा, ईशवरसय हकारसय अधोजग शकतिवीज शरीर मनतरासमिका मरतियसया

सा तथा । ॐ ईवराधाकशासीराय नम ॥

इशाधिदवता । इरासयपयपठकषण जीवसयापि, दशसय ४५ प {१ ॥

ततयदबाचयारथसय मायोपाधिकसय विशिषटसय अधि उपरि

बिशषणदभयसय परिलयाग दवतता दयोतमाना दटसथविनमातरलो-

धिवतसवपदारथरपयथ । अथवा, इच कामशवर भि

दवता पजया यसया सा तथा । परमपतिननतयथ ॥ हम‌ ॐ ईकञाधिदवताय नमः ॥

हशवरपरणकरी चकाताणडवसाकषिणी । हवरोतसङगनिरया चतिवाधाविनारिनी ॥

शवरपररणकरी । ईशवरसय बिमबचतनयसय सवरपा सती जगतसजनादिकायपररयिशरी पररणकरी आजञापकदरथ । इरछानञानकरियाशकटयावरणविकषपकाकतिपरतिफङितचिषसवरपा

माविकायोनककटपरारनधाधयकषपरमशवरकषणनामधयपरकाकासमि

का भवतीति भाव । ईरपररण तदाजञामनलकनन क-

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लशतातरिचतीमाषयम‌ । १९७

रोतीति वा, तदीयभारयासवन नितरा तदधशयति यावत‌ ॥

ॐ हशवरभरणकरय नमः ॥ ईशताणडवसाशकषिणी । ईशसय ततपदवाचयाथसय ताणडव

नतनवदपरयननसपादय लीखामाचरमितयथ , जगतसजञनादिषपा

करिया चछनरपकभमतवसामानयात , तसय सशिणी अस

समगपरकाशचरपिणीपयथ , ‹ असगो न हि ससत इति शरत । अथवा, इशताणडवसय परमशवरनयनाखयाभिवयशजितचत ष

िकलोपदशमय साकषिणी । तदकतम-- “ नतनादधि परशछसय

चत षषटिकङाजनि › इति परदोषसतोनन हभताणडवनतनवणन

मतिसफटमिति नह छिलयत ॥ ॐ ईशताणडवसाकषिषय

नम ॥

शशवरोटसगनिखया । ईशर खय सवभ इतसग उर तौ निखय यसया सा तथा ॥ॐ इवरोतसगनिरयायि

नय. ॥

हतिवाधाविनाकषिनी । हतिबाधा दवादपदरव , शदर जनतपीडा वा, ता विनाशषयतीति तथा ॥। ॐ हतिबाधा गिनाशिनय नम ॥

इहाविर दिता चाराकतिरीषरसमितानना ।

खछषाररपा खलित छकषमीयाणीनिषषिता ।

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१९८ रकितािशचतीभाषयम‌ ।

दहाविरहिता । अपरापतपरापि परति इचछा इहा, तया

विरहिता, आपतकामतवात‌ तदविरहितलथ ॥ ॐ इहावि-

रहिताय नमः ॥ ईशशकति । दशमय शकति सबजञतवादिखरपसामरथय य-

सया सा तथा, ' दवापमकषकतिम‌ * इति शरत ॥ ॐ इशरकतय नम ॥

इषससमितानन। । इषत‌ समित मनदहास यसय तन‌ तथा,

ताहगानन यसया सा तथा, परयापरकामसन सरवदा परस

सखीयथ । द खासपरिपरमाननदरपततया वा तथा ॥ ॐ

ईषससमिताननाय नम ॥ छक।ररपा । रपयतत इति रप मनतरसय चतथबणतन

जञापक यसया सा तथा ॥ ॐ छकारसरपाय नम ॥

ककिता (छछित तरिष सनदरम इति वचनात‌ अ

लनतसौनदयवतीयथ । अनपमसौनदया बा ॥ ॐ ललछि

ताय नम ॥ खकषमीवाणीनिषविता । रकमी रमा सरवयशकति , वाणी

सरसवती सरवजञानकशषकति ; ताभया नितरा अङकतरिमपरमणा

अननयभता सती सविता । सवानाम उनमीङिताजञापरतीकषा, तदरसवादियथ ॥ ॐ लकषमीवाणीनिषविताय नम ॥

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सरितातिशतीभाषयम‌ । १९९

लाकिनी ललनाखरपा लसदाडिमपाटला ।

खखनतिकालसतफाला ललाटनयनािता ॥

छाकिनी । क सखम‌ , (क बरहम इति शरत, सनन

भवतीदयक बरकषभिननतया परतीयमान द खातमक जगत‌

भकम‌ , लीयत इति छम‌, उपठकषणमतपततयद , रमक

मसयासीति काकिनी , अनतजडद खरपजगतकार णतनयाव-

ततसवरपनरहमभता इयथ ॥ ॐ छाकिनय नम ॥

छछनारपा । रपयत जञापयत अननति रप जञापक तनया

पयलिङग चिहवमिति बा, ठलनाना सखीणा रप वष आभर

णादयङकारो वा आकतिवो यमया सा तथा, छना

सिय रपाणि भतय यसया सा तथा, "छिङगकितमिद

परय जगदतदधगाङकितम‌ ` इति पराणवचनान‌ ॥ ॐ छल

नारपाय नम ॥

रसदाडिमपाटला । दाडिमकञबदन विकसित वतपषप

कषयत, ठसत‌ सदया विकसनभरकाशच च तदाडिम च,

इद इपरकषण बनधकादीनाम‌ , तदठतपाटङा शचतमिशररकतवण परषानमिमतीलयथ , ‹ शवतरकत त पाटलम‌ इति वचनात‌ ।

ॐ छसहाडिमपाटलाय नम ॥

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२०० करितातरिशतीभाषयम‌ ।

कङनतिकाङसतफाला । कठानतिकया परित मकताफठ

खवचितनवरननमभयया रटाटमधयदशभषया, इदसपरकषण

छङाटपदादीनाम‌, कसत‌ फाठ यसया सा तथा।॥ ॐ

छटनतिकारसतफाराय नमः ॥

छङाटनयनाचिता । छलार नयन यषा त, अतन छटा

टशबदन भमभय छकतयत , नयनशबदन जञानमपि, तथा

चोधवदषटिमि सखचरीयदरथा विदटीनवितत असिवरणयो भयदशाभिधानाविदकतकतपरमशवराराधनपरपरषपरापयतवाभि

धायकातरिपरभोततरजाबाखशरतिगतयाजञवलकयोततरवाकयनिषि छटममिकाजयसिदधिमपपरष अधित साकषाचतयथ । अथ वा, वतीयनतरवता शिवन तसखरपदरवा पजितसयथ । ॐ रखाटनयनाविताय नम. ॥

लकषणोजजञवलदिवयादधी टकषकोखयणडनायिका।

रकषयाथा लकषणागमया छनधकामा खतातन ॥

छकषणोञञवलदिवयाङगी । दीपयत परकाकषत इति दिवय कषण सवरपतदसयनामक उञजवर शोभित शदधम‌ जङग सवरप विगरहो वा । धताकटिनयनयायन ‹ तदातमान सवय मङकरत ' इति शरत सचविदाननदधनीभतजीवापमको विघरह

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करितातनिशतीभाषयम‌ । २०१

यसया सा तथा । अथवा, सामदरिकशादलोकतदिवयरकषण

रजवरानि मपणौनि दिवयानि यानि अङगानयवयवा शिर

पाणयादय असया सनतीति वा तथा ॥ ॐ लकषणोऽजवल दिवयाङगय नमः ॥

ककषकोलयणडनायिका । ठकषानि च कोखयशच असया

तापरिमितानीयथ , ससारसयानादितवन भतमविषयदा दिभदन बहससयावनतवमणडानाम‌ , तानि च तानयणडानि च

दिरणयगमविराङपाणि समषटिवयषचासमना विशवतजलापा

धिभतानि, तषाम अधिषठानविमबयतनयारमना नयति सवस

ततामापादयतीति नायिका ॥ ॐ ककषकोखयणडनायिकाय

नम ।॥

लकषयाय । छऊकषणया सोधनया जहदजहदशषणया वी

परतिपादयत वदानतमदहावाकयाना योऽथ ततसवरपा । अथ

वा, योगशषाखनपरसिदधबदिरनतरषवौघ परदषविशषरपभमिका

स सवसवमनोवाञछाविषयविषषणतवन निगणतवन वा मना

विरयरपहटराजयोगादिसाधनपरि पाकवशन साकषाकछत च तनय ठकषय इतयचयत , अथवत याचयत शर परति इति अथ ,

रकषय योऽथ चिपसवहपपरमाननदशप सोऽपि सवति

वथा, ' बरहनदमगरत परसतादरहय पशचादभदच दकषिणतशचोतत

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२०२ कितातरिशतीभाषयस‌ ।

रण ' इति शरत ॥ ॐ लकषयाथय नम ॥

रकषणागमया । छकषणानाम शकयारथ वाचकसय पदसय

अनवयादयनपपतया ततसबनधिपदारथानतरजञानत शकय

सबनधादिपदजनयपदाथौनतरजञानदत शबदबततिरितयचयत ,

तसया वाचयवाचकततसबनधादि मदजञानपरविकाया परिचछि

जरसावयवपदाथसबनधजञानहतो कवलचिनमातर निरपाधि

क वसतनि षषठीजालयादीना लकयतावचछदकधमोणामभाव

भरवततययोगात‌ तया अगमया, गनत जञात योगय गमय तनन

भवतीदयगमया । वद‌ानतमत जहदजहहकषणया विदाषण-

मातरपरियागसय अनयानयतादातमयानपपनया बोधिततवात‌

तदथ सा अवशयमङगीकतवया । विकषोषयसय जञानसवरप

सवन नियतया रकषणाजनयतवात‌ तदरथ सा न अपकषयत

इति भाव । तथा च परकताया दवताया शछदधचत

नयमाननसवरपततया सवय परकारतन छकषणागोचरतवत

छकषणागमयतति नाम यकतमिति भाव ॥ ॐ लकषणा- गमयाय नम ॥

कबधकामा । छनधा कामयनत इति कामा रहिकाम-

षमिकञख साधनानि, छशचणया तततजनयसखानि वा

तथाभता कामा यया सा तथा पयौपरकामयथ ,

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रशितातरिशतीमाषयम‌ । २०३

‹ पयोपतकामसय छतातमनसत इदव सरव परविदीयनति कामा `

इति शरत ॥ ॐ रबधकामाय नम ॥

छतातन । छता इव छता कसपादिवहवय सकरपर-

षाथपरदपयन जगति परसिदधा , ता इव सङकमारतवादयाशरया

तन मति यदया सा तथा ॥ ॐ छतातनव नम ॥

रलछामराजदिका छसविसकताखनाशविना ।

लमबोदरपरसरभया रजाङया लकयवारजला ॥

रखामराजदकिका । ठडानना कसतरी तिककन कसतरी

पतरण वा राजत‌ विभराजत‌ परमकषाभि अलिक छखाद

यसया सा तथा ॥ ॐ ललामराजदचिकाय नम ॥

कमबियकतारताशचिता । छमबिनय छमबमाना अध

परसता सकताखता हारा मकताफलानि वा यसया सा

तथा । नघरननखचितसवणमकतायनछ सबोङकष परङसब

मान छलादटपयनत ठमबमानकिरीटपरथममागङछाटपषटरना-

सापरताटङकाध कणदशकणठपरदशहसत चतषटयाङगवसमानपरदश-

कपौसपरित पदकागरदशकटिनिबदधकाङनयादिषर परिलमबमा

नरियथ ॥ ॐ छमबिधकतारताभिताय नम ॥

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२०४ कङिताजनिशचतीमाषयम‌ ।

छमबोदररस । छमबोदरसय महागणशचसय परस जन-

चितती मातिलयथ । छमबोदर परसत इति वा ॥ ॐ रमबो- दरपसव नम ॥

कभया ¡ ससारदशचायामावारकानञानन सफटमपरकाकषमा-

ना सती शरवणादिससछतानत करणबततानखणडाकारजञानभ-

भिकाया परतिफङितसवरपण विसयतकरणठगतकनकभषणवत‌

पापरधापनिरपतया खबध योगयति तथा ॥ ॐ रछभयाय

नम ॥

छञवाढया । छलनया, उपलकषणमनत करणधरमाणा सरव-

षाम‌, आलया तदनन आकारवतीयथ । तिरोधानादिना

अनतरहिता सती वरादि परयनछतीति छजादया भवतीति

च उपचयत ॥ ॐ छजाठयाय नम ॥

छयवरजिता । ‹ अविनाशची वा अरऽयमातमा अनचछि

ततिधमोौ ' इसयादिशचत , खयो विनाशच , तन रिता

वरजिततयथ । इवञपरकषण षडङमावविकराराणाम‌, सख

जञानमननत जहय ` इतयादिशचत ॥ ॐ छयवरजिताय नमः॥

हीकाररषा हीकारनिरया हीपषदपरिया ।

हौकारवीजा हीकारमनतरा शकारलकषणा ॥

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कलिताशरिशतीभाषयम‌ । २०५

हवीकाररपा । हवीकार पयत निशपयत निरदहयत इति

हप मनरपशचमावयव यसया सातथा । ॐ दकार

रपाय नम ॥

हीकारनिकया । दीमकषर निय गहवदवचछदक यसया

सा तथा । सवीयवाचकलनारोपितवाचयतावचछदकधमौव-

चछिननतादिसपादनन गहवरतिपरषवत‌ वयावनतसवरपण जञा

पक भवति । अनयथा, नामनो वाचयारथ परषरययोगादिति

भाव । ॐ हकारमिखयाय नमः ॥

हवी पदगपरिया । पदयत गसयत जञायत भनमति पदम‌, पदयत

गमयत परापयत इति वा पदम‌, हवीकारसय मनतरावयवततया

तदवताभरकाशलकसतमन तसया शकततवात‌-- ‹ शकत पदम‌ › इति

तदकशचणतवात‌ तथा परथम वयाखयानम‌ । हकाररफकारायसवारा

णा बणौना समषटिखरपण समदायातमकतवात‌ ° वणसमदाय

पदम' इलयपि पदरकच णवसतनमसय घटत । परशचयौवता सवदष

तासाकषातकारदयारा सकदपरषारथपरापकववात‌ दवितीयवयाखयान

तथा कतम‌ । तसमिन‌ परिया परीतिमतीयरथ ॥ ॐ दवीपदभि- याय नमः ॥

हीकारबीजा । हवीकार एव बीज सववाचकमनबभाग ,

‹ जञापक दवताना यत‌ बीजमकषरमचयत ' इति वचनात‌ ही-

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२०६ कङितातिशचतीभाषयम‌ ।

कारसय मायापरकाककलन, बटधानादि सवनिषठवरकषाभिनय

लकःतबन कारणतया यथा बीजमिपयचयत- सतकायवादिना-

मवयकतनामरपकारण बीजम‌ , अभिनयकतनामरपातमक पञचा

दावि कायमिलङगीकार , सकलकारणसमवधन विङषनाम-

रपवततया कारणसयाभिनयकतिरतपतति , तथा चोकतबीजसय

मायावनिदठननचतनयाभिवयलकमवनापि बरीजतवम‌, ताशच

दौकारवबीज यसया सा तथा ॥ ॐ हीकारबीजाय नम, ॥

हीकारमनतरा । हवीकारसय मननात‌ परायतत रकषति बासय-

वाचकयोरभदादिति तथा । इीकारघटितो मनतरो वा यसया

सरा इति वा तथा ॥ ॐ दवीकारमनतराय नमः ॥

हीकारछकषणा । हकार शव , आकाकबीजतवाद‌ाकाङ-

वशिरहप , रफ बदहिबीज कारयोतपादसनिदहितशचकतिमदी

रवाचकम , तथा च हकारयकतरफ शदधवतनयमव कारणतावनिननम- इति वदति । ईकार मनमथषीज

ततकारणङकषकतया सथितिहत बिषणरपचतनयममिदधाति । अनसथारसतसमिननव पदारथ अमिशननिमिततोपादान छय वकति।

तथा च इीभियकत जगदतयततिसथितिकयकारण चतनय शकया बाशयाथ परतीयत । तसथवोपाधिपारिलयागरपङकषण यसया सातथा | इदीकार छकषण तटदसथरकषण यसया

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करलितातरिशचतीभाषयम‌ । २०४

सति वा तथा ॥ ॐ हीकारङकषणाय नम, ॥

ईीकारजपसपरीता हीमिती हीविभषणा ।

हीशीला हीपदाराधया हीगभो ही पदाभिधा ॥ हीकारजपसपरीता । हवीकारसम जप हीकारजप, तन

सपरीता ॥ ॐ दवीकारजपयपीताय नम ॥ हवी मती । वाचकतवन छकषकतवन वा ङषषयपदाथरपण

वा वानयवाचकयोरभदन बा असया असतीति हीमती ॥

ॐ हीमतय नम ॥ हवीविभषणा । कवरजडमायावाषवक हवीकार , तथा

हि- हकार शवतवाचक , रफ रोहिताथक , इकार नीरा

थक , तथा च विशिषटसय शयककरतनीरवतपदाथवाचक

तया सततवरजसतमोगणवसपरकतिवाचकतवन परिचछिशनाचत

जडद खसवरपवाचयाथकतया परकाशराहियन अनपादय ताया सया तदवचिछिननसवपरकाशचतनयाकारतया विशिषटा

थसय अपादमसतकभषिततरणीवद ननदसवरपतया तदरा

कटीपदसय अशवयसिदधिपरदानशकटयाधायकतया कोमायमा न भषणवत‌ , ‹ णडली परष › इयनतन इणडरसयोपछङकषणतया

इतरसजातीयादिवयावतकतम‌ , तथासयापि बीजसयतरवया

बततवाचयाथगोचरभरमाजनकतवन भषणवत‌ यसया सा

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२५८ रकितीिशतीभाषयम‌ |

तथा ॥ ॐ हीषिभषणाय नमर ॥ हीशीला । हीमिखयनन तदधाचयाथा बरहमविषणरदरा

छकयनत, तषा जीर सवभाव पारमाथिक रप सशचिदान

नदातमकता यसया सा तथा, तननिशठधमा सतततरजसतमा

गणादयो वा यसया सा तथा, ‹ कीक सवभाव धरम च'

इति वचनात‌ ॥ ॐ दरीशीकाय नमः ॥ हीपदाराधया । दवीपदन एकाकषरबीजमनतरण आराधित

योगया तथा ‹ हवीकारणव ससिदधो यकति सकति च विनद‌

ति" इति सबनशवरीकसपवचनादिति यावत‌ ॥ ॐ हप

दाराधयाय नम ॥ हीगभा । हीशबदाथा सगणमतयसतिख गरभ सवसत

सप सशचकतिका अविनाभावसबनधन यसया सा तथा, "मम

योनिरमहदधङय तसमिन‌ गरभ दधामयहम‌ › इति वचनात‌ ॥ ॐ

हीगभाय नम ॥ हीपदाभिधा । हवीकार अभिधा माम यसया सरा तथा।

समषटिरपाया सभषटिशचबदवाचयतवनियमादिलभिसधि ॥

ॐ हीपदाभिषाय नम ॥ हीकारवाचया हीकारपरञया ईहीकारपीरिका ।

हकारवदया हीकारचिनतया दी दीहारीरिणी ॥

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कषिताचिकशतीभाषयम‌ । ००९

हीकारवासया । मायोपाधिकनरहमणि करपितधमण शबदधरयपपतत हीपदख वाचया रढययथ ॥ ॐ ही कारवाचयाय नम, ॥

हीकारपञया । ‹ मलमनतरण पजयत‌ ' इति पजाङगपवन म रमनोरविनियोग शरयत । मखमशच दवताया सवक नामति वचनात‌ । अनतमखानामव मनतरशषाखष तननानना वयसपननतवा न‌ । हीकार नमोऽनतमशचाय यथागरमपरदाय शरीवकरादौ मरदवता पजनीयवयागमरहसयात‌ हीवीजनव पजयथित यो मया । अतिपरियवीजनामतवादितयभिभराय ॥ ॐ दवीकार पजयाय नम ॥

