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ह िदीकोश
wwwhindikoshin
परमचिद
मानसरोवर
भाग 5
Manasarovar ndash Part 5
By Premchand
य पसतक परकाशनाधिकार मकत कयोकक इसकी परकाशनाधिकार अवधि समापत ो चकी
This work is in the public domain in India because its term of copyright
has expired
यनीकोड सिसकरण सिजय खतरी 2012
Unicode Edition Sanjay Khatri 2012
आवरण धचतर ववककपीडडया (परमचिद मानसरोवर झील)
Cover image Wikipediaorg (Premchand Manasarovar Lake)
ह िदीकोश
Hindikoshin
httpwwwhindikoshin
Contents मनददर 4
ननमितरण 13
रामलीला 42
मितर (1) 51
कामना तर 69
सती 82
ह िसा परमोिमम 96
बह षकार 108
चोरी 126
लािछन 135
कजाकी 151
आसओ की ोली 167
अननन-समाधि 177
सजान भगत 191
सो ाग का शव 206
आतम-सिगीत 235
ऐकरस 240
ईशवरीय दयाय 254
ममता 277
मितर (2) 293
परायनशचत 309
कपतान सा ब 325
मनदिर
मात-परम तझ िदय सिसार म और जो कछ ममथया ननससार मात-परम ी सतय अकषय अनश वर तीन हदन स सिखया क म म न अदन का एक दाना गया था न पानी की एक बद सामन पआल पर माता का नद ा-सा लाल पडा करा र ा था आज तीन हदन स उसन आख न खोली थीि कभी उस गोद म उठा लती कभी पआल पर सला दती सत-खलत बालक को अचानक कया ो गया य कोई न ीि बताता ऐसी दशा म माता को भख और पयास क ा एक बार पानी का एक घट म म मलया था पर कि ठ क नीच न ल जा सकी इस दिखया की ववपनतत का पारवार न था साल-भर भीतर ी दो बालक गिगाजी की गोद म सौप चकी थी पनतदव प ल ी मसिार चक थ अब उस अभाधगनी क जीवन का आिार अवलमब जो कछ था य ी बालक था ाय कया ईश वर इस भी इसकी गोद स छनन लना चा ता
य कलपना करत ी माता की आखो स झर-झर आस ब न लगत थ इस बालक को व कषण-भर क मलए भी अकला न छोडती थी उस साथ लकर घास छनलन जाती घास बचन बाजार जाती तो बालक गोद म ोता उसक मलए उसन नद ी-सी खरपी और नद ी-सी खािची बनवा दी थी नजयावन माता क साथ घास छनलता और गवम स क ता - अममा म भी बडी-सी खरपी बना दो म ब त-सी घास छनलग तम दवार माची पर बठन र ना अममा म घास बच लाऊगा
मा पछती - मार मलए कया-कया लाओग बटा
नजयावन लाल-लाल साडडयो का वादा करता अपन मलए ब त-सा गड लाना चा ता था व ी भोली-भोली बात इस समय याद आ-आकर माता क हदय को शल क समान बि र ी थी जो बालक दखा य ी क ता कक ककसी की डीठ (नजर) पर ककसकी डीठ इस वविवा का भी सिसार म कोई वरी अगर उसका नाम मालम ो जाता तो सिखया जाकर उसक चरणो म धगर पडती और
बालक को उसकी गोद म रख दती कया उसका हदय दया स न वपघल जाता
पर नाम कोई न ीि बताता ाय ककसस पछ कया कर
तीन प र बीत चकी थी सिखया का धचिता-वयधथत चिचल मन कोठ-कोठ दौड र ा था ककस दवी की शरण जाए ककस दवता की मनौती कर इसी सोच म पड-पड उस एक झपकी आ गई कया दखती कक उसकी सवामी आकर बालक क मसर ान खडा ो जाता औऱ बालक क मसर पर ाथ फरकर क ता - रो मत सिखया तरा बालक अचछा ो जाएगा कल ठाकरजी की पजा कर द व ी तर स ायक ोग य क कर व चला गया सिखया की आख खल गई अवशय ी उसक पनतदव आए थ इसम सिखया को जरा भी सदद न आ उद अब भी मरी सधि य सोचकर उसका हदय आशा स पररपलाववत ो उठा पनत क परनत शरदधा और परम स उसकी आख सजग ो गई उसन बालक को गोद म उठा मलया और आकाश की और ताकती ई बोली - भगवान मरा बालक अचछा ो जाए तो म तम ारी पजा करगी अनाथ वविवा पर दया करो
उसी समय नजलावन की आख खल गई उसन पानी मागा माता न दौडकर कटोर म पानी मलया और बालक को वपला हदया
नजयावन न पानी पीकर क ा - अममा रात कक हदन
सिखया - अभी तो रात बटा तम ारा जी कसा
नजयावन - अचछा अममा अब म अचछा ो गया
सिखया - तम ार म म घी-शककर बटा भगवान कर तम जलद अचछ ो जाओ कछ खान को जी चा ता
नजयावन - ा अममा थोडा-सा गड द दो
सिखया - गड मत खाओ भया अवगन करगा क ो तो िखचडी बना द
नजयावन - न ीि मरी अममा जरा-सा गड द दो तर परो पड
माता इस आगर को न टाल सकी उसन थोडा-सा गड ननकालकर नजयावन क ाथ पर रख हदया और ाडी का ढककन लगान जा र ी थी कक ककसी न बा र स आवाज दी ाडी छोडकर व ककवाड खोलन गई नजयावन म गड की दो वप िडडया ननकाल ली और जलदी-जलदी स चट कर गया
हदन-भर नजयावन की तबीयत अचछन र ी उसन थोडी-सी िखचडी खाई दो-एक बार िीर-िीर दवार पर भी आया और मजोमलयो क साथ खल न सकन पर भी उद खलत दखकर उसकी जी ब ल गया सिखया न समझा बचचा अचछा ो गया दो-एक हदन म जब पस ाथ म आ जाएग तो व एक हदन ठाकरजी की पजा करन चली जाएगी जाड क हदन झाड-ब ार न ान-िोन और खान-पीन म कट गए मगर जब सदया समय कफर नजयावन का जी भारी ो गया तो सिखया घबरा उठन तरदत मन म शिका उतपदन ई कक पजा म ववलमब करन स ी बालक कफर स मरझा गया अभी थोडा-सा हदन बाकी था बचच को लटाकर व पजा का सामान तयार करन लगी फल तो जमीिदार क बगीच म ममल गए
तलसीदल दवार पर ी था पर ठाकर जो क भोज क मलए कछ ममष ठान तो चाह ए न ीि तो गाव वालो को बाटगी कया चढान क मलए कम-स-कम एक आना तो चाह ए सारा गाव छान आई क ीि पस उिार न ममल अब व ताश ो गई ाय र अहदन कोई चार आन पस भी न ीि दता आिखर उसन अपन ाथो क चादी क कड उतार और दौडी ई बननए की दकान पर गई कड धगरवी रख
बतास मलए और दौडी ई घर आई
पजा का सामान तयार ो गया तो उसन बालक को गोद म उठाया और दसर ाथ म पजा की थाली मलए मिहदर की ओर चली
मनददर म आरती का घदटा बज र ा था दस-पाच भकतजन खड सतनत कर र थ इतन म सिखया जाकर मनददर क सामन खडी ो गई
पजारी न पछा - कया र कया करन आई
सिखया चबतर पर आकर बोली - ठाकरजी की मनौती की थी म ाराज पजा करन आई
पजारीजी हदन-भर जमीिदार क असाममयो की पजा ककया करत थ और शाम-सबर ठाकरजी की रात को मनददर म ी सोत थ मनददर म ी अपना भोजन भी बनता था नजसस ठाकरदवार की सारी असतकारी काली पड र ी थी सवभाव क बड दयाल थ ननष ठावान ऐस कक चा ककतनी ी ठिड पड ककतनी ठिडी वा चल
बबना सनान ककए म म पानी तक न डालत थ अगर इस पर भी उनक ाथो और परो म मल की मोटी त जमी ई थी तो इसम उनका कोई दोष न था
पजारीजी बोला - तो कया भीतर आएगी ो तो चकी पजा य ा आकर भरभरष ट करगी
एक भकतजन न क ा - ठाकरजी को पववतर करन आई
सिखया न बडी दीनता स क ा - ठाकरजी क चरन छन आई सरकार पजा की सब सामगरी लाई
पजारी - कसी बसमझी की बात करती र कछ पगली तो न ीि ो गई भला त ठाकरजी को कस छएगी
सिखया को अब तक कभी ठाकरदवार म आन का अवसर न ममला था आश चयम स बोली - सरकार व तो सिसार क मामलक उनक दरसन स तो पापी भी तर जाता मर छन स उद छत लग जाएगी
पजारी - अर त चमाररन कक न ीि र
सिखया - तो कया भगवान न चमारो को न ीि मसरजा चमारो का भगवान कोई और इस बचच की मनौती सरकार
इस पर व ी भकत म ोदय जो अब सतनत समाप त कर चक थ डपटकर बोल -मार क भगा दो चडल को भरष ट करन आई फ क दो थाली-वाली सिसार म तो आप ी आग लगी ई चमार भी ठाकरजी की पजा करन लगग तो पथवी र गी कक रसातल को चली जाएगी
दसर भकत म ाशय बोल - अब बचार ठाकरजी को भी चमारो क ाथ का भोजन करना पडगा अब परलय ोन म कछ कसर न ीि
ठिड पड र ी थी सिखया काप र ी थी और य ा िमम क ठकदार लोग समय की गनत पर आलोचनाए कर र थ बचचा मार ठिड क उसकी छाती म घसा जाता था ककदत सिखया व ा स टन का नाम न लती थी ऐसा मालम ोता था कक उसक दोनो पाव भमम म पड गए र -र कर उसक हदय म ऐसा उद गार उठता था कक जाकर ठाकरजी क चरणो म धगर पड ठाकरजी कया इद ीि क
म गरीबो का उनस कोई नाता न ीि य लोग कौन ोत रोकन वाल पर भय ोता था कक इन लोगो न क ीि सचमच थाली-वाली फ क दी तो कया करगी हदल म ऐिठकर र जाती थी स सा एक सझी व व ा स कछ दर जाकर एक वकष क नीच अििर म नछपकर इन भकतजनो क जान की रा दखन लगी
आरती और सतनत क पश चात भकतजन बडी दर तक शरीमद भागवत का पाठ करत र उिर पजारीजी न चल ा जलाया और खाना पकान लग चल क सामन बठ ए - करत जात थ और बीच-बीच म हटपपिणया भी करत जात
थ दस बज रात तक कथा-वाताम ोती र ी और सिखया वकष क नीच यानावसथा म खडी र ी
सार भकत लोगो न एक-एक करक घर की रा ली पजारीजी अकल र गए अब सिखया आकर मनददर क बरामद क सामन खडी ो गई ज ा पजारीजी अकल आसन जमाए बटलोई का कषिावदधमक मिर सिगीत सनन म मनन थ पजारी न आ ट पाकर गरदन उठाई तो सिखया को खडी दखा धचढकर बोल - कयो र त अभी तक खडी
सिखया न थाली जमीन पर रखी दी और एक ाथ फलाकर मभकषा-पराथमना करती ई बोली - म ाराजजी म अभाधगन य ी बालक मर जीवन का अलम
मझ पर दया करो तीन हदन स इसन मसर न ीि उठाया तम बडा जस ोगा म ाराजजी
य क त-क त सिखया रोन लगी पजारीजी दयाल तो थ पर चमाररन को ठाकरजी क समीप जान दन का अशरतपवम घोर पातक व कस कर सकत थ न जान ठाकरजी इसका कया दिड द आिखर उनक भी बाल-बचच थ क ीि ठाकरजी कवपत ोकर गाव का सवमनाश कर द तो बोल - घर जाकर भगवान का नाम ल तरा बालक अचछा ो जाएगा म य तलसीदल दता बचच को िखला द
चरणामत उसकी आखो म लगा द भगवान चा ग तो सब अचछा ी ोगा
सिखया - ठाकरजी क चरणो पर धगरन न दोग म ाराजजी बडी दिखया उिार लकर पजा की सामगरी जटाई मन कल सपना दखा था म ाराजजी कक ठाकरजी की पजा कर तरा बालक अचछा ो जाएगा तभी दौडी आई मर पास एक रपया व मझस ल लो पर मझ एक छन-भर ठाकरजी क चरणो पर धगर लन दो
इस परलोभन न पिडडतजी को एक कषण क मलए ववचमलत कर हदया ककदत मखमता क कारण ईश वर का भय उनक मन म कछ-कछ बाकी था समभलकर बोल -
अरी पगली ठाकरजी भकतो क मन का भाव दखत कक चरन पर धगरना दखत सना न ीि - मन चिगा तो कठौती म गिगा मन म भकत न ो तो लाख कोई भगवान क चरणो म धगर कछ न ोगा मर पास एक जदतर दाम तो उसका ब त पर तझ एक ी रपए म द दगा उस बचच क गल म बाि दना बस बचचा कल खलन लगगा
सिखया - ठाकरजी की पजा न करन दोग
पजारी - तर मलए इतनी ी पजा ब त जो बात कभी न ीि ई व आज म कर द और गाव पर कोई आफत-ववपत आ पड तो कया ो इस भी तो सोचो त य जदतर ल जा भगवान चा ग तो रात ी भर म बचच का कलश कट जाएगा ककसी का डीठ पड गई भी तो चोचला मालम ोता छततरी बिस
सिखया - जबस इस जवर मर पराण न ो म समाए ए
पजारी - बडा ोन ार बालक भगवान इस नजला द तो तर सार सिकट र लगा य ा तो ब त खलन आया करता था इिर दो-तीन हदन स न ीि दखा था
सिखया - तो जदतर को कस बािगी म ाराज
पजारी - कपड म बािकर दता बस गल म प ना दना अब त इस बला म नवीन वसतर क ा खोजन जाएगी
सिखया न दो रपए पर कड धगरो रख थ एक प ल ी भिज चका था दसरा पजारीजी को भट ककया और जदतर लकर मन को समझाती ई घर लौट आई
सिखया न घर प चकर बालक क गल म जदतर बाि हदया जयो-जयो रात गजरती थी उसका जवर भी बढता जाता था य ा तक कक तीन बजत-बजत उसक ाथ-पाव शीतल ोन लग तब व घबरा उठन और सोचन लगी ाय म वयथम ी सिकोच म पडी र ी और बबना ठाकरजी क दशमन ककए चली आई अगर म अददर चली जाती और भगवान क चरणो पर धगर पडती तो कोई मरा कया कर लता य ीि न ोता कक लोग मझ िकक दकर ननकाल दत शायद मारत भी पर मरा मनोरथ तो परा ो जाता यहद म ठाकरजी क चरणो को अपन आसओि स मभगो दती और बचच को उनक चरणो म सला दती तो कया उद दया न आती व तो दयामय भगवान दीनो की रकषा करत कया मझ पर दया न ीि करत य सोचकर सिखया का मन अिीर ो उठा न ीि अब ववलमब करन का समय न था व अवशय जाएगी और ठाकरजी क चरणो पर धगरकर रोएगी उस अबला क आशिककत हदय का अब इसक मसवा और कोई अवलमब कोई आसरा न था मनददर क दवार बदद ोग तो व ताल तोड डालगी ठाकरजी कया ककसी क ाथो बबक गए कक कोई उद बदद कर रख
रात क तीन बज गए थ सिखया न बालक को कमबल स ढापकर गोद म उठाया एक ाथ स थाली उठाई और मनददर की ओर चली घर स बा र ननकलत ी शीतल वाय क झोको स उसका कलजा कापन लगा शीत स पाव मशधथल ए जात थ उस पर चारो ओर अदिकार छाया आ था रासता दो फरलािग स कम न था पगडिडी वकषो क नीच-नीच गई थी कछ दर दाह नी ओर एक पोखरा था कछ दर बास की कोहठया पोखर म एक िोबी मर गया था औऱ बास की कोहठयो म चडलो का अडडा था बाई ओर र-भर खत थ चारो ओर सन-सन ो र ा था अदिकार सािय-सािय कर र ा था स सा गीदडो क ककम श सवर म आ- आ करना शर ककया ाय अगर कोई उस एक लाख रपया भी दता तो भी इस समय व य ा न आती पर बालक की ममता सारी शिकाओि को दबाए ए थी भगवान अब तम ारा ी आसरा य जपती ई व मनददर की ओर चली जा र ी थी
मनददर क दवार पर प चकर सिखया म जिजीर टटोलकर दखी ताला पडा आ था पजारी जी बरामद स ममली ई कोठरी म ककवाड बदद ककए सो र थ चारो ओर अदिरा छाया आ था सिखया चबतर क नीच स एक ईट उठा लाई और जोर-जोर स ताल पर पटकन लगी उसक ाथो म न जान इतनी शनकत क ा स आ गई थी दो ी तीन चोटो म ताला और ईट दोनो टटकर चौखट पर धगर पड सिखया न दवार खोल हदया और अददर जाना ी चा ती थी कक पजारी ककवाड खोलकर डबडाए ए बा र ननकल आए और चोर-चोर का शोर मचात ए गाव की ओर दौड जोड म परातः प र रात र ी लोगो की नीिद खल जाती य शोर सनत ी कई आदमी इिर-उिर स लालटन मलए ए ननकल पड और पछन लग - क ा क ा ककिर गया
पजारी - मनददर का दवार खला पडा मन खट-खट की आवाज सनी
स सा सिखया बरामद स ननकलकर चबतर पर आई और बोली - चोर न ीि
म ठाकरजी की पजा करन आई थी अभी तो अददर गई भी न ीि मार लला मचा हदया
पजारी न क ा - अब अनथम ो गया सिखया न मनददर म जाकर ठाकरजी को भरष ट कर आई
कफर कया था कई आदमी झललाए ए लपक और सिखया पर लातो और घिसो की मार पडन लगी सिखया एक ाथ स बचच को पकड ए थी और एक ाथ स उसकी रकषा कर र ी थी एकाएक बमलष ठ ठाकर न उस इतनी जोर स िकका हदया कक बालक उसक ाथ स छटकर जमीन पर धगर पडा मगर व न रोया न बोला न सास ली सिखया भी धगर पडी समभलकर बचच को उठान लगी तो उसक मख स एक चीख ननकल गई बचच का माथा छकर दखा सारी द ठिडी ो गई थी एक लमबी सास खीिचकर व उठ खडी ई उसकी आखो म आस न आए उसका मख करोि का जवाला स तमतमा उठा आखो स अिगार बरसन लग दोनो महिया बि गई दाित वपसकर बोली - पावपयो मर बचच क पराण
लकर दर कयो खड ो मझ भी कयो न ीि उसी क साथ मार डालत मर छ लन स ठाकरजी को छत लग गई पारस को छकर लो ा सोना ो जाता पारस लो ा न ीि ोता मर छन स ठाकरजी अपववतर ो जाएग मझ बनाया तो छत न ीि लगी लो अब कभी ठाकरजी को छन न ीि आऊगी ताल म बदद रखो प रा बठा ो ाय तम दया छ भी न ीि गई तम इतन कठोर ो बाल-बचच वाल ोकर भी तम एक अभाधगन माता पर दया न आई नतस पर िरम क ठकदार बनत ो तम सब-क-सब तयार ो ननपट तयार ो डरो मत म थाना-पमलस न ीि जाऊगी मरा दयाय भगवान करग अब उद ीि क दरबार म फररयाद करगी
ककसी न च न की कोई ममनममनाया तक न ीि पाषाण-मनतमयो की भानत सब-क-सब मसर झकाए खड र
इतनी दर म सारा गाव जमा ो गया सिखया न एक बार कफर बालक क म की ओर दखा म स ननकला- ाय मर लाला कफर व मनचछत ोकर धगर पडी पराण ननकल गए बचच क मलए पराण द हदए
माता त िदय तम जसी ननष ठा तझ जसी शरदधा तझ जसा ववश वास दवताओि को भी दलमभ
निमतरण
पिडडत मोटराम शास तरी न अददर जाकर अपन ववशाल उदर पर ाथ फरत ए य पद पिचम सवर म गाया -
अजगर कर न चाकरी पिछन कर न काम दास मलका क गए सबक दाता राम
सोना न परफनललत ोकर पछा - कोई मीठन-ताजी खबर कया
शासतरीजी न पतर बदलकर क ा - मार मलया आज ऐसा ताककर मारा कक चारो खान धचतत सार घर का नवता सार घर का व बढ-बढकर ाथ मारगा कक दखन वाल दिग र जाएग उदर म ाराज अभी स अिीर ो र
सोना - क ीि प ल की भानत अब की िोखा न ो पकका-पोढा कर मलया न
मोटराम न मछ ऐिठत ए क ा - ऐसा असगन म स न ननकालो बड जप-तप क बाद य शभ हदन आया जो तयाररया करनी ो कर लो
सोना - व तो करगी ी कया इतना भी न ीि जानती जदम-भर घास थोड ी खोदती र ी मगर घर-भर का न
मोटराम - अब और कस क पर घर-भर का इसका अथम समझ म न आया ो तो मझस पछो ववदवानो की बात समझना सबका काम न ीि अगर उनकी बात सभी समझ ल तो उनकी ववदवता का म ततव ी कया र बताओ समझी
म इस समय ब त ी सरल भाषा म बोल र ा मगर तम न ीि समझ सकी बताओ ववदवता ककस क त म ततव ी का अथम बताओ घर-भर का ननमदतरण दना कया हदललगी ा ऐस अवसर पर ववदवान लोग राजनीनत स काम लत और उसका व ी आशय ननकालत जो अपन अनकल ो मरादापर की रानी साह बा सात बराहमणो को इचछापणम भोजन करना चा ती कौन-कौन म ाशय मर साथ जाएग य ननणमय करना मरा काम अलग शासतरी बनीशासतरी छदीराम शासतरी भवानीराम शासतरी फकराम शासतरी आहद जब इतन आदमी अपन घर ी म तब बा र कौन बराहमणो को खोजन जाए
सोना - और सातवा कौन
मोटराम - बवदध दौडाओ
सोना - एक पततल घर लत आना
मोटराम - कफर व ी बात क ी नजसम बदनामी ो नछः नछः पततल घर लाऊ उस पततल म व सवाद क ा जो जजमान क घर बठकर भोजन करन म सनो सातव म ाशय - पिडडत सोनाराम शासतरी
सोना - चलो हदललगी करत ो भला म कस जाऊगी
मोटराम - ऐस ी कहठन अवसरो पर तो ववदया का आवशयकता पडती ववदवान आदमी अवसर को अपना सवक बना दता मखम भानय को रोता पररिान का अथम समझती ो पररिान प नाव को क त इसी साडी को मरी तर बाि लो मरी ममरजई प न लो ऊपर स चादर ओढ लो पगडी म बाि दगा कफर कौन प चान सकता
सोना न सकर क ा - मझ तो लाज लगगी
मोटराम - तम करना ी कया बात तो म करग
सोना न मन- ी-मन आन वाल पदाथो का आनदद लकर क ा - बडा मजा ोगा
मोटराम - बस अब ववलमब न करो तयारी करो चलो
सोना - ककतनी फि की बना ल
मोटराम - य म न ीि जानता बस य ी आदशम सामन रखो कक अधिक-स-अधिक लाभ ो
स सा सोनादवी को एक बात याद आ गई बोली - अचछा इन बबछओि का कया करगी
मोटराम न तयोरी चढाकर क ा - इद उतारकर रख दना और कया करोगी
सोना - ा जी कयो न ी उतारकर रख कयो दगी
मोटराम - तो कया तम ार बबछए प नन ी स म जी र ा जीता पौनष टक पदाथो क सवन स तम ार बबछओि क पणय स न ीि जीता
सोना - न ीि भाई म बबछए न उताऊगी
मोटराम न सोचकर क ा - अचछा प न चलो कोई ानन न ीि गोविमनिारी य बािा भी र लग बस पाव म ब त-स कपड लपट लना म क दगा इन पिडडतजी को फीलपा ो गया कसी सझी
पिडडताइन न पनतदव को परशिसासचक नतरो स दखकर क ा - जदम-भर पढा न ीि
सदया समय पिडडतजी न पाचो पतरो को बलाया और उपदश दन लग - पतरो कोई काम करन क प ल खब सोच-समझ लना चाह ए कक कस कया ोगा मान लो रानी साह बा न तम लोगो का पता-हठकाना पछना आरमभ ककया तो तम लोग कया उततर दोग य तो म ान मखमता ोगी कक तम सब मरा नाम लो सोचो ककतन कलिक और लजजा की बात ोगी कक मझ जसा ववदवान कवल भोजन क मलए इतना बडा कचकर रच इसमलए तम सब थोडी दर क मलए भल जाओ कक मर पतर ो कोई मरा नाम न बतलाए सिसार म नामो की कमी न ीि कोई अचछा-सा नाम चनकर बता दना वपता का नाम बदल दन स कोई गाली न ीि लगती य कोई अपराि न ीि
अलग - आप ी बता दीनजए
मोटराम - अचछन बात ब त अचछन बात ा इतन म ततव का काम मझ सवयि करना चाह ए अचछा सनो - अलगराम क वपता का नाम पिडडत कशव पािड खब याद कर लो बनीराम क वपता का नाम पिडडत मिगर ओझा खब याद रखना छदीराम क वपता पिडडत दमडी नतवारी भलना न ीि भवानी तम गिग पािड बताना खब याद कर लो अब र फकराम तम बटा बतलाना सतराम पाठक ो गया नामकरण अचछा अब म परीकषा लगा ोमशयार र ना बोलो अलग तम ार वपता का कया नाम
अलग - पिडडत कशव पािड
बनीराम तम बताओ
दमडी नतवारी
छदीराम -य तो मर वपता का नाम
बनीराम -म तो भल गया
मोटराम - भल गए पिडडत क पतर ोकर तम एक नाम भी न ीि याद कर सकत बड दःख की बात मझ पाचो नाम याद तम एक नाम भी याद न ीि सनो तम ार वपता का नाम पिडडत मिगर ओझा
पिडडतजी लडको की परीकषा ल ी र थ कक उनक परम ममतर पिडडत धचितामिण न दवार पर आवाज दी पिडडत मोटराम ऐस घबराए कक मसर-पर की सधि न र ी लडको को भगाना ी चा त थ कक धचितामिण अददर चल आए दोनो सजजनो म बचपन स गाढी मतरी थी दोनो ब िा साथ-साथ भोजन करन जाया करत थ
और यहद पिडडत मोटराम अववल र त तो पिडडत धचितामिण क दववतीय पर म कोई बािक न ो सकता था पर आज मोटरामजी अपन ममतर को साथ न ीि ल
जाना चा त थ उनको साथ ल जाना अपन घर वालो म स ककसी एक को छोड दना था और इतना म ान आतमतयाग करन क मलए व तयार न थ
धचितामिण न य समारो दखा तो परसदन ोकर बोल - कयो भाई अकल- ी-अकल मालम ोता आज क ीि ग रा ाथ मारा
मोटराम न म लटकाकर क ा - कसी बात करत ो ममतर ऐसा तो कभी न ीि आ कक मझ अवसर ममला ो और तम सचना न दी ो कदाधचत कछ समय ी बदल गया या ककसी गर का फर कोई झठ को भी न ीि बलाता
पिडडत धचितामिण न अववश वास क भाव स क ा - कोई-न-कोई बात तो ममतर अवशय न ीि तो य बालक कयो जमा
मोटराम - तम ारी इद ीि बातो पर मझ करोि आता लडको की परीकषा ल र ा बराहमण क लडक चार अकषर पढ बबना इनको कौन पछगा
धचितामिण को अब भी ववश वास न आया उद ोन सोचा - लडको स ी इस बात का पता लग सकता फकराम सबस छोटा था उसी स पछा - कया पढ र ो बटा म भी सनाओ
मोटराम न फकराम को बोलन का अवसर न हदया डर कक य तो सारा भिडा फोड दगा कफर बोल - अभी य कया पढगा हदन-भर खलता
फकराम इतना बडा अपराि अपन नद -स मसर पर कयो लता बाल-सलभ गवम स बोला - मको याद पिडडत सतराम पाठक य याद भी कर ल इस पर भी क त रदम खलता
य क त ए उसन रोना शर कर हदया
धचितामिण न बालक को गल लगा मलया और बोल -न ीि बटा तमन पाठ याद सना हदया तम खब पढत ो य सतराम पाठक कौन बटा
मोटराम न बबगडकर क ा - तम भी लडको की बातो म आत ो सन मलया ोगा ककसी का नाम (फ क स) जा बा र ज खल
धचितामिण अपन ममतर की घबरा ट दखकर समझ गए कक कोई-न-कोई र सय अवशय ब त हदमाग पडान पर भी सतराम पाठक का आशय उनकी समझ म न आया अपन परम ममतर की इस कहटलता पर मन म दिखत ोकर बोल - अचछा आप पाठ पढाइए और पररकषा लीनजए म जाता तम इतन सवाथी ो इसका मझ गमान तक न था आज तम ारी ममतरता की पररकषा ो गई
पिडडत धचितामिण बा र चल गए मोटरामजी क पास उद मनान का समय न था कफर परीकषा लन लग
सोना न क ा - मना लो मना लो रठ जात कफर परीकषा लना
मोटराम - जब कोई काम पडगा मना लगा ननमितरण की सचना पात ी इनका सारा करोि शादत ो जाएगा ा भवानी तम ार वपता का कया नाम बोलो
भवानी - गिग पािड
मोटराम - और तम ार वपता का नाम फ क
फकराम - बता तो हदया उस पर क त ो पढता न ीि
मोटराम - म भी बता दो
फकराम - सतराम पाठक तो
मोटराम - ब त ठनक मारा लडका बडा राजा आज तम अपन साथ बठाएग और सबस अचछा माल तम ीि को िखलाएग
सोना - म भी कोई नाम बता दो
मोटराम न रमसकता स मसकराकर क ा - तम ारा नाम पिडडत मो नसवरप सकल
सोनादवी न लजाकर मसर झका मलया
सोनादवी तो लडको को कपड प नान लगीि उिर फक आनदद की उमिग म घर स बा र ननकला पिडडत धचितामिण रठकर तो चल गए थ पर कत लवश अभी दवार पर दबक खड थ नजन बातो की भनक इतनी दर म पडी उसस य तो जञात ो गया कक क ीि ननमितरण पर क ा कौन-कौन-स लोग ननमिबतरत
य जञात न आ इतन म फक बा र ननकला तो उद ोन उस गोद म उठा मलया और बोल - क ा नवता बटा
अपनी जान म तो उद ोन ब त िीर स पछा था पर न-जान कस पिडडत मोटराम क कान म भनक पड गई तरदत बा र ननकल आए दखा तो धचितामिण जी फक को गोद म मलए कछ पछ र लपककर लडक का ाथ पकड मलया और चा ा कक उस अपन ममतर की गोद स छनन ल मगर धचितामिणजी को अभी तक परश न का उततर न ममला था अतएव न लडक का ाथ छटाकर उस मलए ए अपन घर की ओर भाग मोटराम भी य क त ए उनक पीछ दौड -उस कयो मलए जात ो ितम क ीि का दष ट धचितामिण म क दता इसका नतीजा अचछा न ोगा कफर कभी ककसी ननमितरण म न ल जाऊगा भला चा त ो तो उस उतार दो
मगर धचितामिण न एक न सनी भागत ी चल गए उनकी द अभी समभाल क बा र न ई थी दौड सकत थ मगर मोटराम को एक-एक पग आग बढाना दसतर ो र ा था भस की भानत ाफत थ और नाना परकार क ववशषणो का परयोग करत दलकी चाल स चल जात थ और यदयवप परनतकषण अदतर बढता जाता था और पीछा न छोडत थ अचछन घडदौड थी नगर क दो म ातमा दौडत ए जान पडत थ मानो दो गड धचडडया-घर स भाग आए ो सकडो आदमी तमाशा दखन लग ककतन ी बालक उनक पीछ तामलया बजात ए दौड कदाधचत य दौड पिडडत धचितामिण क घर पर ी समाप त ोती पर पिडडत मोटराम िोती क ढीली ो जान क कारण उलझकर धगर पड धचितामिण न पीछ कफरकर य दशय दखा तो रक गए और फकराम स पछा - कयो बटा क ा नवता
फकराम - बता द तो म ममठाई दोग न
धचितामिण - ा दगा बताओ
फकराम - रानी क य ा
धचितामिण - क ा की रानी
फकराम - य म न ीि जानता कोई बडी रानी
नगर म कई बडी-बडी राननया थीि पिडडतजी न सोचा सभी राननयो क दवार पर चककर लगाऊगा ज ा भोज ोगा व ा कछ भीड-भाड ोगी ी पता चल जाएगा य ननश चय करक व लौट स ानभनत परकट करन म अब कोई बािा न थी मोटरामजी क पास आए तो दखा कक व पड करा र थ उठन का नाम न ीि लत घबराकर पछा - धगर कस पड ममतर य ा क ीि गडढा भी तो न ीि
मोटराम - तम कया मतलब तम लडक को ल जाओ जो कछ पछना चा ो पछो
धचितामिण - म य कपट वयव ार न ीि करता हदललगी की थी तम बरा मान गए ल उठकर बठ जा राम का नाम लक म सच क ता मन कछ न ीि पछा
मोटराम - चल झठा
धचितामिण - जनऊ ाथ म लकर क ता
मोटराम - तम ारी शपथ का ववश वास न ीि
धचितामिण - तम मझ इतना ितम समझत ो
मोटराम - इसस क ीि अधिक तम गिगा म डबकर शपथ खाओ तो भी मझ ववश वास न आए
धचितामिण - दसरा य बात क ता तो मछ उखाड लता
मोटराम - तो कफर आ जाओ
धचितामिण - प ल पिडडताइन स पछ आओ
मोटराम य वयिनय न स सक चट उठ बठ और पिडडत धचितामिण का ाथ पकड मलया दोनो ममतर म मलल-यदध ोन लगा दोनो नमानजी की सतनत कर र थ और उतन जोर स गरज-गरजकर मानो मसि द ाड र ो बस ऐसा जान पडता था मानो दो पीप आपस म टकरा र ो
मोटराम - म ाबली ववकरम बजरिगी
धचितामिण - भत-वपशाच ननकट नह ि आव
मोटराम - जय-जय-जय नमान गोसाई
धचितामिण - परभ रिखए लाज मारी
मोटराम न बबगडकर बोल - य नमान चालीसा म न ीि
धचितामिण - य मन सवयि रचा कया तम ारी तर की य रटित ववदया नजतना क ा उतना रच द
मोटराम - अब म रचन पर आ जाए तो एक हदन म एक लाख सतनतया रच डाल ककदत इतना अवकाश ककस
दोनो म ातमा अलग खड ोकर अपन-अपन रचना-कौशल की डीिग मार र थ
मलल-यदध शासतराथम का रप िारण करन लगा जो ववदवानो क मलए उधचत इतन म ककसी न धचितामिण क घर जाकर क हदया कक पिडडत मोटराम और धचितामिण म बडी लडाई ो र ी धचितामिण तीन मह लाओि क सवामी थ कलीन बराहमण थ पर बीस बबसव उस पर ववदवाऩ भी उचचकोहट क दर-दर तक यजमानी ममलती थी ऐस परषो को सब अधिकार कदया क साथ-साथ जब परचर दकषकषणा भी ममलती ो तब कस इनकार ककया जाए इन तीनो मह लाओि का सार म लल म आतिक छाया आ था पिडडतजी न उनक नाम ब त ी रसील रख थ बडी सतरी को अमरती मिझली को गलाबजामन और छोटी को मो नभोग क त थ पर म लल वालो क मलए तीनो मह लाए तरयताप स कम न थीि घर म ननतय आसओि की नदी ब ती - खन की नदी तो पिडडतजी न भी कभी न ीि ब ाई अधिक-स-अधिक शबदो की ी नदी ब ाई थी पर मजाल न थी कक बा र का आदमी ककसी को कछ क जाए सिकट क समय तीनो एक ो जाती थीि य पिडडतजी क नीनत-चातयम का सफल था जयो ी खबर ममली थी कक पिडडत धचितामिण पर सिकट पडा आ तीनो बतरदोष की
भानत कवपत ोकर घर स ननकलीि और उनम स जो अदय दोनो जसी मोटी न ीि थी सबस प ल समरभमम म जा प ची पिडडत मोटराम न उस आत दखा तो समझ गए कक अब कशल न ीि अपना ाथ छडाकर बगटट भाग पीछ कफरकर भी न दखा धचितामिण न ब त ललकारा पर मोटराम क कदम न रक
धचितामिण - अजी भाग कयो ठ रो कछ मजा तो चखत जाओ
मोटराम - म ार गया भाई ार गया
धचितामिण - अजी कछ दकषकषणा तो लत जाओ
मोटराम न भागत ए क ा - दया करो भाई दया करो
आठ बजत-बजत पिडडतजी मोटराम न सनान और पजा करक क ा - अब ववलमब न ीि करना चाह ए फि की तयार न
सोना - फि की मलए तो कब स बठन तम तो जस ककसी बात की सधि ी न ीि र ती रात को कौन दखता कक ककतनी दर तक पजा करता ो
मोटराम - म तमस एक न ीि जार बार क चका कक मर कामो म मत बोला करो तम न ीि समझ सकती कक मन इतना ववलमब कयो ककया तम ईश वर न इतनी बवदध ी न ीि दी जलदी जान स अपमान ोता यजमान समझता
लोभी भकखड इसमलए चतर लोग ववलमब ककया करत नजसस यजमान समझ कक पिडडतजी को इसकी सधि ी न ीि भल गए ोग बलान को आदमी भज इस परकार जान म जो मान-म ततव व मरभखो की तर जान म कया कभी ो सकता म बलान की परतीकषा कर र ा कोई-न-कोई आता ी ोगा लाओ थोडी फि की बालको को िखला दी न
सोना - उद तो मन साझ ी को िखला दी थी
मोटराम - कोई सोया तो न ीि
सोना - आज भला कौन सोएगा सब भख-भख धचलला र थ तो मन एक पस का चबना मगवा हदया सब-क-सब ऊपर बठ खा र सनत न ीि ो मार-पीट ो र ी
मोटराम न दात पीसकर क ा - जी चा ता कक तम ारी गदमन पकडक ऐिठ द भला इस बला म चबना मगान का कया काम था चबना खा लग तो व ा कया तम ारा मसर खाएग नछः नछः जरा भी बवदध न ीि
सोना न अपराि सवीकार करत ए क ा - ा भल तो ई पर सब-क-सब इतना कोला ल मचाए ए थ कक सना न ीि जाता था
मोटराम - रोत ी थ न रोन दती रोन स उनका पट न भरता बनलक और भख खल जाती
स सा एक आदमी न बा र स आवाज दी - पिडडतजी म ारानी बला र ी और लोगो को लकर जलदी चलो
पिडडतजी न पत नी की ओर गवम स दखकर क ा - दखा इस ननमितरण क त अब तयारी करनी चाह ए
बा र आकर पिडडतजी न इस आदमी स क ा - तम एक कषण और न आत तो म कथा सनान चला गया ोता मझ बबलकल याद न थी चलो म ब त शीधर आत
नौ बजत-बजत पिडडत मोटराम बाल-गोपाल सह त राना साह बा क दवार पर जा प च रानी बडी ववशालकाय एवि तजसवी मह ला थीि इस समय न कारचोबीदार
तककया लगाए तखत पर बठन ई थीि दो आदमी ाथ बाि पीछ खड थ बबजली का पिखा चल र ा था पिडडतजी को दखत ी रानी न तखत स उठकर चरण-सपशम ककया औऱ इस बालक-मिडल को दखकर मसकराती ई बोलीि - इन बचचो को आप क ा स पकड लाए
मोटराम - करता कया सारा नगर छान मारा ककसी पिडडत न आना सवीकार न ककया कोई ककसी क य ा ननमिबतरत कोई ककसी क य ा तब तो म ब त चकराया अदत म मन उनस क ा - अचछा आप न ीि चलत तो रर इचछा लककन ऐसा कीनजए कक मझ लनजजत न ोना पड तब जबरदसती परतयक घर स जो बालक ममला उस पकड लाना पडा कयो फ कराम तम ार वपता का कया नाम
फकराम न गवम स क ा - पिडडत सतराम पाठक
रानी - बालक तो बडा ोन ार
और बालको को भी उतकि ठा ो र ी थी कक मारी भी पररकषा ली जाए लककन जब पिडडतजी न उनस कोई परश न ककया और उिर रानी न फकराम की परशिसा कर दी तब तो व अिीर ो उठ भवानी बोला - मर वपता का नाम पिडडत गिग पािड
छदी बोला - मर वपता का नाम दमडी नतवारी
बनीराम न क ा - मर वपता का नाम पिडडत मिगर ओझा
अलगराम समझदार था चपचाप खडा र ा
रानी न उसस पछा - तम ार वपता का नाम कया
अलग को इस वकत वपता का ननहदमष ट नाम याद न आया न य ीि सझा कक कोई नान ल ल तबवदध-सा खडा र ा पिडडत मोटराम न जब उसकी ओर दात पीसकर दखा तब र ा-स ा वास भी गायब ो गया
फ कराम न क ा - म बता द भया भल गए
रानी न आश चयम स क ा - कया अपन वपता का नाम भल गया य तो ववधचतर बात दखी
मोटराम न अलग क पास जाकर क ा - क स
अलगराम बोल उठा - कशव पािड
रानी - अब तक कयो चप था
मोटराम - कछ ऊचा सनता सरकार
रानी - मन सामान तो ब त-सा मगवाया सब खराब ोगा लडक कया खाएग
मोटराम - सरकार इद बालक न समझ इनम जो सबस छोटा य दो पततल खाकर उठगा
जब सामन पततल पड गई और भिडारी चादी की थालो म एक-स-एक उततम पदाथम ला-लाकर परोसन लगा तब पिडडत मोटरामजी आख खल गई उद आए हदन ननमितरण ममलत र त थ पर ऐस अनपम पदाथम कभी सामन न आए थ घी की ऐसी सोिी सगदि उद कभी न ममली थी परतयक वसत स कवड और गलाब की लपट उड र ी थी घी टपक र ा था पिडडतजी न सोचा - ऐस पदाथो स कभी पट भर सकता मनो खा जाऊ कफर भी और खान को जी चा
दवतागण इनस उततम और कौन-स पदाथम खात ोग इनस उततम पदाथो की तो कलपना भी न ीि ो सकती
पिडडतजी को इस वकत अपन परमममतर पिडडत धचितामिण की याद आई अगर व ोत तो रिग जम जाता उनक बबना रिग फीका र गा य ा दसरा कौन नजसस लाग-डािग कर लडक तो दो पततलो म च बोल जाएग सोना कछ साथ दगी मगर कब तक धचितामिण क बबना रिग न गठगा व मझ ललकारग म उद ललकारगा उस उमिग म पततलो की कौन धगनती मारी दखा-दखी लडक भी डट जाएग ओ बडी भल ो गई य खयाल मझ प ल न आया रानी साह बा स क बरा तो न मानगी उ जो कछ ो एक बार जोर लगाना ी चाह ए तरदत खड ोकर रानी साह बा स बोल - सरकार आजञा ो तो कछ क
रानी - कह ए कह ए म ाराज कया ककसी वसत की कमी र गई
मोटराम - न ीि सरकार ककसी बात की कमी न ीि ऐस उततम पदाथम तो मन कभी दख भी न थ सार नगर म आपकी कीनतम फल जाएगी मर एक परमममतर पिडडत धचितामिणजी आजञा ो तो उद भी बला ल बड ववदवान कममननष ठ बराहमण उनक जोड का इस नगर म दसरा न ीि म उद ननमदतरण दना भल गया अभी सधि आई
रानी - आपकी इचछा ो तो बला लीनजए मगर आन-जान म दर ोगी और भोजन परोस हदया गया
मोटराम - म अभी आता सरकार दौडता आ जाऊगा
रानी - मरी मोटर ल लीनजए
जब पिडडतजी चलन को तयार ए तब सोना न क ा - तम आज कया ो गया जी उस कयो बला र ो
मोटराम - कोई साथ दन वाला भी तो चाह ए
सोना - म कया तमस दब जाती
पिडडतजी न मसकराकर क ा - तम जानती न ीि घर की बात और दिगल की बात और पराना िखलाडी मदान म जाकर नजतना नाम करगा उतना नया पिा न ीि कर सकता ब त बल का काम न ीि सा स का काम बस य ा भी व ी ाल समझो झिड गाड दगा समझ लना
सोना - क ीि लडक सो जाए तो
मोटराम - और भख खल जाएगी जगा तो म लगा
सोना - दख लना आज व तम पछाड दगा उनक पट म तो शनीचर
मोटराम - बवदध की सवमतर परिानता र ती य न समझो कक भोजन करन की कोई ववदया ी न ीि इसका भी एक शासतर नजस मथरा क शननचरानदद म ाराज न रचा चतर आदमी थोडी-सी जग म ग सथी का सब सामान रख लता अना ाडी ब त-सी जग म भी य ी सोचता कक कौन-सी वसत क ा रख गवार आदमी प ल स ी बक- बककर खान लगता और चट एक लोटा पानी पीकर अफर जाता चतर आदमी बडी साविानी स खाता उसको कौर नीच उतारन क मलए पानी की आवशयकता न ीि पडती दर तक भोजन करत र न स व सपाचय भी ो जाता धचितामिण मर सामन कया ठ रगा
धचितामिण अपन आगन म उदास बठ थ नजस पराणी को व अपना परम ह तषी समझत थ नजसक मलए व अपन पराण तक दन को तयार र त थ उसी न आज उनक साथ बवफाई की बवफाई ी न ीि की उद उठाकर द मारा
पिडडत मोटराम क घर स तो कछ जाता न था अगर व धचितामिणजी को साथ ल जात तो कया रानी साह बा उद दतकार दती सवाथम क आग कौन ककसको पछता उस अमलय पदाथो की कलपना करक धचितामिण क म स लार टपक पडती थी अब सामन पततल आ गई ोगी अब थालो म अमरनतया मलए भिडारी जी आए ोग ओ ो ककतन सददर कोमल करकरी रसीली इमरनतया ोगी अब बसन क लडड ोग म म रखत ी घल जात ोग जीभ भी न डलानी पडती ोगी आ अब मो नभोग आया ोगा ाय र दभामनय म य ा पडा सड र ा और व ा य ब ार बड ननदमयी ो मोटराम तमस इस ननष ठरता की आशा न थी
अमरतीदवी बोली - तम इतना हदल छोटा कयो करत ो वपतपकष तो आ ी र ा ऐस-ऐस न जान ककतन आएग
धचितामिण - आज ककसी अभाग का म दखकर उठा था लाओ तो पतरा दख
कसा म तम अब न ीि र ा जाता सारा नगर छान डालगा क ीि तो पता चलगा नामसका तो दाह नी चल र ी
एकाएक मोटर की आवाज आई उसक परकाश स पिडडतजी का सारा घर जगमगा उठा व िखडकी स झाकन लग तो मोटराम को उतरत दखा एक लमबी सास लकर चारपाई पर धगर पड मन म क ा - दष ट भोजन करक अब य ा मझस बखान करन आया
अमरतीदवी न पछा - कौन डाढीजार इतनी रात को जगावत
मोटराम - म म गाली न दो
अमरती - अर दर म झौस त कौन क त म म को जान त कौन स
मोटराम - अर मारी बोली न ीि प चानती ो खब प चान लो म तम ार दवर
अमरती - ऐ दर तोर म म का लाग तोर ल ास उठ मार दवर बनत
डाढीजार
मोटराम - अर म मोटराम शासतरी कया इतना भी न ीि प चानती धचितामिण घर म
अमरती न ककवाड खोल हदया और नतरसकार भाव स बोली - अर तम थ तो नाम कयो न ीि बतात थ जब इतनी गामलया खा लीि तो ननकला कया कया
मोटराम - कछ न ीि धचितामिण को शभ-सिवाद दन आया रानी साह बा न उद याद ककया
अमरती - भोजन क बाद बलाकर कया करगी
मोटराम - अभी भोजन क ा आ मन जब इनकी ववदया कममननष ठा सदवववार की परशिसा की तब मनि ो गई मझस क ा कक उद मोटर पर लाओ कया सो गए
धचितामिण चारपाई पर पड-पड सन र थ जी म आता था चलकर मोटराम क चरणो पर धगर पड उनक ववषय म अब तक नजतन भी कनतसत ववचार उठ थ
सब लप त ो गए नलानन का आववभामव आ रोन लग
अर भाई आत ो या रोत ी र ोग य क त ए मोटराम उसक सामन जाकर खड ो गए
धचितामिण - तब कयो न ल गए जब इतनी ददमशा कर मलए तब आए अभी तक पीठ म ददम ो र ा
मोटराम - अजी व तर माल िखलाऊगा कक सारा ददम-वदम भाग जाएगा तम ार यजमानो को भी ऐस पदाथम न ए ोग आज तम बदकर पछाडगा
धचितामिण - तम बचार मझ कया पछाडोग सार श र म तो कोई ऐसा माई का लाल हदखाई न ीि दता म शनीचर का इष ट
मोटराम - अजी य ा बरसो तपसया की भिडार का भिडारा साफ कर द और इचछा जयो-की-तयो बनी र बस य ी समझ लो कक भोजन करक म खड न ीि र सकत चलना तो दसरी बात गाडी पर लदकर आत
धचितामिण - तो य कौन बडी बात य ा तो हटकटी पर उठाकर लाए जात ऐसी-ऐसी डकार लत कक जान पडता बम-गोला छट र ा एक बार खकफया पमलस न बम-गोल क सदद म घर की तलाशी तक ली थी
मोटराम -झठ बोलत ो कोई इस तर न ीि डकार सकता
धचितामिण - अचछा तो आकर सन लना डरकर भाग न जाओ तो स ी
एक कषण म दोनो ममतर मोटर पर बठ और मोटर चल पडी
रासत म पिडडत धचितामिण को शिका ई कक क ीि ऐसा न ो कक म पिडडत मोटराम का वपछलनग समझा जाऊ और मरा यथष ठ सममान न ो उिर पिडडत मोटराम को भी भय आ कक क ीि य म ाशय मर परनतदविदवी न बन जाए और रानी साह बा पर अपना रिग जमा ल
दोनो अपन-अपन मिसब बािन लग जयो ी मोटर रानी क भवन म प ची दोनो म ाशय उतर अब मोटराम चा त थ कक प ल म रानी क पास प च जाऊ और
क द कक पिडडत को ल आया और धचितामिण चा त थ कक प ल म रानी क पास प च और अपना रिग जमा द
दोनो कदम बढान लग धचितामिण लक ोन क कारण जरा आग बढ गए तो पिडडत मोटराम दौडन लग धचितामिण भी दौड पड घडदौड-सी ोन ली मालम ोता था कक दो गड भाग जा र
अदत म मोटराम न ाफत ए क ा - राजसभा म दौडत ए जाना उधचत न ीि
धचितामिण - तो तम िीर-िीर आओ न दौडन को कौन क ता
मोटराम - जरा रक जाओ मर पर म काटा गड गया
धचितामिण - तो ननकाल लो तब तक म चलता
मोटराम - म न क ता तो रानी तम पछती भी न
मोटराम न ब त ब ान ककए पर धचितामिण न एक न सनी भवन म प च रानी साह बा बठन कछ मलख र ी थी और र -र कर दवार की ओर ताक लती थी कक स सा पिडडत धचितामिण उनक सामन आ खड ए और यो सतनत करन लग -
यशोद त बालकशव मरारनामा
रानी - कया मतलब अपना मतलब क ो
धचितामिण - सरकार को आशीवामद दता सरकार न इस दास धचितामिण को ननमिबतरत करक ककतना अनगरमसत (अनगरह त) ककया उसका बखान शषनाग अपनी स सर नजह वा दवारा भी न ीि कर सकत
रानी - तम ारा ी नाम धचितामिण व क ा र गए - पिडडत मोटराम शासतरी
धचितामिण - पीछ आ र ा सरकार मर बराबर आ सकता भला मरा तो मशषय
रानी - अचछा तो व आपक मशषय
धचितामिण - म अपन म स अपनी बढाई न ीि करना चा ता सरकार ववदवानो को नमर ोना चाह ए पर जो ययाथम व तो सिसार जानता सरकार म ककसी बाद-वववाद न ीि करता य मरा अनशीलन (अभीष ट) न ीि मर मशषय भी ब िा मर गर बन जात पर म ककसी स कछ न ीि क ता जो सतय व सभी जानत
इतन म पिडडत मोटराम भी धगरत-पडत ाफत ए आ प च और य दखकर कक धचितामिण भदरता और सभयता की मनतम बन खड व दवोपम शानदत क साथ खड ो गए
रानी - पिडडत धचितामिण बड साि परवनत एवि ववदवान आप उनक मशषय
कफर भी व आपको अपना मशषय न ीि क त
मोटराम - सरकार म इनता दासानदास
धचितामिण -जगताररणी म इनकी चरण-रज
मोटराम -ररपदलसि ाररणी म इनक दवार का ककर
रानी -आप दोनो सजजन पजय एक स एक बढ ए चमलए भोजन कीनजए
सोनारानी बठन पिडडत मोटराम की रा दख र ी थीि पनत की इस ममतर-भनकत पर उद बडा करोि आ र ा था
बड लडको क ववषय म तो कोई धचदता न थी लककन छोट बचचो क सो जान का भय था उद ककसस-क ाननया सना-सनाकर ब ला र ी थी कक भिडारी न आकर क ा -म ाराज चलो
दोनो पिडडत आसन पर बठ गए कफर कया था बचच कद-कदकर भोजनशाला म जा प च दखा तो दोनो पिडडत दो वीरो की भानत आमन-सामन डट बठ दोनो अपना-अपना परषाथम हदखान क मलए अिीर ो र थ
धचितामिण - भिडारीजी तम परोसन म बडा ववलमब करत ो कया भीतर जाकर सोन लगत ो
भिडारी - चपाई मार बठ र ो जौन कछ ोई सब आय जाई घबराए का न ीि ोत तम ार मसवाय और कोई नजवया न ीि बठा
मोटराम - भया भोजन करन क प ल कछ दर सगदि का सवाद तो लो
धचितामिण - अजी सगदि गया चल म सगदि दवता लोग लत अपन लोग तो भोजन करत
मोटराम - िीरज िरो भया सब पदाथो को आ जान दो ठाकरजी का भोग तो लग जाए
धचितामिण - तो बठ कयो ो तब तक भोग ी लगाओ एक बािा तो ममट न ीि तो लाओ म चटपट भोग लगा द वयथम दरी करोग
इतन म रानी आ गई धचितामिण साविान ो गए रामायण की चौपाइयो का पाठ करन लग -
र ा एक हदन अवि अिारा समझत मन दख भयउ अपारा
कौशलश दशरथ क जाए म वपत बचन मानन बन आए
उलहट पलहट लिका कवप जारी कहद पडा तब मसदि मझारी
जह पर जाकर सतय सन सो तह ममल न कछ सदद
जामवदत क वचन स ाए सनन नमान हदय अनत भाए
पिडडत मोटराम न दखा कक धचितामिण का रिग जमता जाता तो व भी अपनी ववदवता परकट करन को वयाकल ो गए ब त हदमाग लडाया पर कोई श लोक
कोई मितर कोई कववता याद न आई तब उद ोन सीि-सीि राम-नाम का पाठ आरमभ कर हदया
राम भज राम भज राम भज र मन इद ोन इतन ऊच सवर स जाप करना शर ककया कक धचितामिण को भी अपना सवर ऊचा करना पडा मोटराम और जोर स गरजन लग
इतन भिडारी न क ा - म ाराज अब भोग लगाइए
य सनकर उस परनतसपदधाम का अदत आ भोग की तयारी ई बाल विद सजग ो गया ककसी न घिटा मलया ककसी न घडडयाल ककसी न शिख ककसी न करताल और धचितामिण न आरती उठा ली मोटराम मन म ऐिठकर र गए रानी क समीप जान का य अवसर उनक ाथ स ननकल गया
