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कश नूह लेखक हज़रत मिज़ लि अहिद क़मदयनी िसीह िौऊद व िहदी िद अलैमहसलि I

कश्ती नूह · Printed at : Fazl-e-Umar Printing Press, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur (Punjab) II. प्रकाशक की ओर से हज़रत मिज़्ज़ा

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  • कश्ती नूह

    लेखकहज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद क़्मदय्नी

    िसीह िौऊद व िहदी ि्हूद अलैमहससल्ि

    I

  • न्ि पुसतक : कशती नूहName of book : Kashti Noohलेखक : हज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद क़्मदय्नी िसीह िौऊद अलैमहससल्िWriter : Hazrat Mirza Ghulam Ahmad Qadiani Masih Mau'ud Alaihissalam

    अनवु्दक : ड् अनस्र अहिद पी.एच.डी आनसज़ा इन अरमिकTranslator : Dr Ansar Ahmad, Ph.D, Hons in Arabic ट्ईप, सैमटंग : िहवश न्ज़ Type, Setting : Mahwash Naazसंसकरण तथ् वरज़ा : मवितीय संसकरण (महनदी) अगसत 2018 ई०Edition. Year : 2nd Edition (Hindi) August 2018संखय्, Quantity : 1000प्रक्शक : नज़्रत नश्र-व-इश्अत, क़्मदय्न, 143516 मज़ल्-गुरद्सपुर (पंज्ि)Publisher : Nazarat Nashr-o-Isha'at, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur, (Punjab)िुद्रक : फ़ज़ले उिर मप्रंमटंग प्रेस, क़्मदय्न, 143516 मज़ल्-गुरद्सपुर, (पंज्ि)Printed at : Fazl-e-Umar Printing Press, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur (Punjab)

    II

  • प्रकाशक की ओर से हज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद स्महि क़्मदय्नी िसीह िौऊद

    व िहदी ि्'हूद अलैमहससल्ि वि्र् मलमखत पुसतक क् यह महनदी अनुव्द श्री डॉ० अनस्र अहिद ने मकय् है और ततपश््त िुकर्रि शेख़ िुज्महद अहिद श्सत्ी (सदर ररवयू किेटी), िुकर्रि फ़रहत अहिद आच्यज़ा (इंच्जज़ा महनदी डेसक), िुकर्रि अली हसन एि. ए. और िुकर्रि नसीरुल हक़ आच्यज़ा ने इसकी प्रूफ़ रीमडंग और रीमवयु आमद मकय् है। अल््ह तआल् इन सि को उत्ति प्रमतफल प्रद्न करे।

    इस पुसतक को हज़रत ख़लीफ़तुल िसीह ख़्मिस अययदहुल््हु तआल् मिनमरिमहल अज़ीज़ (जि्अत अहिमदय् के वतज़ाि्न ख़लीफ़्) की अनुिमत से महनदी प्रथि संसकरण के रूप िें प्रक्मशत मकय् ज् रह् है। मवनीत ह्मफ़ज़ िख़दूि शरीफ़ न्मज़र नश्र व इश्अत क़्मदय्न

    III

  • 1

    कश्ती नूह

    بسم اہلل الرحمن الرحیم

    पुस्तक कश्तती नूहईमान को सुदृढ़ करने वाली

    प्लेग का टतीकाلَْن یُِّصْیَبَنٓا ِإّلَ َما َكَتَب اہللُ لََنا ُھَوا َمْوَلنَا َوَعَل اہلِل (अत्तौबा-51) ُمْؤِمُنوَن

    ِْل ال َیَتَوّكَ

    ْفَل

    "लंय्ुसीबना इल्ा मा कतबल्ाहो लना हुवा मतौलाना व अलल्ाहे फल्तवककललल मतौलमनून"

    अनुवाद- हमें कोई मुसीबत उस मुसीबत के अलतररक्त हरलिज़ नहीं पहुुँच सकती जो अल्ाह ने हमारे ललए लनश्चित कर दी है। वही हमारा सवामी है और ईमान लाने वालों को उसी पर भरोसा करना चालहए।

    ्ह बात धन्वाद ्ोग् है लक अंग्ेज़ी सरकार ने अपनी प्रजा पर द्ा करके दोबारा पलेि से बचाने के ललए टीके का प्रसताव रखा और ख़ुदा के बनदों की भलाई के ललए लाखों का बोझ अपने सर ले लल्ा। वासतव में ्ह वह का््य है लजसका धन्वाद करते हुए सवाित करना समझदार प्रजा का कत्यव् है। वह मनुष् मूख्य और सव्ं का शत्ु है जो टीके के सनदभ्य में अनुलचत धारणा रखे, क्ोंलक ्ह बारमबार अनुभव हो चुका है लक ्ह सरकार लकसी ख़तरनाक इलाज पर अमल कराना नहीं चाहती अलपतु अनेकों अनुभवों से िुज़रने के पचिात् ऐसे मामलों में जो प्र्ास वासतव में लाभकारी लसद्ध होते

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    कश्ती नूह

    हैं उनहीं को प्रसतुत करती है। अतः ्ह बात इनसालन्त से परे है लक सच्ी भलाई हेतु सरकार लाखों रुप्ा व्् करती है और कर चुकी है, उसके संबंध में ्ह कहा जाए लक सरकार के इस कष्ट उठाने और धन व्् करने के पीछे अपना कोई लनजी सवार्य है। वह प्रजा दुभा्यग्शाली है जो कुधारणाओं में इस सीमा तक पहुुँच जाए। लनससंदेह इस सम् तक जो प्र्ास इस सरकार के हार लिे उनमें से सववोत्म प्र्ास ्ह है लक टीका लिवा्ा जाए। इसे लकसी भी प्रकार नकारा नहीं जा सकता लक ्ह प्र्ास लाभकारी लसद्ध हुआ है। भतौलतक साधनों से लाभाश्नवत होते हुए समसत प्रजा का कत्यव् है लक इस पर अमल करते हुए सरकार के उस दुःख को दूर करे जो उसे उनके प्राणों के ललए है। परनतु हम बड़े आदर और सममान के सार इस कृपालु सरकार की सेवा में लनवेदन करते हैं लक ्लद हमारे ललए एक आसमानी रोक न होती तो प्रजा में सव्यप्ररम ्ह टतीका हम लिवाते। आसमानी रोक ्ह है लक ख़ुदा की इचछा है लक इस ्ुि में मनुष्ों के ललए एक आसमानी रहम्त का ननशान लदखाए। अतः उसने मुझे समबोलधत करते हुए कहा लक तू और जो मनुष् तेरे घर की चार दीवारी के अनदर होिा और वह जो पूरी श्रद्धा, लनष्ा और ख़ुदा पर पूण्य आसरा रखते हुए तुझ पर लवश्ास करेिा, ऐसे सभी लोि प्लेग सले सुरनषि्त रखे जाएँिे। इन अश्नतम लदनों में ख़ुदा का ्ह चमतकार होिा तालक वह क़तौमों में अनतर करके लदखाए। परनतु वह जो पूरी श्रद्धा और लनष्ा से आदेश का पालन नहीं करता उसका तुझ से कोई नाता नहीं है। इसललए खेद मत कर। ्ह अल्ाह का आदलेश है लजसके कारण हमें अपने और उन समसत लोिों के प्राणों के ललए जो हमारे

