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जंग-ए-मुक़स लेखक हज़रत मिज़ लि अहिद क़मदयनी िसीह िौऊद व िहदी िद अलैमहसलि I

Ahmadiyya Muslim Jamaat...Created Date 4/17/2019 11:23:48 AM

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  • जंग-ए-मुक़द्दस

    लेखकहज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद क़्मदय्नी

    िसीह िौऊद व िहदी ि्हूद अलैमहससल्ि

    I

  • न्ि पुसतक : जंग-ए-िुक़द्दसलेखक : हज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद क़्मदय्नी िसीह िौऊद व िहदी ि्हूद अलैमहससल्िअनुव्दक : ड्क्टर अनस्र अहिद, एि.ए., एि.मिल, पी एच,डी पी.जी.डी.्टी., आनसज़ा इन अरमिक्ट्इप, सैम्टंग : िहवश न्ज़संसकरण : प्रथि संसकरण (महनदी) अप्रैल 2019 ई०संखय् : 1000प्रक्शक : नज़्रत नश्र-व-इश्अत, क़्मदय्न, 143516 मज़ल्-गुरद्सपुर (पंज्ि)िुद्रक : फ़ज़ले उिर मप्रंम्टंग प्रेस, क़्मदय्न, 143516 मज़ल्-गुरद्सपुर (पंज्ि)

    Name of book : Jang-e-MuqaddasAuthor : Hazrat Mirza Ghulam Ahmad Qadiani Masih Mou'ud W Mahdi Mahood AlaihissalamTranslator : Docter Ansar Ahmad, M.A., M.Phil, Ph.D P.G.D.T., Hons in ArabicType Setting : Mahwash NaazEdition : 1st Edition (Hindi) April 2019Quantity : 1000Publisher : Nazarat Nashr-o-Isha'at, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur, (Punjab)Printed at : Fazl-e-Umar Printing Press, Qadian 143516 Distt. Gurdaspur (Punjab)

    II

  • जंग-ए-मुक़द्दसअथ्ज़ात

    सतय के अनवेषण के मलए िुसलि्नों और अिृतसर के ईस्इयों िें अिृतसर के सथ्न पर

    िुि्हस्22 िई 1893 ई आरम्भ होकर 5 जून 1893 ई को सि्प्त हुआ

    िुसलि्नों की ओर से हज़रत मिज़्ज़ा गुल्ि अहिद स्महि क़्मदय्नी िहस के मलए क़्मदय्न से अिृतसर पध्रे और ईस्ई स्महि्न की ओर से मडप्टी अबदुल्् आथि स्महि पेंशनर मनयुक्त होकर जलस् िुि्हस् िें प्रसतुत हुए। मलमपक को हसत्क्षररत लेख छ्पकर प्रक्मशत करने की

    जलस् िहस िें दोनों पक्षों की ओर से अनुिमत दी गईजो

    प्रमतमदन की दोनों पक्षों की ओर से सतय्मपत िहस के अनुस्र हफ़्फ़ ि हफ़्फ़ छपकर प्रक्मशत हुआ, और वे सिसत प्रमतय्ँ मिक गईं। अि दूसरी

    ि्र उसी हैमसयत से अम्भल्मशयों के मलए छ्पी गईं।

    मलमपकशेख़ नूर अहिद ि्मलक व प्रिंधक ररय्ज़ महनद प्रेस, अिृतसर

    (पंज्ि)।

    ्ट्इ्टल मवितीय प्रक्शन उदूज़ा क् अनुव्द

    III

  • प्रकाशक की ओर से हज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद स्महि क़्मदय्नी िसीह िौऊद व िहदी

    ि्'हूद अलैमहससल्ि वि्र् मलमखत पुसतक क् यह महनदी अनुव्द श्री डॉ० अनस्र अहिद ने मकय् है और ततपश््त िुकर्रि शेख़ िुज्महद अहिद श्सत्ी (सदर ररवयू किे्टी), िुकर्रि फ़रहत अहिद आच्यज़ा (इंच्जज़ा महनदी डेसक), िुकर्रि अली हसन एि. ए., िुकर्रि नसीरुल हक़ आच्यज़ा, िुकर्रि िोमहयुद्दीन फ़रीद एम्. ए. और िुकर्रि इबनुल िेहदी लईक़ एम्. ए. ने इसकी प्रूफ़ रीमडंग और रीमवयु आमद मकय् है। अल््ह तआल् इन सि को उत्ति प्रमतिल प्रद्न करे।

    इस पुसतक को हज़रत ख़लीफ़तुल िसीह ख़्मिस अययदहुल््हु तआल् मिनमरिमहल अज़ीज़ (जि्अत अहिमदय् के वतज़ाि्न ख़लीफ़्) की अनुिमत से महनदी प्रथि संसकरण के रूप िें प्रक्मशत मकय् ज् रह् है। मवनीत ह्मफ़ज़ िख़दूि शरीफ़ न्मज़र नश्र व इश्अत क़्मदय्न

    IV

  • वृतांत जलसा 22 मई 1893 ई०

    22 िई 1893 को सोिव्र के मदन डॉ हेनरी ि््ट्रन क््क्फ़ स्महि की कोठी पर जलस् िुि्हस् आयोमजत हुआ। 6:15 िजे क्यज़ाव्ही आरं्भ हुई िुसलि्नों की ओर से िुंशी गुल्ि क्मदर स्महि िसीह व्इस प्रेमसडें्ट िुंमसपल किे्टी सय्लको्ट स्भ् के अधयक्ष मनयुक्त हुए और ईस्इयों की ओर से डॉक्टर हेनरी ि््ट्रन क््क्फ़ स्महि स्भ् के अधयक्ष मनयुक्त हुए। मिज़्ज़ा स्महि के सह्यक िौलवी नूरुद्दीन स्महि हकीि, सैयद िोहमिद हसन स्महि और शेख अल्ह मदय् स्महि मनयुक्त हुए। और मडप्टी अबदुल्् आथि स्महि के सह्यक प्दरी जे एल ठ्कुर द्स और प्दरी अबदुल्् स्महि और प्दरी ्टॉिस ह्वेल स्महि मनयुक्त हुए। कयोंमक प्दरी जे एल ठ्कुर द्स स्महि आज नहीं आ सके इसमलए आज के मदन उनके सथ्न पर प्दरी एहस्नुल््ह स्महि सह्यक मनयुक्त मकए गए। 6:15 िजे मिज़्ज़ा स्महि ने प्रशन मलख्न् आरं्भ मकय् और 7:15 िजे सि्प्त मकय् और उनकी आव्ज़ से जलसे को सुन्य् गय्। मिर मडप्टी अबदुल््ह आथि ने अपन् ऐतर्ज़ प्रसतुत करने िें केवल 5 मिन्ट लग्ए। मिर मिज़्ज़ा स्महि ने प्रतयुत्तर मलख्य् परंतु इस पर यह आरोप प्रसतुत मकय् गय् मक मिज़्ज़ा स्महि ने जो प्रशन मलख्य् है वह शततों की तरतीि के अनुस्र नहीं अथ्ज़ात प्रथि सव्ल उलूमहयते िसीह के ि्रे िें होन् च्महए। इस पर शततों की ओर देख् गय् अंग्ेज़ी िूल शततों और अनुव्द क् िुक्िल् मकय् गय् और ि्लूि हुआ मक मिज़्ज़ा स्महि के प्स जो अनुव्द है उसिें गलती है ततपश््त इस ि्त पर सहिमत की गई मक उलूमहयते िसीह पर प्रशन आरं्भ मकय् ज्ए और जो कुछ इससे पहले मलख्य् गय् है अपने अवसर पर प्रसतुत हो।

    8 िजकर 26 मिन्ट पर मिज़्ज़ा स्महि ने उलूमहयते िसीह पर प्रशन मलख्न् आरम्भ मकय् 9 िजकर 15 मिन्ट पर सि्प्त मकय् और ऊंची आव्ज़ से सुन्य्

    V

  • गय्। मिस्टर अबदुल्् आथि स्महि ने 9 िजकर 30 मिन्ट पर उत्तर मलख्न् आरं्भ मकय् और उनक् उत्तर सि्प्त न हुआ थ् मक उनक् सिय सि्प्त हो गय्। इस पर मिज़्ज़ा स्महि और िजमलस के अधयक्ष की ओर से अनुिमत दी गई मक मिस्टर अबदुल्् आथि स्महि अपन् उत्तर सि्प्त कर लें और 5 मिन्ट के अमधक सिय िें उत्तर सि्प्त मकय्। इसके ि्द दोनों पक्षों के लेखों पर स्भ् अधयक्षों के हसत्क्षर हुए और हसत्क्षररत लेख एक-दूसरे पक्ष को मदए गए और जलस् सि्प्त हुआ।