पर य ककस मालम था कक ववधि-वाम उिर कछ और ी कहटल-करीडा कर र ा आरती समाप त ो गई थी भोजन शर ोन को ी था कक एक कतता न-जान ककिर स आ ननकला पिडडत धचतामिण क ाथ स लडड थाल म धगर पडा पिडडत मोटराम अचकचाकर र गए सवमनाश
धचितामिण न मोटराम स इशार म क ा - अब कया क त ो ममतर कोई उपाय ननकालो य ा तो कमर टट गई
मोटराम न लमबी सास खीिचकर क ा - अब कया ो सकता य ससर आया ककिर स
रानी पास ी खडी थी उद ोन क ा - अर कतता ककिर स आ गया य रोज बिा र ता था आज कस छट गया अब तो रसोई भरष ट ो गई
धचितामिण - सरकार आचायो न इस ववषय म
मोटराम - कोई जम न ीि सरकार कोई जम न ीि
सोना - भानय फट गया जो त-जो त आिी रात बीत गई तब ई ववपतत फाट परी
धचितामिण - सरकार सवान क मख म अमत
मोटराम - तो अब आजञा ो तो चल
रानी - ा और कया मझ बडा दःख कक इस कतत न आज इतना बडा अनथम कर डाला तम बड गसताख ो गए टामी भिडारी य पततल उठाकर म तर को द दो
धचितामिण - (सोना स) छाती फटी जाती
सोना को बालको पर दया आई बचार इतनी दर दवोपम ियम क साथ बठ थ बस चलता तो कतत का गला घोट दती कफर बोली - लरकन का तो दोष न ीि परत इद का न ीि खवाय दत कोऊ
धचितामिण - मोटराम म ादष ट इसकी बवदध भरष ट ो गई
सोना - ऐस तो ववदवान बन र अब का ना ी बोलत बनत म म द ी जम गया जीभ न ीि खलत
धचितामिण - सतय क ता रानी को चमका द दता उस दष ट क मार सब खल बबगड गया सारी अमभलाषाए मन म र गई ऐस पदाथम अब क ा ममल सकत
सोना - सारी मनसई ननकल गई घर ी म गरज क सर
रानी न भिडारी को बलाकर क ा - इन छोट-छोट तीन बचचो को िखला दो य बचार कयो भखो मर कयो फकराम ममठाई खाओग
फकराम - इसीमलए तो आए
रानी - ककतनी ममठाई खाओग
फकराम - ब त-सी ( ाथो स बताकर) इतनी
रानी - अचछन बात नजतनी खाओग उतनी ममलगी पर जो बात म पछ व बतानी पडगी बताओग न
फकराम - ा बताऊगा पनछए
रानी - झठ बोल तो एक ममठाई न ममलगी समझ गए
फकराम - मच दीनजएगा म झठ बोलगा ी न ीि
रानी - अपन वपता का नाम बताओ
मोटराम - बचचो को रदम सब बात समरण न ीि र ती उसन तो आत ी आत बता हदया था
रानी - म कफर पछती इसम आपकी कया ानन
धचितामिण - नाम पछन म कोई जम न ीि
मोटराम - तम चप र ो धचितामिण न ीि तो ठनक न ोगा मर करोि को अभी तम न ीि जातन दबा बठगा तो रोत भागोग
रानी -आप तो वयथम इतनी करोि कर र बोलो फकराम चप कयो ो कफर ममठाई न पाओग
धचितामिण -म ारानी की इतनी दया-दनष ट तम ार ऊपर बता दो बटा
मोटराम - धचितामिणजी म दख र ा तम ार अहदन आए व न ीि बताता तम ारा साझा आए व ा स बड खरखवा बन क
सोना - अर ा लरकन का ई सब पिवारा स का मतलब तमका िरम पर ममठाई दव न िरम पर न दव ई का बाप का नाम बताओ तब ममठाई दब
फकराम न िीर स नाम मलया इस पर पिडडतजी न उस इतन जोर स डाटा कक उसकी आिी बात म म ी र गई
रानी -कयो डाटत ो उस बोलन कयो न ीि दत बोलो बटा
मोटराम - आप म अपन दवार पर बलाकर मारा अपमान कर र ी
धचितामिण - इसम अपमान की तो कोई बात न ीि भाई
मोटराम - अब म इस दवार पर कभी न आएग य ा सतपरषो का अपमान ककया जाता
अलग - कह ए तो म धचितामिण को एक पटकनी द
मोटराम - न ीि बटा दष टो को परमातमा सवयि दिड दता चलो य ा स चल अभ भलकर य ा न आएग िखलाना न वपलाना दवार पर बलाकर बराहमणो का अपमान करना तभी तो दश म आग लगी ई
धचितामिण - मोटराम म ारानी क सामन तम इतनी कट बात न करनी चाह ए
मोटराम - बस चप ी र ना न ीि तो सारा करोि तम ार ी मसर जाएगा माता-वपता का पता न ीि बराहमण बनन चल तम कौन क ता बराहमण
धचितामिण - जो कछ मन चा क लो चददरमा पर थकन स थक अपन ी म पर पडता जब तम िमम का एक लकषण न ीि जानत तब तमस कया बात कर बराहमण को ियम रखना चाह ए
मोटराम - पट क गलाम ो ठाकरसो ाती कर र ो कक एकाि पततल ममल जाए य ा मयामदा का पालन करत
धचितामिण - क दो हदया भाई कक तम बड म छोटा अब और कया क तम सतय क त ोग म बराहमण न ीि शदर
रानी - ऐसा न कह ए धचितामिणजी
इसका बदला न मलया तो क ना य क त आए पिडडत मोटराम बालकविद क साथ बा र चल आए और भानय को कोसत ए घर को चल बार-बार पछता र थ कक दष ट धचितामिण को कयो बला लाया
सोना न क ा - भिडा फटत-फटत बच गया फकवा नाव बताए दता का र
अपन बाप का नाय बताए दत
फकराम - और कया व तो सच-सच पछती थीि
मोटराम - धचितामिण न रिग जमा मलया अब आनदद स भोजन करगा
सोना - तम ारी एको ववदया काम न आई ऊ तौन बाजी मार लगा
मोटराम - म तो जानता रानी न जान-बझकर कतत को बला मलया
सोना - म तो ओकरा म दखत ताड गई कक मका प चान गई
इिर तो लोग पछतात चल जात थ उिर धचितामिण की पाचो अिगमलया घी म थी आसन मार भोजन कर र थ रानी अपन ाथो स ममठाइया परोस र ी थी वाततामलाप भी ोता जाता था
रानी - बडा िततम म बालको को दखत ी समझ गई अपनी सतरी को भष बदलकर लात उस लजजा न आई
धचितामिण - मझ कोस र ोग
रानी - मझस उडन चला था मन भी क ा था - बचा तमको ऐसी मशकषा दगी कक उमर भर याद करोग टामी को बला मलया
धचितामिण - सरकार की बवदध िदय
रामलीला
इिर एक मददत स रामलीला दखन न ीि गया बददरो क भदद च र लगाए आिी टागो का पजामा और काल रिग का ऊचा कताम प न आदममयो को दौडत - करत दखकर सी आती मजा न ीि आता काशी की लीला जगतववखयात
सना लोग दर-दर स दखन आत म भी बड शौक स गया पर मझ तो व ा की लीला और ककसी वजर द ात की लीला म कोई अदतर न हदखाई हदया ा रामनगर की लीला म कछ साज-सामान अचछ राकषसो और बददरो क च र पीतल क गदाए भी पीतल की कदाधच नवासी भराताओि क मकट सचच काम क ो लककन साज-सामान क मसवा व ा भी व ी - क मसवा और कछ न ीि कफर भी लाखो आदममयो की भीड लगी र ती
लककन एक जमाना व था जब मझ भी रामलीली म आनदद आता था आनदद तो ब त लका-सा शबद व आनदद उदमाद स कम न था सियोगवश उन हदनो मर घर स बडी थोडी दर पर रामलीला का मदान था और नजस घर म लीला-पातरो का रप-रिग भरा जाता था व तो मर घर स बबलकल ममला आ था दो बज हदन स पातरो की सजावट ोन लगती थी म दोप र स ी व ा जा बठता और नजस उतसा स दौड-दौडकर छोट-मोट काम करता उस उतसा स तो आज अपनी पशन लन भी न ीि जाता एक कोठरी म राजकमारी का शिगार ोता था उनकी द पर रामरज पीसकर पोती जाती म पर पाउडर लगाया जाता और पाउडर क ऊपर लाल र नील रिग की बिदककया लगाई जाती थी सारा माथा भौ गाल ठोडी बिदककयो स रच उठती थीि एक ी आदमी इस काम म कशल था व ी बारी-बारी स तीनो पातरो का शिगार करता था रिग की पयामलयो म पानी लाना रामरज पीसना पिखा झलना मरा काम था जब इन तयाररयो क बाद ववमान ननकलता तो उस समय रामचददरजी क पीछ बठकर मझ जो उललास जो गवम जो रोमािच ोता था व अब लाट सा ब क दरबार मि कसी पर बठकर भी न ीि ोता एक बार जब ोम- मबर सा ब न वयवसथापक-सभा म मर मलए एक परसताव का अनमोदन ककया था उस वकत मझ कछ उसी तर का
उललास गवम और रोमािच आ था ा एक बार जब मरा जयष ठ पतर नायब-त सीलदारी म नामजद आ तब भी ऐसी ी तरिग मन म उठन थीि पर इनम और उस बाल-ववह वलता म बडा अदतर तब ऐसा मालम ोता था कक म सवगम म बठा
ननषाद-नौका-लीला का हदन था म दो-चार लडको क ब कान म आकर गलली-डिडा खलन लगा था आज शिगार दखन न गया ववमान भी ननकला पर मन खलना न छोडा मझ अपना दाव लना था अपना दाव छोडन क मलए उसस क ीि बढकर आतमतयाग की जररत थी नजतना म कर सकता था अगर दाव दना ोता तो म कब का भाग खडा ोता लककन पदान म कछ और बात ोती खर दाव परा आ अगर म चा ता तो िािली करक दस-पाच ममनट और पदा सकता था इसकी काफी गिजाइश थी लककन अब इसका मौका न था म सीि नाल की तरफ दौडा ववमान जलतट पर प च चका था मन दर स दखा - मलला ककशती मलए आ र ा दौडा लककन आदममयो की इतनी भीड म दौ ाडना कहठन था आिखर जब म भीड टाता पराण-पण स आग घाट पर प चा तो ननषाद अपनी नौका खोल चका था रामचददर पर मरी ककतना शरदधा थी अपन पाठ की धचदता न करक उद पढा करता था नजसस व फल न ो जाए मझस उमर जयादा ोन पर भी व नीची ककषा म पढत थ लककन व ी रामचददर नौका पर बठ इस तर म फर चल जात थ मानो मझस जान-प चान ी न ीि नकल म भी असल की कछ-न-कछ ब आ जाती भकतो पर नजनकी ननगा सदा ी तीखी र ी व मझ कयो उबारत म ववकल ोकर उस बछड की भानत कदन लगा नजसकी गरदन पर प ली बार जआ रखा गया ो कभी लपककर नाल की ओर जाता कभी ककसी स ायक की खोज म पीछ की तरफ दौडता पर सब-क-सब अपनी िन म मसत थ मरी चीख-पकार ककसी क कानो तक न प ची तब स बडी-बडी ववपनततया झलीि पर उस समय नजनता दःख आ उतना कफर कभी न आ
मन ननश चय ककया कक अब रामचददर स न कभी बोलगा न कभी खान की कोई चीज ी दगा लककन जयो ी नाल को पार करक व पल की ओर लौट म दौडकर ववमान पर चढ गया और ऐसा खश आ मानो कोई बात ी न ई थी
रामलीला समाप त ो गई थी राजगददी ोन वाली थी पर न जान कयो दर ो र ी थी शायद चददा कम वसल आ था रामचददर की इन हदनो कोई बात भी न पछता था न घर ी जान की छटटी ममलती थी न भोजन का ी परबदि ोता था चौिरी सा ब क य ा स एक सीिा कोई तीन बज हदन को ममलता था बाकी सार हदन कोई पानी को न ीि पछता लककन मरी शरदधा अभी तक जयो-की-तयो थी मरी दनष ट म अब भी रामचददर ी थ घर पर मझ खान को कोई चीज ममलती व लकर रामचददर को द आता उद िखलान म मझ नजतना आनदद ममलता था उतना आप खा जान म कभी न ममलता कोई ममठाई या फल पात ी म बत ाशा चौपाल की ओर दौडता अगर रामचददर व ा न ममलत तो उद चारो ओर तलाश करता और जब तक व चीज उद िखला न दता मझ चन न आता था
खर राजगददी का हदन आया रामलीला क मदान म एक बडा-सा शाममयाना ताना गया उसकी खब सजावट की गई वशयाओि क दल भी आ प च शाम को रामचददर की सवारी ननकली और परतयक दवार पर उनकी आरती उतारी गई शरदधानसार ककसी न रपए हदए ककसी न पस मर वपता पमलस क आदमी थ इसमलए उद ोन बबना कछ हदए आरती उतारी उस वकत मझ नजतनी लजजा आई उस बयान न ीि कर सकता
मर पास उस वकत सियोग स एक रपया था मर मामाजी दश र क प ल आए थ और मझ एक रपया द गए थ उस रपए को मन रख छोडा था दश र क हदन भी खचम न कर सका मन तरदत व रपया लाकर आरती की थाली म डाल हदया वपताजी मरी ओर कवपत-नतरो स दखकर र गए उद ोन कछ क ा
तो न ीि लककन म ऐसा बना मलया नजसस परकट ोता था कक मरी इस िष टता स उनक रौब म बटटा लग गया रात क दस बजत-बजत पररकरमा परी ई आरती की थाली रपयो और पसो स भरी ई थी ठनक तो न ीि क सकता मगर अब ऐसा अनमान ोता कक चार-पाच सौ रपयो स कम न थ चौिरी सा ब इनस कछ जयादा ी खचम कर चक थ उद इसकी कफकर ई कक ककसी तर कम-स-कम दो सौ रपए और वसल ो जाए और इसकी सबस अचछन तरकीब उद य ी मालम ई कक वशयाओि दवारा म कफल म वसली ो
जब लोग आकर बठ जाए और म कफल म रिग जम जाए तो आबादीजान रमसकजनो की कलाइया पकड-पकडकर ऐस ाव-भाव हदखाए कक लोग शरमात-शरमात भी कछ-न-कछ द ी मर आबादीजान और चौिरी सा ब म सला ोन लगी म सियोग स उन दोनो परािणयो की बात सन र ा था चौिरी न समझा ोगा य लौडा कया मतलब समझगा पर य ा ईश वर की दया स अकल क पतल थ सारी दासतान समझ म आती जाती थी
चौिरी - सनो आबादीजान य तम ारी जयादती मारा और तम ारा कोई प ला साबबका तो न ीि ईश वर न चा ा तो य ा मशा तम ारा आना-जाना लगा र गी अब की चददा ब त कम आया न ीि तो म तमस इतना इसरार न करता
आबादीजान - आप मझस भी जमीिदारी चाल चलत कयो मगर य ा जर की दाल न गलगी वा रपए तो म वसल कर और मछो पर ताव आप द कमाई का अचछा ढिग ननकाला इस कमाई स तो वाकई आप थोड हदनो म राजा ो जाएग उसक सामन जमीिदारी झक मारगी बस कल ी स एक चकला खोल दीनजए खदा की कसम मालामाल ो जाइएगा
चौिरी - तम हदललगी करती ो और य ा काकफया तिग ो र ा
आबादीजान - तो आप भी तो मझी स उसतादी करत य ा आप जस कािइयो को रोज उिगमलयो पर नचाती
चौिरी - आिखर तम ारी मिशा ककया
आबादीजान - जो वसल कर उसम आिा मरा आिा आपका लाइए ाथ माररए
चौिरी - य ी स ी
आबादीजान - अचछा तो कया आप समझत थ कक अपनी उजरत छोड दगी वा री आपकी समझ खब कयो न ो दीवाना बकार दरवश मशयार
चौिरी - तो कया तमन दो री फीस लन की ठानी
आबादीजान - अगर आपको सौ दफ गरज ो तो वरना मर सौ रपए तो क ीि गए ी न ीि मझ कया कतत न काटा जो लोगो की जब म ाथ डालती कफर
चौिरी की एक न चली आबादी क सामन दबना पडा नाच शर आ आबादीजान बला की शोख औरत थी एक तो कममसन उस पर सीन औऱ उसकी अदाए तो इस गजब की थीि कक मरी तबीयत भी मसत ई जाती थी आदममयो म प चानन का गण भी उसम कछ कम न था नजसक सामन बठ गई उसस कछ-न-कछ ल ी मलया पाच रपए स कम तो शायद ी ककसी न हदए ो वपताजी क सामन भी व बठ गयी म मार शमम क गड गया जब उसन कलाई पकडी तब तो म स म उठा मझ यकीन था कक वपताजी उसका ाथ झटक दग और शायद दतकार भी द ककदत य कया ो र ा ईश वर मरी आख िोखा तो न ीि खा र ी वपताजी मछो म स र ऐसी मद- सी उनक च र पर मन कभी न ीि दखी थी उनकी आखो स अनराग टपका पडता था उनका एक-एक रोम पलककत ो र ा था मगर ईश वर न मरी लाज रख ली
व दखो उद ोन िीर स आबादी क कोमल ाथो स अपनी कलाई छडा ली अर य कफर कया आ आबादी तो उनक गल म बा डाल दती अब वपताजी उस जरर पीटग चडल को जरा भी शमम न ीि
एक म ाशय न मसकराकर क ा - य ा तम ारी दाल न गलगी आबादीजान और दरवाजा दखो
बात तो इन म ाशय न मर मन की क ी और ब त- ी उधचत क ी लककन न जान कयो वपताजी न उसकी ओर कवपत-नतरो स दखा और मछो पर ताव हदया म स तो व कछ न बोल पर उनक मख की आकनत धचललाकर सरोष शबदो म क र ी थी - त बननया मझ समझता कया य ा ऐस अवसर पर जान तक ननसार करन को तयार रपए की कीकत ी कया तरा जी चा आजमा ल तझस दनी रकम न द डाल तो म न हदखाऊ
म ान आश चयम घोर आश चयम घोर अनथम अर जमीन त फट कयो न ीि जाती
आकाश त फट कयो न ीि पडता अर मझ मौत कयो न ीि आ जाती वपताजी जब म ाथ डाल र व कोई चीज ननकाली और सठजी को हदखाकर आबादीजान को द डाली आ य तो अशफी चारो ओर तामलया बजन लगी सठजी उलल बन गए वपताजी न म की खाई इसका ननश चय म न ीि कर सकता मन कवल इतना दखा कक वपताजी न एक अशफी ननकालकर आबादीजान को दी उनकी आखो म इस समय इतना गवमयकत उललास था मानो उद ोन ानतम की कबर पर लात मारी ो य ी वपताजी नजद ोन मझ आरती म एक रपया डालत दखकर मरी ओर इस तर दखा था मानो मझ फाड ी खाएग मर उस परमोधचत वयव ार स उनक रोब म फकम आता था और इस समय इस घिणत कनलसत और ननिहदत वयापार पर गवम और आनदद स फल न समात थ
आबादीजान न एक मनो र मसकान क मलए वपताजी को सलाम ककया और आग बढी मगर मझस व ा बठा गया मार शमम क मरा मसतक झका जाता था अगर
मरी आखो-दखी बात न ोती तो मझ इस पर कभी एतबार न ोता म बा र जो कछ दखता-सनता था उसकी ररपोटम अममा स जरर करता था पर इस मामल को मन उनस नछपा रखा म जानता था उद य बात सनकर बडा दःख ोगा
रात-भर गाना ोता र ा तबल की िमक मर कानो म आ र ी थी जी चा ता था चल कर दख पर सा स न ोता था म ककसी को म कस हदखाऊगा क ीि ककसी न वपताजी का नजकर छड हदया तो म कया करगा
परातःकाल रामचददर की ववदाई ोन वाली थी म चारपाई स उठत ी आख मलता आ चौपाल की ओर भागा डर र ा था कक क ीि रामचददर चल न गए ो प चा तो दखा - तवायफो की सवाररया जान को तयार बीसो आदमी सरतनाक-म बनाए उद घर खड मन उनकी ओर आख तक न उठाई सीिा रामचददर क पास प चा लकषमण और सीता बठ रो र थ और रामचददर खड कािि पर लहटया-डोर डाल उद समझा र थ मर मसवा व ा और कोई न था मन कि हठत सवर स रामचददर स पछा - कया तम ारी ववदाई ो गई
रामचददर - ा ो तो गई मारी ववदाई ी कया चौिरी सा ब न क हदया - जाओ चल जात
कया रपया और कपड न ीि ममल
अभी न ीि ममल चौिरी सा ब क त - इस वकत रपए न ीि कफर आकर ल जाना
कछ न ीि ममला
एक पसा भी न ीि क त कछ बचत न ीि ई मन सोचा था कछ रपए ममल जाएग तो पढन की ककताब ल लगा सो कछ न ममला रा -खचम भी न ीि हदया क त - कौन दर पदल चल जाओ
मझ ऐसा करोि आया कक चलकर चौिरी को खब आड ाथो ल वशयाओि क मलए रपए सवाररया सब कछ पर बचार रामचददर और उनक साधथयो क मलए कछ भी न ीि नजन लोगो न रात को आबादीजान पर दस-दस बीस-बीस रपए दयोछावर ककए थ उनक पास कया इनक मलए दो-दो चार-चार आन पस भी न ीि म दौडा आ वपताजी क पास गया व क ीि तफतीश पर जान को तयार थ मझ खड दखकर बोल - क ा घम र ो पढन क वकत तम घमन की सझती
मन क ा - गया था चौपाल रामचददर ववदा ो र थ उद चौिरी सा ब न कछ न ीि हदया
तो तम इसकी कया कफकर पडी
व जाएग कस उनक पास रा -खचम भी तो न ीि
कया कछ खचम भी न ीि हदया य तो चौिरी सा ब की बइिसाफी
आप अगर दो रपया द द तो उद द आऊ इतन म शायद घर प च जाए
वपताजी न तीवर दनष ट स दखकर क ा - जाओ अपनी ककताब दखो मर पास रपए न ीि
य क कर व घोड पर सवार ो गए उसी हदन स वपताजी पर स मरी शरदधा उठ गई मन कफर कभी उनकी डाट-डपट की परवा न ीि की मरा हदल क ता -आपको मझको उपदश दन का अधिकार न ीि मझ उनकी सरत स धचढ ो
गई व जो क त म ठनक उसका उलटा करता यदयवप इसस मरी ानन ई
लककन मरा अतःकरण उस समय ववलपवकारी ववचारो स भरा आ था
मर पास दो आन पस पड थ मन पस उठा मलए और जाकर शरमात-शरमात रामचददर को द हदए उन पसो को दखकर रामचददर जो नजतना षम आ व मर मलए आशातीत था टट पड मानो पयास को पानी ममल गया
य ी दो आन पस लकर तीनो मनतमया ववदा ई कवल म ी उनक साथ कसब क बा र तक प चान आया
उद ववदा करक लौटा तो मरी आख सजल थीि पर हदय आनदद स उमडा आ था
मतर (1)
पिडडत लीलािर चौब की जबान म जाद था नजस वकत व मिच पर खड ोकर अपनी वाणी की सिावनषट करन लगत थ शरोताओि की आतमाए तपत ो जाती थीि लोगो पर अनराग का नशा छा जाता था चौबजी क वयाखयानो म तततव तो ब त कम ोता था शबद-योजना भी ब त सिदर न ोती थी लककन बार-बार द रान पर भी उसका असर कम न ोता बनलक घन की चोटो की भानत और भी परभावोतपादक ो जाता था म तो ववशवास न ीि आता ककि त सनन बाल क त उद ोन कवल एक वयाखयान रट रखा और उसी को व शबदशः परतयक सभा म एक नए अिदाज स द राया करत जातीय गौरव उनक वयाखयानो का परिान गण था मिच पर आत ी भारत क पराचीन गौरव और पवमजो की अमर-कीनतम का राग छडकर सभा को मनि कर दत थ यथा -
सजजनो मारी अिोगनत की कथा सनकर ककसकी आखो स अशरिारा न ननकल पडगी म पराचीन गौरव को याद करक सिद ोन लगा कक म व ीि या बदल गए नजसन कल मसि स पिजा मलया व आज च को दखकर बबल खोज र ा इस पतन की भी सीमा दर कयो जाइए म ाराज चिदरगपत क समय को ी ल लीनजए यनान का सववजञ इनत ासकार मलखता कक उस जमान म य ा दवार पर ताल न डाल जात थ चोरी क ीि सनन म न आती थी वयमभचार का नाम-ननशान न था दसतावजो का आववषकार ी न आ था पजो पर लाखो का लन-दन ो जाता था दयाय पद पर बठ ए कममचारी मनकखया मारा करत थ सजजनो उन हदनो आदमी जवान न मरता था (तामलया) ा उन हदनो कोई आदमी जवान न मरता था बाप क सामन बट का अवसान ो जाना एक अभतपवम - एक सिभव - घटना थी आज ऐस ककतन माता-वपता नजनक कलज पर जवान बट का दाग न ो व भारत न ीि र ा भारत गारत ो गया
य चोबजी की शली थी व वतममान की अिोगनत और ददमशा तथा भत की समवदध और सदशा का राग अलापकर लोगो म जातीय सवामभमान जागरत कर दत थ
इसी मसवदध की बदौलत उनकी नताओि म गणना ोती थी ववशषतः ह िद-सभा क तो व कणमिार ी समझ जात थ ह िद-सभा क उपासको म कोई ऐसा उतसा ी ऐसा दकष ऐसा नीनत-चतर न था यो कह ए सभा क मलए उद ोन अपना जीवन ी उतकषम कर हदया था िन तो उनक पास न था कम-स-कम लोगो का ववचार य ी था लककन सा स ियम और बवदध जस अमलय रतन उनक पास थ और य सभी सभा को अपमण थ शवदध क तो मानो पराण ी थ ह िद-जानत का उतथान और पतन जीवन और मरण उनक ववचार म इसी परशन पर अवलिबबत था शवदध क मसवा अब ह िद जानत का पनजीवन का और कोई उपाय न था जानत का समसत ननतक शारीररक मानमसक सामानजक आधथमक और िामममक बीमाररयो की दवा इसी आिदोलन की सफलता म मयामहदत थी और व तन मन स इसका उपयोग ककया करत थ चिदा वसल करन म चौबजी मसदध सत थ ईशवर न उद व गन बता हदया था कक व पतथर स भी तल ननकाल सकत थ कि जसो को तो व ऐसा उलट छर स मडत थ कक उन म ाशयो को सदा क मलए मशकषा ममल जाती थी इस ववषय म पिडडतजी साम दाम दिड और भद इन चारो नीनतयो स काम लत थ य ा तक कक राषर-ह त क मलए डाका और चोरी को भी कषमय समझत थ
गमी क हदन थ लीलािर ककसी शीतल पवमतीय-परदश को जान की तयाररया कर र थ कक सर ो जाएगी और बन पडा तो कछ चिदा भी वसल कर लाएग उनको जब भरमण की इचछा ोती तो ममतरो क साथ एक डपटशन क रप म ननकल खड ोत अगर एक जार रपए वसल करक व इसका आिा सर-सपाट म खचम भी कर द तो ककसी की कया ानन ह िद सभा को तो कछ ममल ी जाता था व न उदयोग करत तो इतना भी तो न ममलता पिडडतजी न अबकी
सपररवार जान का ननशचय ककया था जब स शवदध का आववभामव था उनकी आधथमक दशा जो प ल ब त शोचनीय र ती थी ब त कछ सिभल गई थी
लककन जानत क उपासको को ऐसा सौभानय क ा कक शािनत-ननवास का आनिद उठा सक उनका तो जदम ी मार-मार कफरन क मलए ोता खबर आई कक मदरास पराित म तबलीग वालो न तफान मचा रखा ह िदओि क गाव-क-गाव मसलमान ोत जात मललाओि न बड जोश स तबलीग का काम शर ककया अगर ह िद-सभा न इस परवा को रोकन की आयोजना न की तो सारा पराित ह िदओि स शदय ो जाएगा ककसी मशखािारी की सरत तक न नजर आएगी
ह िद-सभा म खलबली मच गई तरित एक ववशष अधिवशन आ और नताओि क सामन य समसया उपनसथत की गई ब त सोच-ववचार क बाद ननशचय आ कक चौबजी पर इस कायम का भार रखा जाए उनस पराथमना की जाए कक व तरित मदरास चल जाए और िमम-ववमख बििओि का उदधार कर क न ी की दर थी चौबजी तो ह िद-जानत की सवा क मलए अपन को अपणम ी कर चक थ
पवमत-यातरा का ववचार रोक हदया और मदरास जान को तयार ो गए ह िद-सभा क मितरी न आखो म आस भरकर उनस ववनय की कक म ाराज य बडा आप ी उठा सकत आप ी को परमातमा न इतनी सामथयम दी आपक मसवा ऐसा कोई दसरा मनषय भारतवषम म न ीि जो इस घोर-ववपनतत म काम आए जानत की दीन- ीन दशा पर दया कीनजए चौबजी इस पराथमना को असवीकार न कर सक फौरन सवको की एक मिडली बनी और पिडडतजी क नततव म रवाना ई ह िद-सभा न उस बडी िम-िाम स ववदाई का भोज हदया एक उदार रईस न चौबजी को एक थली भट की और रलव-सटशन पर जारो आदमी उद ववदा करन आए
यातरा का वतताित मलखन की जररन न ीि र सटशन पर सवको का सममानपवमक सवागत आ कई जग थमलया ममली रतलाम की ररयासत न एक शाममयाना भट ककया बडौदा न एक मोटर दी कक सवको को पदल चलन
का कषट न उठाना पड य ा तक कक मदरास प चत-प चत सवादल क पास एक माकल रकम क अनतररकत जररत की ककतनी चीज जमा ो गई व ा आबादी स दर खल ए मदान म ह िद-सभा का पडाव पडा शाममयान पर राषरीय-झिडा ल रान लगा सवको न अपनी-अपनी वहदमया ननकालीि सथानीय िन-कबरो न दावत क सामान भज रावहटया पड गई चारो ओर ऐसी च ल-प ल ो गई
मानो ककसी राजा का क प
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रात क आठ बज थ अछतो की एक बसती क समीप सवक-दल का कमप गस क परकाश स जगमगा र ा था कई जार आदममयो का जमाव था नजनम अधिकािश अछत ी थ उनक मलए अलग टाट बबछा हदए गए थ ऊच वणम क ह िद कालीनो पर बठ ए थ पिडडत लीलािर का िआििार वयाखयान ो र ा था तम उद ीि ऋवषयो की सितान ो जो आकाश क नीच एक नई सनषट की रचना कर सकत थ नजनक दयाय बवदध और ववचार-शनकत क सामन आज सारा सिसार मसर झका र ा
स सा एक बढ अछत न उठकर पछा - म लोग सभी उद ीि ऋवषयो की सितान
लीलािर - ननससिद तम ारी िमननयो म भी उद ीि ऋवषयो का रकत दौड र ा और यदयवप आज का ननदमयी कठोर ववचार ीन और सिकधचत ह िद-समाज तम अव लना की दनषट स दख र ा तथावप तम ककसी ह िद स नीच न ीि ो चा व अपन को ककतना ी ऊचा समझता ो
बढा - तम ारी सभा म लोगो की सधि कयो न ीि लती
लीलािर - ह िद-सभा का जदम ए अभी थोड ी हदन ए और अलपकाल म उसन नजतन काम ककए उस पर उस अमभमान ो सकता ह िद-जानत
शतानबदयो क बाद ग री नीिद स चौकी और अब व समय ननकट जब भारतवषम म कोई ह िद ककसी ह िद को नीच न समझगा जब व सब एक-दसर को भाई समझग शरीरामचिदर न ननषाद को छाती स लगाया था शबरी क जठ बर खाए थ
बढा - आप जब इद ीि म ातमाओि का सितान तो कफर ऊच-नीच म कयो इतना भद मानत
लीलािर - इसमलए तो म पनतत ो गए अजञान म पडकर उन म ातमाओि को भल गए
बढा - अब तो आपकी ननदरा टटी मार साथ भोजन करोग
लीलािर - मझ कोई आपनतत न ीि
बढा - मर लडक स अपनी कदया का वववा कीनजएगा
लीलािर - जब तक तम ार जदम-सिसकार न बदल जाए जब तक तम ार आ ार-वयव ार म पररवतमन न ो जाए म तमस वववा का सिबिि न ीि कर सकत मािस खाना छोडो महदरा पीना छोडो मशकषा गर ण करो तभी तम उचच-वणम क ह िदओि स ममल सकत ो
बढा - म ककतन ी ऐस कलीन बराहमणो को जानत जो रात-हदन नश म डब र त मािस क बबना कौर न ीि उठात और ककतन ी ऐस जो एक अकषर भी न ीि पढ पर आपको उनक साथ भोजन करत दखता उनस वववा -सिबिि करन म आपको कदाधचत इनकार न ोगा जब आप खद अजञान म पड ए तो मारा उदधार कस कर सकत आपका हदय अभी तक अभी तक अमभमान स भरा आ जाइए अभी कछ हदन और अपनी आतमा का सिार कीनजए मारा उदधार आपक ककए न ोगा ह िद-समाज म र कर मार माथ स नीचता
का कलिक न ममटगा म ककतन ी ववदवान ककतन ी आचारवान ो जाए आप म यो ी नीच समझत र ग ह िदओि की आतमा मर गई और उसका सथान अ िकार न ल मलया म अब दवता की शरण जा र नजनक मानन वाल मस गल ममलन को आज ी तयार व य न ीि क त कक तम अपन सिसकार बदलकर आओ म अचछ या बर व इसी दशा म म अपन पास बला र आप अगर ऊच तो ऊच बन रह ए म उडना न पडगा
लीलािर - एक ऋवष-सितान क म स ऐसी बात सनकर मझ आशचयम ो र ा वणम-भद तो ऋवषयो का ी ककया आ उस तम कस ममटा सकत ो
बढा - ऋवषयो को मत बदनाम कीनजए य सब पाखिड आप लोगो का रचा आ आप क त तम महदरा पीत ो लककन आप महदरा पीन वालो की जनतया चाटत आज मस मािस खान क कारण नघनात लककन आप गो-मािस खान वालो क सामन नाक रगडत इसमलए न कक व आपस बलवान म भी आज राजा ो जाए तो आप मार सामन ाथ बाि खड ोग आपक िमम म व ी ऊचा जो बलवान व ी नीच जो ननबमल य ी आपका िमम
य क कर बढा व ा स चला गया और उसक साथ ी और लोग भी उठ खड ए कवल चौबजी और उनक दल वाल मिच पर र गए मानो मिचगान समापत ो जान क बाद उसकी परनतवनन वाय म गज र ी ो
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तबलीग वालो न जबस चौबजी क आन की खबर सनी थी इस कफकर म थ कक ककसी उपाय स इन सबको य ा स दर करना चाह ए चौबजी का नाम दर-दर तक परमसदध था जानत थ य य ा जम गया तो मारी सारी करी-कराई म नत वयथम ो जाएगी इसक कदम य ा जमन न पाए मललाओि न उपाय सोचना शर ककया ब त वाद-वववाद जजत और दलील क बाद ननशचय आ कक इस काकफर को कतल कर हदया जाए ऐसा सबाब लटन क मलए आदममयो की कया
कमी उनक मलए तो जदनत का दरवाजा खल जाएगा र उसकी बलाए लगी फररशत उसक कदमो की खाक का सरमा बनाएग रसल उसक मसर पर बरकत का ाथ रखग खदाबिद-करीम उस सीन स लगाएग और क ग - त मरा पयारा दोसत दो टट-कटट जवानो न तरित बीडा उठा मलया
रात क दस बज गए थ ह िद-सभा क क प म सदनाटा था कवल चौबजी अपनी रावटी म बठ ह िद-सभा क मितरी को पतर मलख र थ - य ा सबस बडी आवशयकता िन की रपया रपया रपया नजतना भज सक भनजए डपटशन भजकर वसल कीनजए मोट म ाजनो की जब टटोमलए मभकषा माधगए बबना िन क इन अभागो का उदधार न ोगा जब तक कोई पाठशाला न खल कोई धचककतसालय न सथावपत ो कोई वाचनालय न ो इद कस ववशवास आएगा कक ह िद-सभा उनकी ह तधचितक तबलीग वाल नजतना खचम कर र उसका आिा भी मझ ममल जाए तो ह िद-िमम की पताका फ रन लग कवल वयाखयानो स काम न चलगा असीसो क कोई नजिदा न ीि र ता
स सा ककसी की आ ट पाकर व चौक पड आख ऊपर उठाई तो दखा दो आदमी सामन खड पिडडतजी न शिककत ोकर पछा - तम कौन ो कया काम
उततर ममला - म इजराइल क फररशत तम ारी र कबज करन आए इजराइल न तम याद ककया
पिडडतजी यो ब त ी बमलषठ परष थ उन दोनो को एक िकक म धगरा सकत थ परातःकाल तीन पाव मो न-भोग और दो सर दि का नाशता करत थ दोप र क समय पाव-भर िी दाल म खात तीसर प र दधिया भिग छानत नजसम सर-भर मलाई और आिा सर बादाम ममली र ती रात को डटकर बयाल (राबतर-भोजन) करत कयोकक परातःकाल तक कफर कछ न खात थ इस पर तराम य कक पदल पग-भर भी न चलत थ पालकी ममल तो पछना ी कया जस घर पर पलिग उडा जा र ा ो कछ न ो तो इकका तो था ी यदयवप काशी म दो ी
चार इकक वाल ऐस थ जो उद दखकर क न द कक इकका खाली न ीि ऐसा मनषय नमम अखाड म पट पडकर ऊपर वाल प लवाल को थका सकता था चसती और फती क अवसर पर तो व रत पर ननकला आ कछआ था
पिडडतजी न एक बार कनिखयो स दरवाज की तरफ दखा भागन का कोई मौका न था तब उनम सा स का सिचार आ भय की पराकाषठा ी सा स अपन सोट की तरफ ाथ बढाया और गरजकर बोल - ननकल जाओ य ा स
बात म स परी न ननकली थी कक लाहठयो का वार पडा पिडडतजी मनछमत ोगर धगर पड शतरओि न समीप आकर दखा जीवन का कोई लकषण न था समझ गए काम तमाम ो गया लटन का ववचार न था पर जब कोई पछन वाला न ो तो ाथ बढान म कया जम जो कछ ाथ लगा ल-लकर चलत बन
परातःकाल बढा भी उिर स ननकला तो सदनाटा छाया आ था न आदमी न आदमजात छौलदाररया भी गायब चकराया य माजरा कया रात ी भर म अलादीन क म ल की तर सब कछ गायब ो गया उन म ातमाओि म स एक भी नजर न ीि आता जो परातःकाल मो नभोग उडात और सिया समय भिग घोटत हदखाई दत थ जरा और समीप जाकर पिडडत लीलािर की रावटी म झाका तो कलजा सदन र गया पिडडतजी जमीन पर मद की तर पड ए थ म पर मनकखया मभनक र ी थी मसर क बालो म रकत ऐसा जम गया था जस ककसी धचतरकार क बरश म रिग सार कपड ल ल ान ो र थ समझ गया पिडडतजी क साधथयो न उद मारकर अपनी रा ली स सा पिडडतजी क म स करा न की आवाज ननकली अभी जान बाकी थी बढा तरित दौडा आ गाव म आ गया और कई आदममयो को लाकर पिडडतजी को अपन घर उठवा ल गया
मर म-पटटी ोन लगी बढा हदन-क-हदन और रात-की-रात पिडडतजी क पास बठा र ता उसक घर वाल उनकी शशरषा म लग र त गाववाल भी यथाशनकत स ायता करत इस बचार का य ा कौन अपना बठा आ अपन तो म
बगान तो म मार ी उदधार क मलए तो बचारा य ा आया था न ीि तो य ा
उस कयो आना था कई बार पिडडतजी अपन घर पर बीमार पड चक थ पर उनक घरवालो न इतनी तमदयता स उनकी तीमारदारी न की थी सारा घर और घर ी न ी सारा गाव उनका गलाम बना आ था अनतधथ-सवा उनक िमम का एक अिग था सभय-सवाथम न अभी उस भाव का गला न ीि घोटा था साप का मितर जानन वाला द ाती अब भी माघ-पस की अिरी मघाचछदन राबतर म मितर झाडन क मलए दस-पाच कोस पदल दौडता आ चला जाता उस डबल फीस और सवारी की जररत न ीि ोती बढा मल-मतर तक अपन ाथो स उठाकर फ कता पिडडतजी की घडककया सनता सार गाव स दि मागकर उद वपलाता पर उसकी तयोररया कभी मली न ोती अगर उसक क ीि चल जान पर घरवाल लापरवा ी करत तो आकर सबको डाटता
म ीन-भर बाद पिडडतजी चलन-कफरन लग और अब उद जञात आ कक इन लोगो न मर साथ ककतना उपकार ककया इद ीि लोगो का काम था कक मझ मौत क म स ननकाला न ीि तो मरन म कया कसर र गई थी उद अनभव आ कक म नजन लोगो को नीच समझता था और नजनक उदधार का बीडा उठाकर आया था व मझस क ीि ऊच म इस पररनसथनत म कदाधचत रोगी को ककसी असपताल म भजकर ी अपनी कतमवय-ननषठा पर गवम करता समझता मन दिीधच और ररशचिदर का मख उजजवल कर हदया उनक रोए-रोए स इन दव-तलय परािणयो क परनत आशीवामद ननकलन लगा
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तीन म ीन गजर गए न तो ह िद-सभा न पिडडतजी की खबर ली और न घरवालो न सभा क मख-पतर पर उनकी मतय पर आस ब ाए गए उनक कामो का परशिसा की गई और उनका समारक बनान क मलए चिदा खोल हदया गया घरवाल भी रो-पीटकर बठ र
उिर पिडडतजी दि और िी खाकर चाक-चौबिद ो गए च र पर खन की सखी दौड गई द -भर आई द ात की जलवाय न व काम कर हदखाया जो कभी मलाई और मकखन स न आ था प ल की तर तयार तो व न ए पर
फती और चसती दगनी ो गई मोटाई का आलसय अब नाम को भी न था उनम एक नए जीवन का सिचार ो गया
जाडा शर ो गया था पिडडतजी घर लौटन की तयाररया कर र थ इतन म पलग का आकरमण आ और गाव क तीन आदमी बीमार ो गए बढा चौिरी भी उद ीि म था घरवाल इन रोधगयो को छोडकर भाग खड ए व ा का दसतर था कक नजन बीमाररयो को व लोग दवी परकोप समझत थ उनक रोधगयो को छोडकर चल जात थ उद बचाना दवताओि स वर मोल लना था और दवताओि स वर करक क ा जात नजस पराणी को दवता न चन मलया उस भला व उसक ाथो स छननन का सा स कस करत पिडडतजी को भी लोगो न साथ ल जाना चा ा ककि त पिडडतजी न गए उद ोन गाव म र कर रोधगयो की रकषा करन का ननशचय ककया नजस पराणी न उद मौत क पिज स छडाया था उस इस दशा म छोडकर व कस जात उपकार न उनकी आतमा को जगा हदया था बढ चौिरी न तीसर हदन ोश आन पर जब उद अपन पास खड दखा तो बोला - म ाराज
तम य ा कयो आ गए मर मलए दवताओि का कम आ गया अब म ककसी तर न ीि रक सकता तम कयो अपनी जान जोिखम म डालत ो मझ पर दया करो चल जाओ
लककन पिडडतजी पर कोई असर न आ व बारी-बारी स तीनो रोधगयो क पास जात और कभी उनकी धगनलटया सकत कभी उद पराणो की कथा सनात घरो पर नाज बतमन आहद सब जयो-क-जयो रख ए थ पिडडतजी पथय बनाकर रोधगयो को िखलात रात को जब रोगी सो जात और सारा गाव भाय-भाय करन लगता तो पिडडतजी को भयिकर जित हदखाई दत उनक कलज म िकडन ोन लगती लककन व ा स टलन का नाम न लत उद ोन ननशचय कर मलया था कक या तो इन लोगो को बचा ी लगा या इन पर अपन को बमलदान ी कर दगा
जब तीन हदन सक-बाि करन पर भी रोधगयो की ालत न सभली तो पिडडतजी को बडी धचिता ई श र व ा स बीस मील पर था रल का क ीि पता न ीि
रासता बी ड और सवारी कोई न ीि इिर य भय कक अकल रोधगयो की न जान कया दशा ो बचार बड सिकट म पड अित को चौथ हदन प र रात र व अकल श र को चल हदए और दस बजत-बजत व ा जा प च
असपताल स दवा लन म बडी कहठनाई का सामना करना पडा गवारो स असपताल वाल दवाओि का मनमाना दाम वसल करत थ पिडडतजी को मफत कयो दन लग डॉकटर क मिशी न क ा - दवा तयार न ीि
पिडडतजी न धगडधगडाकर क ा - सरकार बडी दर स आया कई आदमी बीमार पड दवा न ममलगी तो सब मर जाएग
मिशी न बबगडकर क ा - कयो मसर खाए जात ो क तो हदया दवा तयार न ीि न तो इतनी जलदी ो ी सकती
पिडडतजी अतयित दीनभाव स बोल - सरकार बराहमण आपक बाल-बचचो को भगवान धचरिजीवी कर दया कीनजए आपका इकबाल चमकता र
ररशवती कममचारी म दया क ा व तो रपए क गलाम जयो-जयो पिडडतजी उसकी खशामद करत थ व और भी झललाता था अपन जीवन म पिडडतजी न कभी इतनी दीनता न परकट की थी उनक पास इस वकत एक थला भी न था अगर व जानत कक दवा ममलन म इतनी हदककत ोगी तो गाववालो स ी कछ माग-जाचकर लाए ोत बचार तबवदध-स खड सोच र थ कक अब कया करना चाह ए स सा डॉकटर सा ब सवयि बिगल स ननकल आए पिडडतजी लपककर परो पर धगर पड और करण-सवर म बोल - दीनबिि मर घर म तीन आदमी ताऊन म पड ए बडा गरीब सरकार कोई दवा ममल
डॉकटर सा ब क पास ऐस गरीब ननतय आया करत थ उनक चरणो पर ककसी का धगर पडना उनक सामन पड ए आतमनाद करना उनक मलए कछ नई बात न थी अगर इस तर व दया करन लगत तो दवा ी भर को ोत य ठाट-बाट
क ा स ननभता मगर हदल क चा ककतन ी बर ो बात मीठन-मीठन करत थ पर टाकर बोल - रोगी क ा
पिडडतजी - सरकार व तो घर पर इतनी दर कस लाता
डॉकटर - रोगी घर और तम दवा लन आए ो ककतन मज की बात रोगी को दख बबना कस दवा द सकता
पिडडतजी को अपनी भल मालम ई वासतव म बबना रोगी को दख रोग की प चान कस ो सकती लककन तीन-तीन रोधगयो को इतनी दर लाना आसान न था अगर गाववाल उनकी स ायता करत तो डोमलयो का परबिि ो सकता था पर व ा तो सब कछ अपन ी बत पर करना था गाववालो स इसम स ायता ममलन की कोई आशा न थी स ायता की कौन क व तो उनक शतर ो र थ उद भय ोता था कक य दषट दवताओि स वर बढाकर म लोगो पर न जान कया ववपनतत लाएग अगर कोई दसरा आदमी ोता तो व उस कब का मार चक ोत पिडडतजी स उद परम ो गया था इसमलए छोड हदया था
य जवाब सनकर पिडडतजी को कछ बोलन का सा स तो न था पर कलजा मजबत करक बोल - सरकार अब कछ न ीि ो सकता
डॉकटर - असपताल स दवा न ीि ममल सकती म अपन पास स दाम लकर दवा द सकत
पिडडतजी - य दवा ककतन की ोगी सरकार
डॉकटर सा ब न दवा का दाम 10 रपया बताया और य भी क ा कक इस दवा स नजतना लाभ ोगा उतना असपताल की दवा स न ीि ो सकता कफर बोल - व ा परानी दवा रखा र ता गरीब लोग आता दवाई ल जाता नजसको
जीना ोता जीता नजस मरना ोता मरता मस कछ मतलब न ीि म तमको जो दवा दग व सचचा दवा ोगा
दस रपए इस समय पिडडतजी को दस रपए दस लाख जान पड इतन रपए व एक हदन म भिग-बटी म उडा हदया करत थ पर इस समय तो थल-थल को म ताज थ ककसी स उिार ममलन की आशा क ा ा सिभव मभकषा मागन स कछ ममल जाए लककन इतनी जलद दस रपए ककसी भी उपाय स न ममल सकत थ आि घिट तक व इसी उिडबन म खड र मभकषा क मसवा कोई दसरा उपाय न सझता था और मभकषा उद ोन कभी मागी न थी व चिद जमा कर चक थ एक-एक बार म जारो वसल कर लत थ पर व दसरी बात थी िमम क रकषक जानत क सवक और दमलतो क उदधारक बनकर चिदा लन म एक गौरव था चिदा लकर व दन वालो पर अ सान करत थ पर य ा तो मभखाररयो की तर ाथ फलाना धगडधगडाना और फटकार स नी पडगी कोई क गा - इतन मोट-ताज तो ो म नत कयो न ीि करत तम भीख मागत शमम न ीि आती कोई क गा - घास खोद लाओ म तम अचछन मजदरी दगा ककसी को उनक बराहमण ोन का ववशवास न आएगा अगर य ा उनका रशमी अचकन और रशमी साफा ोता कसररया रिग वाला दपटटा ी ममल जाता तो व कोई सवाग भर लत जयोनतवष बनकर व ककसी िनी सठ को फास सकत थ और इस फन म व उसताद भी थ पर य ा य सामान क ा - कपड-लतत तो सब कछ लट चक थ ववपनतत म कदाधचत बवदध भी भरषट ो जाती अगर व मदान म खड ोकर कोई मनो र वयाखयान द दत तो शायद उनक दस-पाच भकत पदा ो जात लककन इस तरफ उनका यान ी न गया व सज ए पिडाल म फलो स ससनजजत मज क सामन मिच पर खड ोकर अपनी वाणी का चमतकार हदखला सकत थ इस दरवसथा म कौन उनका वयाखयान सनगा लोग समझग कोई पागल बक र ा
मगर दोप र ढली जा र ी थी अधिक सोच-ववचार का अवकाश न था य ीि सिया ो गई तो रात को लौटना असिभव ो जाएगा कफर रोधगयो की न जान
कया दशा ो य अब इस अनननशचत दशा म खड न र सक चा नजतना नतरसकार ो ककतना ी अपमान स ना पड मभकषा क मसवा और कोई उपाय न था
व बाजार म जाकर एक दकान क सामन खड ो गए पर कछ मागन की ह ममत न पडी दकानदार न पछा - कया लोग
पिडडतजी बोल - चावल का कया भाव
मगर दसरी दकान पर प चकर व जयादा साविान ो गए सठजी गददी पर बठ ए थ पिडडतजी आकर उनक सामन खड ो गए और गीता का एक शलोक पढ सनाया उनका शदध उचचारण और मिर वाणी सनकर सठजी चककत ो गए पछा - क ा सथान
पिडडतजी - काशी स आ र ा
य क कर पिडडतजी न सठ जी को िमम क दसो लकषण बतलाए और शलोक की ऐसी अचछन वयाखया की कक व मनि ो गए कफर बोल - म ाराज आज चलकर मर सथान को पववतर कीनजए
कोई सवाथी आदमी ोता तो इस परसताव को स षम सवीकार कर लता लककन पिडडतजी को लौटन की पडी
पिडडतजी बोल - न ीि सठजी मझ अवकाश न ीि
सठ - म ाराज आपको मारी इतनी खानतरी करनी पडगी
पिडडतजी जब ककसी तर ठ रन पर राजी न ए तो सठजी न उदास ोकर क ा - कफर म आपकी कया सवा कर कछ आजञा दीनजए आपकी वाणी स तो तनपत न ीि ई कफर कभी इिर आना ो तो अवशय दशमन दीनजएगा
पिडडतजी - इतनी शरदधा तो अवशय आऊगा
य क कर पिडडतजी कफर उठ खड ए सिकोच न कफर उनकी जबान बिद कर दी य आदर-सतकार इसीमलए तो कक म अपना सवाथम-भाव नछपाए ए कोई इचछा परकट की और इनकी आख बदलीि सखा जवाब चा न ममल पर शरदधा न र गी व नीच उतर गए और सडक पर एक कषण क मलए खड ोकर सोचन लग अब क ा जाऊ उिर जाड का हदन ककसी ववलासी क िन की भानत भागा चला जाता था व अपन ी ऊपर झझला र थ जब ककसी स मागगा न ीि तो कोई कयो दन लगा कोई कया मर मन का ाल जानता व हदन गए
जब िनी लोग बराहमणो की पजा ककया करत थ य आशा छोड दो कक म ाशय आकर तम ार ाथ म रपए रख दग व िीर-िीर आग बढ
स सा सठ जी न पीछ स पकारा - पिडडतजी जरा ठ ररए
पिडडतजी ठ र गए कफर घर चलन का आगर करन आता ोगा य तो न आ कक एक रपए का नोट लाकर दता मझ घर ल जाकर न जान कया करगा
मगर सठजी न सचमच एक धगदनी ननकालकर उनक परो पर रख दी तो उनकी आखो म अ सान क आस उछल आए अब भी सचच िमामतमा जीव सिसार म न ीि तो य पथवी रसातल को न चली जाती अगर इस वकत उद सठजी क कलयाण क मलए अपनी द का सर-आि सर रकत भी दना पडता तो भी शौक स द दत गद गद-कि ठ स बोल - इसका तो कछ काम न था सठजी म मभकषक न ीि आपका सवक
सठजी शरदधा-ववनयपणम शबदो म बोल - भगवान इस सवीकार कीनजए य दान न ीि भट म भी आदमी प चानता ब तर साि-सित योगी-यती दश और िमम क सवक आत र त पर न जान कयो ककसी क परनत मन म शरदधा न ीि उतपदन ोती उनस ककसी तर वपिड छडान की पड जाती आपका सिकोच
दखकर म समझ गया कक आपका य पशा न ीि आप ववदवान िमामतमा पर ककसी सिकट म पड ए इस तचछ भट को सवीकार कीनजए और मझ आशीवामद दीनजए
पिडडतजी दवाए लकर घर चल तो षम उललास और ववजय स उनका हदय उछला पडता था नमानजी भी सिजीवन-बटी लाकर इतन परसदन न ए ोग ऐसा सचचा आनिद उद कभी परापत न आ उनक हदय म इतन पववतर भावो का सिचार कभी न आ था
हदन ब त थोडा र गया था सयमदव अववरल गनत स पनशचम की ओर दौडत चल जात थ कया उद भी ककसी रोगी को दवा दनी थी व बड वग स दौडत ए पवमत की ओट म नछप गए पिडडतजी और भी फती स पाव बढान लग मानो उद ोन सयमदव को पकड लन की ठान ली
दखत-दखत अिरा छा गया आकाश म दो-एक तार हदखाई दन लग अभी दस मील की मिनजल बाकी थी नजस तर काली घटा को मसर पर मिडरात दखकर गह णी दौड-दौडकर सखावन समटन लगती उसी भानत लीलािर न भी दौडना शर ककया उद अकल पड जान का भय न था भय था अििर म रा भल जान का दाए-बाए बनसतया छटती जाती थी पिडडतजी को य गाव इस समय ब त ी स ावन मालम ोत थ ककतन आनिद स लोग अलाव क सामन बठ ताप र