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    कश्ती नूह

    घर की चार दीवारी में रहते हैं टीके की कोई आवश्कता नहीं, क्ोंलक जैसा मैं अभी वण्यन कर चुका हूं लक आज से बहुत पहले उस ख़ुदा ने जो धरती और आकाश का ख़ुदा है, लजसके ज्ान और अलधकार से कोई वसतु बाहर नहीं, मुझे वह्ी (ईशवाणी) द्ारा बता्ा है लक मैं हर ऐसे मनुष् को पलेि की मतौत से सुरलषित रखूँिा जो इस घर की चार दीवारी में होिा बशतते लक वह अपने समसत लवरोधी इरादों को सव्यरा त्ाि कर पूरी श्रद्धा और शालीनता से बैअ्त कर ्ले और ख़ुदा के आदेश और उसके भेजे हुए के समषि लकसी भी प्रकार से उद्दण्ड, अलभमानी, अहूंकारी और सव्ं को श्रेष् समझने वाला न हो और ख़ुदा की लशषिानुसार आचरण करता हो। ख़ुदा ने मुझे संबोलधत करते हुए ्ह भी बता्ा लक आमततौर पर क़ालद्ान में भ्ानक पलेि नहीं आएिी लजससे लोि कुत्ों की भांलत मरें और दुःख व भ् के कारण पािल हो जाएँ। सामान्तः वे समसत लोि जो इस जमाअत के हों चाहे लकतने ही हों लवरोलध्ों की अपेषिा पलेि से सुरलषित रहेंिे, परनतु उनमें से ऐसे लोि जो अपनी प्रलतज्ा पर पूरी तरह क़ा्म नहीं ्ा उनके लवष् में कोई अन् िुप्त कारण हो जो ख़ुदा के ज्ान में हो, वे पलेि का लशकार हो सकते हैं। परनतु अनततः लोि आचि््य चलकत हो कर कहेंिे लक अपेषिाकृत ख़ुदा का पषि इस क़तौम के सार है और उसने अपनी लवशेष कृपा से उन लोिों को ऐसा सुरलषित रखा है लजसका उदाहरण नहीं लमलता। इस बात पर कुछ मूख्य लोि भौंचकके रह जाएँिे, कुछ हुँसेंिे कुछ मुझे दीवाना कहेंिे और कुछ आचि््य करेंिे लक क्ा ऐसा ख़ुदा लवद्यमान है जो लकसी भतौलतक साधन के लबना अपनी द्ा की वषा्य कर सकता है। इसका उत्र ्ही है लक

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    कश्ती नूह

    हाँ, लनससनदेह ऐसा सव्यशश्क्तमान खुदा लवद्यमान है। ्लद वह ऐसा न होता तो उससे समबनध रखने वाले जीलवत ही मर जाते। वह अलतौलकक शश्क्त्ों से भरपूर है और उसकी पलवत् शश्क्त्ां अद्ुत हैं। एक ओर मूख्य लवरोलध्ों को अपने भक्तों पर कुत्ों की भांलत ्डाल देता है दूसरी और फररशतों को आदेश देता है लक उनकी सहा्ता करें। ऐसा ही जब संसार पर उसका प्रकोप आता है और अत्ाचारर्ों पर कहर ढाता है तो उसके नेत् उसके लवशेष व्श्क्त्ों की रषिा करते हैं। ्लद ऐसा न होता तो सत् के उपासकों के का््य-कलाप नष्ट हो जा्तले, उनको कोई न पहचान पाता। उसकी शश्क्त्ां असीलमत हैं परनतु लवश्ास के अनुसार ही लोिों पर दृश्ष्टिोचर होती हैं। ख़ुदा जो चाहता है करता है परनतु अपनी अलतौलकक और असाधारण शश्क्त्ों को लदखाने का इरादा उनहीं के ललए करता है जो उसके ललए अपनी आदतों में असाधारण पररवत्यन कर लेते हैं। इस ्ुि में ऐसे लोि बहुत ही कम हैं जो उसे जानते और उसकी अद्ुत और अलतौलकक शश्क्त्ों पर लवश्ास करते हैं अलपतु ऐसे लोि बहुत हैं लजनको उस सव्यशश्क्तमान ख़ुदा पर लवश्ास नहीं है, लजसकी आवाज़ को प्रत्ेक वसतु सुनती है, लजसके समषि कोई भी बात अनहोनी नहीं। ्हां ्ाद रहे लक पलेि इत्ालद में इलाज कराना कोई पाप नहीं बश्लक एक हदीस में आ्ा है लक ऐसी कोई बीमारी नहीं लजसके ललए ख़ुदा ने दवा पैदा न की हो। परनतु मैं इस बात को पाप समझता हूं लक ख़ुदा के उस लनशान को पलेि के टीके द्ारा संलदगध कर दूँ लजसको वह हमारे ललए धरती पर बड़ी सफ़ाई से प्रकट करना चाहता है। मैं उसके सच्े लनशान और सच्े वा्दे को सममान न देकर टीके की ओर झुकना नहीं चाहता। ्लद

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    कश्ती नूह

    मैं ऐसा करूं तो मेरा ्ह पाप दण्डनी् होिा लक मैंने ख़ुदा के उस वा्दे पर लवश्ास न लक्ा जो मुझे लद्ा ि्ा। ्लद ऐसा हो तो लफर मुझे आभारी उस ्डाकटर का होना चालहए लजसने इस टीके की खोज की, न लक ख़ुदा का लजसने मुझे आश्सत लक्ा लक प्रत्ेक जो इस चार दीवारी के अनदर है मैं उसे सुरलषित रखूँिा।

    मैं पूण्य लववेक से कहता हूं लक उस सव्यशश्क्त समपन्न ख़ुदा के वा्दे सत् हैं और मैं भावी लदनों को इस प्रकार देखता हूं जैसे वे आ चुके हैं और मैं ्ह भी जानता हूं लक हमारी सरकार का वासतलवक उद्देश् ्ह है लक लकसी प्रकार लोि पलेि से मुश्क्त पाएं। ्लद सरकार को भलवष् में लकसी सम् पलेि से मुश्क्त पाने हेतु टीके से उत्म कोई वसतु प्राप्त हो जाए तो वह ख़ुशी से उसे ही सवीकार करेिी। ऐसी श्सरलत में सव्यलवलदत है लक ्ह माि्य लजस पर ख़ुदा ने मुझे अग्सर लक्ा है वह इस सरकार की नीलत्ों के लवरुद्ध नहीं। आज से बीस वष्य पूव्य इस पलेि के प्रकोप के सनदभ्य में मेरी पुसतक “बराहीन अहमलद्ा” में बततौर भलवष्वाणी ्ह खबर मतौजूद है और इस समप्रदा् के ललए लवशेष अनुकमपा का आश्ासन भी मतौजूद है। (देलखए बराहीन अहमलद्ा पृष् 518, 519) इसके अलतररक्त ख़ुदा की ओर से पूरी दृढ़ता के सार ्ह भलवष्वाणी है लक वह मेरे घर की चार दीवारी के अनदर शुद्ध आचरण वाले लोिों को जो ख़ुदा और उसके अवतार के समषि अलभमान और अंहकार नहीं करते पलेि के प्रकोप से मुश्क्त प्रदान करेिा और अपेषिाकृत इस लसललसले पर उसकी लवशेष कृपा रहेिी। लकसी के ईमान की कमज़ोरी, लापरवाही, मृत्ु की लनश्चित घड़ी ्ा लकसी अन् कारण से लजसे ख़ुदा जानता हो कोई

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    कश्ती नूह

    अपवाद इस जमाअत में भी लदखाई दे जाए तो ्ह निण् है। तुलना के सम् हमेशा अलधकता देखी जाती है। जैसा लक सरकार ने सव्ं अनुभव करके मालूम कर लल्ा है लक पलेि का टीका लिाने वाले दूसरों की अपेषिा बहुत कम मरते हैं। अतः कुछ एक की मृत्ु टीके के महत्व को कम नहीं कर सकती। इसी प्रकार इस लनशान में ्लद अपेषिाकृत क़ालद्ान में बहुत ही लनमनसतर पर पलेि का प्रकोप हो ्ा इकका-दुकका व्श्क्त इस जमाअत में से इस बीमारी से मर जाए तो इस लनशान का महत्व कम नहीं होिा। वे शबद जो ख़ुदा की पलवत् वाणी से प्रकट होते हैं उनकी पाबंदी से ्ह भलवष्वाणी की िई है। बुलद्धमान का काम नहीं लक पहले से ही दैवी बातों की हूंसी उड़ाए। ्ह ख़ुदा की वाणी है लजसने पलेि से प्रकोलपत लक्ा और जो उसे दूर कर सकता है। लनससनदेह हमारी सरकार उस सम् इस भलवष्वाणी की सराहना करेिी जब देखेिी लक ्ह कैसा अद्ुत का््य हुआ लक टीका लिाने वालों की अपेषिा ्ह लोि सुरनषि्त और सवस्थ रहे। मैं सच-सच कहता हूं लक ्लद इस भलवष्वाणी के अनुसार जो वासतव में 20-22 वष्य से ख्ालत पा रही है घलटत न हुआ तो मैं ख़ुदा की ओर से नहीं हूं। मेरे अल्ाह की ओर सले होने का ्ह ननशान होिा लक मेरे घर की चार दीवारी के अनदर रहने वाले लनषकपट लोि इस बीमारी की मतौत से सुरलषित रहेंिे और समसत जमाअत पलेि के प्रकोप से अपेषिाकृत सुरलषित रहेिी। वह सुरषिा जो इनमें पाई जाएिी उसका उदाहरण लकसी अन् में नहीं लमलेिा। क़ालद्ान में पलेि का भ्ानक प्रकोप जो सब कुछ नष्ट कर दे नहीं होिा लसवाए कुछेक अपवाद के। काश ्ह लोि लदलों के सीधे होते और ख़ुदा से ्डरते तो लनचि्

