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C.B.S.E Board का : 10 हदी B समय : 3 घटे ाक : 80 निदेश : 1. इस न-प के चार खंड ह - , , , और घ। 2. चार खंड के न के उतर देना अनवाय है। 3. थासंभव ेक खंड के उतर मश: दीजिए। खड - .1. ननलिखखत गदांश को ानप वयक पढ़कर प छे गए न के उतर लिखखए : (2×4) (1×1) = 9 1950 म प णे के संघ पररषद लशा वगय म एक दन ववशेष भोिन म ििेबी बनी थी। परम प िनी ी ग ऱ िी उस ददन वंसेवक के मागयदशयन हेत वगय म उपजथत थे। भोिन के सम अधिकारर की पं कत म आठ-नौ, वंसेवक को भोिन परोसने का दानव ददा गा। भोिन-मं से प वय उन वंसेवक ने वतरण श ऱ करा ददा, िकन उनम से एक वंसेवक, जिसके पास ििेबी की थािी थ, वतरण न करके च पचाप बैठा रहा। परमप ऱ िी का ान उसकी ओर गा। भोिन ारभ होने से प वय ऱ िी उसके पास गए और कहा-म कै से बैठे हो? पंजतत म ववतरण करो। उस वंसेवक ने संकोचप वयक ग ऱ िी से कहा - म चमार िानत का ह , पंजतत म ऊ ची िानत के वंसेवक भी बैठे ह , उह म कै से परोस सकता ? ऱ िी को उस वंसेवक की बात बह त ब री िगी। उहने उसका हाथ पककर ििेबी की थािी थमाइय , और सवयथम अपनी थािी म परोसने को कहा, किर सब वंसेवक को देने के लिए कहा। ग ऱ िी के आमी

C.B.S.E Board : 10 B : 3 0 - Sanmati H.S.Schoolsanmatischool.org/worksheets/HINDI X WS-1.pdfC.B.S.E Board कक ष : 10 ह द B स : 3 घ ट प र क: 80 न द श: 1

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  • C.B.S.E Board कक्षा : 10 ह िंदी B

    समय : 3 घिंटे परू्ाांक : 80 निदेश :

    1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग, और घ। 2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अननवार्य है। 3. र्थासंभव प्रत्रे्क खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।

    खण्ड - क

    प्र.1. ननम्नलिखखत गदर्ांश को ध्र्ानपवूयक पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर लिखखए : (2×4) (1×1) = 9 1950 में पणेु के संघ पररषद लशक्षा वगय में एक ददन ववशषे भोिन में ििेबी बनी थी। परम पिूनीर् श्री गुरू िी उस ददन स्वरं्सेवकों के मागयदशयन हेतु वगय में उपजस्थत थे। भोिन के समर् अधिकाररर्ों की पंककत में आठ-नौ, स्वंर्सेवकों को भोिन परोसने का दानर्त्व ददर्ा गर्ा। भोिन-मंत्र से पवूय उन स्वंर्सेवकों ने ववतरण शरुू करा ददर्ा, िेककन उनमें से एक स्वंर्सेवक, जिसके पास ििेबी की थािी थी, ववतरण न करके चपुचाप बठैा रहा। परमपजू्र् गुरू िी का ध्र्ान उसकी ओर गर्ा। भोिन प्रारम्भ होने से पवूय गुरू िी उसके पास गए और कहा-तुम कैसे बठेै हो? पंजतत में ववतरण करो। उस स्वंर्सेवक ने संकोचपवूयक गुरू िी से कहा - मैं चमार िानत का हूूँ, पंजतत में ऊूँ ची िानतर्ों के स्वरं्सेवक भी बठेै हैं, उन्हें मैं कैसे परोस सकता हूूँ? गुरू िी को उस स्वरं्सेवक की बात बहुत बरुी िगी। उन्होंने उसका हाथ पकड़कर ििेबी की थािी थमाइय, और सवयप्रथम अपनी थािी में परोसने को कहा, किर सब स्वरं्सेवकों को देने के लिए कहा। गुरू िी के आत्मीर्

  • व्र्वहार से उसकी प्रसन्नता का पारावार नहीं रहा। उसने पंजतत में सभी को ििेबी परोसी। 1. भोिन में ििेबबर्ाूँ कब और कहाूँ बनी थीं और ििेबी बाूँटनेवािा शातं

    तर्ों बठैा था? 2. गुरू िी का ध्र्ान ककसकी ओर गर्ा? 3. गुरू िी ने स्वरं्सेवक से तर्ा कहा? 4. गुरू िी को कौन-सी बात बरुी िगी तथा उसकी बात सनुकर उन्होंने तर्ा

    ककर्ा? 5. स्वर्ंसेवक की प्रसन्नता का पारावार कब नहीं रहा?