स सा एक कतता हदखाई हदया न जान ककिर स आकर व उनक सामन पगडिडी पर चलन लगा पिडडतजी चौक पड पर एक कषण म उद ोन कतत को प चान मलया व बढ चौिरी का कतता मोती था व गाव छोडकर आज इिर इतनी दर कस आ ननकला कया जानता पिडडतजी दवा लकर आ र ोग क ीि रासता भल जाए कौन जानता पिडडतजी न एक बार मोती क कर पकारा तो कतत न दम ह लाई पर रका न ीि व इसस अधिक पररचय दकर समय नषट
न करना चा ता था पिडडतजी को जञात आ कक ईशवर मर साथ व ी मरी रकषा कर र अब उद कशल स घर प चन का ववशवास ो गया
दस बजत-बजत पिडडतजी घर प च गए
रोग घातक न था पर यश पिडडतजी को बदा था एक सपता क बाद तीनो रोगी चिग ो गए पिडडतजी की कीनतम दर-दर तक फल गई उद ोन यम-दवता स घोर सिगराम करक इन आदममयो को बचा मलया था उद ोन दवताओि पर भी ववजय पा ली थी असिभव को सिभव कर हदखाया था व साकषात भगवान थ उनक दशमनो क मलए लोग दर-दर स आन लग ककि त पिडडतजी को अपनी कीनतम स इतना आनिद न ोता था नजतना रोधगयो को चलत-कफरत दखकर
चौिरी न क ा - म ाराज तम साकषात भगवान ो तम न आत तो म न बचत
पिडडतजी बोल - मन कछ न ीि ककया य सब ईशवर की दया
चौिरी - अब म तम कभी न जान दग जाकर अपन बाल-बचचो को भी ल लाओ
पिडडतजी - ा म भी सोच र ा तमको छोडकर अब न ीि जा सकता
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मललाओि न मदान खाली पाकर आस-पास क द ातो म खब जोर बाि रखा था गाव क गाव मसलमान ोत जात थ उिर ह िद-सभा न सदनाटा खीिच मलया था ककसी की ह ममत न पडती थी कक इिर आए लोग दर बठ ए मसलमानो पर गोला-बारद चला र थ इस तया का बदला कस मलया जाए य ीि उनक सामन सबस बडी समसया थी अधिकाररयो क पास बार-बार पराथमना-पतर भज जा र थ कक इस मामल की छानबीन की जाए और बार-बार य ी जवाब ममलता
था कक तयारो का पता न ीि चलता उिर पिडडतजी क समारक क मलए चिदा भी जमा ककया जा र ा था
मगर इस नई जयोनत न मललाओि का रिग फीका कर हदया व ा एक ऐस दवता का अवतार आ था जो मदाम को नजला दता था जो अपन भकतो क कलयाण क मलए अपन पराणो का बमलदान कर सकता था मललाओि क य ा मसवदध क ा य ववभनत क ा य चमतकार क ा इस जवलित उपकार क सामन जदनत और अखबत (भात-भनकत) की कोरी दलील कब ठ र सकती थीि पिडडतजी अब व अपन बराहमणतव पर घमिड करनवाल पिडडतजी न थ उद ोन शदरो और भीलो का आदर करना सीख मलया था उद छाती स लगात ए अब पिडडतजी को घणा न ोती थी जब अपन घर म सयम का परकाश ो गया तो उद दसरो क य ा जान की कया जररत थी सनातन-िमम की ववजय ो गई गाव-गाव म मिहदर बनन लग और शाम-सवर मिहदरो म शिख और घिट की वनन सनाई दन लगी लोगो क आचरण आप- ी-आप सिरन लग पिडडतजी न ककसी को शदध न ीि ककया उद अब शवदध का नाम लत शमम आती थी म भला इद कया शदध करगा प ल अपन को तो शदध कर ल ऐसी ननममल एवि पववतर आतमाओि को शवदध क ढोग स अपमाननत न ीि कर सकता
य मितर था जो उद ोन उन चािडालो स सीखा था और इसी बल स व अपन िमम की रकषा करन म सफल ए थ
पिडडतजी अभी जीववत पर अब सपररवार उसी पराित म उद ीि भीलो क साथ र त
कामिा तर
राजा इददरनाथ का द ादत ो जान क बाद कअर राजनाथ तो शतरओि न चारो ओर स ऐसा दबाया कक उद अपन पराण लकर एक परान सवक की शरण जाना पडा जो एक छोट-स गाव का जागीरदार था कअर सवभाव स ी शानदत-वपरय
रमसक स-खलकर समय काटन वाल रमसकजनो क साथ ककसी वकष क नीच बठ ए कावय-चचाम करन म उद जो आनदद ममलता था व मशकार या राज-दरबार म न ीि इस पवमतमालाओि स नघर ए गाव म आकर उद नजस शानदत और आनदद का अनभव आ उसक बदल व ऐस-ऐस कई राजय-तयाग कर सकत थ य पवमतमालाओि की मनो र छटा य नतररिजक ररयाली य जल-परवा की मिर वीणा य पकषकषयो की मीठन बोमलया य मिग-शावको की छलािग य बछडो की कलल य गराम-ननवामसयो की बालोधचत सरलता य रमिणयो की सिकोचमय चपलता य सभी बात उनक मलए नई थी पर इन सबो स बढकर जो वसत उनको आकवषमत करती थी व जागीरदार की यवती कदया चददा थी
चददा घर का सारा काम-काज आप ी करती थी उसको माता की खोद म खलना नसीब न आ वपताजी की सवा ी म रत र ती थी उसका वववा इसी साल ोन वाला था कक इसी बीच म कअरजी न आकर उसक जीवन म नवीन भावनाओि और आशाओि को अिकररत कर हदया उसन अपन पनत का जो धचतर मन म खीिच रखा था व ी मानो रप िारण करक उसक सममख आ गया कअर की आदशम रमणी भी चददा क रप म अवतररत ो गई लककन कअर समझत थ - मर ऐस भानय क ा चददा भी समझती थी - क ा य और क ा म
दोप र का समय था और जठ का म ीना खपरल का घर भिी की भानत तपन लगा खस की टहटटयो और त खानो म र न वाल राजकमार का धचतत गरमी स इतना बचन आ कक व बा र ननकल आए और सामन क बाग म जाकर एक घन वकष की छाव म बठ गए स सा उद ोन दखा - चददा नदी स जल की
गागर मलए चली आ र ी नीच जलती ई रत थी ऊपर जलता आ सयम ल स द झलसी जाती थी कदाधचत इस समय पयास स तडपत आदमी को भी नदी तक जान की ह ममत न पडती चददा कयो पानी लन गई थी घर म पानी भरा आ कफर इस समय व कयो पानी लन ननकली
कअर दौडकर उसक पास प च और उसक ाथ स गागर छनन लन की चष टा करत ए बोल -मझ द दो और भागकर छा म चली जाओ इस समय पानी का कया काम था
चददा न गागर न छोडी मसर स िखसका आचल समभालकर बोली - तम इस समय कस आ गए शायद गरमी क मार अददर न र सक
कअर -मझ द दो न ीि तो म छनन लगा
चददा न मसकराकर क ा - राजकमारो को गागर लकर चलना शोभा न ीि दता
कअर न गागर का म पकडकर क ा - इस अपराि का ब त दिड स चका चददा अब तो अपन राजकमार करन म भी लजजा आती
चददा - दखो िप म खद रान ोत ो और मझ भी रान करत ो गागर छोड दो सच क ती पजा का जल
कअर - कया मर ल जान स पजा का जल अपववतर ो जाएगा
चददा - अचछा भाई न ीि मानत तो तम ीि ल चलो ा न ीि तो
कअर गागर लकर आग-आग चल चददा पीछ ो ली बचीग म प च तो चददा एक छोट-स पौि क पास रककर बोली - इसी दवता की पजा करनी गागर रख दो
कअर न आश चयम स पछा -य ा कौन दवता चददा मझ तो न ीि नजर आता
चददा न पौि को सीिचत ए क ा - य ी तो मरा दवता
पानी पीकर पौि की मरझाई ई पनततया री ो गई मानो उनकी आख खल गई ो
कअर न क ा - य पौिा कया तमन लगाया चददा
चददा न पौि को एक सीिी लकडी स बाित ए क ा - ा उसी हदन तो जब तम य ा आए य ा प ल मरी गडडयो का घरौदा था मन गडडयो पर छा करन क मलए अमोला लगा हदया था कफर मझ इसकी याद न ीि र ी घर क काम-िदिो म भल गई नजस हदन तम य ा आए मझ न जान कयो इस पौि की याद आ गई मन आकर दखा तो व सख गया था मन तरदत पानी लाकर इस सीिचा तो कछ-कछ ताजा ोन लगा तब स इस सीिचती दखो ककतना रा-भरा ो गया
य क त-क त उसन मसर उठाकर कअर की ओर ताकत ए क ा - और सब काम भल जाऊ पर इस पौि को पानी दना न ीि भलती तम ीि इसक पराण-दाता ो तम ीि न आकर इस नजला हदया न ीि तो बचारा सख गया ोता य तम ार शभागमन का समनत-धचहन जरा इस दखो मालम ोता स र ा मझ तो जान पडता कक य मझस बोलता सच क ती कभी य रोता
कभी सता कभी रठता आज तम ारा लाया आ पानी पाकर फला न ीि समाता एक-एक पतता तम िदयवाद द र ा
कअर को ऐसा जान पडा मानो व पौिा कोई नद ा-सा करीडाशील बालक जस चमबन स परसदन ोकर बालक गोद म चढन क मलए दोनो ाथ फला दता उसी भानत य पौिा भी ाथ फलाए जान पडा उसक एक-एक अण म चददा का परम झलक र ा था
चददा क घर म खती क सभी औजार थ कअर एक फावडा उठा लाए और पौि का एक थाल बनाकर चारो ओर ऊची मड उठा दी कफर खरपी लकर अददर की ममटटी को गोड हदया पौिा और भी ल ल ा उठा
चददा बोली- कछ सनत ो कया क र ा
कअर न मसकराकर क ा - ा क ता अममा की गोद म बठगा
चददा - न ीि क र ा इतना परम करक कफर भल न जाना
मगर कअर को अभी राज-पतर ोन का दिड भोगना बाकी था शतरओि को न जान कस उनकी टो ममल गई इिऱ तो ह तधचितको क आगर क वववश ोकर बढा कवरमसि चददा और कअर क वववा की तयाररया कर र ा था उिर शतरओि का एक दल मसर पर आ प चा कअर न उस पौि क आस-पास फल-पतत लगाकर एक फलवारी-सी बना दी थी पौि को सीिचना अब उनका काम था परातःकाल व कि ि पर कावर रख नदी स पानी ला र थ कक दस-बार आदममयो न उद रासत म घर मलया कवरमसि तलवार लकर दौडा लककन शतरओि न उस मार धगराया अकला असतर ीन कअर कया करता कि ि पर कावर रख ए कअर बोला - अब कयो मर पीछ पड ो भाई मन सब-कछ छोड हदया
सरदार बोला - म आपको पकड ल जान का कम
तम ारा सवामी मझ इस दशा म भी न ीि दख सकता खर अगर िमम समझो तो कवरमसि की तलवार मझ द दो अपनी सवािीनता क मलए लडकर पराण द
इसका उततर य ी ममला कक मसपाह यो न कअर को पकडकर मशक कस दीि और उद एक घोड पर बबठाकर घोड को भगा हदया कावर व ीि पडी र गई
उसी समय चददा घर स ननकली तो दखा - कावर पडी ई और कअर को लोग घोड पर बबठाए ल जा र चोट खाए ए पकषी की भानत व कई कदम दौडी कफर धगर पडी उसकी आखो म अििरा छा गया
स सा उसकी दनष ट वपता की लाश पर पडी व घबराकर उठन और लाश क पास जा प ची कवर अभी मरा न था पराण आखो म अटक ए थ चददा को दखत ी कषीण सवर म बोला -बटी कअर इसक आग व कछ न क सका पराण ननकल गए पर इस शबद कअर न उसका आशय परकट कर हदया
बीस वषम बीत गए कअर कद स न छट सक
य एक प ाडी ककला था ज ा तक ननगा जाती प ाडडया ी नजर आतीि ककल म उद कोई कष ट न था नौकर-चाकर भोजन-वसतर सर-मशकार ककसी बात की कमी न थी पर उस ववयोधगनी को कौन शादत करता जो ननतय कअर क हदय म जला करती थी जीवन म अब उनक मलए कोई आशा न थी कोई परकाश न था अगर कोई इचछा थी तो य ी कक एक बार उस परमतीथम की यातरा कर ल ज ा उद व सब कछ ममला जो मनषय को मम सकता ा उनक मन म एकमातर य ी अमभलाषा थी कक उन पववतर समनतयो स रिनजत भमम क दशमन करक जीवन का उसी नदी क तट पर अदत कर द व ी नदी का ककनारा व ी वकष का कि ज व ी चददा का छोटा-स सददर घर उसकी आखो म कफरा करता और व पौिा नजस उन दोनो न ममलकर सीिचा था उसम तो मानो उसक पराण बसत थ कया व हदन भी आएगा जब व उस पौि को री- री पनततयो स लदा आ दखगा कौन जान व अब भी या सख गया कौन अब उसको सीिचता ोगा चददा इतन हदनो अवववाह त थोड ी बठन ोगी ऐसा समभव भी तो न ीि उस अब मरी याद आ जाती ो ा शायद कभी उस अपन घर की याद खीिच लाती ो तो पौि को दखकर उस मरी याद आ जाती ो मझ जस अभाग क मलए इसस अधिक व और कर ी कया सकती उस भमम को एक
बार दखन क मलए व अपना जीवन द सकता था पर य अमभलाषा न परी ोती थी
आ एक यग बीत गया शोक और नराशय न उठती जवानी को कचल हदया न आखो म जयोनत न परो म शनकत जीवन कया था एक दःखदाई सवपन था उस सघन अदिकार म उस कछ न सझता था बस जीवन का आिार एक अमभलाषा थी एक सखद सवपन जो जीवन म न जान कब उसन दखा था एक बार कफर व ी सवपन दखना चा ता था कफर उसकी अमभलाषाओि का अदत ो जाएगा उस कोई इचछा न र गी सारा अनदत भववषय सारी अनदत धचिताए इसी क सवपन म लीन ो जाती थी
उसक रकषको को अब उसकी ओर स कोई शिका न थी उद उस पर दया आती थी रात को प र पर कवल एक आदमी र जाता था और लोग मीठन नीिद सोत थ कअर भाग सकता इसकी कोई समभावना कोई शिका न थी य ा तक कक एक हदन य मसपा ी भी ननशशिक ोकर बददक मलए लट र ा ननदरा ककसी ह िसक पश की भानत ताक लगाए बठन थी लटत ी टट पडी
कअर न मसपा ी की नाक की आवाज सनी उनका हदय बड वग स उछलन लगा य अवसर आज ककतन हदनो क बाद ममला था व उठ मगर पाव थर-थर काप र थ बरामद क नीच उतरन का सा स न ो सका क ीि इसकी नीिद खल गई तो ह िसा उनकी स ायता कर सकती थी मसपा ी की बगल म उसकी तलवार पडी थी पर परम का ह िसा स वर कअर न मसपा ी को जगा हदया व चौककर उठ बठा र ा-स ा सिशय भी उसक हदल स ननकल गया दसरी बार जो सोया तो खरामट लन लगा
कअर का पता न था
कअर इस समय वा क घोड पर सवार कलपना की दरतगनत स भागा जा र ा था उस सथान को ज ा उसन सख-सवपन दखा था
ककल क चारो ओर तलाश ई नायक न सवार दौडाए पर क ीि पता न चला
प ाडी रासतो का काटना कहठन उस पर अजञातवास की कद मतय क दत पीछ लग ए नजनस बचना मनशकल कअर को कामना-तीथम म म ीनो लग गए जब यातरा परी ई तो कअर म एक कामना क मसवा और कछ शष न था हदन-भर की कहठन यातरा क बाद जब व उस सथान पर प च तो सदया ो गई थी व ा बसती का नाम भी न था दो-चार टट ए झोपड उस बसती क धचहन-सवरप शष र गए थ व झोपडा नजसम कभी परम का परकाश था नजसक नीच उद ोन जीवन क सखमय हदन काट थ जो उनकी कामनाओि का आगार और उपासना का मनददर था अब उनकी अमभलाषाओि की भानत भनन ो गया था झोपड की भननावसथा मक भाषा म अपनी करण-कथा सना र ी थीि कअर उस दखत ी चददा-चददा पकारत ए दौड उद ोन उस रज को माथ पर मला मानो ककसी दवता की ववभनत ो और उसकी टटी ई दीवारो स धचपटकर बडी दर तक रोत र ाय र अमभलाषा व रोन ी क मलए इतनी दर स आए थ रोन की अमभलाषा इतन हदनो स उद ववकल कर र ी थी पर इस रदन म ककतना सवगीय आनदद था कया समसत सिसार का सख इन आसओि की तलना कर सकता था
तब व झोपड स ननकल सामन मदान पर एक वकष र-भर नवीन पललवो को गोद म मलए मानो उसका सवागत करन खडा था य व पौिा नजस आज स बीस वषम प ल दोनो न आरोवपत ककया था कअर उदमत की भानत दौड और जाकर उस वकष स मलपट गए मानो कोई वपता अपनी मात ीन पतर को छाती स लगाए ए ो य उसी परम की ननशानी उसी अकषय परम की जो इतन हदनो क बाद आज इतना ववशाल ो गया कअर का हदय ऐसा ो उठा मानो इस
वकष को अपन अददर रख लगा नजसस वा का झोका भी न लग उसक एक-एक पललव पर चददा की समनत बठन ई थी पकषकषयो का इतना रमय सिगीत कया कभी उद ोन सना था उनक ाथो म दम न था सारी द भख-पयास और थकान स मशधथल ो र ी थी पर व इस वकष पर चढ गए इतनी फती स चढ कक बददर भी न चढता सबस ऊची फनगी पर बठकर उद ोन चारो ओर गवमपणम दनष ट डाली य ी उनकी कामनाओि का सवगम था सारा दशय चददामय ो र ा था दर की नीली पवमत-शरिणयो पर चददा बठन गा र ी थी आकाश म तरन वाली लामलमापयी नौकाओि पर चददा ी उडी जाती थी सयम की श वत-पीत परकाश की रखाओि पर चददा ी बठन स र ी थी कअर क मन म आया पकषी ोता तो इ द ीि डामलयो पर बठा आ जीवन क हदन पर करता
जब अिरा ो गया तो कअर नीच उतर और उसी वकष क नीच थोडी-सी भमम झाडकर पनततयो की शयया बनाई और लट य ी उनक जीवन का सवगम-सवपन था आ व ी वरानय अब व इस वकष को छोडकर क ीि न जाएग हदलली क तखत क मलए भी व इस आशरम को न छोडग
उसी नसननि अमल चादनी म स सा एक पकषी आकर उस वकष पर बठा और ददम स डब ए सवर म गान लगा ऐसा जान पडा मानो व वकष मसर िन र ा व नीरव राबतर उस वदनामय सिगीत स ह ल उठन कअर का हदय इस तर ऐिठन लगा मानो व फट जाएगा सवर म करणा और ववयोग क तीर-स भर ए थ आ पकषी तरा भी जोडा अवशय बबछड गया न ीि तो तर राग म इतनी वयथा इतना ववषाद इतना रदन क ा स आता कअर क हदय क टकड ए जात थ एक-एक सवर तीर की भानत हदल को छद डालता था व बठ न र सक उठकर आतम-ववसमनत की दशा म दौड ए झोपड म गए व ा स कफर वकष क नीच आए उस पकषी को कस पाए क ीि हदखाई न ीि दता
पकषी का गाना बदद आ तो कअर को नीिद आ गई उद सवपन म ऐसा जान पडा कक व ी पकषी उनक समीप आया कअर न यान स दखा तो व पकषी न था चददा थी ा परतयकष चददा थी
कअर न पछा - चददा य पकषी य ा क ा
चददा न क ा - म ी तो व पकषी
कअर - तम पकषी ो कया तम ीि गा र ी थीि
चददा - ा वपरयतम म ी गा र ी थी इसी तर रोत-रोत एक यग बीत गया
कअर - तम ारा घोसला क ा
चददा - उसी झोपड म ज ा तम ारी खाट थी उसी खाट क बानो स मन अपना घोसला बनाया
कअर - और तम ारा जोडा क ा
चददा - म अकली चददा को अपन वपरयतम क समरण करन म उसक मलए रोन म जो सख व जोड म न ीि म इसी तर अकली मरगी
कअर - म कया पकषी न ीि ो सकता
चददा चली गई कअर की नीिद खल गई उषा की लामलमा आकाश पर छाई ई थी और व धचडडया कअर की शयया क समीप एक डाल पर बठन च क र ी थी अब उस सिगीत म करणा न थी ववलाप न था उसम आनदद था चापलय था सारलय था व ववयोग का करण-करि दन न ीि ममलन का मिर सिगीत था
कअर सोचन लग - इस सवपन का कया र सय
कअर न शयया स उठत ी एक झाड बनाई और झोपड को साफ करन लग उनक जीत जी इसकी य दशा न ीि र सकती व इसकी दीवार उठाएग इस पर छपपर डालग इस लीपग इसम उनकी चददा की समनत वास करती झोपड क एक कोन म व कावर रखी ई थी नजस पर पानी ला-लाकर व इस वकष को सीिचत थ उद ोन कावर उठा ली और पानी लान चल दो हदन स भोजन न ककया था रात को भख लगी ई थी पर इस समय भोजन की बबलकल इचछा न थी द म एक अद भत सफनतम का अनभव ोता था उद ोन नदी स पानी ला-लाकर ममटटी मभगोना शर ककया दौड जात थ और दौड आत थ इतनी शनकत उनम कभी न थी
एक ी हदन म इतनी दीवार उठ गई थी नजतनी चार मजदर भी न उठा सकत थ और ककतनी सीिी धचकनी दीवार थी कक कारीगर भी दखकर लनजजत ो जाता परम की शनकत अपार
सदया ो गई धचडडयो न बसरा मलया वकषो न भी आख बदद की मगर कअर को आराम क ा तारो क ममलन परकाश म ममटटी क रदद रख जा र थ ाय र कामना कया त उस बचार क पराण ी लकर छोडगी
वकष पर पकषी का मिर सवर हदखाई हदया कअर क ाथ स घडा छट पडा ाथ और परो म ममटटी लपटकर व वकष क नीच जाकर बठ गए उस सवर म ककतना लामलतय था ककतना उललास ककतनी जयोनत मानव-सिगीत इसक सामन बसरा अलाप था उसम य जागनत य अमत य जीवन क ा सिगीत क आनदद म ववसमनत पर व ववसमनत ककतनी समनतमय ोती अतीत को जीवन और परकाश स रिनजत करक परतयकष करन दन की शनकत सिगीत क मसवा और क ा कअर क हदय-नतरो क सामन व दशय खडा आ जब चददा इसी
पौि को नदी स जल ला-लाकर सीिचती थी ाय कया व हदन कफर आ सकत
स सा एक बटो ी आकर खडा ो गया और कअर को दखकर व ी परश न करन लगा जो सािारणतः दो अपररधचत परािणयो म आ करत - कौन ो क ा स आत ो क ा जाओग प ल व भी इसी गाव म र ता था पर जब गाव उजड गया तो समीप क एक दसर गाव म जा बसा था अब भी उसक खत य ा थ रात को जिगली पशओि स अपन खतो की रकषा क करन क मलए व आकर रोता था
कअर न पछा -तम मालम इस गाव म एक कवरमसि ठाकर र त थ
ककसान न बडी उतसकता स क ा - ा- ा भाई जानता कयो न ीि बचार य ीि तो मार गए तमस भी कया जान प चान थी
कअर - ा उन हदनो कभी-कभी आया करता था म भी राजा की सवा म नौकर था उनक घर म और कौन था
ककसान - अर भाई कछ न पछो बडी करण-कथा उनकी सतरी तो प ल ी मर चकी थी कवल लडकी बच र ी थी आ कसी सशील कसी सघड लडकी थी उस दखकर आखो म जयोनत आ जाती थी बबलकल सवगम की दवी जान पडती थी जब कवरमसि जीता था तभी कअर राजनाथ य ा भागकर आए थ और उसक य ा र थ उस लडकी की कअर स क ीि बातचीत ो गई जब कअर को शतरओि न पकड मलया तो चददा घर म अकली र गई गाव वालो न ब त चा ा कक उसका वववा ो जाए उसक मलए वरो का तोडा न था भाई ऐसा कौन था जो उस पाकर अपन को िदय न मानता पर व ककसी स वववा करन पर राजी न ई य पड जो तम दख र ो तब छोटा-सा पौिा था इसक आस-पास फलो की कई और कयाररया थीि इद ीि को गोडन ननरान सीिचन म उसका हदन कटता था बस य ी क ती थी कक मार कअर आत ोग
कअर की आखो स आसओि की वषाम ोन लगी मसाकफर न जरा दम लकर क ा - हदन-हदन घलती जाती थी तम ववश वास न आएगा भाई उसन दस साल इसी तर काट हदए इतनी दबमल ो गई थी कक प चानी न जाती थी पर अब भी उस कअर सा ब क आन की आशा बनी ई थी आिखर एक हदन इस वकष क नीच उसकी लाश ममली ऐसा परम कौन करगा भाई कअर न जान मर कक नजए कभी उद इस ववरह णी कक याद आ भी जाती कक न ीि पर इसन तो परम को ऐसा ननभाया जसा चाह ए
कअर को ऐसा जान पडा मानो हदय फटा जा र ा व कलजा थामकर बठ गए
मसाकफर क ाथ म एक सलगत आ उपला था उसन धचलम भरी और दो-चार दम लगाकर बोला - उसक मरन क बाद य घर धगर गया गाव प ल ी उजाड था अब तो और भी सनसान ो गया दो-चार आदमी य ा आ बठत थ अब तो धचडडया का पत भी य ा न ीि आता
उसक मरन क कई म ीन क बाद य ी धचडडया इस पड पर बोलती ई सनाई दी तब स बराबर इस य ा बोलत सनता रात को सभी धचडडया सो जाती
पर य रात-भर बोलती र ती इसका जोडा कभी न ीि हदखाई हदया बस
फटटल हदन-भर उसी झोपड म पडी र ती रात को इस पड पर आकर बठती मगर इस समय इसक गान म कछ और ी बात न ीि तो सनकर रोना आता ऐसा जान पडता मानो कोई कलज को मसोस र ा म तो कभी-कभी पड-पड रो हदया करता सब लोग क त कक य व ीि चददा अब भी कअर क ववयोग म ववलाप कर र ी मझ भी ऐसा जान पडता आज न जान कयो मनन
ककसान तमबाक पीकर सो गया कअर कछ दर तक खोए ए स खड र कफर िीर स बोल - चददा कया तम सचमत तम ीि ो मर पास कयो न ीि आती
एक कषण म धचडडया आकर उनक ाथ पर बठ गई चददरमा क परकाश म कअर न धचडडया को दखा ऐसा जान पडा मानो उसकी आख खल गई ो मानो आखो क सामन कोई आवरण ट गया ो पकषी क रप म भी चददा की मखाकनत अिककत थी
दसर हदन ककसान सोकर उठा तो कअर की लाश पडी ई थी
कअर अब न ीि ककदत उनक झोपड की दीवार बन गई ऊपर फस का नया छपपर पड गया और झोपड क दवार पर फलो की कई कयाररया लगी गाव क ककसान इसस अधिक और कया कर सकत थ
उस झोपड म अब पकषकषयो क एक जोड न अपना घोसला बनाया दोनो साथ-साथ दान-चार की खोज म जात साथ-साथ आत रात को दोनो उसी वकष की डाल पर बठ हदखाई दत उनका सरमय सिगीत रात की नीरवता म दर तक सनाई दता वन क जीव-जदत व सवगीय गान सनकर मनि ो जात
य पकषकषयो का जोडा कअर और चददा को जोडा इसम ककसी को सदद न ीि
एक बार एक वयाि न इन पकषकषयो को फसाना चा ा पर गाव वालो न उस मारकर भगा हदया
सती
दो शताबदी स अधिक बीत गए पर धचितादवी का नाम चला आता बिदलखड क एक बी ड सथान म आज भी मिगलवार को स सरो सतरी-परष धचितादवी की पजा करन आत उस हदन य ननजमन सथान स ान गीतो म गज उठता टील और टोकर रमिणयो क रिग-बबरिग वसतरो स सशोमभत ो जात दवी का मनददर एक ब त ऊच टील पर बना आ उसक कलश पर ल राती ई लाल पताका ब त दर स हदखाई दती मनददर इतना छोटा कक उसम मनशकल स एक साथ दो आदमी समा सकत भीतर कोई परनतमा न ीि कवल एक छोटी-सी वदी बनी ई नीच स मनददर तक पतथर का जीना भीड-भाड स िकका खाकर कोई नीच न धगर पड इसमलए जीन की दीवार दोनो तरफ स बनी ई य ीि धचितादवी सती ई थी पर लोकरीनत क अनसार व अपन मत-पनत क साथ धचता पर न ीि बठन थी उसका पनत ाथ जोड सामन खडा था पर व उसकी ओर आख उठाकर भी न दखती थी व पनत-शरीर क साथ न ीि उसकी आतमा क साथ सती ई उस धचता पर पनत का शरीर न थीि उसकी मयामदा भससीभत ो र ी थी
यमना तट पर कालपी एक छोटा-सा नगर धचिता उसी नगर क एक वीर बिदल की कदया थी उसकी माता उसकी बालयावसथा म ी परलोक मसिार गई थी उसक पालन-पोषण का भार वपता पर पडा सिगराम का समय था योदधाओि को कमर खोलन की भी फसमत न ममलती थी व घोड की पीठ पर भोजन करत और उसी पर बठ-बठ झपककया ल लत थ धचिता का बालयकाल वपता क साथ समरभमम म कटा बाप उस ककसी खो म या वकष की आड म नछपाकर मदान म चला जाता धचिता ननशशिक भाव स बठन ई ममटटी क ककल बनाती और बबगाडती उसक घरौद थ उसकी गडडया ओढनी न ओढती थीि व मसपाह यो क गडड बनाती और उद रण-कषतर म खडा करती थी कभी-कभी उसका वपता सदया समय भी न लौटता पर धचिता को भय छ तक न गया था ननजमन सथान पर भखी-पयासी रात-रात-भर बठन र जाती उसन नवल और मसयार की
क ाननया कभी न सनी थी वीरो क आतमोतसगम की क ाननया और व भी योदधाओि क म स सन-सनकर व आदशमवाहदनी बन गई थी
एक बार तीन हदन तक धचिता को अपन वपता की खबर न ममली व एक प ाडी की खो म बठन मन- ी-मन एक ऐसा ककला बना र ी थी नजस शतर न जान सक हदन भर व उसी ककल का नकशा सोचती और रात को उसी ककल का सवपन दखती तीसर हदन सदया समय उसक वपता क साधथयो न आकर उसक सामन रोना शर ककया धचिता न ववनसमत ोकर पछा - दादाजी क ा
तम लोग कयो
ककसी न इसका उततर न हदया व जोर स िाड मार-मारकर रोन लग धचिता समझ गई कक उसक वपता न वीरगनत पाई उस तर वषम की बामलका की आखो स आस की एक बद भी न धगरी मख जरा भी ममलन न आ एक आ भी न ननकली सकर बोली - वीरगनत पाई तो तम लोग रोत कयो ो योदधाओि क मलए इसस बढकर और कौन मतय ो सकती इसस बढकर उनकी वीरता का और कया परसकार ममल सकता य रोन का न ीि आनदद मनान का अवसर
एक मसपा ी न धचिनतत सवर म क ा - म तम ारी धचिता तम अब क ा र ोगी
धचितादवी न गमभीरता स क ा - इसकी तम कछ धचिता न करो दादा म अपन बाप की बटी जो कछ उद ोन ककया व ी म भी करगी अपनी मातभमम को शतरओि क पिज स छटान म उद ोन पराण द हदए मर सामन भी व ी आदशम जाकर अपन आदममयो को समभामलए मर मलए एक घोडा और धथयारो का परबदि कर दीनजए ईश वर न चा ा तो आप लोग मझ ककसी स पीछ न पाएग
लककन यहद मझ टत दखना तो तलवार स एक ाथ स इस जीवन का अदत कर दना य ी मरी आपस ववनय जाइए अब ववलमब न कीनजए
मसपाह यो को धचिता क य वीर-वचन सनकर कछ भी आश चयम न ीि आ ा उद य सदद अवशय आ कक कया कोमल बामलका अपन सिकलप पर दढ र सकगी
पाच वषम बीत गए समसत परादत म धचितादवी की िाक बठ गई शतरओि क कद उखड गए व ववजय की सजीव मनतम थी उस तीरो और गोमलयो क सामन ननशशिक खड दखकर मसपाह यो को उततजना ममलती र ती थी उसक सामन व कस कदम पीछ टात कोमलािगी यवती आग बढ तो कौन परष पीछ टगा सददररयो क सममख योदधाओि की वीरता अजय ो जाती रमणी क वचन-बाण योदधाओि क मलए आतम-समपमण क गप त सददश उसकी एक धचतवन कायरो म भी परषतव परवाह त कर दती धचदता की छवव-कीनतम न मनचल सरमाओि को चारो और स खीिच-खीिचकर उसकी सना को सजा हदया जान पर खलन वाल भौर चारो ओर स आ-आकर इस फल पर मिडरान लग
इद ीि योदधाओि म रत नमसि नाम का एक यवक राजपत भी था
यो तो धचदता क सननको म भी सभी तलवार क िनी थ बात पर जान दन वाल उसक इशार पर आग म कदन वाल उसकी आशा पाकर एक बार आकाश क तार तोड लान को भी चल पडत ककदत रत नमसि सबस बढा आ था धचदता भी हदय म उसस परम करती थी रत नमसि अदय वीरो की भानत अकखड म फट या घमिडी न था और लोग अपनी-अपनी कीनतम को बढा-बढाकर बयान करत आतम-परशिसा करत ए उनकी जबान न रकती थी व जो कछ करत धचदता को हदखान क मलए उनका यय अपना कतमवय न था धचदता थी रतऩमसि जो कछ करता शादत भाव स अपनी परशिसा करना तो दर व चा तो कोई शर ी कयो न मार आए उसकी चचाम तक न करता उसकी ववनयशीलता और नमरता सिकोच की सीमा स मभड गई थी औरो क परम म ववलास था पर रत नमसि क परम म तयाग और तप और लोग मीठन नीिद सोत थ पर रत नमसि तार धगन-धगनकर रात काटता था और सब अपन हदल म समझत थ कक धचदता मरी ोगी कवल
रत नमसि ननराश था और इसमलए उस ककसी स न दवष था न राग औरो को धचदता क सामन च कत दखकर उस उसकी वाकपटता पर आश चयम ोता परनतकषण उसका ननराशादिकार और भी घना ो जाता था कभी-कभी व अपन बोदपन पर झझला उठता कयो ईश वर न उस उन गणो स विधचत र ा जो रमिणयो क धचतत को मोह त करत उस कौन पछगा उसकी मनोदशा कौन जानता पर व मन म झझलाकर र जाता था हदखाव की उसकी सामथयम ी न थी
आिी स अधिक रात बीत गई थी धचिता अपन खम म ववशराम कर र ी थी सननकगण भी कडी मिनजल मारन क बाद कछ खा-पीकर गाकफल पड ए थ आग एक घना जिगल था जिगल क उस पार शतरओि का एक दल डरा डाल पडा था धचदता उसक आन की खबर पाकर भागी-भागी चली र ी थी उसन परातःकाल शतरओि पर िावा करन का ननश चय कर मलया था उस ववश वास था कक शतरओि को मर आन की खबर न ोगी ककदत य उसका भरम था उसी की सना का एक आदमी शतरओि स ममला आ था य ा की खबर व ा ननतय प चती र ती थी उद ोन धचदता स नननश चित ोन क एक षडयदतर रच रखा था उसी गप त तया क मलए तीन सा सी मसपाह यो को ननयकत कर हदया था व तीनो ह िसर पशओि की भानत दब पाव जिगल को पार करक आए और वकषो की आड म खड ोकर सोचन लग कक धचदता का खमा कौन-सा सारी सना ब-खबर सो र ी थी इसस उद अपन कायम की मसवदध म लशमातर सदद न था व वकषो की आड स ननकल और जमीन पर मगर की तर रगत ए धचदता क खम की ओर चल
सारी सना बखबर सो र ी थी प र क मसपा ी थककर चर ो जान क कारण ननदरा म मनन ो गए थ कवल एक पराणी खम क पीछ मार ठिड क मसकडा आ बठा था य ी रत नमसि था आज उसन य कोई नयी बात न की थी पडावो म उसकी रात इसी भानत धचदता क खम क पीछ बठ-बठ कटती थीि
घातको की आ ट पाकर उसन तलवार ननकाल ली और चौककर उठ खडा आ दखा - तीन आदमी झक ए चल आ र अब कया कर अगर शोर मचाता तो सना म खलबली पड जाए और अिर मि लोग एक-दसर पर वार करक आपस म ी कट मर इिर अकल तीन जवानो स मभडन म पराणो का भय था अधिक सोचन का मौका न था उसम योदधाओि की अववलमब ननश चय कर लन की शनकत थी तरदत तलवार खीिच ली और उन तीनो पर टट पडा कई ममनटो तक तलवार छपाछप चलती र ीि कफर सदनाटा छा गया उिर व तीनो आ त ोकर धगर पड इिर य भी जखमो स चर ोकर अचत ो गया
परातःकाल धचदता उठन तो चारो जवानो को भमम पर पड पाया उसका कलजा िक स ो गया समीप जाकर दखा - तीनो आकरमणकाररयो क पराण ननकल चक थ पर रत नमसि की सास चल र ी थी सारी घटना समझ म आ गई नारीतव न वीरतव पर ववजय पाई नजन आखो स वपता की मतय पर आस की एक बद भी न धगरी थी उद ीि आखो स आसओि की झडी लग गई उसन रत नमसि का मसर अपनी जाि पर रख मलया और हदयािगण म रच ए सवयिवर म उसक गल म जयमाल डाल दी
म ीन-भर न रत नमसि की आख खली और न धचदता की आख बदद ई धचदता उसक पास स एक कषण क मलए भी न जाती न अपन इलाक की परवा थी न शतरओि क बढत चल आन की कफकर रत नमसि की आख खली दखा - चारपाई पडी ई और धचदता सामन पिखा मलए खडी कषीण सवर म बोला - धचदता पिखा मझ द दो तम कष ट ो र ा
धचदता का हदय इस समय सवगम क अखिड अपार सख का अनभव कर र ा था एक म ीना प ल नजस जीणम शरीर क मसर ान बठन ई व नराशय स रोया करती थी उस आज बोलत दखकर आहदाद का पारावा न था उसन सन -मिर सवर म क ा - पराणनाथ यहद य कष ट तो सख कया म न ीि जानती
पराणनाथ - इस समबोिन म ववलकषण मितर की-सी शनकत थी रत नमसि की आख चमक उठनि जीणम मदरा परदीप त ो गई नसो म एक नए जीवन का सिचार ो उठा और व जीवन ककतना सफनतममय था उसम ककतना माियम ककतना उललास और ककतनी करणा थी रत नमसि क अिग-अिग फडकन लग उस अपनी भजाओि म आलौककक पराकरम का अनभव ोन लगा ऐसा जान पडा मानो व सार सिसार को सर कर सकता उडकर आकाश पर प च सकता पवमतो को चीर सकता एक कषण क मलए उस ऐसी तनप त ई मानो उसकी सारी अमभलाषाए परी ो गई और व उस ककसी स कछ न ीि चा ता शायद मशव को सामन खड दखकर भी व म फर लगा कोई वरदान न मागगा उस अब ककसी ऋवदध की ककसी पदाथम की इचछा न थी उस गवम ो र ा था मानो उसस अधिक सखी उसस अधिक भानयशाली परष सिसार म और कोई न ोगा
रत नमसि न उठन की चष टा करत ए क ा - बबना तप क मसवदध न ीि ममलती
धचदता अभी अपना वाकय परा भी न कर पाई थीि कक उसी परसिग म बोली - ा आपको मर कारण अलबतता दसस यातना भोगनी पडी
धचदता न रत नमसि को कोमल ाथो स मलटात ए क ा - इस मसवदध क मलए तमन तपसया न ीि की थी झठ कयो बोलत ो तम कवल एक अबला की रकषा कर र थ यहद मरी जग कोई दसरी सतरी ोती तो भी तम इतन ी पराणपण स उसकी रकषा करत मझ इसका ववश वास म तमस सतय क ती मन आजीवन बरहमचाररणी र न का परण मलया था लककन तम ार आतमोतसगम न मर परण को तोड डाला मरा पालन योदधाओि की गोद म आ मरा हदय उसी परष मसि क चरणो पर अपमण ो सकता जो पराणो की बाजी खल सकता ो रमसको का ास-ववलास गिडो क रप-रिग और फकतो स दाव-घात का मरी दनष ट म रतती-भर भी मलय न ीि उसनी नट-ववदया को म कवल तमाश की तर दखती तम ार हदय म मन सचचा उतसगम पाया और तम ारी दासी ो गई आज स न ीि ब त हदनो स
परणय की प ली रात थी चारो ओर सदनाटा था कवल दोनो परममयो क हदयो म अमभलाषाए ल रा र ी थीि चारो ओर अनरागमयी चादनी नछटकी ई थी औऱ उसकी ासयमयी छटा म वर-वि परमालाप कर र थ
स सा खबर आई कक शतरओि की एक सना ककल की ओर बढी चली आती धचदता चौक पडी रत नमसि खडा ो गया और खटी स लटकती ई तलवार उतार ली
धचदता न उसकी ओर कातर-सन की दनष ट स दखकर क ा - कछ आदममयो को उिर भज दो तम ार जान की कया जररत
रत नमसि न बददक कदि पर रखत ए क ा - मझ भय कक अबकी व लोग बडी सखया म आ र
धचदता - तो म भी चलगी
न ीि मझ आशा व लोग ठ र न सक ग म एक ी िाव म उनक कदम उखाड दगा य ईश वर की इचछा कक मारी परणय-रानत ववजय-राबतर ो
न-जान कयो मन कातर ो र ा जान दन को जी न ीि चा ता
रत नमसि न इस सरल अनरकत आगर स ववह वल ोकर धचदता को गल लगा मलया और बोल - म सवर तक लौट आऊगा वपरय
धचदता पनत क गल म ाथ डालकर आखो म आस भर ए बोली - मझ भय तम हदनो म लौटोग मरा मन तम ार साथ र गा जाओ पर रोज खबर भजत र ना तम ार परो पडती अवसर का ववचार करक िावा करना तम ारी आदत कक शतर को दखत ी आकल ो जात ो और जान पर खलकर टट
पडत ो तमस मरा य ी अनरोि कक अवसर दखकर काम करना जाओ नजस तर पीठ हदखात ो उसी तर म हदखाओ
धचदता का हदय कातर ो र ा था व ा प ल कवल ववजय-लालसा का आधिपतय था अब भोग-ववलास की परिानता थी व ी वीर बाला जो मसि नी की तर गरजकर शतरओि क कलज को कपा दती थी आज इतनी दबमल ो र ी थी कक जब रत नमसि घोड पर सवार आ तो आप उसकी कशल-कामना स मन- ी-मन दवी की मनौनतया कर र ी थी जब तक व वकषो की ओट म नछप न गया व खडी दखती र ी कफर व ककल क सबस ऊच बजम पर चढ गई और घदटो उसी तरफ ताकती र ी व ा शदय था प ाडडयो न कभी का रत नमसि को अपनी ओट म नछपा मलया था पर धचदता को ऐसा जान पडा था कक व सामन चल जा र जब ऊषा की लोह त छवव वकषो की आड स झाकन लगी तो उसकी मो ववसमनत टट गई मालम आ चारो तरफ शदय व रोती ई बजम स उतरी और शयया पर म ढापकर रोन लगी
रत नमसि क साथ मनशकल स सौ आदमी थ ककदत सभी मिज ए अवसर और सिखया को तचछ समझन वाल अपनी जान क दशमन वीरोललास स भर ए
एक वीर-रस-पणम पद गात ए घोडो को बढाए चल जात थ -
बाकी तरी पाग मसपा ी इसकी रखना लाज
तग-तवर कछ काम न आए बखतर-ढाल वयथम ो जाव
रिखयो मन म लाग मसपा ी बाकी तरी पाग
इसकी रखना लाज मसपा ी इसकी रखना लाज
प ाडडया इन वीर-सवरो स गज र ी थीि घोडो की टाप ताल द र ीथी य ा तक कक रात बीत गई सयम न लाल आख खोल दी और इन वीरो पर अपनी सवणम-छटा की वषाम करन लगा
व ी रकतमय परकाश म शतरओि की सना एक प ाडी पर पडाव डाल ए नजर आई
रत नमसि मसर झकाए ववयोग-वयधथत हदय को दबाए मदद गनत स पीछ-पीछ चला जाता था कदम आग बढता था पर मन पीछ टता आज जीवन म प ली बार दनश चिताओि न उस आशिककत कर रखा था कौन जानता लडाई का अदत कया ोगा नजस सवगम-सख को छोडकर व आया था उसकी समनतया र -र कर उसक हदय को मसोस र ी थीि धचिता की सजल आख याद आती थीि और जी चा ता था घोड की रास पीछ मोड द परनतकषण रणोतसा कषीण ोता जाता था
स सा एक सरदार न समीप आकर क ा - भया य दखो ऊची प ाडी पर शतर डरा डाल पड तम ारी कया राय मारी तो य इचछा कक तरदत उन पर िावा कर द गाकफल पड ए भाग खड ोग दर करन स व भी समभल जाएग और तब मामला और नाजक ो जाएगा एक जार स कम न ोग
रत नमसि न धचिनतत नतरो स शतर-दल की ओर दखकर क ा - ा मालम तो ोता
मसपा ी - तो िावा कर हदया जाए न
रत नमसि - जसी तम ारी इचछा सिखया अधिक य सोच लो
मसपा ी - इसकी परवा न ीि म इसस बडी सनाओि को परासत कर चक
रत नमसि - य सच पर आग म कदना ठनक न ीि
मसपा ी - भया तम क त कया ो मसपा ी का तो जीवन ी आग म कदन क मलए तम ार कम की दर कफर मारा जीवट दखना
रत नमसि - अभी म लोग ब त थक ए जरा ववशराम कर लना अचछा
मसपा ी - न ीि भया उन सबको मारी आ ट ममल गई तो गजब ो जाएगा
रत नमसि - तो कफर िावा ी कर दो
एक कषण म योदधाओि न घोडो की बाग उठा ली और असतर समभाल ए शतर सना पर लपक ककदत प ाडडयो पर प चत ी इन लोगो न उसक ववषय म जो अनमान ककया था व ममथया था व सजग ी न थ सवयि ककल पर िावा करन की तयाररया भी कर र थ इन लोगो न जब उद सामन आत दखा तो समझ गए कक भल ई लककन अब सामना करन क मसवा चारा ी कया था कफर भी व ननराश न थ रत नमसि जस कशल योदधा क साथ उद कोई शिका न थी व इसस भी कहठन अवसरो पर अपन रण-कौशल स ववजय-लाभ कर चका था कया आज व अपना जौ र न हदखाएगा सारी आख रत नमसि को खोज र ी थीि पर उसका व ा क ीि पता न था क ा चला गया य कोई न जानता था
पर व क ीि न ीि जा सकता अपन साधथयो को इस कहठन अवसथा म छोडकर व क ीि न ीि जा सकता समभव न ीि अवशय ी व य ीि और ारी ई बाजी को नजतान की कोई यनकत सोच र ा
एक कषण म शतर इनक सामन आ प च इतनी ब सिखयक सना क सामन य मिी-भर आदमी कया कर सकत थ चारो ओर स रत नमसि की पकार ोन लगी - भया तम क ा ो म कया कम दत ो दखत ो व लोग सामन आ प च पर तम अभी मौन खड ो सामन आकर म मागम हदखाओ मारा उतसा बढाओ
पर अब भी रत नमसि न हदखाई हदया य ा तक कक शतर-दल मसर पर आ प चा और दोनो दलो म तलवार चलन लगी बिदलो क पराण थली पर लकर लडना शर ककया पर एक को एक ब त ोता एक और दस का मकाबला ी कया
य लडाई न थी पराणो का जआ था बिदलो म ननराशा का अलौककक बल था खब लड पर कया मजाल कक कदम पीछ ट उनम अब जरा भी सिगठन न था नजसस नजतना आग बढत बना बढा अदत कया ोगा इसकी कोई धचदता न थी कोई तो शतरओि क सफ चीरता आ सनापनत क समीप प च गया कोई उनक ाथी पर चढन की चष टा करत मारा गया उनका अमानवषक सा स दखकर शतरओि क म स वा -वा ननकलती थी लककन ऐस योदधाओि न नाम पाया ववजय न ीि पाई एक घदट म रिगमिच का पदाम धगर गया तमाशा खतम ो गया एक आिी थी जो आई और वकषो को उखाडती ई चली गई सिगहठत र कर य मिी-भर आदमी दशमनो क दात खटट कर दत पर नजस पर सिगठन का भार था उसका क ीि पता न था ववजयी मरा ठो न एक-एक लाश यान स दखी रत नमसि उनकी आखो म खटकता था उसी पर उसी पर उनक दात लग थ रत नमसि क जीत-जी उद नीिद न आती थी लोगो न प ाडी की एक-एक चटटान का मिथन कर डाला पर रत नमसि न ाथ आया ववजय ई पर अिरी
धचदता क हदय म आज न जान कयो भानत-भानत की शिकाए उठ र ी थीि व कभी इतनी दबमल न थी बिदलो की ार ी कयो ोगी इसका कोई कारण तो व न बता सकती थी पर य भावना उसक ववकल हदय स ककसी तर न ननकलती थी उस अभाधगन क भानय म परम का सख भोगना मलखा ोता तो कया बचपन म मा मर जाती वपता क साथ वन-वन घमना पडता खो ो और कि दराओि म र ना पडता और व आशरम भी तो ब त हदन न र ा वपता भी म मोडकर चल हदए तब स उस एक हदन भी तो आराम स बठना नसीब न आ वविाता कया अब अपना करर कौतक छोड दगा आ उसक दबमल हदय म इस समय एक ववधचतर भावना उतपदन ई - ईश वर उसक वपरयतम को आज सकशल लाए
तो व उस लकर ककसी दर गाव म जा बसगी पनतदव की सवा और आरािना म जीवन सफल करगी इस सिगराम स सदा क मलए म मोड लगी आज प ली बार नारीतव का भाव उसक मन म जागरत आ
सदया ो गई थी सयम भगवान ककसी ार ए मसपा ी की भानत मसतक झकात ए कोई आड खोज र थ स सा एक मसपा ी निग मसर पाव ननरसतर उसक सामन आकर खडा ो गया धचदता पर वरजपात ो गया एक कषण तक ममाम त-सी बठन र ी कफर उठकर घबराई ई सननक क पास आई और आतर सवर म पछा - कौन-कौन बचा
सननक न क ा - कोई न ीि
कोई न ीि कोई न ीि
धचदता मसर पकडकर भमम पर बठ गई सननक न कफर क ा - मरा ठ समीप आ प च
समीप आ प च
ब त समीप
तो तरदत धचता तयार करो समय न ीि
अभी म लोग तो मसर कटान को ानजर ी
तम ारी जसी इचछा मर कतमवय का तो य ी अदत
ककला बदद करक म म ीनो लड सकत
तो जाकर लडो मरी लडाई अब ककसी स न ीि
एक ओर अदिकार परकाश को परो-तल कचलता चला आता था दसरी ओर ववजयी मरा ठ ल रात ए खतो और ककल म धचता बन र ी थी जयो ी दीपक जल धचता म भी आग लगी सती धचदता सोल ो शिगार ककए अनपम छवव हदखाती ई परसदन-मख अननन-मागम स पनतलोक की यातरा करन जा र ी थी
धचता क चारो ओर सतरी और परष एकबतरत थ शतरओि न ककल को घर मलया इसकी ककसी क कफकर न थी शोक और सदतोष स सबक च र उदास और मसर झक ए थ अभी कल इसी आगन म वववा का मिडप सजाया गया था ज ा इस समय धचता सलग र ी व ीि वन-कि ड थी कल भी इसी भानत अननन की लपट उठ र ी थी इसी भानत लोग जमा थ पर आज और कल क दशयो म ककतना अदतर ा सथल नतरो क मलए अदतर ो सकता पर वासतव म य उसी यजञ की पणाम नत उसी परनतजञा का पालन
स सा घोड की टापो की आवाज सनाई दन लगीि मालम ोता था कोई मसपा ी घोड को सरपट भगाता आ आ र ा एक कषण म टापो की आवाज बदद ो गई और एक सननक आगन म दौडता आ आ प चा लोगो न चककत ोकर दखा य रत नमसि था
रत नमसि धचिता क पास जाकर ाफता आ बोला - वपरय म तो अभी जीववत
य तमन कया कर डाला
धचता म आग लग चकी थी धचदता की साडी स अननन की जवाला ननकल र ी थी रत नमसि उदमतत की भानत धचता म घस गया और धचदता का ाथ पकडकर उठान लगा लोगो न चारो स लपक-लपककर धचता की लकडडया टानी शर कीि पर धचदता न पनत की ओर आख उठाकर न दखा कवल ाथो स ट जान का सिकत ककया
रत नमसि मसर पीटकर बोला - ाय वपरय तम कया ो गया मरी ओर दखती कयो न ी म तो जीववत
धचता स आवाज आई - तम ारा नाम रत नमसि पर तम मर रत नमसि न ीि ो
तम मरी तरफ दखो तो म ी तम ारा दास तम ारा उपासक तम ारा पनत
मर पनत न वीर-गनत पाई
ाय कस समझाऊ अर लोगो ककसी भानत अननन को शादत करो म रत नमसि ी वपरय कया मझ प चानती न ीि ो
अननन-मशखा धचदता क मख तक प च गई अननन म कमल िखल गया धचदता सपष ट सवर म बोली - खब प चानती तम मर रत नमसि न ीि मरा रत नमसि सचचा शर था व आतमरकषा क मलए इस तचछ द को बचान क मलए अपन कषबतरय-िमम का पररतयान न कर सकता था म नजस परष क चरणो की दासी बनी थी व दवलोक म ववराजमान रत नमसि को बदनाम मत करो व वीर राजपत था रणकषतर स भागन वाला कायर न ीि
अनदतम शबद ननकल ी थ कक अननन की जवाला धचदता क मसर क ऊपर जा प ची कफर एक कषण म व अनपम रप-रामश व आदशम वीरता की उपामसका व सचची सती अननन-रामश म ववलीन ो गई
रत नमसि चपचाप तबवदध-सा खडा य शोकमय दशय दखता र ा कफर अचानक एक ठिडी सास खीिचकर उसी धचता म कद पडा
ह सा परमोधमम