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    कश्ती नूह

    ही बचाए जाते, क्ोंलक धालम्यक लववाद के कारण संसार में दैवी प्रकोप लकसी पर नहीं आता, इसकी पकड़ प्रल् के लदनों में होिी। संसार में प्रकोप केवल उद्दण्डता, अंहकार और पापों के बढ़ने के कारण आता है। ्ह भी समरण रहे लक क़ुआ्यन शरीफ़ में बश्लक ततौरात में कई सरानों पर ्ह सनदेश मतौजूद है लक मसीह मतौऊद के सम् पलेि फैलेिी★ बश्लक हज़रत मसीह अलैलहससलाम ने भी इूंजील में ्ह खबर दी है। संभव नहीं लक नलब्ों की भलवष्वालण्ां टल जाएं। ्ह भी समरण रहे लक हमें अल्ाह ने इस वा्दे के होते हुए मानव-उपा्ों की उपेषिा इसललए करनी है तालक कोई लवरोधी अल्ाह के लनशान को दूसरी ओर फेरने का प्र्ास न कर सके। परनतु ्लद इसके सार ही ईशवाणी द्ारा अल्ाह सव्ं कोई उपा् बता दे ्ा कोई औषलध बता दे तो ऐसा उपा् ्ा औषलध इस लनशान में कोई रुकावट नहीं होिी, क्ोंलक वह अल्ाह की ओर से है लजसकी ओर से वह लनशान है। लकसी को ्ह सनदेह न हो लक ्लद हमारी जमाअत में से कोई मनुष् अपवाद सवरुप पलेि से मर जाए तो लनशान के महत्व में कोई अनतर आएिा, क्ोंलक पहले ्ुिों में मूसा, ईसा और अनत में हमारे नबी सल्ल्ाहो अलैलह वसल्म को आदेश लमला रा लक लजन लोिों ने तलवार उठाई और सैकड़ों लोिों को मतौत के घाट उतार लद्ा उनका मुकाबला तलवार से ही लक्ा जाए। ्ह नलब्ों की ओर से एक लनशान रा ततपचिात लवज् प्राप्त हुई। हालांलक अपरालध्ों की

    ★हानशया :- मसीह मतौऊद के सम् पलेि का फैलना ‘बाइबल’ के लनमनलललखत भािों में मतौजूद है:-

    (1) ज़करर्ा-14/12 (2) इनजील मती-24/8 (3) मुकालशफात-22/8

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    कश्ती नूह

    तुलना में सत् के अनु्ा्ी भी उनकी तलवार से मारे जाते रे परनतु बहुत कम। पर इस सीमा तक षिलत से लनशान में कुछ अनतर नहीं आता रा। इसी प्रकार ्लद अपवाद सवरप हमारी जमाअत में से कुछ को उप्ु्यक्त कारणों से पलेि हो जाए तो ऐसी पलेि से परमेश्र के लनशान में कुछ भी अनतर नहीं आएिा। क्ा ्ह अत्नत महत्वपूण्य लनशान नहीं लक मैं बारमबार कहता हूं लक अल्ाह इस भलवष्वाणी को इस प्रकार पूरा करेिा लक लकसी भी सत् के तलाश करने वाले को सनदेह नहीं रहेिा और वह समझ जाएिा लक अल्ाह ने इस जमाअत के सार चमतकार के ततौर पर व्वहार लक्ा है बश्लक अल्ाह के लनशान के ततौर पर पररणाम ्ह होिा लक पलेि द्ारा ्ह जमाअत बहुत बढ़ेिी और असाधारण उन्नलत करेिी और उसकी ्ह उन्नलत आचि््य से देखी जाएिी और लवरोधी जो प्रत्ेक अवसर पर पराज् का मुंह देखते रहे हैं जैसा लक पुसतक ‘नुज़ूलुल मसीह’ में मैंने ललखा है। ्लद इस भलवष्वाणी के अनुसार अल्ाह ने इस जमाअत और दूसरे लोिों में सपष्ट अनतर न लदखा्ा तो उनहें अलधकार होिा लक मुझे झूठा कहें। अब तक जो उनहोंने मुझे झुठला्ा है उसमें तो ख़ुदा से केवल एक नाराज़िी को ख़रीदा है। उदाहरणत्ा बार-बार शोर मचा्ा लक आरम 15 महीने में नहीं मरा। अतः उसने लनधा्यररत जनसभा में सत्र सममालनत लोिों के सममुख हज़रत मुहममद सल्ल्ाहो अलैलह वसल्म को दज्ा् कहने पर पचिाताप लक्ा और न केवल ्ह बश्लक उसने पनद्रह माह तक अपनी खामोशी और दैवी भ् से अपना ्ह पचिाताप लसद्ध कर लद्ा और भलवष्वाणी की बुलन्ाद ्ह री लक उसने हज़रत मुहममद सालहब को दज्ा् और

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    कश्ती नूह

    धोखेबाज़ कहा रा। अतः अपने मतौन पचिाताप से उसे मात् इतना लाभ हुआ लक वह पनद्रह माह बाद मरा परनतु मर ि्ा। ्ह इसललए हुआ लक भलवष्वाणी में ्ह लवद्यमान रा लक हम दोनों में से जो मनुष् अपनी आसरानुसार झूठा है वह पहले मरेिा। अतः वह मुझ से पहले मर ि्ा। इसी प्रकार वह परोषि (ग़ैब) की बातें जो अल्ाह ने मुझे बताई हैं जो अपने लनश्चित सम् पर पूरी हुईं वे दस हज़ार से कम नहीं परनतु पुसतक ‘नुज़ूलुल मसीह’ में जो प्रकालशत हो रही हैं नमूने के ततौर पर उनमें से केवल ्डेढ़ सतौ भलवष्वालण्ां प्रमाण और साक््ों सलहत प्रसतुत की िई हैं। मेरी कोई भलवष्वाणी ऐसी नहीं है जो पूरी नहीं हुई ्ा उसके दो भािों में से एक पूरा नहीं हो चुका। ्लद कोई खोजते-खोजते मर भी जाए तो ऐसी कोई भलवष्वाणी जो मेरे मुख से लनकली हो उसे नहीं लमलेिी लजसके सनदभ्य में वह कह सके लक खाली िई। हाँ लनल्यज्जता ्ा अज्ानता से कुछ भी कहे। मैं दावे से कहता हूं लक मेरी हज़ारों खुली और सपष्ट भलवष्वालण्ां हैं जो बड़े प्रत्षि रप से पूरी हो िईं, लाखों मनुष् लजनके साषिी हैं। इसका उदाहरण ्लद पहले नलब्ों में से खोजा जाए तो हज़रत मुहममद सालहब के अलतररक्त लकसी और सरान पर नहीं लमलेिा। ्लद मेरे लवरोधी इसी प्रकार से फैसला करते तो बहुत पहले उनकी आंखें खुल जातीं। मैं उनहें एक भारी इनाम देने को तै्ार रा, ्लद वे संसार में कोई उदाहरण उन भलवष्वालण्ों का प्रसतुत कर सकते। केवल उद्दण्डता ्ा अज्ानता से ्ह कह देना लक अमुक भलवष्वाणी पूरी नहीं हुई। इस सनदभ्य में हम इसके अलतररक्त और क्ा कहें लक ऐसी बातों को हठधममी और मूख्यता समझें। ्लद लकसी जन-समूह में इसी