हीकारपीठका । अतर पठशबद आधाररकषक । वा

नयारथो हि वाचकशबदसय सततापरदतवन आधार भवति |

मनतदवतयारमदऽपि अथनिषठमदिनन तदधाचकपद.ऽदशयमा- नतवात करपितभढ सपाचयदमचयत । हरकारसय पीठिका बततिसथान शकया गोचरतया विषयीभततयथ ॥ ॐ हीका रपीठिकाय नम ॥

हीकारवदया । सवरपत निगणनरहयतया अनञानविषयतवा- शरयतवाभयामपरापरपरषाथरपतया समागदशषाया परतीयमान- तवात‌ गरपसद‌ नशरवणादिरपविभयभरामाणयनिरासाय रष-

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२१० करङितातिदचतीभाषयम‌ ।

णया शदधसवरपपरमाननदतया परषसिततवात‌ शरवणादिजनय-

वतिवयापयतवरपवदनाविषयतवम‌। ‹ रहमणयजञाननाशाय वतति

वयापनिरितीयत ` ‹ मामव य परपदयनत मायामताम‌ ' इतयादि

वचनात‌ भगवतापयङगीकतमिति । हकारण गरमखोदधतन

वशया वदित योगया । ततसवरपपरिजञानदवारा तसराघचिरपप

रषाथदततवादिति तातपयम‌ ॥ ॐ हीकारवदयाय नमः ॥

हीकारचिनतया । असय बीजसय पशचभरणवानतगततवन उधकारभद बरहमपरतीकतव विशषात‌ । परणव यथा परापरनर-

हयापासनहतबदसमिन वा परतीक तदधबतीति विकसप । यदा

भकतिपाथकयन मनतरविशषष भवतीति योगवदमागरहसय न

वादजसपादयवकाङ । हकार उमयचिधनहमसवरपतथा चि-

नवित योगया । धयानसय साकषातकार परलयारादपकारकसवन

धयातवययथ ॥ ॐ हीकारचिनतयाय नमः ॥

ह । हस‌ हरण इति धातपाठात समसतविथशयपरदा नादिशकलयारोपाधिषठानतव सलयपवादावशषितपरमाननदशण

यकतिरियथ ॥ ॐ ही नमर ॥

दीलरीरिणी । ममनतरासमिकतति यावत‌ हमव शारीर मरविरसया असतीति हशषरीरिणी ॥ ॐ दशषरीरिणय नम ॥

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काङितितिदयतीभाषयम‌ । २११

हकारखपा हलधरकपजिता हरिणकषणा ।

हरपरिया इराराधया इरिबरहमनदरबनदिता ॥

हकाररपा । हकार रप षषठावयव यसया सा,

मढविदयावाचयाथवाचक यसया सा) तथा ॥ ॐ हकार-

रपाय नम ॥

हङधकपजिता । हल यग धरति इति हरधरक‌ बर

राम , तन पजिता भयान।दिभिराराधितदयथ ॥ ॐ ह

शरकपजिताय नम, ॥

हरिणकषणा । हरिणया एणया दशचणभिव शकचण यसया

सा तथा, अतिसतोषण कातराकवीति भाव । सरवतर स-

वदा सवदरटीति वा । भकतषवाद‌रहवदकषनवतीति माव ॥

ॐ हरिणकषणाय मम ॥

हरपरिया । हरख परिया शिववहभयथ । हर रियो

यसया सरा इति वा ॥ ॐ हरमियाय नम, ॥

हराराभया । करण सवभतर आराधित योगया, कवरस-

चिदाननदसवरपवात‌ ॥ ॐ हराराधयाय नमः ॥

हरिनहनदरवनदिता । हरि रमकष । बरहमा वाणीशच ।

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०१२ कङितातरिशचतीभाषयम‌ ।

इनदरो दवश उपलकषण मषदवमदानाम | ववनषिता नम

सकता ॥ ॐ हरिबरहयनदरवनदिताय नम ॥

हयारढासविताङटचियमधसमचिता ।

हकषवाहना हसथाहन। हतदानवा ॥

हयारढासविताहकि । हयारढानाम अशवमातरसनानी

शकति वहयकरी । तया सवितौ अङघी यसया सा तथा ॥ १

ॐ हयारढासविताङ नम ॥

हयमधसमधिता । हयमधन अशवमधन समिता प

जिता । परषतवादिपराधय इरादिभिरिवयथ ॥ ॐ हयमष

समरचिताय नम ॥ हयकषबाषटना। वाहयतीति वादनम‌ , हयशच कसरी वाहन

यसमा सा तथा । महाङषमीरपदरगयथ ॥ ॐ हयकषवा- इनाय नम ॥

हसवाहना । हनति गचछतीति हस सय पराणो वा,

वाहनवत‌ आधारमतपरतीकमियथ , अभिनयकतिसथानमिति यावत‌ , "म यशचाय परष । यशचासावादिय। स एक ` इति

रत । अथवा, हसवाहना राहमरपणयथ ॥ ॐ हस

वाहनाय नम ॥

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करङतानिशतीभाषयम‌ । २१३

हतदानबा । हता दानवा अनकपरकारशकतिरपधरया

भणडाञरादय यया सा तथा ॥ ॐ हतदानवाय नम, ॥

हवयादिपापशचमनी हरिदनशवादिसविता ।

इसतिकममोनतङङचा हसतिकरसिपियाङगना ॥

हदयादिपापरमनी । हला बरहमहलया आदिरयषा तानि

तथा पापानि शमयततीति तथा, ` हरिरति पापानि ' इति

वचनात‌ ॥ ॐ हतयादिपापरमनय नमः ॥

हरिदशवादिसविता । हरित‌ हरिदरण मरकत इव अनधो

यसयनदरसय स तथा आदिरयषा 1दकपतीना त सविता चर

णारविनदसनिधि किकरतयाभितयथ ॥ ॐ हरिदशवा

दिसविताय नम ॥

इसतिङमभोतङगकचा । हसत नचछासतीति हसती, तभय

कमभौ तदधदननतौ चौ सानदरौ यसया सा तथा ॥ ॐ ह

सतिङघमभोचदकचाय नम ॥

हसतिकततिपरियाङगना । हसतिनि कततौ चरमणि परिय

परीतिमान‌ शिव , तसयाङकना भामिनीखयथ । ॐ हसति

ततिपियाङनाय नमः ॥

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२१४ रजितातरिकचतीमाषयम‌ ।

हरिदराङङकमाविगधा हयभवादयमरारविता ।

हरिकशसखी हादिविा हारखामदोषसा ॥

हरिदराङङकमादिगधा । हरिदराङकङकमाभया ङपछकचण कसत

रीपतनादीनाम‌ । दिगधा छिमलयथ ॥ ॐ हदिदाङङकमादि

गधाय नम ॥ हयशादयमराचिता । हरयच सरश आदिरयषाम‌ अम

राणा तरचिता किकररतया नियामकतवन पजित ॥

ॐ हयशवामरािताय नमः ॥

हरिकशसखी । हरय हरिदग कशा शिरोरहा यद,

‹ हिरणय दमशररहिरणयकश › इति शरत । तसय सखी परयोज

नमनपकयोपकारिणीपयथ । यदवा वरणन नीलन हरिणा विषण-

ना समा कशा असय सनतीति सवाङगनदरनितययौवनवि दपसहितकामशवर › तसय सखी ॥ ॐ हरिकशसससय नमः॥

हादिविदया । छोपासदरापासितमनरपलयथ ॥ ॐ हादि

भियाय नम ॥ हालामदाढसा । हाखाया =असतमथनादतवारणया

मदन चछापरन अरा आरकतनतरानतरोमाशचावि चिहवती

तयथ ॥ ॐ हारामदालसाय नमः ॥

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रङितातरिशषतीमाषयम‌ । २१५

सकाररपा सरवजञा सवी सरवमङकला । सवक सभरी सरवहनती सनातना ॥

सकाररपा । दवितीयखणडदधितीयवयवतवन जापक य~

सया मा तथा ॥ ॐ सकाररपाय नमः ॥

सरवजञा । अलपरनियजञानमबरपण सामानयरपण खरव

जानातीति सरवजञा, ‹य सकष सववितत ' इति शरत ॥

ॐ सरवङञाय नम ॥ मरवशची । सरवसय कारयसय अनतयीमिकपण इषठ पररयती

ति तथा ॥ ॐ सरवशय नम, ॥

सवमङगला । सरवपरकारण शदधविकिटवतनयरपण मञज लया परमाननदसवरपा । अतर बहवरीहरविवशषिततवात‌ विव-

कषिताया वा सनदरकायो राजलयादिवत समासारथ । अथवा,

सरवषा मङग यसया सा तथा । सरव परकार धयानकीत

नपजानमसकारादयचनभकतिजनयकडकय जडानामपि मङगल

सख यसया जायत सा तथा । सरवषामातमरपतया परतीय

मान मङगर सखषयरप यसया मलि वा । सवशषबदवाचय

सकारण शितर , तसय मङकर सख यसया जायत सा तथा,

सचधिनमय शिव साशचाततसयाननदमयी दिवा इति क

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२१६ ररितातिशचतीभाषयम‌ ।

चनान । अथवा, मङगलशबदन मङगढहतभता सियो

रकषयनत । सरवषा पराणिना मङगल मङगरसाधनभता योषा

सवाभिननसचिदननदवनतवन यसया सा तथा, ' एतसयवान-

नदसयानयानि भतानि मातरामपजीवनति ' इति शरतरिलरथ । ‹ अञचभानि निराचषट तनोति शभसरततिम । सपरतिमातरण

यपपसा बरहम तनमजगल विद । अतिकलयाणरपतवान‌ निय-

कसयाणसशरयात । समतणा बरदसवाच बरहम तनमङगर चिद '

इतयादिवचनात‌ ॥ ॐ समङलाय नम ॥

सवकरतरी । सरव समसतस सखशचकलया मायारपया करा तीति तथा, ' ईत इशनीभि " इति शरत ॥ ॐ सरवकरवय

नम, ॥

सवभररी । सरव बिभरतीति तथा, ‹ एष चिधतिरषा

लाकानाम इति शरत ॥ ॐ सवभरजय नमः ॥

सधहनतरी । मरव हरतीति तथा । णभिनौमनरथ ‹ यतो

बा! इलयाविशचतयकततटसथककषणननयमभिदहितभिति वदित

गयम‌ । ॐ सरवहनतय नम ॥

मनातना । (अजो नितय शचाशचताऽय पराण ` इति

शरत निवयसिदधसरपतयथ ॥ ॐ सनातनाय नम ॥

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रङितातरिशतीभाषयम‌ । २१७

सबौनववया सवौदसनदरी सरबसाकषिणी । सवौतमिका सरयसौखयदानरी सभविमोहिनी ॥

सवौनवदया । सरवजञनशवयौदिगणरनवशा । अवचयानाम विदयया हीना जडगरकरति मिधया बाधयमानतवात‌ । तदधिरकषणा

सलजञानाननदरपतवादनवधया । सरवषा सवौ भीषटपरापकतवन सया बा ॥ ॐ सवानवदयाय नम ॥

सवाङग सनदरी । सरवाणि च तानि अङगानि च अवयवा

शिर पाणयादय › तषवनयनातिरिकतभाववनवात‌ यथासजदि

कलकषण तदरनतवन सवौङगसनदरी । अथवा, मरबषामङगष

शरीरष बरहमसवरपतया अयनतपरमविषयलवन सनदरपदारथ

वदविनाभाववानछाविषयतवात तथा ॥ च सवीदगसनदरथ

मप ॥

सवमाकषिणी । मषा जडाना कायौणा सफरलयाघायक- तवन परकाहाकररी तथा । सरव साकषादीशनत इतति वा तथा ॥

ॐ सवसाकषिणय नम ॥

सवौपमिका ¦ मरवषामातमसवरपतवान‌ । ' यशचापरोति यदा

दनत यजाति विषयानिह । यजवासय सतता भावसतममादतमिति

गीयत ' इनि बचनाततथा ।॥ ॐ सबौलसमिकाय नम ॥

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२१८ कङितानरिशतीमाषयम‌ ।

सवसौखयदाशरी । सखिन भाव सौखयम‌ , सौणि च तानि शरियमोदभरमोदाननदशचबदवाचचयानि । इषटदशनञनय सख शरिय । सङवाभजनय मोद । तदनमवजनय परमोद‌ । भाननद समषटि । जीव भोकता । तानि ददातीति तथा । सपरकार समरणादिभि सौखय ददातीति वा। सवषा माबरहमसतमबपयनताना यथाकरमोपासन परयकषण दशयमान

जञानधयीदिसदित सख ददातीति वा तथा। ‹ एष हयवाननव‌ याति ' इति शरत ॥ ॐ सषसौखयदानय नम ॥

सतविमादहिनी । सरवान विमोयतीति अनयथा भराहय तीति वा तथा । " अजञाननाघत जञान तन महयनति जनत ब {अमतन हि परपयढा ' इति शवतिसपतिभया अजञाना वरणशचकतिकाय मोहनादिसततापरकाशादिपरधानाधिषठानतवन उपचारात‌ सरव माहयतीपयचयत ¦ अयो दषतीतिवत‌ ॥ ॐ

सवविमी हिनय नम ॥

सवाधारा सरबगता सरवीवशणवजिला । सवरणा सबमाता सरबमषणभषिता ॥

सरवाधारा । सरवसयाधारा । बरहम पचछ परतिषठाः इति शरत । सरवषा हदयानि आधार भभिनयकतिसथान उपासना

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कङितातरिशतीभाषयम‌ । २१९

यसया सति तथा ॥ ॐ सवोधाराय नम ॥

सवगता । सरव गचछतीति तथा । ‹ अनन जीवनातम

नापरविशय ' इति शरत ॥ ॐ सरघगताय नम ॥

मवोवशणवजिता । अवमानषतवशच त गणाशच तथा,

आधभयासमिकसबनधन आरोपिता सनतवादय समषटौ, अनत

करणधमौ कामादय वयषटौ, सरव च त अबगणाशच तथा । सवानतयौमितवन सवातसयतसऽपि तनतदपाधिनिषठोततमाधस

धम न सबधभयत--- घटादिनिषठाकाडवत‌ को शानतगतखङगव

दरा, °सरयो यथा सवलोकमय चष न छिपयत चाकषषवाशच दोष । एकसतथा सरवभतानतरापमा न छिषपयत कोकट खन बाहा › इति शरत ॥ ॐ सववशणवनिताय नम, ॥

मौरणा । सरवषवङकषवसणा आरवती, ‹ असौ यसता

भरो अरण ' इति शरत ॥ ॐ सवीरणाय नम ॥

सवमाता । सरवण करयण मीयत अलमीयतऽमदनति

तथा । तथा दि-- इद जगत‌ बरहमाभिशन ततसततासफतिनिय

तसनतापरकाडाकञानविषयतवात , यन‌ यशनियतसततापरकाशचवान‌

स तदभिनन -- यथा तनतकाय पट इति । सबौन भिनाति

खादन जानातीति तथा ॥ ॐ सरवमातर नमः ॥

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२२० कङितातरिशरतीभाषयम‌ ।

सवभषणभषिता । सवापमकतवन य य पराणिन यानि यानि भषणाङकारभोजनादीन भामयवसतनयासमाथ सपा दयनति, तषा सरवषा परयकतया त सरवभषिता उपचतलयथ , ८ आतमनसत कामाय सरव परिय भवति ' इति शरत । अथवा,

सवदवारमकतवन सवभकतजनसय सवसवषटदवतापरीयरथ भष णभषितपवन तथा । अथवा सरवभकतजन तततदबयवष भषगरारापिता , सवसथा माराजञीतवन असगोदासीनसव भावतवादिति भाव । यदवा, सवदशषकाखरोकष भषण तजञ ततर भव उचरावचभषणरायोपिता , हसयशचादिवहोपा-

धिका सती तततदीयाककारादिष जगपमारहितलरथ । भष

यनति सरवोततमतवन परतिपादयनतातति भषणानि वदानतम हावाकयानि, सरव समस गतिसामानयात‌ एकतातपरयण भषिता छकषणया पयवसिता सममवित। वतयथ ॥ ॐ सवभषणभषित।य नम ॥

ककाराथौ कालहशनी कामरी कामिताथदा । कामसजीवनी कलया कठिनसतनमणडला ॥

ककाराथौ । ‹ क बरहम ' इति शरतया ककारसय बरहमाथक तवन तबयतिरिकतसयातदथसय बाधिततवात ॥ ॐ ककारा

थाय नम ॥

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कङिताजरिशतीभाषयम‌ । २२१

कालहनतरी । नजपारपण पराणापाननामकचनदरसयनि-

यमन परषाणा नियमिततपरिमिताय सवरपकविहारिषदश- ताधिकसहसरमखयाकनिरीमनरपण कषपयनति अवशनरषायषो

यगकरपादयविषशिषटसय बदधौ पन सयमन तथा तथा बरदधौ सयललानसय सरवपराणनदरियसय बततिरय मनोनमनयवसथा नि षपदयत । तथा च शरति -- । परथिवयपजोऽनिरख ससथित पशवातमक यागगण परषतत । न तसय रोगो न जरा न

मतय परापरसय योगाभनिमय शरीरम ' इति ‹ अधयारमयागा

धिगमन दव मसवा धीरा हषनोकौ जहाति ' इति च ।

तथा च तदानीमाविभतनरहमसवरपण ‹ तत सवतसरो

ऽजायत ' इति शरया करियाजकयापमककाङोतपतिशरवणात‌

तसमिन बरहमणयव लय काक हनति नाहयतीतति तथा

नामनिवचन यकत वकतमिति माव ॥ ॐ काछनधय

नम, ॥

कामशी । कामाना भोगयपदाथौना यथाषषट ईषट पररयतीति तथा ॥ ॐ कामदय नम ॥

कामिताथदा । कामितानथौन‌ ददातीति तथा, ' आपर

काम ' इति शरत । ससारदकषायामावताननदसय अनापरबद‌

वभासमानसय आतयनतिकटयखासमिका सककिम सयादिति का

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२२२ करङितातिशतीभाषयस‌ ।

मयभानसवादातमन कामिततवम‌ । कामिवशचासावथगयति तमयव

जञानसयानरणाभिभावकतवन परापरपरापनिरपतया त ददाति परय-

चछतीति परकाशसवरपण अनभावयतीतयथ ॥ ॐ कापि

तारथदाय नमः ॥

कामसरजीवनी । काम मनमथ परमशवरनतराभिविषषठ

मणडासरापमना अनककाकदवलोकविपकच कामशासपरयोग

समय रतिदवीपराथनलमीचीनतदीयपवकाय तपशचयौदिप- रिपाकफखभत करणारसपरितापाजगावरोकनन सजीवयति

सपराण सतवा तसम वरादि परयचछति तन त दरषयतीति

तथा ॥ ॐ फामसजीवनय नम ॥

कसया । करयित धयाघ योगया । अथवा, सरवोततिमदव-

तवन धयात यागया कसया । कक कामधनतवन यथा वा-

छिताथकारणम‌ ॥ ॐ कटयाय नमः ॥

करठिनसतनमणडढा । सतनयो मणडर आदिमभागौ सा-

नत परदलौ कठिन अपरकमप अतिसथिर वा यसया तथा ॥

ॐ‡ कटिनसतनमणडछाय नमः ॥

करभोर" कलानाथसखी कषचचजितामबदा ।

कटाकचसयसदिकरणा कपारिपराणनायिका ॥

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करितातरिशचतीभाषयम‌ । २२

करभो । करभ इव उर यसया सरा तथा । (मणि

बनधादाकनिषठ करसय करमो बहि ' इति परमाणादिति भा

व ॥ ॐ करभोरव नमः ॥ कठानाथमखी । कठा चत षषटिकला नाथयति परर

यतीति कलानाथ , ! निशवसितमतदगबदो यजवद साम-

वद इलयादिशरत , ‹ शाखमयानितवातत' इति नयायाचच ।

ताहशमख बदन यसया सति तथा । कङानाथशचनदर इव

मल यसया सति वा ॥ ॐ फलानाथघखय नम ॥

कषवजितामबद। । कन कशभारण कषरण वयथ । जिता अधरीछता अमबदा मषा यया मा तथा , मषम- णडलापकषय। उरधवगाभिशिरोरहभारा वयोमकशीति भाव ।

अथवा, कशबरततिनीखपण साट शइयासहसवन धिककता

मषा यया खा तथा ॥ ॐ कचजितामबदाय नम ॥

कटाकषसयनविकिरणा । यथपि दीनष परिप।लयताबदधि- दवाना महता करणतयचयत, तथापि तसया आनतरतवन

अजञायमानतया तष भकलयतिशयन परबसयरथ सवादौ तदतता

जञानसयावहयकफटपरदानादिहततया निशचयन तदनरपकसा

सविकवीकषणसमरसमाषणादिसततव ततरावहय भवतीति का-

यसनतवपरसखशितकारणसमनववचवात‌, करणाया नवरसषव-

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२८४ लकितातरिशतीभाषयम‌ ।

नत मावात‌ , रसकषबदसय मधरादौ रढतवात‌ तषामनिववनी यतवऽपि अनभवगोचरतायामिकषवादिसतारदरनयपदारथनिषठतवा- परध ततमबनधवकात‌ परपरथा दरवदरनयवततिदयनदनरप-

करियाशरयतवसपचयत । तथा च कटाकषसयनदिनी करणा

परिपालयताबदधिरपा यसया सा तथा ॥ ॐ कटाकषसय-

नदिकरणाय नम ॥ कपाहिपराणनायिका | कपामसय असतीति कपाली अन-

नदमरव , तमय पराणनायिका भाणसयचयपङकषण पञचानाम ।

नायिका अधिषठानलवन पररका । ८ न परणिन नापानन मरयो

जीवति कशचन । इतरण त जीवनति यसमिननताचपाभितौ इति शरत । तसयापि हदयानतवतिपरमशवररपति यावत ।

पराणवहणभति वा , परियति भव । ॐ कपालिपराणना

यिकाय नमः ॥ कारणयविगरहा कानता कानतिधतजपावलि ।

कालापा कमबकणठी करनिरजितपहयवा ॥

कारणयविभरहा । कारणय परवोकतककपा, करणसय भाव ,

तत‌ विगरह मरतियसया सति तथा । कारणयसया- नत करणपरिणामबदधिरपतवन नतरानतवीकषाससमितभाषादि

नानभीयमानवऽपि साकषाततजञनयमनोवाञछितवरपरदाना

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लरताविशचतीमाषयम‌ । २२५.