    प्र. 2. ननम्नलिखखत काव्र्ांश को पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2x3=6

    पिुारी ! भिन, पिून, सािन, आरािना इन सबको ककनारे रख दे।

    दवार बंद करके देवािर् के कोने में तर्ों बठैा है? अपने मन के अन्िकार में नछपा बठैा, तू कौन–सी पिूा में मग्न है?

    आूँखें खोिकर देख तो सही तेरा देवता देवािर् में नही ंहै।

    िहाूँ मिदरू पत्थर िोड़कर रास्ता तैर्ार कर रहे हैं, तेरा देवता वहीीँ चिा गर्ा है।

    क) कवव पिुारी से भिन, पिून, सािन और आरािना के ववषर् में तर्ा

    कहत ेहैं? ख) कवव के अनसुार देवता कहाूँ चिे गए हैं? ग) पदर्ांश के लिए उधचत शीषयक दें।

    खण्ड–ख

    प्र. 3. शब्द ककसे कहते है? शब्द पद के रूप में कब बदि िाता है? 1+1=2

  • प्र. 4. ननदेशानसुार उत्तर दीजिए : 1x3=3 (क) मसुीबत आ िाए, तो घबराना नही ंचादहए। (रचना के आिार पर

    वातर्-भेद बताइए) (ख) िैसे ही मैंने खाना खार्ा वसेै ही मैं सो गर्ा। (संर्तुत वातर् में

    बदलिए) (ग) मोहन आर्ा और चिा गर्ा। (सरि वातर् में बदलिए)

    प्र. 5. (क) ननम्नलिखखत का ववग्रह करके समास का नाम लिखखए : 1+1=2 भिा-बरुा, धगररिर।

    (ख) ननम्नलिखखत का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखखए : 1+1=2 शोक से आकुि, ऋण से मतुत प्र.6. ननम्नलिखखत वातर्ों को शदु्ध रूप में लिखखए : 14=4

    (क) िर् कड़वा दवाई पी गर्ा। (ख) चाचा िी के ननिन का समाचार पाते ही उसके हाथों से तोत ेउड़ गए। (ग) सारी रात भर मैं पढ़ता रहा। (घ) आपका घर बड़ा दरू है।

    प्र. 7. ननम्नलिखखत महुावरों का वातर्ों में इस प्रकार प्रर्ोग कीजिए कक उनका

    अथय स्पष्ट हो िाए : 1+1=2 हवाई ककिे बनाना, छतके छुडा ा़ना।

    खण्ड - ग

    प्र. 8 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 2+2+1=5 (क) िोग अपने-अपने मकानों व सावयिननक स्थिों पर राष्रीर् झंडा

    िहराकर ककस बात का संकेत देना चाहत ेथे? (ख) िेखक ने ग्वालिर्र से बंबई तक ककन बदिावों को महससू ककर्ा?

    पाठ के आिार पर स्पष्ट कीजिए। (ग) तताूँरा-वामीरो कहाूँ की कथा है?

  • प्र. 8 ब ‘कारतूस’ पाठ के आिार पर लिखखए कक िांबाज़ के िीवन का िक्ष्र् अंगे्रिों को इस देश से बाहर करना था। 5

    प्र. 9 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 2+2+1=5

    (क) मनषु्र् मात्र बंि ुहै से आप तर्ा समझत ेहैं? स्पष्ट कीजिए। (ख) सर दहमािर् का हमने न झकुने ददर्ा, इस पजंतत में दहमािर् ककस

    बात का प्रतीक है? (ग) सच्च ेमन में राम बसते हैं−दोहे के संदभायनसुार स्पष्ट कीजिए।

    प्र. 9 ब ‘मनषु्र्ता’ कववता के माध्र्म से कवव तर्ा संदेश देना चाहता है? 5 प्र. 10. टोपी की भावात्मक परेशाननर्ों को मदे्दनिर रखते हुए लशक्षा व्र्वस्था में

    आवश्र्क बदिाव सझुाइए? 5

    खण्ड - घ प्र. 11. ननम्नलिखखत में से ककसी एक ववषर् पर अनचु्छेद लिखखए : 5

    मदर टेरेसा सत्संगनत

    प्र.12. नवरात्री महोत्सव के समर् देर रात तक ऊूँ ची आवाि में रेकाडय बिाने के

    कारण अध्र्र्न में बािा पड़ने की ओर ध्र्ान आकवषयत करने के लिए, होम-इंस्पेतटर को पत्र लिखखए। 5