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    कश्ती नूह

    खोज के ललए बात की जाती तो उनको अपनी बातों से लतौटना पड़ता ्ा लनल्यज्ज कहलाते। हज़ारों भलवष्वालण्ों का प्रत्षि रप से जैसा का तैसा पूण्य हो जाना और उनके पूरा होने पर हज़ारों जीलवत सालषि्ों का पा्ा जाना ्ह कोई साधारण बात नहीं है, अलपतु अल्ाह के दश्यन करा देना है। मुहममद रसूलुल्ाह के ्ुि को छोड़ कर लकसी ्ुि में कभी लकसी ने देखा लक हज़ारों भलवष्वालण्ां की िईं और वे सब की सब प्रत्षि रप से पूरी हो िईं और हज़ारों लोिों ने उनके पूरा होने पर िवाही दी। मैं पूरे लवश्ास से जानता हूं लक लजस प्रकार अल्ाह लनकट होकर इस ्ुि में प्रकट हो रहा है और सैकड़ों परोषि (ग़ैब) के मामले अपने भक्त पर खोल रहा है। इस ्ुि का उदाहरण पहले ्ुिों में बहुत काम ही लमलेिा। लोि शीघ्र ही देख लेंिे लक इस ्ुि में अल्ाह का चेहरा लदखाई देिा। ्ूं प्रतीत होिा लक वह आकाश से उतरा है। उसने बहुत सम् तक सव्ं को छुपाए रखा और नकारा ि्ा और वह चुप रहा परनतु वह अब नहीं छुपाएिा और दुलन्ा उसकी शश्क्त के वह नमूने देखेिी लक कभी उसके बाप-दादों ने नहीं देखे रे। ्ह इस ललए होिा लक धरती लबिड़ िई, धरती और आकाश के पैदा करने वाले पर लोिों का लवश्ास नहीं रहा। होंठों पर तो उसका नाम है पर हृद् उस से लफरे हुए हैं। इसललए उसने कहा लक अब मैं न्ा आकाश और नई धरती बनाऊँिा। इसका अर्य ्ही है लक धरती मर िई अरा्यत् मनुष्ों के हृद् कठोर हो िए अरा्यत् मर िए क्ोंलक अल्ाह का चेहरा उनसे छुप ि्ा और भूतकाल के दैवी लनशान सव्यरा कहालन्ां बन िईं। अतः अल्ाह ने इरादा लक्ा लक वह नई धरती और न्ा आकाश बनाए। न्ा आकाश क्ा है और

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    कश्ती नूह

    क्ा है नई धरती? नई धरती वह पलवत् हृद् हैं लजनको अल्ाह सव्ं अपने हार से तै्ार कर रहा है, जो परमलेश्वर सले प्रकट हुए और अल्ाह उनसले प्रकट होगा। न्ा आकाश वह लनशान हैं जो उसके भक्त के हार से उसी अल्ाह की आज्ा से प्रकट हो रहे हैं। परनतु खेद है लक दुलन्ा ने अल्ाह की इस नवीनतम दैवी झलक से शत्ुता की। इनके पास कपोलकश्लपत िाराओं के अलतररक्त कुछ भी नहीं और उनका ख़ुदा उनकी अपनी ही कलपनाएँ हैं। हृद् टेढ़े हैं, साहस टूटे हुए हैं, आँखों पर पदते हैं। अन् क़तौमें तो सव्ं वासतलवक ख़ुदा को भुला बैठी हैं। उनका क्ा समरण लक्ा जाए लजनहोंने मनुष् के बच्ों को ख़ुदा बना लल्ा। मुसलमानों की दशा देखो लक वे उससे लकतने दूर हो िए हैं। सच्ाई के पकके शत्ु हैं। सदमाि्य के जानी दुशमन की भांलत लवरोधी हैं। उदाहरणार्य नदव्तु् उ्लेमा ने इसलाम के ललए जो कुछ दावा लक्ा है ्ा अंजुमन नहमाय्तले इस्ाम ्ाहौर जो इसलाम के नाम पर मुसलमानों का माल लेती है। कया यले इस्ाम के शुभ निन्तक हैं? कया यह ्ोग सदमाग्ग के पषिधर हैं? क्ा इनको समरण है लक इसलाम लकन मुसीबतों के नीचे कुचला ि्ा और पुनः जीलवत करने के ललए अल्ाह का सवभाव क्ा है? मैं सच-सच कहता हूं लक ्लद मैं न आ्ा होता तो उनके इसलामी समर्यन के दावे एक सीमा तक सवीका््य हो सकते, परनतु अब ्े लोि ख़ुदा के आरोप के नीचे हैं लक शुभलचंतक होने का दावा करके जब आकाश से तारा लनकला तो सबसे पहले लवरोधी हो िए। अब ्े उस ख़ुदा को क्ा उत्र देंिे लजसने उलचत सम् पर मुझे भेजा है परनतु उन को कुछ परवाह नहीं। सूय्ग दोपहर के लनकट आ ि्ा पर उनके लवचार

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    कश्ती नूह

    में रा्त है, ख़ुदा का झरना फूट पड़ा परनतु अभी भी वह जंिल में लवलाप कर रहे हैं, उसके आकाशतीय ज्ान का एक सािर ठाठे मार रहा है परनतु इन लोिों को कोई ख़बर तक नहीं है, उसके लनशान प्रकट हो रहे हैं परनतु ्े लोि सव्यरा लापरवाह हैं, न केवल लापरवाह अलपतु ख़ुदा की धरा से शत्ुता रखते हैं। अतः ्ही इसलाम की लहमा्त, इसलाम का प्रचार और इसलाम की लशषिा है जो इनके हारों हो रही है? पर क्ा ्े लोि अपनी उपेषिा से ख़ुदा के सच्े इरादे को रोक देंगले, लजसकी प्रारूंभ से सभी नबी साक्् देते आए हैं? नहीं बश्लक ख़ुदा की ्ह भलवष्वाणी ननकट भनवषय में ही सत् लसद्ध होने वाली है लक-

    َ اَنَا َوُرُسِل َكَتَب اہللُ َلَْغِلَبّ“ कतबल्ाहो लअग़ललबन्ना अना व रुसुली”

    (अल मुजालदला-22)ख़ुदा ने जैसा लक आज से दस वष्य पूव्य अपने भक्त की सच्ाई

    लसद्ध करने के ललए आकाश पर रमज़ान में चनद्र और सू््य दोनों को ग्हण लिाकर मेरे ललए साषिी बना्ा। ऐसा ही उसने नलब्ों की भलवष्वाणी के अनुसार धरती पर भी दो लनशान प्रकट लकए। एक वह लनशान लजसको तुम क़ुआ्यन शरीफ़ में पढ़ते हो-

    لَْت ِعَشاُر ُعِطَّْوِاذَا ال

    “व इज़ल-इशारो उलत्लत” (अत्क्ीर-5)

    और हदीस में पढ़ते हो-ِقَلُص فََل یُْسٰعی َعلَْیَھا

    َْكّنَ ال َ

    َْولَُیت

  • 13

    कश्ती नूह

    “ल्ुतरकन्नल लक़लासो फ़ला ्ुसआ अलैहा”लजसकी पुश्ष्ट के ललए लहजाज़ की धरती अरा्यत मदीना-मकका

    के माि्य में रेल भी तै्ार हो रही है। दूसरा लनशान पलेि का जैसा लक ख़ुदा ने फ़रमा्ा-

    بُْوَھا ِقٰیَمِۃ اَْو ُمَعّذِْْن قَْریٍَۃِاّلَ نَْحُن ُمْھِلُكْوَھا قَْبَل یَْوِم ال َوِاْن ّمِ

    َعَذابًا َشِدیًْدا“व इश्ममन क़रर्लतन इल्ा नहनो मुहललकूहा क़बला

    ्तौलमललक्ामते औ मुअज़ज़ेबूहा अज़ाबन शदीदन”(बनी इस्ाईल-59)