दननया म कछ ऐस लोग ोत जो ककसी क नौकर न ोत ए सबक नौकर ोत नजद कछ अपना खास काम ोन पर भी मसर उठान की फरसत न ीि ोती जाममद इसी शरणी क मनषयो म था बबलकल बकिक न ककसी स दोसती न ककसी स दशमनी जो जरा सकर बोला उसका बदाग का गलाम ो गया ब-काम का काम करन म उस मजा आता था गाव म कोई बीमार पड व रोगी की सवा-शशरषा क मलए ानजर कह ए तो आिी रात को कीम क घर चला जाए ककसी जडी-बटी की तलाश म मिनजलो का खाक छान आए ममककन न ता कक ककसी गरीब पर अतयाचार ोत दख और चप र जाए कफर चा कोई उस मार ी डाल व ह मायत करन स बाज न आता था ऐस सकडो ी मौक उसक सामन आ चक थ कािसटबल स आए हदन उसकी छडछाड ी र ती थी इसमलए लोग उस बौडम समझत थ और बात भी य ी थी जो आदमी ककसी को बोझ भारी दखकर उसस छननकर अपन मसर पर ल ल ककसी का छपपर उठान या आग बझान क मलए कोसो दौडा चला जाए उस समझदार कौन क गा सारािश य कक उसकी जात स दसरो को चा ककतना ी फायदा प च अपना कोई उपकार न था य ा तक कक व रोहटयो क मलए भी दसरो का म ताज था दीवाना तो व था और उसका गम दसर खात थ
आिखर जब लोगो न ब त धिककारा -कयो अपना जीवन नष ट कर र ो तम दसरो क मलए मरत ो कोई तम ारा भी पछन वाला अगर एक हदन बीमार पड जाओ तो कोई चलल-भर पानी न द जब तक दसरो की सवा करत ो लोग खरात समझकर खान को द दत नजस हदन आ पडगी कोई सीि म बात भी न करगा तब जाममद की आख खली बतमन-भािडा कछ था ी न ीि एक हदन उठा और एक तरफ की रा ली दो हदन क बाद एक श र म प चा श र ब त बडा था म ल आसमानो स बात करन वाल सडक चौडी और साफ
बाजार गलजार मसनजदो और मनददरो की सिखया अगर मकानो स अधिक न थी
तो कम भी न ीि द ात म कोई मसनजद न थी न कोई मनददर मसलमान लोग एक चबतर पर नमाज पढ लत थ ह दद एक वकष क नीच पानी चढा हदया करत थ नगर म िमम का य मा ातय दखकर जाममद को बडा कौत ल और आनदद आ उसकी दनष ट स मज ब का नजतना सममान था उतना और ककसी सािसाररक वसत का न ीि
व सोचन लगा - य लोग ककतन ईमान क पकक ककतन सतयवादी इनम ककतनी दया ककतना वववक ककतनी स ानभनत ोगी तभी तो खदा न इद इतना माना व र आन-जान वाल को शरदधा की दनष ट स दखता और उसक सामन ववनय स मसर झकाता था य ा क सभी पराणी उस दवता-तलय मालम ोत थ
घमत-घमत साझ ो गई व थककर एक मनददर क चबतर पर जा बठा मनददर ब त बडा था ऊपर सन ला कलश चमक र ा था जगमो न पर सिगमरमर क चौक जड ए थ मगर आगन म जग -जग गोबर और कडा पडा था जाममद को गिदगी स धचढ थी दवालय की य दशा दखकर उसस न र ा गया इिर-उिर ननगा दौडाई कक क ीि झाड ममल जाए तो साफ कर द पर झाड क ीि नजर न आई वववश ोकर उसन दामन स चबतर को साफ करना शर कर हदया
जरा दर म भकतो का जमाव ोन लगा उद ोन जाममद को चबतरा साफ करत दखा तो आपस म बात करन लग -
तो मसलमान
म तर ोगा
न ीि म तर अपन दामन स सफाई न ीि करता कोई पागल मालम ोता
उिर का भहदया न ो
न ीि च र स तो बडा गरीब मालम ोता
सन ननजामी का कोई मरीद ोगा
अजी गोबर क लालच स सफाई कर र ा कोई भहठयाया ोगा गोबर न ल जाना ब समझा क ा र ता
परदशी मसाकफर सा ब मझ गोबर लकर कया करना ठाकरजी का मनददर दखा तो आकर बठ गया कडा पडा आ था मन सोचा - िमामतमा लोग आत ोग सफाई करन लगा
तम तो मसलमान ो न
ठाकरजी तो सबक ठाकरजी - कया ह दद कया मसलमान
तम ठाकरजी को मानत ो
ठाकरजी को कौन न मानगा सा ब नजसन पदा ककया उस न मानगा तो ककस मानगा
भकतो म सला ोन लगी -
द ाती
फास लना चाह ए जान न पाए
जाममद फास मलया गया उसका आदर-सतकार ोन लगा एक वादार मकान रखन को ममला दोनो वकत उततम पदाथम खान को ममलन लग दो-चार आदमी
रदम उस घर र त जाममद को भजन खब याद थ गला भी अचछा था व रोज मनददर म जाकर कीतमन करता भनकत क साथ सवर-लामलतय भी ो तो कफर कया पछना लोगो पर उसक कीतमन का बडा असर पडता ककतन ी लोग सिगीत को लोभ स ी मनददर आन लग सबको ववश वास ो गया कक भगवान न य मशकार चनकर भजा
एक हदन मनददर म ब त-स आदमी जमा ए आगन म फशम बबछाया गया जाममद का मसर मडा हदया गया नए कपड प नाए वन आ जाममद क ाथो ममठाई बाटी गई व अपन आशरयदाताओि की उदारता और िममननष ठा का और भी कायल ो गया य लोग ककतन सजजन मझ जस फट ाल परदशी क इतनी खानतर इसी को सचचा िमम क त जाममद को जीवन म कभी इतना सममान न ममला था य ा व ी सलानी यवक नजस लोग बौडम क त थ भकतो का मसरमौर बना आ था सकडो ी आदमी कवल उसक दशमन को आत थ उसकी परकािड ववदवता की ककतनी ी कथाए परचमलत ो गई पतरो म य समाचार ननकला कक एक बड आमलम मौलवी सा ब की शवदध ई सीिा-सादा जाममद इस सममान का र सय कछ न समझता था ऐस िममपरायण सहदय परािणयो क मलए व कया कछ न करता व ननतय पजा करता भजन गाता था उसक मलए य कोई नई बात न थी अपन गाव म भी व बराबर सतयनारायण की कथा म बठा करता था भजन-कीतमन ककया करता था अदतर य ी था कक द ात म उसकी कदर न थी य ा सब उसक भकत थ
एक हदन जाममद कई भकतो क साथ बठा आ कोई पराण पढ र ा था तो कया दखता कक सामन सडक पर एक बमलष ठ यवक माथ पर नतलक लगाए
जनऊ प न एक बढ दबमल मनषय को मार र ा बडढा रोता धगडधगडाता और परो पड-पड क क ता कक म ाराज मरा कसर माफ करो ककदत नतलकिारी यवक को उस पर जरा भी दया न ीि आती जाममद का रकत खौल उठा ऐस दशय दखकर व शादत न बठ सकता था तरदत कदकर बा र
ननकला और यवक क सामन आकर बोला - बडढ को कयो मारत ो भाई
तम इस पर जरा भी दया न ीि आती
यवक - म मारत-मारत इसकी डडडया तोड दगा
जाममद - आिखर इसन कया कसर ककया कछ मालम भी तो ो
यवक - इसकी मगी मार घर म घस गई थी सारा घर गददा कर आई
जाममद - तो कया इसन मगी को मसखा हदया था कक तम ारा घर गददा कर आए
बडढा - खदाबदद म तो उस बराबर खािच म ढािक र ता आज गफलत ो गई क ता म ाराज कसर माफ करो मगर न ीि मानत जर मारत-मारत अिमरा कर हदया
यवक- अभी न ीि मारा अब मारगा खोदकर गाड दगा
जाममद - खोदकर गाड दोग भाई सा ब तो तम भी यो न खड र ोग समझ गए अगर कफर ाथ उठाया तो अचछा न ोगा
जवान को अपनी ताकत का नशा था उसन कफर बडढ को चाटा लगाया पर चाटा पडन क प ल ी जाममद न उसकी गदमन पकड ली दोनो म मलल-यदध ोन लगा जाममद करारा जवान था यवक को पटकनी दी तो चारो खान धचतत धगर पडा उसका धगरना था कक भकतो का समदाय जो अब तक मनददर म बठा तमाशा दख र ा था लपक पडा और जाममद पर चारो तरफ स चोट पडन लगी जाममद की समझ म न आता था कक लोग मझ कयो मार र कोई कछ न ीि पछता नतलकिारी जवान को कोई कछ न ीि क ता बस जो आता मझी पर ाथ साफ करता आिखर व बदम ोकर धगर पडा तब लोगो म बात ोन लगी
दगा द गया
ित तरी जात की कभी मलचछो स भलाई की आशा न रखनी चाह ए कौआ कौओि ी क साथ ममलगा कमीना जब करगा कमीनापन इस कोई पछता न था मनददर म झाड लगा र ा था द पर कपड का तार भी न था मन इसका सममान ककया पश स आदमी बना हदया कफर भी अपना न आ
इनक िमम का तो मल ी य ी
जाममद रात-भर सडक क ककनार पडा ददम स करा ता र ा उस मार खान का दःख न था ऐसी यातनाए व ककतनी बार भोग चका था उस दःख और आश चयम कवल इस बात का था कक लोगो न कयो एक हदन मरा इतना सममान ककया और कयो आज अकारण ी मरी इतनी दगमनत की इनकी व सजजनता आज क ा गई म तो व ीि मन कोई कसर भी न ीि ककया मन तो व ी ककया जो ऐसी दशा म सभी को करना चाह ए कफर इन लोगो न मझ पर कयो इतना अतयाचार ककया दवता कयो राकषस बन गए
व रात-भर इसी उलझन म पडा र ा परातःकाल उठकर एक तरफ की रा ली
जाममद अभी थोडी ी दर गया था कक व ी बडढा उस ममला उस दखत ी व बोला - कसम खदा की तमन कल मरा जान बचा दी सना जामलमो न तम बरी तर पीटा म तो मौका पात ी ननकल भागा अब तक क ा थ य ा लोग रात ी स तमस ममलन क मलए बकरार ो र काजी सा ब रात ी स तम ारी तलाश म ननकल थ मगर तम न ममल कल म दोनो अकल पड गए थ दशमनो न म पीट मलया नमाज का वकत था ज ा सब लोग मनसजद म थ अगर जरा भी खबर ो जाती तो एक जार लठत प च जात तब आट-दाल का भाव मालम ोता कसम खदा की आज स मन तीन कोडी मधगमया पाली दख पिडडतजी म ाराज अब कया करत कसम खदा की काजी सा ब न क ा
अगर व लौडा जरा भी आख हदखाए तो तम मझस आकर क ना या तो बचच घर छोडकर भागग या डडी-पसली तोडकर रख दी जाएगी
जाममद को मलए व बडढा काजी जोरावर सन क दरवाज पर प चा काजी सा ब वज कर र थ जाममद को दखत ी दौडकर गल लगा मलया और बोल - वलला तम आख ढढ र ी थीि तमन अकल इतन काकफरो क दात खटट कर हदए कयो न ो मोममन का खन काकफरो की कीकत कया सना सब-क-सब तम ारी शवदध करन जा र थ मगर तमन उनक सार मनसब पलट हदए इसलाम को ऐस ी खाहदमो की जररत तम जस दीनदारो स इसलाम का नाम रोशन गलती य ी आ कक तमन एक म ीन-भर तक सबर न ीि ककया शादी ो जान दत तब मजा आता एक नाजनीन साथ लात और दौलत मफत
वलला तमन उजलत कर दी
हदन-भर भकतो का ताता लगा र ा जाममद को एक नजर दखन का सबको शौक था सभी उसकी ह ममत जोर और मज बी जोश की परशिसा करत थ
प र रात बीत चकी थी मसाकफरो की आमदरफत कम ो चली थी जाममद न काजी सा ब सो िमम-गरदथ पढना शर ककया था उद ोन उसक मलए अपन बगल का कमरा खाली कर हदया था व काजी सा ब स सबक लकर सोन जा र ा था कक स सा उस दरवाज पर एक ताग क रकन की आवाज सनाई दी काजी सा ब क मरीद अकसर आया करत थ जाममद न सोचा कोई मरीद आया ोगा नीच आया तो दखा - एक सतरी ताग स उतरकर बरामद म खडी और ताग वाला उसका असबाब उतार र ा
मह ला न मकान को इिर-उिर दखकर क ा - न ीि जी मझ अचछन तर खयाल य उनका मकान न ीि शायद तम भल गए ो
तािगवाला - जर को मानती ी न ीि क हदया कक बाब सा ब न मकान तबदील कर हदया ऊपर चमलए
सतरी न कछ िझझकत ए क ा - बलात कयो न ीि आवाज दो
तािगवाला - ओ सा ब आवाज कया द जब जानता कक साब का मकान य ी तो ना क धचललान स कया फायदा बचार आराम कर र ोग आराम म खलल पडगा आप ननसाखानतर रह ए चमलए ऊपर चमलए
औरत ऊपर चली पीछ-पीछ तािगवाला असबाब मलए ए चला जाममद गम-सम नीच खडा र ा य र सय उसकी समझ म न आया
तािगवाल की आवाज सनत ी काजी सा ब छत पर ननकल आए और औरत को आत दख कमर की िखडककया चारो तरफ स बदद करक खिटी पर लटकती तलवार उतार ली और दरवाज पर आकर खड ो गए
औरत न जीना तय करक जयो ी छत पर पर रखा कक काजी सा ब को दखकर िझझकी व तरदत पीछ की तरफ मडना चा ती थी कक काजी सा ब न लपककर उसका ाथ पकड मलया और अपन कमर म घसीट लाए इसी बीच म जाममद और तािगवाला य दोनो भी ऊपर आ गए थ जाममद य दशय दखकर ववनसमत ो गया य र सय और भी र सय ो गया था य ववदया का सागर
य दयाय का भिडार य नीनत िमम और दशमन का आगार इस समय एक अपररधचत मह ला क ऊपर य घोर अतयाचार कर र ा तािगवाल क साथ व भी काजी क कमर म चला गया काजी सा ब तो सतरी क दोनो ाथ पकड ए थ तािगवाल न दरवाजा बदद कर हदया
मह ला न तािगवाल की ओर खन-भरी आखो स दखकर क ा - त मझ य ा कयो लाया
काजी सा ब न तलवार चमकाकर क ा - प ल आराम स बठ जाओ सब कछ मालम ो जाएगा
औरत - तम तो मझ कोई मौलवी मालम ोत ो कया तम खदा न य ी मसखाया कक पराई ब -बहटयो को जबरदसती घर म बदद करक उनकी आबर बबगाडो
काजी - ा खदा का य ी कम कक काकफरो को नजस तर ममककन ो इसलाम क रासत पर लाया जाए अगर खशी स न आए तो जबर स
औरत - इसी तर अगर तम ारी ब -बटी पकडकर बआबर कर तो
काजी - ो र ा जसा तम मार साथ करोग वसा ी म तम ार साथ करग कफर म तो बआबर न ीि करत मसफम अपन मज ब म शाममल करत इसलाम कबल करन स आबर बढती घटती न ीि ह दद कौम न तो म ममटा दन का बीडा उठाया व इस मलक स मारा ननशान ममटा दना चा ती िोख स लालच स जबर स मसलमानो को ब-दीन बनाया जा र ा तो मसलमान बठ म ताक ग
औरत - ह दद कभी ऐसा अतयाचार न ीि कर सकता समभब तम लोगो की शरारतो स तिग आकर नीच दज क लोग इस तर बदला लन लग ो मगर अब भी कोई सचचा ह दद इस पसदद न ीि करता
काजी सा ब न कछ सोचकर क ा - बशक प ल इस तर की शरारत मसलमान शो द ककया करत थ मगर शरीफ लो इन रकतो को बरा समझत थ और अपन इमकान-भर रोकन की कोमशश करत थ तालीम और त जीब की तरककी क साथ कछ हदनो म य गिडापन जरर गायब ो जाता मगर अब तो सारी ह दद कौम म ननगलन को तयार बठन ई कफर मार मलए और रासता ी कौन-सा म कमजोर इसमलए म मजबर ोकर अपन को
कायम रखन क मलए दगा स काम लना पडता मगर तम इतना घबराती कयो ो तम य ा ककसी बात की तकलीफ न ोगी इसलाम औरतो क क का नजतना मल ाज करता उतना और कोई मज ब न ीि करता और मसलमान मदम तो अपनी औरतो पर जान दता मर नौजवान दोसत (जाममद) तम ार सामन खड इद ीि क साथ तम ारा ननका कर हदया जाएगा बस आराम स नजददगी क हदन बसर करना
औरत - म तम और तम ार िमम को घिणत समझती तम कतत ो इसक मसवा तम ार मलए कोई दसरा काम न ीि खररयत इसी म कक मझ जान दो न ीि तो म अभी शोर मचा दगी और तम ारा सारा मौलवीपन ननकल जाएगा
काजी - अगर तमन जबान खोली तो तम जान स ाथ िोना पडगा बस
इतना समझ लो
औरत - आबर क सामन जान की कोई कीकत न ीि तम मरी जान ल सकत ो मगर आबर न ीि ल सकत
काजी - कयो ना क नजद करती ो
औरत न दरवाज क पास जाकर क ा - म क ती दरवाजा खोल दो
जाममद अब तक चपचाप खडा था जयो ी सतरी दरवाज की तरफ चली और काजी न उसका ाथ पकडकर खीिचा जाममद न तरदत दरवाजा खोल हदया और काजी सा ब स बोला - इद छोड दीनजए
काजी - कया बकता
जाममद - कछ न ीि खररयत इसी म कक इद छोड दीनजए
लककन अब काजी सा ब न उस मह ला का ाथ न छोडा और तािगवाला भी उस पकडन क मलए बढा तो जाममद न एक िकका दकर काजी सा ब को िकल हदया और उस सतरी का ाथ पकड ए कमर स बा र ननकल गया तािगवाला पीछ लपका मगर जाममद न उस इतन जोर स िकका हदया कक व औिि म जा धगरा एक कषण म जाममद और सतरी दोनो सडक पर थ
जाममद - आपका घर ककस म लल म
औरत - अह यागिज म
जाममद - चमलए म आपको प चा आऊ
औरत - इसस बडी और कया म रबानी ोगी म आपकी इस नकी को कभी न भलगी आपन आज मरी आबर बचा ली न ीि तो म क ीि की न र ती मझ अब मालम आ कक अचछ और बर सब जग ोत मर शौ र का नाम पिडडत राजकमार
उसी वकत एक तािगा सडक पर आता हदखाई हदया जाममद न सतरी को उस पर बबठा हदया और खद बठना ी चा ता था कक ऊपर स काजी सा ब न जाममद पर लि चलाया और डिडा तािग स टकराया जाममद तािग म जा बठा और तािगा चल हदया
अह यागिज म पिडडत राजकमार का पता लगान म कहठनाई न पडी जाममद न जयो ी आवाज दी व घबराए ए बा र ननकल आए औऱ सतरी को दखकर बोल - तम क ा र गई थीि इिहदरा मन तो तम सटशन पर क ीि न दखा मझ प चन म जरा दर ो गई थी तम इतनी दर क ा लगी
इिहदरा न घर क अददर कदम रखत ी क ा - बडी लमबी कथा जरा दम लन दो तो बता दगी बस इतना ी समझ लो कक अगर इस मसलमान न मरी मदद न की ोती तो आबर चली गई थी
पिडडतजी परी बात सनन क मलए और भी वयाकल ो उठ इिहदरा क साथ व भी घर म चल गए पर एक ी ममनट क बाद बा र आकर जाममद स बोल - भाई सा ब शायद आप बनावट समझ पर मझ आपक रप म इस समय अपन इष टदव क दशमन ो र मरी जबान म इतनी ताकत न ीि कक आपका शककरया अदा कर सक आइए बठ जाइए
जाममद - जी न ीि अब मझ इजाजत दीनजए
पिडडत - म आपकी इस नकी का कया बदला द सकता
जाममद - इसका बदला य ी कक इस शरारत का बदला ककसी गरीब मसलमान स न लीनजएगा मरी आपस य ी दरखवासत
य क कर जाममद चल खडा आ और उस अििरी रात क सदनाट म श र स बा र ननकल गया उस श र की ववषाकत वाय म सािस लत ए उसका दम घटता था व जलद-स-जलद श र स भागकर अपन गाव म प चना चा ता था ज ा मज ब का नाम स ानभनत परम और सौ ादम था िमम और िामममक लोगो स उस घणा ो गई थी
बह षकार
पिडडत जञानचददर न गोववददी की ओर सतषण नतरो स दखकर क ा -मझ ऐस ननदमयी परािणयो स जरा भी स ानभनत न ीि इस बबमरता की भी कोई द कक नजसक साथ तीन वषम जीवन क सख भोग उस एक जरा-सा बात पर घर स ननकाल हदया
गोववददी न आख नीची करक पछा -आिखर बात कया ई थी
जञानचददर -कछ भी न ीि ऐसी बातो म कोई बात ोती मशकायत कक कामलिदी जबान की तज तीन साल तक जबान तज न थी आज जबान तज ो गई कछ न ीि कोई दसरी धचडडया नजर आई ोगी उसक मलए वपिजर को खाली करना आवशयक था बस य मशकायत ननकल आई मरा बस चल तो ऐस दष टो को गोली मार द मझ कई बार कामलिदी स बातचीत करन का अवसर ममला मन ऐसी समख दसरी औरत न ीि दखी
गोवविदी - तमन सोमदतत को समझाया न ीि
जञानचददर - ऐस लोग समझान स न ीि मानत य लात का आदमी बातो की उस कया परवा मरा तो य ववचार कक नजसस एक बार समबदि ो गया कफर चा व अचछन ो या बरी उसक साथ जीवन-भर ननवाम करना चाह ए म तो क ता अगर सतरी क कल म कोई दोष ननकल आए तो कषमा स काम लना चाह ए
गोवविदी न कातर नतरो स दखकर क ा - ऐस आदमी तो ब त कम ोत
जञानचददर - समझ म ी न ीि आता कक नजसक साथ इतन हदन स-बोल
नजसक परम की समनतया हदय क एक-कए अण म समाई ई उस दर-दर ठोकर खान को कस छोड हदया कम-स-कम इतना तो करना चाह ए था कक उस
ककसी सरकषकषत सथान पर प चा दत और उसक ननवाम का परबदि कर दत ननदमयी न इस तर घर स ननकाला जस कोई कतत को ननकाल बचारी गाव क बा र बठन रो र ी कौन क सकता क ा जाएगी शायद मायक भी कोई न ीि र ा सोमदतत क डर क मार गाव को कोई आदमी उसक पास भी न ीि जाता ऐस बनगड का कया हठकाना जो आदमी सतरी को न ीि आ व दसर का कया ोगा उसकी दशा दखकर मरी आखो म आस भर आए जी म तो आया क - ब न तम मर घर चलो मगर तब तो सोमदतत मर पराणो का गरा क ो जाता
गोवविदी - तम जाकर एक बार कफर समझाओ अगर व ककसी तर न मान को कािमलदी को लत आऩा
जञानचददर - जाऊ
गोवविदी - ा अवशय जाओ मगर सोमदतत कछ खरी-खोटी भी क तो सन लन
जञानचददर न गोवव िदी को गल लगाकर क ा -तम ार हदय म बडी दया गोवव िदी लो जाता अगर सोमदतत न माता को कामलिदी ी को लता आऊगा अभी ब त दर न गई ोगी
तीन बषम बीत गए गोवव िदी एक बचच की मा ो गई कामलिदी अभी तक इसी घर म उसक पनत न दसरा वववा कर मलया गोवव िदी और कामलिदी म ब नो का-सा परम गोवव िदी सदव उसकी हदलजोई करती र ती व इसकी कलपना भी न ीि करती कक व कोई गर और मरी रोहटयो पर पडी ई लककन सोमदतत को कामलिदी का य ा र ना एक आख न ीि भाता व कोई काननी कायमवाई करन की तो ह ममत न ीि रखता और इस पररनसथनत म कर
ी कया सकता लककन जञानचददर का मसर नीचा करन क मलए अवसर खोजता र ता
सदया का समय था गरीषम की उषण वाय अभी तक बबलकल शादत न ीि ई थी गोवव िदी गिगा-जल भरन गई थी और जल-तट की शीतल ननजमनता का आनदद उठा र ी थी स सा उस सोमदतत आता आ हदखाई हदया गोवव िदी न आचल स म नछपा मलया और कलसा लकर चलन ी को थी कक सोमदतत न सामन आकर क ा - जरा ठ रो गोवव िदी तमस एक बात क नी तमस य पछना चा ता कक तमस क या जञान स
गोवविदी न िीर स क ा - उद ीि स क दीनजए
सोमदतत - जी तो मरा य ी चा ता लककन तम ारी दीनता पर दया आती नजस हदन म जञानचददर स य बात क दगा तम घर स ननकलना पडगा मन सारी बातो का पता लगा मलया तम ारा बाप कौन था तम ारी मा की कया दशा ई य सारी कथा जानता कया तम समझती ो कक जञानचददर य कथा सनकर तम अपन घर म रखगा उसक ववचार ककतन ी सवािीन ो पर जीती मकखी न ीि ननगल सकता
गोवविदी न थर-थर कापत ए क ा - जब आप सारी बात जानत तो म कया क आप जसा उधचत समझ कर लककन मन तो आपक साथ कभी कोई बराई न ीि की
सोमदतत - तम लोगो न गाव म मझ क ीि म हदखान क योनय न ीि रखा नतस पर क ती ो मन तम ार साथ कोई बराई न ीि की तीन साल स कामलिदी को आशरय दकर मरी आतमा को जो कष ट प चाया व म ी जानता तीन साल स म इस कफकर म था कक कस इस अपमान का दिड द अब व अवसर पाकर उस ककसी तर स न ीि छोड सकता
गोवविदी - अगर आपकी य ी इचछा कक म य ा न र तो म चली जाऊगी आज ी चली जाऊगी लककन उनस आप कछ न कह ए आपक परो पडती
सोमदतत - क ा चली जाओगी
गोवविदी - और क ीि हठकाना न ीि तो गिगाजी तो
सोमदतत - न ीि गोवव िदी म इतना ननदमयी न ीि म कवल इतना चा ता कक तम कामलिदी को अपन घर स ननकाल दो और म कछ न ीि चा ता तीन हदन का समय दता खब सोच-ववचार कर लो अगर कामलिदी तीसर हदन तम ार घर स न ननकली तो तम जानोगी
सोमदतत व ा स चला गया गोवव िदी कलसा मलए मनतम का भानत खडी र गई उसक सममख कहठन समसया आ खडी ई थी व थी कामलिदी घर म एक ी र सकती थी दोनो क मलए उस घर म सथान न था कया कामलिदी क मलए व अपना घर अपना सवगम तयाग दगी कामलिदी अकली पनत न उस प ल ी छोड हदया व ज ा चा जा सकती पर व अपन पराणािार और पयार बचच को छोडकर क ा जाएगी
लककन कामलिदी स व कया क गी नजसक साथ इतन हदनो तक ब नो की तर र ी उस कया अपन घर स ननकाल दगी उसका बचचा कामलिदी स ककतना ह ला आ था कामलिदी उसक ककतना चा ती थी कया उस पररतयकता दीना को व अपन घर ननकला दगी इसक मसवा और उपाय ी कया था उसका जीवन अब एक सवाथी दमभी वयनकत की दया पर अवलनमबत था कया अपन पनत क परम पर व भरोसा कर सकती थी जञानचददर सहदय थ उदार थ ववचारशील थ दढ थ पर कया उनका परम अपमान वयिनय और बह षकार जस आघातो को स न कर सकता था
उसी हदन स गोवव िदी और कामलिदी म कछ पाथमकय-सा हदखाई दन लगा दोनो अब ब त कम साथ बठती कामलिदी पकारती - ब न आकर खाना खा लो
गोवविदी क ती - तम खा लो म कफर खा लगी
प ल कामलिदी बालक को सार हदन िखलाया करती थी मा क पास कवल दि पीन जाता था मगर अब गोवव िदी रदम उस अपन ी पास रखती दोनो क बीच म कोई दीवार खडी ो गई कामलिदी बार-बार सोचती आजकल मझस य कयो रठन ई पर उस कोई कारण न ीि हदखाई दता उस भय ो र ा कक कदाधचत य मझ य ा न ीि रखना चा ती इसी धचदता म व गोत खाया करती ककदत गोवव िदी भी उसस कम धचनदतत न ीि कामलिदी स व सन तोडना न ीि चा ती पर उसकी मलान मनतम दखकर उसक हदय क टकड ो जात उसस कछ क न ीि सकती अव लना क शबद म स न ीि ननकलत कदाधचत उस घर स जात दखकर व रो पडगी और जबरदसती रोक लगी इसी स-बस म तीन हदन गजर गए कामलिदी घर स न ननकली तीसर हदन सदया-समय सोमदतत नदी क तट पर बडी दर तक खडा र ा अदत म चारो ओर अििरा छा गया कफर भी पीछ कफर-कफरकर जल-तट की ओर दखता जाता था
रात क दस बज गए थ अभी जञानचददर घर न ीि आए गोवव िदी घबरा र ी थी उद इतनी दर तो कभी न ीि ोती थी आज इतनी दर क ा लगा र शिका स उसका हदय काप र ा था
स सा मरदान कमर का दवार खलन की आवाज आई गोवव िदी दौडी ई बठक म आई लककन पनत का मख दखत ी उसकी सारी द मशधथल पड गई उस मख पर ासय था पर उस ासय म भानय-नतरसकार झलक र ा था ववधि-वाम न ऐस सीि-साद मनषय को भी अपनी करीडा-कौशल क मलए चन मलया कया व र सय रोन क योनय था र सय रोन का वसत न ीि सन की वसत
जञानचददर न गोवव िदी की ओर न ीि दखा कपड उतारकर साविानी स साविानी स अलगनी पर रख जता उतारा और फशम पर बठकर एक पसतक क पदन उलटन लगा
गोवविदी न डरत-डरत क ा - आज इतनी दर क ा की भोजन ठिडा ो र ा
जञानचददर न फशम की ओर ताकत ए क ा - तम लोग भोजन कर लो म एक ममतर क घर खाकर आया
गोवविदी इसका आशय समझ गई एक कषण क बाद कफर बोली - चलो थोडा-सा ी खा लो
जञानचददर - अब बबलकल भख न ीि
गोवविदी - तो म भी जाकर सो र ती
जञानचददर न अब गोवव िदी की ओर दखकर क ा - कयो तम कयो न खाओगी
व और कछ न क सकी गला भर आया
जञानचनदर न समीप आकर क ा - म सच क ता गोवव िदी एक ममतर क घर भोजन कर आया तम जाकर खा लो
गोवविदी पलिग पर पडी ई धचदता नराशय और ववषाद क अपार सागर म गोत खा र ी थी यहद कामलिदी का उसन बह सकार कर हदया ोता तो आज उस इस ववपनतत का सामना न करना पडता ककदत य अमानवषक वयव ार उसक मलए असाय था और इस दशा म भी उस इसका दःख न था जञानचददर की ओर स यो नतरसकत ोन का भी उस दःख न था जो जञानचददर ननतय िमम और
सजजनता की डीिग मारा करता था व ी आज इसका इतनी ननदमयता स बह सकार करता आ जान पडता था उस पर उस लशमातर भी दःख करोि या दवष न था उसक मन को कवल एक ी भावना आददोमलत कर र ी थी व अब इस घर म कस र सकती अब तक व इस घर की सवाममनी थी इसमलए न कक व अपन पनत क परम की सवाममनी थी पर अब व परम स विधचत ो गई थी अब इस घर पर उसका कया अधिकार था व अब अपन पनत को म कस हदखा सकती थी व जानती थी जञानचददर अपन म स उसक ववरदध एक शबद भी न ननकालग पर उसक ववषय म ऐसी बात जानकर कया व उसस परम कर सकत थ कदावप न ीि इस वकत न जान कया समझकर चप र सवर तफान उठगा ककतन ी ववचारशील ो पर अपन समाज स ननकल जाना कौन पसदद करगा नसतरयो की सिसार म कमी न ीि मरी जग जारो ममल जाएगी मरी ककसी को कया परवा अब य ा र ना ब याई आिखर कोई लाठन मारकर थोड ी ननकाल दगा यादार क मलए आख का इशारा ब त म स न क
मन की बात और भाव नछप न ीि र त लककन मीठन ननदरा की गोद म सोए ए मशश को दखकर ममता न उसक अशकत हदय को और भी कातर कर हदया इस अपन पराणो क आिार को व कस छोडगी
मशश को उसन गोद म उठा मलया और खडी रोती र ी तीन साल ककतन आनदद स गजर उसन समझा था कक इसी भानत सारा जीवन कट जाएगा लककन उसक भानय म इसस अधिक सख भोगना मलखा ी न था करण वदना म डब ए य शबद उसक मख स ननकल आए - भगवान अगर तम इस भानत मरी दगमनत करनी थी तो तीन साल प ल कयो न की उस वकत यहद तमन मर जीवन का अदत कर हदया ोता तो म तम िदयवाद दती तीन साल तक सौभानय क सरमय उदयान म सौरभ समीर और माियम का आनदद उठान क बाद इस उदयान ी को उजाड हदया ा नजस पौि को उसन अपन परम-जाल स सीिचा था व अब ननममम दभामनय क परौ-तल ककतनी ननष ठरता स कचल जा र थ जञानचददर क शील और सन का समरण आया तो व रो पडी मद समनतया आ-आकर हदय को मसोसन लगी
स सा जञानचददर क आन स व समभल बठन कठोर-स-कठोर बात सनन क मलए उसन अपन हदय को कडा कर मलया ककदत जञानचददर क मख पर रोष का धचहन भी न था उद ोन आश चयम स पछा - कया तम अभी तक सोई न ीि
जानती ो क बज बार स ऊपर
गोवविदी न स मत ए क ा - तम भी तो अभी न ीि सोए
जञानचददर - म न सोऊ तो तम भी न सोओ म न खाऊ तो तम भी न खाओ
म बीमार पड तो तम भी बीमार पडो य कयो म तो एक जदमपतरी बना र ा था कल दनी ोगी तम कया करती र ीि बोलो
इन शबदो म ककतना सरल सन था कया नतरसकार क भाव इतन लमलत शबदो म परकट ो सकत परविचकता कया इतनी ननममल ो सकती शायद सोमदतत न अभी वजर का पर ार न ीि ककया अवकाश न ममला ोगा लककन ऐसा तो आज घर इतनी दर स कयो आए भोजन कयो न ककया मझस बोल तक न ीि आख लाल ो र ी थीि मरी ओर आख उठाकर दखा तक न ीि कया समभव कक इनका करोि शादत ो गया ो य समभावना की चरम सीमा स भी बा र तो कया सोमदतत को मझपर दया आ गई पतथर पर दब जमी गोवविदी कछ ननश चय न कर सकी और नजस भानत ग -सखवव ीन पधथक वकष की छा म भी आनदद स पाव फलाकर सोता उसकी अवयवसथा ी उस नननश चित बना दती उसी भानत गोवव िदी मानमसक वयगरता म भी सवसथ ो गई मसकराकर सन -मदल सवर म बोली - तम ारी ी रा तो दख र ी थी
य क त-क त गोवव िदी का गला भर आया वयाि क जाल म फडफडाती ई ध ाचडडया कया मीठ राग गा सकती जञानचददर न चारपाई पर बठकर क ा - झठन बात रोज तो तम अब तक सो जाया करती थी
एक सप ता बीत गया पर जञानचददर न गोववददी स कछ न पछा और न उसक बतामव ी स उनक मनोगत भावो का कछ पररचय ममला अगर उनक वयव ारो म कोई नवीनता थीि तो य कक व प ल स भी जयादा सन शीलस ननदमवददव और परफललवदन ो गए गोवव िदी का इतना आदर और मान उद ोन कभी न ीि ककया था उनक परयत नशील र न पर भी गोवव िदी उनक मनोभावो को तोड र ी थी और उसका धचतत परनतकषण शिका स चिचल और कषबि र ता था अब उस इसम लशमातर भी सदद न ीि था कक सोमदतत न आग लगा दी गीली लकडी म पडकर व धचनगारी बझ जाएगी या जिगल की सखी पनततया ा ाकार करक जल उठगी य कौन जान सकता लककन इस सप ता क गजरत ी अननन का परकोप ोन लगा जञानचददर एक म ाजन क मनीम थ उस म ाजन न क हदया - मर य ा अब आपका काम न ीि जीववका का दसरा सािन यजमानी यजमान भी एक-एक करक उद जवाब दन लग य ा तक कक उनक दवार पर आना-जाना बदद ो गया आग सखी पनततयो म लगकर अब र वकष क चारो ओर मिडरान लगी पर जञानचदद क मख म गोवव िदी क परनत एक भी कट अमद शबद न था व इस सामानजक दिड की शायद कछ परवा न करत यहद दभामनयवश इसन उसकी जीववका क दवार न बदद कर हदए ोत गोवव िदी सब कछ समझती थी पर सिकोच क मार कछ न क सकती थी उसी क कारण उसक पराणवपरय पनत की य दशा ो र ी य उसक मलए डब मरन की बात थी पर कस पराणो का उतसगम कर कस जीवन-मो स मकत ो इस ववपनतत म सवामी क परनत उसक रोम-रोम स शभ-कामनाओि की सररता-सी ब ती थी पर म स एक शबद भी न ननकलता था भानय की सबस ननष ठर लीला उस हदन ई जब कामलिदी भी बबना कछ-सन सोमदतत क घर जा प ची नजसक मलए य सारी यातनाए झलनी पडी उसी न अदत म बवफाई की जञानचददर न सना तो कवल मसकरा हदए पर गोवव िदी इस कहटल आघात को इतनी शानदत स स न न कर सकी कामलिदी क परनत उसक मख स अवपरय शबद ननकल ी आए
जञानचददर न क ा - उस वयथम ी कोसती ो वपरय उसका कोई दोष न ीि भगवान मारी परीकषा ल र इस वकत ियम क मसवा म ककसी स कोई आशा न रखनी चाह ए
नजन भावो को गोवव िदी कई हदनो स अदतसथल म दबाती चली जाती थी व ियम का बाि टटत ी बड वग स बा र ननकल पड पनत क सममख अपराधियो की भानत ाथ बािकर उसन क ा - सवामी मर ी कारण आपको य सार पापड बलन पड र म ी आपक कल की कलिककनी कयो न मझ ककसी जग भज दीनजए ज ा कोई मरी सरत तक न दख म आपस सतय क ती
जञानचददर न गोवव िदी को और कछ न क न हदया उस हदय स लगा कर बोल - वपरय ऐसी बातो स मझ दखी न करो तम आज भी उतनी ी पववतर ो नजतनी उस समय थीि जब दवताओि क समझ मन आजीवन पत नीवरत मलया था तब मझस तम ारा पररचय न था अब तो मरी द और आतमा का एक-एक परमाण तम ार अकषय परम स आलोककत ो र ा उप ास और ननददा की तो बात ी कया ददव का कठोरतम आघात भी मर वरत को भिग न ीि कर सकता अगर डबग तो साथ-साथ डबग तरग तो साथ-साथ तरग मर जीवन का मखय कतमवय तम ार परनत सिसार इसक पीछ - ब त पीछ
गोवविदी को जान पडा उसक सममख कोई दव-मनतम खडी सवामी म इतनी शरदधा इतनी भनकत उस आज तक कभी न ई थी गवम स उसका मसतक ऊचा ो गया और मख पर सवगीय आभा झलक पडी उसन कफर क न का सा स न ककया
समपदनता अपमान और बह सकार को तचछ समझती उनक अभाव म य बािाए पराणादतक ो जाती जञानचददर हदन क हदन घर म पड र त घर स
बा र ननकलन का उद सा स न ोता था जब तक गोवव िदी क पास ग न थ
तब तक भोजन की धचिता न थी ककदत जब य आिार भी न र गया तो ालत और भी खराब ो गई कभी-कभी ननरा ार र जाना पडता अपनी वयथा ककसस क कौन ममतर था कौन अपना था
गोवविदी प ल भी हष ट-पष ट न थी पर अब तो अना ार और अदतवदना क कारण उसकी द और भी जीणम ो गई थी प ल मशश क मलए दि मोल मलया करती थी अब इसकी सामथयम न थी बालक हदन-पर-हदन दबमल ोता जाता था मालम ोता था उस सख का रोग ो गया हदन-क-हदन बचचा खराम खाट पर पडा माता को नराशय-दनष ट स दखा करता कदाधचत उसकी बाल-बवदध भी अवसथा को समझती थी कभी ककसी वसत क मलए ठ न करता उसकी बालोधचत सरलता चिचलता और करीडाशीलता न अब तक दीघम आशा-वव ीन परनतकषा का रप िारण कर मलया था माता-वपता उसकी दशा दखकर मन- ी-मन कढ-कढकर र जात थ
सदया समय था गोवव िदी अिर घर म बालक क मसर ान धचिता म मनन बठन थी आकाश पर बादल छाए ए थ और वा क झोक उसक अिमननन शरीर म शर क समान लगत थ आज हदन-भर बचच न कछ न खाया था घर म कछ था ी न ीि कषिाननन स बालक छटपटा र ा था पर या तो रोना न चा ता था या उसम रोन की शनकत ी न थी
इतन म जञानचददर तली क य ा स तल लकर आ प च दीपक जला दीपक क कषीण परकाश म माता न बालक का मख दखा तो स म उठन बालक का मख पीला पड गया था और पतमलया ऊपर चढ गई थीि उसन घबराकर बालक को गोद म उठाया द ठिडी थी धचललाकर बोली - ा भगवान मर बचच को कया ो गया जञानचददर न बालक क मख की ओर दखकर एक ठिडी सास ली और बोला -ईश वर कया सारी दया-दनष ट मार ी ऊपर करोग
गोवविदी - ाय मरा लाल मार भख क मशधथल ो गया कोई ऐसा न ीि जो इस दो घट दि वपला द
य क कर उसन बालक को पनत की गोद म द हदया और एक लहटया लकर कामलिदी क घर दि मागन चली नजस कामलिदी न आज छः म ीन स इस घर की ओर ताका न था उसी क दवार पर दि की मभकषा मागन जात ए उस ककतनी नलानन ककतना सिकोच ो र ा था य भगवान क मसवा और कौन जान सकता य व बालक नजस पर एक हदन कामलिदी पराण दती थी पर उसकी ओर स अब उसन अपना हदय इतना कठोर कर मलया था कक घर म कई गौए लगन पर भी एक धचलल दि न भजा उसी की दया-मभकषा मागन आज
अिरी रात म भीगती ई गोवव िदी दौडी जा र ी माता तर वातसलय को िदय
कामलिकी दीपक मलए दालान म खडी गाए द र ी थी प ल सवाममनी बनन क मलए व सौत स लडा करती थी सववका का पद उस सवीकार न था अब सववका का पद सवीकार करक सवाममनी बनी ई थी गोवव िदी को दखकर तरदत बा र ननकल आई और ववसमय स बोली - कया ब न पानी-बदी म कस चली आई
गोवविदी न सकचात ए क ा - लाला ब त भखा कामलिदी आज हदन-भर कछ न ीि ममला थोडा-सा दि लन लाई
कामलिदी भीतर जाकर दि का मटका मलए बा र ननकल आई और बोली - नजतना चा ो ल लो गोवव िदी दि की कौन कमी लाला तो अब चलता ोगा ब त जी चा ता कक जाकर उस दख आऊ लककन जान का कम न ीि पट पालना तो कम मानना ी पडगा तमन बतलाया न ीि न ीि तो लाला क मलए दि का तोडा थोडी म चली कया आई कक तमन म दखन को तरसा डाला मझ कभी पछता
य क त ए कामलिदी न दि का मटका गोवव िदी क ाथ म रख हदया गोवव िदी की आखो स आस ब न लग कामलिदी इतनी दया करगी इसकी उस आशा न ीि थी अब उस जञान आ कक य व ी दयाशील सवा-परायण रमणी जो प ल थी लशमातर भी अदतर न था कफर बोली -इतना दि लकर कया करगी ब न
इस लोट म डाल दो
कामलिदी - दि छोट-बड सभी खात ल जाओ य मत समझो कक म तम ार घर स चली आई तो बबरानी ो गई भगवान की दया स अब य ा ककसी बात की धचिता न ीि मझस क न भर की दर ा म आऊगी न ीि इसस लाचार कल ककसी बला लाला को लकर नदी ककनार आ जाना दखन को ब त जी चा ता
गोवविदी दि की ािडी मलए घर चली गवम-पणम आनदद क मार उसक पर उड जात थ डयोढी म पर रखत ी बोली - जरा हदया हदखा दना य ा कछ हदखाई न ीि दता ऐसा न ो कक दि धगर पड
जञानचददर न दीपक हदखा हदया गोवव िदी न बालक को अपनी गोद म मलटाकर कटोरी स दि वपलाना चा ा पर एक घट स अधिक दि कि ठ म न गया बालक न एक ह चकी ली और अपनी जीवन-लीला समाप त कर दी
करण रोदन स घर गज उठा सारी बसती क लोग चौक पड पर जब मालम आ कक जञानचददर क घर स आवाज आ र ी तो कोई दवार पर न आया रात-भर भनन हदय दमपनत रोत र परातःकाल जञानचददर न शव उठा मलया और शमशान की ओर चल सकडो आदममयो न उद जाता दखा पर कोई समीप न आया
कल-मयामदा सिसार की सबस उततम वसत उस पर पराण तक दयोछावर कर हदए जात जञानचददर क ाथ स व वसत ननकल गई नजस पर उद गौरव था व गवम व आतम-बल व तज जो परमपरा न उनक हदय म कट-कटकर भर हदया था उसका कछ अिश तो प ल ी ममट चका था बचा-खचा पतर-शोक न ममटा हदया उद ववश वास ो गया कक उनक अववचार का ईश वर न य दिड हदया दरवसथा जीणमता और मानमसक दबमलता सभी इस ववश वास को दढ करती थी व गोवव िदी को अब भी ननदोष समझत थ उसक परनत एक कट शबद उनक म स न ननकलता था न कोई कट भाव उनक हदल म जग पाता था ववधि की करर-करीडा ी उनका सवमनाश कर र ी थी इसम उद लशमातर भी सदद न था
अब य घर उद फाड खाता था घर क पराण-स ननकल गए थ अब माता ककस गोद म लकर चाद मामा को बलाएगी ककस उबटन मलगी ककसक मलए परातःकाल लवा पकाएगी अब सब कछ शदय था मालम ोता था कक उनक हदय ननकाल मलए गए अपमान कष ट अना ार इन सारी ववडमबनाओि क ोत ए भी बालक की बाल-करीडाओि म व सब-कछ भल जात थ उसक सन मय लालन-पालन म ी अपना जीवन साथमक समझत थ अब चारो ओर अदिकार था
यहद ऐस मनषय नजद ववपनतत स उततजना और सा स ममलता तो ऐस भी मनषय जो आपनतत-काल म कतमवय ीन परषाथम ीन और उदयम ीन ो जात जञानचददर मशकषकषत थ योनय थ यहद श र जाकर दौड-िप करत तो उद क ीि-न-क ीि काम ममल जाता वतन कम ी स ी रोहटयो को तो म ताज न र त ककदत अववश वास उद घर स ननकलन न दता था क ा जाए श र म कौन जानता अगर दो-चार पररधचत पराणी भी तो उद मरी कयो परवा ोन लगी कफर इस दशा म जाए कस द पर साबबत कपड भी न ीि जान क प ल गोवव िदी क मलए कछ-न-कछ परबदि करना आवशयक था उसका कोई सभीता न था इद ीि धचिताओि म पड-पड उनक हदन कटत जात थ य ा तक
कक उद घर स बा र ननकलत ी बडा सिकोच ोता था गोवव िदी ी पर अदनोपाजमन का भार था बचारी हदन को बचचो क कपड सीती रात को दसरो का आटा पीसती जञानचददर सब कछ दखत थ और माथा ठोककर र जात थ
एक हदन भोजन करत ए जञानचददर न आतम-धिककार क भाव स मसकरा क ा - मझ-सा ननलमजज परष भी सिसार म दसरा न ोगा नजस सतरी की कमाई खात भी मौत न ीि आती
गोवविदी न भौ मसकोडकर क ा - तम ार परो पडती मर सामन ऐसी बात मत ककया करो तो य सब मर ी कारन
जञानचददर - तमन पवम जदम म कोई बडा पाप ककया था गोवव िदी जो मझ जस ननखटट क पाल पडी मर जीत ी तम वविवा ो धिककार ऐस जीवन को
गोवविदी - तम मरा ी खन वपयो अगर कफर इस तर की कोई बात म स ननकालो तम ारी दासी बनकर मरा जीवन सफल ो गया म इस पवमजदम का तपसया का पनीत फल समझती दःख ककस पर न ीि आता तम भगवान कशल स रख य ी मरी अमभलाषा
जञानचददर - भगवान तम ारी अमभलाषा पणम कर खब चककी पीसो
गोवविदी - तम ारी बला स चककी पीसती
जञानचददर - ा- ा पीसो म मना थोड करता तम न चककी पीसोगी तो य ा मछो पर ताव दकर खाएगा कौन अचछा आज दाल म घी भी ठनक अब मरी चादी बडा पार लग जाएगा इसी गाव म बड-बड उचच-कल की कदयाए अपन वसतराभषण क सामन उद और ककसी की परवा न ीि पनत म ाशय चोरी करक लाए चा डाका मारकर लाए उद इसी परवा न ीि तमम व गण न ीि तम उचच-कल की कदया न ीि ो वा री दननया ऐसी पववतर दववयो
का तर य ा अनादार ोता उद कल-कलिककनी समझा जाता िदय तरा वयापारय़ तमन कछ और सना सोमदतत न मर असाममयो को ब का हदया कक लगान मत दना दख कया करत बताओ जमीिदार की रकम कस चकाऊगा
गोवविदी - म सोमदतत स जाकर पछती न मना कस करग कोई हदललगी
जञानचददर - न ीि गोवव िदी तम उस दष ट क पास मत जाना म न ीि चा ता कक तम ार ऊपर उसकी छाया भी पड उस खब अतयाचार करन दो म भी दख र ा कक भगवान ककतन दयायी
गोवविदी - तम असाममयो क पास कयो न ीि जात मार घर न आए मारा छआ पानी न वपए मार रपए कयो मार लग
जञानचददर - वा इसस सरल तो कोई काम ी न ीि क दग - म रपए द चक सारा गाव उनकी तरफ ो जाएगा म तो अब गाव-भर का दरो ी न आज खब डटकर भोजन ककया अब म भी रईस बबना ाथ-पर ह लाए गलछर उडाता सच क त तम ारी ओर स म अब म नननश चित ो गया दश-ववदश भी चला जाऊ तो तम अपना ननवाम कर सकती ो
गोवविदी - क ीि जान का काम न ीि
जञानचददर - तो य ा जाता ी कौन ककस कतत न काटा जो य सवा छोडकर म नत-मजरी करन जाए तम सचमच दवी ो गोवव िदी
भोजन करक जञानचददर बा र ननकल गोवव िदी भोजन करक कोठरी म आई तो जञानचददर न थ समझी क ीि बा र चल गए ोग आज पनत की बातो स उसका धचतत कछ परसदन थी शायद अब व नौकरी-चाकरी की खोज म क ी जान
वाल य आशा बि र ी थी ा उनकी वयिनयोनकतयो का भाव उसकी समझ ी म न आता था ऐसी बातो व कभी न करत थ आज कया सझी
कछ कपड सीन थ जाडो क हदन थ गोवव िदी िप म बठकर सीन लगी थोडी दर म शाम ो गई अभी तक जञानचददर न ीि आए तल-बतती का समय आया कफर भोजन की तयारी करन लगी कामलिदी थोडा-सा दि द गई थी गोवव िदी को तो भख न थी अब व एक ी वला खाती थी ा जञानचददर क मलए रोहटया सकनी थी सोचा - दि ी दि-रोटी खा लग
भोजन बनाकर ननकली ी थी कक सोमदतत न आगन म आकर पछा - क ा जञान
गोवविदी - क ीि गए
सोमदतत - कपड प नकर गए
गोवविदी - ा काली ममजमई प न थ
सोमदतत - जता भी प न थ
गोवविदी की छाती िड-िड करन लगी कफर बोली - ा जता तो प न थ कयो पछत ो
सोमदतत न जोर स ाथ मारकर क ा - ाय जञान ाय
गोवविदी घबराकर बोली - कया आ दादाजी ाय बतात कयो न ीि ाय
सोमदतत - अभी थान स आ र ा व ा उनकी लाश ममली रल क नीच दब गए ाय जञान मझ तयार को कयो न मौत आ गई
गोवविदी क म स कफर कोई शबद न ननकला अनदतम ाय क साथ ब त हदनो तक तडपता आ पराण-पकषी उड गया
एक ी कषण म गाव ककतनी ी नसतरया जमा ो गई सब क ती थीि - दवी थी सती थी
परातःकाल दो अधथमया गाव स ननकली एक पर रशमी चिदरी का कफन था दसरी पर रशमी शॉल का गाव क दववजो म स कवल सोमदतत ी ाथ था शष गाव क नीच जानत वाल आदमी थ सोमदतत ी न दा -ककरया का परबदि ककया था व र -र कर दोनो ाथो स अपनी छाती पीटता था और जोर-जोर स धचललाता - ाय ाय जञान
चोरी
ाय बचपन तरी याद न ीि भलती व कचचा टटा घर व पवाल का बबछौना व निग बदन निग पाव खतो म घमना आम क पडो पर चढना - सारी बात आखो क सामन कफर र ी चमरौि जत प नकर उस वकत ककतनी खशी ोती थी अब फलकस क बटो स भी न ीि ोती गरम पनए (गड क क ाड का िोवन) रस म जो मजा था व अब गलाब क शबमत म भी न ीि चबन और कचच बरो म जो रस था व अब अिगर और खीर मो न म भी न ीि ममलता
म अपन चचर भाई लिर क साथ दसर गाव म एक मौलवी सा ब क य ा पढन जाया करता था मरी उमर आठ साल की थी लिर (अब सवगम म ननवास करता ) मझस दो साल जठ थ म दोनो परातःकाल बासी रोहटया खा दोप र क मलए मटर और जौ का चबना लकर चल दत थ कफर तो सारा हदन अपना था मौलवी सा ब क य ा कोई ाजरी का रनजसटर तो था न ीि और न गर ानजरी का जमामना ी दना पडता था कफर डर ककस बात का कभी तो थान क सामन खड मसपाह यो की कवायद दखत कङी ककसी भाल या बददर नचान वाल मदारी क पीछ-पीछ घमन म हदन काट दत कभी रलव सटशन की ओर ननकल जात और गाडडयो की ब ार दखत गाडडयो क समय का नजतना जञान मको था उतना शायद टाइम-टबबल को भी न था रासत म श र क एक म ाजन न एक बाग लगवाना शर ककया था व ा एक कआ खद र ा था व भी मार मलए एक हदलचसप तमाशा था बढा माली म अपनी झोपडी म बड परम स बठाता था म उसस झगड-झगडकर उसका काम करत क ीि बालटी मलए पौि को सीिच र क ीि खरपी स कयाररया गोड र क ीि क ची स बलो की पनततया छाट र उन कामो म ककतना आनदद था माली बाल-परवनत का पिडडत था मस काम लता पर इस तर की मानो मार ऊपर कोई अ सान कर र ा नजतना काम व हदन-भर म करता म घिट-भर म ननबटा दत थ अब व माली न ीि लककन बाग रा-भरा उसक पास स ोकर गजरता तो जी चा ता उन पडो क गल ममलकर रोऊ और क - पयार तम