    VI

  • 1 जंग-ए-मुकद्दस

    भाषण हज़रत मिज़ाज़ा ग़ुलाि अहिद सामहब क़ामदयानी मबस्िल्ामहर्रहिामनर्रहीि

    ٍدَوٰاِلِ ـَاُم َعٰل َرُسـْوِل ُمَحّمَ لٰوۃَُوالّسَ َ َوالّصَْ

    ٰعلَِمـنَْحْمـُد ِلِ َرِبّ ال

    ْاَل

    َْواَْصَحاِبـِہ اَْجَمِعن

    तत्पश्चात स्पष्ट हो कि आज िचा किन जो 22 मई 1893 ई. है उस मबुचाहसे और मनुचाज़रे िचा किन है जो मझु में और किप्टी अबिुल्चाह आथम सचाकहब में तय ्पचायचा है। इस मबुचाहस ेिचा उद्शेय और आशय यह है कि सतय िे अकिलचाकियों ्पर यह प्रि् हो जचाए कि इसलचाम और ईसचाई धम्म में स ेिौन सचा धम्म सच्चा और जटीकित, ्परू्म तथचा ख़ुिचा िी ओर स े है। इसिे अकतररक्त मोक्ष (कनजचात) किस धम्म िे द्चारचा कमल सितचा है। इसकलए मैं उकित समझतचा हूं कि ्पहले एि वयचा्पि कनयम िे तौर ्पर इसटी मचामले में जो मनुचाज़रे िचा मलू िचारर है इूंजटील शरटीफ़ और ्पकित्र क़ुआ्मन िचा मिुचाबलचा तथचा तलुनचा िी जचाए। ्परनतु यह बचात समरर रहे कि इस मिुचाबले और तलुनचा में किसटी ्पक्ष िो ििचाक्प यह अकधिचार नहीं होगचा कि अ्पनटी ्पकित्र ्पसुति स ेबचाहर जचाए यचा अ्पनटी ओर स ेिोई बचात मुहं ्पर लचाए अक्पतु अकनिचाय्म एि ंआिशयि होगचा कि जो िचािचा िरें िह िचािचा उस इलहचामटी ्पसुति िे हिचाले (सनिि्म) स े कियचा जचाए जो इलहचामटी ठहरचाई गयटी है और जो सबतू प्रसततु िरें िह सबतू िटी उसटी ्पसुति िे हिचाले स ेहो, कयोंकि यह बचात सि्मथचा सच्टी और िचाकमल कितचाब िी शचान स ेिरू है कि उसिी ििचालत अ्पने सम्परू्म किए-िरचाए स ेिोई अनय वयक्क्त िरे और िह ्पसुति ्परू्मतयचा खचामोश और मौन हो।

    अब स्पष्ट हो कि ्पकित्र क़ुआ्मन ने इसलचाम िे बचारे में कजसे िह प्रसतुत िरतचा है यह फ़रमचायचा है-(सूरः आले इमरचान-20) ۟ ۡسَاُم ِ

    ِۡ ال

    یَۡن ِعۡنَد اّلٰ ِاّنَ ادّلِــَو ِف ــُہ ۚ َو ُہ ــَل ِمۡن ــۡن یُّۡقَب ــا فَلَ ــَاِم ِدیًۡن ۡس ِ

    َۡ ال

    ۡــر ــِغ َغ ــۡن یَّۡبَت َو َم

    (सूरः आले इमरचान-86) ﴾۸۶﴿ ٰخِســِریَۡنِۡۃ ِمَن ال

    َِخر ٰ

    ۡال

    अनुवाद- अथचा्मत् सच्चा और ्पूर्म धम्म अल्चाह तआलचा िे नज़िटीि इसलचाम

  • जंग-ए-मुकद्दस 2

    है और जो िोई इसलचाम िे अकतररक्त किसटी अनय धम्म िो िचाहेगचा तो ििचाक्प सिटीिचार नहीं कियचा जचाएगचा और िह आकिरत में घचा्चा ्पचाने िचालों में से होगचा।

    किर फ़रमचातचा है -ــُت لَُکــۡم ِدیَۡنُکــۡم َو اَتَۡمۡمــُت َعلَۡیُکــۡم ِنۡعَمــِیۡ َو

    َۡمل

    َۡیــۡوَم اَک

    ۡاَل

    (सूरः अल मचाइिः-4) ۡســَاَم ِدیًۡنــا ؕ ِۡ

    َرِضۡیــُت لَُکــُم الअथचा्मत् आज मैंने तुमहचारे कलए तुमहचारचा धम्म ्पूर्म िर कियचा और तुम ्पर अ्पनटी

    नेमत ्पूर्म िर िटी और मैंने तुमहचारे कलए इसलचाम िो ्पसनि िर कलयचा।ــَل ٗہ َع

    َــر ــّقِ لُِیۡظِہ َح

    ۡــِن ال ــٰدی َو ِدیۡ ُہ

    ۡــۡوَلٗ ِبال ــَل َرُس اَۡرَس

    ۤۡی ِ ــَو اّلَ ُہ

    (सूरः अल फ़तह-29) ﴾۲۹ؕ ﴿ ِ َشــِہۡیًدا ِبــاّلٰ ٖ ؕ َو َکٰفــی یۡــِن ُکّلِ ادّلِिह ख़ुिचा कजस ने अ्पने रसूल िो कहिचायत िे सचाथ और सच्े धम्म िे सचाथ

    िेजचा तचाकि िह इस धम्म िो समसत धममों ्पर किजयटी िरे किर अल्चाह तआलचा ्पकित्र क़ुआ्मन िी प्रशंसचा में िुछ आयतें जो इसलचाम धम्म िो प्रसतुत िरतचा है। फ़रमचातचा है- िूंकि ्पकित्र क़ुआ्मन िी प्रशंसचा िसतुतः इसलचाम धम्म िी प्रशंसचा है, इसकलए िे आयतें िटी नटीिे कलखटी जचातटी हैं-

    ُ

    َثــرُۡقــۡرٰاِن ِمــۡن ُکّلِ َمَثــٍل ۫ فـَـاَبٰۤ اَک

    ۡــاِس ِفۡ ٰہــَذا ال َنــا لِلّنَ

    ۡف َو لََقــۡد َصّرَ

    (सूरः बनटी इस्चाईल-90) ﴾۹۰﴿ ــۡوًرا ــاِس ِاّلَ ُکُف الّنَऔर यद्यक्प हमें इस क़ुआ्मन में लोगों िे कलए प्रतयेि प्रिचार िे उिचाहरर

    ख़ूब िेर-िेर िर िर्मन किए हैं ्परनतु अकधितर लोगों ने िुफ़्र िरते हुए इनिचार िर कियचा। अथचा्मत् हमने हर प्रिचार से सबूत और ति्क िे सचाथ क़ुआ्मन िो ्पूरचा कियचा ्परनतु किर िटी लोग इनिचार िरने से नहीं रुिे।

    (सूरः यूनुस-36) ؕ َِحّقُۡ یَۡہِدۡی لِل قُِل اّلٰ

    (सूरः अशशूरचा-18) ؕ اَن َۡ

    ِمیَۡحّقِ َو ال

    ِۡکٰتَب ِبال

    ۡ اَنَۡزَل ال

    ۤۡی ِ ُ اّلَ

    اَّلٰअथचा्मत् ख़ुिचा िह है कजस ने कितचाब अथचा्मत् ्पकित्र क़ुआ्मन िो सच्चाई और

    तरचाज़ू िे सचाथ उतचारचा अथचा्मत् िह ऐसटी कितचाब है जो सतय और असतय िे ्परखने िे कलए बतौर तरचाज़ू िे है।

  • 3 जंग-ए-मुकद्दस

    (सूरः अर्रअि-18) ِبَقَدِرَہا ۢ ٌَمٓاِء َمٓاًء فََسالَۡت اَۡوِدیَۃ اَنَۡزَل ِمَن الّسَ

    अनुवाद- आिचाश से ्पचानटी उतचारचा। अतः प्रतयेि घचा्टी अ्पनटी क्षमतचा िे अनुसचार बह कनिलटी।(सूरः बनटी इस्चाईल-10) اَقَۡوُم

    َُقۡرٰاَن یَۡہِدۡی لِّلَِیۡ ِہی

    ِۡاّنَ ٰہَذا ال

    यह क़ुआ्मन उस कशक्षचा िी कहिचायत िेतचा है जो बहुत सटीधटी और बहुत ्परर्पूर्म है।

    ُقــۡرٰاِن ۡتـُـۡوا ِبِمۡثــِل ٰہــَذا ال

    ِۡجــّنُ َعــلٰۤ اَۡن یَّا

    ۡــُس َو ال

    ۡن ِ

    ۡ لَِّئــِن اۡجَتَمَعــِت ال

    ۡقـُـل

    (सरूः बनटी इस्चाईल-88) ﴾۸۹﴿ ا ً تـُـۡوَن ِبِمۡثــِلٖ َو لَۡو َکاَن بَۡعُضُہۡ لَِبۡعٍض َظِہــرَۡۡل یَا