दीना शरीरावयवविषजनयतया कारणय विगरहो यसया

सति समासोपपतति । मायोपाधिकसय बरहमण जगतसषटथ

छकरणदतभतसवचछामातरनिमिततककमौनधीनसशिदाननदघ नीभतातमकभकतानपराहकविगरहवनता विना दवताया बदधा

वनारोपण सगणोपासनमनपपदयमान सयात‌, तदरथ

दवताधिकरण मनतपरकाशिता दवा ' बजहसत पर नदर इतयादिसरत परमाणबदवाकयवशात‌ बाधकाभाव

विगरहवनत अङगीकसजया इति परतिषठापितम‌ । तथा ‹ बह

कशोभमानाममा हमवतीम‌ ` इति कनोपनिषदधाषय हमानि

हमविकाराणि भषणानि यखा सति वा तथा, हिमबत

अपय सलीतति च तथति परदवताया दिवयजिमरहवनतव परति

छापितम‌ । तथा च महालभावाना सवपरकादाचतनयरपाणा

मवभताना सवौपमना सरवोततिमाना मरतितरयदवाना धयाना शरपकाराय ताटशमरतिमतवम‌ असतीति न किचिदनीशच

रवादपरसङगावकाश इति आसता विसतर ॥ ॐ कार‌

णयविगरहाय नम ॥

कानता । ! कन दीपतौ ' इति धातो भलयनतमनोहरतम तयथ । मदनगोपाङविभरहा वा । ¦ कदाचिदादया छडिता प

रपा छषणविगरहया । वशचनादविनोदन करोति विवशच जगत‌ 8 पध ५ 16

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२२६ कङिताविशचतीभाषयम‌ ।

इति तिपरतापनीय ॥ ॐ कानताय नमः ॥

कानतिधतजपावछि । जपाना जपापषपाणाम‌ , दपटठकषणम‌

अनयषामारकतवणौनाम‌ , भावि पङक दषटानततवन कविभि

रतपरकषिता । कानतया अपराहतसवचछपरमाननदचिदधासा धता

परिलयकता परातपवन असपकानतिमनतया उपमायोगयतया

यया सा, ‹न हि महानतो नीचरपमीयनत ` इति नयाया

दिति भाव ॥ ॐ कानतिधतजपावसय नम ॥

कठारापा । कडा चत षषटिका आपो वयावहा-

रिककषबद‌ यसया सरा तथा, ' बदशचाखञमयी वाणी यदया

सरा परदवता ` इति वचनात‌ । कर अवयकतमधर सपरथो

जन भङाप सरङापो यसया सति वा तथा, अवयकता

भारती तथाः इति मदापरषसाशयदधिकवचनात‌ ॥ ॐ

कठाछापाय नमः ॥

कमबकणठी । कमबशबदन अतर शङखनिषठरखातरय रय

त । तदवानकणठो यसया सति तथा गणनामषम ॥ =

कमबकणठय नम ॥

करनिरजितपहवा । करदाबदन करतल ङकयत । पह

बराबन तभनिघठपाटसय जलिगधता लकषणया इय । तथा

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कङतातरिशतीभाषयम‌ । २२७

व अनयोनयगणयोजयपराजय, अरथाततदरतोरपि तौ सिदधावि-

ति तननामोपपतति । ‹ विवादशच विनादशच समयोरव शोभत"

इति वचनात‌ करतल तपसामयधवनिरनन नानना छत ।

करण निजिता पङवा यसया सा तथा॥ ॐ करनिभित

पटटवाय नम ॥

कलपवही सम सजा कसतरीतिलकाशिता ।

हकाराथौ हसगतिहौटकाभरणोजञवला ॥

कसपवहीसममजा । यथा दिनयचकषा ननदनोदान पर

सिदधा तथा तदखकाराय वससयादयोऽपि करपयनति सपा

दयनतीति करपा , कसपाशच ता वससयशच जतय , ताभि

समा अजा इसता यसया सा तथा । कविसपरदायपराशया

खीयजाना वहवीसामयोकतिरिति मनतवयम‌ । अतर समपद‌

सवारसयन तषामपि तदवचचछकनचतनयदवारा यथापरारनध च

तनवङोकवाञछितफङकततवमिति धवनितम‌ । ' एकसतथा

सवभतानतरातमा रप रप परतिरपो बहिशच ' इति शत , ८ तततदवावगचछ पव मम तजोदासभवम‌' इति समतौ च

भगवता सवकीयसशिदाननदसवरपावसथितिरवोकता । अत एव

परदवीभजाना नव साभयोकतिरिति शङका निरसता वदि

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२२८ करितातरिशचतीभाषयम‌ ।

तवया, ओपाधिकवतनयन तथाभतचतनयसय सामयोपपतत ॥

ॐ कलपवहधीसमथजाय नम ॥

कसतरीतिङकाञचिता । कसतरीतिरकन छडाटदशससथा

पितबिनदराकारगरगनामिना अशवता चिहिता अकतयथ ॥

ॐ कसतरीतिकाशचिताय नमः ॥ हकारा । हकारसय आकाशबीजसय अथौ, अथ सव

हपचतनयम‌ आकाशविगरहयथ , ‹ आकाशो ह‌ व नामना

मरपयोनिवहिता त यदनतरा तदरहय ' इति शरत ॥ ॐ

हकाराथाय नम ॥ हसगति । हनति गचछतीति हस पराण आदिलयो वा|

हससय पराणसय गतति गमनागमन ठशचणया तजलापयाजपा

मनतरपा यसया सा तथा, "हकारण बहिरयाति सकारण

पनरधिशत‌ ' इति वचनात‌ । यदवा, तदभिमानिदवतारपा

परीषोमापमकसयचनदरगती अहोराघरातमककारसवपाया य

सया सा । अथवा; हनति दहादहामतर गचछति सवक

मवशनति हसरा जीब ›, तसय गतति परापयसथान सकति

रिखयथ , । बरहमविदापरोति परम‌ ` ‹ यदरवा न निवकनत'

इति शरतिसमतिवचनात‌ । अथवा हनति सवकायभत

जगतमविशचतीति हस । ! हससत परमशर ' इति नसिहता

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ककितितरिशचतीमाषयम‌ । २२९

पनीय । गमयत परापयत शारणपवन परपत चतधिधभकतरि

वि गतति । हसशचासौ गतिशचति कषामानाधिकरणयसमास ;

८ हस शचिषत‌ इति त । आहोखित‌ , ससय बरहमवाह

नसय गतिरिव गमन यसया सा तथा । उताहो, हसशबदन

नातकदशन हसक पादकटकमतयत , गमयत अननति

गति चरणम‌, हसयकत गती पादारविनद यसया सा

तथा । यदवा, हसशबदन निलयानिवयसारासारजडाजडादिवि

सतबिचकसमथौ , हनति गचछनति परतिपराम परतिदशाम‌

इति हसा परिशालका चलथौशरमिण निषकामा › तषा

गति गमयत जञायत साशचासकियत इति गति › ' सनयासयो

गादयतय शदधसतवा ' इति शरत । "य पर दवा कषयञच

तदधि त तनमया अमरता व बभव † इति शरत । जीषनम

कतपरषाचमयमानपरमाननदसकतिसवरपयथ ॥ ॐ हस

गतय नम ॥

हाटकाभरणोऽजवला । हाटकसय सबणसय कायाणि च

तानि जमरणानि च हाटकाभरणानि तररञवला तथा,

परकारिता अलकतदरथ । हाटकसय सवणरपनकषाणडसय

आभरणव दऽजवा परकाडाकरी सततासपतिकरीयथ । यदरा,

तसमिननामरण मङगखसतरादिभि सनाथसलीमणडटसखरपर

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२३० लरङितिातरिशतीभाषमम‌ ।

जञवखतीति । आहोसवित‌, कायकारणदवयरपवसदानन वस

सवरपण वा उञडवढति परकाशत इति तथा, ‹ वसरनतरिकष

सत‌" इति शरत ॥ ॐ हाटकाभर गोजजवलाय नम ॥

हारहारिङचामोगा हाकिनी इलथवरजितः । इरितपतिसमाराधया हठातकारहतासरा ॥

हारदारिङचाभोगा । हरसय परमशवरसय इम सबनधिन

हारा इशवरतवापतकामसवनियचपततवादयो गणा › तान‌ हरति

तदधिपरीताविदयादयाधानन उतसादयतीति हारहारी, क

चयोरामोग पयनतभमि यसया सा तथा । परमशवरसय तदविषयकवानछया तदकसकतमनसपवन ततकारणीभताविदया वषटवततितवन चशषीकतमायपवसवरपशवरपव समानाधिकरणा

पतकामसवादय अपहता , जीवदवरयोरकनन तषा तदगणा-

ना च सामानाधिकरणयायोगादिदयथ । तथा च ईशवरसय

मदिषटसाघनमियनयनन पदारथ बदधिमनततसयव बहभवनरपत

या तसय जगदाकारतवाधायका-इयधिकगणोसकषाविषयपयन

भगसयातिशयोकतिरिति दरषटवयम‌ । अथवा, हारान‌ यकतास

ज हरति आदतत इति हारदहारी छचाभोगो यसथा सति

तथा षदपरकारण सकताकषरण यथोचितकार भषितवतीति

भाव ॥ ॐ हारहारिङकचाभोगाय नमः ॥

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कशिताविशचतीभाषयम‌ । २३१

हाकिनी । हाकयति जनममरणयो छदयतीति दा

किनी , ‹ हाक चछद, इति धातपाठात‌ ॥ ॐ हाकिनय

मम ॥

हसयव जिता । हङसरबनधि हसय हषयादिारा जनक

तवम ;, तदरजञिता, कामादिविहीनञयदधतनयसवरपतवात‌ ।

हसय कपट भिशरऽवपयनयथा सवानत करणाचिषछरति तन व

जिता । अविदयाविरदहिततनवपदरकषयाथभतसवादिति यावत‌ ॥

ॐ हरयवजिताय नम ॥

हरितपतिसमाराधया । हरिता दिशचा पतय महनदरादय ,

त समयक‌ शरदधाभकतिपवकम‌ आराधि योगया । तदधिपकष

निबदणनषटभापकदवततवादियभिसधि ।॥ ॐ हरितपतिस

माराधयाय नम ॥ हटातकारहताघरा । हठातकारण अतिशीघरतया इता

पराभता असरा असरपकषा महिषादयो यथा सा तथा,

समबखयो किर ततक सामाधयपाय बराबङबिचारणा

च भवतति । परबलसय त दबरष वरिष सिहसय मषषविव

तदयोगन अतितवरयानिनबारणव दवरोकसखपरदा--इति ना

माथविचारणायाभितरष कमतिकनयायन ततकारणतव धव

नितमिति योजनीयम‌ ॥ ॐ हटातकारहतासराय नम ॥

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२३२ कङितातरिशचतीभाषयम‌ ।

हषपरदा हविरमोकचरी हादसतमसापहा । दही सलासयसतषटा दसमनतराथरपिणी ॥

हषपरदा । हष आननदकारक मखविकासादिकायननिय

सवातमसभावनतरपरिभवनिमिततचिततवततिविशष , कायसय

कारणाविनाभावितया तसपरदान तदधताोरणयाशचिपतीति यख-

परदयथ । मरददातीति परदा | भथवा, हरष धनयौवनादि

सख पतरबनधबगौदिरपण परिषटय परकरषण दति खणड

यतीति वा तथा ॥ ॐ हषपरदाय नम ॥

हविरभोकतरी । "स जहयासशिव सरि सनदर सो

ऽकषर परम सवराट‌ ' इति शरत बसरदरादियाकारण हवीषि यजमनिन अपनौ परकषिपरानि सवाहामखन यङक इति तथा ।

यदवा हवीषि काछानतरभातिफङानि अदषटातमना सकषमर-

पाणि तनतदचजमानजीवगतानि भतसकषमाभिधानानि समषटि

वयषटधातमनशवरजीवोपाधिभतानि मायाविदयाङाषदितानि स कतिपनत भनकति पाङयतीति बा तथा । अनयथा ससा

रसयानादितवामावन आदिमशरीराचयतपततो अङगीकरियमाणा याम‌ पभरपशचसयाकसमिकतवमङताभयागमभरसङगशच सवादिति

माब ॥ ॐ हविरभोकतय नम ॥

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कङिताशरिशचतीभाषयम‌ । २३३

हादसतमसापहा । हदथावचछिनन हाद , ।यो षद नि हित गधायाम‌ ' इति शत । असमिन‌ यतसतमस आवारक सवात‌ ( तम असीत‌ ' इति शरया च आतमविषयक तदाशरय

मजञानम‌ अनथकरम‌ अवयाछताकाशमिःयनयत, महावाकय

भवणजनयधीचननिपरतिफङिताकारणापहनतीति सा तथा । नाह बरहमासमि ससारी बरहम नासति न भाति च~इदयजञानसय

सोऽह बहमारिम सिदाननदरकषण --इति एकाकार वततिना

भयतवनियमन बाधाधिषठानम‌ ' नह नाना ` इति शरतिसिदध नहमरपति यावत‌ ॥ ॐ हारदसतमसापहाय नमः ॥

हली सरासयसतषटा । हषटीस चितरदणड मारिकाभि एकतारादियकतगीतपक यहकासय नतन तसमिन‌ सतषटा परीतिमतीतयथ । "नारीणा मणडलीनपय बधा हदठीसक

विद ' इति हारावरीकोशात‌ मणडलाकारनरलयसवषटतयथ ॥

ॐ हषटीसलासयसतषटाय नम. ॥

हसमनतराथरपिणी । हस परमहस उपाभयो यो मनतर परणव तसय ताञचबोधितततवाथरपिणी । वाचयलकयाथसव

रपण जञायमानयथ । अथवा, हसमनतर अजपा । हकार

सकारौ शोधिततततवपदारथौ, हकारसय परोकषवाचिन सकार. सय तादशसय च भागवयागरकषणया निषपरपशचनियघचदधम

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२३४ कलितातरिशचतीभधयम‌ ।

तनदधसिदाननदसवसपखरथ ॥ ॐ हसमनतरारथरपिणय नमः ॥

हानोपादाननिरकता हरषिणी हससिदरी । हादाहहसखसतलया हानिघदधिविवरजिता ॥

हनोपादाननिशकता । अनिषटसाधन हान परितयागकरि- या । इषटसाधन उपादान सवीकारकरिया । परिजिीषौ आदितला वा । “अपराणो हयमना हन ' ' अकायम‌ ' "अ

शरीर वाव सनत न परियापरिय सपशत ` इति बहशचत अशरीरसय बरहमणोऽनत ऊरणादिधमोणामसभवात‌ ताभया

निकत नि सङगपयथ , ‹ विसकतशच विनयत ' इति शरत ॥ ॐ हानोपादाननिकताय नम" ॥

हरषिणी । ‹ एष दयवाननदयाति ' इति शरत हषयति

खतोषयतीति तथा ॥ ॐ हषिणय नम ॥

हरिसोदरी । हरिणा कषणन समान एक उदरम‌ उत‌ ईषत‌

अर भदक अवचछदकमियथ । उनररर कटो वा अलयसपमि शवामतमायोपाधिकवतनयावसथाविशषरपा । ' अपरयमि तसववनया परकति विदधि म पराम‌ । जीवभता महाबाहो

ययद‌ धायत जगत‌ ' दवातमशाकति सवगणरसिगढाम ' इलया

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ककिताचिशचतीमापयम‌ । २३५

दिसटतिशरतिभयाम‌ इशवरसय रपभदवनवावगमादिति मनत

वयम‌ ॥ ॐ हरिसोदरथ नम ॥ हाद खसतया । हादाषहनामकगनधरवौ सरयौ यषा

जनाना तसतथा । सतला गणिनिषठगणाभिधान सतति ।

तदाशरयतवन परतिपादनीययथ ॥ ॐ हाहहयखसत

लयाय नम ॥ हानिशदधिविरवाजिता । अवयवोपचयरपा बदधि , तदप

चयरपा हानि , ताभया वजिता, न कमणा वरधत नो

कनीयान‌ ' इति शरत । उपरकषणम‌ , षडभावविकाराणा

शरीरधरमतन कमनिमिततपवादीशरर तदभावन निधिकार-

ल ॥ ॐ हानिषटदधिविवजिताय नमः ॥

हययङगवीनहदया हरिगोपारणादयका ।

लकाराखया रतापलया खयसथितयदधबशवरी ॥

हययङगवीनषदया । हययजगवीनवत‌ नचनीतसदशविरल

सदरवयवपरिणामदरवतवसादङययोगिहद यजकपारसरपपरिणा

मवतीति सा तथा। हदयाभवऽपि सवौतमकतया तदरतम‌ । इशषणादिवनमायापरिणामरपा दया वा हदयशबदन उनयत ।

° अवागमना › इति शरया सरवनिषधात‌ ॥ ॐ हमयदकवी

नषटदयाय नमः ॥

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२३६ ककितितरिशतीमाषयम‌ ।

हरिगोषारणाशयका । दरिगोप इनदरगोप आदरौमघा-

नकषतर बषौसदधवा अषटपादा रकतवणो बदङखा कीरटवि-

शषा , तथा शोणमदयक अमबरम‌ , सवारथ कमरलयय,

किरणानि वा यसया सा तथा । ॐ हरिगोपारणाश-

काय नम ॥ छकाराखया । लकारयकत मलमनतर आखया वाचक

शलद यसया सा तथा । छकारसय शकरबीजसय वा , ° सनदर ' इति शरत । रकारयकतसय मायाबीजसय वा सत- चधमाययथ ॥ ॐ छकाराखयाय नम ॥