मझ भल गए लककन म तम न ीि भला मर हदय म तम ारी याद अभी तक री - उतनी ी री नजतन तम ार पतत ननसवाथम परम क तम जीत-जागत सवरप ो
कभी-कभी म फतो गर ानजर र त पर मौलवी सा ब स ऐसा ब ाना कर दत कक उनकी बढी ई तयोररया उतर जाती उतनी कलपना-शनकत आज ोती तो ऐसा उपदयास मलख डालता कक लोग चककत र जात अब तो ाल कक ब त मसर खपान क बाद कोई क ानी सझती खर मार मौलवी सा ब दरजी थ मौलवीधगरी कवल शौक स करत थ म दोनो भाई अपन गाव क कमी-कम ारो स उनकी खब बडाई करत थ यो कह ए कक म मौलवी सा ब क सफरी एजट थ मार उदयोग स जब मौलवी सा ब को कछ काम ममल जाता तो म फल न समात नजस हदन कोई अचछा ब ाना न सझता मौलवी सा ब क मलए कोई-न-कोई सौगात ल जात कभी सर-आि सर फमलया तोड लीि तो कभी दस-पाच ईख कभी जौ या ग की री- री बाल ल ली उन सौगातो क दखत ी मौलवी सा ब का करोि शादत ो जाता जब इन चाजो की फसल न ोती तो म सजा स बचन क मलए कोई और उपाय सोचत मौलवी सा ब को धचडडयो का शौक था मकतब म शयाम बलबल दह यल और चिडलो क वप िजर लटकत र त थ म सबक याद ो या न ो पर धचडडयो को याद ो जात थ मार साथ ी व पढा करती थीि इन धचडडयो क मलए बसन पीसन म म लोग खब उतसा हदखात थ मौलवी सा ब सब लडको को पनतिग पकड लान की ताकीद करत र त थ इन धचडडयो को पनतिगो स ववशष रधच थी कभी-कभी मारी बला पनतिगो ी क मसर चली जाती थी उनका बमलदान करक म मौलवी सा ब क रौदर रप को परसदन कर मलया करत थ
एक हदन सवर म दोनो भाई तालाब म म िोन गए लिर न कोई सफद-सी चीज मिी म लकर हदखाई मन लपककर मिी खोली तो उसम एक रपया था ववनसमत ोकर पछा - य रपया तम क ा ममला
लिर - अममा न ताक पर रखा था चारपाई खडी करक ननकाल लाया
घर म कोई सददक या अलमारी तो थी न ीि रपए-पस एक ऊच ताक पर रख हदए जात थ एक हदन चाचाजी न सन बचा था उसी क रपए जमीिदार को दन क मलए ताक पर रख ए थ लिर को न जान कयोकर पता लग गया जब घर क सब लोग काम-ििि म लग गए तो अपनी चारपाई खडी की और उस पर चढकर एक रपया ननकाल मलया
उस वकत तक मन कभी रपया छआ तक न था व रपया दखकर आनदद और भय की जो तरिग हदल म उठन थीि व अब तक याद मार मलए रपया एक अलभय वसत थी मौलवी सा ब को मार य ा स मसफम बार आन ममला करत थ म ीन क अदत म चचाजी खद जाकर पस द आत थ भला कौन मार गवम का अनमान कर सकता लककन मार का भय आनदद म ववन डाल र ा था रपए अनधगनती तो थ न ीि चोरी का खल जाना मानी ई बात थी चचाजी क करोि का मझ तो न ीि लिर को परयतकष अनभव ो चका था यो उनस जयादा सीिा-सादा आदमी दननया म न था चची न उनकी रकषा का भर मसर पर न रख मलया ोता तो कोई बननया उद बाजार म बच सकता था पर जब करोि आ जाता तो कफर उद कछ न सझता और तो और चची भी उनक करोि का सामना करत डरती थी म दोनो न कई ममनट तक इद ीि बातो पर ववचार ककया और आिखर ननश चय आ कक आई ई लकषमी को न जान दना चाह ए एक तो मार ऊपर सदद ोगा ी न ीि अगर आ भी तो म साफ इनकार कर जाएग क ग म रपया लकर कया करत थोडा सोच-ववचार करत तो य ननश चय पलट जाता और व वीभतस लीला न ोती जो आग चलकर ई पर उस समय मम शानदत स ववचार करन की कषमता ी न थी
म - ाथ िोकर म दोनो घर आए और डरत-डरत अददर कदम रखा अगर क ीि इस वकत तलाशी की नौबत आई तो कफर भगवान ी मामलक लककन सब लोग अपना-अपना काम कर र थ कोई मस न बोला मन नाशता भी न
ककया चबना भी न मलया ककताब बगल म दबाई और मदरस का रासता मलया
बरसात क हदन थ आकाश पर बादल छाए ए थ म दोनो खश-खश मकतब चल जा र थ आज काऊि मसल की ममननसरी पाकर भी शायद उतना आनदद न ोता जारो मिसब बाित थ जारो वाई ककल बनात थ य अवसर बड भानय स ममला था जीवन म कफर शायद ी य अवसर ममल इसमलए रपए को इस तर खचम करना चा त थ कक जयादा-स-जयादा हदनो तक चल सक यदयवप उन हदनो पाच आन सर ब त अचछन ममठाई ममलती थी और शायद आिा सर ममठाई म म दोनो अफर जात लककन य खयाल आ कक ममटाई खाएग तो रपया आज ी गायब ो जाएगा कोई ससती चीज खानी चाह ए
नजसम मजा भी आए पट भी भर और पस भी कम खचम ो आिखर अमरदो पर मारी नजर गई म दोनो राजी ो गए दौ पस क अमरद मलए ससता समय था बड-बड बार अमरद ममल म दोनो क कतो क दाम भर गए जब लिर न खटककन क ाथ म रपया रखा तो उसन सदद स पछा -रपया क ा पाया लाला चरा तो न ीि लाए
जवाब मार पास तयार था जयादा न ीि तो दो-तीन ककताब पढ ी चक थ ववदया का कछ-कछ असर ो चला था मन झट स क ा - मौलवी सा ब की फीस दनी घर म पस न थ तो चचाजी न रपया द हदया
इस जवाब न खटककन का सदद दर कर हदया म दोनो न एक पमलया पर बठकर खब अमरद खाए मगर अब साढ पिदर आन पस क ा ल जाए एक रपया नछपा लना तो इतना मनशकल काम न था पसौ क ढर क ा नछपता न कमर समर म इतनी जग थी और न जब म इतनी गिजाइश उद अपन पास रखना चोरी का हढिढोरा पीटना था ब त सोचन क बाद य ननश चय ककया कक बार आन तो मौलवी सा ब को द हदए जाए शष साढ तीन आन की ममठाई उड य फसला करक म लोग मकतब प च आज कई हदन क बाद गए थ मौलवी सा ब न बबगडकर पछा - इतन हदन क ा र
मन क ा- मौलवी सा ब घर म गमी ो गई
य क त-क त बार आन उनक सामन रख हदए कफर कया पछना था पस दखत ी मौलवी सा ब की बाछ िखल गई म ीना खतम ोन म अभी कई हदन बाकी थ सािारणतः म ीना चढ जान क बाद और बार-बार तकाज पर क ीि पस ममलत थ अबकी इतनी जलदी पस पाकर उनका खश ोना कोई असवाभाववक बात न थी मन अदय लडको की ओर सगवम नतरो स दखा मानो क र ो - एक तम ो कक मागन पर भी पस न ीि दत एक म कक पशगी दत
म अभी सबक पढ ी र थ कक मालम आ आज तालाब का मला दोप र म छटटी ो जाएगी मौलवी सा ब मल म बलबल लडान जाएग य खबर सनत ी मारी खशी का हठकाना न र ा बार आन तो बक म जमा ी कर चक थ साढ तीन आन म मला दखन की ठ री खब ब ार र गी मज स रवडडया खाएग गोलगपप उडाएग झल पर चढग और शाम को घर प चग लककन मौलवी सा ब न एक कडी शतम य लगा दी कक सब लडक छटटी क प ल अपना-अपना सबक सना द जो सबक न सना सकगा उस छटटी न ममलगी नतीजा य आ कक मझ तो छटटी ममल गई पर लिर कद कर मलए गए और कई लडको न भी सबक सना हदए थ व सभी मला दखन चल पड म भी उनक साथ ो गया पस मर पास थ इसमलए मन लिर को साथ लन का इदतजार न ककया तय ो गया था कक व छटटी पात ी मल म आ जाए और दोनो साथ-साथ मला दख मन वचन हदया था कक जब तक व न आएग एक पसा भी खचम न करगा लककन कया मालम था कक दभामनय कछ और ी लीला रच र ा मझ मला प च एक घिटा स जयादा गजर गया पर लिर का क ी पता न ीि कया अभी तक मौलवी सा ब न छटटी न ीि दी या रासता भल गए आख फाड-फाडकर सडक की ओर दखता था अकल मला दखन म जी भी न लगता था सिशय ो र ा था कक क ीि चोरी खल तो न ीि गई और चाचाजी लिर को
पकडकर घर तो न ीि ल गए आिखर जब शाम ो गई तो मन कछ रवडडया खाई और लिर क ह सस क पस जब म रखकर िीर-िीर घर चला रासत म खयाल आया मकतब ोता चल शायद लिर अभी व ीि ो मगर व ा सदनाटा था ा एक लडका खलता आ ममला उसन मझ दखत ी जोर स क क ा मारा और बोला -बचा घर जाओ तो कसी मार पडती तम ार चचा आए थ
लिर को मारत-मारत ल गए अजी ऐसा तानकर घसा मारा कक ममया लिर म क बल धगर पड य ा स घसीटत ल गए मौलवी सा ब की तनसवा द दी थी व भी ल ली अभी कोई ब ाना सोच लो न ीि तो बभाव की पडगी
मरी मसटटी-वपटटी भल गई बदन का ल सख गया व ी आ नजसका मझ शक था पर मन-मन-भर क ो गए घर की ओर एक-एक कदम चलना मनशकल ो गया दवी-दवताओि क नजतन नाम याद थ सभी का मानता मानी - ककसी को लडड ककसी को पड ककसी को बतास गाव क पास प चा तो गाव क डी का सममरन ककया कयोकक अपन लक म डी ी की इचछा सवम-परिान ोती
य सब कछ ककया लककन जयो-जयो घर ननकट आता हदल की िडकन बढती जाती थी घटाए उमडी आती थी मालम ोता था -आसमान फटकर धगरा ी चा ता दखता था - लोग अपन-अपन काम छोड-छोडकर भाग जा र गौर (गाय क बछड) भी पछ उठाए घर की ओर उछलत-कदत चल जात थ धचडडया अपन घोसलो की ओर उडी चली जाती थी लककन म उसी मदद गनत स चला जाता था मानो परो म शनकत न ीि जी चा ता था जोर का बखार चढ आए या क ीि चोट लग जाए लककन क न स िोबी गि पर न ीि चढता बलान स मौत न ीि आती बीमारी का तो क ना ी कया कछ न आ और िीर-िीर चलन पर भी घर सामन आ गया अब कया ो मार दवार पर इमली का एक घना वकष था म उसी की आड म नछप गया कक जरा और अििरा ो जाए तो चपक स घस जाऊ और अममा क कमर म चारपाई क नीच जा बठ जब सब लोग सो जाएग तो अममा को सारी कथा क सनाऊगा अममा कभी न ीि मारती जरा
उनक सामन झठ-मठ रोऊगा तो व और भी वपघल जाएगी रात कट जान पर कफर कौन पछता सब गससा ठिडा ो जाएगा अगर य मिसब पर ो जात तो इसम सदद न ीि कक म बदाग बच जाता लककन व ा वविाता को कछ और मिजर था मझ एक लडक न दख मलया और मर नाम की रट लगात ए सीि मर घर म भागा अब मर मलए कोई आशा न र ी लाचार घर म दािखल आ तो स सा म स एक चीख ननकल गई जस मार खाया आ कतता ककसी को अपनी ओर आता दखकर भय स धचललान लगता बरोठ म वपताजी बठ थ वपताजी का सवासथय इन हदनो कछ खराब ो गया था छटटी लकर घर आए ए थ य तो न ीि क सकता कक उद मशकायत कया थी पर व मिग की दाल खात थ और सदया समय शीश क धगलास म एक बोतल म स कछ उडल-उडलकर पीत थ शायद व ककसी तजरबकार कीम की बताई ई दवा थी दवाए सब बासन वाली और कडवी ोती य दवा भी बरी ी थी पर वपताजी न-जान कयो इस दवा को खब मजा ल-लकर पीत थ म जो दवा पीत तो आख बदद करक एक ी घिट म गटक जात पर शायद इस दवा का असर िीर-िीर पीन स ी ोता ो वपताजी क पास गाव क दो-तीन और कभी-कभी चार-पाच और रोगी भी जमा ो जात और घदटो दवा पीत र त थ मनशकल स खाना खान उठत थ इस समय भी व पी र थ रोधगयो की मिडली जमा थी मझ दखत ी वपताजी न लाल-लाल आख करक पछा -क ा थ अब तक
मन दबी जबान स क ा - क ीि तो न ीि
अब चोरी की आदत सीख र ा बोल तन रपया चराया कक न ीि
मरी जबान बदद ो गई सामन निगी तलवार नाच र ी थी शबद भी ननकालत ए डरता था
वपताजी न जोर स डाटकर पछा - बोलता कयो न ीि तन रपया चराया कक न ीि
मन जान पर खलकर क ा - मन क ा
म स परी बात भी न ननकलन पाई थीि कक वपताजी ववकराल रप िारण ककए
दात पीसत झपटकर उठ और ाथ उठाए मरी ओर चल म जोर स धचललाकर रोन लगा ऐसा धचललाया कक वपताजी भी स म गए उनका ाथ उठा ी र गया शायद समझ कक जब अभी स इसका य ाल तब तमाचा पड जान पर क ीि इसकी जान ी न ननकल जाए मन जो दखा कक मरी ह कमत काम कर गई तो और भी गला फाड-फाडकर रोन लगा इतन म मिडली क दो-तीन आदममयो न वपताजी को पकड मलया और मरी ओर इशारा ककया कक भाग जा बचच ऐस मौक पर और भी मचल जात और वयथम मार खा जात मन बवदधमानी स काम मलया
लककन अददर का दशय इसस क ीि भयिकर था मरा तो खन सदम ो गया लिर क दानो ाथ एक खमब स बि थ सारी द िल-िसररत ो र ी थी और व अभी तक मससक र थ शायद व आगन-भर म लोट थ ऐसा मालम आ कक सारा आगन उसक आसओि स भर गया चची लिर को डाट र ी थीि और अममा बठन मसाला पीस र ी थीि सबस प ल मझ पर चची की नजर पडी बोली - लो व भी आ गया कयो र रपया तन चराया था कक इसन
मन ननशशिक ोकर क ा - लिर न
अममा बोली - अगर उसी न चराया था तो तन घर आकर ककसी स क ा कयो न ीि
अब झठ बोल बगर बचना मनशकल था म तो समझता था कक जब आदमी को जान का खतरा ो तो झठ बोलना कषमय लिर मार खान क आदी थ दो-चार घस और पडन स उनका कछ न बबगड सकता था मन मार कभी न खाई थी मरा तो दो ी घसो म काम तमाम ो जाता कफर लिर न भी तो अपन को बचान क मलए मझ फसान की चष टा की थी न ीि तो चची मझस य कयो पछती - रपया तन चराया या लिर न ककसी भी मसदधादत स मरा झठ बोलना
इस समय सततय न ीि तो कषमय जरर था मन छटत ी क ा - लिर क त थ कक ककसी को बताया तो मार डालगा
अममा - दखा व ी बात ननकली न म तो प ल ी क ती थी कक बचचा को ऐसी आदत न ीि पसा तो व ाथ स छता ी न ीि लककन सब लोग मझी को उलल बनान लग
लिर - मन तमस कब क ा था कक बताओग तो मारगा
म - व ीि तालाब क ककनार तो
लिर - अममा बबलकल झठ
चची - झठ न ीि सच झठा तो त और सारा सिसार सचचा तरा नाम ननकल गया न तरा बाप नौकरी करता बा र स रपया कमा लाता चार जन उस भला आदमी करत तो त भी सचचा ोता अब तो त ी झठा नजसक भाग म ममठाई मलखी थी उसन ममठाई खाई तर भाग म लात खानी ी मलखा था
य क त ए चची न लिर को खोल हदया और ाथ पकडकर भीतर ल गई मर ववषय म सन -पणम आलोचना करक अममा न पासा पलट हदया था न ीि तो अभी बचार पर न जान ककतनी मार पडती मन अममा क पास बठकर अपनी ननदोवषता का राग खब अलापा मरी सरल-हदय माता मझ सतय का अवतार समझती थी उद परा ववश वास ो गया कक सारा अपराि लिर का एक कषण बाद म गड-चबना मलए कोठरी स बा र ननकला लिर भी उसी वकत धचउडा खात ए बा र ननकल म दोनो साथ-साथ बा र आए और अपनी-अपनी बीती सनान लग मरी कथा सखमय थी लिर की दःखमय पर अदत दोनो का एक था - गड और चबना
लाछि
अगर सिसार म ऐसा पराणी ोता नजसकी आख लोगो क हदयो क भीतर घस सकती तो ऐस ब त कम सतरी या परष ोग जो उनक सामन सीिी आख करक ताक सकत मह ला आशरम की जगनबाई क ववषय म लोगो की िारणा कछ-ऐसी ी ो गयी थी व बपढी-मलखी गरीब बढी औरत थी दखन म ब त सरल
बडी समख लककन जस ककसी चतर परफरीडर की ननगा गलनतयो ी पर जा पडती उसी तर उसकी आख भी बराईयो ी पर प च जाती थीि श र म ऐसी कोई मह ला न थी नजसक ववषय म दो-चार लकी-नछपी बात उस न मालम ो उसका हठगना सथल शरीर मसर क िखचडी बाल गोल म फल-फल गाल
छोटी-छोटी आख उसक सवभाव की परखरता और तजी पर परदा-सा डाल र ती थी लककन जब व ककसी की कतसा करन लगती तो उसकी आकनत कठोर ो जाती आख फल जाती और कि ठ-सवर ककम श ो जाता उसकी चाल म बबनललयो का-सा सियम था दब पाव िीर-िीर चलती पर मशकार की आ ट पात ी जसत मारन को तयार ो जाती थी उसका काम था मह ला-आशरम म मह लाओि की सवा-ट ल करना पर मह लाए उसकी सरत स कापती थी उसका ऐसा आतिक था कक जयो ी व कमर म कदम रखती ओिठो पर खलती ई सी जस रो पडती थी च कनवाली आवाज बझ जाती थी मानो उनक मख पर लोगो को अपन वपछल र सय अिककत नजर आत ो वपछल र सय कौन जो अपन अतीत को ककसी भयिकर जदत क समान कठघरो म बदद करक न रखना चा ता ो िननयो को चोरो क भय स ननदरा न ीि आती माननयो को उसी भानत मान का रकषा करनी पडती व जदत जो कीट क समान अलपाकार र ा ोगा हदनो क साथ दीिम और सबल ोता जाता य ा तक की म उसकी याद ी स काप उठत और अपन ी कारनामो की बात ोती तो अधिकाश जगन को दतकारतीि पर य ा तो मक ससराल ननन ाल दहदयाल फकफयाल और मौमसयाल चारो ओर की रकषा करनी थी और नजस ककल म इतन दवार ो उसकी रकषा कौन कर सकता व ा तो मला करनवाल क सामन मसतक झकान म ी कशल जगन क हदल म जारो मद गड और व जररत
पडन पर उद उखाड हदया करती थी ज ा ककसी मह ला न दन की ली या शान हदखायी व ा जगन की तयोररया बदलीि उसकी एक कडी ननगा अचछ-अचछो को द ला दती थीि मगर य बात न थी कक नसतरया उसस घणा करती ो न ीि सभी बड चाव स उसस ममलती और उसका आदर-सतकार करतीि अपन पडोमसयो की ननिदा सनातन स मनषय क मलए मनोरिजन को ववषय र ी ओर जगन क पास इसका काफी सामान था
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नगर म इिदमती-मह ला-पाठशाला नाम का एक लडककयो का ाईसकल था ाल म ममस खरशद उसकी ड ममसरस ोकर आयी थी श र म मह लायो का दसरा कलब न था ममस खरशद मह ला एक हदन आशरम म आयीि ऐसी ऊच दज की मशकषा पायी ई आशरम म कोई दवी न थी उनकी बडी आवभगत ई प ल ी हदन मालम ो गया ममस खरशद क आन स आशरम म एक नय जीवन का सिचार ोगा व इस तर हदल खोलकर रक स ममलीि कछ ऐसी हदलचसप बात कीि कक सभी दववया मनि ो गयीि गान म भी चतर थीि वयाखयान भी खब दती थी और अमभनय-कला म तो उद ोन लिदन म नाम कमा मलया था ऐसी सवमगण-समपदना दवी का आना आशरम का सौभानय था गलाबी-गोरा रिग कोमल गाल मदभरी आख नय फशन क कट ए कश एक-एक अिग साच म ढला आ मादकता की इसस अचछन परनतमा न बन सकती थी
चलत समय ममस खरशद न ममसज टिडन को जो आशरम की परिान थीि एकादत म बलाकर पछा- य बहढया कौन
जगन कई बार कमर म आकर ममस खरशद को अदवषण की आखो स दख चकी थी मानो कोई श सवार ककसी नयी घोडी को दख र ा ो
ममसज टिडन न मसकराकर क ा- य ा ऊपर का काम करन क मलए नौकर कोई काम ो तो बलाऊ ममस खरशद न िदयवाद दकर क ा- जी न ीि कोई ववशष काम न ीि मझ चालबाज मालम ोती य भी दख र ीि कक य ा की सववका न ीि सवाममनी ममसज टिडन तो जगन स जली बठन थी इनक विवय को लािनछत करन क मलए व सदा-स ाधगन क ा करती थी ममस खरशद स उसकी नजतनी बराई ो सकी व की और उसस सचत र न का आदश हदया
ममस खरशद न गमभीर ोकर क ा- तब तो भयिकर सतरी तभी सब दववया इसस कापती आप इस ननकाल कयो न ी दती ऐसी चडल को एक हदन भी न रखना चाह ए
ममसज टिडन न मजबरी बतायी- कस ननकाल द नजददा र ना मनशकल ो जाए मारा भानय उसकी मिी म आपको दो-चार हदन म उसक जौ र हदखग म तो डरती क ीि आप भी उसक पिज म न फस जाय उसक सामन भलकर भी ककसी परष स बात न कीनजएगा इसक गोयिद न जान क ा-क ा लग ए नौकरो स ममलकर भद य ल डाककयो स ममलकर धचहिया य दख लडको को फसलाकर घर का ाल य पछ इस राड को खकफया पमलस म जाना चाह ए था य ा न जान कयो आ मरी
ममस खरशद धचनदतत ो गयी मानो इस समसया को ल करन की कफकर म ोष एक कषण बाद बोली- अचछा म इस ठनक करगी अगर ननकाल न द तो क ना
ममसज टिडन- ननकाल दन ी स कया ोगा उसकी जबान तो बदद न ोगी तब तो व और ननडर ोकर कीचड फ कगी
ममस खरशद न नननशचित सवर स क ा- म उसकी जबान भी बदद कर दगी ब न आप दख लीनजएगा टक की औरत य ा बादशा त कर र ी म य बदामशत न ी कर सकती
व चली गयी तो ममसज टिडन न जगन को बलाकर क ा- इन नयी ममस सा ब को दखा य ा वपर िमसपल
जगन न दवष भर सवर म क ा - आप दख म ऐसी सकडो छोकररया दख चकी आखो का पानी जस मर गया ो
ममसज टिडन िीर स बोली- तम कचचा ी खा जायगी उनस डरती र ना क गयी म इस ठनक करक छोडगी मन सोचा तम चता द ऐसा न ो उसक सामन कछ ऐसी-वसी बात क बठो
जगन न मानो तलवार खीचकर क ा- मझ चतान का काम न ीि उद चता दीनजएगा य ा का आना न बदद कर द तो अपन बाप की न ीि
ममसज टिडन न पीठ ठोकी- मन समझा हदया भाई आग तम जानो तम ारा काम जान
जगन- आप चपचाप दखती जाइएि कसी नतगनी का नाच नचाती इसन अब बया कयो न ीि ककया उमर तो तीस क लगभग ोगी
ममसज टिडन न रददा जमाया- क ती म शादी करना ी न ीि चा ती ककसी परष क ाथ कयो अपनी आजादी बच
जगन न आख नचाकर क ा- कोई पछता ी न ोगा ऐसी ब त-सी कवाररया दख चकी सतर च खाकर बबलली चली जज चली
और कई लडडया आ गयीि और बात का मसलमसला बदद ो गया
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दसर हदन सवर जगन ममस खरशद क बगल पर प ची ममस खरशद वा खान गयी ई थी खानसामा न पछा- क ा स आती ो
जगन- य ीि र ती बटा मम सा ब क ा स आयी तम इनक परान नौकर ोग
खान - नागपर स आयी मरा घर भी व ीि दस साल स इनक साथ
जगन- ककसी ऊच खानदान की ोगी व तो रिग-ढिग स ी मालम ोता
खान- खानदान तो कछ ऐसा ऊचा न ीि इनकी मा अभी तक ममशन म 30 र पाती य पढन म तज थीि वजीफा ममल गया ववलायत चली गयी बस तकदीर खल गयी अब तो अपनी मा को बलानवाली लककन बहढया शायद ी आय य धगरज-ववरज न ीि जातीि इसस दोनो म पटती न ीि
जगन- ममजाज की तज मालम ोती
खान- न ीि यो तो ब त नक धगरज न ीि जातीि तम कया नौकरी की तलाश म ो करना चा ो तो कर लो एक आया रखना चा ती
जगन- न ी बटा म अब कया नौकरी करगी इस बगल म प ल जो मम र ती थीि मझ पर बडी ननगा रखती थीि मन समझा चल नयी मम सा ब को आशीवामद द आऊ
खान- य आशीवामद लन वाली मम न ी ऐसो स ब त धचढती कोई मगता आया और उस डाट बताई क ती बबना काम ककय ककसी को नजददा र न का क न ीि भला चा ती ो तो चपक स रा लो
जगन- तो य क ो इनका कोई िरम-करम न ीि कफर भला गरीबो पर कयो दया करन लगी
जगन को अपनी दीवार खडी करन क मलए काफी सामान ममल गया- नीच खानदान की मा स पटती न ीि िमम स ववमख प ल िाव म इतनी सफलता कछ कम न थी चलत-चलत खानसामा स इतना और पछा- इनक सा ब कया करत खानसामा न मसकराकर क ा- इनकी तो अभी शादी ी न ीि ई सा ब क ा स ोग
जगन न बनाबटी आशचयम स क ा- अर अब तक बया न ी आ मार य ा तो दननया सन लग
खान - अपना- अपना ररवाज इनक य ा तो ककतनी ी औरत उमरभर बया न ीि करती
जगन न मामममक भाव स क ा- ऐसी कवाररयो को म भी ब त दख चकी मारी बबरादरी म कोई इस तर र तो थडी-थडी ो जाय मदा इनक य ा जो जी म आव कर कोई न ीि पछता
इतन म ममस खरशद आ प ची गलाबी जाडा पडन लगा था ममस सा ब साडी क ऊपर ओवर कोट प न ए थी एक ाथ म छतरी थी दसर म कतत की जिजीर परभात की शीतल वाय म वयायाम न कपोलो को ताजा और सखम कर हदया था जगन न झककर सलाम ककया पर उद ोन उस दखकर भी न दखा अददर जात ी खानसामा को बलाकर पछा- य औरत कया करन आयी
खानसामा न जत का फीता खोलत ए क ा- मभखाररन जर पर औरत समझदार मन क ा य ा नौकरी करगी तो राजी न ीि ई पछन लगी इनक सा ब कया करत जब मन बता हदया तो इसस बडा ताजजब आ और ोना भी चाह ए ह ददओि म तो दिम बालको तक का वववा ो जाता
खरशद न जाच की- और कया क ती थी
और तो कोई बात न ी जर
अचछा उस मर पास भज दो
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जगन न जयो ी कमर म कदम रखा ममस खरशद न कसी स उठकर सवागत ककया- आइय मा जी म जरा सर करन चली गयी थी आपक आशरम म सब कशल
जगन एक कसी का तककया पकडकर खडी-खडी बोली- कशल ममस सा ब मन क ा आपको आशीवामद द आऊ म आपकी चली जब कोई काम पड
मझ याद कीनजएगा य ा अकल तो जर को अचछा न लगता ोगा
ममस- मझ अपन सकल की लडककयो क साथ बडा आनदद ममलता व सब मरी ी लडककया
जगन न मात-भाव स मसर ह लाकर क ा- य ठनक ममस सा ब पर अपना-अपना ी ोता दसरा अपना ो जाएगा तो अपनो क मलए कोई कयो रोय
स सा एक सददर सजीला यवक रशमी सट िारण ककय जत चरमर करता आ अददर आया ममस खरशद न इस तर दौडकर परम स उसका अमभवादन ककया मानो जाम म फली न समाती ो जगन उस दखकर कोन म दबक गयी
खरशद न यवक स गल ममलकर क ा- पयार म कब स तम ारी रा दख र ी (जगन स) मा जी आप जाए कफर कभी आना य मर परम ममतर ववमलयम ककि ग म और य ब त हदनो तक साथ-साथ पढ
जगन चपक स ननकलकर बा र आयी खानसामा खडा था पछा- य लौडा कौन
खानसामा न मसर ह लाया- मन इस आज ी दखा शायद अब कवारपन स जी ऊबा अचछा तर दार जवान
जगन- दोनो इस तर टटकर गल ममल कक म लाज क मार गड गयी ऐसी चमा-चाटी तो जोर-खसम म भी न ीि ोती दोनो मलपट गय लौडा तो मझ दखकर िझझकता था पर तम ारी ममस सा ब तो जस मतवाली ो गयी थी
खानसामा न मानो अमिगल आभास स क ा- मझ तो कछ बढब मामला नजर आता
जगन तो य ा स सीि ममसज टिडन क घर प ची इिर ममस खरशद और यवक म बात ोन लगी
ममस खरशद न क क ा मारकर क ा- तमन अपन खब खला लीला बहढया सचमच चौधिया गयी
लीला- म तो डर र ी थी कक क ीि बहढया भाप न जाय
ममस खरशद- मझ ववशवास था व आज जरर आयगी मन दर ी स उस बरामद म दखा और तम सचना दी आज आशरम म बड मज र ग जी चा ता मह लाओि की कनफसककया सनती दख लना सभी उसकी बातो पर ववशवास करगी
लीला- तम भी तो जान-बझकर दलदल म पाव रख र ी ो
ममस खरशद- मझ अमभनय म मजा आता ब न हदललगी र गी बहढया न बडा जलम कर रखा जरा उस सबक दना चा ती कल तम इसी वकत
इसी ठाट स कफर आ जाना बहढया कल कफर आयगी उसक पट म पानी न जम ोगा न ीि ऐसा कयो नजस वकत आयगी म तम खबर दगी बस तम छला बनी प च जाना
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आशरम म उस हदन जगन को दम मारन की फसमत न ममली उसन सारा वतताित ममसज टिडन स क ा ममसज टिडन दौडी ई आशरम प ची और अदय मह लाओि को खबर सनाई जगन इसकी तसदीक करन क मलए बलायी गयी जो मह ला आती व जगन क म स य कथा सनती र एक रर समल म कछ-कछ रिग और चढ जाता य ा तक कक दोप र ोत- ोत सार श र क सभय समाज म य खबर गज उठन
एक दवी न पछा- य यवक कौन
मम टिडन- सना तो उनक साथ का पढा आ दोनो म प ल स कछ बातचीत र ी ोगी व ी तो म क ती थी कक इतनी उमर ो गयी कवारी कस बठन अब कलई खली
जगन- और कछ ो या न ो जवान तो बाका
मम टिडन- य मारी ववदवान ब नो का ाल
जगन- म तो उसकी सरत दखत ी ताड गयी थी िप म बाल न ीि सफद ककय
मम टिडन- कल कफर जाना
जगन- कल न ीि म आज रात ी को जाऊगी
लककन रात को जान क मलए कोई ब ाना जररी था मम टिडन न आशरम क मलए एक ककताब मगवा भजी रात को नौ बज जगन ममस खरशद क बगल पर जा प ची सियोग स लीलावती उस वकत मौजद थी बोली- बहढया तो बतर पीछ पड गयी
ममस खरशद- मन तमस क ा था उसक पट म पानी न पचगा तम जाकर रप भर आओ तब तक इस म बातो म लगाती शराबबयो की तर अिट-सिट बकना शर करना मझ भगा ल जान का परसताव भी करना बस यो बन जाना जस अपन ोश म न ीि ो
लीला ममशन म डॉकटर थी उसका बगला भी पास ी था व चली गयी तो ममस खरशद न जगन को बलाया
जगन न एक पजाम दखकर क ा- ममसज टिडन म य ककताब मागी मझ आन म दर ो गयी म इस वकत आपको कषट न दती पर सवर ी व मझस मागगी जारो रपय की आमदनी ममस सा ब मगर एक-एक कौडी दात स पकडती इनक दवार पर मभखारी को भीख तक न ीि ममलती
ममस खरशद न पजाम दखकर क ा- इस वकत तो य ककताब न ी ममल सकती सब ल जाना तमस कछ बात करनी बठो म अभी आती
व परदा उठाकर पीछ क कमर म चली गयी और व ा स कोई पददर ममनट म एक सददर रशमी साडी प न इतर म बसी ई म म पाउडर लगाय ननकली जगन न उस आख फाडकर दखा ओ ो य शरिगार शायद इस समय व लौडा आनवाला ोगा तभी य तयाररया न ीि तो सोन क समय कवाररयो को बनाव-सवार की कया जररत जगन की नीनत स नसतरयो क शरिगार का कवल एक उददशय था पनत को लभाना इसमलए स ाधगनो क मसवा शरिगार और सभी क मलए वनजमत था अभी खरशद कसी पर बठन भी न पायी थी कक जतो का चरमर सनाई हदया और एक कषण म ववमलयम ककि ग न कमर म कदम रखा
उसकी आख चढी ई मालम ोती थी और कपडो स शराब की गिि आ र ी थी उसन बिडक ममस खरशद को छाती स लगा मलया और बार-बार उसक कपोलो क चमबन लन लगा
ममस खरशद न अपन को उसक बा -पाश स छडान की चषटा करक क ा- चलो टो शराब पीकर आय ो
ककि ग न उस और धचपटाकर क ा- आज तम भी वपलाऊगा वपरय तमको पीना ोगा कफर म दोनो मलपटकर सोएग नश म परम ककतना सजीव ो जाता इसकी परीकषा कर लो
ममस खरशद न इस तर जगन की उपनसथनत का उस सिकत ककया कक जगन की नजर पड जाय पर ककि ग नश न मसत था जगन की तरफ दखा ी न ीि
ममस खरशद न रोष क साथ अपन को अलग करक क ा- तम इस वकत आप म न ीि ो इतन उतावल कयो ए जात ो कया म क ीि भागी जा र ी
ककि ग- इतन हदनो चोरो की तर आया आज स खल खजान आऊगा
खरशद- तम तो पागल ो र ो दखत न ी ो कमर म कौन बठा आ
ककि ग न कबकाकर जगन की तरफ दखा और िझझककर बोला- य बहढया य ा कब आयी तम य ा कयो आयी बडढी शतान की बचची भद लन आती मको बदनाम करना चा ती म तरा गला घोट दगा ठ र भागती क ा म तझ नजददा न छोडगा
जगन बबलली की तर कमर स ननकली और मसर पर पाव रखकर भागी उिर कमर स क क उठ-उठकर छत को ह लान लग
जगन उसी वकत ममसज टिडन क घर प ची उसक पट म बलबल उठ र थ
पर ममसज टिडन सो गयी थी व ा स ननराश ोकर उसन कई दसर घरो की कि डी खटखटायी पर कोई दवार न खला और दिखया को सारी रात इसी तर काटनी पडी मानो कोई रोता आ बचचा गोद म ो परातःकाल व आशरम म जा कदी
कोई आि घिट म ममसज टिडन भी आयी उद दखकर उसन म फर मलया
मम टिडन न पछा- रात तम मर घर गयी थीि इस वकत म ाराज न क ा
जगन न ववरकत भाव स क ा- पयासा ी तो कए क पास जाता कआ थोड ी पयास क पास आता मझ आग म झोककर आप दर ट गयीि भगवान न मरी रकषा की न ी कल जान ी गयी थी
मम टिडन न उतसकता स क ा- आ कया कछ क ो मझ तमन जगा कयो न हदया तम तो जानती ी ो मरी आदत सवर सो जान की
म ाराज न घर म घसन ी न हदया जगा कस लती आपको इतना तो सोचना चाह ए था कक व ा गयी तो आती ोगी घडी भर बाद सोती तो कया बबगड जाता पर आपको ककसी की कया परवा
तो कया आ ममस खरशद मारन दौडी
व न ीि मारन दौडी उसका व खसम व मारन दौडा लाल आख ननकाल आया और मझस क ा- ननकल जा जब तर म ननकल-ननकल तब तक िटर खीिचकर दौड ी तो पडा म मसर पर पाव रखकर न भागती तो चमडी उिड डालता और व राड बठन तमाशा दखती र ी दोनो म प ल स ी सिी-वदी थी ऐसी कलटाओि का म दखना पाप वसवा भी इतनी ननलमजज न ोगी
जरा दर म और भी दववया आ प ची य सनन क मलए सभी उतसक ो र ी थी जगन की क ची अववशराित रप स चलती र ी मह लाओि को इस वतताित म इतना आनदद आ र ा था कक कछ न पछो एक-एक बात को खोद-खोदकर पछती थी घर क काम-ििि भल गय खान-पीन की सधि न र ी और एक बार सनकर उनकी तनपत न ोती थी बार-बार व ी कथा नए आनदद स सनती थीि
ममसज टिडन न अित म क ा- म आशरम म ऐसी मह लाओि को लाना अनधचत आप लोग इस परशन पर ववचार कर
ममसज पिडया न समथमन ककया- म आशरम को आदशम स धगराना न ी चा त म तो क ती ऐसी औरत ककसी सिसथा की वपरिमसपल बनन क योनय न ीि
ममसज बागडा न फरमाया- जगनबाई न ठनक क ा था ऐसी औरत का म दखना भी पाप उसस साफ क दना चाह ए आप य ा तशरीफ न लाए
अभी य ी िखचडी पक ी र ी थी कक आशरम क सामन एक मोटर आकर रकी मह लाओि न मसर उठा-उठाकर दखा गाडी म ममस खरशद और ववमलयम ककि ग
जगन न म फलाकर ाथ स इशारा ककया व ीि लौडा मह लाओि का समपणम सम धचक क समान आन क मलए ववकल ो गया
ममस खरशद न मोटर स उतर कर ड बदद कर हदया और आशरम क दवार की ओर चली मह लाए भाग-भागकर अपनी-अपनी जग आ बठन
ममस खरशद न कमर म कदम रकखा ककसी न सवागत न ककया ममस खरशद न जगन की ओर ननससिकोच आखो स दखकर मसकात ए क ा- कह ए बाईजी रात आपको चोट तो न ी आयी
जगन न ब तरी दीदा-हदलर नसतरया दखी थी पर इस हढठाई न उस चककत कर हदया चोर ाथ म चोरी का माल मलय सा को ललकार र ा था
जगन न ऐिठकर क ा- जी न भरा ो तो अब वपटवा दो सामन ी तो
खरशद- व इस वकत तमस अपना अपराि कषमा करान आय रात व नश म थ
जगन न ममसज टिडन की ओर दखकर क ा- और आप भी तो कछ कम नश म न ी थी
खरशद न वयिनय समझकर क ा- मन आज तक कभी न ी पी मझ पर झठा इलजाम मत लगाओ
जगन न लाठन मारी- शराब स भी बड नश की चीज कोई व उसी का नशा ोगा उन म ाशय को परद म कयो ढक हदया दववया भी तो उनकी सरत दखती
ममस खरशद न शरारत की- सरत तो उनकी लाख-दो लाख म एक
ममसज टिडन न आशिककत ोकर क ा- न ीि उद य ा लान की जररत न ी आशरम को म बदनाम न ीि करना चा त
ममस खरशद न आगर ककया- मामल को साफ करन क मलए उनका आप लोगो क सामन आना जररी था एक तरफा फसला आप कयो करती
ममसज टिडन न टालन क मलए क ा- य ा कोई मकददमा थोड ी पश
ममस खरशद- वा मरी इजजत म बटटा लगा जा र ा और आप क ती कोई मकददमा न ी ममसटर ककि ग आयग और आपको उनका बयान सनना ोगा
ममसज टिडन क छोडकर और सभी मह लाए ककि ग को दखन क मलए उतसक थी ककसी न ववरोि न ककया
खरशद न दवार पर आकर ऊची आवाज स क ा- तम जरा य ा चल आओ
ड खला औऱ ममस लीलावती रशमी साडी प न मसकाती ई ननकल आयी
आशरम म सदनाटा छा गया दववया ववनसमत आखो स लीलावती को दखन लगी
जगन न आख चमकाकर क ा- उद क ा नछपा हदया आपन
खरशद- छमितर स उड गय जाकर गाडी दख लो
जगन लपककर गाडी क पास गयी और खब दख-भालकर म लटकाय ए लौटी
ममस खरशद न पछा- कया आ ममला कोई
जगन- म य नतररया-चररतर कया जान (लीलावती को गौर स दखकर) और मरदो को साडी प नाकर आखो म िल झोक र ी ो य ी तो व मतवाल सा ब
खरशद- खब प चानती ो
जगन- ा- ा कया अिी
ममसज टिडन- कया पागलो-सी बात करती ो जगन य तो डॉकटर लीलावती
जगन- (उगली चमकाकर) चमलए चमलए लीलावती साडी प नकर औरत बनत लाज भी न ी आती तम रात को न ीि इनक घर थ
लीलावती न ववनोद-भाव स क ा- म कब इनकार कर र ी इस वकत लीलावती रात को ववमलयम ककि ग बन जाती इसम बात ी कया
दववयो को अब यथाथम की लामलमा हदखाई दी चारो ओर क क पडन लग कोई तामलया बजाती कोई डॉकटर लीलावती स मलपटी जाती थी कोई ममस खरशद की पीठ पर थपककया दती थी कई ममनट तक - क मचता र ा जगन का म उस लामलमा म बबलकल जरा-सा ननकल आया जबान बदद ो गयी ऐसा चरका उसन कभी न खाया था इतनी जलील कभी न ई थी
ममसज म रा न डाट बताई- अब बोलो दाई लगी म म कामलख कक न ीि
ममसज बागडा- इसी तर य सबको बदनाम करती
लीलावती- आप लोग भी तो व जो क ती उस पर ववशवास कर लती
इस डबोग म जगन को ककसी न जात न दखा अपन मसर पर य तफान दखकर उस चपक स सरक जान ी म अपनी कशल मालम ई पीछ क दवार स ननकली और गमलयो-गमलयो भागी
ममस खरशद न क ा- जरा उसस पछोस मर पीछ कयो पड गयी
ममसज टिडन न पकारा पर जगन क ा तलाश ोन लगी जगन गायब
उस हदन स श र म कफर ककसी न जगन की सरत न ीि दखी आशरम क इनत ास म य मामला आज भी उललख और मनोरिजन का ववषय बना आ
कजाकी
मरी बाल-समनतयो म कजाकी एक न ममटन वाला वयनकत आज चालीस साल गजर गए कजाकी की मनतम अभी तक आखो क सामन नाच र ी म उन हदनो अपन वपता क साथ आजमगढ की एक त सील म था कजाकी जानत का पासी था बडा ी समख बडा ी सा सी बडा ी नजददाहदल व रोज शाम को डाक का थला लकर आता रात-भर र ता और सवर डाक लकर चला जाता शाम को कफर उिर स डाक लकर आता म हदन-भर एक उदववनन दशा म उसकी रा दखा करता जयो ी चार बजत वयाकल ोकर सडक पर आ खडा ो जाता और थोडी दर म कजाकी कदि पर बललम रख उसकी झिझनी बजाता दर स दौडता आ आता हदखलाई दता व सावल रिग की गठनला लमबा जवान था शरीर सािच म ऐसा ढला था कक चतर मनतमकार भी उसम कोई दोष न ननकाल सकता उसकी छोटी-छोटी मछ उसक सडौल च र पर ब त अचछन मालम ोती थीि मझ दखकर व और तज दौडन लगता उसकी झिझनी और तजी स बजन लगती और मर हदय म और जोर स खशी की धडकन ोन लगती षमनतरक म म दौड पडता और एक कषण म कजाकी का कदिा मरा मसि ासन बन जाता व सथान मरी अमभलाषाओि का सवगम था सवगम क ननवामसयो को भी शायद व आददोमलत आनदद न ममलता ोगा जो मझ कजाकी क ववशाल कदिो पर ममलता था सिसार मरी आखो म तचछ ो जाता और जब कजाकी मझ कदि पर मलए ए दौडन लगता तब तो ऐसा मालम ोता मानो म वा क घोड पर उडा जा र ा
कजाकी डाकखान म प चता तो पसीन स तर र ता लककन आराम करन की आदत न थी थला रखत ी व म लोगो को लकर ककसी मदान म ननकल जाता कभी मार साथ खलता कभी बबर गाकर सनाता और कभी क ाननया उस चोरी और डाक मार-पीट भत-परत की सकडो क ाननया याद थीि म य क ाननया सनकर ववसमयपणम आनदद म मनन ो जाता उसकी क ाननयो क
चोर और डाक सचच योदधा ोत थ जो अमीरो को लटकर दीन-दखी परािणयो का पालन करत थ मझ उन पर घणा क बदल शरदधा ोती थी
एक हदन कजाकी को डाक का थला लकर आन म दर ो गई सयामसत ो गया और व हदखलाई न हदया म खोया आ-सा सडक पर दर तक आख फाड-फाडकर दखता था पर व पररधचत रखा न हदखलाई पडती थी कान लगाकर सनता था झन-झन की व आमोदमय वनन न सनाई दती थी परकाश स साथ मरी आशा भी ममलन ोती जाती थी उिर स ककसी को आत दखता तो पछता - कजाकी आता पर या तो कोई सनता ी न था या कवल मसर ह ला दता था
स सा झन-झन की आवाज कानो म आई मझ अिर म चारो ओर भत- ी-भत हदखलाई दत थ - य ा तक कक माताजी क कमर म ताक पर रखी ई ममठाई भी अिरा ो जान क बाद मर मलए तयाजय ो जाती थी लककन व आवाज सनत ी म उसकी तरफ जोर स दौडा ा व कजाकी ी था उसक दखत ी मरी ववकलता करोि म बदल गई म उस मारन लगा कफर रठकर अलग खडा ो गया
कजाकी न सकर क ा - मारोग तो म एक चीज लाया व न दगा
मन सा स करक क ा - जाओ मत दना म लगा ी न ीि
कजाकी - अभी हदखा द तो दौडकर गोद म आ जाओग
मन वपघलकर क ा - अचछा हदखा दो
कजाकी - तो आकर मर कि ि पर बठ जाओ भाग चल आज ब त दर ो गई बाब जी बबगड र ोग
मन अकडकर क ा - प ल हदखा
मरी ववजय ई अगर कजाकी को दर का डर न ोता और व एक ममनट भी और रक सकता तो शायद पासा पलट जाता उसन कोई चीज हदखलाई नजस एक ाथ स छाती म धचपकाए ए था लमबा म था और दो आख चमक र ी थी मन दौडकर कजाकी की गोद स ल मलया य ह रन का बचचा था आ मरी उस खशी का कौन अनमान करगा तबस कहठ परीकषाए पास की अचछा पद पाया रायब ादर भी आ पर व खशी कफर न ामसल ई म उस गोद म मलए
उसक कोमल सपशम का आनदद उठाता घर की ओर दौडा कजाकी को दर इतनी दर कयो ई इसका खयाल ी न र ा
मन पछा - य क ा ममला कजाकी
कजाकी - भया य ा स थोडी दर पर एक छोटा-सा जिगल उसम ब त-स ह रन मरा ब त जी चा ता था कक कोई बचचा ममल जाए तो तम द आज य बचचा ह रनो क झिड क साथ हदखलाई हदया म झिड की ओर दौडा तो सब-क-सब भाग य बचचा भी भागा लककन मन पीछा न छोडा और ह रन तो ब त दर ननकल गए य ीि पीछ र गया मन इस पकड मलया इसी स इतनी दर ई
यो बात करत म दोनो डाकखान प च बाबजी न मझ न दखा ह रन क बचच को भी न दखा कजाकी ी पर उनकी ननगा पडी बबगडकर बोल - आज इतनी दर क ा लगाई अब थला लकर आया उस लकर कया कर डाक तो चली गई बता तन इतनी दर क ा लगाई
कजाकी क म स आवाज न ननकली
बाबजी न क ा - तझ शायद अब नौकरी न ीि करनी नीच न पट भरा तो मोटा ो गया जब भखो मरन लगगा तो आख खलगी
कजाकी चपचाप खडा र ा
बाबजी का करोि और बढा कफर बोल - अचछा थला रख द और अपन घर की रा ल सअर अब डाक ल क आया तरा कया बबगडगा ज ा चा गा मजरी कर लगा माथ तो मर जाएगी जवाब तो मझस तलब ोगा
कजाकी न रआसा ोकर क ा - सरकार अब कभी दर न ोगी
बाबजी - आज कयो दर की इसका जवाब द
कजाकी क पास कोई जवाब न था आश चयम तो य था कक मरी भी जबान बदद ो गई बाबजी बड गससदार थ उद काम करना पडता था इसी स बात-बात पर झझला पडत थ म तो उनक सामन कभी जाता न था व भी मझ कभी पयार न करत थ घर म कवल दो बार घदट-घदट-भर क मलए भोजन करन आत थ बाकी सार हदन दफतर म मलखा करत थ उद ोन बार-बार एक स कारी क मलए अफसरो स ववनय की थी पर इसका कछ असर न आ था य ा तक कक तातील क हदन भी बाबजी दफतर ी म र त थ कवल माताजी उनका करोि शादत करना जानती थी पर व दफतर म कस आतीि बचारा कजाकी उसी वकत मर दखत-दखत ननकाल हदया गया उसकी बललम चपरास और साफा छनन मलया गया और उस डाकखान स ननकल जान का नाहदरी कम सना हदया आ उस वकत मरा ऐसा जी चा ता था कक मर पास सोन की लिका ोती तो कजाकी को द दता और बाबजी को हदखा दता कक आपक ननकाल दन स कजाकी का बाल भी बाका न ीि आ ककसी योदधा को अपनी तलवार पर नजतना घमिड ोता उतना ी घमिड कजाकी को अपनी चपरास पर था जब व चपरास खोलन लगा तो उसक ाथ काप र थ और आखो स आस ब र थ और इस सार उपदरव की जड व कोमल वसत थी जो मरी गोद म म नछपाए
ऐस चन स बठन ई थी मानो माता की गोद म ो जब कजाकी चला तो म िीर-िीर उसक पीछ-पीछ चला मर घर क दवार पर आकर कजाकी न क ा - भया अब घर जाओ साझ ो गई
म चपचाप खडा र ा अपन आसओि क वग को सारी शनकत स दबा र ा था कजाकी कफर बोला - भया म क ीि बा र थोड ी चला जाऊगा कफर आऊगा और तम कदि पर बठाकर कदाऊगा बाबजी न नौकरी ल ली तो कया इतना भी न करन दग तमको छोडकर म क ीि न जाऊगा भया जाकर अममा स क ा दो कजाकी जाता उसका क ा-सना माफ कर
म दौडता आ घर गया लककन अममाजी स कछ क न क बदल बबलख-बबलखकर रोन लगा अममाजी रसोई क बा र ननकलकर पछन लगी - कया आ बटा ककसन मारा बाबजी न कछ क ा अचछा र तो जाओ आज घर आत पछती जब दखो मर लडक को मारा करत चप र ो बटा अब तम उनक पास कभी मत जाना
मन बडी मनशकल स आवाज समभालकर क ा - कजाकी
अममा न समझा कजाकी न मारा बोली - अचछा आन दो कजाकी को दखो खड-खड ननकलवा दती रकारा ोकर मर राजा बटा को मार आज ी तो साफा बललम सब नछनवाए लती वा
मन जलदी स क ा - न ीि कजाकी न न ीि मारा बाबजी न उस ननकाल हदया
उसकी साफा बललम छनन मलया चपरास भी ल मलया
अममा - य तम ार बाबजी न ब त बरा ककया व बचारा अपन काम म इतना चौकस र ता कफर उस कयो ननकाला
मन क ा - आज उस दर ो गई थी
य क कर मन ह रन क बचच को गोद स उतार हदया घर म उसक भाग जान का भय न था अब तक अममा की ननगा भी उस पर न पडी थी उस फदकत दखकर व स सा चौक पडी और लपककर मरा ाथ पकड मलया कक क ीि य भयिकर जीव मझ काट न खाए म क ा तो फट-फटकर रो र ा था और क ा अममा की घबरा ट दखकर िखलिखलाकर स पडा
अममा - अर य तो ह रन का बचचा क ा ममला
मन ह रन क बचच का सारा इनत ास और उसका भीषण पररणाम आहद स अदत तक क सनाया - अममा य इतना तज भागता था कक कोई दसरा ोता तो पकड ी न सकता सन-सन वा की उडता चला जाता था कजाकी पाच-छः घदट तक इसक पीछ दौडता र ा तब क ीि जाकर बचा ममला अममाजी कजाकी की तर कोई दननया-भर म न ीि दौड सकता इसी स तो दर ो गई इसमलए बाबजी न बचार को ननकाल हदया - चपरास बललम सब छनन मलया अब बचारा कया करगा भखो मर जाएगा
अममा न पछा - क ा कजाकी जरा उस बला तो लाओ
मन क ा - बा र तो खडा क ता था अममाजी स मरा क ा-सना माफ करवा दना
अब तक अममाजी मर वततादत को हदललगी समझ र ी थी शायद य समझती थीि कक बाबजी न कजाकी को डाटा ोगा लककन मरा अनदतम वाकय सनकर सिशय आ कक क ीि सचमच तो कजाकी बरखासत न ीि कर हदया गया बा र आकर कजाकी कजाकी पकारन लगी पर कजाकी का क ीि पता न था मन बार-बार पकारा लककन कजाकी व ा न था
खाना तो मन खा मलया बचच शोक म खाना न ीि छोडत खासकर जब रबडी भी सामन ो मगर बडी रात तक पड-पड सोचता र ा - मर पास रपए ोत तो एक
लाख रपए कजाकी को द दता और क ता बाबजी स कभी मत बोलना बचारा भखो मर जाएगा दख कल आता कक न ीि अब कया करगा आकर मगर आन को तो क गया म कल उस अपन साथ खाना िखलाऊगा
य ी वाई ककल बनात-बनात मझ नीिद आ गई
दसर हदन म हदन-भर अपन ह रन क बचच की सवा-सतकार म वयसत र ा प ल उसका नामकरण सिसकार आ मदन नाम रखा गया कफर मन उसका अपन मजोमलयो और स पाहठयो स पररचय कराया हदन ी भर म व मझस इतना ह ल गया कक मर पीछ-पीछ दौडन लगा इतनी दर म मन उस अपन जीवन म एक म ततवपणम सथान द हदया अपन भववषय म ि बनन वाल ववशाल भवन म उसक मलए अलग कमरा बनान का भी ननश चय कर मलया चारपाई सर करन की कफटन आहद का भी आयोजन कर मलया