    कि इनसचान और कजन्न सब इस बचात ्पर सहमत हों कि यकि और कितचाब जो क़ुआ्मन िी ख़ूकबयों िचा मुिचाबलचा िर सिे प्रसतुत िर सिें तो नहीं िर सिेंगे यद्यक्प िे एि-िूसरे िी सहचायतचा िटी िरें।

    किर एि अनय सथचान ्पर फ़रमचातचा है-(सूरः अल अनआम-39) ٍء ِکٰتِب ِمۡن َشۡ

    ۡۡطَنا ِف ال َما فَّرَ

    अथचा्मत् आिशयि कशक्षचाओं में स ेिोई िटीज़ क़ुआ्मन स ेबचाहर नहीं रहटी और क़ुआ्मन एि ्परू्म कितचाब है कजस ेकिसटी अनय ्परू्म कितचाब िचा प्रतटीक्षि नहीं बनचायचा।(सूरः अत्चाररि-14) ﴾۱۴ۙ ِانَّٗہ لََقۡولٌ فَۡصلٌ ﴿ (सूरः अल क़मर-6) ٌبَالَِغۃ

    ۢ ٌَمۃ

    ِۡحک

    क़ुआ्मन कनरचा्मयि िचारटी है जो प्रतयेि बचात में सच्चा कनर्मय िेतचा है और श्ेष्ठतम श्ेरटी िी तत्ि्पूर्म बचातें हैं।

    ﴾۷۷ۙ ۷۶ۙ﴾ َو ِانَّٗہ لََقَسٌم لَّۡو تَۡعلَُمۡوَن َعِظۡیٌم ﴿ اُقِۡسُم ِبَمٰوِقِع الّنُُجۡوِم ﴿ۤفََا

    (सूरः अल िचाकिअः - 76,77)﴾۸۰ؕ ۡوَن ﴿

    ُر ُمَطّہَ

    ۡ ِاّلَ ال

    ۤٗہ ۷۹ۙ﴾ ّلَ یََمّسُ ُنۡوٍن ﴿

    ۡ۷۸ۙ﴾ ِفۡ ِکٰتٍب ّمَک ِانَّٗہ لَُقۡرٰانٌ َکِریٌۡم ﴿

    (सूरः अल िचाकिअः - 78 से 80)अथचा्मत् मैं क़सम खचातचा हूं कसतचारों िे उिय होने िे सथचानों और दृशयों िी।

    और यह क़सम एि बड़टी क़सम है। यकि तुमहें िचासतकिितचा मचालूम हो कि यह

  • जंग-ए-मुकद्दस 4

    क़ुआ्मन एि प्रकतक्ष्ठत और अकत महचान कितचाब है और इसे िहटी लोग छूते हैं जो ्पचाि किल हैं तथचा इस सथचान ्पर इस क़सम िी अनुिूलतचा यह है कि क़ुआ्मन िी यह प्रशंसचा िी गयटी है कि िह िरटीम है अथचा्मत् रूहचानटी बुज़ुकग्मयों ्पर आधचाररत है और बहुत बुलनि और उच्तम बचारटीकियों एिं सच्चाइयों िे िचारर िुछ अिूरिशशी लोगों िी दृक्ष्ट में इसटी िचारर से छो्चा मचालूम होतचा है कजस िचारर से कसतचारे छो्े तथचा कबनिुओं से प्रतटीत होते हैं तथचा यह बचात नहीं कि िचासति में िे कबनिुओं िे समचान हैं अक्पतु िूंकि उनिचा सथचान बहुत श्ेष्ठ एिं बहुत ऊँिचा है इसकलए कि दृक्ष्टयचाँ असमथ्म हैं। उनिी िचासतकिि मो्चाई िो ज्चात नहीं िर सितीं।ُق ُکّلُ َ

    ــرۡــا یُف ــَن ﴿۴﴾ ِفۡیَہ ــا ُمۡنِذِریۡ ــا ُکّنَ َ ــٍۃ ِانّ َک ــَۃٍ ّمُٰبَ ــُہ ِفۡ لَۡی ٰن

    ۡ اَنَۡزل

    ۤــا َ ِانّ

    (सूरः अििुिचान-4,5) ﴾۵﴿ۙ اَۡمٍر َحِکۡیٍم हमने क़ुआ्मन िो एि ऐसटी बरित िचालटी रचात में उतचारचा है कजसमें प्रतयेि

    बचात तत्ि्पूर्म कििरर िे सचाथ िर्मन िी गई है। इसिचा अकिप्रचाय यह है कि जैसे एि रचात बड़े अनधिचार िे सचाथ आई थटी उसिे सचामने इस कितचाब में महचान प्रिचाश रखे गए हैं जो हर प्रिचार िे सनिेह एिं आशंिचा िे अनधिचार िो िूर िरते हैं और हर एि बचात िचा फ़ैसलचा िरते हैं और हर प्रिचार िी युक्क्त िी कशक्षचा िेते हैं-

    لُٰمِت ِاَل الّنُۡوِرؕ۬ َن الّظُ یَۡن ٰاَمُنۡوا ۙ یُۡخِرُجُہۡ ّمِ ِ ُ اّلَ ُ َوِلّاَّلٰ

    (सूरः अलबक़रह - 258)अल्चाह उन लोगों िचा कमत्र है जो ईमचान लचाए और उनहें अंधिचारों से प्रिचाश

    िी ओर कनिचालतचा है।(सूरः अलहचाकिचाः - 49) ﴾۴۹﴿ َ

    ُۡمّتَِقن

    ۡۃٌ لِّل

    َِکر

    َۡو ِانَّٗہ لََتذ

    (सूरः अल िचाकक़यचा - 96) ﴾۹۶ۚ ﴿ ِۡ

    َیِقنِۡاّنَ ٰہَذا لَُہَو َحّقُ ال

    (सूरः अत तििटीर - 25) ﴾۲۵ۚ ﴿ ٍۡ

    َغۡیِب ِبَضِننَۡو َما ُہَو َعَل ال

    अराज़ात् क़ुआ्मन संयकमयों िो िे सचारटी बचातें समरर िरचातचा है जो उसिी प्रिृकत (कफ़तरत) में छु्पटी और गुप्त थीं और यह सि मचात्र है जो इनसचान िो

  • 5 जंग-ए-मुकद्दस

    किश्चास ति ्पहुूंिचातचा है और यह ग़ैब (्परोक्ष) िे िेने में िंजूस नहीं हैं अथचा्मत्् िंजूसों िी िचांकत उसिचा यह िचाय्म नहीं कि िेिल सियं हटी ग़ैब िर्मन िरे और िूसरे िो ग़ैब िी शक्क्त न िे सिे अक्पतु सियं हटी ग़ैब ्पर आधचाररत है और अनुिरर िरने िचाले ्पर िटी ग़ैब िरिचान िरतचा है। यहचां क़ुआ्मन िचा िचािचा है कजसे िह अ्पनटी मिक्ा िे बचारे में सियं िर्मन िरतचा है और किर आगे िलिर इसिचा सबूत िटी सियं हटी िेगचा। िूंकि अब समय िम है इसकलए िह उत्र िे उत्र में कलखचा जचाएगचा। अिटी किप्टी अबिुल्चाह आथम सचाकहब िी सेिचा में यह कनिेिन है कि उन बचातों िी ्पचाबंिटी िे सचाथ जो हम ्पहले कलख िुिे हैं इूंजटील शरटीफ़ िचा िचािचा िटी इसटी प्रिचार और शचान िचा प्रसतुत िरें कयोंकि प्रतयेि नयचायितचा्म जचानतचा है कि ऐसचा तो ििचाक्प हो नहीं सितचा कि मुद्ई सुसत गिचाह िुसत। किशेि तौर ्पर महचा प्रतचा्पटी अल्चाह तआलचा जो सुदृढ़, शक्क्तशचालटी और उच् श्ेरटी िे किशचाल ज्चान रखतचा है, कितचाब िो हम उसिी ओर समबद्ध िरें। िह कितचाब अ्पने आ्प िी सियं क़चायम िरने िचालटी िचाकहए। मचानिटीय िमज़ोररयों से सि्मथचा ्पकित्र और कनिदोि िचाकहए। कयोंकि यकि िह अ्पने िचािे कसद्ध िरने में किसटी िूसरे िे सहचारे िी मुहतचाज है तो िह ख़ुिचा िचा िलचाम ििचाक्प नहीं हो सितचा और यह ्पुनः समरर रहे कि इस समय िेिल उद्ेशय यह है कि जब ्पकित्र क़ुआ्मन ने अ्पनटी कशक्षचा िी वयचा्पितचा तथचा ्पूर्मतचा िचा िचािचा कियचा है। यहटी िचािचा इूंजटील िचा िह िचाग िटी िरतचा है जो हज़रत मसटीह िी तरफ़ समबद्ध कियचा जचातचा है और िम से िम इतनचा तो हो कि हज़रत मसटीह अ्पनटी कशक्षचा िो अक्नतम ठहरचाते हों और किसटी िचािटी समय िे कलए प्रतटीक्षचा में न छोड़ते हों।