    प्र. 13. आपके ववदर्ािर् में एक सप्ताह के लिए ‘ननिःशलु्क रतत-िाूँच व रतत-

    दान लशववर' िगार्ा िा रहा है। स्थानीर् िनता की सचूना के लिए 30 शब्दों में एक सचूना-पत्रक लिखखए। 5

    प्र. 14. बढ़त ेहुए मदहिा अपराि के संदभय में दो मदहिाओं के मध्र् बातचीत

    लिखखए - 5

  • प्र. 15. ननम्नलिखखत ववज्ञापन का प्रारुप (नमनूा) तैर्ार कीजिए : 5 ठंडी के मौसम में खारे् िानेवािे च्वनप्राश का ववज्ञापन तैर्ार कीजिए।

  • C.B.S.E Board कक्षा : 10 ह िंदी B

    समय : 3 घिंटे परू्ाांक : 80 निदेश :

    1. इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं - क, ख, ग, और घ। 2. चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अननवार्य है। 3. र्थासंभव प्रत्रे्क खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।

    खण्ड - क

    प्र.1. ननम्नलिखखत गदर्ांश को ध्र्ानपवूयक पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर लिखखए : (2×4) (1×1) = 9 1950 में पणेु के संघ पररषद लशक्षा वगय में एक ददन ववशषे भोिन में ििेबी बनी थी। परम पिूनीर् श्री गुरू िी उस ददन स्वरं्सेवकों के मागयदशयन हेतु वगय में उपजस्थत थे। भोिन के समर् अधिकाररर्ों की पंककत में आठ-नौ, स्वंर्सेवकों को भोिन परोसने का दानर्त्व ददर्ा गर्ा। भोिन-मंत्र से पवूय उन स्वंर्सेवकों ने ववतरण शरुू करा ददर्ा, िेककन उनमें से एक स्वंर्सेवक, जिसके पास ििेबी की थािी थी, ववतरण न करके चपुचाप बठैा रहा। परमपजू्र् गुरू िी का ध्र्ान उसकी ओर गर्ा। भोिन प्रारम्भ होने से पवूय गुरू िी उसके पास गए और कहा-तुम कैसे बठेै हो? पंजतत में ववतरण करो। उस स्वंर्सेवक ने संकोचपवूयक गुरू िी से कहा - मैं चमार िानत का हूूँ, पंजतत में ऊूँ ची िानतर्ों के स्वरं्सेवक भी बठेै हैं, उन्हें मैं कैसे परोस सकता हूूँ? गुरू िी को उस स्वरं्सेवक की बात बहुत बरुी िगी। उन्होंने उसका हाथ पकड़कर ििेबी की थािी थमाइय, और सवयप्रथम अपनी थािी में परोसने को कहा, किर सब स्वरं्सेवकों को देने के लिए कहा। गुरू िी के आत्मीर्

  • व्र्वहार से उसकी प्रसन्नता का पारावार नहीं रहा। उसने पंजतत में सभी को ििेबी परोसी। 1. भोिन में ििेबबर्ाूँ कब और कहाूँ बनी थीं और ििेबी बाूँटनेवािा शातं

    तर्ों बठैा था? उत्तर : 1950 में पणेु के संघ पररषद लशक्षा वगय में भोिन के लिए ववशषे

    ििेबी बनी थी। बाूँटनेवािा इसलिए शांत बठैा था तर्ोंकक वह चमार िानत का था तथा ऊूँ ची िानतर्ों को परोसने में उसे संकोच हो रहा था।

    2. गुरू िी का ध्र्ान ककसकी ओर गर्ा? उत्तर : गुरू िी का ध्र्ान एक ओर चपुचाप ििेबी की थािी लिए बठेै

    स्वर्ंसेवक की ओर गर्ा। 3. गुरू िी ने स्वरं्सेवक से तर्ा कहा? उत्तर : गुरू िी ने स्वरं्सेवक से पहिे अपनी थािी में ििेबी परोसवाइय

    तथा किर सबको ििेबी परोसन ेके लिए कहा।

    4. गुरू िी को कौन-सी बात बरुी िगी तथा उसकी बात सनुकर उन्होंने तर्ा ककर्ा? उत्तर : िड़के का र्ह कहना कक मैं िानत से चमार हूूँ, पंजतत में ऊूँ ची

    िानत के बठेै स्वरं्सेवकों को कैसे परोस सकता हूूँ? गुरू िी को बरुा िगा, उसकी बात सनुकर उन्होंने सबसे पहिे उससे ििेबी िी किर दसूरों को परोसने के लिए कहा।

    5. स्वर्ंसेवक की प्रसन्नता का पारावार कब नहीं रहा?