    अतः ख़ुदा ने देश में रेल भी जारी कर दी और पलेि भी भेज दी तालक धरती भी साषिी हो और आकाश भी। अतः ख़ुदा से म्त ्ड़ो लक परमेश्र से लड़ना मूख्यता है। इस से पूव्य ख़ुदा ने जब आदम अलैलहससलाम को ख़लीफ़ा बनाना चाहा तो फररशतों ने रोका, पर क्ा ख़ुदा उनके कहने से रुक ि्ा। अब ख़ुदा ने दूसरा आदम पैदा करने के सम् कहा-

    اََرْدُت اَْن اَْسَتْخِلَف فَْخلَْقُت ٰادََم“अरदतो अनअसतख़ललफा फ़ख़लक्तो आदम”

    अरा्यत् मैंने इरादा लक्ा लक ख़लीफ़ा बनाऊूं। अतः मैंने इस आदम को पैदा लक्ा। अब बताओ लक क्ा तुम ख़ुदा के इरादे में बाधा ्डाल सकते हो। तुम क्ों कालपलनक बातों को प्रसतुत करते हो और लवश्ास-माि्य का अनुसरण नहीं करते। परीषिा में मत पड़ो। लनससनदेह समरण रहे लक ख़ुदा की इचछा में कोई बाधा नहीं ्डाल सकता। इस प्रकार के झिड़े सं्म का माि्य नहीं। हां ्लद शंका है

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    कश्ती नूह

    तो उपा् हो सकता है, जैसा लक मैंने ख़ुदा से इलहाम (ईशवाणी) द्ारा सनदेश पाकर मनुष्ों के एक समुदा् के ललए जो मेरे आदेश का पालन करने वाले हैं पलेि के प्रकोप से बचने के ललए जो शुभ सनदेश पा्ा है और उसे प्रकालशत कर लद्ा है। ऐसा ही ्लद आप लोिों के हृद् में अपनी कतौम की भलाई है तो आप लोि भी अपने धमा्यवलश्मब्ों के ललए भी अल्ाह से पलेि से मुश्क्त का शुभ-समाचार प्राप्त करें लक वे पलेि से सुरलषित रहेंिे, और इस समाचार को मेरी तरह लवज्ापन सवरप प्रकालशत कर दें तालक लोि समझ सकें लक अल्ाह आपके सार है। बश्लक ्ह अवसर ईसाइ्ों के ललए भी अत्नत उप्ुक्त है। वे हमेशा कहते हैं लक मुश्क्त मसीह से है। अतः अब उनका भी कत्यव् है लक इन संकट के नदनों में ईसाइ्ों को पलेि से मुश्क्त लदलाएं। इन समस्त सम्प्रदायों में से लजसकी अलधक सुनी िई वही सवीकार ्ोग् है। अब अल्ाह ने प्रत्ेक को अवसर प्रदान लक्ा है लक अकारण ही धरती पर लववाद न करें। अपनी सवीका््यता बढ़-चढ़ कर लदखाएं तालक पलेि से भी बचें और उनकी सच्ाई भी खुल जाए, लवशेषकर पादरती सालहबान जो इस ्ोक और पर्ोक में मरयम के बलेटे मसतीह को ही मुश्क्तदाता मान चुके हैं। वे ्लद हृद् से उसे इस लोक और परलोक का सवामी समझते हैं तो अब ईसाइ्ों का अलधकार है लक इनके कफ़फ़ारः से मुक्ति का नमूना देख लें। इस प्रकार आदरणी् सरकार को भी बहुत सुलवधा हो सकती है लक लरिलटश इश्ण्ड्ा के लभन्न-लभन्न समुदा् जो अपने-अपने धम्य की सत्ता पर भरोसा करते हैं, अपने समुदा् को छुड़ाने और पलेि से मुश्क्त लदलाने के ललए ्ह प्रबंध करें लक अपने उस ख़ुदा से लजस पर

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    कश्ती नूह

    वे आसरा रखते हैं ्ा अपने लकसी अन् पूज् से लजसे उनहोंने ख़ुदा का सरान दे रखा है, इन आपदाग्सत लोिों की लसफ़ाररश करें और उससे कोई ठोस वा्दा लेकर लवज्ापनों के रप में प्रकालशत करें जैसा लक हमने ्ह लवज्ापन प्रकालशत लक्ा है। इसमें सव्यरा प्रजा की भलाई और अपने धम्य की सत्ता का प्रमाण एवं सरकार की सहा्ता है। सरकार इसके अलतररक्त कुछ नहीं चाहती लक उसकी प्रजा पलेि से सुरलषित हो जाए चाहे लकसी भी प्रकार हो। अनततः समरण रहे लक हम इस लवज्ापन में अपनी जमाअत को जो भारत और पंजाब के लवलभन्न भािों में फैली हुई है टीका लिवाने से मना नहीं करते। लजन लोिों के बारे में सरकार का सपष्ट आदेश हो उनको टीका अवश् लिवाना चालहए और सरकारी आदेश का पालन करना चालहए। लजनको उनकी इचछा पर छोड़ा ि्ा है ्लद वे मेरी लशषिा जो उनको दी िई पूण्यरपेण पालन नहीं कर रहे तो उनको भी टीका लिवाना उलचत है तालक वे ठोकर न खाएं और अपनी ख़राब दशा के कारण ख़ुदा के वा्दे के समबनध में लोिों को धोखा न दें। ्लद प्रशन ्ह हो लक वह लशषिा क्ा है लजसका पूण्य रपेण अनुसरण पलेि के प्रकोप से सुरलषित रख सकता है, तो मैं संषिेप में लनमन पंश्क्त्ां ललख देता हूं।

    नशषिासमरण रहे लक केवल मुख से बैअत को सवीकार करना अर्यहीन

    है जब हालद्यक ततौर पर उसका पूण्य अनुसरण न करे। अतः जो मनुष् मेरी लशषिा का पूरा-पूरा पालन करता है वह मेरे इस घर में प्रवेश कर जाता है लजसके लवष् में ख़ुदा की वह्ी में ्ह वादा है-

    ْ اَُحاِفُظ ُكّلَ َمْن ِف ادّلَاِر ِاِنّ

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    कश्ती नूह

    “इन्नी उहालफ़ज़ो कुल्ा मन लफद्दार”अरा्यत् प्रत्ेक जो तेरे घर की चारदीवारी के अनदर है मैं उसे

    सुरलषित रखूँिा। ्हां ्ह नहीं समझना चालहए लक मेरे घर के अनदर वही लोि हैं जो मेरे इस ईंट िारे के घर में रहते हैं बश्लक वे भी जो मेरा पूण्य अनुसरण करते हैं, मेरे आध्ाश्तमक घर में दालख़ल हैं। अनुसरण करने हेतु ्े बातें हैं लक वह लवश्ास करे लक उनका एक सव्यशश्क्तमान, जीवन प्रदान करने और समसत संसार को पैदा करने वाला ख़ुदा है जो अपने िुणों में अनालद और अननत है और वह अपररवत्यनी् है, न वह लकसी का बेटा और न कोई उसका बेटा है, वह दुःख उठाने और सलीब पर चढ़ने और मरने से परे है, वह बावजूद दूर होने के लनकट है और लनकट होने के बावजूद दूर है और बावजूद एक होने के उसके चमतकाररक सवरप अनेक हैं। मनुष् की ओर से जब कोई नए रूंि का पररवत्यन प्रकट होता है तो उसके ललए वह एक न्ा ख़ुदा बन जाता है। वह उससे एक नए चमतकाररक सवरप के सार व्वहार करता है और मनुष् अपने पररवत्यन के अनुसार ख़ुदा में भी पररवत्यन देखता है। पर ऐसा नहीं है लक ख़ुदा में वासतव में कोई पररवत्यन आ जाता है अलपतु वह अनालद, अननत, अपररवत्यनी् और सव्यिुण समपन्न है। परनतु मानवी् पररवत्यनों के सम् जब मनुष् भलाई की ओर उनमुख होता है तो ख़ुदा भी एक नए चमतकाररक रप में उस पर प्रकट होता है और प्रत्ेक उन्नतशील श्सरलत के सम् जो मनुष् से प्रकट होती है, ख़ुदा का शश्क्तशाली चमतकाररक सवरप उसी उन्नतशील रप में प्रकट होता है। वह अपनी अलतौलकक शश्क्त का असाधारण प्रदश्यन उसी सरान पर करता है जहां