    नोट-यह प्रशन इतना ही मलखा गया रा मि दूसरे पक् ने इस बात पर

    आग्रह मिया मि प्रशन न. 2 बहस िे मिसी अनय अवसर िें प्र्तुत हो। मरियातिि तौर पर िसीह िे ख़ुदा होने िे बारे िें प्रशन होना चामहए। अतः उनिे आग्रह िे िारण यह प्रशन जो अभी सिाप्त नहीं हुआ इसी ्रान पर छोड़ा गया। बाद िें इसिा िेष प्रिामित मिया जाएगा।

  • जंग-ए-मुकद्दस 6

    िसीह िी ख़ुदाई पर 22, िई 1893 ई.मबस्िल्ामहर्रहिामनर्रहीि

    ــٌدَوٰاِلِ َواَْصَحاِبــِہ ــَاُم َعــٰل َرُســْوِلٖ ُمَحّمَ َ َوالّسَْ

    َعالَِمــنَْحْمــُد ِلِ َرّبِ ال

    ْاَل

    َْ

    ْجَمِعن اَतत्पश्चात स्पष्ट हो कि तय िी हुई शतमों िे अनुसचार ्पिचा्म ्पृथि किनचांि

    24, अप्रैल 1893 ई. प्रथम प्रशन हमचारटी ओर से यह प्रसतचाकित हुआ थचा कि हम हज़रत मसटीह अलैकहससलचाम िी ख़ुिचाई िे बचारे में कमस्र अबिुल्चाह आथम सचाकहब से प्रशन िरेंगे। इसकलए उसटी शत्म िे अनुसचार नटीिे कलखचा जचातचा है-

    स्पष्ट हो कि इस बहस में यह अतयचािशयि होगचा कि हमचारटी ओर से जो प्रशन हो यचा किप्टी अबिुल्चाह आथम िी ओर से िोई उत्र हो िह अ्पनटी ओर से न हो अक्पतु अ्पनटी-अ्पनटी इलहचामटी कितचाब िे हिचाले से हो कजसिो िूसरचा ्पक्ष हुज्जत समझतचा हो ओर ऐसचा हटी प्रतयेि ति्क और प्रतयेि िचािचा जो प्रसतुत कियचा जचाए िह िटी उसटी अकनिचाय्मतचा से हो। अतः िोई ्पक्ष अ्पनटी ठोस कितचाब िे बयचान से बचाहर न जचाए कजसिचा बयचान बतौर हुज्जत हो सितचा है।

    तत्पश्चात स्पष्ट हो कि हज़रत मसटीह अलैकहससलचाम िी ख़ुिचाई िे बचारे में ्पकित्र क़ुआ्मन में उन सज्जनों िे कििचारों िचा खणिन िरने िे उद्ेशय से जो हज़रत मसटीह िे बचारे में ख़ुदा या ख़ुदा िा बेटा िी आसथचा रखते हैं ये आयतें मौजूि हैं-

    ُســُل ؕ ۚ قـَـۡد َخلَــۡت ِمــۡن قَۡبــِلِ الّرٌُ ِاّلَ َرُســۡول

    ََمِســۡیُح ابـۡـُن َمۡریـَـم

    َۡمــا ال

    ٰیــِت ٰۡ

    ُ لـَـُہُ ال َعــاَم ؕ اُنُۡظــۡر َکۡیــَف نَُبــّنِ ــِن الّطَُکلٰ

    ۡ ؕ َکانـَـا یَا

    ٌیَۡقــۃ ــٗہ ِصّدِ َو اُّمُ

    (सूरः अलमचाइिह - 76) ﴾۷۶﴿ ثـُـّمَ انُۡظــۡر اَّنٰ یُۡؤفَُکــۡوَنअथचा्मत् मसटीह इबने मरयम में इस से अकधि िोई बचात नहीं कि िह िेिल

    एि रसूल है और उस से ्पहले िटी रसूल हटी आते रहे हैं और यह िचाकय कि इस से ्पहले िटी रसूल हटी आते रहे हैं यह कक़यचास1 इक्सतक़रचाई✴ िे तौर ्पर एि 1✴ मियास इस्तक़राई - गिेिरचातमि अनुमचान- किकिन्न िसतुओं िे िचागों िे बचारे में कििेिन

  • 7 जंग-ए-मुकद्दस

    बचारटीि ति्क है, कयोंकि कक़यचासों िे समसत प्रिचारों में से इक्सतक़रचा िी श्ेरटी िह श्ेष्ठ श्ेरटी है कि यकि कनक्श्त और अ्ल श्ेरटी से इसिो उ्पेकक्षत िर कियचा जचाए तो धम्म एिं िुकनयचा िचा सम्पूर्म क्रम कबगड़ जचातचा है। यकि हम धयचान्पूि्मि िेखें तो मचालूम होगचा कि िुकनयचा िचा अकधितर िचाग तथचा क्पछले युगों िी घ्नचाओं िचा सबूत इसटी इक्सतक़रचा िे द्चारचा हुआ है। उिचाहररतयचा हम जो इस समय िहते हैं कि मनुषय मुंह से खचातचा और आँखों से िेखतचा और िचानों से सुनतचा और नचाि से सूँघतचा और जटीि से बोलतचा है। यकि िोई वयक्क्त िोई ्पकित्र कितचाब प्रसतुत िरे और उसमें यह कलखचा हुआ हो कि ये घ्नचाएँ गुज़रे युग िे बचारे में नहीं हैं। अक्पतु ्पहले युग में इनसचान आँखों िे सचाथ खचायचा िरतचा थचा और िचानों िे द्चारचा बोलतचा थचा और नचाि िे द्चारचा िेखतचा थचा और इसटी प्रिचार अनय बचातों िो िटी बिल िे यचा उिचाहररतयचा यह िहे कि किसटी युग में इनसचान िी आंखें िो नहीं होतटी थीं बक्लि बटीस होतटी थीं। िस तो सचामने िेहरे में और िस ्पटीठ ्पर लगटी हुई थीं। तो अब िश्मि सोि सिते हैं कि यकि िल्पनचा िे तौर ्पर हम सिटीिचार िटी िर लें कि इन किकित्र लेखों िचा कलखने िचालचा िोई ्पुनटीत एिं ्पकित्र और सच्चा वयक्क्त थचा, किनतु हम इस कनक्श्त ्परररचाम से िहचां और किधर िचाग सिते हैं जो कक़यचास इक्सतक़रचाई से ्पैिचा हुआ है। मेरटी रचाय में ऐसचा बुज़ुग्म न िेिल एि बक्लि िरोड़ से िटी अकधि और कक़यचास इक्सतक़रचाई से अ्ल और किश्सनटीय ्परररचामों िो तोिनचा िचाहें तो ििचाक्प ्ू् नहीं सिेंगे बक्लि अगर हम नयचायिचान हों और सतयकप्रयतचा हमचारचा आिरर हो तो इस अिसथचा में कि हम उस बुज़ुग्म िो िचासति में एि बुज़ुग्म समझते हैं और उसिे शबिों में ऐसे-ऐसे िचाकय िेखटी और महसूस िी हुई सच्चाइयों िे कि्परटीत ्पचाते हैं तो हम उसिी बुज़ुगशी िे कलए प्रतयक्ष ्पर धयचान नहीं िेंगे और ऐसटी प्रतयक्ष से ह्िर वयचाखयचा (तचािटील) िरेंगे कजस से उस बुज़ुग्म िचा सममचान िचायम रह जचाए। अनयथचा यह तो ििचाक्प नहीं होगचा कि इक्सतक़रचा िो जो िचासतकिितचाएं कनक्श्त और अ्ल मचाधयम से कसद्ध हो िुिी हैं िे एि ररिचायत िेख िर ्चाल िटी जचाएँ। यकि किसटी िचा ऐसचा कििचार िरिे िोई ्पैमचानचा यचा वयचा्पि कनयम बनचानचा। (अनुिचािि)