लककन सदया ोत ी म सब कछ छोड-छाडकर सडक पर जा खडा आ और कजाकी की बाट जो न लगा जानता था कक कजाकी ननकाल हदया गया अब उस य ा आन की कोई जररत न ीि र ी कफर न जान मझ कयो य आशा ो र ी थी कक व आ र ा एकाएक मझ खयाल आया कक कजाकी भखो मर र ा ोगा म तरदत आटा ाथो म लपट टोकरी स धगरत आट की एक लकीर बनाता आ भागा जाकर सडक पर खडा आ ी था कक कजाकी सामन स आता आ हदखलाई हदया उसक ाथ म बललम भी था कमर म चपरास भी मसर पर साफा भी बिा आ था बललम म डाक का थला भी बिा आ था म दौडकर उसकी कमर स मलपट गया और ववनसमत ोकर बोला - तम चपरास और बललम क ा स ममल गया कजाकी
कजाकी न मझ उठाकर कदि पर बठात ए क ा - व चपरास ककस काम की थी भया व तो गलामी की चपरास थी य परानी खशी की चपरास प ल सरकार का नौकर था अब त म ारा नौकर
य क त-क त उसकी ननगा टोकरी पर पडी जो व ी रखी थी कफर बोला - य आटा कसा भया
मन सकचात ए क ा - तम ार ी मलए तो लाया तम भख ोग आज कया खाया ोगा
कजाकी की आख तो म न दख सका उसक कदि पर बठा आ था ा उसकी आवाज स मालम आ कक उसका गला भर आया व बोला - भया कया रखी ी रोहटया खाऊगा दाल नम घी - और तो कछ न ीि
म अपनी भल पर ब त लनजजत आ सच तो बचारा रखी रोहटया कस खाएगा लककन नमक दाल घी कस लाऊ अब तो अममा चौक म ोगी आटा लकर तो ककसी तर भाग आया था (अभी तक मझ न मालम था कक मरी चोरी पकड ली गई आट की लकीर न सराग द हदया ) अब य तीन-तीन चीज कस लाऊगा अममा स मागगा तो कभी न दगी एक-एक पस क मलए तो घिटो रलाती इतनी सारी चीज कयो दन लगी एकाएक मझ एक बात याद आई मन अपनी ककताबो क बसतो म कई आन पस रख छोड थ मझ पस जमा करक रखन म बडा आनदद आता था मालम न ी अब व आदत कयो बदल गई अब भी व ी आदत ोती तो शायद इतना फाकमसत न र ता बाबजी मझ पयार तो कभी न करत थ पर पस खब दत थ शायद अपन काम म वयसत र न क कारण मझस वपिड छडान क मलए नसख को सबस आसान समझत थ इनकार करन म मर रोन और मचलन का भय था इस बािा को व दर ी स टाल दत थ अममा का सवभाव इसस ठनक परनतकल था उद मर रोन और मचलन स ककसी काम म बािा पडन का भय न था आदमी लट-लट हदन-भर रोना सन सकता ह साब लगात ए जोर की आवाज स यान बट जाता
अममा मझ पयार तो ब त करती थी पर पस का नाम सनत ी उनकी तयोररया बदल जाती थी मर पास ककताब न थी ा एक बसता था नजसम डाकखान क दो-चार फामम त करक पसतक रप म रख ए थ मन सोचा - दाल नमक और घी स मलए कया उतन पस काफी न ोग मरी मिी म न ीि आत य ननश चय करक मन क ा - अचछा मझ उतार दो तो म दाल और नमक ला द मगर रोज आया करोग न
कजाकी - भया खान को दोग तो कयो न आऊगा
मन क ा - म रोज खान को दगा
कजाकी - तो म रोज आऊगा
म नीच उतरा और दौडकर सारी पिजी उठा लाया कजाकी को रोज बलान क मलए उस वकत मर पास को नर ीरा भी ोता तो उसको भट करन म पसोपश न ोता
कजाकी न ववनसमत ोकर पछा - य पस क ा पाए भया
मन गवम स क ा - मर ी तो
कजाकी - तम ारी अममा तमको मारगी क गी - कजाकी न फसलाकर मगवा मलए ोग भया इन पसो की ममठाई ल लना और मटक म रख दना म भखो न ीि मरता मर दो ाथ म भला भखो मर सकता
मन ब त क ा कक पस मर लककन कजाकी न न मलए उसन बडी दर तक इिर-उिर की सर कराई गीत सनाए और मझ घर प चाकर चला गया मर दवार पर आट की टोकरी भी रख दी
मन घर म कदम रखा ी था कक अममाजी न डाटकर क ा - कयो र चोर त आटा क ा ल गया था अब चोरी करना सीखता बता ककसको आटा द आया न ीि तो तरी खाल उिडकर रख दगी
मरी नानी मर गई अममा करोि म मसि नी ो जाती थी मसटवपटाकर बोला - ककसी को तो न ीि हदया
अममा -तन आटा न ीि ननकाला दख ककतना आटा सार आगन म बबखरा पडा
म चप खडा था व ककतन ी िमकाती थीि चमकारती थीि पर मरी जबान न खलती थी आन वाली ववपनतत क भय स पराण सख र थ य ा तक कक य भी क न की ह ममत न पडती थी कक बबगडती कयो ो आटा तो दवार पर रखा आ ा और न उठाकर लात ी बनता था मानो ककरया-शनकत ी लप त ो गई
मानो परो म ह लन की सामथयम ी न ीि
स सा कजाकी न पकारा - ब जी आटा दवार पर रखा आ भया मझ दन को ल गए थ
य सनत ी अममा दवार की ओर चली गई कजाकी स व पदाम न करती थीि उद ोन कजाकी स कोई बात की या न ीि य तो म न ीि जानता लककन अममा खाली टोकरी मलए ए घर म आई कफर कोठरी म जाकर सददक स कछ ननकाला और दवार की ओर गई मन दखा कक उनकी मिी बदद थी अब मझस व ा खड न र ा गया
अममाजी क पीछ-पीछ म भी गया अममा न दवार पर कई बार पकारा मगर कजाकी चला था
मन बड िीरज स क ा - म जाकर खोज लाऊ अममाजी
अममाजी न ककवाड बदद करत ए क ा - तम अिर म क ा जाओग अभी तो य ीि खडा था मन क ा कक य ीि र ना म आती तब तक न जान क ा िखसक गया बडा सिकोची आटा तो लता ी न था मन जबरदसती उसक अिगोछ म बाि हदया मझ तो बचार पर बडी दया आती न जान बचार क घर म कछ खान को कक न ीि रपए लाई थी कक द दगी पर न जान क ा चला गया
अब तो मझ भी सा स आ मन अपनी चोरी की परी कथा क डाली बचचो क साथ समझदार बचच बनकर मा-बाप उन पर नजतना असर डाल सकत
नजतनी मशकषा द सकत उतन बढ बनकर न ीि
अममाजी न क ा - तमन मझस पछ कयो न ीि मलया कया म कजाकी को थोडा-सा आटा न दती
मन इसका उततर न हदया हदल म क ा - इस वकत तम कजाकी पर दया आ गई जो चा द डालो लककन म मागता तो मारन दौडती ा य सोचकर धचतत परसदन आ कक अब कजाकी भखो न मरगा अममाजी उस रोज खान को दगी और व रोज मझ कदि पर बबठाकर सर कराएगा
दसर हदन म हदन-भर मदन क साथ खलता र ा शाम को सडक पर जाकर खडा ो गया मगर अिरा ो गया और कजाकी का क ीि पता न ीि हदए जल गए रासत म सदनाटा छा गया पर कजाकी न आया
म रोता आ घर आया अममाजी न पछा - कयो रोत ो बटा कया कजाकी न ीि आया
म और जोर स रोन लगा अममाजी न मझ छाती स लगा मलया मझ ऐसा मालम आ कक उनका भी कि ठ भी गद गद ो गया
उद ोन क ा - बटा चप ो जाओ म कल ककसी रकार को भजकर कजाकी को बलवाऊगी
म रोत- ी-रोत सो गया सवर जयो ी आख खली मन अममाजी स क ा - कजाकी को बलवा दो
अममा न क ा - आदमी गया बटा कजाकी आता ी ोगा म खश ोकर खलन लगा मझ मालम था कक अममाजी जो बात क ती उस परा जरर करती उद ोन सवर ी एक रकार को भज हदया था दस बज जब म मदन को मलए ए घर आया तो मालम आ कक कजाकी अपन घर पर न ीि ममला व रात को भी घर न गया था उसकी सतरी रो र ी थी कक न जान क ा चल गए उस भय था कक व क ीि भाग गया
बालको का हदय कोमल ोता इसका अनमान दसरा न ीि कर सकता उनम अपन भावो को वयकत करन क मलए शबद न ीि ोत उद य भी जञात न ीि ोता कक कौन-सी बात उद ववकल कर र ी कौन-सा काटा उनक हदय म खटक र ा कयो बार-बार उद रोना आता कयो व मन मार बठ र त कयो खलन म जी न ीि लगता मरी भी य ी दशा थी कभी घर म आता कभी बा र जात कभी सडक पर जा प चता आख कजाकी को ढढ र ी थीि व क ा चला गया क ीि भाग तो न ीि गया
तीसर प र को म खोया आ-सा सडक पर खडा था स सा मन कजाकी को एक गली म दखा ा व कजाकी ी था म उसकी ओर धचललाता आ दौडा पर गली म उसका पता न था न जान ककिर गायब ो गया मन गली क इस मसर स उस मसर तक दखा मगर क ीि कजाकी की गदि न ममली
घर जाकर मन अममाजी स य बात क ी मझ ऐसा जान पडा कक व य बात सनकर ब त धचिनतत ो गई
इसक बाद दो-तीन तक कजाकी न हदखलाई हदया म भी अब उस कछ-कछ भलन लगा बचच प ल नजसस नजतना परम करत बाद म उतन ी ननष ठर भी ो जात नजस िखलौन पर पराण दत उसी को दो-चार हदन क बाद पटककर तोड भी डालत
दस-बार हदन और बीत गए दोप र का समय था बाबजी खाना खा र थ म मदन क परो म पीनस की पजननया बाि र ा था एक औरत घघट ननकाल ए आई और आगन म खडी ो गई उसक कपड फट ए और मल थ पर गोरी सददर सतरी थी उसन मझस पछा - भया ब जी क ा
मन उसक पास जाकर उसका म दखत ए क ा - तम कौन ो कया बचती ो
औरत - कछ बचती न ीि तम ार मलए य कमलगटट लाई भया तम कमलगटट ब त अचछ लगत न
मन उसक ाथो स लटकती ई पोटली को उतसक नतरो स दखा - क ा स लाई ो दख
औरत - तम ार रकार न भजा भया
मन उछलकर क ा - कजाकी न
औरत न मसर ह लाकर ा क ा और पोटली खोलन लगी इतन म अममाजी भी रसोई स ननकल आई उसन अममाजी क परो को सपशम ककया अममा न पछा - त कजाकी की घरवाली
औरत न मसर झका मलया
अममा - आजकल कजाकी कया करता
औरत न रोकर क ा - ब जी नजस हदन स आपक पास स आटा लकर गए
उसी हदन स बीमार पड बस भया-भया ककया करत भया ी म उनका मन बसा र ता चौक-चौककर भया भया क त ए दवार की ओर दौ ाडत न जान उद कया ो र ा ब जी एक हदन मझस कछ क ा न सना घर स चल हदए और एक गली म नछपकर भया को दखत र जब भया न उद दख मलया तो भाग तम ार पास आत ए लजात
मन क ा - ा- ा मन उस हदन तमस जो क ा था अममाजी
अममा -घर म कछ खान-पीन को
औरत - ा ब जी तम ार आमसरवाद स खान-पीन का दःख न ीि आज सवर उठ और तालाब की ओर चल गए बा र मत जाओ वा लग जाएगी मगर न मान मार कमजोरी क पर कापन लगत मगर तालाब म घसकर य कमलगटट तोड लाए तब मझस क ा -ल जा भया को द आ उद कमलगटट ब त अचछ लगत कशल-कषम पछती आना
मन पोटली स कमलगटट ननकल मलए थ और मज स चख र ा था अममा न ब त आख हदखाई मगर य ा इतनी सबर क ा
अममा न क ा -क दना सब कशल
मन क ा -य भी क दना कक भया न बलाया न जाओग तो कफर तमस कभी न बोलग ा
बाबजी खाना खाकर ननकल आए थ तौमलए स ाथ-म पोछत ए बोल -और य भी क दना कक सा ब न तमको ब ालकर हदया जलदी जाओ न ीि तो कोई दसरा आदमी रख मलया जाएगा
औरत न अपना कपडा उठाया और चली गई अममा न ब त पकारा पर व न रकी
अममा न पछा - सचमच ब ाल ो गया
बाबजी -और कया झठ ी बला र ा मन तो पाचव ी हदन ब ाली की ररपोटम की थी
अममा - य तमन ब त अचछा ककया
बाबजी - उसकी बीमारी की य ी दवा
परातःकाल म उठा तो कया दखता कक कजाकी लाठन टकता आ चला आ र ा व ब त दबला ो गया था मालम ोता था बढा ो गया रा-भरा पड सखकर ठठ ो गया था म उसकी ओर दौडा और उसकी कमर स धचपट गया कजाकी न मर गाल चम और मझ उठाकर कदि पर बठान की चष ठा करन लगा पर म न उठ सका तब व जानवरो की भानत भमम पर ाथो और घटनो क बल खडा ो गया और म उसकी पीठ पर सवार ोकर डाकखान की ओर चला म उस वकत फला न समाता था और शायद कजाकी मझस भी जयादा खश था
बाबजी न क ा - कजाकी तम ब ाल ो गए अब कभी दर न करना
कजाकी रोत ए वपताजी क परो पर धगर पडा मगर शायद मर भानय म दोनो सख भोगना न मलखा था मदन ममला तो कजाकी छटा कजाकी आया तो मदन ाथ स गया और ऐसा गया कक आज तक उसक जान का दःख मदन मरी ी थाली म खाता था जब तक म खान न बठ व भी कछ न खाता था उस भात स ब त ी रधच थी लककन जब तक खब िी न पडा ो उस सदतोष न ोता था व मर ी साथ सोता था और मर ी साथ उठता भी था सफाई तो
उस इतनी पसदद थी कक मल-मतर तयाग क मलए घर स बा र मदान म ननकल जाता था कततो स उस धचढ थी कततो को घर म न घसन दता कतत को दखत ी थाली स उठ जाता और उस दौडाकर घर स बा र ननकाल दता था
कजाकी को डाकखान म छोडकर जब म खाना खान गया तो मदन भी आ बठा अभी दो-चार ी कौर खाए थ कक एक बडा-स झबरा कतता आगन म हदखाई हदया मदन उस दखत ी दौडा दसर घर म जाकर कतता च ा ो जाता झबरा कतता उसक मलए यमराज का दत था मदन को उस घर स ननकालकर भी सदतोष न आ व उस घर क बा र मदान म भी दौडान लगा मदन को शायद खयाल न र ा कक य ा मरी अलमदारी न ीि व उस कषतर म प च गया था ज ा झबर का भी उतना ी अधिकार था नजनता मदन का मदन कततो को भगात-भगात कदाधचत अपन बा बल पर घमिड करन लगा था व य न समझता था कक घर म उसकी पीठ पर घर क सवामी का भय काम ककया करता झबर न मदान म आत ी उलटकर मदन की गदमन दबा दी बचार मदन क म स आवाज तक न ीि ननकली जब पडोमसयो न शोर मचाया तो म दौडा दखा तो मदन मरा पडा और झबर का क ीि पता न ीि
आसओ की ोली
नामो को बबगाडन की परथा न-जान कब स चली और क ा शर ई
इस सिसार-वयापी रोग का पता लगाए तो ऐनत ामसक सिसार म अवशय ी अपना नाम छोड जाए पिडडतजी का नाम तो शरीवासतव था पर ममतर मसलबबल क ा क त थ नामो का असर चररतर पर कछ-न-कछ पड जाता बचार मसलबबल सचमच मसलबबल थ दफतर जा र मगर पजाम का इजारबदद नीच लटक र ा मसर पर फलट-कप पर लमबी-सी चहटया पीछ झाक र ी अचकन यो ब त सददर न-जान उद तयो ारो स कया धचढ थी दीवाली गजर जाती पर व भलामानस कौडी ाथ म न लता और ोली का हदन तो उनकी भीषण परीकषा का हदन था तीन तीन व घर स बा र न ननकलत घर पर भी काल कपड प न बठ र त थ यार लोग टो म र त थ कक क ीि बचा फस जाए
मगर घर म घसकर तो फौजदारी न ीि की जाती एक-आि बार फस भी मगर नघनघया-पहदयाकर बदाग ननकल गए
लककन अबकी समसया ब त कहठन ो गई थी शासतरो क अनसार 25 वषम तक बरहमचयम का पालन करन क बाद उद ोन वववा ककया था बरहमचयम क पररपकव ोन म जो थोडी-ब त कसर र ी व तीन वषम क गौन की मददत न परी कर दीयदयवप सतरी स कोई शिका न थी तथावप व औरतो को मसर चढान क ामी न थ इस मामल म उद अपनी व ी पराना-िराना ढिग पसदद था बीवी को जब कसकर डाट हदया तो उसकी मजाल कक रिग ाथ स छए ववपनतत य थी कक ससराल क लोग भी ोली मनान आन वाल थ परानी मसल ब न अददर तो भाई मसिकददर इन मसिकदरो क आकरमण स बचन का उद कोई उपाय न सझता था ममतर लोग घर म न जा सकत थ लककन मसिकदरो को कौन रोक सकता
सतरी न आख फाडकर क ा - अर भया कया सचमच रिग घर न लाओग य कसी ोली बाबा
मसलबबल न तयोररया चढाकर क ा - बस मन एक बार क हदया और बात दो राना मझ पसदद न ीि घर म रिग न ीि आएगा और न कोई छएगा मझ कपडो पर लाल छनिट दखकर मचली आन लगती मार घर म ऐसी ी ोली ोती
सतरी न मसर झकाकर क ा - तो न लाना रिग-सिग मझ रिग लकर कया करना जब तम ीि रिग न छओग तो म कस छ सकती
मसलबबल न परसदन ोकर क ा - ननससिद य ी सावी सतरी का िमम
लककन भया तो आन वाल व कयो मानग
उनक मलए भी मन एक उपाय सोच मलया उस सफल बनाना तम ारा काम म बीमार बन जाऊगा एक चादर ओढकर लट र गा तम क ना इद जवर आ गया बस चलो छटटी ई
सतरी न आख नचाकर क ा - ऐ नौज कसी बात म स ननकालत ो जवर जाए मददई क घर य ा आए तो म झलसा द ननगोड का
तो कफर दसरा उपाय ी कया
तम ऊपर वाली छोटी कोठरी म नछप र ना म क दगी उद ोन जलाब मलया बा र ननकालग तो वा लग जाएगी
पिडडतजी िखल उठ - बस-बस य ी सबस अचछा
ोली का हदन था बा र ा ाकार मचा आ था परान जमान म अबीर और गलाल क मसवा और कोई रिग न खला जाता था अब नील र काल सभी रिगो का मल ो गया और इस सिगठन स बचना आदमी क मलए तो समभव न ीि ा दवता बच मसलबबल क दोनो साल मो लल भर क मदो औरतो बचचो और बढो का ननशाना बन ए थ बा र क दीवानखान क फशम दीवार य ा तक की तसवीर भी रिग उठन थी घर म भी य ी ाल था मो लल की ननद भला कब मानन लगी थीि परनाला तक रिगीन ो गया था
बड साल न पछा - कयो री चमपा कया सचमच उनकी तबीयत अचछन न ीि
खाना खान भी न आए
चमपा न मसर झकाकर क ा - ा भया रात ी स पट म कछ ददम ोन लगा डॉकटर न वा म ननकलन स मना कर हदया
जरा दर बाद छोट साल न क ा - कयो जीजी जी कया भाई सा ब नीच न ीि आएग ऐसी भी कया बीमारी क ो तो ऊपर जाकर दख आऊ
चमपा न उसका ाथ पकडकर क ा - न ीि-न ीि ऊपर मत जयो व रिग-विग न खलग डॉकटर न वा म ननकलन को मना कर हदया
दोनो भाई ाथ मल कर र गए
स सा भाई को एक बात सझी - जीजाजी क कपडो क साथ कयो न ोली खल व तो बीमार न ीि
बड भाई क मन म बात बठ गई ब न बचारी अब कया करती मसिकददरो न कि नजया उसक ाथ स लीि और मसलबबल क सार कपड ननकाल-ननकालकर रिग डाल रमाल तक न छोडा जब चमपा न उन कपडो को आगन म अलगनी पर सखन को डाल हदया तो ऐसा जान पडा मानो ककसी रिगरज न बया क जोड रिग
ो मसलबबल ऊपर बठ य तमाशा दख र थ पर जबान न खोलत थ छाती पर साप-सा लोट र ा था सार कपड खराब ो गए दफतर जान को भी कछ न बचा इन दष टो को मर कपडो स न जान कया बर था
घर म नाना परकार क सवाहदष ट वयिजन बन र थ मो लल की एक बराहमणी का साथ चमपा भी जटी ई थी दोनो भाई और कई अदय सजजन आगन म भोजन करन बठ तो बड साल न चमपा स पछा - कछ उनक मलए भी िखचडी-ववचडी बनाई पररया तो बचार आज खा न सक ग
चमपा न क ा -अभी तो न ीि बनाई अब बना लगी
वा री तरी अकल अभी तक तझ इतनी कफकर न ीि कक व बचार खाएग कया त तो इतनी लापरवा कभी न थी जा ननकाल ला जलदी स चावल और मिग की दाल
लीनजए - िखचडी पकन लगी इिर ममतरो न भोजन करना शर ककया मसलबबल ऊपर बठ अपनी ककसमत को रो र थ उद इस सारी ववपनतत का एक ी कारण मालम ोता था - वववा चमपा न आती तो य साल कयो आत कपड कयो खराब ोत ोली क हदन मिग की िखचडी कयो खान को ममलती मगर अब पछतान स कया ोता नजतनी दर म लोगो न भोजन ककया उतनी दर म िखचडी तयार ो गई बड साल न खद चमपा को ऊपर भजा कक िखचडी की थाली ऊपर द आए
मसलबबल न थाली की ओर कवपत नतरो स दखकर क ा - इस मर सामन स टा ल जाव
कया आज उपवास ी करोग
तम ारी य ी इचछा तो य ी स ी
मन कया ककया सवर स जटी ई भया न खद िखचडी डलवाई और मझ य ा भजा
ा व तो म दख र ा कक म घर का सवामी न ीि मसिकदरो न उसपर कबजा जमा मलया मगर म य न ीि मान सकता कक तम चा ती तो औऱ लोगो क प ल ी मर पास थाली न प च जाती म इस पनतवरत िमम क ववरदध समझता और कया क
तम तो दख र थ कक दोनो जन मर मसर पर सवार थ
अचछन हदललगी कक और लोग तो समोस और खसत उडाए औऱ मझ मग की िखचडी दी जाए वा र नसीब
तम इस दो-चार कौर खा लो मझ जयो ी अवसर ममलगा दसरी थाली लाऊगी
सार कपड रिगवा डाल दफतर कस जाऊगा य हदललगी मझ जरा भी न ीि भाती म इस बदमाशी क ता तमन सिदक की कि जी कयो द दी कया म इतना पछ सकता
जबरदसती छनन ली तमन सना न ीि करती कया
अचछा जो आ सो आ य थाली ल जाव िमम समझना तो दसरी थाली लाना न ीि तो आज वरत ी स ी
एकाएक परो की आ ट पाकर मसलबबल न सामन दखा तो दोनो साल आ र उद दखत ी बचार न म बना मलया चादर स शरीर ढक मलया और करा न लग
बड साल न क ा - कह ए कसी तबीयत थोडी-सी िखचडी खा लीनजए
मसलबबल न म बनाकर क ा - अभी तो कछ खान की इचछा न ीि
न ीि उपवास करना तो ाननकारक ोगा िखचडी खा लीनजए
बचार मसलबबल न मन म इन दोनो शतानो को खब कोसा और ववष की भानत िखचडी कि ठ क नीच उतारी आज ोली क हदन िखचडी ी भानय म मलखी थी जब तक सारी िखचडी समाप त न ो गई दोनो व ा डट र मानो जल क अधिकारी ककसी अनशन वरतिारी कदी को भोजन करा र ो बचार को ठस-ठसकर िखचडी खानी पडी पकवानो क मलए गिजाइश ी न र ी
दस बज रात को चमपा उततम पदाथो का थाल मलए पनतदव क पास प ची म ाशय मन- ी-मन झझला र थ भाइयो क सामन मरी परवा कौन करता न जान क ा स दोनो शतान फट पड हदन-भर उपवास कराया और अभी तक भोजन का क ीि पता न ीि बार चमपा को थाल लात दखकर कछ अननन शादत ई और बोल - अब तो ब त सवरा एक-दो घिदट बाद कयो न आई
चमपा न सामन थाली रखकर क ा - तम तो न ारी ी मानत ो न जीती अब आिखर य दो म मान आए ए इनका सवा-सतकार न कर तो भी काम न ीि चलता तम ीि को बरा लगगा कौन रोज आएग
ईश वर न कर कक रोज आए य ा तो एक हदन म बधिया बठ गई
थाल की सगदिमय तरबतर चीज दखकर स सा पिडडत क मखारवव िद पर मसकान की लाली दौड गई एक-एक चीज खात थ और चमपा को सरा त थ - सच क ता चमपा मन ऐसी चीज कभी न ीि खाई थी लवाई साला कया बनाएगा जी चा ता कछ इनाम द
तम मझ बना र ो कया कर जसा बनाना आता बना लाई
न ीि जी सच क र ा मरी तो आतमा तक तप त ो गई आज मझ जञात आ कक भोजन का समबदि उदर स इतना न ीि नजतना आतमा स बतलाओ
कया इनाम द
जो माग व दोग
दगा जनऊ की कसम खाकर क ता
न दो तो मरी बात जाए
क ता भाई अब कस क कया मलखा-पढी कर द
अचछा तो मागती मझ अपन साथ ोली खलन दो
पिडडतजी का रिग उड गया आख फाडकर बोल - ोली खलन द म तो ोली खलता न ीि कभी न ीि खला ोली खलना ोता तो घर म नछपकर कयो बठता
और क साथ मत खलो लककन मर साथ खलना ी पडगा
य ी मर ननयम क ववरदध नजस चीज को अपन घर म उधचत समझ उस ककस दयाय स घर क बा र अनधचत समझ सोचो
चमपा न मसर नीचा करक क ा - घर म ऐसी ककतनी बात उधचत समझत ो जो घर क बा र करना अनधचत ी न ीि पाप भी
पिडडतजी न झपत ए क ा - अचछा भाई तम जीती म ारा अब तो म तमस य ी दान मागता
प ल मरा परसकार द दो पीछ मझस दान मागना य क त ए चमपा न लोट का रिग उठा मलया और पिडडतजी को मसर स पाव तक न ला हदया जब तक व उठकर भाग उसन मिी-भर गलाल लकर सार म म पोत हदया
पिडडतजी रोनी सरत बनाकर बोल - अभी और कसर बाकी ो तो व भी परी कर लो म जानता था कक तम मरी आसतीन का साप बनोगी अब और कछ रिग बाकी न ीि र ा
चमपा न पनत क मख की ओर दखा तो उस पर मनोवदना का ग रा रिग झलक र ा था पछताकर बोली - कया तम सचमच बरा माल गए ो म तो समझती थी कक तम कवल मझ धचढा र ो
शरीवासतव न कापत ए सवर म क ा - न ीि चमपा मझ बरा न ीि लगा ा तमन मझ उस कतमवय की की याद हदया दी जो म अपनी कायरता का कारण भला बठा था व सामन जो धचतर दख र ी ो मर ममतर मन रनाथ का जो अब सिसार म न ीि तमस कया क ककतना सरस ककतना भावक ककतना सा सी आदमी था दश की दशा दख-दखकर उसका खन जलता र ता था 19-
20 भी कोई उमर ोती पर व उसी उमर म अपन जीवन का मागम नननश चत कर चका था सवा करन का अवसर पाकर व इस तर उस पकडता था मानो समपनतत ो जदम की ववरागी थी वासना तो उस छ ी न गई थी मार और साथी सर-सपाट करत थ पर उसका मागम सबस अलग था सतय क मलए पराण दन को तयार क ीि अदयाय दखा और भव तन गई क ीि पतरो म अतयाचार की खबर दखी और च रा तमतमा उठा ऐसा तो मन आदमी न ीि दखा ईश वर न अकाल ी बला मलया न ीि तो मनषयो म रत न ोता ककसी मसीबत क मार का उदधार करन को अपन पराण थली पर मलए कफरता था सतरी जानत का इतना आदर और सममान कोई कया करगा सतरी उसक मलए पजा और भनकत की वसत थी पाच वषम ए य ी ोली का हदन था म भिग क नश म चर रिग स मसर स
पाव तक न ाया आ उस गाना सनन क मलए बलान गया तो दखा कक व कपड प न क ीि जान को तयार था मन पछा - क ा जा र ो
उसन मरा ाथ पकडकर क ा - तम अचछ वकत पर आ गए न ीि तो मझ अकल जाना पडता एक अनाथ बहढया मर गई कोई उस कदिा दन वाला न ीि ममलता कोई ककसी ममतर स ममलन गया आ कोई नश म चर पडा आ कोई ममतरो की दावत कर र ा कोई म कफल सजाए बठा कोई लाश को उठान वाला न ीि बराहमण-कषतरी उस चमाररन की लाश को कस छएग उनका तो िमम भरष ट ोता कोई तयार न ीि ोता बडी मनशकल स दो क ार ममल एक म चौथ आदमी की कमी थी सो ईश वर न तम भज हदया चलो चल
ाय अगर म जानता कक य पयार मन र का आदश तो आज मरी आतमा को इतनी नलानन न ोती मर घर ममतर आए ए थ गाना ो र ा था उस वकत लाश उठाकर नदी पर जाना मझ अवपरय लगा म बोला - इस वकत तो भाई म न ीि जा सकगा घर पर म मान बठ ए म तम बलान आया था
मन र न मरी ओर नतरसकार क नतरो स दखकर क ा - अचछन बात तम जाओ म और कोई साथी खोज लगा मगर मझ ऐसी आशा न ीि थी तमन भी व ी क ा जो तमस प ल औरो न क ा था कोई नई बात न ीि थी अगर म लोग अपन कतमवय को भल न गए ोत तो आज य दशा ी कयो ोती ऐसी ोली को धिककार तयो ार तमाशा दखन अचछन-अचछन चीज खान और अचछ-अचछ कपड प न का नाम न ीि य वरत तप अपन भाइयो स परम और स ानभनत करना ी तयो ार का खास मतलब और कपड लाल करन क प ल खन को लाल कर लो सफद खन पर य लाली शोभा न ीि दती
य क कर व चला गया मझ उस वकत य फटकार ब त बरी मालम ई अगर मझस व सवा-भाव न था तो उस मझ यो धिककारन का कोई अधिकार न था घर चला आया पर व बात मर कानो म गजती र ी ोली का सारा मजा बबगड गया
एक म ीन तक म दोनो म मलाकात न ई कॉलज इमत ान की तयारी क मलए बदद ो गया था इसमलए कॉलज म भी भट न ोती थी मझ कछ खबर न ीि व कब और कस बीमार पडा कब अपन घर गया स सा एक हदन मझ उसका एक पतर ममला ाय उस पतर को पढकर आज भी छाती फटन लगती
शरीवासतव एक कषण तक गला रक जान क कारण बोल न सक कफर बोल - ककसी हदन तम कफर हदखाऊगा मलखा था मझस आिखर बार ममल जा अब शायद इस जीवन म भट न ो खत मर ाथ स छटगर धगर पडा उसका घर मरठ नजल म था दसरी गाडी जान म आिा घदट की कसर थी तरदत चल पडा मगर उसक दशमन न बद थ मर प चन क प ल ी व मसिार चका था चमपा उसक बाद मन ोली न ीि खली ोली ी न ीि और सभी तयो ार छोड हदए ईश वर न शायद मझ ककरया की शनकत न ीि दी अब ब त चा ता कक कोई मझस सवा का काम ल खद आग न ीि बढ सकता लककन पीछ चलन को तयार पर मझस कोई काम लन वाला भी न ीि लककन आज व रिग डालकर तमन मझ उस धिककार की याद हदला दी ईश वर मझ ऐसी शनकत द कक म मन म ी न ीि कमम म भी मन र बन
य क त ए शरीननवास न तशतरी स गलाल ननकाला और उस मन र की धचतर पर नछडककर परणाम ककया
अननि-समाधध
साि-सदतो क सतसिग स बर भी अचछ ो जात ककदत पयाग का दभामनय था कक उस पर सतसिग का उलटा ी असर आ उस गािज चरस और भिग का चसका पड गया नजसका फल य आ कक म नती उदयमशील यवक आलसय का उपासक बन बठा जीवन-सिगराम म य आनदद क ा ककसी वट-वकष क नीच िनी जल र ी एक जटािारी म ातमा ववराज र भकतजन उद घर बठ ए और नतल-नतल पर चरस क दम लग र बीच-बीच म भजन भी ो जात मजरी-ितरी म य सवगम-सख क ा धचलम भरना पयाग का काम था भकतो को परलोक म पणय-फल की आशा थी पयाग को ततकाल फल ममलता था धचलमो का प ला क उसी का ोता था म ातमाओि क शरीमख स भगवत चचाम सनत ए व आनदद स ववह वल ो उठता था उस पर आतम-ववसमनत-सी छा जाती थी व सौरभ सिगीत और परकाश स भर ए एक दसर ी सिसार म प च जाता था इसमलए जब उसकी सतरी रनकमन रात क दस-नयार बज जान पर उस बलान आती तो पयाग को परतयकष करर अनभव ोता सिसार उस काटो स भरा आ जिगल-सा हदखता ववशषतः जब घर आन पर उस मालम ोता कक अभी चल ा न ीि जला और चन-चबन की कछ कफकर करनी व जानत का भर था गाव की चौकीदारी उसकी मीरास थी दो रपए और कछ आन वतन ममलता था वदी और साफा मफत काम था सप ता म एक हदन थान जाना व ा अफसरो क दवार पर झाड लगाना असतबल साफ करना लकडी चीरना पयाग रकत क घिट पी-पीकर य काम करता कयोकक अवजञा शारीररक और आधथमक दोनो ी दनष ट स म गी पडती थी आस यो न पछत थ कक चौकीदारी म यहद कोई काम था तो इतना ी और म ीन म चार हदनो क मलए दो रपए और कछ आन कम न थ कफर गाव म भी अगर बड आदममयो पर न ीि तो नीचो पर रोब था वतन पशन थी और जबस म ातमाओि का समपकम आ पयाग क जब-खचम की मद म आ गई अतएव जीववका का परश न हदनोहदन धचदतोतपादक रप िारण करन लगा
इन सतसिगो क प ल य दमपनत गाव म मजदरी करता था रनकमन लकडडया तोडकर बाजार ल जाती पयाग कभी आरा चलाता कभी ल जोतता कभी पर ाकता जो काम सामन आ जाए उसम जट जाता था समख शरमशील
ववनोदी ननदमवददव आदमी था और ऐसा आदमी कभी भखो न ीि मरता उस पर नमर इतना कक ककसी काम क मलए न ीि न करता ककसी न कछ क ा और व अचछा भया क कर दौडा इसमलए उसका गाव म मान था इसी की बदौलत ननरदयम ोन पर भी दो-तीन साल उस कष ट न आ दोनो जन की बात ी कया जब म तो को य ऋवदध न पराप त थी नजसक दवार पर बलो की तीन-तीन जोडडया बिती थीि तो पयाग ककस धगनती म था ा एक जन की दाल-रोटी म सदद न था परदत अब य समसया हदन-पर-हदन ववषमतर ोती जाती थी उस पर ववपनतत य थी कक रनकमन भी ककसी कारण स उतनी पनतपरायण
उतनी सवाशील उतनी ततपर न थी न ीि उसकी परगलभता और वाचालता म वाचालता म आश चयमजनक ववकास ोता जाता था अतएव पयाग को ककसी ऐसी मसदधी की आवशयकता थी जो उस जीववका की धचदता स मकत कर द और व नननश चित ोकर भगवद भजन और साि-सवा म परवत ो जाए
एक हदन रनकमन बाजार म लकडडया बचकर लौटी तो पयाग न क ा - ला कछ पस मझ द द दम लगा आऊ
रनकमन न म फरकर क ा - दम लगान की ऐसी चाट तो काम कयो न ीि करत कया आजकल कोई बाबा न ीि जाकर धचलम भरो
पयाग न तयोरी चढाकर क ा - भला चा ती तो पस द द अगर इस तर तिग करगी तो एक हदन क ीि चला जाऊगा तब रोएग
रनकमन अगठा हदखाकर बोली - रोए मरी बला स तम र त ी ो तो कौन सोन का कौर िखला दत ो अब तो छाती फाडती तब भी छाती फाडगी
तो अब य ी फसला
ा- ा क तो हदया मर पास पस न ीि
ग न बनवान क मलए पस और म चार पस मागता तो यो जवाब दती
रनकमन नतनककर बोली - ग न बनवाती तो तम ारी छाती कयो फटती
तमन तो पीतल का छलला भी न ीि बनवाया या इतना भी न ीि दखा जाता
पयाग उस हदन घर न आया रात क नौ बज गए तब रनकमन न ककवाड बदद कर मलए समझी गाव म क ीि नछपा बठा ोगा समझता ोगा मझ मनान आएगी मरी बला जाती
जब दसर हदन भी पयाग न आया तो रनकमन को धचदता ई गाव-भर छान आई धचडडया ककसी अडड पर न ममली उस हदन उसन रसोई न ीि बनाई रात को लटी भी तो ब त दर तक आख न लगीि शिका ो र ी थी पयाग सचमच तो ववरकत न ीि ो गया उसन सोचा परातःकाल पतता-पतता छान डालगी ककसी साि-सदत क साथ ोगा जाकर थान म रपट कर दगी
अभी तडका ी था कक रनकमन थान चलन को तयार ो गई ककवाड बदद करक ननकली ी थी कक पयाग आता आ हदखाई हदया पर व अकला न था उसक पीछ-पीछ एक सतरी भी थी उसकी छनिट की साडी रिगी ई चादर लमबा घघट और शरमीली चाल दखकर रनकमन का कलजा िक-सा ो गया व एक कषण तबवदध-सी खडी र ी तब बढकर नई सौत को दोनो ाथो क बीच म ल मलया और उस इस भानत िीर-िीर घर क अददर ल चली जस कोई रोगी जीवन स ननराश ोकर ववष-पान कर र ा ो
जब पडोमसयो की भीड छट गई तो रनकमन न पयाग स पछा - इस क ा स लाए
पयाग न सकर क ा - घर स भागी जाती थी मझ रासत म ममल गई घर का काम-िदिा करगी पडी र गी
मालम ोता मझस तम ारा जी भर गया
पयाग न नतरछन धचतवनो स दखकर पछा - दत पगली इस तरी सवा-ट ल करन को लाया
नई क आग परानी को कौन पछता
चल मन नजसस ममल व ी नई मन नजसस न ममल व ी परानी ला कछ पसा ो तो द द तीन हदन स दम न ीि लगाया पर सीि न ीि पडत ा दख दो-चार हदन इस बचारी को िखला-वपला द कफर तो आप ी काम करन लगगी
रनकमन न परा रपया लाकर पयाग क ाथ पर रख हदया दसरी बार क न की जररत ी न पडी
पयाग म चा और कोई गण ो या न ो य मानना पडगा कक व शासन क मल मसदधादतो स पररधचत था उसन भद-नीनत को अपना लकषय बना मलया था
एक मास तक ककसी परकार का ववन-बािा न पडी रनकमन अपनी सारी चौकडडया भल गई थी बड तडक उठती कभी लकडडया तोडकर कभी चारा काटकर कभी उपल पाथकर बाजार ल जाती व ा जो कछ ममलता उसका आिा तो पयाग क तथ चढा दती आि म घर का काम चलता व सौत को कोई काम न करन दती पडोमसयो स क ती - ब न सौत तो कया तो कल की ब ररया दो-चार म ीन भी आराम स न र गी तो कया याद करगी म तो काम करन को ी
गाव-भर म रनकमन क शील-सवभाव का बखान ोता था पर सतसिगी घाघ पयाग सब कछ समझता था और अपनी नीनत की सफलता पर परसदन ोता था
एक हदन ब न क ा - दीदी अब तो घर म बठ-बठ जी ऊबता मझ भी कोई काम हदला दो
रनकमन न सन मसिधचत सवर म क ा - कया मर मख म कामलख पतवान पर लगी ई भीतर का काम ककए जा बा र क मलए म ी
ब का नाम कौशलया था जो बबगडकर मसमलया ो गया था इस वकत मसमलया न कछ जवाब न हदया लककन लौडडयो की-सी दशा अब उसक मलए असहय ो गई थी व हदन-भर घर का काम करत-करत मर कोई न ीि पछता रनकमन बा र स चार पस लाती तो घर की मामलकन बनी ई अब मसमलया भी मजरी करगी और मालककन का घमिड तोड दगी पयाग पसो का यार य बात उसस अब नछपी न थी जब रनकमन चारा लकर बाजार चली गई तो उसन घर की टटटी लगाई और गाव का रिग-ढिग दखन क मलए ननकल पडी गाव म बराहमण ठाकर कायसथ बननए सभी थ मसमलया न शील और सिकोच का कछ ऐसा सवािग रचा कक सभी नसतरया उसपर मनि ो गई ककसी न चावल हदया ककसी न दाल ककसी न कछ नई ब की आवभगत कौन न करता प ल ी दौर म मसमलया को मालम ो गया कक गाव म वपसन ारी का सथान खाली और व इस काम को कर सकती व य ा स घर लौटी तो उसक मसर पर ग स भरी एक टोकरी थी
पयाग न प र रात ी स चककी की आवाज सनी तो रनकमन स बोला - आज भी मसमलया अभी स वपसन लगी
रनकमन बाजार स आटा लाई थी अनाज और आट क भाव म ववशष अदतर न था उस आश चयम आ कक मसमलया इतन सवर कया पीस र ी उठकर कोठरी
म आई तो दखा कक मसमलया अिर म कछ पीस र ी उसन जाकर उसका ाथ पकड मलया और टोकरी को उठाकर बोली - तझस ककसन पीसन को क ा ककसका अनाज पीस र ी
मसमलया न ननशशिक ोकर क ा - तम जाकर आराम स सोती कयो न ीि म पीसती तो तम ार कया बबगडता चककी की घमर-घमर भी न ीि स ी जाती लाओ टोकरी द दो बठ-बठ कब तक खाऊगी दो म ीन तो ो गए
मन तो तझस कछ न ीि क ा
तम चा न क ो अपना िरम भी तो कछ
त अभी य ा क आदममयो को न ीि जानती आटा तो वपसात सबको अचछा लगता पस दत रोत ककसक ग म सवर उसक मसर पर पटक आऊगी
मसमलया न रनकमन क ाथ स टोकरी छनन ली और बोली - पस कयो न दग
कछ बगार करती
त न मानगी
तम ारी लौडी बनकर न र गी
य तकरार सनकर पयाग भी आ प चा और रनकमन स बोला - काम करती तो करन कयो न ीि दती अब कया जनम-भर ब ररया ी बनी र गी ो गए दो मह न
तम कया जानो नाक तो मरी कटगी
मसमलया बोल उठन - तो कया कोई बठ िखलाता चौका-बरतन झाड-ब ार
रोटी-पानी पीसना-कटना य कौन करता पानी खीिचत-खीिचत मर ाथो म घि पड गए मझस अब सारा काम न ोता
पयाग न क ा - तो त ी बाजार जाया कर घर का काम रनकमन कर लगी
रनकमन न आपनतत की - ऐसी बात म स ननकालत लाज न ीि आती तीन हदन की ब ररया बाजार म घमगी तो सिसार कया क गा
मसमलया न आगर करक क ा - सिसार कया क गा कया कोई ऐब करन जाती
मसमलया की डडगरी ो गई आधिपतय रनकमन क ाथ स ननकल गया
मसमलया की अमलदारी ो गई जवान औरत थी ग पीसकर उठन तो औरो क साथ घास छनलन चली गई औऱ इतनी घास छनली कक सब दिग र गई गिा उठाए न उठता था नजन परषो को घास छनलन का बडा अभयास था उनस भी उसन बाजी मार ली य गिा बार आन का बबका मसमलया न आटा चावल
तल नमक तरकारी मसाला सब कछ मलया और चार आन बचा भी मलए रनकमन न समझ रखा था कक मसमलया बाजार स दो-चार आन पस लकर लौटगी तो उस डाटगी और दसर हदन स कफर म बाजार जान लगगी कफर मरा राजय ो जाएगा पर य सामान दख तो आख खल गई पयाग खान बठा तो मसालदार तरकारी का बखान करन लगा म ीनो स ऐसी सवाहदष ट वसत मयससर न ई थी ब त परसदन आ भोजन करक बा र जान लगा तो मसमलया बरोठ म खडी ममल गई बोला - आज ककतन पस ममल
बार आन ममल थ
सब खचम कर डाल कछ बच ो तो मझ द दो
मसमलया न बच ए चार आन पस द हदए पयाग पस खनखनाता आ बोला - तन तो आज मालामाल कर हदया रनकमन तो दो-चार पसो ी म टाल दती थी
मझ गाडकर रखना थोड ी पस खान-पीन क मलए कक गाडन क मलए
अब त ी बाजार जाया कर रनकमन घर का काम करगी
रनकमन और मसमलया म सिगराम नछड गया मसमलया पयाग पर अपना आधिपतय जमाए रखन क मलए जान तोडकर पररशरम करती प र रात ी स उसकी चककी की आवाज कानो म आन लगती हदन ननकलत ी घास लान चली जाती और जरा दर ससताकर बाजार की रा लती व ा स लौटकर भी व बकार न बठन कभी सन कातती कभी लकडडया तोडती रनकमन उसक परबदि म बराबर ऐब ननकालती और जब अवसर ममलता तो गोबर बटोककर उपल पाथती और गाव म बचती पयाग क दोनो ाथो म लडड थ नसतरया उस अधिक-स-अधिक पस दन और सन का अधिकािश दकर अपन अधिकार म लान का परयत न करती र तीि पर मसमलया न कछ ऐसी दढता स आसन जमा मलया था कक ककसी तर ह लाए न ह लती थी य ा तक कक एक हदन दोनो परनतयोधगयो म खललमखलला ठन गई एक हदन मसमलया घास लकर लौटी तो पसीन म तर थी फागन का म ीना था िप तज थी उसन सोचा न ाकर बाजार जाऊगी घास दवार पर ी रखकर व तालाब म न ान चली गई रनकमन न थोडी-सी घास ननकालकर पडोमसन क घर म नछपा दी और गि को ढीला करक बराबर कर हदया मसमलया न ाकर लौटी तो घास कम मालम ई रनकमन न पछा उसन क ा - म न ीि जानती
मसमलया न गामलया दनी शर की - नजसन मरी घास छई ो उसकी द म कीड पड उसक बाप और भाई मर जाए उसकी आख फट जाए रनकमन कछ दर
तक तो जबत ककए बठन र ी आिखर खन म उबाल आ ी गया झललाकर उठन और मसमलया क दो-तीन तमाच लगा हदए मसमलया छाती पीट-पीटकर रोन लगी सारा मो लला जमा ो गया मसमलया की सबवदध और कायमशीलता सभी की आखो म खटकती थी - व सबस अधिक घास कयो छनलती सबस जयादा लकडडया कयो लाती इतन सवर कयो उठती इतन पस कयो लाती इन कारणो न उस पडोमसयो की स ानभनत स विधचत कर हदया था सबउसी को बरा-बरा क न लगी मिी-भर घास क मलए इतना ऊिम मचा डाला इतनी घास तो आदमी झाडकर फ क दता घास न ई सोना आ तझ तो सोचना चाह ए था कक अगर ककसी न ल ी मलया तो तो गाव-भर ी का बा र का कोई चोर तो आया न ीि तन इतनी गामलया दीि तो ककसको दीि पडोमसयो को तो
सियोग स उस पयाग थान गया था शाम को थका-मादा लौटा तो मसमलया स बोला -ला कछ पस द द तो दम लगा आऊ थककर चर ो गया
मसमलया उस दखत ी ाय- ाय करक रोन लगी पयाग न घबराकर पछा - कया आ कयो रोती क ीि गमी तो न ीि लग गई न र स कोई आदमी तो न ीि आया
अब इस घर म मरा र ना न ोगा अपन घर जाऊगी
अर कछ म स तो बोल कया आ गाव म ककसी न गाली दी ककसन गाली दी घर फक द उसका चालान करवा द
मसमलया न रो-रोकर कथा सनाई पयाग पर आज थान पर खब मार पडी थी झललाया आ था व कथा सनी तो द म आग लग गई रनकमन पानी भरन गई थी व अभी घडा भी न रखन पाई थी कक पयाग उस पर टट पडा और मारत-मारत बदम कर हदया व मार का जवाब गामलयो स दती थी और पयाग घर गाली पर और झलला-झललाकर मारता था य ा तक की रनकमन क घटन टट गए चडडया टट गई मसमलया बीच-बीच म क ती जाती थी - वा र तरा
दीदा वा र तरी जबान ऐसी औरत ी न ीि दखी औरत का को डायन
जरा भी म म लगाम न ीि लगाती ककदत रनकमन उसकी बातो को मानो सनती ी न थी उसकी सारी शनकत पयाग को कोसन म लगी ई थी - त मर जा तरी ममटटी ननकल तझ भवानी खाए तझ ममरगी आए पयाग र -र कर करोि स नतलममला उठता और आकर दो-चार लात जमा दता पर रनककम को अब शायद चोट भी न लगती थी व जग स ह लती भी न थी मसर क बाल खोल जमीन पर बठन इद ीि मतरो का पाठ कर र ी थी उसक सवर म करोि न था कवल एक उदमादमय परवा था उसकी समसत आतमा ह िसा-कामना की अननन स परजवमलत ो र ी थी
अििरा आ तो रनकमन उठकर एक ओर ननकल गई जस आखो स आस की िार ननकल जाती मसमलया भोजन बना र ी थी उसन उस जात दखा भी पर कछ पछा न ीि दवार पर पयाग बठा धचलम पी र ा था उसन कछ न क ा
जब फसल पकन लगती थी तो डढ-दो म ीन पयाग तो ार की दखभाल करनी पडती थी उसका ककसानो स दो फसलो तक ल पीछ कछ अनाज बिा आ था माघ ी म व ार क बीच म थोडी-सी जमीन साफ करक एक मडया डाल दता था और रात को खा-पीकर आग धचलम और तमाख-चरस मलए ए इसी मडया म जाकर पडा र ता था चत क अदत तक उसकी य ी ननयम था आजकल व ी हदन थ फलस पकी ई तयार थी दो-चार हदन म कटाई शर ोन वाली थी पयाग न दस बज रात तक रनकमन की रा दखी कफर य समझकर कक शायद ककसी पडोमसन क घर सो र ी ोगी उसन खा-पीकर अपनी लाठन उठाई और मसमलया स बोला -ककवाड बदद कर ल अगर रनकमन आए तो खोल दना और मना-जनाकर थोडा-ब त िखला दना तर पीछ आज इतना तफान ो गया मझ न जान इतना गससा कस आ गया मन उस कभी फल की छडी स भी न छआ था क ीि बड-ििस न मरी ो तो कल आफत आ जाए
मसमलया बोली - न जानव आएगी कक न ीि म अकली कस र गी मझ डर लगता
तो घर म कौन र गा सना घर पाकर कोई लोटा-थाली उठा ल जाए तो डर ककस बात का कफर रनकमन तो आती ी ोगी
मसमलया न अददर स टटटी बदद कर ली पयाग ार की ओर चला चरस की तरिग म य भजन गाता जाता था - ठधगनी कया नना झमकाव कदद काट मदिग बनाव नीब काट मजीरा पाच तोरई मिगल गाब नाच बालम खीरा
रपा पह र क रप हदखाव सोना पह र ररझाव गल डाल तलसी की माला तीन लोक भरमाव
ठधगनी
स सा मसवान पर प चत ी उसन दखा कक सामन ार म ककसी न आग जलाई एक कषण म एक जवाला-सी द क उठन उसन धचललाकर पकारा - कौन व ा अर य कौन आग जलाता
ऊपर उठती ई जवालाओि न अपनी नजह वा स उततर हदया
अब पयाग को मालम आ कक उसकी मडया म आग लगी ई उसकी छाती िडकन लगी इस मडया म आग लगाना रई क ढर म आग लगाना था वा चल र ी थी मडया क चारो ओर एक ाथ टकर पकी ई फसल की चादर-सी बबछन ई थी रात म भी उसका सन रा रिग झलक र ा था आग की एक लपट कवल एक जरा-सी धचनगारी सार ार को भसम कर दगी सारा गाव तबा ो जाएगा इसी ार स ममल ए दसर गाव क भी ार थ व भी जल उठ ग ओ लपट बढती ी जा र ी अब ववलमब करन का समय न था पयाग न अपना उपला और धचलम व ीि पटक हदया और कि ि पर लो बदद लाठन
रखकर बत ाशा मडया की ओर दौडा मडो स जान म चककर था इसमलए खतो म स ोकर भागा जा र ा था परनतकषण जवाला परचिडतर ोती जाती थी और पयाग क पाव और तजी स उठ र थ कोई तज घोडा भी इस वकत उस पा न ीि सकता था अपनी तजी पर उस सवयि आश चयम ो र ा था जान पडता था पाव भमम पर पडत ी न ीि उसकी आख मडया पर लगी ई थीि दाह न-बाए स और कछ न सझता था इसी एकागरता न उसक परो म पर लगा हदए थ न दम फलता था न पाव थकत थ तीन-चार फरलािग उसन दो ममनट म तय कर मलए और मडया क पास जा प चा
मडया क आस-पास कोई न था ककसन य कमम ककया य सोचन का मौका न था उस खोजन की तो बात ी और थी पयाग को सदद रनकमन पर आ
पर य करोि का समय न था जवालाए कचाली बालको की भानत ठिा मारती िककम-िकका करतीि कभी दाह नी ओर लपकतीि और कभी बाई तरफ बस ऐसा मालम ोता था कक लपट अब खत तक प ची अब प ची मानो जवालाएि आगर पवमक कयाररयो की ओर बढती और असफल ोकर दसरी बार कफर दन वग स लपकती थीि आग कस बझ लाठन स पीटकर बझान का गौ (अवसर) न था व तो ननरी मखमता थी कफर कया ो फसल जल गई तो कफर व ककसी को म न हदखा सकगा आ गावभर म को राम मच जाएगा सवमनाश ो जाएगा उसन जयादा न ीि सोचा गवारो को सोचना न ीि आता पयाग न लाठन समभाली जोर स एक छलािग मारकर आग क अददर मडया क दवार पर जा प चा जलती ई मडया को अपनी लाठन पर उठाया और उस मसर पर मलए सबस चौडी मड पर गाव की तरफ भागा ऐसा जान पडा मानो कोई अननन-यजञ वा म उडता चला जा र ा फस की जलती ई िनजजया उसक ऊपर धगर र ी थी पर उस इसका जञान तक न था एक बार एक मठा अलग ोकर उसक ाथ पर धगर पडा सारा ाथ भन गया पर उसक पाव पल-भर भी न रक ाथो म जरा भी ह चक न ई ाथो का ह लना खती की तबा ोना था पयाग की ओर स अब कोई शिका न थी अगर भय था तो य ी कक मडया का व कददर भाग ज ा लाठन की कि दा डालकर पयाग न उस उठाया था न जल