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    कश्ती नूह

    असाधारण पररवरा्यन का प्रदश्यन होता है। असाधारण शश्क्त्ों और चमतकारों की ्ही जड़ है। ्ह ख़ुदा है जो हमारे लसललसले की शत्य है उस पर ईमान लाओ। अपने आराम, अपने प्राण और उसके समसत समबनधों पर उसको प्रारलमकता दो, अपने व्वहार से वीरता के सार उसके माि्य में सत् और वफ़ादारी का प्रदश्यन करो। दुलन्ा अपने भतौलतक संसाधनों और लनकट संबंलध्ों पर उसको प्रारलमकता नहीं देती परनतु तुम उसको प्रारलमकता दो तालक तुम आकाश पर उसकी जमाअत ललखे जाओ। कृपा और द्ा के लनशान लदखाना सदा से ख़ुदा का सवभाव है, परनतु तुम इस सवभाव के भािीदार तभी बन सकते हो जब तुम में और उसमें कुछ भी दूरी न रहे। तुमहारी इचछा उसकी इचछा, तुमहारी आकांषिाएं उसकी आकांषिाएं हो जाएँ और तुम हर सम्, हर श्सरलत, सफलता ्ा लवफलता में उसकी चतौखट पर नतमसतक रहो तालक वह जो चाहे करे। ्लद तुम ऐसा करोिे तो तुम में वह ख़ुदा प्रकट होिा, लजसने एक लमबे सम् से अपना चेहरा छुपा लल्ा है। क्ा तुम में कोई है जो इस पर अम् करे और उसकी प्रसन्नता की कामना करे और उसकी लन्लत पर षिुबध न हो। अतः तुम संकट को देखकर क़दम और भी आिे बढ़ाओ लक ्ह तुमहारी उन्नलत का साधन है। एकेश्वरवाद को समसत संसार में फैलाने के ललए अपनी समपूण्य शश्क्त से प्र्ासरत रहो और उसकी प्रजा पर द्ा करो। उन पर अपनी वाणी, अपने हार ्ा अन् लकसी प्रकार से अत्ाचार न करो, प्रजा की भलाई हेतु प्र्तनशील रहो, लकसी पर अलभमान न करो भले ही वह तुमहारे अधीन हो, लकसी को िाली मत दो भले ही वह िाली देता हो, सदाचारी, दीन और सवचछ ह्रद् वाले

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    कश्ती नूह

    बन जाओ। प्रजा के सार सहानुभूलतपूण्य व्वहार करो तालक सवीकार लकए जाओ। बहुत हैं जो शालीनता प्रकट करते हैं परनतु अनदर से भेलड़ए हैं, बहुत हैं जो ऊपर से सवचछ हैं परनतु अनदर से सांप हैं। अतः तुम ख़ुदा के समषि सवीका््य नहीं हो सकते जब तक अनदर और बाहर समान न हो। बड़े होकर छोटों पर द्ा करो न लक उनका अपमान, ज्ानी होकर अज्ालन्ों को भलाई का पाठ पढ़ाओ न लक सव्ं को श्रेष् समझकर उनका अनादर, धनवान होकर लनध्यन की सेवा करो न लक सव्ं श्रेष् बनकर उन पर अलभमान। लवनाश के मािगों से भ्भीत रहो, ख़ुदा से ्डरते रहो, शालीनता एवं सदाचार का अनुसरण करो, मानव की उपासना न करो, केवल अपने ख़ुदा के ललए त्ाि करो, संसार से ह्रद् मत लिाओ, ख़ुदा के हो जाओ, उसी के ललए जीवन व्तीत करो, उसके ललए प्रत्ेक अपलवत्ता और पाप से घृणा करो क्ोंलक वह पलवत् है। हर सुबह तुमहारे ललए साक्् दे लक तुम ने ख़ुदा में लीन रहते हुए रालत् व्तीत की। हर शाम तुमहारे ललए साक्् दे लक तुम ने ्डरते-्डरते लदन व्तीत लक्ा। संसार के अलभशापों और फटकारों से मत ्डरो लक वे धुंए की भांलत देखते-देखते लुप्त हो जाती हैं। वे लदन को रात में पररवलत्यत नहीं कर सकतीं। तुम ख़ुदा के अलभशाप से ्डरो जो आकाश से आता है और लजस पर लिरता है उसकी लोक व परलोक दोनों सरानों पर जड़ काट देता है। तुम आ्डमबर से सव्ं को सुरलषित नहीं रख सकते क्ोंलक तुमहारे ख़ुदा की दृश्ष्ट तुमहारे पाताल तक है। क्ा तुम उसको धोखा दे सकते हो। अतः तुम सीधे और सवचछ हो जाओ, पलवत् और लनषकपट हो जाओ। ्लद तुमहारे अनदर रोड़ा सा भी अनधकार लवद्यमान है तो वह तुमहारे

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    कश्ती नूह

    समपूण्य प्रकाश को नष्ट कर देिा। ्लद तुमहारे अनदर लकसी भी सतर पर अलभमान, आ्डमबर, आलस् ्ा सव्ं को ही श्रेष् समझने की भावना व्ाप्त है तो तुम ख़ुदा के समषि सवीकार ्ोग् नहीं। ऐसा न हो लक तुम कुछ बातों को लेकर सव्ं को धोखा देते रहो लक जो कुछ तुमने करना रा कर चुके, जबलक ख़ुदा की इचछा है लक तुमहारे जीवन का पूण्य का्ा-कलप हो। वह तुमसे एक मतौत माँिता है लजसके पचिात वह तुमहें जीवन प्रदान करेिा। तुम परसपर शीघ्र सुलह करो, अपने भाइ्ों के दोषों को षिमा करो क्ोंलक उद्दण्ड है वह मनुष् जो अपने भाई से समझतौता करने के ललए तै्ार नहीं। वह काटा जाएिा क्ोंलक वह एकता को खंल्डत करता है। तुम हर पहलू से अहूं को त्ाि दो, आपसी द्ेष लमटा दो, सच्े होकर झूठे की भांलत दीनता का अनुसरण करो तालक तुमहें षिमा लक्ा जा सके। अंहकार में मत बढ़ो लक लजस द्ार पर तुमहें बुला्ा ि्ा है उसमें एक अहूंकारी मनुष् प्रवेश नहीं कर सकता। दुभा्यग्शाली है वह मनुष् जो इन बातों को नहीं समझता जो ख़ुदा के मुख से लनकलीं और मैंने उनका वण्यन लक्ा। ्लद तुम चाहते हो लक आकाश पर ख़ुदा तुम से प्रसन्न हो तो तुम परसपर इस प्रकार एक हो जाओ जैसे एक पेट में दो भाई। तुम में श्रेष्तम वही है जो अपने भाई के दोषों और भूलों को अलधक से अलधक षिमा करता है, और दुभा्यग्शाली है वह जो हठधममी से काम लेते हुए उसे षिमा नहीं करता। ऐसे व्श्क्त का मुझ से कोई नाता नहीं। ख़ुदा की फटकार से ्डरो लक वह पलवत् और सवालभमानी है। कुकममी ख़ुदा के लनकट नहीं हो सकता, अलभमानी उसके लनकट नहीं हो सकता, अत्ाचारी उसके लनकट नहीं हो सकता, धरोहर को हड़प