  • जंग-ए-मुकद्दस 8

    हो तो इसिो कसद्ध िरनचा उसिी गि्मन ्पर है कि िह प्रमचाकरत, कनक्श्त, अ्ल और मौजूि इक्सतक़रचा िे कि्परटीत उस ररिचायत िे समथ्मन एिं सतयचा्पन में िोई और बचात प्रसतुत िर िे। उिचाहररतयचा जो वयक्क्त इस बचात ्पर बहस िरतचा और लड़तचा-झगड़तचा है कि सचाकहब ्पहले युग में लोग अिशय जटीि िे सचाथ िेखते और नचाि िे सचाथ बचातें कियचा िरते थे तो इसिचा सबूत प्रसतुत िरे। और जब ति ऐसचा सबूत प्रसतुत न िरे तब ति एि सभय बुकद्धमचान िी शचान से बहुत िूर है कि उन लेखों ्पर िरोसचा िरिे कि कजनिे सहटी होने िी अिसथचा में बटीस-बटीस अथ्म हो सिते हैं। िह अथ्म अ्पनचाएं जो प्रमचाकरत िचासतकिितचाओं िे सि्मथचा कि्परटीत और प्रकतिूल ्पड़े हुए हैं। जैसे अगर एि िॉक्र हटी से इस बचात िी ििचा्म हो कि संकखयचा और िह ज़हर जो िड़िे बचािचाम से तैयचार कियचा जचातचा है और अकधि ये समसत ज़हरें नहीं हैं और यकि उनिो िो-िो सेर िे बरचाबर िटी इनसचान िे बच्ों िो कखलचायचा जचाए तो िुछ हचाकन नहीं और इसिचा सबूत यह िे कि अमुि ्पकित्र कितचाब में ऐसचा हटी कलखचा है तथचा ररिचायत िरने िचालचा किश्सनटीय है। तो कयचा िह िॉक्र सचाकहब उस ्पकित्र कितचाब िचा धयचान रखते हुए एि ऐसटी बचात िो छोड़ िेंगे जो इक्सतक़रचाई कक़यचास (अनुमचान) से कसद्ध हो िुिी है। अतः जबकि कक़यचास इक्सतक़रचाई िुकनयचा िी िचासतकिितचाएं कसद्ध िरने िे कलए प्रथम सतर िी प्रकतष्ठचा रखतचा है तो इसटी ्पहलू से अल्चाह तआलचा ने सि्मप्रथम कक़यचास इक्सतक़रचाई िो हटी प्रसतुत कियचा और फ़रमचायचा-(सूरः अलमचाइिह-76) ؕ ُسُل قَۡد َخلَۡت ِمۡن قَۡبِلِ الّرُ

    अथचा्मत्् हज़रत मसटीह अलैकहससलचाम कनससनिेह नबटी थे और अल्चाह तआलचा िे पयचारे रसूल थे, ्परनतु िह इनसचान थे। तुम नज़र उठचा िर िेखो कि जब से तबलटीग़ (प्रिचार) और ख़ुिचा िी िचारटी िे उतचारने िचा कसलकसलचा आरमिहुआ है। हमेशचा और सिैि से इनसचान हटी रसूल होने िचा ्पि ्पचािर िुकनयचा में आते रहे हैं यचा ििटी अल्चाह तआलचा िचा बे्चा िटी आयचा है और ــْت िलत) िचा शबि) َخلَइस ओर धयचान किलचातचा है कि जहचां ति तुमहचारटी दृक्ष्ट ऐकतहचाकसि कसलकसले िो िेखने िे कलए िफ़चा िर सितटी है और ्पहले लोगों िचा हचाल मचालूम िर सिते

  • 9 जंग-ए-मुकद्दस

    हो ख़ूब सोिो और समझो कि ििटी यह कसलकसलचा ्ू्चा िटी है। कयचा तुम ऐसचा िोई उिचाहरर प्रसतुत िर सिते हो कजस से कसद्ध हो सिे कि यह बचात संिचािनचाओं में से है। ्पहले ििटी-ििटी होतचा हटी आयचा है। अतः बुकद्धमचान वयक्क्त इस जगह तकनि ठहर िर और अल्चाह तआलचा से िर िर किल में सोिे कि िुघ्म्नचाओं िचा कसलकसलचा इस बचात िो िचाहतचा है कि किसटी युग में उसिचा उिचाहरर िटी ्पचायचा जचाए।

    हचाँ यकि बचाइबल िे िे समसत अंकबयचा एिं सिचािचारटी लोग कजनिे संबंध में बचाइकबल में िटी शबि मौजूि है कि िे ख़ुिचा तआलचा िे बे्े थे यचा ख़ुिचा थे िचासतकिि अथमों में िररतचाथ्म िर कलए जचाएँ तो कनससनिेह इस अिसथचा में हमें इक़रचार िरनचा ्पड़ेगचा कि ख़ुिचा तआलचा िी आित है कि िह बे्े िटी िेजचा िरतचा है बक्लि बे्े कयचा ििटी-ििटी बेक्यचाँ िटी। प्रतयक्षतः यह ति्क तो उत्म प्रतटीत होतचा है यकि ईसचाई सज्जन इसे ्पसनि िरें और इसे िोई तोड़ िटी नहीं सितचा, कयोंकि िचासतकिि-अिचासतकिि िी तो िहचाँ िोई ििचा्म हटी नहीं अक्पतु िुछ िो तो ्पहलो्चा हटी कलख कियचा। हचाँ इस अिसथचा में बे्ों िचा योग बहुत बढ़ जचाएगचा। अतः महचा प्रतचा्पटी ख़ुिचा ने सि्मप्रथम ख़ुिचाई िे खणिन िे कलए िटी इक्सतक़रचाई ति्क प्रसतुत कियचा है तत्पश्चात एि और ति्क प्रसतुत िरतचा है-(सूरः अलमचाइिह-76) ؕ ٌیَۡقۃ ٗہ ِصّدِ َو اُّمُ

    अथचा्मत्् हज़रत मसटीह िी मचाँ सतयकनष्ठ थटी। यह तो स्पष्ट है कि यकि हज़रत मसटीह िो अल्चाह तआलचा िचा िचासतकिि बे्चा मचान कलयचा जचाए तो किर यह आिशयि बचात है कि िह िूसरों िी तरह ऐसटी मचां िे अ्पने ्पैिचा होने में मुहतचाज न हो जो िोनों ्पक्षों िी सहमकत से इनसचान थटी, कयोंकि यह बचात अतयनत स्पष्ट और खुलटी-खुलटी है कि ख़ुिचा तआलचा िचा प्रिृकत िचा कनयम इस प्रिचार से है कि प्रतयेि प्रचारटी िी सनतचान उसिी प्रक़ौम िे अनुसचार हुआ िरतटी है। उिचाहररतयचा िेखो कि कजतने जचानिर हैं जैसे इनसचान, घोड़चा, गधचा और प्रतयेि ्पक्षटी िे अ्पनटी-अ्पनटी प्रक़ौम िी दृक्ष्ट से अक्सतति में आते हैं, ये तो नहीं होतचा कि इनसचान किसटी ्पक्षटी से ्पैिचा हो जचाए यचा ्पक्षटी किसटी इनसचान िे ्पे् से कनिले। किर एि तटीसरचा

  • जंग-ए-मुकद्दस 10

    ति्क यह प्रसतुत कियचा है-(सूरः अलमचाइिह-76) ؕ َعاَم ُکلِٰن الّطَ

    َۡکانَا یَا

    अथचा्मत्् िे िोनों हज़रत मसटीह और आ्पिी सतयकनष्ठ मचां खचानचा खचायचा िरते थे। अब आ्प लोग समझ सिते हैं कि इनसचान कयों खचानचा खचातचा है और कयों खचानचा खचाने िचा मुहतचाज है। इसमें असल िेि यह है कि हमेशचा इनसचान िे शरटीर में घुलने अथचा्मत्् क्षटीरतचा िचा क्रम जचारटी है। यहचां ति कि प्रचािटीन एिं निटीन अनिेिरों से कसद्ध है कि िुछ ििमों में ्पहलचा शरटीर घुल िर समचाप्त हो जचातचा है और िूसरचा शरटीर घुले हुए शरटीर िचा बिल हो जचातचा है तथचा हर प्रिचार िचा िोजन जो खचायचा जचातचा है उसिचा िटी रूह (आतमचा) ्पर प्रिचाि (असर) होतचा है। कयोंकि यह बचात िटी कसद्ध हो िुिी है कि ििटी रूह शरटीर ्पर अ्पनचा प्रिचाि िचालतटी है और ििटी शरटीर रूह ्पर अ्पनचा प्रिचाि िचालतचा है। जैसे यकि रूह िो सहसचा िोई ख़ुशटी ्पहुूंितटी है तो उस ख़ुशटी िे लक्षर अथचा्मत्् प्रिुल्तचा और िमि िेहरे ्पर िटी प्रि् होतटी है और ििटी शरटीर िे हँसने-रोने िे लक्षर रूह ्पर ्पड़ते हैं। अब जबकि यह हचाल है तो ख़ुिचाई िे ्पि से यह कितनचा िूर होगचा कि अ्पने अल्चाह िचा शरटीर िटी हमेशचा उड़तचा है तो तटीन-िचार िि्म िे बचाि और शरटीर आए, इसिे अकतररक्त खचाने िचा मुहतचाज होगचा इस अथ्म िे सि्मथचा कि्परटीत है जो ख़ुिचा तआलचा िे अक्सतति में मचानय है। अतः स्पष्ट है कि हज़रत मसटीह इन आिशयितचाओं से मुक्त नहीं थे जो समसत इनसचानों िो लगटी हुई हैं। किर यह एि उत्म ति्क इस बचात िचा है कि िह इन ििमों और िुखों िे बचािजूि ख़ुिचा हटी थे यचा ख़ुिचा िे बे्े थे और िि्म हम ने इसकलए िहचा कि िूख िटी िि्म िचा एि प्रिचार है और यकि अकधि हो जचाए तो नौबत मौत ति ्पहुूंितटी है।