    उत्तर : गुरू िी के आत्मीर्तापणूय व्र्वहार से स्वरं्सेवक की प्रसन्नता का पारावार नहीं रहा।

  • प्र. 2. ननम्नलिखखत काव्र्ांश को पढ़कर पछेू गए प्रश्नों के उत्तर लिखखए : 2x3=6

    पिुारी ! भिन, पिून, सािन, आरािना इन सबको ककनारे रख दे।

    दवार बंद करके देवािर् के कोने में तर्ों बठैा है? अपने मन के अन्िकार में नछपा बठैा, तू कौन–सी पिूा में मग्न है?

    आूँखें खोिकर देख तो सही तेरा देवता देवािर् में नही ंहै।

    िहाूँ मिदरू पत्थर िोड़कर रास्ता तैर्ार कर रहे हैं, तेरा देवता वहीीँ चिा गर्ा है।

    क) कवव पिुारी से भिन, पिून, सािन और आरािना के ववषर् में तर्ा

    कहत ेहैं? उत्तर : कवव पिुारी से भिन, पिून, सािन और आरािना के ववषर्

    में कहते हैं कक वे इन सभी को एक तरि रख दें। ख) कवव के अनसुार देवता कहाूँ चिे गए हैं?

    उत्तर : कवव के अनसुार देवता पत्थर िोड़कर रास्ता तैर्ार करने वािे अथायत ्मिदरूी करने वािे मिदरूों के ददिों में चिे गए हैं।

    ग) पदर्ांश के लिए उधचत शीषयक दें।

    उत्तर : पदर्ांश के लिए उधचत शीषयक–कमय ही पिूा है र्ा कमय ही ईश्वर है।

    खण्ड–ख

    प्र. 3. शब्द ककसे कहते है? शब्द पद के रूप में कब बदि िाता है? 1+1=2 शब्द वणों र्ा अक्षरों के साथयक समहू को कहत ेहैं। उदाहरण के लिए क, म तथा ि के मेि से 'कमि' बनता है िो एक खास के िूि का बोि कराता है। अतः 'कमि' एक शब्द है।

  • कमि की ही तरह 'िकम' भी इन्ही ंतीन अक्षरों का समहू है ककंत ुर्ह ककसी अथय का बोि नहीं कराता है। इसलिए र्ह शब्द नहीं है। इसका रूप भी बदि िाता है। िब कोई शब्द वातर् में प्रर्तुत होता है तो उसे शब्द न कहकर पद कहा िाता है।

    प्र. 4. ननदेशानसुार उत्तर दीजिए : 1x3=3 (क) मसुीबत आ िाए, तो घबराना नही ंचादहए। (रचना के आिार पर

    वातर्-भेद बताइए) उत्तर : लमश्र वातर्

    (ख) िैसे ही मैंने खाना खार्ा वसेै ही मैं सो गर्ा। (संर्तुत वातर् में बदलिए) उत्तर : मैंने खाना खार्ा और सो गर्ा।

    (ग) मोहन आर्ा और चिा गर्ा। (सरि वातर् में बदलिए) उत्तर : मोहन आकर चिा गर्ा।

    प्र. 5. (क) ननम्नलिखखत का ववग्रह करके समास का नाम लिखखए : 1+1=2 भिा-बरुा, धगररिर।

    उत्तर : भिा-बरुा – दवंदव समास धगररिर – बहुब्रीदह समास

    (ख) ननम्नलिखखत का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखखए : 1+1=2

    शोक से आकुि, ऋण से मतुत उत्तर : शोक से आकुि – शोकाकुि – करण तत्परुुष समास

    ऋण से मतुत – अपादान तत्परुुष समास

  • प्र.6. ननम्नलिखखत वातर्ों को शदु्ध रूप में लिखखए : 14=4 (क) िर् कड़वा दवाई पी गर्ा। उत्तर : िर् कड़वी दवाई पी गर्ा। (ख) चाचा िी के ननिन का समाचार पाते ही उसके हाथों से तोत ेउड़ गए। उत्तर : चाचा िी के ननिन का समाचार पात ेही उसके हाथों के तोत े

    उड़ गए। (ग) सारी रात भर मैं पढ़ता रहा। उत्तर : मैं सारी रात पढ़ता रहा। (घ) आपका घर बड़ा दरू है। उत्तर : आपका घर बड़ी दरू है।