जाए कयोकक छद क फलत ी मडया उसक ऊपर आ धगरगी और अननन-समाधि म मनन कर दगी पयाग य जानता था और वा की चाल स लडन म लगा र ा न ीि तो अब तक बीच म आग प च गई ोता और ा ाकार मच गया ोता एक फरलाग तो ननकल गया पयाग की ह ममत न ार न ीि मानी व दसरा फरलाग भी परा ो गया दखना पयाग दो फरलाग की और कसर पाव जरा भी ससत न ो जवाला लाठन क कि द पर प ची और तम ार जीवन का अदत मरन क बाद भी तम गामलया ममलगी तम अनदत काल तक आ ो की आग म जलत र ोग बस एक ममनट और अब कवल दो खत और र गए सवमनाश लाठन का कि दा ननकल गया मडया िखसक र ी अब कोई आशा न ीि पयाग पराण छोडकर दौड र ा व ककनार का खत आ प चा अब कवल दो सकि ड का और मामला ववजय का दवार सामन बीस ाथ पर खडा सवागत कर र ा उिर सवगम इिर नरक मगर व मडया िखसकती ई पयाग क मसर पर आ प ची व अब भी उस फ ककर अपनी जान बचा सकता पर उस पराणो को मो न ीि व उस जलती ई आग को मसर पर मलए भागा जा र ा व ा उसक पाव लडखडाए अब य करर अननन-लीला न ीि दखी जाती
एकाएक एक सतरी सामन क वकष क नीच स दौडती ई पयाग क पास प ची य रनकमन थी उसन तरदत पयाग क सामन आकर गरदन झकाई और जलती ई मडया क नीच प चकर उस दोनो ाथो पर ल मलया उसी दम पयाग मनछमत ोकर धगर पडा उसका सारा म झलस गया था
रनकमन उसक अलाव को मलए एक सकि ड म खत क डािड पर आ प ची मगर इतनी दर म उसका ाथ जल गया म जल गया और कपडो म आग लग गई उस अब इतनी सधि भी न थी कक मडया क बा र ननकल आए मडया को मलए ए धगर पडी इसक बाद कछ दर कर मडया ह लती र ी रनकमन ाथ-पाव फ कती र ी कफर अननन न उस ननगल मलया रनकमन न अननन-समाधि ल ली
कछ दर बाद पयाग को ोश आया सारी द जल र ी थी उसन दखा वकष क नीच फस की लाल आग चमक र ी उठकर दौडा औऱ पर स आग को टा हदया - नीच रनकमन का अिजली लाश पडी ई थी उसन बठकर दोनो ाथो स म ढाप मलया और रोन लगा
परातःकाल गाव क लोग पयाग को उठाकर उसक घर ल गए एक सप ता तक उसका इलाज ोता र ा पर बचा न ीि कछ तो आग न जलाया था जो कसर थी व शोकाननन न परी कर दी
सजाि भगत
सीि-साद ककसान िन ाथ म आत ी िमम और कीनतम को ओर झकत हदवय समाज की भानत व प ल अपन भोग0-ववलास की ओर न ीि दौडत सजान की खती म कई साल स कि चन बरस र ा था म नत तो गाव क सभी ककसान करत थ पर सजान क चददरमा बली थ ऊसर म भी दाना छनिट आता था तो कछ-न-कछ पदा ो जाता था तीन वषम लगातार ईख लगती गई उिर गड का भाव तज था कोई दो-ढाई जार ाथ म आए बस धचतत की वनतत िमम की ओर झक पडी साि-सदतो का आदर-सतकार ोन लगा दवार पर िनी जलन लगी काननगो इलाक म आत तो सजान म तो क चौपाल म ठ रत लक क ड कािसटबल थानदार मशकषा-ववभाग का अफसर एक-न-एक उस चौपाल म पडा ी र ता म तो मार खशी क फल न समात िदय भाग उसक दवार पर अब इतन बड-बड ाककम आकर ठ रत नजन ाककमो क सामन उसका म न खलता था उद ीि की अब म तो-म तो करत जबान सखती थी कभी-कभी भजन-भाव ो जाता था एक म ातमा न डौल अचछा दखा तो गाव म आसन जमा हदया गािज और चरस की ब ार उडन लगी एक ढोलक आई मजीर मगाए गए सतसिग ोन लगा य सब सजान क दम का जलस था
घर म सरो दि ोता मगर सजान क कि ठ तल एक बद भी जान की कसम थी कभी ाककम लोग चखत कभी म ातमा लोग ककसान को दि-िी स कया मतलब उस रोटी और साग चाह ए सजान की नमरता का अब पारावार न था सबक सामन मसर झकाए र ता क ीि लोग य न क न लग कक िन पाकर उस घमिड ो गया गाव म कल तीन कए थ ब त-स खतो म पानी न प चता था खती मारी जाती थी सजान न एक पकका कआ बनवा हदया कए का वववा आ यजञ आ बरहमभोज आ नजस हदन प ली बार पर चला सजान को मानो चारो पदाथम ममल गए जो काम गाव म ककसी न न ककया था व बाप-दादा क पणय-परताप स सजान न कर हदखाया
एक हदन गाव म गया क यातरी आकर ठ र सजान ी क दवार पर उनका भोजन बना सजान क मन म भी गया करन की ब त हदनो स इचछा थी य अचछा अवसर दखकर व भी चलन को तयार ो गया
उसकी सतरी बलाकी न क ा - अभी र न दो अगल साल चलग
सजान न गमभीर भाव स क ा - अगल साल कया ोगा कौन जानता िमम क काम म मीन-मष ननकालना अचछा न ीि नजददगानी का कया भरोसा
बलाकी - ाथ खाली ो जाएगा
सजान - भगवान की इचछा ोगी तो कफर रपए ो जाएग उनक य ा ककस बात की कमी
बलाकी इसका कया जवाब दती सतकायम म बािा डालकर अपनी मनकत कयो बबगाडती परातःकाल सतरी और परष गया करन चल व ा स लौट तो यजञ और बरहमभोज की ठ री सारी बबरादरी ननमिबतरत ए नयार गावो म सपारी बटी इस िम-िाम स एक लाभ आ कक चारो ओर वा -वा मच गई सब य ी क त थ कक भगवान िन द तो हदल भी ऐसा द घमिड तो छ न ीि गया अपन ाथ स पततल उठाता कफरता था कल का नाम जगा हदया बटा ो तो ऐसा ो बाप मरा तो भनी-भािग भी न ीि थी अब लकषमी घटन तौ ाडकर आ बठन
एक दवषी न क ा - क ीि गडा आ िन पा गया
इस पर चारो ओर स उस पर बौछार पडन लगी - ा तम ार बाप-दादा जो खजाना छोड गए थ य ी उसक ाथ लग गया अर भया य िमम की कमाई तम भी तो छाती फाडकर काम करत ो कयो ऐसी ईख न ीि लगती कयो ऐसी फसल न ीि ोती भगवान आदमी का हदल दखत जो खचम करता उसी को दत
सजान म तो सजान भगत ो गए भगतो क आचार-ववचार कछ और ोत व बबना सनान ककए कछ न ीि खाता गिगाजी अगर घर स दर ो और व रोज सनान करक दोप र तक घर न लौट सकता ो तो पवो क हदन तो उस अवशय ी न ाना चाह ए भजन-भाव उसक घर अवशय ोना चाह ए पजा-अचमना उसक मलए अननवायम खान-पान म भी उस ब त ववचार रखना पडता सबस बडी बात य कक झठ का तयाग करना पडता भगत झठ न ीि बोल सकता सािारण मनषय को अगर झठ का दिड एक ममल तो भगत को एक लाख स कम न ीि ममल सकता अजञान की अवसथा म ककतन ी अपराि कषमय ो जात जञानी क मलए कषमा न ीि परायनश चत न ीि यहद तो ब त ी कहठन सजान को भी अब भगतो की मयामदा को ननभाना पडा अब तक उसकी जीवन मजर का जीवन था उसका कोई आदमश कोई मयामदा उसक सामन न थी अब उसक जीवन म ववचार का उदय आ ज ा का मागम काटो स भरा आ था सवाथम-सवा ी प ल उसक जीवन का लकषय था इसी कािट स व पररनसथनतयो को तौलता था व अब उद औधचतय क कािटो पर तौलन लगा यो क ो कक जड-जगत स ननकलकर उसन चतन-जगत म परवश ककया उसन कछ लन-दन करना शर ककया पर अब उस बयाज लत ए आतमनलानन-सी ोती थी य ा तक कक गऊओि को द त समय उस बछडो का यान बना र ता था क ीि बछडा भखा न र जाए न ीि तो उसका रोया दखी ोगा व गाव का मिखया था ककतन ी मकदमो म उसन झठन श ादत बनवाई थी ककतनो स डािड लकर मामल को रफा-दफा करा हदया था अब इन वयापारो स उस घणा ोती थी झठ और परपिच स कोसो दर भागता था प ल उसकी य चष टा ोती थी कक मजरो स नजतना काम मलया जा सक लो और मजरी नजतनी कम दी जा सक दो पर अब उस मजर क काम की कम मजरी की अधिक धचदता र ती थी क ीि बचार मजर का रोया न दखी ो जाए व उसका वाकयािश-सा ो गया ककसी का रोया न दखी ो जाए उसक दोनो जवान बट बात-बात म उस पर फनबतया कसत य ा तक कक बलाकी भी अब उस कोरा भगत समझन लगी
थी नजस घर क भल-बर स कोई परयोजन न था चतन-जगत म आकर सजान भगत कोर भगत र गए
सजान क ाथो स िीर-िीर अधिकार छनन जान लग ककसी खत म कया बोना ककसको कया दना ककसस कया लना ककस भाव स कया चीज बबकी ऐसी-ऐसी म ततवपणम बातो म भी भगत जी की सला न ली जाती थी भगत क पास कोई जान ी न पाता दोनो लडक या सवयि बलाकी दर ी स मामला तय कर मलया करती गाव-भर म सजान का मान-सममान बढता था घर म घटता था लडक उसका सतकार अब ब त करत ाथ स चारपाई उठात दख लपककर खद उठा लात धचलम न भरन दत य ा तक कक उसकी िोती छाटन क मलए भी आगर करत थ मगर अधिकार उसक ाथ म न था व अब घर का सवामी न ीि मनददर का दवता था
एक हदन बलाकी ओखली म दाल छाट र ी थी एक मभखमिगा दवार पर आकर धचललान लगा बलाकी न सोचा दाल छाट लि तो उस कछ द द इतन म बडा लडका भोला आकर बोला -अममा एक म ातमा दवार पर खड गला फाड र
कछ द दो न ीि तो उनका रोया दखी ो जाएगा
बलाकी न उपकषा क भाव स क ा - भगत क पाव कया म दी लगी कयो कछ ल जाकर न ीि दत कया मर चार ाथ ककस-ककसका रोया सखी कर हदन-भर तो ताता लगा र ता
भोला - चौपट करन पर लग ए और कया अभी मि ग बग (रपए) दन आया था ह साब स 7 मन ए तौला तो पौन सात मन ी ननकल
मन क ा - दस सर और ला तो आप बठ-बठ क त अब इतनी दर क ा जाएगा भरपाई मलख दो न ीि तो उसका रोया दखी ोगा मन भरपाई न ीि मलखी दस सर बाकी मलख दी
बलाकी - ब त अचछा ककया तमन बकन हदया करो दस-पाच दफ म की खा जाएग तो आप ी बोलना छोड दग
भोला - हदन-भर एक-न-एक खचड ननकालत सौ दफ क हदया कक तम घर-ग सथी क मामल म न बोला करो पर इनस बबना बोल र ा ी न ीि जाता
बलाकी - म जानती थी कक इनका य ाल ोगा तो गरमदतर न लन दती
भोला - भगत कया ए कक दीन-दननया दोनो स गए सारा हदन पजा-पाठ म ी उड जाता अभी ऐस बढ न ीि ो गए कक कोई काम ी न कर सक
बलाकी न आपनतत की - भोला य तम ारा कदयाय फावडा कदाल अब उनस न ीि ो सकता लककन कछ-न-कछ तो करत ी र त बलो को सानी-पानी दत गाय द त और भी जो कछ ो सकता करत
मभकषक अभी तक खडा धचलला र ा था सजान न जब घर म स ककसी को कछ लात न दखा तो उठकर अददर गया और कठोर सवर म बोला - तम लोगो को सनाई न ीि दता कक दवार पर कौन घदट-भर स खडा भीख माग र ा अपना काम तो हदन-भर करना ी एक छन भगवान का काम भी तो ककया करो
बलाकी - तम तो भगवान का काम करन को बठ ी ो कया घर-भर भगवान ी का काम करगा
सजान - क ा आटा रखा लाओ म ी ननकालकर द आऊ तम रानी बनकर बठो
बलाकी - आटा मन मर-मरकर पीसा अनाज द दो ऐस मडधचरो क मलए प र रात स उठकर चककी न ीि चलाती
सजान भिडार घर म गए और एक छोटी-सी छबडी को जौ स भर ए ननकल जौ सर भर स कम न था सजान न जान-बझकर कवल बलाकी और भोला को धचढान क मलए मभकषा परमपरा का उललिघन ककया था नतस पर भी य हदखान क मलए कक छबडी म ब त जयादा जौ न ीि व उस चटकी स पकड ए थ चटकी इतना बोझ न समभाल सकती थी ाथ काप र ा था एक कषण ववलमब ोन स छबडी क ाथ स छटकर धगर पडन की समभावना थी इसमलए जलदी स बा र ननकल जाना चा त थ स सा भोला न छबडी उनक ाथ स छनन ली और तयोररया बदलकर बोला - सदत का माल न ीि जो लटान चल ो छाती फाड-फाडकर काम करत तब दाना घर म आता
सजान न िखमसयाकर क ा - म भी तो बठा न ीि र ता
भोला - भीख भीख की ी तर दी जाती लटाई न ीि जाती म तो एक वला खाकर हदन काटत कक पनत-पानी बना र और तम लटान की सझी तम कया मालम कक घर म कया ो र ा
सजान न इसका कोई जवाब न हदया बा र आकर मभखारी स क हदया - बाबा इस समय जाओ ककसी का ाथ खाली न ीि और पड क नीच बठकर ववचार मनन ो गया अपन ी घर म उसका य अनादर अभी य अपाह ज न ीि ाथ-पाव थक न ीि घर का कछ-न-कछ काम करता ी र ता उस पर य अनादर उसी न घर बनाया य सारी ववभनत उसी क शरम का फल पर अब इस घर पर उसका कोई अधिकार न ीि र ा अब व दवार का कतता पडा र और घर वाल जो रखा द द व खाकर पट भर मलया कर ऐस जीवन को धिककार सजान ऐस घर म न ीि र सकता
सदया ो गई थी भोला को छोटा भाई शिकर नाररयल भरकर लाया सजान न नाररयल दीवार स हटकाकर रख हदया िीर-िीर तमबाक जल गया जरा दर म भोला न दवार पर चारपाई डाल दी सजान पड क नीच स न उठा
ब त दर और गजरी भोजन तयार आ भोला बलान गया सजान न क ा - भख न ीि ब त मनावन करन पर भी न उठा
तब बलाकी न आकर क ा - खाना खान कयो न ीि चलत जी तो अचछा
सजान को सबस अधिक करोि बलाकी पर था य भी लडको क साथ य बठन दखती र ी और भोला न मर ाथ स अनाज छनन मलया इसक म स इतना भी न ननकला कक ल जात तो ल जान दो लडको को न मालम ो कक मन ककतन शरम स ग सथी जोडी पर य तो जानती हदन को हदन और रात को रात न ीि समझा भादो की अिरी रात म मडया लगा क जआर की रखवाली करता था जठ-बसाख की दोप री म भी दम न लता था और अब मरा घर पर इतना भी अधिकार न ीि कक भीख तक द सक माना कक भीख इतनी न ीि दी जाती लककन इनको तो चप र ना चाह ए था चा म घर म आग ी कयो न लगा दता कानन म भी तो मरा कछ ोता म अपना ह ससा न ीि खाता दसरो को िखला दता इसम ककसी क बाप का कया साझा अब इस वकत मानन आई नजसन खसम की लात न खाई ो कभी कडी ननगा स दखा तक न ीि रपए-पस लना-दना सब इसी क ाथ म द रखा था अब रपए जमा कर मलए तो मझी स घमिड करती अब इस बट पयार म तो ननखटट लटाऊ घर-फक घोघा मरी इस कया परवा तब लडक न थ जब बीमार पडी थी और म गोद म उठाकर वदय क घर ल गया था आज उसक बट और य उनकी मा म तो बा र का आदमी मझ घर स मतलब ी कया बोला - अब खा-पीकर कया करगा ल जोतन स र ा फावडा चलान स र ा मझ िखलाकर दान को कयो खराब करगी रख द बट दसरी बार खाएग
बलाकी - तम तो जरा-जरा-सी बात पर नतनक जात ो सच क ा बढाप म आदमी की बवदध मारी जाती भोला न इतना तो क ा था कक इतनी भीख मत ल जाओ या और कछ
सजान - ा बचारा इतना क कर र गया तम तो मजा तब आता जब व ऊपर स दो-चार डिड लगा दता कयो अगर य ी अमभलाषा तो परी कर लो भोला खा चका ोगा बला लाओ न ीि भोला को कयो बलाती ो तम ीि न जमा दो दो-चार ाथ इतनी कसर व भी परी ो जाए
बलाकी - ा और कया य ी तो नारी का िरम अपन भाग सरा ो कक मझ-जसी सीिी औरत पा ली नजस बल चा त ो बबठात ो ऐसी म जोर ोती तो तम ार घर म एक हदन भी ननबा न ोता
सजान - ा भाई व तो म क र ा कक दवी थीि और ो म तब भी राकषस था और अब भी दतय ो गया बट कमाऊ उनकी-सी न क ोगी तो कया मरी-सी क ोगी मझस अब कया लना-दना
बलाकी - तम झगडा करन पर तल बठ ो और म झगडा बचाती कक चार आदमी सग चलकर खाना खा लो सीि स न ीि तो म जाकर सो र गी
सजान - तम भखी कयो सो र ोगी तम ार बटो की तो कमाई ा म बा री आदमी
बलाकी - बट तम ार भी तो
सजान - न ीि म ऐस बटो स बाज आया ककसी और क बट ोग मर बट ोत तो कया मरी दगमनत ोती
बलाकी - गामलया दोग तो म भी कछ क बठगी सनती थी मदम बड समझदार ोत पर तम सबस दयार ो आदमी को चाह ए कक जसा समय दख वसा
काम कर अब मारा और तम ारा ननबा इसी म कक नाम क मामलक बन र और व ी कर जो लडको को अचछा लग म य बात समझ गई तम कयो न ीि समझ पात जो कमाता उसी का घर म राज ोता य ी दननया का दसतर म बबना लडको स पछ कोई काम न ीि करती तम कयो अपन मन की करत ो इतन हदनो तक तो राज कर मलया अब कयो माया म पड ो आिी रोटी खाओ भगवान भजन करो और पड र ो चलो खाना खा लो
सजान - तो अब म दवार का कतता
बलाकी - बात जो थी व मन क दी अब अपन को जो चा ो समझो
सजान न उठ बलाकी ारकर चली गई
सजान क सामन अब एक नई समसया खडी ो गई थी व ब त हदनो स घर का सवामी था और अब भी ऐसा ी समझता र ा पररनसथनत म ककतना उलट-फर ो गया था इसकी उस खबर न थी लडक उसका सवा-सममान करत य बात उस भरम म डाल ए थी लडक उसक सामन धचलम न ीि पीत खाट पर न ीि बठत कया य सब उसक ग -सवामी ोन का परमाण न था पर आज उस य जञात आ कक य कवल शरदधा थी उसक सवाममतव का परमाण न ीि अब तक नजस घर म राज ककया उसी घर म परािीन बनकर व न ीि र सकता उसको शरदधा की चा न ीि सवा की भख न ीि उस अधिकार चाह ए व इस घर पर दसरो का अधिकार न ीि दख सकता मनददर का पजारी बनकर व न ीि र सकता
न जान ककतनी रात बाकी थी सजान न उठकर गिडास स बलो का चारा काटना शर ककया सारा गाव सोता था पर सजान करवी काट र थ इतना शरम
उद ोन अपन जीवन म कभी न ककया था जबस उद ोन काम छोडा था बराबर चार क मलए ाय- ाय पडी र ती थी शिकर भी काटता था भोला भी काटता था पर चारा परा न पडता था आज व इन लौडो को हदखा दग चारा कस काटना चाह ए उनक सामन कहटया का प ाड खडा ो गया और टकड इतन म ीन और सडौल था मानो सािच म ढाल गए ो
म -अिर बलाकी उठन तो कहटया का ढर दखकर दिग र गई और बोली - कया भोल आज रात भी कहटया ी काटता र गया ककतना क ा कक बटा जी स ज ान पर मानता ी न ीि रात को सोया ी न ीि
सजान भकत न तान स क ा - व सोता ी कब जब दखता काम ी करता र ता ऐसा कमाऊ सिसार म और कौन ोगा
इतन म भोला आख मलता आ बा र ननकला उस भी य ढर दखकर आश चयम आ मा स बोला - कया शिकर आज बडी रात को उठा था अममा
बलाकी -व तो पडा सो र ा मन समझा तमन काटी
भोला - म तो सवर उठ ी न ीि पाता हदन-भर चा नजतना काम कर ल पर रात को मझस न ीि उठा जाता
बलाकी - तो कया तम ार दादा न काटी
भोला - ा मालम ोता रात-भर सोए न ीि मझस कल बडी भल ई अर
व तो ल लकर जा र जान दन पर उतार ो गए कया
बलाकी - करोिी तो सदा क अब ककसी की सनग थोड ी
भोला - शिकर को जगा दो म भी जलदी स म - ाथ िोकर ल ल जाऊ जब और ककसानो क साथ भोला ल लकर खत म प चा तो सजान आिा खत जोत
चक थ भोला न चपक स काम करना शर ककया सजान स कछ बोलन की ह ममत न पडी
दोप र आ सभी ककसानो न ल छोड हदए पर सजान भगत अपन काम म मनन भोला थक गया उसकी बार-बार इचछा ोती कक बलो को खोल द मगर डर क मार कछ क न ीि सकता सबको आश चयम ो र ा कक दादा कस इतनी म नत कर र
आिखर डरत-डरत बोला - दादा अब तो दोप र ो गया ल खोल द न
सजान - ा खोल दो तम बलो को लकर चलो म डािड फ ककर आता
भोला - म सिझा को डािड फ क दगा
सजान - तम कया फ क दोग दखत न ीि ो खत कटोर की तर ग रा ो गया तभी तो बीच म पानी जम जाता इस गोइिड क खत म बीस मन का बीघा ोता था तम लोगो न इसका सतयानाश कर हदया
बल खोल हदए गए भोला बलो को लकर घर चला पर सजान डािड फ कत र आि घदट क बाद डािड फ ककर व घर गए मगर थकान का नाम न था न ा-खाकर आराम करन क बदल उद ोन बलो को स लाना शर ककया उनकी पीठ पर ाथ फरा उनक पर मल पछ स लाई बलो की पछ खडी थी सजान की गोद म मसर रख उद अकथनीय सख ममल र ा था ब त हदनो क बाद आज उद य आनदद पराप त आ था उनकी आखो म कतजञता भऱी ई थी मानो व क र थ म तम ार साथ रात-हदन काम करन को तयार
अदय कषको की भानत भोला अभी कमर सीिी कर र ा था कक सजान न कफर ल उठाया और खत की ओर चल दोनो बल उमिग स भर दौड चल जात थ
मानो उद सवयि खत म प चन की जलदी थी
भोला न मडया म लट-लट वपता को ल मलए जात दखा पर उठ न सका उसकी ह ममत छट गई उसन कभी इतना पररशरम न ककया था उस बनी-बनाई धगरसती ममल गई थी उस जयो-तयो चला र ा था इन दामो व घर का सवामी बनन का इचछक न था जवान आदमी को बीस िदि ोत सन-बोलन क मलए गान-बजान क मलए भी तो उस कछ समय चाह ए पडोस क गाव म दिगल ो र ा जवान आदमी कस अपन को व ा जान स रोकगा ककसी गाव म बरात आई नाच-गान ो र ा जवान आदमी कयो उसक आनदद स विधचत र सकता वदधजनो क मलए य बािाए न ीि उद न नाच-गान स मतलब न खल-तमाश स गरज कवल अपन स काम
बलाकी न क ा - भोला तम ार दादा ल लकर गए
भोला - जान दो अममा मझस य न ीि ो सकता
सजान भगत क इस नवीन उतसा पर गाव म टीकाए ई - ननकल गई सारी भगती बना आ था माया म फसा आ आदमी का को भत
मगर भगतजी क दवार पर अब कफर साि-सदत आसन जमाए दख जात उनका आदर-सतकार ोता अब की उसकी खती न सोना उगल हदया बखारी म अनाज रखन की जग न ीि ममलती नजस खत म पाच मन मनशकल स ोता था उसी खत म अबकी दस मन की उपज ई
चत का म ीना था खमल ानो म सतयग का राज था जग -जग अनाज क ढर लग ए थ य ी समय जब कषको को भी थोडी दर क मलए अपना जीवन सफल मालम ोता जब गवम स उनका हदय उछलन लगता सजान भगत टोकर म अनाज भर-भर दत थ और दोनो लडक टोकर लकर घर म अनाज रख आत थ ककतन ी भाट और मभकषक भगत जी को घर ए थ
उनम व मभकषक भी था जो आज स आठ म ीन प ल भगत क दवार स ननराश ोकर लौट गया था
स सा भगत न उस मभकषक स पछा - कयो बाबा आज क ा-क ा चककर लगा आए
मभकषक - अभी तो क ीि न ीि गया भगतजी प ल तम ार ी पास आया
भगत - अचछा तम ार सामन य ढर इसम स नजतना अनाज उठाकर ल जा सको ल जाओ
मभकषक न कषबि नतरो स ढर को दखकर क ा - नजतना अपन ाथ स उठाकर द दोग उतना ी लगा
भगत - न ी तमस नजतना उठ सक उठा लो
मभकषक क पास एक चादर थी उसन कोई दस सर अनाज उसम भरा और उठान लगा सिकोच क मार और अधिक भरन का उस सा स न आ
भगत उसक मन का भाव समझकर आश वासन दत ए बोल - बस इतना तो एक बचचा भी उठा ल जाएगा
मभकषक न भोला की ओर सिहदनि नतरो स दखकर क ा - मर मलए इतना ी काफी
भगत - न ीि तम सकचात ो अभी और भरो
मभकषक न एक पिसरी अनाज और भरा और कफर भोला की ओर सशिक दनष ट स दखन लगा
भगत - उसकी ओर कया दखत ो बाबाजी म जो क ता व करो तमस नजतना उठाया जा सक उठा लो
मभकषक डर र ा था कक क ीि उसन अनाज भर मलया और भोला न गठरी न उठान दी तो ककतनी भदद ोगी और मभकषको को सन का अवसर ममल जाएगा सब य ी क ग कक मभकषक ककतना लोभी उस और अनाज भरन की ह ममत न पडी
तब सजान भगत न चादर लकर उसम अनाज भरा और गठरी बािकर बोल - इस उठा ल जाओ
मभकषक - बाबा इतना तो मझस उठ न सकगा
भगत - अर इतना भी न उठ सकगा ब त ोगा तो मन भर भला जोर तो लगाओ दख उठा सकत ो या न ीि
मभकषक न गठरी को आजमाया भारी थी जग स ह ली भी न ीि कफर बोला - भगत जी य मझस न उठ सकगी
भगत - अचछा बताओ ककस गाव म र त ो
मभकषक - बडी दर भगतजी अमोला का नाम तो सना ोगा
भगत - अचछा आग-आग चलो म प चा दगा
य क कर भगत न जोर लगाकर गठरी उठाई और मसर पर रखकर मभकषक क पीछ ो मलए दखन वाल भगत का य पौरष दखकर चककत ो गए उद कया मालम था कक भगत पर इस समय कौन-सा नशा था आठ म ीन क ननरदतर अववरल पररशरम का आज उद फल ममला था आज उद ोन अपना खोया आ अधिकार कफर पाया था व ी तलवार जो कल को भी न ीि काट
सकती सान पर चढकर लो को काट दती मानव-जीवन म लाग बड म ततव की वसत नजसम लाग व बढा भी ो तो जवान नजसम लाग न ीि गरात न ीि व जवान भी मतक सजान भगत म लाग थी और उसी न उद अमानषीय बल परदान कर हदया था चलत समय उद ोन भोला की ओर सगवम नतरो स दखा और बोल - य भाट और मभकषक खड कोई खाली ाथ न लौटन पाए
भोला मसर झकाए खडा था उस कछ बोलन का ौसला न आ वदध वपता न उस परासत कर हदया था
सो ाग का शव
मयपरदश क एक प ाडी गॉ ॉव म एक छोट-स घर की छत पर एक यवक मानो सिया की ननसतबिता म लीन बठा था सामन चददरमा क ममलन परकाश म ऊदी पवमतमालाऍ ि अनदत क सवपन की भॉ ॉनत गमभीर र सयमय सिगीतमय मनो र मालम ोती थीि उन प ाडडयो क नीच जल-िारा की एक रौपय रखा ऐसी मालम ोती थी मानो उन पवमतो का समसत सिगीत समसत गामभीयम समपणम र सय इसी उजजवल परवा म लीन ो गया ो यवक की वषभषा स परकट ोता था कक उसकी दशा ब त समपदन न ी ॉ ॉ उसक मख स तज और मननसवता झलक र ी थी उसकी ऑ िखो पर ऐनक न थी न मछ मडी ई थीि न बाल सवार ए थ कलाई पर घडी न थी य ॉ ॉ तक कक कोट क जब म फाउदटनपन भी न था या तो व मसदधादतो का परमी था या आडमबरो का शतर
यवक ववचारो म मौन उसी पवमतमाला की ओर दख र ा था कक स सा बादल की गरज स भयिकर वनन सनायी दी नदी का मिर गान उस भीषण नाद म डब गया ऐसा मालम आ मानो उस भयिकर नाद न पवमतो को भी ह ला हदया
मानो पवमतो म कोई घोर सिगराम नछड गया य रलगाडी थी जो नदी पर बन ए पल स चली आ र ी थी
एक यवती कमर स ननकल कर छत पर आयी और बोलीmdashआज अभी स गाडी आ गयी इस भी आज ी वर ननभाना था
यवक न यवती का ाथ पकड कर क ाmdashवपरय मरा जी चा ता क ीि न जाऊ
मन ननशचय कर मलया मन तम ारी खानतर स ामी भर ली थी पर अब जान
की इचछा न ीि ोती तीन साल कस कटग
यवती न कातर सवर म क ाmdashतीन साल क ववयोग क बाद कफर तो जीवनपयमदत कोई बािा न खडी ोगी एक बार जो ननशचय कर मलया उस परा
ी कर डालो अनित सख की आशा म म सार कषट झल लगी
य क त ए यवती जलपान लान क ब ान स कफर भीतर चली गई ऑ िसओि का आवग उसक बाब स बा र ो गया इन दोनो परािणयो क ववाह क जीवन की य प ली ी वषमगॉठ थी यवक बमबई-ववशवववदयालय स एम० ए० की उपाधि लकर नागपर क एक कालज म अयापक था नवीन यग की नयी-नयी ववाह क और सामानजक करािनतयो न उस लशमातर भी ववचमलत न ककया था परानी परथाओि स ऐसी परगाढ ममता कदाधचत वदधजनो को भी कम ोगी परोफसर ो जान क
बाद उसक माता-वपता न इस बामलका स उसका वववा कर हदया था परथानसार
ी उस आखममचौनी क खल म उद परम का रतन ममल गया कवल छहटटयो म य ॉ ॉ प ली गाडी स आता और आिखरी गाडी स जाता य दो-चार हदन मीठ सवपन क समान कट जात थ दोनो बालको की भॉ ॉनत रो-रोकर बबदा ोत इसी कोठ पर खडी ोकर व उसको दखा करती जब तक ननदमयी प ाडडयाि उस आड म न कर लतीि पर अभी साल भी न गजरन पाया था कक ववयोग न अपना षडयितर रचना शर कर हदया कशव को ववदश जा कर मशकषा परी करन क मलए एक वनतत ममल गयी ममतरो न बिाइयॉ ॉ दी ककसक ऐस भानय नजस बबना मॉ ॉग सवभानय-ननमामण का ऐसा अवसर परापत ो कशव ब त परसदन था व इसी दवविा म पडा आ घर आया माता-वपता और अदय समबनदियो न इस यातरा का घोर ववरोि ककया नगर म नजतनी बिाइयॉ ममली थीि य ॉ ि उसस क ीि अधिक बािाऍ ि ममलीि ककदत सभदरा की उचचाकािकषाओि की सीमा न थी व कदाधचत कशव को इददरासन
पर बठा आ दखना चा ती थी उसक सामन तब भी व ी पनत सवा का आदशम ोता था व तब भी उसक मसर म तल डालगी उसकी िोती छॉ ॉटगी उसक पॉ ॉव दबायगी और उसक पिखा झलगी उपासक की म तवाकािकषा उपासय ी क परनत ोती व उसको सोन का मनददर बनवायगा उसक मसि ासन को रतनो स सजायगा सवगम स पषप लाकर भट करगा पर व सवयि व ी उपासक र गा जटा क सथान पर मकट या कौपीन की जग वपतामबर की लालसा उस कभी न ी सताती सभदरा न उस वकत तक दम न मलया जब तक कशव न ववलायत जान का वादा न कर मलया माता-वपता न उस कि लककनी और न जान कया-कया क ा
पर अदत म स मत ो गए सब तयाररयाि ो गयीि सटशन समीप ी था य ॉ ॉ गाडी दर तक खडी र ती थी सटशनो क समीपसथ गॉ ॉव क ननवामसयो क मलए गाडी का आना शतर का िावा न ीि ममतर का पदापमण गाडी आ गयी सभदरा जलपान बना कर पनत का ाथ िलान आयी थी इस समय कशव की परम-कातर आपनतत न उस एक कषण क मलए ववचमलत कर हदया ा कौन जानता
तीन साल म कया ो जाय मन म एक आवश उठाmdashक द पयार मत जाओ थोडी ी खायग मोटा ी प नग रो-रोकर हदन तो न कटग कभी कशव क आन म एक-आिा म ीना लग जाता था तो व ववकल ो जाया करता थी य ी जी चा ता था उडकर उनक पास प च जाऊ कफर य ननदमयी तीन वषम कस कटग लककन उसन कठोरता स इन ननराशाजनक भावो को ठकरा हदया और कॉ ॉपत कि ठ स बोलीmdashजी तो मरा भी य ी चा ता जब तीन साल का अनमान करती तो एक कलप-सा मालम ोता लककन जब ववलायत म तम ार सममान और आदर का यान करती तो य तीन साल तीन हदन स मालम ोत तम तो ज ाज पर प चत ी मझ भल जाओग नय-नय दशय तम ार मनोरिजन क मलए आ खड ोग यरोप प चकर ववदवानो क सतसिग म तम घर की याद भी न आयगी मझ तो रोन क मसवा और कोई िििा न ीि य ी समनतयॉ ॉ ी मर जीवन का आिार ोगी लककन कया कर जीवन की भोग-लालसा तो न ीि मानती कफर नजस ववयोग का अित जीवन की सारी ववभनतयॉ ॉ अपन साथ लायगा व वासतव म तपसया तपसया क बबना तो वरदान न ीि ममलता
कशव को भी अब जञात आ कक कषिणक मो क आवश म सवभानय ननमामण का ऐसा अचछा अवसर तयाग दना मखमता खड ोकर बोलmdashरोना-िोना मत न ीि तो मरा जी न लगगा
सभदरा न उसका ाथ पकडकर हदय स लगात ए उनक म की ओर सजल नतरो स दखा ओर बोलीmdashपतर बराबर भजत र ना
सभदरा न कफर आख म आस भर ए मसकरा कर क ाmdashदखना ववलायती ममसो
क जाल म न फस जाना
कशव कफर चारपाई पर बठ गया और बोलाmdashतम य सिद तो लो म जाऊगा ी न ीि
सभरदा न उसक गल म बॉ ॉ डाल कर ववशवास-पणम दनषट स दखा और बोलीmdashम हदललगी कर र ी थी
lsquoअगर इददरलोक की अपसरा भी आ जाय तो आख उठाकर न दखि बरहमा न ऐसी दसरी सषटी की ी न ीिrsquo
lsquoबीच म कोई छटटी ममल तो एक बार चल आनाrsquo
lsquoन ीि वपरय बीच म शायद छटटी न ममलगी मगर जो मन सना कक तम रो-रोकर
घली जाती ो दाना-पानी छोड हदया तो म अवशय चला आऊगा य फल जरा भी कम लान न पायrsquo
दोनो गल ममल कर बबदा ो गय बा र समबनदियो और ममतरो का एक सम
खडा था कशव न बडो क चरण छए छोटो को गल लगाया और सटशन की ओर
चल ममतरगण सटशन तक प चान गय एक कषण म गाडी यातरी को लकर चल दी
उिर कशव गाडी म बठा आ प ाडडयो की ब ार दख र ा था इिर सभदरा भमम पर पडी मससककयॉ भर र ी थी
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हदन गजरन लग उसी तर जस बीमारी क हदन कटत mdashहदन प ाड रात काली बला रात-भर मनात गजरती थी कक ककसी तर भोर ोता तो मनान लगती कक जलदी शाम ो मक गयी कक व ॉ ॉ जी ब लगा दस-पॉ ॉच हदन पररवतमन का कछ
असर आ कफर उनस भी बरी दशा ई भाग कर ससराल चली आयी रोगी करवट बदलकर आराम का अनभव करता
प ल पॉ ॉच-छ म ीनो तक तो कशव क पतर पिदर व हदन बराबर ममलत र
उसम ववयोग क दख कम नय-नय दशयो का वणमन अधिक ोता था पर सभदरा सितषट थी पतर मलखती तो ववर -वयथा क मसवा उस कछ सझता ी न था कभी-कभी जब जी बचन ो जाता तो पछताती कक वयथम जान हदया क ीि एक हदन मर जाऊ तो उनक दशमन भी न ो
लककन छठ म ीन स पतरो म भी ववलमब ोन लगा कई म ीन तक तो म ीन
म एक पतर आता र ा कफर व भी बिद ो गया सभदरा क चार-छ पतर प च जात तो एक पतर आ जाता व भी बहदली स मलखा आmdashकाम की अधिकता और समय क अभाव क रोन स भरा आ एक वाकय भी ऐसा न ीि नजसस हदय
को शािनत ो जो टपकत ए हदल पर मर म रख ा आहद स अदत तक lsquoवपरयrsquo
शबद का नाम न ीि सभदरा अिीर ो उठन उसन योरप-यातरा का ननशयच कर मलया व सार कषट स लगी मसर पर जो कछ पडगी स लगी कशव को आखो स
दखती र गी व इस बात को उनस गपत रखगी उनकी कहठनाइयो को और न बढायगी उनस बोलगी भी न ीि कवल उद कभी-कभी ऑ िख भर कर दख लगी य ी उसकी शािनत क मलए काफी ोगा उस कया मालम था कक उसका कशव उसका न ीि र ा व अब एक दसरी ी काममनी क परम का मभखारी
सभदरा कई हदनो तक इस परसताव को मन म रख ए सती र ी उस ककसी परकार
की शिका न ोती थी समाचार-पतरो क पढत र न स उस समदरी यातरा का ाल मालम ोता र ता था एक हदन उसन अपन सास-ससर क सामन अपना ननशचय
परकट ककया उन लोगो न ब त समझाया रोकन की ब त चषटा की लककन सभदरा न अपना ठ न छोडा आिखर जब लोगो न दखा कक य ककसी तर न ीि मानती तो राजी ो गय मकवाल समझा कर ार गय कछ रपय उसन सवयि जमा कर रख थ कछ ससराल म ममल मॉ ॉ-बाप न भी मदद की रासत क खचम की धचिता
न र ी इिनलड प चकर व कया करगी इसका अभी उसन कछ ननशचय न ककया इतना जानती थी कक पररशरम करन वाल को रोहटयो की क ीि कमी न ीि र ती
ववदा ोत समय सास और ससर दोनो सटशन तक आए जब गाडी न सीटी दी तो सभदरा न ाथ जोडकर क ाmdashमर जान का समाचार व ॉ ॉ न मलिखएगा न ीि तो उद धचिता ोगी ओर पढन म उनका जी न लगगा
ससर न आशवासन हदया गाडी चल दी
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लिदन क उस ह सस म ज ॉ ॉ इस समवदध क समय म भी दररदरता का राजय ऊपर क एक छोट स कमर म सभदरा एक कसी पर बठन उस य ॉ ॉ आय आज एक म ीना ो गया यातरा क प ल उसक मन म नजतनी शिकाए थी सभी शादत ोती जा र ी बमबई-बिदर म ज ाज पर जग पान का परशन बडी आसानी स ल ो गया व अकली औरत न थी जो योरोप जा र ी ो पॉ ॉच-छ नसतरयॉ ॉ और भी उसी ज ाज स जा र ी थीि सभदरा को न जग ममलन म कोई कहठनाई
ई न मागम म य ॉ ॉ प चकर और नसतरयो स सिग छट गया कोई ककसी ववदयालय म चली गयी दो-तीन अपन पनतयो क पास चलीि गयीि जो य ॉ ॉ प ल आ गय थ सभदरा न इस म लल म एक कमरा ल मलया जीववका का परशन भी उसक मलए ब त कहठन न र ा नजन मह लाओि क साथ व आयी थी उनम कई उचच- अधिकाररयो की पनतनयॉ ॉ थी कई अचछ-अचछ अगरज घरनो स उनका पररचय था सभदरा को दो मह लाओि को भारतीय सिगीत और ह ददी-भाषा मसखान का काम ममल गया शष समय म व कई भारतीय मह लाओि क कपड सीन का काम कर लती कशव का ननवास-सथान य ॉ ॉ स ननकट इसीमलए सभदरा न इस म लल को पिसद ककया कल कशव उस हदखायी हदया था ओ उद lsquoबसrsquo स उतरत दखकर उसका धचतत ककतना आतर ो उठा था बस य ी मन म
आता था कक दौडकर उनक गल स मलपट जाय और पछmdashकयो जी तम य ॉ ॉ आत ी बदल गए याद तमन चलत समय कया-कया वादा ककय थ उसन बडी मनशकल स अपन को रोका था तब स इस वकत तक उस मानो नशा-सा छाया आ व उनक इतन समीप चा रोज उद दख सकती उनकी बात सन सकती ॉ ॉ सपशम तक कर सकती अब य उसस भाग कर क ॉ ॉ जायग
उनक पतरो की अब उस कया धचदता कछ हदनो क बाद समभव व उनस ोटल क नौकरो स जो चा पछ सकती
सिया ो गयी थी िऍ ि म बबजली की लालटन रोती ऑ िख की भानत जयोनत ीन-सी ो र ी थीि गली म सतरी-परष सर करन जा र थ सभदरा सोचन लगीmdashइन लोगो को आमोद स ककतना परम मानो ककसी को धचदता ी न ीि मानो सभी समपदन जब ी य लोग इतन एकागर ोकर सब काम कर सकत नजस समय जो काम करन जी-जान स करत खलन की उमिग तो काम करन की भी उमिग और एक म कक न सत न रोत मौन बन बठ र त सफनतम का क ीि नाम न ीि काम तो सार हदन करत भोजन करन की फरसत भी न ीि ममलती पर वासतव म चौथाई समय भी काम म न ी लगत कवल काम करन का ब ाना करत मालम ोता जानत पराण-शदय ो गयी
स सा उसन कशव को जात दखा ॉ ॉ कशव ी था कसी स उठकर बरामद म चली आयी परबल इचछा ई कक जाकर उनक गल स मलपट जाय उसन अगर अपराि ककया तो उद ीि क कारण तो यहद व बराबर पतर मलखत जात तो व
कयो आती
लककन कशव क साथ य यवती कौन अर कशव उसका ाथ पकड ए
दोनो मसकरा-मसकरा कर बात करत चल जात य यवती कौन
सभदरा न यान स दखा यवती का रिग सॉ ॉवला था व भारतीय बामलका थी
उसका प नावा भारतीय था इसस जयादा सभदरा को और कछ न हदखायी हदया उसन तरित जत प न दवार बदद ककया और एक कषण म गली म आ प ची
कशव अब हदखायी न दता था पर व नजिर गया था उिर ी व बडी तजी स लपकी चली जाती थी य यवती कौन व उन दोनो की बात सनना चा ती थी उस यवती को दखना चा ती थी उसक पॉ ॉव इतनी तज स उठ र थ मानो दौड र ी ो पर इतनी जलदी दोनो क ॉ ॉ अदशय ो गय अब तक उस उन लोगो क समीप प च जाना चाह ए था शायद दोनो ककसी lsquoबसrsquo पर जा बठ
अब व गली समापत करक एक चौडी सडक पर आ प ची थी दोनो तरफ बडी-बडी जगमगाती ई दकान थी नजनम सिसार की ववभनतयॉ ि गवम स फली उठन थी कदम-कदम पर ोटल और रसरॉ ॉ थ सभदरा दोनो और नतरो स ताकती पगपग पर भरािनत क कारण मचलती ककतनी दर ननकल गयी कछ खबर न ीि
कफर उसन सोचाmdashयो क ॉ ॉ तक चली जाऊि गी कौन जान ककिर गय चलकर कफर अपन बरामद स दख आिखर इिर स गय तो इिर स लौटग भी य खयाल आत ी व घम पडी ओर उसी तर दौडती ई अपन सथान की ओर चली जब व ा प ची तो बार बज गय थ और इतनी दर उस चलत ी गजरा एक कषण भी उसन क ीि ववशराम न ीि ककया
व ऊपर प ची तो ग -सवाममनी न क ाmdashतम ार मलए बडी दर स भोजन रखा आ
सभदरा न भोजन अपन कमर म मगा मलया पर खान की सधि ककस थी व उसी बरामद म उसी तरफ टकटकी लगाय खडी थी नजिर स कशव गया
एक बज गया दो बजा कफर भी कशव न ीि लौटा उसन मन म क ाmdashव ककसी दसर मागम स चल गय मरा य ॉ ॉ खडा र ना वयथम चल सो र लककन कफर खयाल आ गया क ीि आ न र ो
मालम न ीि उस कब नीिद आ गयी
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दसर हदन परातकाल सभदरा अपन काम पर जान को तयार ो र ी थी कक एक
यवती रशमी साडी प न आकर खडी ो गयी और मसकराकर बोलीmdashकषमा कीनजएगा मन ब त सबर आपको कषट हदया आप तो क ीि जान को तयार मामल ोती
सभदरा न एक कसी बढात ए क ाmdash ॉ ॉ एक काम स बा र जा र ी थी म आपकी कया सवा कर सकती
य क त ए सभदरा न यवती को मसर स पॉ ॉव तक उसी आलोचनातमक दनषट स दखा नजसस नसतरयॉ ॉ ी दख सकती सौदयम की ककसी पररभाषा स भी उस सददरी न क ा जा सकता था उसका रिग सॉ ॉवला म कछ चौडा नाक कछ
धचपटी कद भी छोटा और शरीर भी कछ सथल था ऑ िखो पर ऐनक लगी ई थी
लककन इन सब कारणो क ोत ए भी उसम कछ ऐसी बात थी जो ऑ िखो को अपनी ओर खीिच लती थी उसकी वाणी इतनी मिर इतनी सियममत इतनी ववनमर थी कक जान पडता था ककसी दवी क वरदान ो एक-एक अिग स परनतमा ववकीणम ो र ी थी सभदरा उसक सामन लकी एवि तचछ मालम ोती थी यवती न कसी पर बठत ए क ाmdash
lsquoअगर म भलती तो मझ कषमा कीनजएगा मन सना कक आप कछ कपड भी सीती नजसका परमाण य कक य ॉ ॉ सीवव िग मशीन मौजद lsquo
सभदराmdashम दो लडडयो को भाषा पढान जाया करती शष समय म कछ मसलाई
भी कर लती आप कपड लायी
यवतीmdashन ीि अभी कपड न ीि लायी य क त ए उसन लजजा स मसर झका कर
मसकारात ए क ाmdashबात य कक मरी शादी ोन जा र ी म वसतराभषण सब ह िदसतानी रखना चा ती वववा भी वहदक रीनत स ी ोगा ऐस कपड
य ॉ ॉ आप ी तयार कर सकती
सभदरा न सकर क ाmdashम ऐस अवसर पर आपक जोड तयार करक अपन को िदय समझगी व शभ नतधथ कब
यवती न सकचात ए क ाmdashव तो क त इसी सपता म ो जाय पर म उद टालती आती मन तो चा ा था कक भारत लौटन पर वववा ोता पर व इतन उतावल ो र कक कछ क त न ीि बनता अभी तो मन य ी क कर टाला कक मर कपड मसल र
सभदराmdashतो म आपक जोड ब त जलद द दगी
यवती न सकर क ाmdashम तो चा ती थी आप म ीनो लगा दतीि
सभदराmdashवा म इस शभ कायम म कयो ववघन डालन लगी म इसी सपता म आपक कपड द दगी और उनस इसका परसकार लगी
यवती िखलिखलाकर सी कमर म परकाश की ल र-सी उठ गयीि बोलीिmdashइसक
मलए तो परसकार व दग बडी खशी स दग और तम ार कतजञ ोग मन परनतजञा की थी कक वववा क बििन म पडगी ी न ी पर उद ोन मरी परनतजञा तोड दी अब मझ मालम ो र ा कक परम की बडडयॉ ॉ ककतनी आनिदमय ोती तम तो अभी ाल ी म आयी ो तम ार पनत भी साथ ोग
सभदरा न ब ाना ककया बोलीmdashव इस समय जममनी म सिगीत स उद ब त
परम सिगीत ी का अययन करन क मलए व ॉ ॉ गय
lsquoतम भी सिगीत जानती ोrsquo
lsquoब त थोडाrsquo
lsquoकशव को सिगीत ब त परम rsquo
कशव का नाम सनकर सभदरा को ऐसा मालम आ जस बबचछ न काट मलया ो व चौक पडी
यवती न पछाmdashआप चौक कस गयीि कया कशव को जानती ो
सभदरा न बात बनाकर क ाmdashन ीि मन य नाम कभी न ीि सना व य ॉ ॉ कया करत
सभदरा का खयाल आया कया कशव ककसी दसर आदमी का नाम न ीि ो सकता
इसमलए उसन य परशन ककया उसी जवाब पर उसकी नजिदगी का फसला था
यवती न क ाmdashय ॉ ॉ ववदयालय म पढत भारत सरकार न उद भजा अभी साल-भर भी तो आए न ीि आ तम दखकर परसदन ोगी तज और बवदध की मनतम समझ लो य ॉ ॉ क अचछ-अचछ परोफसर उनका आदर करत ऐसा सददर भाषण तो मन ककसी क म स सना ी न ीि जीवन आदशम मझस उद कयो परम ो गया मझ इसका आशचयम मझम न रप न लावणय य मरा सौभानय तो म शाम को कपड लकर आऊगी
सभदरा न मन म उठत ए वग को सभॉ ॉल कर क ाmdashअचछन बात
जब यवती चली गयी तो सभदरा फट-फटकर रोन लगी ऐसा जान पडता था मानो द म रकत ी न ीि मानो पराण ननकल गय व ककतनी ननस ाय ककतनी दबमल इसका आज अनभव आ ऐसा मालम आ मानो सिसार म उसका कोई न ीि अब उसका जीवन वयथम उसक मलए अब जीवन म रोन क मसवा और कया उनकी सारी जञानहदरयॉ ॉ मशधथल-सी ो गयी थीि मानो व ककसी ऊच वकष स धगर पडी ो ा य उसक परम और भनकत का परसकार उसन ककतना आगर करक कशव को य ॉ ॉ भजा था इसमलए कक य ॉ ॉ आत ी उसका सवमनाश
कर द
परानी बात याद आन लगी कशव की व परमातर ऑ िख सामन आ गयीि व
सरल स ज मनतम ऑ िखो क सामन नाचन लगी उसका जरा मसर िमकता था तो कशव ककतना वयाकल ो जाता था एक बार जब उस फसली बखार आ गया था तो कशव घबरा कर पिदर हदन की छटटी लकर घर आ गया था और उसक मसर ान बठा रात-भर पिखा झलता र ा था व ी कशव अब इतनी जलद उसस ऊब उठा उसक मलए सभदरा न कौन-सी बात उठा रखी व तो उसी का अपना पराणािार अपना जीवन िन अपना सवमसव समझती थी न ीि-न ीि कशव का दोष न ीि सारा दोष इसी का इसी न अपनी मिर बातो स अद वशीभत कर मलया इसकी ववदया बवदध और वाकपटता ी न उनक हदय पर ववजय पायी ाय उसन ककतनी बार कशव स क ा था मझ भी पढाया करो लककन उद ोन मशा य ी जवाब हदया तम जसी ो मझ वसी ी पसदद ो म तम ारी सवाभाववक सरलता को पढा-पढा कर ममटाना न ीि चा ता कशव न उसक साथ ककतना बडा अदयाय ककया लककन य उनका दोष न ीि य इसी यौवन-मतवाली छोकरी की माया
सभदरा को इस ईषयाम और दख क आवश म अपन काम पर जान की सि न र ी व कमर म इस तर ट लन लगी जस ककसी न जबरदसती उस बदद कर हदया ो कभी दोनो महियॉ ॉ बि जातीि कभी दॉ ॉत पीसन लगती कभी ओिठ काटती उदमाद की-सी दशा ो गयी ऑ िखो म भी एक तीवर जवाला चमक उठन जयो-जयो कशव क इस ननषठर आघात को सोचती उन कषटो को याद करती जो उसन उसक मलए झल थ उसका धचतत परनतकार क मलए ववकल ोता जाता था अगर कोई बात ई ोती आपस म कछ मनोमामलदय का लश भी ोता तो उस इतना दख
न ोता य तो उस ऐसा मालम ोता था कक मानो कोई सत- सत अचानक गल पर चढ बठ अगर व उनक योनय न ीि थी तो उद ोन उसस वववा ी कयो ककया था वववा करन क बाद भी उस कयो न ठकरा हदया था कयो परम का बीज बोया था और आज जब व बीच पललवो स ल रान लगा उसकी जड उसक
अदतसतल क एक-एक अण म परववषट ो गयीि उसका रकत उसका सारा उतसगम वकष को सीिचन और पालन म परवतत ो गया तो व आज उस उखाड कर फ क दना चा त कया हदय क टकड-टकड ए बबना वकष उखड जायगा
स सा उस एक बात याद आ गयी ह िसातमक सितोष स उसका उततनजत मख-मणडल और भी कठोर ो गया कशव न अपन प ल वववा की बात इस यवती स गपत रखी ोगी सभदरा इसका भिडाफोड करक कशव क सार मिसबो को िल म ममला दगी उस अपन ऊपर करोि आया कक यवती का पता कयो न पछ मलया
उस एक पतर मलखकर कशव की नीचता सवाथमपरता और कायरता की कलई खोल
दतीmdashउसक पािडडतय परनतभा और परनतषठा को िल म ममला दती खर सिया-समय तो व कपड लकर आयगी ी उस समय उसस सारा कचचा धचिा बयान कर दगी
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सभरदा हदन-भर यवती का इदतजार करती र ी कभी बरामद म आकर इिर-उिर ननगा दौडाती कभी सडक पर दखती पर उसका क ीि पता न था मन म झझलाती थी कक उसन कयो उसी वकत सारा वताित न क सनाया
कशव का पता उस मालम था उस मकान और गली का नमबर तक याद था ज ॉ ॉ स व उस पतर मलखा करता था जयो-जयो हदन ढलन लगा और यवती क आन म ववलमब ोन लगा उसक मन म एक तरिगी-सी उठन लगी कक जाकर कशव को फटकार उसका सारा नशा उतार द क mdashतम इतन भियकर ह िसक ो इतन म ान ितम ो य मझ मालम न था तम य ी ववदया सीखन य ॉ ॉ आय