छतापञया । ठकषनति विनमनति अलनतनसरा मवनतीति

खता परमपतितरता अरनधलयादय सिय , ताभि सथिरमा

ङगसयाय सवषटदवतासवन पजया पजनीया | तदकतम‌- ‹ समा राभय महकषानी मकति यकति च विनदति इति । अथवा,

कदारादिगौरीविशषषमतौ कताभि उपदकषण बनयपजोपकरण पञया अकता | शबरी वा वनदरगा वति भाव ॥ ॐ रतापएजयाय नमः ॥

ठयसथिसयदधवशवरी । वपरीयन विशषण योजयम‌ । चदध- वततीपयदधब कायोतमना अभिवयकति । सथिति जञानविषय

तायोगयकालावचछद‌ अनमवसततावततवभिति यावत‌ । छय

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कङिताचरिशतीभाषयम‌ । २३७

इतपननकायसय कारणातमना अवसथितति वाचारममणयोगयत पयथ । तासा करियाणाम‌ अचतनकायतवायोगन घटादिकारय

चतनसय निमितततादकलनात‌ एकतटसथशधरतव वा, गोपरादौ नानाचतनदशचनातता दशनानशवरतव वति विशय, “ यततो वा इ

मानि भतानि जायनत ' इति शरतौ ‹ यत › इतयकवचनपचच मया नानातवतटसथतव , ‹ जनिकल भकति › इति सतरम‌ । जनि- कत कारयसय भकतिरपादानमपादानसजञा सथात‌। ' अपादान पशचमी ` इति शासनात‌ अभिनननिभिनतोपादनतवमीशखरपवमिति सिदधानत । तटसथलकषणमतत‌, जञायमानसय बरहमण छकषण परमाणयो अवशयवाचयतवादिलयमिपराय । आदौ छथकषबदो पादानन अनादितव परपशचसय सचितम‌ । जगत इति शबद‌ परणन नाम योजनीयम‌ । तथा च जगत खयशच सथितिशच

उदधवशच तषामीनशचरी । कटसथचतनयमाचरसिदाननदाधायक तया विवतकारणमिलय ॥ ॐ लयरिथिपयदधगनवथ नमः ॥

छाशयदोनसतषटा लाभालामाविवरजिता । लडधयतरानञा छावणयकालिनी लघसिदधिदा ॥

खासयदकषनसतषटा । यथा राजा सपणकाम परयोजनम

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२३८ करितातरिशतीम।भयम‌ ।

जदिदरयापि सगयादिलीराविशषान‌ परयति बारकादिनरय

वा, तथा अजञानाम‌ इषटानिषटभिशरोदासीनपदाथचतषटयाय-

भवजनयहषशोकादिसभवनमदो दरकशोकातिरकतकविदहिता

दिकरणाकरणरपचरणादयङगपरिसपनदरपनानाविधपराणिकाय

निकायजनयलासयदशनन अजनदिशयापि परयोजन सवषटा त ततकमानसारण फलटगरापकशवरतया सवसमानलतनात‌ , ‹ नाद‌-

तत कसमचिपपाप न चव सञचत विभ ' इति भगवदवचनात‌ । सय दवतादिवारवनितादिभि करियमाण ताङगीतयकत

चट तददोनन सतष । तदीयफरपरदानोनमखकपारसबती

सथ ॥ ॐ लासयदनसतषटाय नम ॥

खामालाभविवरजित। । भगरापतपरापरिलौभ , कतऽपि यत तदपरापनिरखाम , ताभया विवरजिता, पयापरकामपवन नियत‌

परतवात‌, "नम पाथौसति कतवय तरिष ोकष किचन'

इति भगवदवचनात‌ ॥ ॐ छाभालाभविषनजिताय नम ॥

छङषयतराजञा । इतरषा जीवशनानतिकरिपताना गणमया दीनाम‌ उपासनाचिधिशपा वा, कमविधिरपा वा आजञा पररणा

रङधया अविषयीकता यया सा तथा । छदधतनयसय निशि करियादयातमकतवाभावन विशयविषयतवादिति यावत‌ । अथ

वा, किकरीतवाभावन इतरषा दवतानाम‌ आजञा पररणा छङधया

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लकिताचरिशचतीभाषयम‌ | २२३९

उपकषणीया यया सा वथा, ' सरवसयाधिपति सवसयशलान `

इति शचत । ईशवरसय सवनियनततवन सवतरानियमथतवादिति

जञातजयम‌ ॥ ॐ लङधयतराजञाय नम ॥

छबणयशचािनी । ङावणय सौनदरय परमाननदसवरपतया अतिशय गरीतिचिषयतव शाखत इति तथा । सवौवयवसाधा-

रणस दरभाववतीति वा । ॐ छवणयकतालिनय ममः ॥

छघसिदधिदा । धना उपायन सिदधि वाचछिताथपराचि ददातीति तथा, छघशबद रकषणया छधिमासिदधिपर ।

तथा च उधिमाशवपदति वा । अथवा, छचना भल नतालपजञानमागयशचरीररपचरणवतामपयतिनिषषटाना तिय-

गादीनामपि सिदधि सकतियोगयतादतजञानादिसाधनसपनति

ततकायमहिमातिकचयोननया ददातीति सा तथा ॥ ॐ छघ-

सिदधिदाय नम, ॥ लाकचारससवणोभा रकषमणागरजपरजिता । लभयतरा लबध भकतिसलभा काइरायधा ॥ लाकषारससखवणोभा । ङाकचारसन ककषादरवण समानो

वरणो यसया समा तथाभता शोभा कानतियसया सा

तथा । अतिपाटलनिभरहपमलयथ ॥ ॐ छाकषारससवणी

भाय नम ॥

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२४० ककितातरिशचतीभाषयम‌ ।

कषमणागरजपजिता । अगर जायत इयगरजौ रामभरतौ छकषमणसयापि जयषठभतरामाचारानकारितवन चतरभिरपि दा- शरथिभि पजितवयथ । रामसय शिबरिङगपरतिषठाता- इति नामवतवानयथानपपनतया शिवदपतिपजकपवन तदितरषा तदर-

शकमीपरषाणा तरिसिदधिरिति धवनितोऽथ ।॥ ॐ लकषमणगर- जपजिताय नम ॥

छभयतरा । ङभयानि रढधनयानि करमोपासनाविशषाणा फरतन साधयानि भवयानीयथ । तभय इतरा विरकषणा ।

८ ततखतय स आपमा ' ‹ नितयो नितयाना चतनभरतनानामको बहना यो विदधाति कामान‌ । तमातमसथम‌ ` इति 'यतसाकषाद‌

परोकषादरहय' इयादिभि शरतिभि आसमन निलपरापरसवरप तवन परपनपरापरजयरपतया मोकचरपतवन चतरविधकरियाफटसतवा-

भावादिति मनतवयम‌ । अथवा, इतराणि धमौथकामरपनतनि-

वगरपाणि फलानि छबधनयानि परापतवयानि यसया सका कादिति सा तथा, उकतशत ॥ ॐ रशभयतराय नम ॥

ङनधभकतिसभमा । भकति सामानयविशषाकारण दि विधा । ततराशा आतजिञाखथीथिभि यङनधा ततततफलो

दरोन समयविशष विचछिदय विचछिदय परापता तषा समा तततसारबधासारण रदानोनमखसवातमरपतया सनिहित

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लङितातरिशतीमाषयम‌ | २४१

तवात‌ । दवितीया भकतिसत बहमसराकषातकारवता परषण यनकभ

कतितया नधा, ' एकभकतििशिषयत ' इति समत , तसय स

कभा, खवातमरपतया खदा जञायमानतवात‌ । ‹ जञानी सवातमव

म मततम‌ ' इति गीतास । अथवा, नधा परापता सलयपि कणठ

गतचामीकरवत‌ रजधमकतीना यकभा सखनानायासन कषटन

विना साधयततया छाभम परापरिरयसया सा तथा, (मकया

मामभिजानाति ` इति समत ॥ ॐ लबधभकतघखभाय

नमः ॥

काङगछायधा । शषरपतया हरायषखथ , ° अननत

शासमि नागानाम‌ ' इति शरीमगवदचनात‌ ॥ ॐ खाङराय

धाय नमः ॥

छममचामरहसतशरीदयारदापरिबीजिता ।

कलञापदसमाराधया पटा लकखनवरी ॥

छमरचामरहसतशरीकञारदापरिवीजिता । कपनौ करसबदधौ

धताविलरथ , लगनौ चामरो ययोसतौ तारशषौ हसतौ ययोसत शरीशच महारकषमी शारदा चत ताभया वीजिता परिवी

जिता । अनादिकाङादारभय परिचरयया बीञयमानदयरथ ॥

ॐ ठदमचामरहसतशीशारदापरिवीजिताय नमः ॥ 8 ए + 16

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२४२ कङितातरिशचतीभाषयम‌ ।

कलनापदसमाराधया । ङलञानाम अनत करणधम जग पसाहत गहनसाधनम‌ , उपलकषण मनोधमौणाम‌, तख पदम‌

आशरय , काम सकलपा विचिकितसा शरदधाशरदधा परतिरध

ति धीभीरियतपसरव मन एव ' इति शरत । तसमिन समा राधया चिनतनीयलयथ ‹य आतमनि तिषठनननवरो यमयति”

° गहाहित गहरषठ पराणम › ‹ तमातमसथ यऽनपशयनति धीरा ` इयादिशरतिभय ।¡ अथवा, ठलनापद‌ जीवचकरम‌ ,

तसमिन‌ तदधिषठानाननदाभिवयकतिहतततया बहियोगकरमण प

जनीयथ ॥ ॐ रलनापदसमाराधयाय नमः ॥

छपटा । ठभिति परथवीवाचकबीजन तदपरकषित जगल कषयत , पटशबदन आवारकपवधमवनतया अविदया लकषयत ,

खम जगत पट कारणीभता अचिदया यसया सा तथा);

४ मायिन त महशवरम‌ ' ‹ य एको जाङवान ' इति शरत ।

¦ अजञाननावत जञानम‌ ' इति सपरतशच । अथवा, ठमपटो नाम

तनदरी आङसयम‌ , करमोपासनाबाहरयऽपि परतिषनधकभयसतव

शीघरतया परमशवरसय फकदानोनभखताया राजादिविर-

विमबितसवाणकदानवसखय तदततोपचारात‌ , छमपटो यसया सा तथा । अथवा, छमपटादीनामनत करणधमौणामधयास-

वशन तदवचछिनन चतनय सतवरजसतम कायौणासपरनध

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करितातरिशचतीभाषयम‌ । २४२

सतदरनतव वा । ॐ छषपटय मय. ॥

ङकखरी । क परथिवयपरकषितजगत‌ रीयत असमि

निति कम‌ , मायोपाधिकनतनयम‌ , परखयाधिषठानम‌ ।

‹ यतपरयनतयभिमविशषानति ` इति शरत । छीयमान छर ककर

निरपाधिकमिलयथ । तशच सा ईशवरी च सा तथा । अथवा,

खङ सथानविशष सवाधिषठान मणिपरक वा, तसयशवरी;

विषणरदरारमिकसयथ , भतखषटिशतौ परथिवया दक तख तजमि तसय परमापमनि छयशरवणात‌ । ' सदायतना ससर

तिषठा * इति । तसयशवर बिमतिविशषो वा ॥ ॐ छकर

पय नम, ॥

लञधमाना रनधरसा रनधसपतससननति ।

हीकारिणी च रहीकारी दीमधयाहीहिखामाणि ॥

कलधमाना । सव पराणिमि छनध मान अधयसताहका

र , आभमानातमकसतदरदहकार परकीतयत ` इति समरणात‌।

अधयासनाहकाराधिषठानयथ । अथवा, मान पजायाम‌ ' इति

समरणात‌ रय पराणिभि विचनधयककसोनदयातिकषयादि

वशचात‌ पजा लभयत सखहत सा तदनतयाभिणा परवमव

कनधा, पजादिजनयोपकारसय सखद सवसवरपतया रबध-

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२४४ कङितातरिशतीभाषयम‌ ।

तवात‌ । यदया मान परिमाण अणमहदीषहसवभदन परसि

दध । (सवा एष महानज आसमा महान परभरव परष '

^ अणमरपमयान‌ महता महीयान‌ ' इतया दिवदवाकयजलसरथा

दिवदपाधिधमाणामपहित गजसतमभमसणसपौदौ परतीयमा

नतवात‌, छढध मान परिमाण उपहिततया जगत यया

सा तथा ॥ ॐ लबधमानाय नम ॥

छबधरसा । रसो व स ` इति शरत रसवत‌ रसत सखवभयत इति अलयनतपरीतिविषय आननद , स सवसवरप

तवन रथो यया सा तथा । शचङगारगसरो वा, तनयलकम

ङखाभरणयपषपाखकारवनवादिति भाव । शयदधसनतवपधान-

मायोपाधिकतया, “रखा किरधा सथिरा हया आहारा

साततिकपरिया › इति गीतावचनात‌ नवदयादौ कटवामकव णादीना दवादिविषय निषधाशच परीतििषयषवन मधररसो छलञधो ययति बा तथा ॥ ॐ छमनधरसाय नम ॥

छञथसपतसमननति । छरधा सवसवरपतया सवत सि

दधा या सपद‌ सलकामपवादय सघिदाननदादयो बा

साभि समननति सरबोषटता यसया सति तथा । बरहमण

मायामातरापाधिना अभिवयञयमाना गणा कमोनदततवा

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कङितातरिशतीभाषयम‌ । ९४५

दनाकसमिका सनत सरवोचकषटमाव बरहमण जञापयनति |

‹तमीशवराणा परम महशवर त दवताना परम च दवत।

पति पतीना परम परसतादिदाम दव अवनशमीञयम‌ ' ‹ सलयकाम सलयसचकसप ' ‹ एष सरवशवर एष सरवजञ एषो

ऽनतयौमयष योनि सरवसय ' इति ‹ गतिरभता परथ साकषी

इतयादि शरतिसखतिङशतभय ‹ एष निलयो महिमा बराहमणसय !

इति परसिदनिवयोतक षवतव बरमसवरपमवति नानन विचारणीय

किचिदसतीलभिपराय ॥ ॐ छबधसपतसययनल नमः ॥

हवीकारिणी । हवीकार दितीयखणडसमापटयवयवततया वा

चयवाचकसबनधन असया असतीति तथा ॥ ॐ दहीका

रिणय नम ॥ हीकाराधा । अजञ हीकारशबदन ततकायभता वदा ,

तषामपयथतया कारणतया वा भदया आदौ भवा पवमा वीदयथ । शाबदसय अथविषयसवन परवतत शकतिमरहादौ कावयादिकतो च अथजञानपतकशबदभरयोगदशनादरथसय परव

मावितवसकतमिति भाव ॥ ॐ हीकारादयाय नमः ॥

ही मधभया । असय बीजसय जगदमिनननिमिनतोपादानभत मायाविशिषटचतनयवाचकतया तसपरतीकतवन तजनषठयावहण चसतव तदपासनातिशञयमहिशनाभिवयञयत । अनयथा मनतरपर

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२४६ ररितातरिशचतीभाषयम‌ ।

शच यौखिषठसिदधथभावपरसङग सयात‌ । अनयवहितपवनाननान-

भिनयकतसवरपसयापि हाबदजारसय पएतदवीजमातरासमतवाङक- रितबीजाथवनतया पवभावितवञकतम‌ । इदानीमभिवयकता

तमकसवाथकतया विवतवादमाभिलय वाचारमभणाकारण ना

मरपटयवतवयचयत । हीकारवीजाथ तन शाबदन रकयत।

मधय उयवहारकाङ दी यसया सा तथा । घटादिष वसतष

सशविदाननदपरतीलया वयवहारकादऽपि परपशचकारण बरहमात-

सयततया भासमान जगतकारणमिति सिदधानत । अननाच- तनपरिणामारममादिवादा निषरमाणतया यकलयादयाभासक

सवन निरसता वदितनथा ॥ ॐ हीमधयाय नम ॥

हीरिखामणि । कक यथा चडामणि सवाङगरचिता भरणापकषया तदिजातीयभरकाशचसततादयाशनरयवान‌ उनतमाङग-

सथानविशष सथापित महदशवयोदि तदवत परषसय जञाप यति, तथा सवशनदजारतदधाचयाथभतचिजडसबनधरप-

पपथचचवाचकातिसकषमदधीवणौतमकशरीवियाराजबीजसय सल जञानाननदातमकलकषयाथमता सती दीबीजजापकाना सवौ भदानन पारमशवयवयलयतीति गणयोगकतनामदम‌ ।

तथा च हीम कषिखामणि परमतातपरयण जञापयतीवयथ ॥

ॐ हीशिखामणय नम, ॥

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कङितातरिशतीभाषयम‌ । २४५

ईहीकारङणडाभिरिखा हीकारशारिचनदरिका ।

हकार मासकररचिहीकारासभोदचशचला ॥

हीकारङणडापभिशिखा । हीकार एव कणड वाचयवाच

कसबनधन परनदयावचछदकतया आहवनीयादिखदकषम‌ , त

सयाभनिशिखा, ‹ उहीपतऽनौ जहोति ?- इति परमाणन (आ

हवनीय जहोति "~ इति विधिवाकयावगतषटोमाधारताया

कवलावनीयसयायोगयतया सामरनिजवाङख होमाधारताया

जञायमानायामदटदवारा सवगसरबनधन सवारथकतया तजजञा

पकरवदवाकयसयापि परषा सवनधितवमाहवनीयनिषठहोमा

धिकरणदीपराभिञवाङासवाधारभतङणडसाथकयसपावकवामा ति । तथा सववाचकबीजसयापि ` मनतरहपासीत ` इति वि

धिगतदवतोपासनकरणाना मनाणामपि सखवाचकतया सा

थकयसपादनाततथोचयत ॥ ॐ हीकारङगणडानिशिखाय

नम ॥

हीकारकधिचनदरिका । हवीकार एव शशी चनदर तसय

सवरपामदभतपरकाशचतनय चनदरिकःपदनोपमीयत । यथा चनदरसवरपभतामतपरसारमभतता उयोतसञा दवादिसवछोकाना खजीवकतयोपकरोति, तथा दढतरभकतिपरवरपरषधौरया

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२४८ कलितानरशतीभाभयम‌ ।

दीना हीकारवानयाथतया तदभिननतवऽपि जगदधिवतकारण

तया सशिदननदाधायकपवन सजीवयतीति भाव ॥ ॐ

हीकारशरिचनदरिकाय नम ॥

हवीकारभासकररचि । भास कानती करोति परसारयति

छाकोपकारायति तथा सरय , तसय रचि परचणडभाल । यथा कक सय वषाोसवतिगाढतरसरवददकधारासगयापरदि

गनतरास दिवा विदयमानोऽपि सय साकषादयमिति चाकषष

जञानगाचरो न भवति, तदमाब शिषटाना भोजनादिसिजीव

कञयवहारा भावन तदपायासिदधथापरसननमनासि भवनति,

तथा जञानमागौनधिकारिणा मोकषमारगोपायभताविदितदवता रपदहीकाराणा जनाना बहतरपणयमहिनना महावातनव मघा

वौ दरीङताया चणडभालरिव सखसाधन गरकपापाङगाव छोकनरपदीकषावकषन परतिबनधकदरितापगम परदवतारप

हकार परशचयया साकषादराचयाथापरोकषजञानहतरभवति । चिरकालनरनतयभावनापरकषण तसमिननभिगचख मति तह

कषयाथरपपरमाननदविपकङा खयमवाभिवयकता सलयाननदा बभवामतन सखयतीति तथोचयत ॥ ॐ दीकारमासकर

रचय नमः ॥

हीकाराममोदचजचखा । अमभासि अगतानि ददतीय

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लकिताधिकषतीभाषयम‌ । २४९

समादा , हारोऽपि कामवरषपवन तरपमीयत । तष चशच

खा विदयता विदयमाना तदभिननपरकाशमाना सती वरषो कदवारा ससयादय<पादकतव यथा उयननकि तथा हकारवाचय तया तदभिननापि तससवहपविचारणाया शदधककषयाथखरपा सयपि अनिरवचनीयसववाचकमनतरपरकाशितदवतातवन सवा