    प्र. 7. ननम्नलिखखत महुावरों का वातर्ों में इस प्रकार प्रर्ोग कीजिए कक उनका

    अथय स्पष्ट हो िाए : 1+1=2 हवाई ककिे बनाना, छतके छुडा ा़ना।

    हवाई ककिे बनाना - हवाई ककिे ही बनात ेरहोगे र्ा अब अभ्र्ास भी करोगे।

    छतके छुडा ा़ना - भारतीर् सेना ने दशु्मनों के छतके छुड़ा ददए।

    खण्ड - ग प्र. 8 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 2+2+1=5

    (क) िोग अपने-अपने मकानों व सावयिननक स्थिों पर राष्रीर् झंडा िहराकर ककस बात का संकेत देना चाहत ेथे? उत्तर : िोग अपने-अपने मकानों व सावयिाननक स्थिों पर राष्रीर्

    झंडा िहराकर अपनी देशभजतत का प्रमाण, राष्रीर् झंड ेका सम्मान तथा देश की स्वंत्रतता की ओर संकेत देना चाह रहे थे।

  • (ख) िेखक ने ग्वालिर्र से बंबई तक ककन बदिावों को महससू ककर्ा? पाठ के आिार पर स्पष्ट कीजिए। उत्तर : िेखक न ेग्वालिर्र से बम्बई तक अनके बदिावों को

    महससू ककर्ा िैसे पहिे बड़-ेबड़ ेघर, आूँगन और दािान होत ेथे। अब डडब्बे िसेै घरों में िोगों को गुिारा करना पड़ता है। चारों ओर इमारतें और इमारतें ही पाई िाती है। खुिे स्थानों, पश-ुपक्षक्षर्ों के रहन ेके स्थानों का अभाव ददखाई देता है। पहिे पश-ुपक्षक्षर्ों को घरों में स्थान लमिता था आि उनके घर आने के रास्तों को ही बंद कर ददर्ा िाता है।

    (ग) तताूँरा-वामीरो कहाूँ की कथा है?

    उत्तर : तताूँरा-वामीरो एक िोक कथा है। र्ह देश के उन दवीपों की कथा है िो आि लिदटि अंदमान और कार-ननकोबार नाम से िाने िात ेहैं। ननकोबाररर्ों का मानना है कक प्राचीन काि में रे् दोनों दवीप एक ही थे।

    प्र. 8 ब ‘कारतूस’ पाठ के आिार पर लिखखए कक िांबाज़ के िीवन का िक्ष्र्

    अंगे्रिों को इस देश से बाहर करना था। 5 उत्तर : िाबाज़ं अथायत ्व़िीर अिी के ददि में अंगे्रिों के खखिाफ़ निरत

    भरी हुई थी। उसने पाूँच महीने के अंतर पर ही अवि के दरबार से अंगे्रिों को बाहर कर ददर्ा था। विीर अिी सआदत अिी को अवि से हटा कर वहाूँ का प्रशासक बनना चाहता था। इससे र्ह स्पष्ट होता है कक िाबांज़ के िीवन का िक्ष्र् अंगे्रिों को इस देश से बाहर करना था।

  • प्र. 9 अ ननम्नलिखखत प्रश्नों के उत्तर दीजिए : 2+2+1=5 (क) मनषु्र् मात्र बंि ुहै से आप तर्ा समझत ेहैं? स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर : इस कथन का अथय है क संसार के सभी मनषु्र् आपस में भाई-भाई हैं। इसलिए सभी को पे्रम भाव से रहना चादहए, सहार्ता करनी चादहए। कोई परार्ा नहीं है। सभी एक दसूरे के काम आएूँ। प्रत्रे्क मनषु्र् को ननबयि मनषु्र् की पीड़ा दरू करने का प्रर्ास करना चादहए।

    (ख) सर दहमािर् का हमने न झकुने ददर्ा, इस पजंतत में दहमािर् ककस

    बात का प्रतीक है? उत्तर : सर दहमािर् का हमने न झकुने ददर्ा इस पंजतत में

    दहमािर् भारत के मान सम्मान का प्रतीक है। भारत-चीन र्दु्ध दहमािर् की बिय से ढकी चोदटर्ों पर ही िड़ा गर्ा था। भारतीर् सनैनकों ने अपने प्राण गवाूँकर देश के मान-सम्मान को सरुक्षक्षत रखा। भारत के सनैनक हर पि देश की रक्षा हेत ुबलिदान देने के लिए तत्पर रहत ेहैं। उनके साहस की अमर गाथा से दहमािर् की पहाडड़र्ाूँ आि भी गुंिार्मान हैं।