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    कश्ती नूह

    जाने वाला उसके लनकट नहीं हो सकता और प्रत्ेक जो उसके नाम के ललए मर लमटने वाला नहीं उसके लनकट नहीं हो सकता, वे जो भतौलतक साधनों पर कुत्ों, चीलों और लिद्दों की भांलत टूट पड़ते हैं वे सांसाररक भोि-लवलास में लीन हैं वे ख़ुदा के लनकट नहीं हो सकते। प्रत्ेक अपलवत् दृश्ष्ट उस से परे है, प्रत्ेक अपलवत् ह्रद् उस से बे ख़बर है। वह जो उसके ललए अश्गन में है उसे अश्गन से मुश्क्त दी जाएिी, वह जो उसके ललए रोता है वह हुँसेिा, वह जो उसके ललए संसार से लवरक्त होता है वह उसे प्राप्त होिा। तुम सच्े लदल, पूण्य सच्ाई और लिन से ख़ुदा के लमत् बन जाओ तालक वह भी तुमहारा लमत् बन जाए। तुम अपने अधीन काम करने वालों, अपनी पश्तन्ों और अपने दीन भ्ातृजनों पर द्ा करो तालक आकाश पर तुम पर भी द्ा हो। तुम वासतव में उसके हो जाओ तालक वह भी तुमहारा हो जाए। संसार सहसत्ों लवपलत््ों का सरान है लजनमें से एक पलेि भी है। अतः तुम ख़ुदा से सच्ा समबनध सरालपत करो तालक वह ्ह लवपलत््ाँ तुम से दूर रखे। कोई लवपलत् ्ा संकट धरती पर नहीं आता जब तक आकाश से आदेश न हो। कोई संकट दूर नहीं होता जब तक आकाश से कृपा न हो। अतः आपकी बुलद्धमत्ा इसी में है लक तुम जड़ को पकड़ो न लक शाखा को। तुमहें औषलध और उपा् से रोका नहीं है, हाँ उन पर लनभ्यर रहने से रोका है। अनततः वही होिा जो उसकी इचछा के अनुकूल होिा। ्लद कोई शश्क्त रखे तो ख़ुदा पर लनभ्यर रहने का सरान सव्यश्रेष् है। तुमहारे ललए एक अलनवा््य लशषिा ्ह है लक क़ुआ्यन शरीफ़ को अलि-रलि न ्डाल दो लक उसी में तुमहारा जीवन लनलहत है। जो लोि क़ुआ्यन को सममान देंिे वे आकाश

  • 21

    कश्ती नूह

    पर सममालनत लकए जाएंिे। जो लोि हर हदीस और हर वाणी पर क़ुआ्यन को प्रारलमकता देंिे उनको आकाश पर प्रारलमकता प्रदान की जाएिी। समसत मानव जालत के ललए समपूण्य धरती पर अब क़ुआ्यन के अलतररक्त कोई पुसतक नहीं और न ही हज़रत मुहममद मुसतफ़ा सल्ल्ाहो अलैलह वसल्म के लसवा कोई रसूल और लसफ़ाररश करने वाला। अतः तुम प्र्ास करो लक सच्ा प्रेम इस प्रभुतवशाली नबी के सार हो। उस पर लकसी अन् को लकसी भी प्रकार की श्रेष्ता न दो, तालक आकाश पर तुमहारा नाम मुश्क्त प्राप्त लोिों में ललखा जाए। समरण रहे लक मुश्क्त कोई ऐसी वसतु नहीं जो मरणोपरांत प्रकट होिी अलपतु वासतलवक मुश्क्त वह है जो इसी संसार में अपना प्रकाश लदखलाती है। मुश्क्त प्राप्त मनुष् कतौन है? वह जो लवश्ास रखता है लक ख़ुदा एक वासतलवक सत् है और हज़रत मुहममद सल्ल्ाहो अलैलह वसल्म उसके और उसकी प्रजा के मध् लसफ़ाररश करने वाले हैं। आकाश के नीचे उनके समान न कोई अन् रसूल है और न क़ुआ्यन के समान कोई अन् पुसतक है। ख़ुदा ने लकसी के ललए न चाहा लक वह सदा जीलवत रहे परनतु ्ह ख़ुदा की ओर से आ्ा हुआ नबी सदा के ललए जीलवत है, और ख़ुदा ने उसके सदा जीलवत रहने की नींव इस प्रकार रखी है लक उसकी शरीअत और आध्ाश्तमक उपलश्बध्ों को प्रल् तक जारी रखा और अनततः उसकी आध्ाश्तमक उपलश्बध्ों से इस मसतीह मौऊद को संसार में भेजा, लजसका आना इसलामी इमारत को पूर्ग करने के ललए आवश्क रा। अलनवा््य रा लक ्ह संसार उस सम् तक समाप्त न हो जब तक लक मुहममदी धारा के ललए एक मसीह आधयाक््मक रप में न लद्ा जाता, जैसा

  • 22

    कश्ती नूह

    लक मूसा की धारा के ललए लद्ा ि्ा रा। ्ह आ्त इसी ओर संकेत करती है लक-

    یَْن أَنَْعْمَت َعلَْیِھْ ِ اَط اّلَ َ ۔ ِصر

    َُمْسَتِقْیم

    ْاَط ال

    َر ِاْھِدنَا الّصِ

    “इहलदनश्ससरातल मुसतक़ीमा-लसरातल्ज़ीना अनअमता अलैलहम”(अल फ़ालतहा 6-7)

    मूसा ने वह कुछ प्राप्त लक्ा लजसे प्राचीन पीलढ़्ाँ खो चुकी रीं, और हज़र्त मुहम्मद सालहब ने वह सब कुछ पा्ा लजसको मूसा की क़तौम खो चुकी री। अब मुहममदी धारा मूसवी धारा की उत्रालधकारी है पर प्रलतष्ा में हज़ारों िुना बढ़कर। मसीले मूसा, मूसा से बढ़कर और मसीले इबने मर्म इबने मर्म से बढ़कर और वह मसीह मतौऊद न केवल सम् की दृश्ष्ट से हज़रत मुहममद सालहब के बाद चतौदहवीं शताबदी में आ्ा रा★जैसा लक मसीह इबने मर्म मूसा के चतौदहवीं शताबदी में प्रकट हुआ रा। बश्लक उसका प्रादुभा्यव ऐसे सम् में हुआ जबलक मुसलमानों का वैसा ही हाल रा जैसा लक मसीह इबने मर्म के प्रादुभा्यव के सम् ्हलद्ों का। अतः वह मैं ही हूं। ख़ुदा जो चाहता है करता है। मूख्य वह है जो उससे झिड़े और नादान है वह जो उसके समषि ्ह आपलत् करे लक ्ों नहीं ्ों होना चालहए रा। ख़ुदा ने मुझे चमकते हुए लनशानों के सार भेजा है जो दस हज़ार से भी अलधक हैं। इनमें से एक पलेि भी है। जो मनुष् सचे् ह्रद् से मेरी बैअत करता है और सच्े ह्रद् से ही आदेशों का पालन करता

    ★हानशया :- ्हदी अपने इलतहास के अनुसार लनलव्यरोध ्ही मानते हैं लक मूसा के चतौदहवीं शताबदी के आरूंभ में ईसा का प्रादुभा्यव हुआ रा देखो ्हलद्ों का इलतहास।

  • 23

    कश्ती नूह

    है, मेरे आदेशों का पालन करते हुए अपनी समसत इचछाओं को त्ाि देता है, वही है लजसके ललए इन लवपलत््ों के लदनों में मेरी आतमा उसकी नसफ़ाररश करेगती। अ्तः हे वले समस्त ्ोगो! जो सव्ं को मेरी जमाअत में शालमल करते हो आकाश पर तुम उस सम् मेरी जमाअत में शुमार लकए जाओिे, जब वासतव में सदाचार के मािगों पर चलोिे। अतः अपनी पांचों सम् की नमाज़ों को ऐसे भ् और तल्ीनता से पूरा करो लक जैसे तुम परमेश्र को देख रहे हो और अपने रोज़ों (उपवासों) को ख़ुदा के ललए पूरी सच्ाई के सार पूरा करो। प्रत्ेक जो ज़कात देने के ्ोग् है वह ज़कात दे और लजस पर हज का दाल्तव आ चुका है और इसलामी लसद्धानतों को देखते हुए कोई बाधा ्ा रोक नहीं वह हज करे। भलाई को अचछे रूंि में करो, बुराई की उपेषिा करते हुए उसे लतलांजलल दो। लनससंदेह समरण रखो लक सदाचार रलहत कोई भी कम्य ख़ुदा तक नहीं पहुुँच सकता। प्रत्ेक भलाई की जड़ सदािार है। लजस कम्य में ्ह जड़ नष्ट नहीं होिी वह कम्य भी व्र्य नहीं जाएिा। अलनवा््य है लक शोक और लवपलत््ों से तुमहारी परीषिा भी हो, लजस प्रकार तुम से पूव्य ख़ुदा पर आसरा रखने वालों की परीषिा हुई। अतः सावधान रहो। ऐसा न हो लक ठोकर खाओ। धरती तुमहारा कुछ नहीं लबिाड़ सकती ्लद तुमहारा आकाश से अटूट ना्ता है। तुम जब भी अपना नुकसान करोिे तो अपने ही हारों से करोिे न लक शत्ु के हारों से। ्लद तुमहारा सांसाररक सममान पूण्यत्ा जाता रहे तो ख़ुदा तुमहें आकाश पर वह सममान प्रदान करेिा जो कभी कम न हो। अतः तुम ख़ुदा को मत छोड़ो आवश्क है लक तुमहें दुःख लद्ा जाए और तुमहारी