    हसतचाक्षर अंग्ेज़टी में हसतचाक्षर अंग्ेज़टी में ग़ुलचाम क़चाकिर फ़सटीह (प्रेसटीिें्) हेनरटी मचाक््रन क्चाि्क (प्रेसटीिें्)

    इसलचाम िी ओर से ईसचाइयों िी ओर से

  • 11 जंग-ए-मुकद्दस

    मि्टर अबदुल्ाह आरि सामहब िसीही िी ओर से उत्तर

    यकि आ्पिचा यह िथन सहटी है कि हर बचात िी िचासतकिितचा अनुिि हटी ्पर आधचाररत होतटी है अथचा्मत्् जो अनुिि िे कि्परटीत है िह झूठटी है। तब तो हमें सृजन िी किशेितचा िचा िटी इनिचार िरनचा ्पड़ेगचा, कयोंकि हमचारे अनुिि में िोई िटीज़ ्पैिचा नहीं होतटी और आिम िचा कबनचा मचां-बचा्प िे ्पैिचा होने िचा िटी इनिचार िरनचा ्पड़ेगचा। हम यह नहीं जचानते कि ऐसचा हम कयों िरें। कयोंकि कबलिुल असंिि हम उसे िहते हैं कि िोई बचात किसटी रबबचानटी (ख़ुिचाई) किशेितचा िे किरुद्ध हो और ये िटीज़ें जो हमचारे अनुिि िे बचाहर हैं, उिचाहररतयचा सृजन िचा होनचा अथचा्मत्् कबनचा सचामचान िे नचाक्सत से आक्सत (अक्सतति) में आनचा तथचा आिम िचा ित्ममचान कसलकसले िे कि्परटीत ्पैिचा होनचा हम ख़ुिचा तआलचा िी किसटी ्पकित्र किशेितचा िे किरुद्ध नहीं िेखते।

    मवितीय- आ्प िे िूसरे मुिद्मे िे उत्र में आ्प िो किश्चास होनचा िचाकहए कि हम उस किखचाई िेने िचालटी िटीज़ िो जो खचाने-्पटीने इतयचाकि आिशयितचाओं िे सचाथ है अल्चाह नहीं मचानते बक्लि अल्चाह िी द्योति िहते हैं और यह एि ऐसचा मुिद्मचा है जैसचा क़ुआ्मन में उस आग िे बचारे में जो झचाड़टी में किखचाई िेतटी थटी कलखचा है कि हे मूसचा अ्पने जूते िूर िर कयोंकि यह तुिचा घचा्टी है और यह कि मैं तेरे बचा्प इब्चाहटीम, इसहचाक़ और यचाक़ूब िचा ख़ुिचा हूं। मूसचा ने उसे सिटीिचार कियचा। अब बतचाइए किखचाई िेने िचालटी िटीज़ तो ख़ुिचा नहीं हो सितटी और िेखनचा प्रतयक्ष तौर ्पर थचा अतः हम उसे अल्चाह िचा द्योति िहते हैं अल्चाह नहीं िहते। इसटी प्रिचार यसू मखलूि िो हम अल्चाह नहीं िहते बक्लि अल्चाह िचा द्योति िहते हैं। कयचा यह सतमि जो ईं् और कमट्टी िचा सचामने किखचाई िेतचा है उसमें से यकि ख़ुिचा आिचाज़ िेिर िहनचा िचाहे कि, कि मैं तुमहचारचा ख़ुिचा हूं और मेरटी अमुि बचात सुनो तो यद्यक्प यह बचात अनुिि िे किरुद्ध है तो कयचा संिचािनचा िे कि्परटीत है कि ख़ुिचा ऐसचा नहीं िर सितचा (हमचारे नज़िटीि तो संिचािनचा िे

  • जंग-ए-मुकद्दस 12

    कि्परटीत नहीं)तृतीय- हम ने अल्चाह िे बे्े िो शरटीर नहीं मचानचा। हम तो अल्चाह िो

    रूह मचानते हैं शरटीर नहीं।चतुरज़ा- बचात िे बचारे में हमचारचा कनिेिन यह है कि कनससनिेह तचािटील िचालटी

    बचात िी तचािटील (प्रतयक्ष अथ्म से ह्िर वयचाखयचा िरनचा) िरनचा िचाकहए ्परनतु िचासतकिितचा िो िचाकहए कि तचािटीलों िो न कबगचाड़े। यकि िोई िचासतकिितचा कनक्श्त बचात िे कि्परटीत है तो उस ्पर हमेशचा असतय िचा आिेश िेनचा िचाकहए न कि असतय िो मरोि िर सतय बनचानचा।

    पंचि- बचात िे बचारे में आ्पिी सेिचा में स्पष्ट हो कि शबि बे्े और ्पलौठे िचा बचाइकबल में िो प्रिचार से िर्मन हुआ है अथचा्मत्् एि तो यह िह एि तन ख़ुिचा िे सचाथ हो, कद्तटीय यह कि एि मन ख़ुिचा िी इचछचा िे सचाथ हो। (एि तन िह है जो गुर में एि हो और एि मन िह है जो गुर में िचागटीिचार नहीं बक्लि इचछचा िचा िचागटीिचार हो) किसटी नबटी यचा बुज़ुग्म िे बचारे में बचाइबल में यह कलखचा है कि हे तलिचार मेरे िरिचाहे और तुलय ्पर उठ (ज़िचाररयचा अधयचाय-13 आयत-7) और किर किस िे बचारे में ऐसचा कलखचा है कि िचाऊिटी तखत ्पर यहिचा कसदिनू आएगचा (यरकमयचाह) और किस ने यह िहचा कि मैं अलफ़चा और मेगचा एिं सि्मशक्क्तमचान ख़ुिचा हूं तथचा किस िे बचारे में यह कलखचा गयचा कि मैं जो कहिमत हूं अनचाकि िचाल से ख़ुिचा िे सचाथ रहतटी थटी और मेरे मचाधयम से यह सचारटी सृक्ष्ट हुई और यह कि जो िुछ सृक्ष्ट िचा प्रि्न है उसटी िे मचाधयम से है। ख़ुिचा बचा्प िो किसटी ने नहीं िेखचा किनतु इिलौते (ख़ुिचा) ने उसे प्रि् िर कियचा (यूहन्नचा अधयचाय-1 आयत-18)

    अब इस ्पर इनसचाि िीकजए कि ये शबि एि तन िे संबंध में हैं यचा एि मन िे तथचा यह िटी एि बचात समरर रखने योगय है। यसइयचाह अधयचाय-9, आयत 6 में कि िह बे्चा जो हमें प्रिचान कियचा जचातचा है और बे्चा जनम लेतचा है िह इन उ्पचाकधयों से सुशोकित है मुझे सचामरय्मिचान ख़ुिचा अब अनश्रतचा शचाह सलचामत, मुशटीर, अजूबचा, तखत िचाऊिटी ्पर आने िचालचा कजसिे शचासन िचा ्पतन

  • 13 जंग-ए-मुकद्दस

    ििटी नहीं होगचा।षष्ठि आ्पने जो क़ुआ्मन से कसद्ध कियचा है मुझे अफ़सोस है कि मैं अब

    ति उसिे इलहचामटी होने िो नहीं मचानतचा। जब आ्प उसे इलहचामटी कसद्ध िरिे कनरुत्र िर िेंगे तो उसिे प्रमचार सियं हटी मचाने जचाएँगे।

    सप्ति- श्टीमचान प्रिृकत और सृजन ख़ुिचा िचा िम्म है और इलहचाम ख़ुिचा िचा िथन। िम्म और िथन में इतनचा किरोधचािचास नहीं होनचा िचाकहए। यकि िोई िचाय्म संकिगध हो यचा सरसरटी नज़र में िकठन प्रतटीत हो तो हम उसिी प्रतयक्ष से ह्िर वयचाखयचा ति्क और किज्चान द्चारचा हटी िरेंगे अनयथचा िहचां जचाएँगे? इसकलए आ्प ने सियं हटी िहचा कि तचािटील िचालटी बचातों िी तचािटील अकनिचाय्म है और आ्प इससे िटी अकधि िहते हैं कि अनुिि िे कि्परटीत हम िुछ न लेंगे तो जैसे यह िटी प्रिृकत िी तरफ़ लौ्नचा है कजससे हम ्पूर्म रू्प से सहमत नहीं हैं।

    अष्टि- आठिें उत्र में इतनचा हटी िहनचा है कि जहचां बचाइबल में िचासतकिि और अिचासतकिि बे्े िचा अनतर न हो तो हमचारटी बुकद्ध िो रोि नहीं कि हम उसमें अनतर न िरें और िूसरों िे सचाथ िटी यकि यहटी किशेितचाएं संलगन हों जैसटी मसटीह िे सचाथ हैं तो हम उनिो िटी मसटीह जैसचा मचान लेंगे।

    हसतचाक्षर अंग्ेज़टी अक्षरों में हसतचाक्षर अंग्ेज़टी अक्षरों में हेनरटी मचाक््रन क्चाि्क (प्रेसटीिें्) ग़ुलचाम क़चाकिर फ़सटीह (प्रेसटीिें्)

    ईसचाइयों िी ओर से मुसलमचानों िी ओर से

  • जंग-ए-मुकद्दस 14

    दूसरा पचाज़ािुबाहसा 23 िई 1893 ई.