    (ग) सच्च ेमन में राम बसते हैं−दोहे के संदभायनसुार स्पष्ट कीजिए।

    उत्तर : बबहारी िी के अनसुार भजतत का सच्चा रूप हृदर् की सच्चाई में ननदहत है। बबहारी िी ईश्वर प्राजतत के लिए िमय कमयकांड को ददखावा समझते थे। मािा िपने, छाप ेिगवाना, माथे पर नतिक िगवाने से प्रभ ुनहीं लमिते। िो इन व्र्थय के आडबंरों में भटकत ेरहते हैं वे झठूा प्रदशयन करके दनुनर्ा को िोखा दे सकते हैं, परन्तु भगवान राम तो सच्च ेमन की भजतत से ही प्रसन्न होत ेहैं।

  • प्र. 9 ब ‘मनषु्र्ता’ कववता के माध्र्म से कवव तर्ा संदेश देना चाहता है? 5 उत्तर : प्रकृनत के अन्र् प्राखणर्ों की तुिना में मनषु्र् में चतेना शजतत

    की प्रबिता होती है। ‘मनषु्र्ता’ कववता के माध्र्म से कवव मानवता, प्रेम, एकता, दर्ा, करुणा, परोपकार, सहानभुनूत, सद्भावना और उदारता से पररपणूय िीवन िीने का संदेश देना चाहता है। मनषु्र् दसूरों के दहत का ख्र्ाि रख सकता है। इस कववता का प्रनतपादर् र्ह है कक हमें मतृ्र् ुसे नहीं डरना चादहए और परोपकार के लिए अपना सवयस्व न्र्ौछावर करन ेके लिए तत्पर रहना चादहए। िब हम दसूरों के लिए िीत ेहैं तभी िोग हमें मरने के बाद भी र्ाद रखत ेहैं। िन होने पर घमंड नही ंकरना चादहए तथा खदु आगे बढ़ने के साथ-साथ औरों को भी आगे बढ़ने की पे्ररणा देनी चादहए। सभी मनषु्र् इयश्वर की संतान है। अत: सभी को एक होकर चिना चादहए और परस्पर भाइयचारे का व्र्वहार करना चादहए।

    प्र. 10. टोपी की भावात्मक परेशाननर्ों को मदे्दनिर रखते हुए लशक्षा व्र्वस्था में

    आवश्र्क बदिाव सझुाइए? 5 उत्तर : बच्च ेफ़ेि होने पर भावनात्मक रूप से आहत होत ेहैं और

    मानलसक रूप से परेशान रहने िगते हैं। वे शमय महससू करत ेहैं। इसके लिए ववदर्ाथी के पसु्तकीर् ज्ञान को ही न परखा िाए बजकक उसके अनभुव व अन्र् कार्य कुशिता को भी देखकर उसे प्रोत्साहन देने के लिए लशक्षा व्र्वस्था में बदिाव ककर्ा िा सकता है। ऐसे बच्चों के लिए वकैजकपक लशक्षा की व्र्वस्था की िानी चादहए। लशक्षकों को इस तरह के बच्चों को समझने के लिए उधचत मनोवजै्ञाननक प्रलशक्षण ददर्ा िाना चादहए तथा पररवार वािों को उसकी भरपरू मदद करनी चादहए न कक उसे कमिोर कहकर उसपर व्र्गं कसन ेचादहए।

  • खण्ड - घ प्र. 11. ननम्नलिखखत में से ककसी एक ववषर् पर अनचु्छेद लिखखए : 5

    मदर टेरेसा मदर टेरेसा का असिी नाम ‘अगनेस गोंझा बोर्ाजिि’ू था। मात्र अठारह वषय की उम्र में िोरेटो लसस्टसय में दीक्षा िेकर वे लसस्टर टेरेसा बनीं थी। किर वह 1930 में एक नन के रूप में भारत आईं और र्ही ंकी होकर रह गई। कोिकाता के सेंट मरैीि हाईस्कूि में पढ़ाने के दौरान एक ददन कॉवेंट की दीवारों के बाहर िैिी दररद्रता देख वे ववचलित हो गई। इस दौरान 1948 में उन्होंने वहाूँ के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक स्कूि खोिा और तत्पश्चात ‘लमशनरीि ऑि चरैरटीि ्की स्थापना की। मदर टेरेसा न े‘ननमयि हृदर्’ और ‘ननमयिा लशश ुभवन’ के नाम से भी आश्रम खोिे, जिनमें वे असाध्र् बीमारी से पीडड़त रोधगर्ों व गरीबों की स्वर्ं सेवा करती थीं। जिन्हें समाि ने बाहर ननकाि ददर्ा हो, ऐसे िोगों पर इस मदहिा ने अपनी ममता व पे्रम िटुाकर सेवा भावना का पररचर् ददर्ा। मदर टेरेसा का कहना था कक दखुी मानवता की सेवा ही िीवन का व्रत होना चादहए। साि 1962 में भारत सरकार ने उनकी समाि सेवा और िन ककर्ाण की भावना की कद्र करत ेहुए उन्हें पद्म श्री से नवािा। 1980 में मदर टेरेसा को उनके दवारा ककरे् गरे् कार्ों के कारण भारत सरकार ने भारत रत्न से अिंकृत ककर्ा। 5 लसतंबर 1997 को मदर टेरेसा का देहावसान हो गर्ा था। मदर टेरसा की मतृ्र् ुके बाद उन्हें पोप िॉन पॉि दववतीर् ने िन्र् घोवषत ककर्ा और उन्हें “कोिकाता की िन्र्” की उपाधि प्रदान की।