५. भ (५ अ ०. [९ # 4 क

मीषटपरषारथपरामिहवभतयभिसधि ॥ ॐ हीकारामभोद

चशचलाय नम ॥

हीकारकनदादकरिका हीकारकपरायणा ।

हीकारदीरधिकाहसी हीकारोचयानककिनी ॥

हीकारकनदाभरिका । हकार णव कनदम‌ दढतरबीज

भाव तसय अदकरिका आदिगरसव नतनाभिनयकतिरियथ । यथा रोक अदकरादिक ऊनदादिनिषठोतपादकककतिमनभिभ

यव सवय सनधराखापतरपषपफटादयापमना यथा विवरवमा-

न तससरामधभयपरकटनकारण मवति, तथा हकारसय वदकद-

शपवन इतरपरमाणानपकषतया सववानयाथकञापनन सवतत परा

माणय सथितऽपि तसननयजञानविषयतावचछदकधमरपनाना

भरकारजगतपरिणामहदतवसाधकाघटितघट नापटीयसीमायोपा-

धिकसवन तदथदवयरपा सती तनमातरपरमाणवशचलथ ॥ ॐ

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२५० करङितातिशचतीभाषयम‌ ।

हीकारफनदाङकरिकाय नम ॥

हीकारकपरायणा । हकार एव एक अनितरसाधारण

चतरबिधपरषाथसाधकतया परम‌ अयन जञापक परमाण

यसया सा तथा| असय बीजसय वाचयारथो माया, सा निर-

धिषठाना न सिधयतीति तदाशरयसवविषयसव।भया तदरहित तन

जञापयत इति माव ॥ ॐ हीकरिकपरायणाय नम ॥

हीकारदीरधिकासी । हवीकार एव दीधिका रजोदयान

वनकरीडावापी । ससारकाननसनचारिखोकविशरानतिकारण

तवन हवीकार तयोपमीयत, ‹ आराममसय पशयनति न त

पशयति कशचन ' इति शरत । आ समनतादरमलयसमिन इलया राम अथवा जगत‌ । तकरोपासनादिना परमाननदपरापक-

तयावा हरीकार उपमीयत । तसमिन हसी शरीहस । यथा

रोक सारासारविवकिदसया आधारदवणकमङादिमती वापि

का महाराजसवनधिनी विजञापयत, तदरहानयाथरपतया भका

शमाना सती सवसबनधिीजसय यखोतपादकतवमोकषततव

दयोतयतीलयभिभराय ॥ ॐ हकारदीरषिकाहसय नम ॥

हीकारादयानककिनी । हकार एव उदयानवत‌ फङानभा बकतवात‌ तथोचयत तसय ककिनी मयरी । यथा कोक

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कितातरिशतीभाषयम‌ । २५१

बहष पकषिष आरणयकष सससवपि तसया पधवनिभया

सखतया दशनशरवणादिजनयपरमोदसाघकतया उदयानाखक

रिषणतवम‌ , तथा दीकाररपदवताधवन सिदाननदरपत वाचयारथसय च परमपरषाथसाधकतवन अविशिषटववऽपि ज

हयविषणरदरादिमरतिष उदयानतरवलिककषगलमादिवदततमनीच

दवतियङमनषयादिष च मयरीव सवचछया सवञयापकतवन तदासमरपतया शकषरीरनदरियपराणादयाधारपरमगरमासपदपरमा

ननदरपपरलयगगोचराहवततिवयापयतयतदवीजपरकाशया भवती

तयथ ॥ ॐ हीकारोधानककिनय नमः ॥

हीकारारणयहरिणी हीकारावालवहछरी ।

हीकारपञलरशयकी हीकाराङगणदीपिका ॥

हीकारारणयहरिणी । हरीकारवानयारथकदकाभतमायावि

दयाततकायीणा बनधरपतया गहन वयाघरादीनामिव भयह

तना सदभावन दषभवशचतवरपधरमसरासयन हकारसय अरणयो

पमिततवम‌ । तथा च अरणयमिव हकार इति सरतरोपमा

नोततरपदसमास । ततरव सति यथारणयगतपरषसय शीघर

दषटिपथ गता हरिणी एणी वयाघादयभावनिशचयन तदधिगम

फलपरापनिसाधनतामवगमयति धीर परषसय, तथा निरनतरम

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२५२ कशितातनिशचवीभाषयम ।

कतिमजनपरभराणिलोकसय उपासनापरिपाकमदहिनना अपरोकषी-

कताजञाननिषततिपक भयापकरणनाननद परापयतीति तयो

पितति भाव । ¦ तमव विदितवातिखपयमति ' इति शरत ॥

= दीकारारणयहरिणय नम ॥

हीकारावाखवदखरी । ईौकारमनतरवाचकतानिरपितवा

चयतानामकसबनधावचछिननपरदवतासवरपपवन तदपासना

विषयफखदानसमथी सती आवारमाननपररोहदठिडनदवयो पमीयत । तथा च तपसबनधितया हीकार जपादिना आ

वाख इव सरवदा सरकषणीय इति तासयाथ परिनिषपनन

इति यावत‌ ॥ ॐ दवीकारावालवहय नपर ॥

हीकारपशररशयकी । समनदाधिकारिणामपयपासतनाकारण

साधारणपावतीपरतीकतया हकारसय बालठकादिरारनानिषय

ववधमपरसकारण पलरोपमा । तथा च तनलयशचकीव सका

पादिना मसषयादिचिततरशजिनी । एव तततददषटान सारण फ-

छदाकती सती तयोपमितति दरषटवयम‌ । हीकार परामिव मसय शयकी तससारथकयकारिणीयमिपराय ॥ ॐ हीकारप

ञञरशकय नमः ॥ हकाराङगणदीपिक। । अङगणवत‌ सवसाधारणविशरानति

सथानततया हीकारसय तदपमा तसय दीपिका । यथाङगणारो

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ककितातिशचतीभाषयम‌ । ५५३

पितदीप बाकयाभयनतरवसतजात परकारायन ततरयलाकाना

मनधकारादिनिवतनपकमभीटठयबहारहतततया सरवान‌ छा

घयति सवयमपि त सरकयत, तथा हकारबीजारथशरवणम

नननिदिधयासननिरनतराभयासादपरोकषीकतसवयपरकाशचाननद

रपा सतती सवसवकान‌ सरवोसकिषयतीति तदपभिता सती

तथोचयत ॥ ॐ हीकाराङगणदीपिकाय नम ॥

हीकारकनदरासिही हीकारासभोजशरदधिका।

हीकारखमनोमाधवी हीकारतरमरी ॥

हीकारकनदरासिदी । पवतरिखाभरवतिगहा कनदरा द

रीदयथ । वदमौकिपरितदहीकारसय परासयविषयदटिपपराणि परवशयोगयताविकलतया कनदरापमा । ततर यथा सिही

सवतरचदरमगपरवशषभयहतसटादिसवनयापयचिहणानमिता तसया

सवाशरयमालता धीरसय ततपरिसरनखनिषोतमकताफछादि

परापन च नयतति, तथा मनदभकततनदरीबभकषादिकलटषित-

परिचछिननामिमानदवतानतरपरतिपादकनीजतया सवदवतक

भाव कामितारथ च परापयतीति सिदयपभिता सती तथो

नयत ॥ ॐ हीकारकनदरासिष नम ॥

हीकारामभोजशञजिका । हीकारख अदचयौरमकपरषा

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२५४ कङितातरितीभाषयम‌ ।

थसाधकनानाशचकतिमनतया नानाभरकारवणौनतरघदितततवन प~ रागपरिमदादिमलकमलोपमिततवभिति याजनीयम‌ । कम

यथा मधमातरसाशमादिणी शङखी रमत सरवपषपरसमधपा-

नसरामावयन सवसमापि मधवाधिकयविविदिषया परमतम धवततवन च तसमिनव बिशिषयासकतिमती, तथा सवमनव बी जवाचयदवतातमना सबोलगतापि हकारसय विषिषटगण

वतवन सरवोपादनिसशणनरहमपरतिपादकतया तदीयसवरपत

टसथङकच णवनतवन तद‌ भिननसवरपतया सरबशचबदजाखपरछति-

तवन च रढया छकषणया वा ततसबनधिनी सती तदपास

काना तदधिषठानतया च तखकषयत इति शदगयपमया ब णितषि तापपथम‌ ॥ ॐ दवीकारामभोजमदगिकाय नम ॥

हीकारपमनोमाधवी । हवीकारसय चाजछितफरपरदानसा-

धकतया समन सादशयम‌ । अथवा, पषपाणि वयवहारसमय बहसाबधानतया जयवहतवयानि परममादवाधिकरणसवन बह मानयसवात‌ , तथा हीकारोऽपयपासनवकाया परबरहमवाचकतवन

परयजनपकमकामरमनसा दवताभिननपवन धयातचय इति निय मसपादनारथ पषपोपममिति विभावनीयम‌ । तथा च वा-

खवादिना छषकाणि पषपाणि निमधतवन फरामयजनयितवा

परिपतनति फरजनकराकतरभाषन , तदितराणि त तदवसवन

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लकितानरिचतीभाषयम‌ । २५५

तसननकानि छोक दषटानि , पषपरसशच पथिवीकारणभतादक

त^मातरखरपमघरर सापमकसवात‌ पषपाणा फङजनकशकतिजञा

पको भवति , तथा हीकारसयापि सवजनकताशचकयाधायकत

दधिषठानसशिदाननदपरबरहमसवरपा सती तनमनतरपरापया

यथोकतफहततया तदरथरपण तदकतति भवतीति माधवीसमा- नधमवनतवमसया उपपदयत इति विकचनीयमिति यावत‌ ॥

ॐ हीकारसमनोमाभवय नम ॥ हीकारतकरमलरी । फटारथिन सवारढजनान‌ पतनादि

भय परतिबनधकभयसतारयति पार परापयतति फटछाभन सख

तोषयतीति तर । हीकारदय कसपादितरदषटानतीकत ।

कषावतता सवादिपरशततिजनकपवन शचाखोपराखाभरगता पषप

मखरी फरकारणयोगयता जञापयतीव परषाथाथिना अस

शषयपरचतकपवन परयकसखरपा सती गरपदिषटमनतरदवतातम

कतया मनतरोपासनायामभिसखीकरणन परषाथान‌ पराप

यतीति मललरीसादशय परापन परदवताया इति बिवचनी

यम‌ ॥ ॐ दवीकारतसमञचय नम ॥

सकाराखया नमरसा सकलागमनससतला ।

सववदानततातपयभमि, सदसदाशचया ॥ सकाराखया । सकारयकता शरीविदयानाभिका आलया

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२५६ कलितातरिशचतीभाषयम‌ ।

वाचकशचबद यसया सा तथा ॥ ॐ सकाराखयाय नम ॥

समरसा । सम एक रस मधरादिरसवदभडपिणडादा

वकरपण कारय वयवसथितवयथ । अथवा, ससारदशञाया

सजञतवकिचिञजञतवादिविकशषणभदन भिननरसवत‌ भिननसखभा

ववत‌ परतीयमानयोरीशवरजीवयोवदानतशरवणादिना जनया-

खणडाकारवततिवयापया अह बरहमासमि इलयमदानभवदशा-

यामकरपतया साकषाककियत इति सा तथोनयत, “रसो तर

स › इति शरत , रसशबदाथ परबरहम सम अभिनन यसया

सा तथा । तनतिरीयोपनिषतपरतिपादययथ ॥ ॐ समरसाय नम ॥

सकङागमससतता । आ समनतात‌ गमयनतीति आगमा ,

सकरपदाथगोचरसविकटपकपरमाजनकवदा इतयथ । सकल

रनयनानतिरकणतिहासपराणसदितयाववङगोपाङगरहसयावियो गितव सकठशचबदाथ । त सतता समयक‌ नात पर किषि

दसतीति निशचयपरवक सतता गणिनिषठगणाभिधानविषयतया तदपजीवकयथ । सवौथपरकाराकवदाना सरवकषपतनदपरयण तदीयसततिविषयतया शदधचतनयासमकतया सोकषकारणीभ तकञानसबरपतवन जिजञासयतति भवनितोऽथ ॥ ॐ» सकरा

गमससतताय नम ॥

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कङितातिशतीमाधयम‌ । २५४

सरववदानततातपयभमि । बदानामनत अवसान तततवम

सयादिमहावाकयानि, तषा तातपरय समनवय सामानाधिक

रणयमिदयथ । तसय भमि विषय जञापयमिति याबत‌ । ‹ उपकरमापसदारावभयासाऽपबता फङम‌ । अथवादोपपतती च

सिङग तातपयनिरणय ' इति वचनोकततापपयनिणोयकपरमा

णबङनातीनदरियधमौदिगोचरतराकयवत‌ सरवषा वदानता

नागयपासनाजञानविधि विनाकमशषतया अजञातजञापकवन

शसन दव शासखकषबदवाचयानामदत बरहमणि गतिसामानयन

करमोपासनाकाणडदभयारथोपकायपवन मोकष तजञानजनकतवन

परयवसानमिति तातपयविषयता अखणडवतनयसयति सि

दधानताथ इतयभिसधि । सामानाधिकरणय च विशषण विशषयता । रकयरकषणभावशच पदारथपरयगातमनाम‌ ' इति

नयायन सबनधतरयण अखणडारथ बदनता बोधयनतीति

° ततत समनवयात‌ ' इयधिकरण भतिषठापितमिलयकमतिवि

सरण ॥ ॐ सववदानततातपयभमय नम, ॥

सदसदाशरया । अपरोकषतया सभनिति भरतीततिविषयतया

वयवदियमाण सतकारयरपादिवततया वयावषटारिकखतताशर य परथिवयपरजोभततरय सदितयचयत । असत‌ सदधिभरतया परौ षजञानगोचर वायवाकाचादि ततकारय च खपादिभिननगणाशन

५ ए शद 7

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२५८ रकितातिशतीभाषयम‌ ।

यञचयत इतयथ । तयोराशरया उपादानतवन तदधिषठानभत

तयथ । मआरोपितसयाधिषठानमततातिरिकतसनतताशचलयततया सतता सफतिपरदतवन सदा तदनसयतति धययम‌ ॥ ॐ सदसदा

शरयाय नम ॥

सकरा सचचिदाननदा साधया सदगतिदापिनी ।

सनकादिसनिषयया सदाशिवकदटमविनी ॥

सकरा । आरोपितकलाभि उपासनारथ करसपिताभि

जाबाछिना सलयकाम परपयकतषोडशकरायकतपरषोपासनभरति

पादकचछानदौगयवनवनरीलया कराशचबदितावयत सह वरषत

इति सा तथा । चत षषटिचनदरकराभया वा सहिता ।

अथवा; कठाशचबद सखादिकानतिवचन तया सहितति

वा ॥ ॐ सकलाय नमः ॥

सशिदाननदा । सचासौ विषव सित‌ सिशचासौ आन-

नदशच, काठतरयाबाधयतव सतवम‌, सवतरपरकाशापरकाशयतव

चिसवम‌ , परमपरमासपदतवमाननदपवम‌ , ‹ सल जञानमननतम‌ ' ‹ विजञानमाननदम‌ ' ‹ सदव सोभयदममर आसीत‌ ' परजञा

परतिषठा परजञान बरहम ` ' आननदो बरहमति वयजानात‌ ' (आ

ननद‌ बरहमणो विदवानन विभति कतशचन › इतयादिशरतिभय ।

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ककितानिकचतीभाषयम‌ । २५९

त खरप यसया सा तथोकता | वदानतशासमोकतबरहमसवरप

लकषणलकितय ॥ ॐ सञिदाननदाप नम, ॥

साधया । करमोपासनादिभि महावाकयशरवणजनयबरहम

विधातवन साधनचनतषटयसपननाधिकारिणा अपरोकषतया साधित पराघमहठा, फरसवरपपवादियथ । साधवीति चा पाठ साधो बजी, सततवगणसपननतवात‌ साघ , सकल

विदयापारगपव सति सदाचारसपनन दवीसपततिमानिदय

थ । तदकनिषठा परमपतततितरता सती खीणा पातितरलयसपरदा

यपरवतकति यावत‌ ॥ ॐ साधयाय नमः ॥

सदरतिदाथिनी । समीचीना पनराढततिरदहिता सखमातर

रपा गति , गमयत जञायत परापयत इतति बा गति । यत‌

जञायत तदव गति , तदनयसयाजञाततवात‌ गतिताजपपतत ।

जञात फर इचछया ततसाधनष परष परवतत, न तव

जञातफरसाधन~ इवयनवयजयततिरकाञयाम‌ , ' बहमविद‌पराति

परम‌ ' ! बरहम वद‌ बरहमव भवति ' ‹य परत दवा ऋषयशच

तदविद त तनमया अमता म बभव ' इवयाविशरया च परदवतासवरपमव मकतिसखरपतया सदरति । ठदावार-

काजञानाभिभवन सवरपाननद‌मभिवयखयतीति दायिनी ।

अभदऽपि गतिदानयो कमकरतभरयाग उपपदयत । ‹ तदा

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२६० ररिताकनिशचनी माषयम‌ ।

पमान९ सवयमङरत ' इलयानविदिदयथ । सती वा सततवग णयकता दवयानादिगति वा ददातीति सा तथा || ॐ सह

तिदायिनय नम ॥

सनकादिञनिधयया । मननशचीा मनय , मननशनदन

छकषणया ततसाकषातकारवनत इतयथ , बरहमण मानसिकपतरा जञानवरागयादिबहका मोकचमागभरवतका , सनक आदि यषा त मनय सननदनसलनातनसनतछमारपरमखा निर षणा निशचिनता , तरधयया अलयादरण सवातमाभदजञानन स बदा विषयीकततयथ , ' ८व वा अहमसमि भगवो दवत अह व तवमसि" ‹कषतरजञ चापि मा विदधि' ¦ आतमान चदधि

जानीयादहमसमीति परष ` ' अथ यऽनया दवतासषासत

ऽनया ऽसाननयाऽह‌मसमीति न स वद‌ यथा परय ' \सरतयो

स मसयमापरतति य इह नानव पशयति ' इयादिशरतिसमति

शतभय ।॥ ॐ सनकादिगनिधययाय नम ॥

सदाकषिवङटसबिनी । सदाशिव कडमनम असया असतीति

तथा ॥ ॐ सदाशषिवङटभबिनय नम ॥

सकलाधिषछठानरपा सतयरपा समाकति, ।

सपरपशचनिमौचनरी समानाधिकवरभिता ॥

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करिताचरिशतीभापयम‌ । २६१

सकराधिषठानरपा । (अथात आदशचो नतति नतिः

° नह नानासति किचन ' इयादिनिषधशरतिभय परतिपनना ।

° सरव खसविद‌ नरहम' इलयादिवाधाया सामानाधिकरणय

मवगसयत । कारयमय कारणाभदजञान बाधा । तदधिननता

जञानसय भरमरपपवात‌ । तथा च शरतिनिषधसयावभयपशचाया

रकलयादीनामपि तततवजञानन निशतौ भतपगलया सबौधि छठानसवन अनभयत इति भाव ॥ ॐ सककाषिषठान- रपाय नम ॥

सलयहपा । सतय जडानतपरिनछिननवयाबरततसव सथिदान-

नदरप यसवा सरा तथा । परिणागवादमाशरितय सत‌ अपरोशच- जञानयोगयानि एथिवयपतजासि, यनत परोकषजञानचिषया नि

लयानमया इपयथ ›, ‹ सशच लचचाभवत‌ ' इति शरत । सतय

रप यसया सा तथा ॥ ॐ सतयरपाय नमः ॥

समाङति । समा अभिनना सशथिदाननदरकरसा जा कति भति सवरप यसया सा तथोकता । समा अनयना नतिरिकता यथाशचाखपरमाण मतिरविरहो यसया सति वा। समा सदाशिवन गणसौनदयबरवीययशोगाममीयरयङगि- तादिपरिजञानसरवजञतवादिषहरधरम विशष मरियसया सति वा । चतचिधभतधरमष तततसरारबधानसरण समा