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    कश्ती नूह

    अनेकों आशाओं पर पानी लफर जाए। पर इन समसत पररश्सरलत्ों में तुम लनराश मत हो, क्ोंलक तुमहारा ख़ुदा तुमहारी परीषिा लेता है लक तुम उसके माि्य में दृढ़ हो ्ा नहीं। ्लद तुम चाहते हो लक आकाश पर फ़ररशते भी तुमहारी प्रशंसा करें तुम मार खाओ और प्रसन्न रहो, ग़ालल्ां सुनो और आभार प्रकट करो, असफलता देखो पर ख़ुदा से नाता मत तोड़ो। तुम ख़ुदा की अश्नतम जमाअत हो। अतः ऐसे सुकम्य करो जो अपने िुणों की दृश्ष्ट से सववोत्म हों। प्रत्ेक जो तुम में अलसी हो जा्ेिा वह एक अपलवत् वसतु लक भांलत जमाअत से बाहर फेंक लद्ा जा्ेिा और हसरत से मरेिा पर ख़ुदा का कुछ न लबिाड़ सकेिा। देखो मैं बड़ती प्रसन्न्ता सले यह सनदलेश देता हुँ लक तुमहारा ख़ुदा वासतव में लवद्यमान है, ्द्यलप लक सबको उसी ने पैदा लक्ा है, पर वह उस मनुष् को चुन लेता है जो उसको चुनता है। वह उसके लनकट आ जाता है, जो उसे सममान देता है वह उसको भी सममान देता है।

    तुम अपने हृद्ों को सवचछ, मुख, नेत् और कणों को पलवत् करके ख़ुदा की ओर आ जाओ लक वह तुमहें सवीकार करेिा। आसरानुसार ख़ुदा जो तुमसे चाहता है वह ्ही है लक वह एक और मुहममद सल्ल्ाहो अलैलह वसल्म उसके नबी है और वह समसत नलब्ों की मुहर और सव्यश्रेष् हैं। अब उसके पचिात् कोई नबी नहीं परनतु वही लजस को प्रलतलबमब सवरप मुहममद के रूंि की चादर पहनाई ि्ी, क्ोंलक सेवक अपने सवामी से अलि नहीं और न शाखा अपने तने से अलि है। अतः जो पूण्यरपेण अपने सवामी की आज्ाकाररता में लीन होकर ख़ुदा से नबती का नाम पाता है वह

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    कश्ती नूह

    ख़तमे नुबुववत में बाधक नहीं। लजस प्रकार लक तुम जब दप्यण में अपनी शक्ल देखो तो तुम दो नहीं हो सकते बश्लक एक ही रहोिे, ्द्यलप लक सामान्तः दो लदखाई देते हैं। अनतर केवल मूल और छा्ा का है। ऐसा ही ख़ुदा ने मसीह मतौऊद के सनदभ्य में चाहा। यहती भलेद है लक हज़र्त मुहम्मद सल्ल्ाहो अ्ैनह वसल्म फ़रमाते हैं लक मसीह मतौऊद मेरी क़रि में दफ़न होिा अरा्यत् वह मैं ही हुँ। इसमें दो रूंिी? नहीं आ्ी और लनःसंदेह तुम समझ लो लक ईसा इबनले मरयम मर चुका है और कशमीर श्रीनिर मुहल्ा★ ख़ान्ार में उसकी क़रि है। ख़ुदा तआला ने अपनी पलवत् पुसतक में उसकी मृत्ु की सूचना दी है और ्लद इस आ्त का अर्य कुछ और है तो क़ुआ्यन में ईसा इबने मर्म की मृत्ु की सूचना कहां है? मरने के लवष् में जो आ्तें हैं, ्लद उनका अर्य कुछ और है जैसा लक हमारे लवरोधी समझते हैं तो लफर क़ुआ्यन ने उसके मरने को कहीं उदृ्ध नहीं लक्ा लक वह लकसी सम् मरेिा भी। ख़ुदा ने हमारे नबी के मरने की सूचना दी, परनतु समपूण्य क़ुआ्यन में ईसा के मरने की सूचना नहीं दी। इसमें क्ा भेद है? और ्लद कहा जाए लक ईसा के मरने की सूचना इस आ्त में है-

    ★ ِقْیَب َعلَْیِھْ ُكْنَت أَنَْت الّرَا تََوفَّْیَتِنْ فَلَّمَ

    “फ़लममा तवफ़फ़्तनी कुनता अंतर्रक़ीबा अलैलहम”(अलमाइदा - 118)

    ★हानशया :-ईसाई अनवषेकों न े ्ही कहा है। दखेो लकताब “सपुर नचेरुल ररलीजन” पृष्-522 ्लद अलधक लववरण चाहत े हो तो हमारी पसुतक “तहुफ़ा िोलड़लव्ा” का पषृ् 139 दखे लो। इसी से

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    कश्ती नूह

    इस आ्त से सपष्ट है लक वह ईसाइ्ों के लबिड़ने से पूव्य मर चुके हैं। ्लद आ्त ْا تََوفَّْیَتِن फ़लममा तवफ़फ़्तनी का अर्य ्ह فَلَّمَहैं लक इस भतौलतक शरीर सलहत ईसा को आकाश पर उठा लल्ा तो क्ों ख़ुदा ने समपूण्य क़ुआ्यन में ऐसे मनुष् की मृत्ु पर प्रकाश क्ों नहीं ्डाला, लजसके जीलवत रहने के लवचार ने लाखों मनुष्ों का लवनाश कर ्डाला? अतः ख़ुदा ने उसको सदा के ललए इसललए जीलवत रहने लद्ा तालक लोि अनेकेश्रवादी और अधममी हो जाएँ अरा्यत् इसमें लोिों का दोष नहीं अलपतु ख़ुदा ने ्ह सब कुछ सव्ं लक्ा तालक लोिों को सदमाि्य से दूर हटा दे। ख़ूब ्ाद रखो लक मसीह की मतौत के लबना सलीबी आसरा पर मृत्ु नहीं आ सकती। अतः इससे क्ा लाभ लक क़ुआ्यन की लशषिा के लवरुद्ध उसको जीलवत समझा जाए। उसको मरने दो तालक ्ह धम्य जीलवत हो। ख़ुदा ने अपनी वह्ी से मसीह की मृत्ु सपष्ट की तरा रसूलुल्ाह सल्ल्ाहु अलैलह वसल्म ने मैराज की रात में उसको मुदगों में देख लल्ा, पर तुम हो लक अब भी नहीं मानते। यह कैसा ईमान? क्ा लोिों की बातों को ख़ुदा की वाणी पर प्रारलमकता देते हो। ्ह कैसा धम्य है।★ हमारे रसूलुल्ाह सल्ल्ाहु अलैलह वसल्म ने न केवल साक्् दी लक मैंने ★हानशया :- इसी आ्त से ज्ात होता है लक ईसा अलैलहससलाम दलुन्ा में लफर नहीं आएिँ ेक्ोंलक ्लद वह दुलन्ा में �