    दर्ा िमय का मिू है दर्ा िमय का मिू है, पाप मिू अलभमान।

    तुिसी दर्ा न छोडड़रे् िब तक घट में प्रान॥ हमारी संस्कृनत के अनसुार मनषु्र् का एक ववशषे गणु िीव के प्रनत दर्ा भाव रखना है। दर्ा िमय का मिू है। िीवमात्र पर दर्ा भाव रखकर उसके

  • दःुख को समझना चादहए। प्राणी मात्र की सेवा ही िीवन का िक्ष्र् है, समस्त िीवों की सेवा तब तक करनी चादहए िब तक की शरीर में प्राण हैं और र्ही मानव िमय है। िमय हमें दर्ा करना लसखाता है और अलभमान की िड़ में पाप-भाव पिता है। परोपकार की भावना ही सबसे बड़ी मनषु्र्ता है। मन से, तन से और कमय से िीव मात्र के लिए अपने को आहूत करना देना ही सच्ची सेवा है। िीसस, वववेकानंद, नानक और न िाने ककतने संत हमें दर्ाभावना से मानव-िानत के ककर्ाण करने का संदेश दे गए।

    सत्संगनत

    सत्संगनत अथायत ्अच्छों आचरण वािे िोगों की संगनत। मनषु्र् की संगनत ही उसके व्र्जततत्व ननमायण को प्रभाववत करती है। इसी लिए प्राचीन समर् से िमयगं्रथ तथा संत िोग मनषु्र् को सत्संगनत के लिए पे्रररत करत ेआए हैं।

    कबीर तन पछंी भर्ा, िहा ंमन तहा ंउडी िाइ। िो िैसी संगती कर, सो तैसा ही िि पाइ।।

    र्ह सच है कक मनषु्र् जिन िोगों के साथ उठता बठैता है उनके स्वभाव और गणुों का उन पर प्रभाव पड़ता है। संत के साथ रहकर मानव ककर्ाण की बात और चोर के साथ रहकर चोरी िसेै अवगुण की बात सीखने लमिती है। अच्छी संगनत हमारे अंदर के संत को और बरुी संगनत हमारे अंदर के दानव को िागतृ करती है। सत्संगनत मनषु्र् एवं समाि के ववकास के लिए अत्रं्त आवश्र्क है। सत्संगनत मनषु्र् को समाि में आदर पात्र बनाती है। सत्संगनत मनषु्र् के व्र्जततत्व और िीवन को सुंदर तथा प्रगनतशीि बना देती है। दिुयन का साथ पग-पग पर हानन पहुूँचाता है।

  • प्र.12. नवरात्री महोत्सव के समर् देर रात तक ऊूँ ची आवाि में रेकाडय बिाने के कारण अध्र्र्न में बािा पड़ने की ओर ध्र्ान आकवषयत करने के लिए, होम-इंस्पेतटर को पत्र लिखखए। 5 रािनगर, अमरावती - 444 601 15 लसतंबर, 2008 सेवा में, माननीर् होम-इंस्पेतटर, शहर ववभाग, अमरावती - 444 601 ववषर् : सावयिननक नवरात्री महोत्सव में देर रात तक ऊूँ ची आवाि में बिने वािे रेकाडो की ओर ध्र्ान आकवषयत करना। महोदर्, मैं रािनगर का ननवासी हूूँ। आिकि नवरात्री का महोत्सव चि रहा हैं। स्थान-स्थान पर रेकाडय बि रहे हैं। इन रेकाडो की ध्वनन इतनी तिे रहती है कक कानों को सहन नही ंहोता। इसके अनतररतत आिकि हम ववदर्ाधथयर्ों की परीक्षाएूँ भी चि रही है। रेकाडो की ध्वनन के कारण पढ़ाई में बािा पड़ती है। इसके अनतररतत छोटे बच्चों, बीमार एवं बढ़ेू व्र्जततर्ों को भी सोने में बहुत तकिीि होती है। इसलिए मेरी आपसे प्राथयना है कक इन्हें रात में ननजश्चत समर् तक और मध्र्म ध्वनन में रेकाडय बिाने की ही अनमुनत दी िाए। मझु ेउम्मीद है कक आप शीघ्र ही इस बारे में िरुरी कारयवाही करेंगे। कष्ट के लिए क्षमा चाहता हूूँ। भवदीर् उमेश शमाय