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२६२ ककितातरिशचतीभाषयम‌ ।

ततर ततर निवासयागया मरपियसया सतति वा । कमौधयकष तया तनतसफखविशषदानध सम। पकष पातरहिता मरियसया सा | समा बासयसथविरपवादिभावविकारवजिता णक भकारा निलयौवनशाङिनी मरिरयसया सा। ‹मम सरवष भतष मदभकति कभत पराम ' अङकषठमातर परषोऽनतरातमा

सदा जनाना हदय मनिविषट ` इति सपतिशचतिभयाम- करपतवावगमा दितयाशय ॥ ॐ समाङतय नम ॥

सवपरपशचनिमोतरी । ससारसयानादितया माकषसथायितवन

च भतमभविषयहतमानगया सरवशबदनानशरतव परपचछभय , परप छचयत विसताथत विवरघत इति भपशच , ‹ एक बीज बहधा

य करोति" इति शरत । तसय निमौतली निमौणमसिबयकति तजनिमितततया तततपकवरतवञपचयत, दवदतत पचतीतिवत‌ ॥

ॐ सवभपशचनिमीतय नम, ॥

समानाधिकवजिता । करशीरजातिगणादिभि तय

समान , त शरयानधिक , तवजिता । ‹न तसय भरति-

मासि ! ‹ विशवाधिको रदरो महरषि ' इति शरत , ! सबौधि

पतय करत महातमा ' इति ¦ एकमवादवितीयम‌ ` ‹ न ततस

मोऽऽसयभयधिक कतोऽनयो छोकतरय ' इतयादि शरतिसमति-

भया चति भाव । एतदषटथा समाननीय समान पजनी

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कशितातरिशतीभाषयम‌ । २६१

योऽधिक तहयन वरजिता । ‹ एकमवादितीय बरहम ' इलादि-

रतरिति वाय ॥ ॐ समानाधिकवरजिताय नमः ॥

सरबोङखा सगहीना सगणा सकलनवरी ।

ककारिणी कावयलोला कामनवरमनोहरा ॥

सरवोततङगा । कायौपकचया कारणसयाधिकतवात‌ खवा पकषया उततङगा उननता, ‹ पादोऽसय विशवा भतानि । चनरिषा दसयासत दिवि ' इति शरत ॥ ॐ सवोतङकाय नमः ॥

सगहीना । निरवयनपवन तिषकारणतवन वा निरयणतवन

वा निराशरयसवन वा निलशदधबदधयतखशपरजन सबनधर हिता वा, ‹ असगो न हि सलत' “न चासय कथिलनिता

न चाधि ` इदयादिशरतरियाकय ॥ ॐ सगहीनय

नम ॥

सगणा । समा एकपरकारा गणा सलयकामतवादय य

सया सा तथा | ‹गणी सवविदय ` ' सलयकराम सयसक-

सप ' इयादिशरत । चिमतिसवरपतया सततवरजसतमोगण सह वतत इति वा तथा ॥ ॐ सगणाय नमः ॥

५६ [^>

सकटषटदा । इचछाविषयमतानि इषटानि कामयानीय-

थ , सकलानि च तानीयमदसमासर , अनयथा जीवादि-

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२६४ कितातरिकषतीमाषयम‌ ।

वत करसमिशचिदधिषय असामभयशङका सयात‌ । एकसय पदाथसख बहनामिचछाविषयतवदकछनात‌, एकतर कामनायामपि ततस- द भावितवन सरवपरापकतवोकतौ परदवताया बहफलपरदादन अलयनतविशवसनीयतया अतिशयतरतिभानाशचयथ । अथवा, परिचछिननपरिमितभागयवरराणिन सरवसय सवतर इचछाया

मपि, यानि साणि खबदधया शासनािरोधनषटानि एषित- वयानि वाञछितनयानि, तानयव परयचछति ददाति, न तद‌

धिकानि, रोकचछाया बहपरकारतवन दषपरणीयसवादिति भव । सरवषा पराणिनामिषटया इजयया पजया विषयीकता,

यजञन वा समाराधिता तसय फठशरदतयथ । ‹ अह च स

वयजञाना भोकता च परभरव च ‹णष हयव साध कम का रयति यमभयो ोकभय उननिनीषति" इति सपरतिशचतिभया परमशवरारपणनदधथा करियमाणसयव कमण छभफठतवात मकतिदततवन, कामयफङाथिना जनममरणादिबनधकतवन सव-

इपफलतथा अनादरणीयततादियथ । अथवा, कलाभि अ-

बथन तरतमभवरियथ । त सहितानि इषटानि फ- कानि मसषयाननदादिनरहमाननदपयनतानि फएकानि आननद

सवरपाणि ददातीति तथा ॥ ॐ सकलषटदाय नम ॥

ककारिणी । ततीयखणडदधितीयवणरप ककारावयव

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करितातरिरतीभाषयम‌ । २ ६५

वाचक असया असतीति तथा । ॐ ककारिणय नमः ॥

कावयलोला । वामीकिवदवयासादिषतषर कावयष री डा, वाचयलकषयाथमदन तनन सबदधतयथ । अथवा, कति

भि कतष सततिविरषष परीतिमतीतयथ ॥ ॐ कावयो काय नम, \

कामशवरमनोहरा । करमिशवरसय मन हरतीति तथा ।

ॐ कामशवरमनोहराय नम ॥

कामनवरपाणनाडी कामरोतसङगवासिनी ।

कामभवरालिदधिताङगी कामनवरसखपरदा ॥

कामशवरपराणनाडी । कामशररसय पराणनाडी यथा नाडया

पराण सचरति सा तथा, जीवनाडीवयथ । इडया त बहि

यौति › इति लयखणडववचनात । रोक विकषमयमान परलौ हदय पणडरीकाकार मासखणडापमकानत सषिराटदरोपतमङकषठप

रिमाणसषिरयताधाभागकरणिकामधय सशयत, तदया करणिका

या कसरायमाना एकशचत नाडीनामङकरा तदषटनपरीतशनाम

कनाडीसषिरविनयसतमका भवनति। ततर सधभनानामकनाडी

मकाधारादारभय बरहमर घपयनत गता । तसमा षट‌ चकराणि

मराधारादीनि तनतनमादकावणसहितयोगशासखोकतदरसय

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२६६ करितातरितीमाषयम‌ ।

तानि सनदधानि वतनत । तसया मर पर» बीदवता बिसततनतत

नीयसी इणडङिनयधोमखावरणनशचकतिरनिदराति । तसया दकषि-

णभाग इकानामनाडी भरमधयपयनत भरखता । वाम

पिङगला तथा । तथा च जाबरदबसथाया नतरयो दपलातमना

रतिपरतिपादित , सवपन मनडपाधिक › सपतावजञानोपाधि

क , जागरति सथङशरीराभिमानी चिच हइपयचयत, सवर स-

कषमाभिमानी तजस , सषपरौ कारणाभिमानी पराजञ । सष-

पतौ कारणापमना सथितानि सथलसकषमशचरीरजनयभोगस।धन

परारनधकमवशन परमपदारा नाडीमानण तततदरोरकानि परवि

शनति इनदरियाणि । तदपरमभारनधोदरो ध आनदोकिफाया वि

दयमानो राजा गहानतर सोपानमागहवारा परासाद निहपय त-

दवचछिननानत परपय शयान इव नाडीदरार परीतसविदय

तदवचछिननहटदयोपाधिक परमापमान यदा परविशति तदा

सपर इषयचयत । लिङगशरीर कारणापमना छीयत । तद‌ा पराणा

दिवायव परलीनवततय सनत आय सवरपण शरीर रकषनति । तथा च भाविजागरससपरभोगाचकखकमानबनधपराणधारण स-

पपरौ सोपाधिकचतनयसयव दशयत । तपसनतया च नाडीना

पराणसचारयोगयततापि । एव च सति "न पराणन नापानन

मरयो जीवति कशचन । इतरण त जीवनति यसमननतावपा-

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रङिताचिशतीमाषयम‌ । २२६७

भिततौ इति शरलया * जीव पराणधारण ' इति धातपाठाचच पराण

नाडीशबदसय लकषणया परमारनवोसयत । कामशवरसथव

भरारनधकमजनयशचरीरमातरामावऽपि चतकाटिनयनयायन मरति मततया तदनतयौमिसभावनया एतननाम । कामशरसय पराण

नाडी तदधिषठानचतनयमिति फकितोऽथ ॥ ॐ कामशवर

पराणनाखय नम ॥ कामकषोतसगवासिनी ¡ कामशसय उतसग वामादक वसती

ति तथा । ° अनकमनमथाकारकमशोतसगवासिनी ' इति कितातापनीय ॥ ॐ कामशोतसगवषासिनय नम, ॥

कामशवराङिङकिताङगी । तन आङिङगितम‌ अङगीकतम‌ अङग

यशचा सा तथा ॥ ॐ कामशवराछिङगिताडखय नम ॥

कामशवरसखभरदा । कामशवराय सख परददातीति बा ।

कामशवरख यससख बरहमखरपसशचिदाननद साकचापकारातम

कम‌ , ‹ दवो भतवा दवानपयति ' इति शरतयकतनयायात‌ सव कीयभकताना कामराभदरप सधिदाननदघनापमक मोकष

ददातीयथ ॥ ॐ कपिशवरसखमदाय नम ॥

कामशवरपरणयिनी कामनवरविलासिनी ।

कामगवरतप सिदधि, कामनवरमन"पिया ॥

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२६८ लकितातरिशतीभाषयम‌ |

कामशवरपरणथिनी । कामशवरसय सवसवरप परमाननदधन

या परीति तदधिषयभतयथ ॥ ॐ कामनवरपणयिनय भम |

कामशवरतिरासिनी । कामशवरसय विकास कायौतमना

विवरतोऽसया असतीति तथा ॥ ॐ कायशवरविरासिनय

नमः ॥

कामनशवरतप सिदधि । कामशवरसय तप जगदारोचना

पमकम‌ › सिधयलयनयति सिदधि , तपस साघनभतयथ ।

खीपरषातमना करिपतभदवकषातत जगतस जनसाधनभतवयथ ॥

= कामशवरतप सिदधध नमः ॥ कमशवरमन परिया । मनस परिया तथा, निरवधिक-

रमासपदथ । ॐ कामशवरमन'मयाय नम ॥

कामभवरपराणनाथा कामशवरविमोहिनी ।

कामशवर बरहमविदया कामनवरगरहमबरी ॥

कामशवरपराणनाथा । कमनधरसय पराण दिरणयगमभ

त नाथयति पारयतीति तथा । कामशचर पराणनाथो वदधभो

यसया सति वा तथा ॥ ॐ कामशवरपथाणनाथाय नम ॥

कामशवरविमोहिनी । विमोहयति सवय भिनननिरहवती

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ककितातरिशचतीभषयस‌ । २६५

सती आबा दपती--इति दिपरकारकजञानवनत करोतीति सा

तथा । अभदजञानवत तदविपरीतजञानवततत मोह तचकरोती

ति सा तथा। अथवा, मोहो नाम बदधरकारमबनतया तद‌-

नयाविषयकतवम परमशवरसय सवसवरपपरदवतापरमाननद‌

साकषापकारण सथाणषननिशचरतया उपचारण मोहवततया तदि

तरपरपशचाकारकलयादयाशरयतादशनन मोहयतीपयपचारनाम ।

मोयतीवलयथ । अनत परगत राजान सियासकतमितिव

दियथ ॥ ॐ कामशवरविभोहिनय नम ॥ कामशरबरहमविदया । कामशवरसय ततवपद‌ाथसाकषातकार

भतयथ , (य साकलादपरोकषादभकय * इति शरत ॥ =

कामनवरबरहमविचयाय नम ॥ कामशवरगहशवरी । गरहयत इति परह सरवजञानम‌ तसय ईशच

री विषयाधिषठानमततवन नियामिकयथ । अथवा, ‹ गहिणी गहमचयत ' इति नयायात कामशवर गहशर ससया अ

धिपति असया असतीति सा तथा ॥ कामशवरगरहवरय

मम ॥

कामशवराङादकरी कामभवरमदहगबरी । कामशवरी कामकोरिनिलया काहविताथदा ॥ कामशवराहादकरी । आहवाद दपिजनयसख परमशवरसय

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२७० कितातरिश तीभाषयम‌ ।

नितपतलरपा शकति , परदवतातमकतया त करोतीति

तथा ॥ ॐ कामशवराहादकरय नम ॥

कामशवरमहशवरी । महती च मा इशवरी निरपाथिकरशच

यवती, ' महानरमरव परष ' इति शरत । कामशवरमथ मह

दरयम‌ असया असतीति तथा, भगवतीयरथ । ' रशचयसय समगरसय वीयसय यकषस शरिय । जञानवरागययोशचव षणणा

भग इतीरणा ‹ तमीशवराणा परम महशवरम ' इति शरत ॥

ॐ कमनवरमहशवय नमः ॥

कामशरी । मनमथापासितकादिविधाखपलयथ ॥ ॐ

कामभवय नमः ॥

कामकोटिनिखया । षणणवतिपीठष मधय कामकादि शरीचकरमिलथ । निखय गह यसया सा तथा॥ ॐ का-

मकोरिनिरयाय नम" ॥

काहकिताथदा । काहधितान‌ काषाविषयीभतान‌ , परापतम

जातीयचछा कका, वदधौचरान‌ पदाथौन ददातीति तथा ।

कोङकिता सती उपासयदवता म परसनना भयादितीचछया चिरकारोपासिता सती परषाथौन‌ अपराथयमानसयापि सवयमव ददातीयय ॥ ॐ काहधितायदाय नम ॥

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ककितातरिशचतीभाषयम‌ । २७१

रकारिणी कनधरपा रनधधीरनधवाजछिता । रञधपापमनोदरा लनधाहकारदगमा ॥

लछकारिणी कतीयखणडततीयवणववन वाचकतया असया

असतीति सा तथा ॥ ॐ लकारिणय नम ॥

छञधरपा । रपयत जञापयत णथिरिति रपाणि रकषणा

नि सवरपतटसथभदन सशणनिगौणपराणि, छञधानि यया

सा तथा । रपयत जञापयत इति रपम‌ अथ , उपढकषण नाशनो

ऽपि, छमध नामरप यथा ला तथा । आदौ सवय मायोपा धिना शबदाथभावमापदय पशचात‌ वयाकरणमकरोदिति भा

व ॥ ॐ छबधरपाय नम ॥

छनधधी । निशचयासमिका सविकसपनामका अनत कर

णवततयो धिय , ता उपाधितवन परतिनिमबाधिषठानतवन छबधा

यया सा तथा । वतयारढ चचनय जञानमिति वा, चतनय.

वयापरा बतनिरवति बदानतसिदधानत । जडाना निषयाणा परहण

तादीना इततीना असामरथय जगदानषयपरसङगन सवरपच

ननयमनत करणादयपहित फङचतनयतया परकाशयति । तथा नव " बरहमणयजञाननाशाय चततिवयापिरिहषयत ' इति नयायन

छलधा धी तनव मसयादिमहावाकयशरवणजनयवततिवयापियया

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२७५ कङितातरिशतीमाषयम‌ ।

सतयथ । अथवा, धी शदन सवजञपयादिकसनयत, तत‌

खनध यथति वा, ‹य मवजञ सचविन‌ ' इति शरत ॥ ॐ छनधधिय नम ॥

कचधवाञछिता। वाञछया वषयी भत वाजञछततम इषटफ खमिदयथ । छबध पवमव धरापर तदययति तथा । आ।परकामति यावन‌ ॥ ॐ ठबधवाजछिताय नम, ॥

छरधपापमनोदरा । पापपरधानानि च तानि मनासि च

पापमनासि छधानि पापमनापसि भसत सदा पापचिनतका इलयथ । तषा दरा अवगरपयथ , " अनयनन धरमदनयतनाध मौदनयतरासमाछताकतात‌ इति शरत । ‹ तमत बदालवच

नन बाहमणा विविदिषनति ' इति शरया विहिताना तततहणौ- भरमधमाणामीशरापणबदधया ।करयमाणानामामजञानमाधन तया शरयभाणववात‌ तदनयषा द खपरापनिसाधनसवन पापवा सनाभरणानतवन दरधिगमयथ ॥ ॐ लनधपापमनोद‌ राय नमः ॥

कबधादकारदगमा । अहकारोऽभिमान चपरकषण त तकायौणामासरसपनिविशषाणाम‌ । कनध अहकार राजस तामसातमक यसत द सनापयधिकपरयतनन करियमाणसाध नकङपिन अधिगनय जञातमशकया । सततवगणाभाव दद

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ककितातरिशचतीभषयस‌ । २७३

नदरियादौ सखपरकाकाभयापतौ मन सथयौभावन रजस परवत

कसय विकषपकसय तमसशचावरणशरधानसय विवकनञानपरतिष

नधकसय निदराङसयादिसमदधवसय कारयण जाभिषवादिषषण

शरयोमागसाधनाजषठान गरषदयो शरदधाकषय बाहयविषयस

पादनवयपन मनसि राभारामहतकरषशोकजनयरागदधषपर

तनम अनातमजञाञयरसपततिमता चितत न भातीदयारशय ।

परतयत जननमरणपरवाहरपससारमवान भवानति, "तानह

दविषत कररान‌ ' इति भगवदढचनात‌ । अतो निरभिमानपह

षण सवाभीषटखाभाय चितत मदा चिनतनीयलयथ । ‹ यतय

शदधसततवा ' इदयादिभरमाणभय इति दरषटवयम‌ ॥ ॐ छनधा

हकारदगमाय नम ॥

लमधशकतिरयदहा लबपनवयससननति ।

छबधदरदधिरनधलीला कनधयोवनशाछिनी ॥

छनधशकति । छनधा शकति सकरसामथहतभता मा यासिका यया सरा तथा, 'व धयानयोगानगता अपयम‌

दवातमशशि सवरणनिगढाम‌ ' इति शरत ॥ ॐ ठबधशच

कतय नम ॥

छडघदहा । कलय दह विगरह यया सातथा | सव

8 ए शछ 18

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२७४ कङितातरिशचतीभापयम‌ ।

चछावरभबितमसि धतकाटिनयनयायन जीवतवाभावन कमो धीनतवाभावात | तथा च सति अभयसतमायाशकत भदक

तवसवाभावयन ‹ पतिशच पलली चाभवताम‌ ` इति शरलया च दपतिमतिमती बभवयभिपराय ॥ ॐ लबपददाय नम ॥

कबयनवयससशनति । शचयोणा समननति आधिकय प

यवसानमिलयथ , छनधा रशवयसमशनति यया सा तथा,

‹ तभीशवराणा परम महशवरम › इति शरत ‹ नानतोऽसति

मम दिवयाना विभतीना परतप ` इति समतशच । ‹ सरव वर एष सवजञ एषोऽनतरयामयष योनि सवसय ' इति शरतौ निकपाथिकमहदशयसपनत तदपासकानामगसतयादि महषीणा दशनात‌ तदीयमदहदशयसय निरवधिकतवभिति कि वकतवयमिति जञायत इतयभिपराय ॥ ॐ छबपनपय-

सशरतय नपर ॥ कनधलदधि । बदधिनोम वयापनि परिपणतयथ , अच

यवोपचयातमका न, तसया करमजनयततन निनाशदततयात‌ ,

स वा एष महानज आतमा न वधत कमणा' इति

शरतिवषनात‌› ‹ निषकरिय निषकरम‌' इति अवयवमातरनि पधाशच, तथा च ठनधा बदधि सववयापकता सवसवरपव सती उपाधिभिजनयसतदाशनयमतत अभिवयषयत । न

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लकितातरिशतीभाषयम‌ । २७५

तवविवयमानारोपिता इति निषकषाय ॥ ॐ लबधटदधथ

नम ॥

रचधलटीरा । टीला अनयपरयोजनाथवयापारा सवहरष मातरहतका वा, ततततकालोचितशरञगारादिनवरसाङगीकारसमय