थ तम ार पािडडतय की य ी फल तम एक अबला को नजसन तम ार ऊपर अपना सवमसव अपमण कर हदया यो छल सकत ो तमम कया मनषयता नाम को भी न ीि र गयी आिखर तमन मर मलए कया सोचा म सारी नजिदगी तम ार नाम को रोती र लककन अमभमान र बार उसक परो को रोक लता न ीि नजसन उसक साथ ऐसा कपट ककया उसका इतना अपमान ककया उसक पास
व न जायगी व उस दखकर अपन ऑ िसओि को रोक सकगी या न ीि इसम उस
सिद था और कशव क सामन व रोना न ीि चा ती थी अगर कशव उसस घणा करता तो व भी कशव स घणा करगी सिया भी ो गयी पर यवती न आयी बनततयॉ ॉ भी जलीि पर उसका पता न ीि
एकाएक उस अपन कमर क दवार पर ककसी क आन की आ ट मालम ई व
कदकर बा र ननकल आई यवती कपडो का एक पमलिदा मलए सामन खडी थी
सभदरा को दखत ी बोलीmdashकषमा करना मझ आन म दर ो गयी बात य कक कशव को ककसी बड जररी काम स जममनी जाना व ॉ ॉ उद एक म ीन स जयादा लग जायगा व चा त कक म भी उनक साथ चल मझस उद अपनी थीमसस मलखन म बडी स ायता ममलगी बमलमन क पसतकालयो को छानना पडगा मन भी सवीकार कर मलया कशव की इचछा कक जममनी जान क प ल मारा वववा ो जाय कल सिया समय सिसकार ो जायगा अब य कपड मझ आप जममनी स लौटन पर दीनजएगा वववा क अवसर पर म मामली कपड प न लग और कया करती इसक मसवा कोई उपाय न था कशव का जममन जाना अननवायम
सभदरा न कपडो को मज पर रख कर क ाmdashआपको िोखा हदया गया
यवती न घबरा कर पछाmdashिोखा कसा िोखा म बबलकल न ीि समझती तम ारा मतलब कया
सभदरा न सिकोच क आवरण को टान की चषटा करत ए क ाmdashकशव तम िोखा दकर तमस वववा करना चा ता
lsquoकशव ऐसा आदमी न ीि जो ककसी को िोखा द कया तम कशव को जानती ो
lsquoकशव न तमस अपन ववषय म सब-कछ क हदया rsquo
lsquoसब-कछrsquo
lsquoमरा तो य ी ववचार कक उद ोन एक बात भी न ीि नछपाईrsquo
lsquoतम मालम कक उसका वववा ो चका rsquo
यवती की मख-जयोनत कछ ममलन पड गयी उसकी गदमन लजजा स झक गयी
अटक-अटक कर बोलीmdash ॉ ॉ उद ोन मझस य बात क ी थी
सभदरा परासत ो गयी घणा-सचक नतरो स दखती ई बोलीmdashय जानत ए भी तम कशव स वववा करन पर तयार ो
यवती न अमभमान स दखकर क ाmdashतमन कशव को दखा
lsquoन ीि मन उद कभी न ीि दखाrsquo
lsquoकफर तम उद कस जानती ोrsquo
lsquoमर एक ममतर न मझस य बात क ी व कशव को जानता rsquo
lsquoअगर तम एक बार कशव को दख लतीि एक बार उसस बात कर लतीि तो मझस
य परशन न करती एक न ीि अगर उद ोन एक सौ वववा ककय ोत तो म इनकार न करती उद दखकर म अपन को बबलकल भल जाती अगर उनस
वववा न कर ता कफर मझ जीवन-भर अवववाह त ी र ना पडगा नजस समय व मझस बात करन लगत मझ ऐसा अनभव ोता कक मरी आतमा पषपकी भॉ ॉनत िखली जा र ी म उसम परकाश और ववकास का परतयकष अनभव करती दननया चा नजतना स चा नजतनी ननददा कर म कशव को अब न ीि छोड सकती उनका वववा ो चका व सतय पर उस सतरी स उनका मन कभी न ममला यथाथम म उनका वववा अभी न ीि आ व कोई सािारण अदधममशकषकषता
बामलका तम ीि सोचो कशव जसा ववदवान उदारचता मनसवी परष ऐसी बामलका क साथ कस परसदन र सकता तम कल मर वववा म चलना पडगा
सभदरा का च रा तमतमाया जा र ा था कशव न उस इतन काल रिगो म रिगा
य सोच कर उसका रकत खौल र ा था जी म आता था इसी कषण इसको दतकार द लककन उसक मन म कछ और ी मिसब पदा ोन लग थ उसन गिभीर पर उदासीनता क भाव स पछाmdashकशव न कछ उस सतरी क ववषय म न ी क ा
यवती न ततपरता स क ाmdashघर प चन पर व उसस कवल य ी क दग कक
म और तम अब सतरी और परष न ीि र सकत उसक भरण-पोषण का व उसक इचछानसार परबिि कर दग इसक मसवा व और कया कर सकत ह दद-नीनत म पनत-पतनी म ववचछद न ीि ो सकता पर कवल सतरी को पणम रीनत स सवािीन कर दन क ववचार स व ईसाई या मसलमान ोन पर भी तयार व तो अभी उस इसी आशय का एक पतर मलखन जा र थ पर मन ी रोक मलया
मझ उस अभाधगनी पर बडी दया आती म तो य ॉ ॉ तक तयार कक अगर उसकी इचछा ो तो व भी मार साथ र म उस अपनी ब न समझगी ककि त कशव इसस स मत न ीि ोत
सभदरा न वयिनय स क ाmdashरोटी-कपडा दन को तयार ी सतरी को इसक मसवा और कया चाह ए
यवती न वयिनय की कछ परवा न करक क ाmdashतो मझ लौटन पर कपड तयार
ममलग न
सभदराmdash ॉ ॉ ममल जायग
यवतीmdashकल तम सिया समय आओगी
सभदराmdashन ीि खद अवकाश न ीि
यवती न कछ न क ा चली गयी
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सभदरा ककतना ी चा ती थी कक समसया पर शाितधचतत ोकर ववचार कर पर
हदय म मानो जवाला-सी द क र ी थी कशव क मलए व अपन पराणो का कोई मलय न ीि समझी थी व ी कशव उस परो स ठकरा र ा य आघात इतना आकनसमक इतना कठोर था कक उसकी चतना की सारी कोमलता मनचछमत ो गयी उसक एक-एक अण परनतकार क मलए तडपन लगा अगर य ी समसया इसक
ववपरीत ोती तो कया सभदरा की गरदन पर छरी न कफर गयी ोती कशव उसक खन का पयासा न ो जाता कया परष ो जान स ी सभी बात कषमय और सतरी ो जान स सभी बात अकषमय ो जाती न ीि इस ननणमय को सभदरा की ववदरो ी आतमा इस समय सवीकार न ीि कर सकती उस नाररयो क ऊि च आदशो की परवा न ीि उन नसतरयो म आतमामभमान न ोगा व परषो क परो की जनतया बनकर र न ी म अपना सौभानय समझती ोगी सभदरा इतनी आतममभमान-शदय न ीि व अपन जीत-जी य न ीि दख सकती थी कक उसका पनत उसक जीवन की सवमनाश करक चन की बिशी बजाय दननया उस तयाररनी वपशाधचनी क गी क mdashउसको परवा न ीि र -र कर उसक मन म भयिकर पररणा ोती थी कक इसी समय उसक पास चली जाय और इसक पह ल कक व उस यवती क परम का आदनद उठाय उसक जीवन का अदत कर द व कशव की ननषठरता को याद करक अपन मन को उततनजत करती थी अपन को धिककार-धिककार कर
नारी सलभ शिकाओि को दर करती थी कया व इतनी दबमल कया उसम इतना सा स भी न ीि इस वकत यहद कोई दषट उसक कमर म घस आए और उसक सतीतव का अप रण करना चा तो कया व उसका परनतकार न करगी आिखर आतम-रकषा ी क मलए तो उसन य वपसतौल ल रखी कशव न उसक सतय का अप रण ी तो ककया उसका परम-दशमन कवल परविचना थी व कवल अपनी वासनाओि की तनपत क मलए सभदरा क साथ परम-सवॉ ॉग भरता था कफर उसक वि
करना कया सभदरा का कततमवय न ीि
इस अनदतम कलपना स सभदरा को व उततजना ममल गयी जो उसक भयिकर सिकलप को परा करन क मलए आवशयक थी य ी व अवसथा जब सतरी-परष क खन की पयासी ो जाती
उसन खटी पर लटकाती ई वपसतौल उतार ली और यान स दखन लगी मानो उस कभी दखा न ो कल सिया-समय जब कायम-मिहदर क कशव और उसकी परममका एक-दसर क सममख बठ ए ोग उसी समय व इस गोली स कशव की परम-लीलाओि का अदत कर दगी दसरी गोली अपनी छाती म मार लगी कया व रो-रो कर अपना अिम जीवन काटगी
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सिया का समय था आयम-मिहदर क ऑ िगन म वर और वि इषट-ममतरो क साथ
बठ ए थ वववा का सिसकार ो र ा था उसी समय सभदरा प ची और बदामद म आकर एक खमभ की आड म इस भॉ ॉनत खडी ो गई कक कशव का म उसक सामन था उसकी ऑ िख म व दशय िखिच गया जब आज स तीन साल प ल उसन इसी भॉ ॉनत कशव को मिडप म बठ ए आड स दखा था तब उसका हदय
ककतना उछवामसत ो र ा था अितसतल म गदगदी-सी ो र ी थी ककतना अपार
अनराग था ककतनी असीम अमभलाषाऍ ि थीि मानो जीवन-परभात का उदय ो र ा ो जीवन मिर सिगीत की भॉ ॉनत सखद था भववषय उषा-सवपन की भॉ ॉनत सददर कया य व ी कशव सभदरा को ऐसा भरम आ मानो य कशव न ीि ॉ ॉ य व कशव न ीि था य उसी रप और उसी नाम का कोई दसरा मनषय था अब उसकी मसकरा ट म उनक नतरो म उसक शबदो म उसक हदय को आकवषमत करन वाली कोई वसत न थी उस दखकर व उसी भॉ ॉनत ननसपिद ननशचल खडी मानो कोई अपररधचत वयनकत ो अब तक कशव का-सा रपवान तजसवी सौमय
शीलवान परष सिसार म न था पर अब सभदरा को ऐसा जान पडा कक व ॉ ॉ बठ ए यवको म और उसम कोई अदतर न ीि व ईषयामननन नजसम व जली जा र ी थी व ह िसा-कलपना जो उस व ॉ ॉ तक लायी थी मानो एगदम शाित ो गयी ववररकत ह िसा स भी अधिक ह िसातमक ोती mdashसभदरा की ह िसा-कलपना म एक
परकार का ममतव थाmdashउसका कशव उसका पराणवललभ उसका जीवन-सवमसव और
ककसी का न ीि ो सकता पर अब व ममतव न ीि व उसका न ीि उस अब परवा न ीि उस पर ककसका अधिकार ोता
वववा -सिसकार समापत ो गया ममतरो न बिाइयॉ ॉ दीि स मलयो न मिगलगान ककया कफर लोग मजो पर जा बठ दावत ोन लगी रात क बार बज गय पर सभदरा व ीि पाषाण-मनतम की भॉ ॉनत खडी र ी मानो कोई ववधचतर सवपन दख र ी ो ॉ ॉ जस
कोई बसती उजड गई ो जस कोई सिगीत बदद ो गया ो जस कोई दीपक बझ गया
जब लोग मिहदर स ननकल तो व भी ननकल तो व भी ननकल आयी पर उस
कोई मागम न सझता था पररधचत सडक उस भली ई-सी जान पडन लगीि सारा सिसार ी बदल गया था व सारी रात सडको पर भटकती कफरी घर का क ीि पता न ीि सारी दकान बदद ो गयीि सडको पर सदनाटा छा गया कफर भी व
अपना घर ढढती ई चली जा र ी थी ाय कया इसी भॉ ॉनत उस जीवन-पथ म भी भटकना पडगा
स सा एक पमलसमन न पकाराmdashमडम तम क ॉ ॉ जा र ी ो
सभदरा न हठठक कर क ाmdashक ीि न ीि
lsquoतम ारा सथान क ॉ ॉ rsquo
lsquoमरा सथानrsquo
lsquo ॉ ॉ तम ारा सथान क ॉ ॉ म तम बडी दर स इिर-उिर भटकत दख र ा ककस सरीट म र ती ो
सभदरा को उस सरीट का नाम तक न याद था
lsquoतम अपन सरीट का नाम तक याद न ीिrsquo
lsquoभल गयी याद न ीि आताlsquo
स सा उसकी दनषट सामन क एक साइन बोडम की तरफ उठन ओ य ी तो उसकी सरीट उसन मसर उठाकर इिर-उिर दखा सामन ी उसका डरा था और इसी गली म अपन ी घर क सामन न-जान ककतनी दर स व चककर लगा र ी थी
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अभी परातकाल ी था कक यवती सभदरा क कमर म प ची व उसक कपड सी र ी थी उसका सारा तन-मन कपडो म लगा आ था कोई यवती इतनी एकागरधचत ोकर अपना शरिगार भी न करती ोगी न-जान उसस कौन-सा परसकार लना चा ती थी उस यवती क आन की खबर न ई
यवती न पछाmdashतम कल मिहदर म न ीि आयीि
सभदरा न मसर उठाकर दखा तो ऐसा जान पडा मानो ककसी कवव की कोमल
कलपना मनतममयी ो गयी उसकी उप छवव अननिदय थी परम की ववभनत रोम-रोम स परदमशमत ो र ी थी सभदरा दौडकर उसक गल स मलपट गई जस उसकी छोटी ब न आ गयी ो और बोली mdash ॉ ॉ गयी तो थी
lsquoमन तम न ीि दखाlsquo
lsquo ॉ ि म अलग थीlsquo
lsquoकशव को दखाrsquo
lsquo ॉ ॉ दखाlsquo
lsquoिीर स कयो बोली मन कछ झठ क ा था
सभदरा न सहदयता स मसकराकर क ा mdash मन तम ारी ऑ िखो स न ीि अपनी ऑ िखो स दखा मझ तो व तम ार योनय न ीि जिच तम ठग मलया
यवती िखलिखलाकर सी और बोलीmdashव म समझती मन उद ठगा
एक बार वसतराभषणो स सजकर अपनी छवव आईन म दखी तो मालम ो जायगा
lsquoतब कया म कछ और ो जाऊगीlsquo
lsquoअपन कमर स फशम तसवीर ॉ ॉडडयॉ ॉ गमल आहद ननकाल कर दख लो कमर की शोभा व ी र ती rsquo
यवती न मसर ह ला कर क ाmdashठनक क ती ो लककन आभषण क ॉ ॉ स लाऊ न-जान अभी ककतन हदनो म बनन की नौबत आय
lsquoम तम अपन ग न प ना दगीlsquo
lsquoतम ार पास ग न rsquo
lsquoब त दखो म अभी लाकर तम प नाती lsquo
यवती न म स तो ब त lsquoन ीि-न ीिrsquo ककया पर मन म परसदन ो र ी थी सभदरा न अपन सार ग न प ना हदय अपन पास एक छलला भी न रखा यवती को य नया अनभव था उस इस रप म ननकलत शमम तो आती थी पर उसका रप चमक उठा था इसम सिद न था उसन आईन म अपनी सरत दखी तो उसकी सरत जगमगा उठन मानो ककसी ववयोधगनी को अपन वपरयतम का सिवाद ममला ो मन म गदगदी ोन लगी व इतनी रपवती उस उसकी कलपना भी न थी
क ीि कशव इस रप म उस दख लत व आकािकषा उसक मन म उदय ई पर
क कस कछ दर म बाद लजजा स मसर झका कर बोलीmdashकशव मझ इस रप म दख कर ब त सग
सभदरा mdash सग न ीि बलया लग ऑ िख खल जायगी तम आज इसी रप म उसक पास जाना
यवती न चककत ोकर क ा mdashसच आप इसकी अनमनत दती
सभदरा न क ाmdashबड षम स
lsquoतम सिद न ोगाrsquo
lsquoबबलकल न ीिlsquo
lsquoऔर जो म दो-चार हदन प न र rsquo
lsquoतम दो-चार म ीन प न र ो आिखर पड ी तो rsquo
lsquoतम भी मर साथ चलोlsquo
lsquoन ीि मझ अवकाश न ीि lsquo
lsquoअचछा लो मर घर का पता नोट कर लोlsquo
lsquo ॉ ॉ मलख दो शायद कभी आऊlsquo
एक कषण म यवती व ॉ ॉ स चली गयी सभदरा अपनी िखडकी पर उस इस भॉ ॉनत
परसदन-मख खडी दख र ी थी मानो उसकी छोटी ब न ो ईषयाम या दवष का लश भी उसक मन म न था
मनशकल स एक घिटा गजरा ोगा कक यवती लौट कर बोलीmdashसभदरा कषमा करना म तम ारा समय ब त खराब कर र ी कशव बा र खड बला ल
एक कषण कवल एक कषण क मलए सभदरा कछ घबडा गयी उसन जलदी स उठ
कर मज पर पडी ई चीज इिर-उिर टा दीि कपड करीन स रख हदय उसन
जलदी स उलझ ए बाल सभाल मलय कफर उदासीन भाव स मसकरा कर बोलीmdashउद तमन कयो कषट हदया जाओ बला लो
एक ममनट म कशव न कमर म कदम रखा और चौक कर पीछ ट गय मानो पॉ ॉव जल गया ो म स एक चीख ननकल गयी सभदरा गमभीर शाित ननशचल अपनी जग पर खडी र ी कफर ाथ बढा कर बोली मानो ककसी अपररधचत वयनकत स बोल र ी थीmdashआइय ममसटर कशव म आपको ऐसी सशील ऐसी सददरी ऐसी ववदषी रमणी पान पर बिाई दती
कशव क म पर वाइयॉ ॉ उड र ी थीि व पथ-भरषट-सा बना खडा था लजजा और नलानन स उसक च र पर एक रिग आता था एक रिग जाता था य बात एक हदन ोनवाली थी अवशय पर इस तर अचानक उसकी सभदरा स भट ोगी इसका उस सवपन म भी गमान न था सभदरा स य बात कस क गा इसको उसन खब सोच मलया था उसक आकषपो का उततर सोच मलया था पतर क शबद तक मन म अिककत कर मलय थ य सारी तयाररयॉ ॉ िरी र गयीि और सभदरा स
साकषात ो गया सभदरा उस दख कर जरा सी न ीि चौकी उसक मख पर आशचयम घबरा ट या दख का एक धचहन भी न हदखायी हदया उसन उसी भिनत उसस बात की मानो व कोई अजनबी ो य ॉ ि कब आयी कस आयी कयो आयी कस गजर करती य और इस तर क असिखय परशन पछन क मलए कशव का धचतत चिचल ो उठा उसन सोचा था सभदरा उस धिककारगी ववष खान की िमकी दगीmdashननषठर ननदमय और न-जान कया-कया क गी इन सब आपदाओि क मलए व तयार था पर इस आकनसमक ममलन इस गवमयकत उपकषा क मलए व तयार न
था व परम-वरतिाररणी सभदरा इतनी कठोर इतनी हदय-शदय ो गयी अवशय
ी इस सारी बात प ल ी मालम ो चकी सब स तीवर आघात य था कक इसन अपन सार आभषण इतनी उदारता स द डाल और कौन जान वापस भी न लना चा ती ो व परासत और अपरनतम ोकर एक कसी पर बठ गया उततर म एक शबद भी उसक मख स न ननकला
यवती न कतजञता का भाव परकट करक क ाmdashइनक पनत इस समय जममनी म
कशव न ऑ िख फाड कर दखा पर कछ बोल न सका
यवती न कफर क ाmdashबचारी सिगीत क पाठ पढा कर और कछ कपड सी कर अपना ननवाम करती व म ाशय य ॉ ॉ आ जात तो उद उनक सौभानय पर बिाई
दती
कशव इस पर भी कछ न बोल सका पर सभदरा न मसकरा कर क ाmdashव मझस
रठ ए बिाई पाकर और भी झललात यवती न आशचयम स क ाmdashतम उद ीि क परम म य ॉ ॉ आयीि अपना घर-बार छोडा य ॉ ॉ म नत-मजदरी करक ननवाम कर र ी ो कफर भी व तमस रठ ए आशचयम
सभदरा न उसी भॉ ॉनत परसदन-मख स क ाmdashपरष-परकनत ी आशचयम का ववषय
चा मम कशव इस सवीकार न कर
यवती न कफर कशव की ओर पररणा-पणम दनषट स दखा लककन कशव उसी भॉ ॉनत
अपरनतम बठा र ा उसक हदय पर य नया आघात था यवती न उस चप दख
कर उसकी तरफ स सफाई दीmdashकशव सतरी और परष दोनो को ी समान अधिकार दना चा त
कशव डब र ा था नतनक का स ारा पाकर उसकी ह ममत बि गयी बोलाmdashवववा
एक परकार का समझौता दोनो पकषो को अधिकार जब चा उस तोड द
यवती न ामी भरीmdashसभय-समाज म य आददोनल बड जोरो पर
सभदरा न शिका कीmdashककसी समझौत को तोडन क मलए कारण भी तो ोना चाह ए
कशव न भावो की लाठन का स ार लकर क ाmdashजब इसका अनभव ो जाय कक म इस बदिन स मकत ोकर अधिक सखी ो सकत तो य ी कारण काफी सतरी को यहद मालम ो जाय कक व दसर परष क साथ
सभदरा न बात काट कर क ाmdashकषमा कीनजए मम कशव मझम इतनी बवदध न ीि कक
इस ववषय पर आपस ब स कर सक आदशम समझौता व ी जो जीवन-पयमदत र म भारत की न ीि क ती व ॉ ॉ तो सतरी परष की लौडी म इनलड की क ती य ॉ ॉ भी ककतनी ी औरतो स मरी बातचीत ई व तलाको की बढती ई सिखया को दख कर खश न ीि ोती वववा सबस ऊचा आदशम उसकी पववतरता और नसथरता परषो न सदव इस आदमश को तोडा नसतरयो न ननबा ा अब परषो का अदयाय नसतरयो को ककस ओर ल जायगा न ीि क सकती
इस गमभीर और सियत कथन न वववाद का अदत कर हदया सभदरा न चाय
मगवायी तीनो आदममयो न पी कशव पछना चा ता था अभी आप य ॉ ॉ ककतन हदनो र गी लककन न पछ सका व य ॉ ॉ पिदर ममनट और र ा लककन ववचारो म डबा आ चलत समय उसस न र ा गया पछ ी बठाmdashअभी आप य ॉ ॉ ककतन
हदन और र गी
lsquoसभदरा न जमीन की ओर ताकत ए क ाmdashक न ीि सकतीlsquo
lsquoकोई जररत ो तो मझ याद कीनजएlsquo
lsquoइस आशवासन क मलए आपको िदयवादlsquo
कशव सार हदन बचन र ा सभदरा उसकी ऑ िखो म कफरती र ी सभदरा की बात
उसक कानो म गजती र ीि अब उस इसम कोई सदद न था कक उसी क परम म सभदरा य ॉ ॉ आयी थी सारी पररनसथनत उसकी समझ म आ गयी थी उस भीषण तयाग का अनमान करक उसक रोय खड ो गय य ॉ ॉ सभदरा न कया-कया कषट झल ोग कसी-कसी यातनाऍ ि स ी ोगी सब उसी क कारण व उस पर भार न बनना चा ती थी इसमलए तो उसन अपन आन की सचना तक उस न
दी अगर उस प ल मालम ोती कक सभदरा य ॉ ॉ आ गयी तो कदाधचत उस उस
यवती की ओर इतना आकषमण ी न ोता चौकीदार क सामन चोर को घर म घसन का सा स न ीि ोता सभदरा को दखकर उसकी कततमवय-चतना जागरत ो गयी उसक परो पर धगर कर उसस कषमा मॉ ॉगन क मलए उसका मन अिीर ो उठा व उसक म स सारा वताित सनगा य मौन उपकषा उसक मलए असहय थी हदन तो कशव न ककसी तर काटा लककन जयो ी रात क दस बज व
सभदरा स ममलन चला यवती न पछाmdashक ॉ ॉ जात ो
कशव न बट का लस बॉ ॉित ए क ाmdashजरा एक परोफसर स ममलना इस वकत
आन का वादा कर चका
lsquoजलद आनाlsquo
lsquoब त जलद आऊगाlsquo
कशव घर स ननकला तो उसक मन म ककतनी ी ववचार-तिरग उठन लगीि क ीि सभदरा ममलन स इनकार कर द तो न ीि ऐसा न ीि ो सकता व इतनी अनदार न ीि ॉ ॉ य ो सकता कक व अपन ववषय म कछ न क उस शाित करन क मलए उसन एक कपा की कलपना कर डाली ऐसा बीमार था कक बचन की आशा न थी उमममला न ऐसी तदमय ोकर उसकी सवा-सशरषा की कक उस उसस परम ो गया कथा का सभदरा पर जो असर पडगा इसक ववषय म कशव को कोई सिद न था पररनसथनत का बोि ोन पर व उस कषमा कर दगी लककन इसका फल
कया ोगा लककन इसका फल कया ोगा कया व दोनो क साथ एक-सा परम कर सकता सभदरा को दख लन क बाद उमममला को शायद उसक साथ-साथ र न म
आपनतत ो आपनतत ो ी कस सकती उसस य बात नछपी न ीि ॉ ॉ य दखना कक सभदरा भी इस सवीकार करती कक न ीि उसन नजस उपकषा का पररचय हदया उस दखत ए तो उसक मान म सिद ी जान पडता मगर व उस मनायगा उसकी ववनती करगा उसक परो पडगा और अित म उस मनाकर ी छोडगा सभदरा स परम और अनराग का नया परमाण पा कर व मानो एक कठोर ननदरा स जाग उठा था उस अब अनभव ो र ा था कक सभदरा क मलए उसक हदय जो सथान था व खाली पडा आ उमममला उस सथान पर अपना आधिपतय न ीि जमा सकती अब उस जञात आ कक उमममला क परनत उसका परम कवल व तषणा थी जो सवादयकत पदाथो को दख कर ी उतपदन ोती व सचची कषिा न थी अब कफर उस सरल सामादय भोजन की इचछा ो र ी थी
ववलामसनी उमममला कभी इतना तयाग कर सकती इसम उस सिद था
सभदरा क घर क ननकट प च कर कशव का मन कछ कातर ोन लगा लककन
उसन जी कडा करक जीन पर कदम रकखा और कषण म सभदरा क दवार पर
प चा लककन कमर का दवार बिद था अिदर भी परकाश न था अवशय ी व क ी गयी आती ी ोगी तब तक उसन बरामद म ट लन का ननशचय ककया
स सा मालककन आती ई हदखायी दी कशव न बढ कर पछाmdash आप बता सकती कक य मह ला क ॉ ॉ गयी
मालककन न उस मसर स पॉ ॉव तक दख कर क ाmdashव तो आज य ॉ ॉ स चली गयीि
कशव न कबका कर पछाmdashचली गयीि क ॉ ॉ चली गयीि
lsquoय तो मझस कछ न ीि बतायाlsquo
lsquoकब गयीिrsquo
lsquoव तो दोप र को ी चली गयीrsquo
lsquoअपना असबाव ल कर गयीिrsquo
lsquoअसबाव ककसक मलए छोड जाती ॉ ॉ एक छोटा-सा पकट अपनी एक स ली क
मलए छोड गयी उस पर ममसज कशव मलखा आ मझस क ा था कक यहद व आ भी जाय तो उद द दना न ीि तो डाक स भज दनाrsquo
कशव को अपना हदय इस तर बठता आ मालम आ जस सयम का असत
ोना एक ग री सॉ ॉस लकर बोलाmdash
lsquoआप मझ व पकट हदखा सकती कशव मरा ी नाम rsquo
मालककन न मसकरा कर क ाmdashममसज कशव को कोई आपनतत तो न ोगी
lsquoतो कफर म उद बला लाऊrsquo
lsquo ॉ ॉ उधचत तो य ी rsquo
lsquoब त दर जाना पडगाrsquo
कशव कछ हठठकता आ जीन की ओर चला तो मालककन न कफर क ाmdashम समझती आप इस मलय ी जाइय वयथम आपको कयो दौडाऊ मगर कल मर पास एक रसीद भज दीनजएगा शायद उसकी जररत पड
य क त ए उसन एक छोटा-सा पकट लाकर कशव को द हदया कशव पकट
लकर इस तर भागा मानो कोई चोर भागा जा र ा ो इस पकट म कया य
जानन क मलए उसका हदय वयाकल ो र ा था इस इतना ववलमब असहय था कक अपन सथान पर जाकर उस खोल समीप ी एक पाकम था व ॉ ॉ जाकर उसन
बबजली क परकाश म उस पकट को खोला डाला उस समय उसक ाथ कॉ ॉप र थ
और हदय इतन वग स िडक र ा था मानो ककसी बिि की बीमारी क समाचार क बाद ममला ो
पकट का खलना था कक कशव की ऑ िखो स ऑ िसओि की झडी लग गयी उसम एक पील रिग की साडी थी एक छोटी-सी सदर की डडबबया और एक कशव का फोटा-धचतर क साथ ी एक मलफाफा भी था कशव न उस खोल कर पढा उसम मलखा थाmdash
lsquoब न म जाती य मर सो ाग का शव इस टमस नदी म ववसनजमत कर
दना तम ीि लोगो क ाथो य सिसकार भी ो जाय तो अचछा
तम ारी सभदरा
कशव ममाम त-सा पतर ाथ म मलय व ीि घास पर लट गया और फट-फट कर रोन लगा
आतम-सगीत
आिी रात थी नदी का ककनारा था आकाश क तार नसथर थ और नदी म उनका परनतबबमब ल रो क साथ चिचल एक सवगीय सिगीत की मनो र और
जीवनदानयनी पराण-पोवषणी घवननयॉ ॉ इस ननसतबि और तमोमय दशय पर इस
परकाश छा र ी थी जस हदय पर आशाऍ ि छायी र ती या मखमिडल पर शोक
रानी मनोरमा न आज गर-दीकषा ली थी हदन-भर दान और वरत म वयसत र न
क बाद मीठन नीिद की गोद म सो र ी थी अकसमात उसकी ऑ िख खलीि और य
मनो र वननयॉ ॉ कानो म प ची व वयाकल ो गयीmdashजस दीपक को दखकर पतिग व अिीर ो उठन जस खॉ ॉड की गिि पाकर चीिटी व उठन और दवारपालो एवि चौकीदारो की दनषटयॉ ॉ बचाती ई राजम ल स बा र ननकल आयीmdashजस वदनापणम करददन सनकर ऑ िखो स ऑ िस ननकल जात
सररता-तट पर कटीली झाडडया थीि ऊच कगार थ भयानक जित थ और उनकी डरावनी आवाज शव थ और उनस भी अधिक भयिकर उनकी कलपना मनोरमा कोमलता और सकमारता की मनतम थी परित उस मिर सिगीत का आकषमण उस तदमयता की अवसथा म खीिच मलया जाता था उस आपदाओि का यान न था
व घिटो चलती र ी य ॉ ॉ तक कक मागम म नदी न उसका गनतरोि ककया
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मनोरमा न वववश ोकर इिर-उिर दनषट दौडायी ककनार पर एक नौका हदखाई दी ननकट जाकर बोलीmdashमॉ ॉझी म उस पार जाऊगी इस मनो र राग न मझ वयाकल कर हदया
मॉ ॉझीmdashरात को नाव न ीि खोल सकता वा तज और ल र डरावनी जान-
जोिखम
मनोरमाmdashम रानी मनोरमा नाव खोल द म मॉ ॉगी मजदरी दगी
मॉ ॉझीmdashतब तो नाव ककसी तर न ीि खोल सकता राननयो का इस म ननबा न ीि
मनोरमाmdashचौिरी तर पॉ ॉव पडती शीघर नाव खोल द मर पराण िखिच चल जात
मॉ ॉझीmdashकया इनाम ममलगा
मनोरमाmdashजो त मॉ ॉग
lsquoमॉ ॉझीmdashआप ी क द गवार कया जान कक राननयो स कया चीज मॉ ॉगनी चाह ए क ीि कोई ऐसी चीज न मॉ ॉग बठ जो आपकी परनतषठा क ववरदध ो
मनोरमाmdashमरा य ार अतयदत मलयवान म इस खव म दती मनोरमा न गल स ार ननकाला उसकी चमक स मॉझी का मख-मिडल परकामशत ो गयाmdashव कठोर और काला मख नजस पर झररमयॉ ॉ पडी थी
अचानक मनोरमा को ऐसा परतीत आ मानो सिगीत की वनन और ननकट ो गयी ो कदाधचत कोई पणम जञानी परष आतमानिद क आवश म उस सररता-तट पर
बठा आ उस ननसतबि ननशा को सिगीत-पणम कर र ा रानी का हदय उछलन लगा आ ककतना मनोमनिकर राग था उसन अिीर ोकर क ाmdashमॉ ॉझी अब
दर न कर नाव खोल म एक कषण भी िीरज न ीि रख सकती
मॉ ॉझीmdashइस ार ो लकर म कया करगा
मनोरमाmdashसचच मोती
मॉ ॉझीmdashय और भी ववपनतत मॉ ॉिझन गल म प न कर पडोमसयो को हदखायगी व सब डा स जलगी उस गामलयॉ ॉ दगी कोई चोर दखगा तो उसकी छाती पर सॉ ॉप लोटन लगगा मरी सनसान झोपडी पर हदन-द ाड डाका पड जायगा लोग चोरी का अपराि लगायग न ीि मझ य ार न चाह ए
मनोरमाmdashतो जो कछ त मॉ ॉग व ी दगी लककन दर न कर मझ अब ियम न ीि परतीकषा करन की तननक भी शनकत न ीि इन राग की एक-एक तान मरी आतमा को तडपा दती
मॉ ॉझीmdashइसस भी अचदी कोई चीज दीनजए
मनोरमाmdashअर ननदमयी त मझ बातो म लगाय रखना चा ता म जो दती व
लता न ीि सवयि कछ मॉ ॉगता न ी तझ कया मालम मर हदय की इस समय कया दशा ो र ी म इस आनतमक पदाथम पर अपना सवमसव दयौछावर कर सकती
मॉ ॉझीmdashऔर कया दीनजएगा
मनोरमाmdashमर पास इसस ब मलय और कोई वसत न ीि लककन त अभी नाव
खोल द तो परनतजञा करती कक तझ अपना म ल द दगी नजस दखन क मलए कदाधचत त भी कभी गया ो ववशदध शवत पतथर स बना भारत म इसकी तलना न ीि
मॉ ॉझीmdash( स कर) उस म ल म र कर मझ कया आनदद ममलगा उलट मर
भाई-बिि शतर ो जायग इस नौका पर अिरी रात म भी मझ भय न लगता ऑ ििी चलती र ती और म इस पर पडा र ता ककि त व म ल तो हदन ी म फाड खायगा मर घर क आदमी तो उसक एक कोन म समा जायग और आदमी क ॉ ॉ स लाऊगा मर नौकर-चाकर क ॉ ॉ इतना माल-असबाब क ॉ ॉ उसकी सफाई और मरममत क ॉ ॉ स कराऊगा उसकी फलवाररयॉ ॉ सख जायगी उसकी कयाररयो म
गीदड बोलग और अटाररयो पर कबतर और अबाबील घोसल बनायगी
मनोरमा अचानक एक तदमय अवसथा म उछल पडी उस परतीत आ कक सिगीत
ननकटतर आ गया उसकी सददरता और आनदद अधिक परखर ो गया थाmdashजस बतती उकसा दन स दीपक अधिक परकाशवान ो जाता प ल धचतताकषमक था तो अब आवशजनक ो गया था मनोरमा न वयाकल ोकर क ाmdashआ त कफर अपन म स कयो कछ न ीि मॉ ॉगता आ ककतना ववरागजनक राग ककतना ववहरवल करन वाला म अब तननक िीरज न ीि िर सकती पानी उतार म जान क मलए नजतना वयाकल ोता शवास वा क मलए नजतनी ववकल ोती गिि उड जान क मलए नजतनी वयाकल ोती म उस सवगीय सिगीत क मलए उतनी वयाकल उस सिगीत म कोयल की-सी मसती पपी की-सी वदना शयामा की-सी ववहवलता इसस झरनो का-सा जोर ऑ ििी का-सा बल इसम व सब कछ इसस वववकाननन परजजवमलत ोती नजसस आतमा समाह त ोती और अितकरण पववतर ोता मॉ ॉझी अब एक कषण का भी ववलमब मर मलए मतय की यितरणा शीघर नौका खोल नजस समन की य सगिि नजस दीपक की य
दीनपत उस तक मझ प चा द म दख न ीि सकती इस सिगीत का रचनयता क ीि ननकट ी बठा आ ब त ननकट
मॉ ॉझीmdashआपका म ल मर काम का न ीि मरी झोपडी उसस क ीि स ावनी
मनोरमाmdash ाय तो अब तझ कया द य सिगीत न ीि य इस सववशाल कषतर की पववतरता य समसत समन-सम का सौरभ समसत मिरताओि की मािरताओि की मािरी समसत अवसथाओि का सार नौका खोल म जब तक जीऊगी तरी सवा करगी तर मलए पानी भरगी तरी झोपडी ब ारगी ॉ ॉ म तर मागम क कि कड चनगी तर झोपड को फलो स सजाऊगी तरी मॉ ॉिझन क पर मलगी पयार मॉ ॉझी यहद मर पास सौ जान ोती तो म इस सिगीत क मलए अपमण करती ईशवर क मलए मझ ननराश न कर मर ियम का अनदतम बबिद शषक ो गया अब इस चा म दा अब य मसर तर चरणो म
य क त-क त मनोरमा एक ववकषकषपत की अवसथा म मॉ ॉझी क ननकट जाकर
उसक परो पर धगर पडी उस ऐसा परतीत आ मानो व सिगीत आतमा पर ककसी परजजवमलत परदीप की तर जयोनत बरसाता आ मरी ओर आ र ा उस रोमािच ो आया व मसत ोकर झमन लगी ऐसा जञात आ कक म वा म उडी जाती उस अपन पाशवम-दश म तार िझलममलात ए हदखायी दत थ उस पर एक आमववसमत का भावावश छा गया और अब व ी मसताना सिगीत व ी मनो र
राग उसक म स ननकलन लगा व ी अमत की बद उसक अिरो स टपकन लगीि व सवयि इस सिगीत की सरोत थी नदी क पास स आन वाली वननयॉ ॉ पराणपोवषणी वननयॉ ॉ उसी क म स ननकल र ी थीि
मनोरमा का मख-मिडल चददरमा क तर परकाशमान ो गया था और ऑ िखो स परम
की ककरण ननकल र ी थीि
ऐकटरस
रिगमिच का परदा धगर गया तारा दवी न शकि तला का पाटम खलकर दशमको को मनि कर हदया था नजस वकत व शकि तला क रप म राजा दषयदत क सममख खडी नलानन वदना और नतरसकार स उततनजत भावो को आननय शबदो म परकट कर र ी थी दशमक-वदद मशषटता क ननयमो की उपकषा करक मिच की ओर उदमततो की भॉ ॉनत दौड पड थ और तारादवी का यशोगान करन लग थ ककतन
ी तो सटज पर चढ गय और तारादवी क चरणो पर धगर पड सारा सटज फलो स पट गया आभषण की वषाम ोन लगी यहद उसी कषण मनका का ववमान नीच आ कर उस उडा न ल जाता तो कदाधचत उस िककम-िकक म दस-पॉ ॉच आदममयो की जान पर बन जाती मनजर न तरदत आकर दशमको को गण-गरा कता का िदयवाद हदया और वादा भी ककया कक दसर हदन कफर व ी तमाशा ोगा तब लोगो का मो ादमाद शाित आ मगर एक यवक उस वकत भी मिच पर खडा र ा लमब कद का था तजसवी मदरा कददन का-सा दवताओि का-सा सवरप गठन ई द मख स एक जयोनत-सी परसफहटत ो र ी थी कोई राजकमार मालम ोता था
जब सार दशमकगण बा र ननकल गय उसन मनजर स पछाmdashकया तारादवी स एक कषण क मलए ममल सकता
मनजर न उपकषा क भाव स क ाmdash मार य ॉ ॉ ऐसा ननयम न ीि
यवक न कफर पछाmdashकया आप मरा कोई पतर उसक पास भज सकत
मनजर न उसी उपकषा क भाव स क ाmdashजी न ीि कषमा कीनजएगा य मार
ननयमो क ववरदध
यवक न और कछ न क ा ननराश ोकर सटज क नीच उतर पडा और बा र जाना ी चा ता था कक मनजर न पछाmdashजरा ठ र जाइय आपका काडम
यवक न जब स कागज का एक टकडा ननकल कर कछ मलखा और द हदया मनजर न पज को उडती ई ननगा स दखाmdashकि वर ननममलकादत चौिरी ओ बी ई मनजर की कठोर मदरा कोमल ो गयी कि वर ननममलकादतmdashश र क सबस बड रईस और ताललकदार साह तय क उजजवल रतन सिगीत क मसदध सत आचायम उचच-कोहट क ववदवान आठ-दस लाख सालाना क नफदार नजनक दान स दश की ककतनी ी सिसथाऍ ि चलती थीिmdashइस समय एक कषदर पराथी क रप म खड थ
मनजर अपन उपकषा-भाव पर लनजजत ो गया ववनमर शबदो म बोलाmdashकषमा कीनजएगा मझस बडा अपराि आ म अभी तारादवी क पास जर का काडम मलए जाता
कि वर सा ब न उसस रकन का इशारा करक क ाmdashन ीि अब र न ी दीनजए म कल पॉ ॉच बज आऊगा इस वकत तारादवी को कषट ोगा य उनक ववशराम का समय
मनजरmdashमझ ववशवास कक व आपकी खानतर इतना कषट स षम स लगी म एक ममनट म आता
ककदत कि वर सा ब अपना पररचय दन क बाद अपनी आतरता पर सियम का परदा डालन क मलए वववश थ मनजर को सजजनता का िदयवाद हदया और कल आन का वादा करक चल गय
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तारा एक साफ-सथर और सज ए कमर म मज क सामन ककसी ववचार म मनन बठन थी रात का व दशय उसकी ऑ िखो क सामन नाच र ा था ऐस हदन जीवन म कया बार-बार आत ककतन मनषय उसक दशमनो क मलए ववकल ो र बस एक-दसर पर फाट पडत थ ककतनो को उसन परो स ठकरा हदया थाmdash ॉ ॉ ठकरा हदया था मगर उस सम म कवल एक हदवयमनतम अववचमलत रप स खडी
थी उसकी ऑ िखो म ककतना गमभीर अनराग था ककतना दढ सिकलप ऐसा जान
पडता था मानो दोनो नतर उसक हदय म चभ जा र ो आज कफर उस परष क दशमन ोग या न ीि कौन जानता लककन यहद आज उनक दशमन ए तो तारा उनस एक बार बातचीत ककय बबना न जान दगी
य सोचत ए उसन आईन की ओर दखा कमल का फल-सा िखला था कौन क
सकता था कक व नव-ववकमसत पषप ततीस बसितो की ब ार दख चका व
कािनत व कोमलता व चपलता व माियम ककसी नवयौवना को लनजजत कर सकता था तारा एक बार कफर हदय म परम दीपक जला बठन आज स बीस साल प ल एक बार उसको परम का कट अनभव आ था तब स व एक परकार का विवय-जीवन वयतीत करती र ी ककतन परममयो न अपना हदय उसको भट करना चा ा था पर उसन ककसी की ओर ऑ िख उठाकर भी न दखा था उस उनक परम म कपट की गदि आती थी मगर आ आज उसका सियम उसक ाथ स ननकल गया एक बार कफर आज उस हदय म उसी मिर वदना का अनभव आ जो बीस साल प ल आ था एक परष का सौमय सवरप उसकी ऑ िख म बस गया हदय पट पर िखिच गया उस व ककसी तर भल न सकती थी उसी परष को उसन मोटर पर जात दखा ोता तो कदाधचत उिर यान भी न करती पर उस अपन सममख परम का उप ार ाथ म मलए दखकर व नसथर न र सकी
स सा दाई न आकर क ाmdashबाई जी रात की सब चीज रखी ई कह ए तो लाऊ
तारा न क ाmdashन ीि मर पास चीज लान की जररत न ीि मगर ठ रो कया-कया चीज
lsquoएक ढर का ढर तो लगा बाई जी क ॉ ॉ तक धगनाऊmdashअशकफम यॉ ॉ बरचज बाल क वपन बटन लाकट अगहठयॉ ॉ सभी तो एक छोट-स डडबब म एक सददर ार मन आज तक वसा ार न ीि दखा सब सिदक म रख हदया rsquo
lsquoअचछा व सिदक मर पास लाrsquo दाई न सददक लाकर मज रख हदया उिर एक
लडक न एक पतर लाकर तारा को हदया तारा न पतर को उतसक नतरो स दखाmdashकि वर ननममलकादत ओ बी ई लडक स पछाmdashय पतर ककसन हदया व तो न ीि जो रशमी साफा बॉ ॉि ए थ
लडक न कवल इतना क ाmdashमनजर सा ब न हदया और लपका आ बा र चला गया
सिदक म सबस प ल डडबबा नजर आया तारा न उस खोला तो सचच मोनतयो का सददर ार था डडबब म एक तरफ एक काडम भी था तारा न लपक कर उस
ननकाल मलया और पढाmdashकि वर ननममलकादत काडम उसक ाथ स छट कर धगर
पडा व झपट कर करसी स उठन और बड वग स कई कमरो और बरामदो को पार करती मनजर क सामन आकर खडी ो गयीि मनजर न खड ोकर उसका सवागत ककया और बोलाmdashम रात की सफलता पर आपको बिाई दता
तारा न खड-खड पछाmdashकवर ननममलकाित कया बा र लडका पतर द कर भाग
गया म उसस कछ पछ न सकी
lsquoकवर सा ब का रकका तो रात ी तम ार चल आन क बाद ममला थाrsquo
lsquoतो आपन उसी वकत मर पास कयो न भज हदयाrsquo
मनजर न दबी जबान स क ाmdashमन समझा तम आराम कर र ी ोगी कषट दना उधचत न समझा और भाई साफ बात य कक म डर र ा था क ीि कवर सा ब
को तमस ममला कर तम खो न बठ अगर म औरत ोता तो उसी वकत उनक पीछ ो लता ऐसा दवरप परष मन आज तक न ीि दखा व ी जो रशमी साफा बॉ ॉि खड थ तम ार सामन तमन भी तो दखा था
तारा न मानो अिमननदरा की दशा म क ाmdash ॉ ॉ दखा तो थाmdashकया य कफर आयग
lsquo ॉ ॉ आज पॉ ॉच बज शाम को बड ववदवान आदमी और इस श र क सबस बड रईसrsquo
lsquoआज म रर समल म न आऊगीrsquo
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कवर सा ब आ र ोग तारा आईन क सामन बठन और दाई उसका शरिगार
कर र ी शरिगार भी इस जमान म एक ववदया प ल पररपाटी क अनसार ी शरिगार ककया जाता था कववयो धचतरकारो और रमसको न शरिगार की मयामदा-सी बॉ ॉि दी थी ऑ िखो क मलए काजल लाजमी था ाथो क मलए म दी पाव क मलए म ावर एक-एक अिग एक-एक आभषण क मलए ननहदमषट था आज व पररपाटी न ीि र ी आज परतयक रमणी अपनी सरधच सबदवव और तलनातमक भाव स शरिगार करती उसका सौदयम ककस उपाय स आकषमकता की सीमा पर प च सकता
य ी उसका आदशम ोता तारा इस कला म ननपण थी व पददर साल स इस कमपनी म थी और य समसत जीवन उसन परषो क हदय स खलन ी म वयतीत ककया था ककस धचवतन स ककस मसकान स ककस अगडाई स ककस तर कशो क बबखर दन स हदलो का कतलआम ो जाता इस कला म कौन उसस बढ कर ो सकता था आज उसन चन-चन कर आजमाय ए तीर तरकस स
ननकाल और जब अपन असतरो स सज कर व दीवानखान म आयी तो जान पडा मानो सिसार का सारा माियम उसकी बलाऍ ि ल र ा व मज क पास खडी ोकर कवर सा ब का काडम दख र ी थी उसक कान मोटर की आवाज की ओर लग ए थ व चा ती थी कक कवर सा ब इसी वकत आ जाऍ ि और उस इसी अददाज स खड दख इसी अददाज स व उसक अिग परतयिगो की पणम छवव दख सकत थ उसन
अपनी शरिगार कला स काल पर ववजय पा ली थी कौन क सकता था कक य चिचल नवयौवन उस अवसथा को प च चकी जब हदय को शािनत की इचछा ोती व ककसी आशरम क मलए आतर ो उठता और उसका अमभमान नमरता क आग मसर झका दता
तारा दवी को ब त इदतजार न करना पडा कवर सा ब शायद ममलन क मलए
उसस भी उतसक थ दस ी ममनट क बाद उनकी मोटर की आवाज आयी तारा सभल गयी एक कषण म कवर सा ब न कमर म परवश ककया तारा मशषटाचार क
मलए ाथ ममलाना भी भल गयी परौढावसथा म भी परमी की उदववननता और
असाविानी कछ कम न ीि ोती व ककसी सलजजा यवती की भॉ ॉनत मसर झकाए
खडी र ी
कवर सा ब की ननगा आत ी उसकी गदमन पर पडी व मोनतयो का ार जो उद ोन रात को भट ककया था चमक र ा था कवर सा ब को इतना आनदद और कभी न आ उद एक कषण क मलए ऐसा जान पडा मानो उसक जीवन की सारी अमभलाषा परी ो गयी बोलmdashमन आपको आज इतन सबर कषट हदया कषमा कीनजएगा य तो आपक आराम का समय ोगा तारा न मसर स िखसकती ई साडी को सभाल कर क ाmdashइसस जयादा आराम और कया ो सकता कक आपक दशमन ए म इस उप ार क मलए और कया आपको मनो िदयवाद दती अब तो कभी-कभी मलाकात ोती र गी
ननममलकादत न मसकराकर क ाmdashकभी-कभी न ीि रोज आप चा मझस ममलना पसदद न कर पर एक बार इस डयोढी पर मसर को झका ी जाऊगा
तारा न भी मसकरा कर उततर हदयाmdashउसी वकत तक जब तक कक मनोरिजन की कोई नयी वसत नजर न आ जाय कयो
lsquoमर मलए य मनोरिजन का ववषय न ीि नजिदगी और मौत का सवाल ॉ ॉ तम इस ववनोद समझ सकती ो मगर कोई प वा न ीि तम ार मनोरिजन क मलए मर
पराण भी ननकल जाय तो म अपना जीवन सफल समझगा
दोनो तरफ स इस परीनत को ननभान क वाद ए कफर दोनो न नाशता ककया और कल भोज का दयोता द कर कवर सा ब ववदा ए
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एक म ीना गजर गया कवर सा ब हदन म कई-कई बार आत उद एक कषण का ववयोग भी असहय था कभी दोनो बजर पर दररया की सर करत कभी री- री घास पर पाको म बठ बात करत कभी गाना-बजाना ोता ननतय नय परोगराम बनत थ सार श र म मश र था कक ताराबाई न कवर सा ब को फॉ ॉस मलया और दोनो ाथो स समपनतत लट र ी पर तारा क मलए कवर सा ब का परम ी एक ऐसी समपनतत थी नजसक सामन दननया-भर की दौलत दय थी उद अपन
सामन दखकर उस ककसी वसत की इचछा न ोती थी
मगर एक म ीन तक इस परम क बाजार म घमन पर भी तारा को व वसत न
ममली नजसक मलए उसकी आतमा लोलप ो र ी थी व कवर सा ब स परम की अपार और अतल परम की सचच और ननषकपट परम की बात रोज सनती थी पर
उसम lsquoवववा rsquo का शबद न आन पाता था मानो पयास को बाजार म पानी छोडकर और सब कछ ममलता ो ऐस पयास को पानी क मसवा और ककस चीज स तनपत ो सकती पयास बझान क बाद समभव और चीजो की तरफ उसकी रधच ो पर पयास क मलए तो पानी सबस मलयवान पदाथम व जानती थी कक कवर सा ब उसक इशार पर पराण तक द दग लककन वववा की बात कयो उनकी जबान स न ीि ममलती कया इस ववषय का कोई पतर मलख कर अपना आशय क दना समभव था कफर कया व उसको कवल ववनोद की वसत बना कर रखना चा त य अपमान उसस न स ा जाएगा कवर क एक इशार पर व आग म कद सकती थी पर य अपमान उसक मलए असहय था ककसी शौकीन रईस क साथ
व इसस कछ हदन प ल शायद एक-दो म ीन र जाती और उस नोच-खसोट कर अपनी रा लती ककदत परम का बदला परम कवर सा ब क साथ व य ननलमजज जीवन न वयतीत कर सकती थी
उिर कवर सा ब क भाई बदद भी गाकफल न थ व ककसी भॉ ॉनत उद ताराबाई क
पिज स छडाना चा त थ क ीि कि वर सा ब का वववा ठनक कर दना ी एक ऐसा
उपाय था नजसस सफल ोन की आशा थी और य ी उन लोगो न ककया उद य भय तो न था कक कि वर सा ब इस ऐकरस स वववा करग ॉ ॉ य भय अवशय था कक क ी ररयासत का कोई ह ससा उसक नाम कर द या उसक आन
वाल बचचो को ररयासत का मामलक बना द कवर सा ब पर चारो ओर स दबाव
पडन लग य ॉ ॉ तक कक योरोवपयन अधिकाररयो न भी उद वववा कर लन की सला दी उस हदन सिया समय कि वर सा ब न ताराबाई क पास जाकर क ाmdashतारा दखो तमस एक बात क ता इनकार न करना तारा का हदय उछलन लगा बोलीmdashकह ए कया बात ऐसी कौन वसत नजस आपकी भट करक म अपन को िदय समझ
बात म स ननकलन की दर थी तारा न सवीकार कर मलया और षोदमाद की दशा म रोती ई कि वर सा ब क परो पर धगर पडी
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एक कषण क बाद तारा न क ाmdashम तो ननराश ो चली थी आपन बढी लमबी परीकषा ली
कि वर सा ब न जबान दॉ ॉतो-तल दबाई मानो कोई अनधचत बात सन ली ो
lsquoय बात न ीि तारा अगर मझ ववशवास ोता कक तम मरी याचना सवीकार कर लोगी तो कदाधचत प ल ी हदन मन मभकषा क मलए ाथ फलाया ोता पर म अपन को तम ार योनय न ीि पाता था तम सदगणो की खान ो और मम जो कछ व तम जानती ी ो मन ननशचय कर मलया था कक उमर भर तम ारी उपासना करता र गा शायद कभी परसदन ो कर तम मझ बबना मॉ ॉग ी वरदान द दो बस य ी मरी अमभलाषा थी मझम अगर कोई गण तो य ी कक म तमस परम करता जब तम साह तय या सिगीत या िमम पर अपन ववचार परकट
करन लगती ो तो म दिग र जाता और अपनी कषदरता पर लनजजत ो जाता तम मर मलए सािसाररक न ीि सवगीय ो मझ आशचयम य ी कक इस समय
म मार खशी क पागल कयो न ीि ो जाताrsquo
कि वर सा ब दर तक अपन हदल की बात क त र उनकी वाणी कभी इतनी परगलभ न ई थी
तारा मसर झकाय सनती थी पर आनिद की जग उसक मख पर एक परकार का कषोभmdashलजजा स ममला आmdashअिककत ो र ा था य परष इतना सरल हदय
इतना ननषकपट इतना ववनीत इतना उदार
स सा कवर सा ब न पछाmdashतो मर भानय ककस ककस हदन उदय ोग तारा दया करक ब त हदनो क मलए न टालना
तारा न कवर सा ब की सरलता स परासत ोकर धचिनतत सवर म क ाmdashकानन का कया कीनजएगा कवर सा ब न ततपरता स उततर हदयाmdashइस ववषय म तम
ननशचित र ो तारा मन वकीलो स पछ मलया एक कानन ऐसा नजसक अनसार म और तम एक परम-सतर म बि सकत उस मसववल-मररज क त बस आज ी क हदन व शभ म तम आयगा कयो
तारा मसर झकाय र ी बोल न सकी
lsquoम परातकाल आ जाऊगा तयार र नाrsquo
तारा मसर झकाय र ी म स एक शबद न ननकला
कि वर सा ब चल गय पर तारा व ीि मनतम की भॉ ॉनत बठन र ी परषो क हदय स
करीडा करनवाली चतर नारी कयो इतनी ववमढ ो गयी
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वववा का एक हदन और बाकी तारा को चारो ओर स बिाइयॉ ॉ ममल र ी
धथएटर क सभी सतरी-परषो न अपनी सामथयम क अनसार उस अचछ-अचछ उप ार