  • प्र. 13. आपके ववदर्ािर् में एक सतताह के लिए ‘ननःशकुक रतत-िाूँच व रतत-दान लशववर' िगार्ा िा रहा है। स्थानीर् िनता की सचूना के लिए 30 शब्दों में एक सचूना-पत्रक लिखखए। 5

    सचूना ननःशकुक रतत-िाूँच व रतत-दान लशववर

    सवयसािारण को सधूचत ककर्ा िाता है कक 2 अतटूबर, ‘गाूँिी िर्न्ती’ के अवसर पर ‘भारत ववकास संस्थान’ के सहर्ोग से ‘गांिी ववदर्ािर्’ में ‘ननःशकुक रतत-िाूँच व रतत-दान’ लशववर आर्ोजित ककर्ा िा रहा है। लशववर का समर् सबुह 6 बिे से सार् ं5 बिे तक का रहेगा। आप सब से अनरुोि है कक इस कार्यक्रम में ‘रतत-दान’ कर िन-ककर्ाण में अपना सहर्ोग प्रदान करें।

    प्र. 14. बढ़त ेहुए मदहिा अपराि के संदभय में दो मदहिाओं के मध्र् बातचीत

    लिखखए - 5 हेमा : अरे ! पे्रमा आि बहुत ददनों बाद ददखाईं दी?ं कहाूँ थी?ं प्रेमा : भाभीिी के साथ एक दघुयटना हो गई थी इसलिए इिर आना नही ं

    हुआ। हेमा : ओह ! तर्ा हो गर्ा था? प्रेमा : ककसी बदमाश ने राह चित ेगिे की चने खींच िी जिसके कारण

    मातािी के गिे पर चोट िग गई। हेमा : ओह ! र्ह तो बहुत बरुा हुआ। आिकि ददनदहाड़ें ऐसी वारदातें

    बहुत होने िगी हैं। िगता है िैसे पलुिस और काननू का डर ही नहीं रहा है।

    प्रेमा : हाूँ। र्दद पलुिस-ववभाग अपनी जिम्मेदारी सही तरह से ननबाहे तो बदमाशों की दहम्मत न हो।

    हेमा : सबसे बरुी बात तो र्ह है कक िहाूँ कुछ ऐसा बरुा घदटत होता है वहाूँ आस-पास मौिूद िोग भी तमाशबीन बन िात ेहै।

    प्रेमा : तुम सही कह रही हो। िोगों को अपने जिम्मेदार नागररक होने का कतयव्र् ननबाहना चादहए।

  • हेमा : तर्ा बदमाश पकड़ा गर्ा? प्रेमा : नहीं। ककसी की दहम्मत नही ंहुई। वह मोटरसाइककि पर था, झपट्टा

    मारकर तिेी से भाग गर्ा। हेमा : ओह ! तुम अपनी मातािी का ध्र्ान रखो। मझुसे कोई भी सहार्ता

    चाहो तो बताना। मातािी को मेरा प्रणाम कहना। प्रेमा : अवश्र्। किर लमिेंगे। नमस्कार ! हेमा : नमस्कार !

    प्र. 15. ननम्नलिखखत ववज्ञापन का प्रारुप (नमनूा) तैर्ार कीजिए : 5 ठंडी के मौसम में खारे् िानेवािे च्वनप्राश का ववज्ञापन तैर्ार कीजिए।

    सौ-गुण च्वनप्राश

    ठंडडर्ों में रखे सेहत का ख्र्ाि

    सौ गुण वािे सौ-गुण च्वनप्राश के साथ।

    2. Sample Papers for CBSE Class 10 Hindi Course B #2 - Question.pdf (p.1-5)2. Sample Papers for CBSE Class 10 Hindi Course B #2 - Solution.pdf (p.6-18)