तदचितभङगीविकषषा वा रचधा यया सा तथा ॥ ॐ छकध

खीखाय नम ॥

छञधयौवनशालिनी । असतितवजननवरधनभावविकारा वसथा बालयम, परिणाम अपकषयो नादा डनतरावसथा

जरा, दहाभावन तदभयनिषध अथौदयौवनम , यौति

गनछतीति यवा दढबलबीय , तसय भाव यौवन तद यवयोऽवसथाराहियनकसवकपता , तवनध पराप यौवन यया सरा तथा, ˆ अजरोऽदतोऽभयो बरहम ' इति शरत सवदा

णकपरकारसवरपवतीत माव ॥ ॐ छनधयौवनशारिनय

नधः ॥

लनधातिकठाय सवौदगसौनदयौ छनधविशरमा ।

रछनधरागा छनधपतिरजधनानागमसथितिः ॥

छबधातिशययसवोङगसौनदया । सनदरो रचिर तसय

भाव सौनदथम, अवयवाना सवषा सौनदथमतिकषायि

सवोङघष सवौवयवष रनध यया सा तथा, यथाशचासलोता

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२५७६ कशितातनिरतीमषयम‌ ।

वयवचविनधासविशोषतवन सवमनाहरमततिवतीयथ , ८ न तमब परतिमासति' इति भत ॥ ॐ ठछनधातिशयसराङगसौ नदरयाय नम ॥

छनधविभरमा । विभमो बालकरीडा छनधा यया सा

तथा , मरवापमकतया सरवकचचतवादिति माव ॥ ॐ कनय

विशवमाय नम ॥

छषधरागा । कभध सजातीयो गाग काम , ‹ मोऽका-

भयत इति शरलया जगतसजनसय कासनापकतवपरतिपाद‌

नात‌, छबधो रागो यया मा तथा इलयथ ॥ ॐ लनधरा

गाय नम ॥ छनधपति । छनधसवनछयव खयवर पति कामशरय

यय। सा तथा ॥ ॐ छबधपतय नम, ॥

छलधननागममथिति । आ सम-तात‌ नानापरकरि कमो पासनाजञानकाणडतदङगतवादिभि गमयनति सारथान‌ परका

शयनतीलयागमा वदा नाना अनकशाखापरभिननसामादय तषा सिति परिपाहन ङभधा यया सा तथा । नना

गमसथिति वदचतषटयोकतमयीद‌ा काणडतयविषया छनधा यया सति वा । ससारसथानादितवन निरपकषपरमाणभतान‌ बदा‌ ‹ सरव वदा यकक भवनति ' इति शचत सवसवरपभतान‌

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कङिताशरिकचतीभाषयम‌ । २५७७

महाधरखय सरय सरगादौ जायमानदिरणयगभसयानयनानति

रकण तानव भरततिभासयति सवय दपती भतवा तदकतधमी

नसषठाय परषामपयषठापयतीति च । ' वदाशच मयव ५ & [^ ग ९ (^ वत एव च कमणि । यदि हयह न वरतय जात कमणयतनदरि

त । उतसीदयरिम लोका न कयौ कम चदम‌ ' इदयादि

मगवदवचनादिति दरषटवयम‌ ॥ ॐ छनधनानाममसथितय नम, ॥

रनधभोगा रकनधसखा रनधहषी भिपरजिता । हकारसतिहीकारसौधशङकपोतिका ॥५य४॥

छनधभोगा । भोग सखमाघराजचमव द खालभय उनय मान जीवाविनषपरसङगात‌ ¦ कनथ मोग यया सा तथा।

जीववत करभिकसवषटपदाथौनभवाननतरकारीन सख न भव

ति, सवसया आननदरपतवन सिदधसवरपतवात‌ › साधनभत-

भोगोऽपयतदधिषय सिदध इतयपचरयत इति छधभोगय

चयत ॥ ॐ लबधभोगाय नम ॥

छनधसखा । रनध सख अकरवदनीय सवसवरपभत

सख ततमाधन च धम गयासरा ततथा । ॐ गध

खाय नम, ॥

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२७८ ककितातरिशतीभाषयम‌ ।

लनधहषाभिपरिता । छनध या हष दभिनिमनतकचि

तोषटासविशष मखपरसादकचरीरपषटादिकारयोननय जगतया

सवाभीषटपदारथानभवादिजनय सतोष इति भरसिदध , तनाभि

परिता अभित समनतदनयनानततिरकणाविनछिनरपतया परिता भरिता । तदविपरीतद खादयनसपदन तनमातरसमाशरया

निलपरसननमखीयथ ॥ ॐ नधदषपाभिपरिताय नमः ॥

हकारमरति । वाचयव।चकत।मदसबनधन हकार सति

विगरहो यसथा सा तथा ॥ ॐ हीकारमरय नम ॥

। हीकारसौधशजगकपोतिका। । सधामय सौधम , सधा- विकार अटराखिकिलयथ , तसय शरङग शिखर चनदरशषाखादि-

मितयपरिभाग , निरपाधिकविशरानतिजनयसखान भवत

तरया ईकारसय सौधोपमा , ततर हकारसय शरतवणतया

भटरलिकिसादशयम‌ , रफसय ोहितरपतया ईषटकादिषता

धोभिनसयपम।, ह कारोपरि हकारसय शवङगोपमा, ङभवगतव-

सामयात‌ , तदपरितनबिनद सवरङातभतकाबदाथातमक- तया तदवयवतवन विचितरशवरपोऽपि सषमतया अपवरक-

गततकपोतकानतव जागरक दशयत इति तदथतवन वरद वलोपमानषबदनाभिधीयत इति भाव ॥ ॐ हीकारसौध-

शङगकपोतिकाय नमः ॥

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ररितीतरिकषतीभाधयम‌ । २७९

हीकारदगधाभधिखधा हकारकमलनदरि ।

हीकारमणिदीपाचिहीकारतसखारिका ॥

हीकारदगधारधिधा । दोहाननिषपनन दगधम‌ । सतनग तसय पयस सवीयतापादनषसतकरियाविशषो दोह । उपठ

कषण चोषरणादीनाम‌ , चथा च परदीपालकार सिदध › अननतो

दकपरसारितनिननभरदशच अबधिरचयतत । अप धीयत

असमिननिति तथा । तसमिन‌ मजीवकतव धम । डिसभक

सजीवन सतनयादौ दशनात‌ । हीकारसयापि हकारयकततया

तबणतवादमतहतोशच ततसादशयम‌ । तसय सधव सषा

तदभिनयकतपवाविदषातततसवकाना निलयतव सति बहविषम

हिमकषाछितया दशनादिति भाव ॥ ॐ हीकारदगधानधि

सधाय नमः ॥

हवीकारकमटनदिरा । हवीकारबीजशय बिचितरवणतया पर

मपरीतिविषयतया च कमलोपमा । तमय बाचयाथतया तद

परितनतवन सपरषाथभवाततवानन कमछकाबदनाभिधीयत ।

वसथा पदमाङयतवात‌ हीकारकमरसय इनदिरा तदधीनतरहम-

विदययथ ॥ ॐ हीकारकमलनदिराय नमः ॥

हकारमणिदीयाचचि । अभिदविकादपदरवानमिभततय

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२८० कलितातरिकषतीभाषयम‌ ।

सति चिरकाावसथायितव मणिदीपसाशयम हवीकारसय ।

तसय परकाशच अनितरसाधारणमहातिशयवनतवन अनरघतव

मावदयति । तदपासकसय निरवधिकमहततवापादकरहीकार

वानगरतया ततपरकाककयथ । तथा च निरनतरनमोऽपाकर

णन सवषटपदाथोपादनन च सखयतीति फलितोऽथ ॥ ॐ

हीकारमणिदीपाचिष मम ॥

दहीकारतङशचारिका । तारयति फलाथिन सवारढान‌

पतनाद‌ रकषतीति तर , तसय शारिका पिङखतणडनतरचरणा

शारिका अभयासातिशषयन मयषयभा।षायामपि भाषत । भतभविषयदवतमानलोकयावरापरिजञातरी सतती छभादचभफड परापन च सवभाषया बदति । असय बीजसय वानयारथतया

ततसबनधिनी सती वदवाचा स परकाशषयतीतयथ ।॥ ॐ

हीकारतरशषारिकाय नम ॥

हीकारपरकमणिहौकारादोविमबिता ।

हीकारकोकासिलता हीकारासथानननकी ॥

हीकारपटकमणि । गहनसाधनतया हीकार पटकन दषटानतीकरियत । तसय मणि वदधयमितयथ । यथा ही

दिमणि पटकादौ गापितोऽपि सवकानतया बादयाभयनतर तसय

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ऊङिततरिशचतीभाषयम‌ । २८१

परकाशचयनितरपटकभय त वयावतयति, तथदमपि बीज

सवताचकतयतरवरणभय निरतिङयमदहिनना भदयतीति माव ॥

ॐ दवीकारपटकमणय नम" ॥

हीकारादकषबिभबिता । असय बीजसय इतरपरमाणानपकष वदानतगततया निरदोषतवादादशसामयम‌ । तसमिन‌ निमबिता

परतिबिमबिता, मायापरतिबिमबचतनयसयव जगतकारणतया

सरवतर दरपण मखमिव परतिफरतीति तातपरय ॥ =

हीकारादरौ बिमबिताय नमः ॥ हरीकारकोशासिङता । हकार एव कोश तसयासिरता

अतिदीरधखङगभिलयथ । सरववयीदिजनयद खिवतकतवमसि कताया इव परदवताया अपि । तथासमन बहि परकटनायो

भयतामादशयन आचछादकापकषया हकारसय वा चकशबद‌ तया अथावारकसवौ पसयादसिकोशचतसयता । तथा च हकार कार विदयमाना असिखतव द खनिवारकसव सति भकताभय

करीति भाव । सवषामायधविकषषाणाम‌ असिपदयपरशच

णम‌ । ‹ महदधय वजयदयतम‌ ' ‹ भीषासमादवात पवत" इतया

दिशत ॥ ॐ हीकारकोशासिरताय नमः ॥

हकारासथाननतकी । हकार एव आसथान सभामणडप मवाशरयतवान‌ । तसय नतकी नटनसबनधभसयोगनवरणवि

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५८२ ककितातरिकतीभाभयम‌ ।

नयासोपलकषितताङानसारिहसतादयङगचषटा ननम‌ , तसकरी

नसकी । दवीकारवानयाथतया मायादिसबनधासबनधनिभमितत कबिचितरतरकाोतपादनवयापारानकारविकारयविकारिसवरप

वततया बरटखोकमनोततिमदन तीवरमनदमनदनरपरीतिरपभ

कतिविषयतयाभिवयकतानभिषयकतषटफलढसाधनततया सवकीयप-

णयादितारतमयन बदधिञयदधिमदालरतिभातीतयथ ॥ ॐ दरी

कारासथाननतकय नम ॥

ईीकारदचकतिकासकतामणिदहौकारयाभिना

ककारमय सौवणसतसभविहमपलिका ॥

हकारदयकतिकाञकतामणि । हकार एव शकतिका नीक

रठतरिकोणाकारा, तसया मकतिकव सकताफलामवाभिवयजय-

माना-- यथा सवातीमदह‌।नशचजञ सवदशष मघसघापपतलञक

बिनद शछकतिकानप पतित समदरदशषविशष सकताकारण

परिणमत, तथा मततवरजसतम।गणातमकहःबीज वचछदन म

नोकटरवाचामगोचरयनवरतरपरदवतामयौ मवगतमपि च- तनय विशिषयामिनयञयत । तथा च मौकतिकाथिना शकसय

पादनवत‌ परदवतासाकषातकारपसना हीकारोपादानमाव

शयकभिति भाव ॥ ॐ दकारशयकतिकाषटकतामणय नमः॥

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करितातरिशचतीभाषयम‌ । २८१

हीकारबोधिता । सिदध पदारथ इनदरियादिसबनध सति सवत एव जञानोपपतनिदशनानन जञान विधिरपकषित , करियाफ-

छतवाभवात‌ । तर नियापरोकचधमीौदिजञानवत‌ शदधभया-

भद वदकदशदधीकारभव बोधयत, अजञातजञापकपवन बदसय सवत परामाणयाभयपगमात‌ , परचतनयसय च जञायमानतय

परमाननदरपतया परषाथरपसवात‌ | भत हौकारगव म

रमनतरातमना बोधिता जञापिता । हकाररकाराणा वयसततव

दशाया भिननभिननाथकाना मलन हीकारातमना परिणाम

सशबिदाननदसवरपशरीतिपरस-दयौ तदथरवन अदतसवरप

तया अतिभानात‌ । नानयोऽतोऽसति दरषटा “इद सरव

यदयमासमा ' ‹ एक एव त भतासमा भत भत वयवसथित ।

एकधा बहध। चव दहयत जलचनदरवत‌ ' इतयादिशरत ।

" आपमा वा अर रषटवय ' ' तदविजिजञाससव ' / आतमान

पशयत‌ शयादरिङिङरोदतवयपरलयानामदहताथकतया न वि

धितवमिति सिदधानत ॥ ॐ दवीकारमोधिताय नमः ॥

हवीकारमयसौवणसतमभविदमपतरिका । सिङगकपरवीरण सवणमितयकयत । अननछियमानदरवषवसय नमिततिकतवऽपि वजसानतर परदीपपरभादावददौनात‌ । पदाथौनतरसयोग रज

तादिवदतितज सयोगात‌ भसमभावापततशच हीरमणौ लोहक

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२८४ लदिताचरिकचतीमाषयम ।

रयपवा भाववततवऽपि पाथिवतववद‌तर पाथिवसव बाधाभावात‌ ।

दरवपवसयादकसभावतवन तवकायपरथिवयामपि उपलमभोपप

तशच । तदविकार , सौवणशरासौ सतमभशच । सौवभसतमभसय

नवरलनमणडपभारवाहिषव सति तदभिशनतवन तदरकारभततव

सथव गाधसयसय हकारऽपि जगदाशरयपव मति ततकारणतव सति तदनतभततव सति परमाननद जनकषवसय सततवन हका

रमय शलयभदोपचार परदीपारकारदयोतनाथ इति जञातनयम‌।

हीकार उपमय मयगदनोपमानाभदकलपनात । तसमिनवि

चितरपिङगपरधानरप ततसबनधिसया विदधमपरिकव परतीय

माना विदमन परवाङन कता पतरिका सारमभलिका । सौव गसतमभशचद उपलकषण भिनयाकीनाम‌ , परायसतवददीनात‌ तब

पादान सवत मनोजञसय सतमभसयातिजञयदशनीयताय । दर भतरपरबाङपतरिका सतमभमणटप ततसाभिन तदश च परक

छवीकरोति तथा शरीपरदवतापि रढधतदरीजाथतथा तदव

चछिनना सतती तदादीन सवोन भषयति सफटीकरारतवीलयथ ॥

३” दीकारमयसौवणसतमभविहमपननिकाय नमः ॥

ईौकारबदापनिषरकाराधवरदकषिणा ।

हीकारननदनारामनवकलपकवषछरी ॥ ८७ ॥

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कलितातरिशतीभाषयम‌ २८५

हीकारदोपनिषत‌ । तनत जञायनत सरव पदाथा अननति वद । जायकवचनम‌ । हकार एव वद । जञापकतवाविरोषान‌ । तसय उपनिषदटदानतभाग रकषमारथो

वा, तत‌ बरहमोपनिषतपरमिति शरत । करमोपासनाजञानकः-

णडभदन चतवागऽपि बदा चिपरकारा । ‹ तमत वदानव

चनन बराहमणा निविदिषनति ` इति वाकयन जञानसाधनकततया

करमोपासनयो बतिनियकतवात‌ , ‹ अनधतम परविषानति य

ऽविशयाजपासत । तततो भय इव त तमो य ड विदयाया

रता ` इति शरया तदभयो ससारफरकसवन निनदितवा,

" आतमान चदधिजानीय।दयमसमीति परष । किमिचछन‌ क

सय कामाय शरीरमनसञवरत‌ ' ‹ आतमकाम आपतकाम '

इलयादिशतिभय अदतजञानतपादकवद मागसयोपनिषचछबद वानयसय मोकषफलकतवन फरपरतिषादनानतदभयशरतिपाद‌क

वद‌भागावशचया शरषठतवम‌ , खाक साधनापकषया कटसय शरषठसव

नाततमपवपरसिदध । तथा च परवकाणडदवयाथसय जनयतया

तसपरतिपादकवदभागसयोपनिषछषपववत‌ हकारसयापि पर-

दवताभरकाशचकसवन तनछषतवाततसया पराधानयञकतमिति दरषट

चयम‌ । बदानतभयनिषचछन तसननयतारपशकयसबनधन पर

वसति । मरयया वततया त तरहमविशयायामव । तथा हि--खप

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२८६ कङिताचिकचतीभाषयम‌ ।

शबद समीपदशाथक । तरहमणयभयसतमायासमीपदकषक

ततपदाभपरतिभिमबितमविदयोपाथिकचतनय जीवशबदवानयसप

शषदाथ ठभरणयः परतिपायत । नि शबद‌ षद‌ इति पदसय

विशषोषणम‌ । सत इति पद सदनगतयवसादनष मवति ।

तथा च उपशचबदबाचयो जीव अविदया निहतय खयकतवा

जहमसवरपण निषीदति वतत इति उपनिषदितयकोऽथ ।

जीव बरहम सवरपतवन निगनछति जानातीयनयोऽथ । जी-

च बरहमसवरपण अवसीदति परिसमापरोतीति वपीयाऽथ ।

एवयपमिषनछबदसय बरहमविधावाचकतवन परसिदधसय तदभाषव

कवदभाग ठकषणवनतवऽपयपनिषनछबदवानयो भवति । तथा

च हीकार एव वद‌ तसय उपानषतभधानमता बशमविद

यथ । ॐ हीकारवदोपनिषद नम ॥

हीकाराधवरदधचिणा । हकार एव अधवर यजञतसय दकषिणा समापरिसाधनम‌ , दकषिणाया दतताया यजञसमापनि

दशनात । हीकारसयापि जप यजनातमकततया अधवान

राति गचछतीयधवर मागसाधक इवयथ । दशषिणापद फङवाचि उरतविरवयापाराणा दकषिणाफछङतवददीनात‌ । ही

काराधवरसय हीकारजपयजञसय दकषिणा फङलाधनीभतपर साथरपा । अथवा हीकाराधवरसय दकषिणा पतरी, ‹ मखसय

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कितातरिशतीमाषयम‌ । २८७

दकषिणा पननी ' इति वचनात‌ । ' जञानयजञन तनाहमिष सया मिति म मति ' इति भगवदवचनात‌ । इईौकारलकयाथजञान- मव हीकाराधवर हीकारजानयजञ , ^ परधान दकषिणा मख"

इति वचनात‌ दभिणावतफरभततवन परधानभतति वा । द वतोदशन दरवययागो याग इसयखयत । लकतदरवयसय अमनौ भकषपा होम । -ऋलिरदखन बदयामथविभागो दकषिणा । अ-

थभय वदिबदिदलोऽथविभागो दानमिति तषा मद‌ ॥ ॐ

हीकाराधवरदकषिणाय नम ॥

ईीकारननदनारामनवकसपकवहरी । ननदययाननदयती

ति ननदन स चासौ आरामशच तथा । दवनदरोदयान विचि

तरसवरपतया विजातीयाथकतवात‌ । हकार एव ननदना

राम सखकठविशनामभमि , तसय नवा नतना अतिकोमच

तय । कलपयतीति कसपका कलपका च सा ववर चति

तथा । दवोदयान विचचमानाना बकषगसमरखतातणादीनाम‌

णतदलोकातिशायिपषपफलादिमकवऽपि न सरवोततिमितापरसि-

दधि । कलपवरलयासत यथाकम यथासवसपासकना सवौ- यपरदानदकतिमततवन सरवोतछषटता । तथा बरहमनिषणरदराणा