    वृत्तानतआज किर जलसचा आयोकजत हुआ और आज ्पचािरटी जे. एल. ठचािुर िचास

    सचाकहब िटी जलसे में ्पधचारे। यह प्रसतचाि प्रसतुत हुआ और सि्मसममकत से सिटीिचार हुआ कि िोई लेख जो मुबचाहसे में िोई वयक्क्त अ्पने तौर ्पर कलखे किश्सनटीय न समझचा जचाए, जब ति कि उस ्पर हर िो सिर मक््लस सचाकहबों िे हसतचाक्षर न हों।

    इसिे ्पश्चात 6 बज िर 30 कमन् ऊ्पर कमज़चा्म सचाकहब ने अ्पनचा प्रशन कलखचानचा आरमि कियचा और उनिचा उत्र समचाप्त न हुआ थचा कि उनिचा समय गुज़र गयचा और कमस्र अबिुल्चाह आथम सचाकहब और ईसचाइयों िे प्रेसटीिें् िी ओर से अनुमकत िटी गई कि कमज़चा्म सचाकहब अ्पनचा उत्र ्पूरचा िर लें। अतः 16 कमन् िे अकतररक्त समय में उत्र समचाप्त कियचा। तत्पश्चात यह तय हुआ कि कनधचा्मररत समय िे अकतररक्त किसटी िो समय न कियचा जचाए। कमस्र अबिुल्चाह आथम सचाकहब ने आठ बज िर गयचारह कमन् ्पर उत्र कलखनचा शुरू कियचा। बटीि में आयतों िी कलस् ्पढ़े जचाने से समबंकधत कििचाि में समय वयय हुआ अथचा्मत्् ्पचांि कमन् कमस्र अबिुल्चाह आथम सचाकहब िे समय में बढ़चाए गए और नौ बज िर सोलह कमन् ्पर उत्र समचाप्त हुआ।

    कमज़चा्म सचाकहब ने 9 बज िर 27 कमन् ्पर उत्र कलखचानचा आरमि कियचा और 10 बज िर 27 कमन् ्पर समचाप्त हो गयचा। तत्पश्चात िोनों ्पक्षों िे लेखों ्पर प्रेसटीिें् सचाकहबों िे हसतचाक्षर किए गए और लेख िोनों ्पक्षों िो किए गए। और जलसचा समचाप्त हुआ।

    हसतचाक्षर अंग्ेज़टी में हसतचाक्षर अंग्ेज़टी मेंहेनरटी मचाक््रन क्चाि्क (प्रेसटीिें्) ग़ुलचाम क़चाकिर िसटीह (प्रेसटीिें्) ईसचाइयों िी ओर से मुसलमचानों िी ओर से

  • 15 जंग-ए-मुकद्दस

    बयान हज़रत मिज़ाज़ा सामहबमबस्िल्ामहर्रहिामनर्रहीि

    नहिदुहू व नुसल्ी अला रसूमलमहल िरीििल 22 मई 1893 ई. िो जो मैंने हज़रत मसटीह िी ख़ुिचाई िे बचारे में

    किप्टी अबिुल्चाह आथम सचाकहब से प्रशन कियचा थचा उसमें उत्र िेने योगय नौ बचातें थीं। सि्मप्रथम मैंने यह कलखचा थचा कि िोनों सिसयों ्पर अकनिचाय्म होगचा कि अ्पनटी-अ्पनटी इलहचामटी कितचाब िे हिचाले से प्रशन और उत्र कलखें। किर इसिे सचाथ हटी यह िटी कलखचा गयचा थचा कि प्रतयेि ति्क अथचा्मत्् बौकद्धि ति्क और िचािचा कजसिे समथ्मन में िह ति्क प्रसतुत कियचा जचाए अ्पनटी-अ्पनटी कितचाब िे हिचाले और िर्मन से कियचा जचाए। इसमें मेरचा उद्ेशय यह थचा कि प्रतयेि कितचाब िी इस तौर से ्परटीक्षचा हो जचाए कि उनमें यह िमतिचारटी शक्क्त ्पचाई जचातटी है यचा नहीं। कयोंकि इस युग में जो उिचाहररतयचा ्पकित्र क़ुआ्मन ्पर लगिग तेरह सौ िि्म गुज़र गए जब िह अितररत हुआ थचा। इसटी प्रिचार इूंजटील ्पर लगिग उन्नटीस सौ िि्म गुज़रते हैं जब इूंजटील हिचाररयों िे लेख िे अनुसचार प्रिचाकशत हुई। इस क्सथकत में िेिल उन ्पुसतिीय बचातों ्पर आधचार रखनचा जो उन ्पुसतिों में कलखटी गई हैं उस वयक्क्त िे कलए लचािप्रि होगटी जो उन ्पर ईमचान लचातचा है तथचा उनिो सहटी समझतचा है और उनिे जो अथ्म किए जचाते हैं उन अथमों ्पर िटी िोई ऐतरचाज़ नहीं रखतचा, ्परनतु यकि ति्कशचासत्रटीय कसलकसलचा उसिे सचाथ शचाकमल हो जचाए तो उस कसलकसले िे द्चारचा बहुत शटीघ्र समझ आ जचाएगचा कि ख़ुिचा तआलचा िचा सच्चा, ्पकित्र, ्पूर्म और जटीकित िलचाम िौन सचा है। अतः मेरचा यह उद्ेशय थचा कि कजस कितचाब िे बचारे में यह िचािचा कियचा जचातचा है कि िह सियं में ्पूर्म है और सबूत िी सम्पूर्म श्ेकरयचां िटी सियं हटी प्रसतुत िरतटी है तो किर उसटी कितचाब िचा ित्मवय होगचा कि अ्पने िचािे िो कसद्ध िरने िे कलए ति्कशचासत्रटीय सबूत िटी सियं हटी प्रसतुत िरे न यह कि कितचाब प्रसतुत िरने से कबलिुल असमथ्म और मौन हो तथचा िोई िूसरचा वयक्क्त खड़चा होिर उसिी सहचायतचा िरे। प्रतयेि नयचायिचान

  • जंग-ए-मुकद्दस 16

    बड़टी आसचानटी से समझ सितचा है कि यकि इस ्पद्धकत िो िोनों सिसय अकनिचाय्म तौर ्पर अ्पनचा लें तो सतय िी ्पुक्ष्ट तथचा असतय िचा खणिन बड़टी आसचानटी से हो सितचा है। मैं आशचा रखतचा थचा कि कमस्र अबिुल्चाह आथम सचाकहब जो ्पहले से यह िचािचा रखते हैं कि इूंजटील िचासति में एि ्पूर्म कितचाब है िह इस िचािे िे सचाथ इस बचात िो अिशय मचानते होंगे कि इूंजटील अ्पने िचािों िो बौकद्धि तौर ्पर सियं प्रसतुत िरतटी है। ्परनतु महचानुिचाि िे िल िे उत्र से मुझे बहुत आश्य्म और अफ़सोस िटी हुआ कि महचानुिचाि ने इस ओर थोड़चा सचा िटी धयचान नहीं कियचा बक्लि अ्पने उत्र िी संखयचा छः में मुझे संबोकधत िरिे फ़रमचाते हैं कि "आ्प ने क़ुआ्मन से जो ति्क कियचा है मुझे अफ़सोस है कि मैं अब ति उसिे इलहचामटी होने िो नहीं मचानतचा। जब आ्प उसिो इलहचामटी कसद्ध िरिे सिटीिचार िरचा लेंगे जो उसिे प्रमचार सियं हटी मचाने जचाएँगे" अब प्रतयेि कििचार िरने िचालचा कििचार िर सितचा है कि मेरचा यह उद्ेशय िब थचा कि िह ्पकित्र क़ुआ्मन िी प्रतयेि बचात कबनचा जचांि-्पड़तचाल सिटीिचार िर लें। मैंने तो यह कलखचा थचा अथचा्मत्् मेरचा यह उद्ेशय थचा कि बौकद्धि ति्क जो िोनों सिसयों िी ओर से प्रसतुत हों िे अ्पने हटी कििचारों िी योजनचाओं से प्रसतुत नहीं होने िचाकहए। बक्लि िचाकहए कि कजस कितचाब ने अ्पने ्पूर्म होने िचा िचािचा कियचा है िह िचािचा िटी वयचाखयचा सकहत कसद्ध िर कियचा जचाए और किर िहटी कितचाब उस िचािे िो कसद्ध िरने िे कलए ति्क शचासत्रटीय सबूत प्रसतुत िरे और इस प्रिचार िी अकनिचाय्मतचा से जो कितचाब अनत में किजयटी कसद्ध होगटी उसिचा यह िमतिचार कसद्ध होगचा, कयोंकि ्पकित्र क़ुआ्मन स्पष्ट तौर ्पर िहतचा है कि मैं ्पूर्म कितचाब हूं जैसचा कि फ़रमचातचा है-

    ُت لَُکۡم ِدیَۡنُکۡم َو اَتَۡمۡمُت َعلَۡیُکۡم ِنۡعَمِیَۡۡمل

    َۡیۡوَم اَک

    ۡاَل

    (सूरः अलमचाइिह-4)और जैसचा कि िूसरे सथचान ्पर फ़रमचातचा है-

    (सूरः बनटी इस्चाईल-10) اَقَۡوُم َُقۡرٰاَن یَۡہِدۡی لِّلَِیۡ ِہی

    ِۡاّنَ ٰہَذا ال

    िोनों आयतों िचा अनुिचाि यह है- कि आज मैंने तुमहचारचा धम्म तुमहचारे कलए ्पूर्म

  • 17 जंग-ए-मुकद्दस

    कियचा और तुम ्पर अ्पनटी नेमत िो ्पूरचा कियचा और यह क़ुआ्मन एि सटीधे और ्पूर्म मचाग्म िी ओर मचाग्मिश्मन िरतचा है अथचा्मत्् मचाग्म िश्मन में ्पूर्म है और मचाग्म-िश्मन में जो संबकधत िसतुएँ होनटी िचाकहएं बौकद्धि तिमों तथचा आिचाशटीय बरितों में से िे सब इसमें मौजूि हैं और ईसचाई सज्जनों िचा यह कििचार है कि इूंजटील ्पूर्म कितचाब है और मचाग्मिश्मन से सम्पूर्म सचामचान उसमें मौजूि हैं। किर जब कि यह बचात है तो अब िेखनचा आिशयि हुआ कि अ्पने िचािे में सच्चा िौन है। इसटी आधचार ्पर हज़रत मसटीह अलैकहससलचाम िे ख़ुिचाई िे ति्क िटी जो ति्क और बौकद्धि रू्प ्पर हों इूंजटील से प्रसतुत िरने िचाकहए थे। जैसचा कि ्पकित्र क़ुआ्मन ने ख़ुिचाई िे खणिन िे ति्क अनय तिमों िे अकतररक्त बौकद्धि रू्प से प्रसतुत किए और तिमों िे अकतररक्त जो बरिचात इतयचाकि प्रिचाश अ्पने अंिर रखतचा है। अतः अब उममटीिहै कि कमस्र अबिुल्चाह आथम सचाकहब हमचारे प्रशन िचा उद्ेशय समझ गए होंगे। तो िचाकहए कि इस उद्ेशय िे अनुसचार इूंजटील िी शक्क्त और तचाित से ऐसे ति्क प्रसतुत किए जचाएँ न कि अ्पनटी ओर से। और जो वयक्क्त हम िोनों सिसयों में से अ्पनटी ओर से िोई बौकद्धि ति्क यचा िोई िचािचा प्रसतुत िरेगचा उसिचा ऐसचा प्रसतुत िरनचा इस बचात ्पर कनशचान होगचा कि उसिी िह कितचाब िमज़ोर है और िह शक्क्त और तचाित अ्पने अनिर नहीं रखतटी जो ्पूर्म कितचाब में होनटी िचाकहए। ्परनतु यह िैध होगचा कि यकि िोई कितचाब जो बौकद्धि ति्क संकक्षप्त तौर ्पर प्रसतुत िरे कि ्परनतु इस प्रिचार से प्रसतुत िरनचा कि िोई संकिगध बचात न हो और उसिे अगले-क्पछले प्रसंग तथचा उसटी िे और िूसरे सथचानों से ्पतचा कमल सितचा हो कि उस िचा यहटी उद्ेशय है कि ऐसचा ति्क प्रसतुत िरे कि यद्यक्प िह ति्क संकक्षप्त हो ्परनतु प्रतयेि सिसय (्पक्ष) िचा अकधिचार होगचा कि जनतचा िो समझचाने िे कलए िुछ किसतचार िे सचाथ उस ति्क िे मुिद्में िर्मन िर िे। किनतु यह ििचाक्प िैध नहीं होगचा कि अ्पनटी ओर से िोई ति्क िचा्-छचां् िरिे इलहचामटी कितचाब िो इस प्रिचार से सहचायतचा िी जचाए कि जैसे एि िमज़ोर और शक्क्तहटीन मनुषय िो यचा एि मुिदे िो अ्पने बचाज़ू और अ्पने हचाथ िे सहचारे िलचायचा जचाए। किर इसिे ्पश्चात इक्सतक़रचा िे बचारे में जो कमस्र अबिुल्चाह आथम सचाकहब ने कजरह

  • जंग-ए-मुकद्दस 18

    (प्रकतप्रशन) िी है िह कजरह िटी कििचार िी िमटी िे िचारर है िह फ़रमचाते हैं कि यकि यह िथन अथचा्मत्् इक्सतक़रचा िचा ति्क सहटी समझचा जचाए जो ्पकित्र क़ुआ्मन प्रसतुत िरतचा है तो किर आिम िचा कबनचा मचातचा-क्पतचा िे ्पैिचा होनचा सिटीिचार िरने योगय नहीं होगचा और सृक्ष्ट िरने िी किशेितचा िचा िटी इनिचार िरनचा ्पड़ेगचा। अफ़सोस कि महचानुिचाि इस बचात िो समझने से लचा्परिचाह रहे कि इक्सतक़रचा तिमों में यहटी कनयम प्रमचार कसद्ध है कि जब ति उस प्रमचाकरत िचासतकिितचा िे मुिचाबले ्पर जो इक्सतक़रचाई ति्क द्चारचा कसद्ध हो िुिी है िोई बचात उसिी किरोधटी और कि्परटीत प्रसतुत न िी जचाए कजसिचा वयक्त होनचा िटी कसद्ध हो िुिचा है तब ति इक्सतक़रचाई ति्क कसद्ध और क़चायम रहेगचा। उिचाहररतयचा मनुषय िचा एि सर होतचा है और िो आंखें तो इसिे मुिचाबले ्पर िेिल इतनचा िहनचा ्पयचा्मप्त नहीं होगचा कि संिि है कि िुकनयचा में ऐसे लोग िटी मौजूि हों कजनिे िस कसर और बटीस आंखें हों। बक्लि ऐसचा इनसचान िहीं से ्पिड़ िर किखचा िटी िेनचा िचाकहए। इस बचात में िोनों सिसयों में से किस िो इनिचार है कि हज़रत आिम कबनचा मचां-बचा्प िे ्पैिचा हुए थे और उनिे बचारे में ख़ुिचा िी सुन्नत इसटी प्रिचार कसद्ध हो िुिी है। ्परनतु कििचाकित मचामले में िोई ऐसटी बचात नहीं है कि जो िोनों सिसयों िे नज़िटीि मचानय और प्रमचाकरत ठहरटी हो बक्लि किरोधटी सिसय हज़रत ईसचाइयों िी जो कितचाब है अथचा्मत्् पमवत्र क़ुआज़ान िह सियं यह बचात प्रसतुत िरतचा है कि इक्सतक़रचाई ति्क से यह बचात असतय है। अब यकि ति्क िचाकमल और ्पूर्म नहीं है तो िचाकहए कि इूंजटील में से अथचा्मत्् हज़रत मसटीह िे िलचाम में से इसिचा किरोधटी िोई ति्क प्रसतुत कियचा जचाए कजस से कसद्ध हो कि क़ुआ्मन िचा प्रसतुत कियचा हुआ ति्क यह िमज़ोरटी रखतचा है। और सियं प्रि् है कि यकि इक्सतक़रचाई तिमों िो किरोधटी उिचाहरर प्रसतुत �