तदवाचकवरणभदानाम‌ अनयोनयसबनधतया एकतर परतीयमा

नतवन चिरजीवितवफलादिगरदामन आननदकतया ससरारता

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२८८ कलितातरिशतीभाषयम‌ ।

पकशामकषवन च हवीकारसय न^टनापमा । ततर सवौथपरदा दतवन कामशवरालिङकितकोमलतरसनद रमतया विरिषटपरषा थचतषटयकलपनन सगणनिशणोपासकाना तदवतातमना परा

धानयन समषटिरपतया सादशयन नवकसपकवछरीतयतयत

इति भाव ॥ ॐ हीकारननदनारामनवकटपकवदछरय नम ॥

हीकारदहिमवदगहगा हीकाराणवकौसतभा ।

हीकारमनतरसवसवा हीकारपरसौखयद‌ा ॥

हीकारहिमवदभङगा । हिमा"यसमिन‌ सनतीत हिमवान‌

शीतलपवततराज । हवीकारसय अभतादसाधकतथ। शीत

छता बोधया । तसमरादरङगष पावनी सवपरषाथपरदा

मनतरदवतापमनाभिनयकतयरथ॥ ॐ हीकारहिमवदङगाय नमः ॥

हीकाराणवकौसतभा । कौसतभम कषीरानधिज-मय चत दशरनष यथा शरषठ सवीधिकपरकाशादिशणतया, तथा पर दवतापि अपारमहिमापरिचछिननहौकारमनतरवदयतवन तननि

पपञना सती ‹ अतराय परष सखय जयोति › इति शरत सवय

परफाकचतया विथोतत इल । अतर कौसतभहदयसय छकषमी

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कङितारिरतीमाषयम‌ । २८९

पतिपनसवदवोततमसवसकङसनदरतमसवगणा इव विषणो ही

काराणवविदयोतमानरहौकारदवतोपासकसयापि नारायणाभदन

शरीकानततवादिधमौ सवत एव भिधयनतीति कौसतभपदन भव

नितमिति दरषटवयम‌ ॥ = हीकारारणवकौसतभाय नप ॥

हीकारमनतरसवसवा । सवौणि च तानि सवानि च धना नि अणिमादयचयजनकलवादीनि तानि तथा । हीकारधटि

ता हकारो वा तषा सरवसवा सकटसपत‌ सरवाथसाधककच कतिरियथ ॥ ॐ हवीकारमनधरसरसवाय नम, ॥

हीकारपरसौखयदा । हकारपरा हीकारमनतरजपपरा हीकरषटितशरीविशयाजपपरा वा । तषा सौखय चतबिधपर षथपरापिजनयाननद‌ तहदातीति तथा । हीकाराणा वयषटि रपण वाचयाथना चिमरतीना पर सौखय सामरसयञचख एकी भावाननद‌ ददातीति वाथ । ^ यतर नानयतपशयति नानय

चछरणोति नानयदविजानाति स भमा । यतरानयतपकषयलयनय नछणोयनयदधिजानाति तदसपम‌ ' " नासप सखमसति ' इति,

‹ आननद‌ बरहमणो विदधान‌ न भिभति छतशचन ' इति , यदा

हयनष एतसमिशनदशयऽनासभयऽनिशकतऽनिरयनऽभय परतिषठ विनदत । अथ सोऽभय सतो भवति ', ‹ विजञानमाननद‌ बरहम

रतिदौत परायणम‌ ' इतयादिबहशरतिभय अखणडसिदा ९ प $ 19

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२९० रङतिानिशचतीभाषयम‌ ।

ननदबरहमसवरपतया सव फल भवति, अनयजषानादनयफठ

रपररयोगातत । ° बरहम वद बरहमव भवति ‹ सरति शोकमा तमवित‌', ‹ यन मायपयानति त । तषामह समदधतौ मतय

ससारसागरात ' बरहव सन तरहमापयति ' इतयादिशचतिसय

विनतभय सवसरपगरापररव परषारथसय परदातरतव सिदधम ॥

ॐ हीकारपरसौरयदाय नम ॥

इति शरीमपपरमहसपरितराजकाचारयसय शरीगोधि"दभगव

सपजयपादरिषयसय शरीमचछकरमयवत कतौ

शरीरछितातरिशतीभाषयम‌ सपणम‌ ॥

इतयव त मयाखयात दवया नामकातचरयम‌ ।

रहसथातिरहसयतवादधोपनीय तवया सन ॥

सिववणीनि नामानि शरीदनया कथिनानि हि।

काकलयकचराणि नामानि कामरकथितानि च ॥

उमयाकचरनामानि दयभाभया कथितानि व। तदनभभथित सतोचमतसय सददरा किस ॥ ३॥

नानन सचचा सतोशच रीद वीपधरीततिदायकम‌ ।

लोकचरयऽपि कलयाण समवशनाचन सशाय ॥

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लङितातरिरतीभाषयम‌ । २९१

इति हयसखगीत सतोतररषज निकामय

परगकिलकलषोऽभचिनसपथौ सिमतय ।

निजशरमथ नतवा कमभजनमा तदकत

पनरधिकरहसय जञातमव जगाद‌ ॥ ५ ॥

अगसतय उवाच-

अशवानन महाभाग रहसयमपि म चद‌ ।

रिव वणीनि कानयञच शाकतिवणीनि कानिरि॥

उभयोरपि बणीनि कानि वा बद दशिक ।

इति पषट कसमजन हयगरीवोऽवदतपनः ॥ ७ ॥

लव गोपय करिमसनीर साशचादसबालशासनालः।

इद‌ सवतिरहसथ त वलयामि ण कसमज ॥

णलदिजञानमाचरण शरीविशया सिदधिदा मवत‌

कलय हदरय चव दवो मागः परकीतिलः।॥ ९ ॥

छाकतयकषराणि शषाणि हीकार उमयातमकः। [९

तव विमागमजञासवा य विशयाजपरारिन ॥

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२५२ ललिततनिकचतीभाषयम‌ |

न तषा सिदधिदा चिदया करपकारिकषातरपि ।

चतभि शिवचकरशच शाकतिचकरञय पञचभि ॥

नवचकरख ससिदध शरीचकर रिवयायप । जिकोणमषटकोण च दशाकोणदधगय लभा ॥ १२॥

चलदशषार चतानि शकियकराणि पशच च । चिनदशचाषटदल पदम पदय षोडशापतकम‌ ॥ १३ ॥

चतरशर च चतवारि शिवचकराणयलकरमात‌ । तरिकाण बनदव शिषट अटारटदलामबजम‌ ॥

दरया षाडङकार भगरह शवनाशरक।

होवानासपि शाकताना चकराणा च परसपरम‌ ॥

अविनाभावसबनध थो जानाति स चकरवित‌ ।

निकोणरपिणी दराकतिविनदरपपर रिव ॥

अविनाभावसबनध तसमाहिनदनरिकोणयो । एव वि भागमजञातवा शरीचकर थः समचयत‌ ॥

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कङिताजिशयतीमाषयम‌ । २९३

न ततफलमवाभोनि रलितामबा न तषयति ।

य च जाननति लोकऽसमिनधीविशयाचकरवदिनः।)।

सामानयवदिन सव विरोषजञाऽतिदलम। सवय विशयाधिशोषजञो विददोषलञ समयत‌ ॥१९॥

तसम दय लतो गराहयमदाकतसतसय दापयत‌ ।

अनधनम, परविदानति यऽविदया मसपासत ॥

इनि शरतिरपाहलानचिगयोपासकानयन । विदयानयापासकानव निनदतयारणिकी शचति, ॥

अशतता सशचतासशच यजवानो यऽपययजयन, ।

सवथनतो नापकषनत इनदरमररि च य विदः ॥

सिकता हव सयनति रदिमभि समदीरिताः।

समाहयोकादसषमाचवयाह चारणयकशचति, ॥

यसय नो पथिम जनम यदि वा चाकर सवयम‌।

लनव लभयत विशा ओमतपशचदशाकषरी ॥

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२१९५४ कलितातनिशचतीभाषयम‌ ।

हति मनतरष बहधा विदयाया महिमोचयत ।

माकषकहतचिदया त शरीविशया नाचर सङकाय' ॥

न जिरलपादिजञानयकत विडचछबद‌ परयसयत ।

मादमौकहतविना मा शरीचिवयव न सशराय ॥

तसमादिधयाविदवाचर विषानविानितीयत ।

सवय विदयाविद ददयाललयापयततदरणानसधी ॥

सवयविदयारहसयजञो विगयामाहातमयवशरपि ।

विचयाविद‌ नारचयचतको वा त परजयललन, ॥२८॥

परसङादिदसकत तर परकरत शरण कममज ।

य कीलयतमकरदधकलया दिवयनामरतननयम‌ ॥

तसय पणयमह वय शण तव कममसभव ।

रहसयनाममाहखरपाट यतफलमीरितम‌ ॥ ३० ॥

ततफष कोरिगणितमकनामजपाददभषत‌ ।

कामनवरीकामहामया कत नामशहलचरयम‌ ॥

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करितातिशतीभाषयम‌ । २९५

नानयन तलयदततसतोनरणानयकरतन च ।

िय परमपरा यसय भावि वा चोततरोततरम‌ ॥

तनव लभयत चततपशाचदरय परीकषयत‌ । असथा नानना चिातयासत महिमा कन वपयत ॥

या सवय शिवयोवषकपदयाभया परिनि.खला । नितय षोडकासखयाकानविपरानादौ त मोजयत‌॥

अभयकतासतिलतरन सखातानषणन वारिणा । अभयचय गनधपषपादय कामनवयीदिनामभि, ॥

खपापप शाकराय पाथम फलसयत ।

विशाविदो विदठोषण मोजयसषोडष दविजान ॥

एव निलयाचन करयादादौ बरादयणमोजनम‌ । तरिरातीनामसि, पशचादराहमणानकमशोऽयत‌ ॥

तलाभयङगादिक दतवा विभव सति भकतत ।

छकपतिपवारभय पौणमासयवाधि कमात‌ ॥

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२९६ ककिताशरिकतीमाषयम‌ ।

दिवस दिवस विपरा भोजया विकातिससखयथा।

दकाभि पशचसिबोपि भिभिरकन वा दिन ॥

तरिदरातषषटि हातविपरा समोजयासतिदठात करमात‌ णव य" करत मततया जनमभधय सकरलतर ॥

तसयव सफल जनम सकतिसतसय कर सिरा ।

रहसयनामसाहसरभोजनऽपयवपव हि ॥ ४१ ॥

आदौ नितयवरि कयीतपशचाटराषमण भोजनम‌ ।

रहसयनामसाहसरमहिमा यो मयोदित, ॥ ४२ ॥

सकीकराणरतरकनाञनो महिमवारिषः ।

वागदवीरचित नामसाहसर यथयदीरितम‌ ॥४३।

ततफल कोटिगणित नाशनोऽपयकसय कीतनान‌ । एतदनयजप सतोचरगनरथतफल भवत ॥ ४४ ॥

ततफल कोरिगणित भवननामशालशरयात‌ ।

वागदवीरवितासतोधर लादशो महिमा यदि ॥

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कङितातिशतीभाषयम‌ । २९७

साकातकामशाकामरशीकरतऽसमिनणखतामिति ।

मकतसकीलनादव नाञचामसमिञदातचरय ॥४६॥

मयचिनतसय पयसिनवनमनयानपकषिणी । न जञातवयमितोऽपयनयनन जसषनय च कमभज ॥

यदयतसाधयततम काय लनतदथभिद‌ जपत‌ ।

ननततफलमवाभोति पशचातकाय परीकषयत‌ ॥

य य परयोगासननतरष तसतयतसाधयत फलम‌ ततसव सिधयति कषिपर नामविरालकी तनात‌ ॥

आयषकर पषटिकर पञचद‌ वचयकारकम‌ ।

चिदयापरद‌ कीरतिकर सकवितवपरदाथकम‌ ॥५०॥

सबसपतपरद समोगद सवसोखयदम‌ ।

मवीमीषपद चव दवया नामशरतचरयम‌ ॥५१॥

एलखपपरो मयाननानयदिचछतकदाषयन ।

णलतकीलनसतषटा शरीदवी ललितामबिका ॥

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२९८ करङितातनिगततीमापयम‌ ।

भकतसय यदयदिषट खातततततपरयत भवम‌ ।

तसमालछममोदधय सन कीतय तवमिद सद‌ा ॥

नापर किचिदपि त बोदधवय नावदिषयत ।

कति त कथित सतोतर लखितापरीतिदायकम‌ ॥

नाविदयावदिन बरयाननाकताय कदाचन ।

न शठाय न दषटाय नावशवासाय करिचित‌ ॥

यो बरयाचचिराती नानना तसयानथो महानमवत‌ । हयाजञा चाकरी पराकता तसमादभोपयभिद‌ तवया ॥

ललितापररितमव भयोकत सनातसनतमम‌ ।

रहसयनामसाहसरादपि गोपयभिद‌ सन ॥ ५७ ॥

एवसकतया हयगरीव कममज तापसोततमम‌ ।

सतोतणानन ललिता सततवा तिपरखनदरीम‌ । आननदखहरीभभरमानसः ममवतत ॥ ५९ ॥

इति शरीरलितानरिशतीसतोतर सपणाम ॥ --- -~--- ; ~~~

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लकितावरिशती | नामावकमणिका

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ईकाररपा दशषणसषटाणडकोरि

ईकषितरी ईडिता

ईतिबाधाविनाशिनी ईहमितयविनिरदशया ईमसितारथपरदायिनी

ईशताणडवसाकषिणी

ईशशकति ईशाधिदवता दशानादितरहममयी हश

ईशिपवादषटसिदधिदा ईशवरतवबिधायिनी

ईशवरपररणकरी

॥ शरी ॥

॥ नामालकरमणिका ॥

पषठम‌

१९१

१९५

१९४

१९५

१९७

१९५९

१९१

१९७

१९८

१९६

१९३

१९१

१९३

१९३

१९६

इशवरवछछभमा

ईशवरारघाङगशरीरा ईशवरोतसगनिलया इषातसयतानना

इहाविरहिता

एकपराभवशालिनी

एकभाकतमदचिता

एकभोगा

एकरसा

एकवीरादिससनया

एकाकचरी

एकागरचिततनिरधयाता

एकातपतरसाराजयपरदा

एकाननदाचदाकति

एकानिकाकषराकरति

परषठम‌

१९५९

१९०

१९७

१९८

१९८

१९१

१८१

१८५.

१८६

१८१

१७६५

१८२

१८७

१७९

१७७

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३०२

एगानतपराजता

एकाररपा

एकशवरयपरदायिना

एजदनकजगदीशवरी

एतततदितयनिरदशया

एधमानपरभा

एन कटविनारिना

एलामगा धचिकरा

एवमितयागमाबोधया

एषरणारहिताहता

कजलाचना

कदपजनकापाङखवीकषणा

कदपविदया

ककाररपा

ककाराथा

ककारिणी

कचाजतामबदा

कटकषसयादकरणा

करठिनसतनमणडलखा

कदमबकाननावासा

कदमवकरसमपमियो

रकितातिशती

पठम‌

१८८ क वालिपराणनायिका

१७५ कमनीया

१८६ कमलाकष

१८९ कमबकणटा

१७८ कपरायिगरहा

१८८ करनिरजितपछछवा

१८५ करभार

१८४ करणामरतसागरा

१८० करपरवीीमौरभयकलठोकि १८४ करमफलपरदा

१७२ कमादमाकषिणी

१७१ कलानाथमरी

१७१ कलावती

१६६ कलालापा

२२९२ ककिदाषहरा

२६४ कलपवहकासमभजा

२२३ कलमषननी

२२३ कलयाणगणशालिनी

२२२ कलयाणदोरनिखया

१७१ कलयाणा १७१ कसया

णठम‌

२२४

१६९

१६४९

२२६

9 ७४

२२६

९२

१७०

१७२

१७८५

१७४

२२६

१६५

२२६

१७६३

१२७

१५७९

१६७

९१६८

१४६७

२२२

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कसतरीतिलकाञचिता

कारकषितारथदा

कानता

कार तधतजपापलि

कामकारिनिखया

कामसजीवनी

कामिताथदा

कामशी

कामशोतसगवासिनी

कामशवरणह.धरा

कामशवरतप सिदधि

कामशवरपरणयिनी

कमशवरपराणनाडी

कामशवरपराणनाथा

कामशवरबरहमबिनरा

कामशवरमनाहरा

कामशवरमन परिया

कामशवरमहशवरी

कमशवरविमोहिनी

कामशवरविलासिनी

कमशवरदयखपरदा

नामानकरमणिका ।

धषठम‌ २२८ कामशवरारिङजिताङगी

२७० कामशवराहादकरी

२२५ कामशवरी

२२६ कारयिा

२७ कारणयविगरहा

२२९ जलहतरी

५२१ का यलोखा

२२१ पटा

२६७ लकाररपा

५६९ रककारारया

२६८ खकरारिणी

२५८ ककरलशचरी

०६५ लकषकागयणडनायिका

९६८ ककषणारगमया

२६९ ठकषणोञञवखदिनयाङगी

२६५ लकषमणागरजपरजिता

२६८ लकषमीवाणीनिभविता

२७० लकषयाथा

२६८ लगमचामरहसतशरीशार °

२६८ लघसिदधिदा

२६७ छदथतराना

३०३

णठम‌ २६७

२६९

२.७०

१७६

२०२४

२२१

५६५

२४२

१९८

०३६

९.७१

९४३

२०१

२०२

२४०

१०८

२०१

२४१

२२९

३८

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३०४

कजानपा

लजापदसमाराधया

लतातव

रतापजया

क धकामा

रणवदहा ख-घषी

क धननागमसिति

छनधपति

कनधपापमनोवरा

ठकनधभकिसलमा

कनधमोगा

कनधमाना

कनधयौवनशाणिनी

लनधरसा

कमधरागा

छनधरपा

छनधीरखा

कनधवालछिता

लणधविभरमा

छनधवदधि

कलितातरिशचती

पषठम‌

९५५

२४२

३२३६

१०९

२७३

५७१

२१७६

२७६

२७१५

२४०५

२७५४

९४३

२७५

२४४

२७६

२७१

५७५

२७२

२७६

२७४

परठभ‌

कछ-धडचकति २७३

क-धसपससमननात ९४४

क-धससवा २७७

कनधहरषाभिपरित। २७८

लनधातिशचयसरवाङगसौ-दयौ २७. लनधाहकारदरगमा २७२

लनधशवरयसमकनति २७४

कमया २५४

कभमरतरा २४८६

कमविमकतारताञचिता २३

कमबोदरपरस २०४

कयवरजितता २४

छयसथिपयदधवशवरी २२६

कलनारपा १०९

छलतिकरारसतफाखा २०

ललाटनयनाचिता २०५

कलामराजदकिका २०३

रकित १९८

कसदाडिमपाटला १९९

लाकिनी १९९.

राकचारससवणीभ। २३९

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लङगलायधा ङाभालाभविविता

ावणयशाकिनी

लासयदशचनसवश

सगहीना सकला

सकलागमससतता

सकलाधिषठानरपा

सकलषटदा

सकाररपा

सकाराखया

सगणा

सजनिदान दा

सतयरपा

सदसदाशरया

सदाधिवकटमबिनी

सदरतिदायिनी

सनकादिमनिधयया

सनातना

समरसा

समकति

धषटम‌

२४१

२३८

३२९

२३७

२६३

२५८

२५६

२६१

२६३

२१५

4

२६३

२५८

२६१

२५७

२६०

२५९

२६०

२१६

२५६

२६१

५ भवा 20

नामानकरमणिकरा |

समानाधिकनरजिता सरवकली सरगगता

सरवजञा

सरवपपञचनिमातरा सरव भतर

सरवभषणभषिता

सरवमङगला

सवमाता

सवविमोहिना सरववदा ततापपयभमि सरवसाकषिणी

सरवसौशयदातरी सरवहतरा

सवौजगस-दरी सरवातमिका

सरवाधारा

सरवानवदया सरवाखणा

सबौवगणवरजिता सवशी

३०५५

णठम‌

२६२

२१६

२१९

२१५

२६२

२१६

२२०

२१५

२१९

२१८

२५७

२१७

२१८

२१६

२१७

२१७

२१८

२१७

२१९

२१९

२१५